These comprehensive RBSE Class 12 Home Science Notes Chapter 25 विकास कार्यक्रमों का प्रबंधन will give a brief overview of all the concepts.
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→ संचार एवं विस्तार विषय में समुदायों, परिवारों तथा व्यक्तियों द्वारा सामना की जाने वाली विकास की चुनौतियों का उत्तर देने के लिए विस्तारित कार्यक्रमों के द्वारा विकास को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया है।
→ मूलभूत संकल्पनाएँ
(1) विकास कार्यक्रम-विकास मनुष्य की क्षमताओं, विकल्पों तथा अवसरों को बढ़ावा देने की प्रक्रिया है, जिससे वह दीर्घ, स्वस्थ तथा परिपूर्ण जीवन व्यतीत कर सके। विकास कार्यक्रम में मनुष्य के सामर्थ्य और कौशलों का प्रसार सम्मिलित है। इसका लक्ष्य मनुष्यों द्वारा उनकी क्षमताओं तथा संसाधनों का पूर्णरूपेण उपयोग करना है।
(2) सहस्राब्दि विकास ( सतत विकास) लक्ष्य-सहस्राब्दि विकास लक्ष्य आठ समयबद्ध विस्तृत विकास लक्ष्य हैं, जिन्हें प्राप्त करने के लिए पूरे संसार की सहमति है। ये आठ लक्ष्य इस प्रकार हैं
(3) कार्यक्रम मूल्यांकन-कार्यक्रम मूल्यांकन एक प्रक्रिया है, जिसका उपयोग रूपरेखा तथा प्रस्तुति-क्षेत्र के प्रभावी होने तथा लक्ष्य किस सीमा तक प्राप्त हो पाता है, उसे ज्ञात करने में किया जाता है।
→ विकास-कार्यक्रम.
(1) विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाते समय अधिकांश कार्यक्रमों में निम्न तीन घटकों में से एक या अधिक होते हैं । यथा
(2) आजकल विकास कार्यक्रम को लोकतांत्रिक क्रियाकलाप की भांति देखा जाता है, जिसमें कार्यक्रम विकास एवं मूल्यांकन से जुड़े विषयों के बारे में सहमति हो। ये विषय हैं
(3)विकास-कार्यक्रम एवं मूल्यांकन में जनसाधारण की सहभागिता-आधुनिक संदर्भ में जनसाधारण की भागीदारी का अर्थ है-विचार प्रक्रिया तथा व्यवहार में व्यक्तियों की सहभागिता, कार्यक्रम के प्रारंभ से अंत तक कार्यान्वयन में निर्णय लेने के अधिकार सहित सक्रिय भाग लेने की प्रक्रिया तथा संसाधनों व संस्थाओं तक पहुँच एवं नियंत्रण।।
(4) पणधारियों की भागीदारी-विकास कार्यकर्ताओं ने यह अनुभव किया है कि विकास कार्यक्रमों की सफलता और उनसे संधारणीय परिणाम प्राप्त करने के लिए उनमें पणधारियों की भागीदारी का स्वरूप और स्तर एक प्राथमिक आवश्यकता है।
→ विकास-कार्यक्रम चक्र विकास-कार्यक्रम चक्र के चरण हैं
→ आवश्यक ज्ञान एवं कौशल - विकास कार्यक्रमों के मूल्यांकन, कार्यक्रम योजनावार, प्रबंधक, कार्यान्वयनकर्ता आदि की भूमिकाओं में विभिन्न क्षेत्रों में ज्ञान तथा कौशल की मांग होती है। वर्तमान में सहभागिता का दृष्टिकोण अपनाये जाने के कारण इसमें डिजाइन करने, बजट बनाने, आंकड़े एकत्र करने के तरीकों तथा आंकड़ों के विश्लेषण तथा प्रस्तुतीकरण में ज्ञान तथा कौशल की आवश्यकता होती है।
→ नए दृष्टिकोण में विशेष रूप से
→ कार्यक्षेत्र
→ भारत सरकार ने अनेक कार्यक्रम आरंभ किये हैं, जिनका केन्द्र बिन्दु पोषण, स्वास्थ्य, जेंडर, जनसंख्या तथा जनन | स्वास्थ्य, कृषि, पशुधन, वन विज्ञान, पर्यावरण, साक्षरता, आय उत्पादन, संधारणीय जीविका तथा अन्य मूलभूत क्षेत्र हैं।