These comprehensive RBSE Class 12 Home Science Notes Chapter 6 खाद्य गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 12 Home Science Chapter 6 Notes खाद्य गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा
→ प्रस्तावना-जो भोज़न हम खाते हैं, वह पौष्टिक और सुरक्षित होना चाहिए। असुरक्षित भोजन से बहुत से खाद्य जनित रोग हो जाते हैं । वैश्विक स्तर पर खाद्यजनित रोग स्वास्थ्य सम्बन्धी प्रमुख समस्या है। खाद्य जनित रोग न केवल मृत्यु के लिए उत्तरदायी होते हैं बल्कि इनसे व्यापार और पर्यटन को भी क्षति पहुँचती है और इस कारण धनार्जन में हानि और बेरोजगारी बढ़ती है।
→ महत्त्व-प्रौद्योगिकी और संसाधन में प्रगति, प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि और बेहतर क्रय क्षमता के साथ-साथ उपभोक्ता की बढ़ती माँग के कारण कई प्रकर के खाद्य उत्पादों का आज बड़े पैमाने पर निर्माण हो रहा है। जैसे| संसाधित खाद्य पदार्थ, स्वास्थ्य के लिए खाद्य पदार्थ आदि। ऐसे खाद्य पदार्थों की सुरक्षा के आकलन की आवश्यकता होती है। इससे खाद्य गुणवत्ता तथा खाद्य सुरक्षा सम्बन्धी मामलों को अत्यधिक महत्त्व मिला है। इसके उत्तरदायी कारण
- (1) व्यावसायिक प्रयोजन के लिए खाद्य पदार्थों का अधिक मात्रा में और कई घंटे पहले निर्माण ।
- (2) संसाधित और पैक किए हुए खाद्य पदार्थ।।
- (3) मसालों व कच्चे खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देना।
- (4) बड़ी मात्रा में उत्पादित खाद्यं पदार्थों के वितरण सम्बन्धी जोखिम।
- (5) खाद्य जनित सूक्ष्म जैविक रोगों के मामलों में वृद्धि।
- (6) आयातित खाद्य पदार्थ।
- (7) वायुमंडल, मृदा और जल का प्रदूषण, कृषि उत्पादों में कीटनाशकों का उपयोग, मिलाए जाने वाले पदार्थों जैसे-परिरक्षक, रंजक, सुगंधकारक और अन्य पदार्थ जैसे स्थायी कारक।
→ मूलभूत संकल्पनाएँ
- खाद्य सुरक्षा-यह सुनिश्चित करना कि खाद्य पदार्थ उपभोक्ताओं को किसी प्रकार की हानि नहीं पहुँचाएंगे।
- आविषालुता-आविषालुता किसी पदार्थ की किसी प्रकार और किन्हीं परिस्थितियों में क्षति उत्पन्न करने | की क्षमता होती है। यह आविषालुता (संट) भौतिक, रासायनिक और जैविक हो सकता है।
- खाद्य विषाक्तता/आविषिता: खाद्य पदार्थ से रोगाणुओं के नष्ट हो जाने पर भी कुछ जीवाणु रह जाते हैं जो हानिकारक आविष उत्पन्न करते हैं । जीव तभी आविष उत्पन्न करते हैं जब खाद्य पदार्थ अधिक गरम या अधिक ठंडे नहीं होते।
- स्टैफलोकॉकस आरियस:
- ऐसे ही जीवों का उदाहरण है। इस प्रकार के जीव वायु, धूल और जल में पाए जाते इसके अतिरिक्त खाद्य पदार्थ पीड़कों और कीटों द्वारा भी ग्रसित हो सकता है।
- खाद्यों से होने वाले विभिन्न खतरों के अन्तर्गत जैविक संकट खाद्य जनित रोगों के प्रमुख कारण हैं । जैविक खाद्य जनित रोगाणु गंभीर चिंता का विषय हैं।
- रोगाणुओं के उत्पन्न होने के प्रमुख कारण:
- मानव परपोषी
- जंतु परपोषी
- मानव एवं स्वयं रोगाणुओं के साथ उनकी पारस्परिक क्रियाएँ
- पर्यावरण
- नए रोगाणुओं से सम्पर्क।
- संदूषण-संसाधन अथवा भंडारण के समय/पहले/बाद में खाद्य पदार्थ में हानिकारक, अखाद्य बाहरी पदार्थों (जैसे-रसायन, सूक्ष्मजीवी, तनुकारी पदार्थों) की उपस्थिति संदूषण कहलाती है।
- अपमिश्रण-यह जानबूझकर या संयोगवश अशुद्ध या सस्ते या अनावश्यक अवयवों को मिलाना है, जो खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता को कम कर देता है।
- खाद्य गुणवत्ता-खाद्य गुणवत्ता उन गुणों की ओर संकेत करता है जो उपभोक्ताओं के लिए उत्पादों के गुणों को प्रभावित करते हैं। इनमें नकारात्मक और सकारात्मक दोनों प्रकार के गुण शामिल हैं।
- सुरक्षा, गुणवत्ता का प्राथमिक और सबसे महत्त्वपूर्ण गुण है। सभी खाद्य सेवा उपलब्ध कराने वाले खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु निम्न बातों को ध्यान में रखें
- कच्चे माल और जल की गुणवत्ता
- परिसर, कर्मचारियों, उपकरणों, खाद्य निर्माण और भंडारण क्षेत्रों की स्वच्छता
- उपयुक्त ताप पर खाद्य भंडारण
- खाद्य स्वास्थ्य विज्ञान
- बेहतर सेवा के तरीके।
→ खाद्य मानक:
खाद्य के प्रत्येक पहलू में एकीकृत गुणवत्ता लाने, स्वच्छ, पौष्टिक खाद्य की आपूर्ति सुनिश्चित करने के अतिरिक्त देश के भीतर और देशों के बीच व्यापार बढ़ाने के लिए प्रभावी खाद्य मानकों और नियंत्रण प्रणालियों की आवश्यकता होती है।
→ मानकों के स्तर:
मानकों के चार स्तर हैं। ये हैं
(अ) कंपनी मानक
(ब) राष्ट्रीय मानक
(स) क्षेत्रीय मानक
(द) अन्तर्राष्ट्रीय मानक।
→ भारत में खाद्य मानक नियमन
- खाद्य में अपमिश्रण रोकने के लिए भारत सरकार ने अपमिश्रण अधिनियम, 1954 लागू किया जिसमें 200 से अधिक संशोधन हो चुके हैं।
- अन्य आदेश या अधिनियम हैं जो विशिष्ट खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता सुनिश्चित करते हैं, जैसे
(अ) फलसब्जी उत्पाद आदेश ।
(ब) माँस खाद्य उत्पाद आदेश
(स) वनस्पति तेल उत्पाद आदेश।
- कुछ स्वैच्छिक उत्पादन प्रमाणीकरण, श्रेणीकरण और अंकन योजनाएँ हैं, जैसे-बी.आई.एस. का आई.एस.आई. मार्क और एगमार्क।
- खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006-चूँकि सरकार के बहुत से नियमन और नियम हैं जो खाद्य उद्योग के लिए पेचीदे बन गए। फलतः खाद्य की गुणवत्ता नियमन के लिए इन सभी नियमों का एकीकरण करते हुए भारत सरकार ने 'खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 पारित कर दिया।
→ खाद्य मानकों, गुणवत्ता, शोध और व्यापार से सम्बद्ध अन्तर्राष्ट्रीय संस्थान और समझौते-बहुत से अन्तर्राष्ट्रीय संस्थान और समझौते हैं जिन्होंने खाद्य सुरक्षा, गुणवत्ता और बचाव को बढ़ाने, शोध और व्यापार को सुसाध्य करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ये संस्थान हैं
- कोडेक्स ऐलिमेन्टैरियस कमीशन (सी.ए.सी.)।
- अन्तर्राष्ट्रीय मानक संस्थान।
- विश्व व्यापार संगठन।
→ एक प्रभावी खाद्य नियंत्रण प्रणाली:
मानकों को अपनाने और लागू करने पर जोर देने के लिए एक सुदृढ़, खाद्य नियंत्रण तंत्र की आवश्यकता है। एक प्रभावी खाद्य नियंत्रण प्रणाली में ये अवश्य शामिल होने चाहिए
- खाद्य निरीक्षण
- विश्लेषणात्मक क्षमता।
→ खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणालियाँ:
खाद्य सुरक्षा प्रबंधन की प्रमुख प्रणालियाँ ये हैं
- उत्तम निर्माण पद्धतियाँ (जी एम पी)
- उत्तम हस्तन पद्धतियाँ (जी एच पी)
- संकट विश्लेषण क्रांतिक नियंत्रण बिंदु (एस.ए.सी.सी.पी.)
→ कार्यक्षेत्र:
भारत खाद्य संसाधन के क्षेत्र में उन्नति कर रहा है। भारत में खाद्य उद्योग जी.डी.पी. में 26 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता है और आने वाले वर्षों में विकास का एक प्रमुख क्षेत्र होगा। इसके साथ ही भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 ने इस क्षेत्र में कार्य अवसरों को बहुत अधिक बढ़ा दिया है और जीविका के अवसरों में वृद्धि की है। जीविका हेतु आवश्यक अर्हताएँ-जो व्यावसायिक इस क्षेत्र को अपनी जीविका का साधन बनाना चाहते हों, वे
- खाद्य रसायन, खाद्य संसाधन और संरक्षण, खाद्य विश्लेषण और गुणवत्ता नियंत्रण में निपुणता रखते हैं।
- वे खाद्य सूक्ष्म जैविकी, खाद्य कानून और संवेदी मूल्यांकन में निपुण हों।
→ जीविका के अवसर:
उक्त प्रशिक्षित/निपुण व्यक्तियों को खाद्य उद्योग में जीविका के लिए निम्न प्रमुख अवसर उपलब्ध हैं
- गुणवत्ता नियंत्रण प्रबंधक।
- एच.ए.सी.सी.पी. के आकलन के लिए आंतरिक खाद्य लेखा परीक्षक।
- शोध और विकास विभाग में अवसर।
- गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशाला में विश्लेषक।
- खाद्य सुरक्षा प्रबंधक और एच.ए.सी.सी.पी. टीम के सदस्य।
- एच.ए.सी.सी.पी. को लागू करने के लिए ट्रेनर।
- शिक्षण और शैक्षिक क्षेत्र में कार्य के अवसर
- वैज्ञानिक लेखक।