These comprehensive RBSE Class 12 Home Science Notes Chapter 12 फ़ैशन डिज़ाइन और व्यापार will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 12 Home Science Chapter 12 Notes फ़ैशन डिज़ाइन और व्यापार
→ प्रस्तावना:
- आज विश्व में फैशन डिजाइन और व्यापार सबसे अधिक उत्साहवर्धक जीविका-विकल्पों में से एक है।
- फैशन उद्योग लोगों की रचनात्मक लालसा और भौतिक आवश्यकताओं, दोनों को पूरा करता है।
- 1920 ई. में 'पहनने के लिए तैयार' वस्त्रों का उत्पादन हुआ और जल्दी ही यह अनुभव हुआ कि इस प्रकार के वस्त्रों का एक बड़ा व्यवसाय है और बहुत जल्दी फैशन परिधान महत्वपूर्ण व्यापार बन गया।
- फैशन के आर्थिक अवसरों के परिणामस्वरूप, फैशन व्यापार एक नयी विशेषज्ञता के रूप में अस्तित्व में आया।
→ महत्व
- फैशन डिजाइन और व्यापार में कच्चा माल, परिधान और सहायक सामग्री के उत्पादन तथा फैशन की दुकानों से संबंधित सभी प्रक्रम सम्मिलित हैं।
- फैशन डिजाइन और व्यापार नियोजन, क्रय और विक्रय को सम्मिलित करता है।
→ मूलभूत संकल्पनाएँ
- फैशन एक शैली या शैलियाँ हैं, जो किसी एक कालावधि में सर्वाधिक प्रचलन में रहती हैं।
- शैली परिधान अथवा सहायक सामग्री की विशेष दिखावट होती है। फैशन में शैली आती है और चली जाती है, लेकिन विशिष्ट शैलियाँ सदैव बनी रहती हैं।
- अस्थायी फैशन कम समय के लिए होते हैं और अधिक प्रभावी नहीं होते।
- स्थायी (क्लासिक) शैली जो कभी पूर्णतया अप्रचलित नहीं होती। अपनी डिजाइन की सादगी की विशिष्टता के कारण यह कभी पुरानी नहीं पड़ती और दीर्घ समय तक स्वीकृत रहती है।
→ फैशन का विकास
फैशन अपेक्षाकृत नया विषय है। नवजागरण काल में पश्चिमी सभ्यता ने विभिन्न संस्कृतियों, रीति-रिवाजों और पोशाकों की खोज करके फैशन परिवर्तन को बढ़ावा दिया। इसके साथ ही नए कपड़ों और विचारों की उपलब्धता के कारण लोग और ज्यादा नई वस्तुओं के लिए लालायित हुए।
→ फैशन का केन्द्र-फ्रांस
- फ्रांस के शाही न्यायालय से समर्थन-अन्तर्राष्ट्रीय फैशन में फ्रांस का प्रभुत्व 18वीं सदी के प्रारंभ में शुरू हुआ। 18वीं शताब्दी के अंत तक सम्राट लुईस 14वें के कोर्ट के सदस्य अपनी रुचि को प्राथमिकता देते हुए फैशन के दिशा देने वाले बन गए। फ्रांस के बहुत से शहर अब कोर्ट के रेशमी वस्त्र, रिबन और लेस भेज रहे थे। शाही न्यायालय से समर्थन मिलने और वहाँ रेशम उद्योग के विकसित होने के कारण फ्रांस फैशन का केन्द्र बन गया।
- औद्योगिक क्रांति में प्रौद्योगिक उन्नति-औद्योगिक क्रांति के कारण वस्त्र निर्माण में हुई प्रौद्योगिक उन्नति के कारण कम समय में अधिक वस्त्रों का निर्माण होने लगा और अमरीका के वस्त्र निर्माण उद्योग का विकास हुआ।
- मध्य वर्ग का जन्म-तेजी से बढ़ते व्यापार और उद्योग ने मध्य वर्ग को जन्म दिया, जिसके पास जीवन की विलासिताओं और अच्छे कपड़े खरीदने के लिए धन था।
- सिलाई मशीन का आविष्कार-सिलाई मशीन के आविष्कार ने हस्तशिल्प को एक उद्योग में बदल दिया। इसने फैशन का लोकतंत्रीकरण कर दिया और इसे प्रत्येक के लिए सुलभ बना दिया।
- सिलाई की पांव चक्की का विकास तथा टैंटों के कपड़ों से पेंटों का निर्माण-1859 में 'इसाक सिंगर' ने सिलाई की पांव चक्की विकसित की। 1849 में लेवी स्ट्रॉस ने टेंटों और माल-डिब्बों के बने कपड़ों का उपयोग करके ज्यादा चलने वाली पेंटें बनाईं, जिनमें औजार रखने के लिए जेबें लगाई गईं। बाद में ये 'डेनिम्स'. कहलाईं। यह परिधान पिछले 150 वर्षों से एक जैसा रहा है।
→ स्कर्ट और ब्लाउज का प्रचलन:
महिलाओं ने 1880 के दशक से स्कर्ट (घाघरा) और ब्लाउज पहनने शुरू किए। यह महिलाओं के लिए पहनने के तैयार कपड़ों के निर्माण की ओर कदम था।
→ मेले तथा बाजारों का विकास:
19वीं सदी में मेलों, बाजारों के माध्यम से जनसाधारण को जेब के अनुकूल फैशन उपलब्ध कराए गए और विविध प्रकार के कपड़ों की मांग के साथ शहरों में खुदरा दुकानें पनपीं।
→ फैशन का चक्र:
जिस तरीके से फैशन बदलता है, उसे सामान्यतः फैशन चक्र के रूप में जाना जाता है। वह समय जिसमें एक फैशन अस्तित्व में रहता है, प्रवेश से लेकर अप्रचलन तक पाँच स्तरों में गति करता है। ये पाँच स्तर निम्नलिखित हैं
- नयी फैशन शैली की प्रस्तुति
- इसकी लोकप्रियता में वृद्धि,
- लोकप्रियता की पराकाष्ठा
- लोकप्रियता में कमी होना तथा
- शैली का परित्याग अथवा अप्रचलन।
→ फैशन व्यापार:
(1) फैशन व्यापार का अर्थ-फैशन व्यापार का अर्थ है-बिक्री के प्रोत्साहन के लिए सही समय पर, सही स्थान पर और सही मूल्य पर आवश्यक योजना बनाना। ऐसा करके ही अधिकतम लाभ प्राप्त किया सकता है।
(2) फैशन व्यापार में व्यापारियों की भूमिका-फैशन व्यापार को अच्छी तरह समझने के लिए फैशन की वस्तुओं के उत्पादन, क्रय, संवर्धन और विक्रय में व्यापारियों की भूमिका को परखना आवश्यक है। यथा
- विनिर्माण-विनिर्माण में फैशन व्यापारी किसी एक परिधान को बनाने में विभिन्न प्रकार के कपड़ों का उपयोग करते समय बहुत अधिक सावधानी बरतता है। फैशन व्यापारी डिजाइनर द्वारा तैयार परिधान को ले लेता है और इसके उत्पादन का श्रेष्ठ तरीका ढूँढता है, साथ ही मूल्य और लक्षित बाजार जैसी बातों का भी ख्याल रखता है।
- क्रय-क्रय फैशन व्यापार का हिस्सा तब बन जाता है, जब एक व्यापारी फैशन की सामग्री दुकानों में रखने के लिए खरीदता है। एक फैशन व्यापारी में फैशन की वस्तुओं के लक्षित बाजार का ज्ञान, फैशन प्रवृत्ति विश्लेषण तथा पूर्वानुमान लगाने की निपुणता होनी चाहिए।
- संवर्धन-जब फैशन व्यापारी डिजाइनर के लिए काम करता है, तो वह फैशन संवर्धन का हिस्सा बन जाता है क्योंकि वह डिजाइनर के उत्पाद को उन दुकानों तक पहुँचाने का प्रयत्न करता है जो उसे अधिक मात्रा में खरीदना पसंद करते हैं। इन परिधानों को वह फैशन प्रदर्शनों द्वारा बढ़ावा देता है तथा वे उन कपड़ों के लिए लक्षित बाजार भी ढूँढते हैं।
- विक्रय-फैशन व्यापार का अंतिम घटक विक्रय है। जब फैशन व्यापारी एक खुदरा दुकान के लिए काम करता है, तो वह फैशन की वस्तुओं को खरीदकर दुकान में सजाता है। थोक व्यापारी जो डिजाइनर के साथ काम करता है वह बाजार का पूर्वानुमान तथा बाजार की प्रवृत्ति का ज्ञान रखकर वस्तुओं का उत्पादन करता है।
(3) फैशन उद्योग में व्यापार के स्तर-फैशन उद्योग में व्यापार तीन स्तरों पर होता है
- खुदरा संगठन में व्यापारिक गतिविधियाँ
- क्रय एजेन्सी व्यापार में सामान (क्रय एजेन्सी ग्राहकों के लिए सामान उपलब्ध कराने के कार्यालय का काम करती है। क्रय एजेण्टों का काम होता है-विक्रेताओं की पहचान करना, मूल्य का मोलभाव करना, बनाते समय गुणवत्ता की जाँच करना और लदान-पूर्व गुणवत्ता की जाँच करना)।
- निर्यात उद्यम में व्यापारिक गतिविधियाँ।
(4) फैशन उद्योग में अन्य संकल्पनाएँ और आवश्यकताएँ
- लक्षित बाजार-लक्षित बाजार को उपभोक्ता की उस श्रेणी के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसे व्यापारी अपने उत्पाद बेचने के लिए लक्षित करता है।
- बाजार विभाजन-बाजार विभाजन ऐसी नीति है जो बड़े बाजार को उपभोक्ताओं के ऐसे उपसमूहों में बाँटती है, जिनकी आवश्यकताएँ और सामान की उपयोगिताएँ तथा बाजार में उपलब्ध सेवाएँ सर्वमान्य होती हैं।
→ बाजार को विभिन्न प्रकार से विभाजित किया जा सकता है
- जनांकिकीय विभाजीकरण,
- भौगोलिक विभाजीकरण,
- मनोवृत्तिपरक विभाजीकरण तथा
- व्यवहारगत विभाजीकरण ।
(5) फैशन व्यापार के लिए सही बातें हैं
- सही व्यापार
- सही स्थान पर
- सही मात्रा में
- सही मूल्य पर
- सही संवर्धन।
(6) फैशन के खुदरा संगठन-फैशन के खुदरा संगठन हैं
- छोटा एकल-इकाई स्टोर
- विभागीय स्टोर
- स्टोर श्रृंखला।।
(7) प्रमुख विभाग-फैशन के प्रमुख विभाग ये हैं
- व्यापारिक प्रभाग
- विक्रय और संवर्धन प्रभाग
- वित्त और नियंत्रण प्रभाग
- प्रचालन विभाग
- कार्मिक और शाखा स्टोर प्रभाग।
→ जीविका (करिअर) के लिए तैयारी
(अ) फैशन तथा डिजाइनर व्यापार में जीविका की तैयारी हेतु डिजाइनरों, व्यापारियों और बाजार चलाने वालों के पास निम्न योग्यताएँ होनी चाहिए
- पूर्वानुमान योग्यता
- विश्लेषणात्मक योग्यता
- संप्रेषण योग्यता
(ब) प्रशिक्षण सम्बन्धी योग्यता-फैशन डिजाइन और व्यापार में अनेक प्रकार के डिग्री कार्यक्रम हैं। इस क्षेत्र में फैशन डिजाइनर एक प्रमाण पत्र, डिप्लोमा, एक एसोसिएट अथवा स्नातक उपाधि अर्जित कर सकते हैं।
कार्यक्षेत्र अनेक लोग लाभप्रद आय के अवसरों की उपलब्धता के कारण फैशन उद्योग में अपनी जीविका पाने की कोशिश करते हैं। लगभग एक तिहाई व्यावसायिक फैशन डिजाइनर स्व-उद्यमी होते हैं। वर्तमान में फैशन डिजाइन के क्षेत्र में कुछ लोकप्रिय फैशन डिजाइन जीविकाएँ निम्नलिखित हैं
- दृश्य व्यापार डिजाइन
- फैशन डिजाइनर
- सेट डिजाइनर
- आंतरिक डिजाइनर।