These comprehensive RBSE Class 12 Home Science Notes Chapter 23 जनसंचार माध्यम प्रबंधन, डिज़ाइन एवं उत्पादन will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 12 Home Science Chapter 23 Notes जनसंचार माध्यम प्रबंधन, डिज़ाइन एवं उत्पादन
→ प्रस्तावना
- जनसंचार माध्यम विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर सार्वजनिक बोध को प्रभावित करते हैं तथा विश्वासों, मूल्यों और परम्पराओं के एक विशेष स्वरूप का चयन और चित्रण करके आधुनिक संस्कृति के विशिष्ट रूप का विकास करते हैं।
- मुद्रित और इलेक्ट्रानिक संचार माध्यम व्यक्ति के दैनिक जीवन का हिस्सा बन चुके हैं।
- संचार माध्यमों में किसी भी विषय में सफलता और प्रभाव प्राप्त करने के लिए, उन्हें. भली-भांति नियोजित, डिजाइन और उत्पादित (प्रस्तुत) करना पड़ता है। ये प्रक्रियायें संचार माध्यम प्रबंधन के भाग हैं।
→ महत्व
- जनसंचार माध्यम समाज को प्रभावित करता है और स्वयं भी समाज द्वारा प्रभावित होता है।
- इसके कार्य दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे हैं।
- संचार माध्यम प्रबंधन-डिजाइन और प्रस्तुतीकरण-बहुत महत्वपूर्ण है।
→ मूलभूत संकल्पनाएँ
(अ)संचार माध्यम
संचार माध्यम में आपस में और अन्य लोगों से मुद्रित और प्रसारित दोनों ही रूप में संप्रेषण शामिल है। ये सूचना के संग्रहण और संचार के साधन हैं, जैसे-समाचार-पत्र, पत्रिकाएं, रेडियो, टेलीविजन, बुलेटिन बोर्ड, पोस्टर, इंटरनेट, टेलीफोन आदि।
मीडिया (संचार माध्यम) को दो संदर्भो में समझा जा सकता है
- अंतिम उत्पाद या अभियान डिजाइन के रूप में मीडिया ।
- एक चैनल या माध्यम के रूप में मीडिया।
(ब) संचार माध्यम आयोजना
(1) अर्थ तथा मानदंड एवं आयोजना हेतु आवश्यक बातें
संचार माध्यम आयोजना एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें पहले से निर्धारित किये गए उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए यह तय किया जाता है कि कम लागत में कौन-कौन से माध्यमों को शामिल किया जाए।
सूचना संप्रेषण के लिए संचार माध्यम आयोजना की जाती है, ताकि वांछित परिवर्तन लाए जा सकें संचार माध्यम योजनाकार चार मुख्य मानदंडों पर ध्यान दे सकता है
- पहुँच,
- बारंबारता,
- निरन्तरता, और
- लागत।
किसी संचार माध्यम की कार्यनीति तैयार करने के लिए और आयोजना, डिजाइन करने और उत्पादन (प्रस्तुतीकरण) तथा उसके प्रबंधन (कार्यान्वित करने) के लिए निम्नलिखित आवश्यक बातें ध्यान में रखनी चाहिए
- श्रोताओं की आवश्यकता और अभिरुचियों को समझना
- समय और अवधि
- श्रोताओं की मनोदशा
- श्रोताओं के सोचने के तरीके
- मीडिया, जिन्हें उपयोग में लाना है अर्थात् संचार माध्यम, संदेश पहुंचाने की विधि तथा चैनल
- प्रतिपादन।
(2) विषय वस्तु का प्रकार तथा स्पष्टता
संदेश की प्रस्तुति के यथासंभव स्पष्टता के साथ सभी प्रयास किये जाने चाहिए, ताकि उसे अभीष्ट श्रोता अभिष्ट अर्थ के साथ समझ सकें।
लक्षित श्रोताओं के लिए संचार माध्यम, संदेश की विषय-वस्तु पर निर्णय लेने हेतु निम्न बिन्दुओं पर विचार किया जाना चाहिए
- शामिल किए जाने वाली विषय-वस्तु के उपयोग संबंधी निर्णय
- भाषा की किस्म और प्रकार के उपयोग सम्बन्धी निर्णय
- विषय-वस्तु को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने के लिए तरीके सम्बन्धी निर्णय (केवल मौखिक दृश्य/मिलेजुले)
- विषय-वस्तु को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने के लिए लिखित अथवा चित्रयुक्त प्रस्तुतीकरण संबंधी निर्णय।
(3) विश्वसनीयताकिसी ऐसे प्रयास की स्वीकृति और प्रभाव प्राथमिक रूप से निम्नलिखित पर निर्भर करता है
- मुद्दे पर अभियान चलाने वाला व्यक्ति या संस्था।
- संदेश प्राप्त करने वाले के लिए मुद्दे की प्रासंगिकता।
- श्रोताओं की व्यक्तिगत पसंद और नापसंद ।
- चयनित प्रसंग और इसके प्रस्तुतीकरण का तरीका।
- अभीष्ट श्रोताओं के लिए संप्रेषण का माध्यम।
(4) व्यक्ति, उत्पाद अथवा मॉडल का उपयोगइसमें निम्नलिखित के लिए निर्णय सम्मिलित हैं
- विषय-वस्तु को प्रस्तुत करने के लिए किस व्यक्ति, उत्पाद या मॉडल का उपयोग किया जायेगा।
- संचार माध्यम संदेश या उत्पाद की प्रोन्नति के लिए किस प्रकार और किस स्वरूप वाली बातों को जोड़ा जायेगा।
(5)लागत और संचार माध्यम बजट
संचार माध्यम संदेश (उत्पाद) के विकास और उत्पादन में धन व्यय करना पड़ता है। इसमें अत्यधिक व्यय करना पड़ता है। यदि बजट में राशि उपलब्ध हो तो किसी भी विज्ञापन अभियान में एक से अधिक संचार माध्यमों को मिलाकर उपयोग में लेना उचित रहता है।
(स) संचार माध्यमों को डिजाइन करना और उनका उत्पादन
(1) संचार माध्यमों के डिजाइन और उत्पादन के कारणसंचार माध्यमों का डिजाइन और उत्पादन अनेक कारणों से किया जाता है। जैसे
- प्रारंभिक जानकारी प्राप्त करने के लिए।
- संदेश/उत्पाद को प्रोन्नत करने के लिए।
- जागरूकता उत्पन्न करने के लिए।
- ज्ञान तथा कौशल प्रशिक्षण उपलब्ध कराने के लिए।
- विविध महत्वपूर्ण मुद्दों को समर्थन देने के लिए।
(2) संचार माध्यम डिजाइन और उत्पाद के चरण
- श्रोताओं की पहचान करना, सूची बनाना और समझना।
- संचार माध्यम/माध्यमों की प्रभाविता की पहचान करना।
- प्रसारण क्षेत्र।
- संचार माध्यम बजट/कीमत निर्धारण कारक।
- उपलब्ध माध्यम का संरूप (फार्मेट)।
- श्रोताओं, दर्शकों, पाठकों के प्रकार।
- श्रोताओं के व्यवहार को समझना।
(द) संचार माध्यम मूल्यांकन और प्रतिपुष्टि
(1) कार्यान्वयन के पूर्व तथा बाद प्रतिपुष्टि-दो प्रकार की प्रतिपुष्टियां हैं
- तत्काल प्रतिपुष्टि
- विलंबित प्रतिपुष्टि।
→ संचार माध्यम प्रबंधन के चरण
संचार माध्यम नियोजन और उत्पादन प्रक्रम को डिजाइन करना
→ कार्यक्षेत्र
- जिन लोगों को संचार माध्यम आयोजन और प्रबंधन का अनुभव है और जिनके पास संचार माध्यमों की डिग्री है, उनका व्यापार और उद्योगों में बहुत महत्व है।
- संचार माध्यमों में जीविका आज पसंद की जीविका बन चुकी है। मुद्रित संचार माध्यम, विज्ञापन, जन संचार माध्यम, इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम, वेब प्रकाशन और जनसम्पर्क ने इस क्षेत्र में रोजगार के अवसरों की श्रृंखला खोल दी है।
- अत्यधिक मात्रा में टीवी चैनलों के अस्तित्व में आने से इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यमों में जीविका के अवसरों का क्षेत्र व्यापक हुआ है।
- जन संचार माध्यमों के कार्यक्षेत्र में आज कोई व्यक्ति, क्षेत्र-रिपोर्टर, लेखक, सम्पादक, अनुसंधानकर्ता, संवाददाता, स्टूडियो में संचालक, प्रस्तुतकर्ता, समाचार विश्लेषक बन सकता है। ये व्यवसायी अन्य क्षेत्रों में भी कार्य कर सकते हैं, जैसे-निर्देशन, कैमरा, ग्राफिक्स, प्रस्तुतीकरण, ध्वनि कार्यक्रम आदि। इसके अलावा व्यक्ति अपना स्वयं का टी.वी./ एफ.एम. रेडियो चैनल शुरू कर सकता है।
→ कौशल जो भी व्यक्ति संचार माध्यम में प्रवेश की इच्छा रखता हो उसे
- शैक्षिक क्षेत्र में संचार माध्यम आयोजन तथा प्रबंधन में प्रशिक्षित होना चाहिए।
- उसे मेहनती, आत्मविश्वासी, अभीष्ट कौशलों में निपुण तथा उत्तम संप्रेषण कौशल से युक्त होना चाहिए।
- उसमें समूह चर्चा से लेकर साक्षात्कार मेज पर बैठकर कार्य करने तथा क्षेत्र में काम करने की प्रतिभा होनी चाहिए।
- उनका लिखा आलेख उनके लक्षित श्रोताओं के लिए स्पष्ट तथा सार्थक होना चाहिए।
→ जीविकाएँ
- व्यवसायों तथा उद्योगों में
- मुद्रित संचार माध्यम, विज्ञापन तथा इलेक्ट्रॉनिक, संचार माध्यमों में
- फील्ड रिपोर्टर, लेखक, संपादक, संवाददाता, ऐंकर, प्रस्तुतकर्ता तथा समाचार विश्लेषक
- निर्देशन, उत्पादन, फोटोग्राफी, ग्राफिक्स, आलेख लेखन आदि
- उद्यमी के रूप में कार्य करना।