These comprehensive RBSE Class 12 Home Science Notes Chapter 24 निगमित संप्रेषण तथा जन-संपर्क will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 12 Home Science Chapter 24 Notes निगमित संप्रेषण तथा जन-संपर्क
→ प्रस्तावना-निगमित संप्रेषण
- निगमित संप्रेषण को प्रबंधन के एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में माना जाता है। इसके विकसित होने में वर्षों का समय लगता है। इसको सभी आंतरिक और बाह्य संप्रेषणों के प्रबंधन और संगठन में सम्मिलित गतिविधियों के समूह के रूप में वर्णित किया जाता है, जिसका डिजाइन अनुकूल आरंभिक बिन्दुओं के सृजन के लिए बनाया जाता है।
- निगमित संप्रेषण किसी भी संगठन में विविध प्रकार के विशेषज्ञों और संवाददाताओं द्वारा दी गई जानकारी पर आधारित होता है।
- यह लोगों, संगठन की प्रक्रियाओं, लोगों की गतिविधियों और संचार माध्यमों से संबंधित है।
→ निगमित संप्रेषण के उद्देश्य
- इसका प्राथमिक उद्देश्य अपने सभी साझेदारों के समक्ष अपना दृष्टिकोण स्थापित करना है।
- इसका दूसरा उद्देश्य है-विश्व आपको किस रूप में देखता है, इसका नियंत्रण करना।
→ जनसम्पर्क:
जनसम्पर्क किसी भी संगठन का महत्वपूर्ण प्रकार्य या गतिविधि है।
जनसम्पर्क के कुछ प्रकार ये हैं
- किसी भी कार्यक्रम से पहले पत्रकार सम्मेलन,
- प्रेस विज्ञप्ति,
- स्नेह मिलन आदि। जनसम्पर्क तथा विज्ञापन और संचार माध्यम परस्पर संबंधित हैं।
→ जनसम्पर्क के उद्देश्य-जनसम्पर्क के उद्देश्य हैं:
- कंपनी की सकारात्मक छवि सृजित करना,
- कंपनी के संकट को निपटाना,
- कर्मचारियों को प्रेरित करना,
- किसी उत्पाद के प्रति जिज्ञासा उत्पन्न करना,
- उत्पाद का विज्ञापन करना तथा
- किसी घटना की पूर्व सूचना देना।
→ मूलभूत संकल्पनाएँ
1. निगमित संप्रेषण-निगमित संप्रेषण स्थानीय और वैश्विक स्तर पर कर्मचारियों, उपभोक्ताओं, नियोजकों तथा अन्य व्यक्तियों के साथ संप्रेषण का सक्षम और प्रभावी मार्ग है।
कर्मचारियों की उत्पादकता और लोगों की सशक्तिकरण की आवश्यकता के लिए प्रबंधकों का मुख्य सरोकार निगमित संप्रेषण दल के उपयोग से संबंधित होता है।
2. जनसम्पर्क-जनसम्पर्क जनसाधारण दो समूहों के बीच संबंधों और सम्पर्कों के बंध स्थापित करता है । यह किसी संगठन और उसके लोगों के बीच आपसी समझ स्थापित करने तथा उसे बनाए रखने के लिए विवेकशील, सुनियोजित और दीर्घकालिक प्रयास करता है। जनसम्पर्क तकनीकें, पद्धतियाँ और प्रथाएँ, संस्था अनुसार परिवर्तित होती हैं।
3. निगमित संप्रेषण के प्रकार्य
- निगमित संप्रेषण प्राथमिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह
(अ) सकारात्मक और अनुकूल सार्वजनिक ज्ञान,
(ब) संप्रेषण के प्रभावी और कार्यकुशल मार्ग,
(स) प्रबल निगमित संस्कृति तथा
(द) निगमित नागरिकता की वास्तविक समझ सृजित करता है।
- यह एक स्वस्थ संगठनात्मक परिवेश का निर्माण करता है।
- यह ब्रांड का सृजन और रखरखाव करता है और संगठन की प्रतिष्ठा का भी ध्यान रखता है।
- यह संगठन और बाहरी संस्थाओं के मध्य सम्पर्क सुनिश्चित करता है।
- यह साझेदारों के साथ मधुर एवं स्वीकारात्मक संबंध बनाए रखने में मदद करता है।
4. जनसम्पर्क के प्रकार्य-जनसम्पर्क के प्रमुख प्रकार्य निम्नलिखित हैं
- निगमित जनसम्पर्क नीति को विकसित और अनुशासित करना।
- निगमित वक्तव्य, प्रेस विज्ञप्तियां तथा अधिकारियों के भाषण तैयार करना।
- प्रचार करना।
- संबंध बनाना।
- प्रकाशन सम्बन्धी कार्य करना।
→ जनसम्पर्क गतिविधियों के प्रमुख क्षेत्रजनसम्पर्क गतिविधियों के प्रमुख क्षेत्र निम्नलिखित हैं
- प्रेस से सम्बन्ध।
- विज्ञापन देना।
- प्रकाशन कार्य करना।
- अन्य संचार माध्यमों से समन्वय करना।
- जनसम्पर्क के संघटकों से सम्बन्ध बनाए रखना।
→ जनसम्पर्क के सात सिद्धान्तआर्थर पेज ने जनसम्पर्क के निम्नलिखित सात सिद्धान्त बताये हैं
- सच बताइए।
- काम द्वारा सिद्ध कीजिए।
- ग्राहकों की सुनिए।
- आने वाले कल के लिए प्रबंध कीजिए।
- जनसम्पर्क को इस तरह संचालित कीजिए जैसे कि सारी कंपनी उस पर निर्भर करती है।
- इसे समझें कि कंपनी का वास्तविक चरित्र उसके लोगों द्वारा प्रदर्शित होता है।
- शांत, धैर्यवान और प्रसन्नचित रहिए। निगमित संप्रेषण के प्रकार
→ निगमित संप्रेषण में दो प्रकार के संप्रेषणों का अधिक उपयोग होता है
- आंतरिक संप्रेषण और
- बाह्य संप्रेषण यथा
(1) आंतरिक संप्रेषण-यह संप्रेषण संगठन के नियोक्ता और कर्मचारियों के मध्य होता है। आंतरिक संप्रेषण का अप्रभावी होना ही किसी कंपनी की अधिकांश आंतरिक समस्याओं का मूल कारण होता है।
(अ) यह भिन्न दिशाओं में बहता है, जैसे-ऊर्ध्वाधर, क्षैतिज, विकर्ष और संगठन के ढांचे के आर-पार।
(ब) यह औपचारिक अथवा अनौपचारिक हो सकता है।
(स) यह नियोजन, निर्देशन, समन्वय, प्रेरणा इत्यादि जैसे प्रबंधकीय प्रकार्यों को करने में मदद करता है।
(2) बाह्य संप्रेषण-यह संगठन के बाहर सरकार, उसके विभागों, ग्राहकों, वितरकों, अंतर-निगमित संस्थाओं, जनसाधारण इत्यादि को संदेश संप्रेषित करने से संबंधित है। यह जनता के साथ अच्छे सम्बन्धों को प्रोत्साहित करता है।
→ संप्रेषण गतिविधियों के क्षेत्रसंप्रेषण गतिविधियों के दो प्रमुख क्षेत्र हैं। ये हैं
- संदेश बनाना, और
- संदेश प्रेषित करना। यथा
- संदेश बनाना-संदेश बनाते समय निम्न सात बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है। ये हैं
- संक्षिप्त,
- मूर्तता,
- स्पष्टता,
- सम्पूर्णता,
- शिष्टाचार,
- परिशुद्धता और
- पूर्ण सोच-विचार।
→ आवश्यक ज्ञान और कौशल कौशल आपको एक बेहतर और प्रभावी संप्रेषक बनने में सक्षम बनाते हैं। ये संदेशों को बनाने और सफलतापूर्वक संप्रेषित करने में सहायता करते हैं। आवश्यक ज्ञान और कौशल अग्रलिखित हैं
- श्रवण कौशल
- अन्तर्वैयक्तिक कौशल
- समझौते के कौशल
- प्रस्तुतीकरण कौशल
- मानवीय तत्व
- तालमेल स्थापित करना
- प्रभावी निर्णय लेना
- टेलीफोन शिष्टाचार, मौलिक लेखन कौशल तथा सार्वजनिक व्याख्यान कौशल
- उच्चारण निष्प्रभावन
- समय प्रबंधन
- तनाव प्रबंधन कौशलों को सीखने के साधन
- श्रवण कौशल स्वयं सीखे जाते हैं।
- अंतर्वैयक्तिक कौशल, समझौते के कौशल, तालमेल स्थापित करने के कौशल सफल और प्रभावी लोगों का अवलोकन कर सीख सकते हैं।
- प्रस्तुतीकरण कौशलों में सॉफ्टवेयर-हार्डवेयर का उपयोग शामिल होता है, जिसमें औपचारिक प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।
- इसी प्रकार उच्चारण निष्प्रभावन, सार्वजनिक भाषण, टेलीफोन शिष्टाचार, आधारभूत लेखन कौशल, निर्णय लेना और तनाव प्रबंधन के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम होते हैं।
- समय प्रबंधन कौशल के लिए भी कुछ प्रशिक्षण की आवश्यकता हो सकती है। बहुत से कार्य प्रबंधक इसे अनुभव द्वारा भी विकसित कर लेते हैं।
→ संप्रेषण के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग:
प्रौद्योगिकी ने, विशेषकर सूचना और संप्रेषण प्रौद्योगिकी ने, संप्रेषण क्षेत्र में क्रांति ला दी है। कार्यक्षेत्र निगमित संप्रेषण और जनसम्पर्क का कार्यक्षेत्र इस प्रकार है.
- निगमित कार्यालयों और अन्य संगठनों में नियोक्ताओं और कर्मचारियों के मध्य होने वाले संप्रेषण कार्य।
- साझेदारों, संचार माध्यमों, प्रेस, गैर-सरकारी संगठनों, सरकार, ग्राहकों और जनसाधारण से संप्रेषण करने के लिए जनसम्पर्क अधिकारी।
- संचार माध्यमों और प्रौद्योगिकियों के उपयोग में नवाचारी।
- जनसम्पर्क बाहरी एजेन्सियों के साथ काम करने में निर्णायक भूमिका निभाता है।