Rajasthan Board RBSE Class 12 Home Science Important Questions Chapter 5 खाद्य प्रसंस्करण और प्रौद्योगिकी Important Questions and Answers.
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बहुचयनात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
भारतीय खाद्य उद्योग लगभग 6 प्रतिशत जी.डी.पी. के योगदान के साथ आकार की दृष्टि से कौनसे स्थान पर है?
(अ) पहले
(ब) दूसरे
(स) तीसरे
(द) पाँचवें
उत्तर:
(द) पाँचवें
प्रश्न 2.
ऐसी विधियों और तकनीकों का समूह, जो कच्ची सामग्रियों को तैयार या आधे तैयार उत्पादों में बदल देता है, कहलाता है
(अ) खाद्य संसाधन
(ब) खाद्य विज्ञान
(स) खाद्य प्रौद्योगिकी
(द) खाद्य उत्पादन
उत्तर:
(अ) खाद्य संसाधन
प्रश्न 3.
निकोलस ऐप्पट ने खाद्य पदार्थों की डिब्बाबंदी खाद्य संरक्षण तकनीक को विकसित किया
(अ) 1864 ई. में
(ब) 1810 ई. में
(स) 1910 ई. में
(द) 1964 ई. में
उत्तर:
(ब) 1810 ई. में
प्रश्न 4.
पाश्चुरीकरण प्रक्रम को विकसित किया-
(अ) निकोलस ऐप्पर्ट ने
(ब) लुई पाश्चर ने
(स) न्यूटन ने
(द) गैलीलियो ने
उत्तर:
(ब) लुई पाश्चर ने
प्रश्न 5.
वे खाद्य पदार्थ जो एक दो दिन में खराब हो जाते हैं, कहलाते हैं-
(अ) अविकार्य पदार्थ
(ब) अर्ध विकार्य पदार्थ
(स) विकार्य पदार्थ
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(स) विकार्य पदार्थ
प्रश्न 6.
निम्न में से कौनसा खाद्य पदार्थ अविकार्य श्रेणी में आता हैं-
(अ) दूध-दही
(ब) मांस, मछली
(स) आलू, प्याज
(द) गेहूँ, चावल
उत्तर:
(द) गेहूँ, चावल
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
1. भारत ने कृषि-न्यून वाले देश से .............. वाले देश में उन्नति की है।
2. भारत का खाद्य उद्योग का सकल घरेलू उत्पाद में लगभग ................ प्रतिशत का योगदान है।
3. खाद्य पदार्थ को भोज्य और सुरक्षित रूप से संरक्षित करने के लिए खाद्य ................ और .............. की आवश्यकता है।
4. विकार्य खाद्य पदार्थ वे हैं जो ............... में खराब हो जाते हैं।
5. ............... अधिक प्रोटीन युक्त खाद्य पसंद करते हैं, जैसे-माँस, मछली, अंडे, डेरी-उत्पाद।
6. वे खाद्य पदार्थ जो सामान्यतः एक वर्ष तक खराब नहीं होते, ................. पदार्थ कहलाते हैं।
7. जो खाद्य रोगों के आहारी प्रबंधन में उपयोग में लाए जाते हैं; वे ................ खाद्य कहलाते हैं।
8. भारत में खाद्य संसाधन हमेशा ............. स्तर की गतिविधि के रूप में कार्यरत रहा है।
उत्तर:
1. कृषि-आधिक्य
2. छः
3. संसाधन, संरक्षण
4. एक-दो दिन
5. जीवाणु
6. अविकार्य
7. चिकित्सीय
8. कुटीर
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
प्रारंभ में खाद्य पदार्थों का संसाधन किसलिए किया जाता था?
उत्तर:
प्रारंभ में खाद्य पदार्थों का संसाधन उनकी सुपाच्यता, स्वाद-सुधारने और उनकी निरन्तर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए किया जाता था।
प्रश्न 2.
आज भारतीय खाद्य उद्योग किन कारणों से संसाधित खाद्यों के प्रमुख उत्पादन के रूप में उभरा है? (कोई दो कारण लिखिए।)
उत्तर:
प्रश्न 3.
वर्तमान में किस प्रकार के खाद्य पदार्थों की माँग तेजी से बढ़ रही है?
उत्तर:
आज रसायनों, पीड़कनाशियों और परिरक्षकों से मुक्त, अधिक सुरक्षा काल तथा अपनी प्राकृतिक महक वाले खाद्य पदार्थों की माँग तेजी से बढ़ रही है।
प्रश्न 4.
खाद्य वैज्ञानिक हमें खाद्य सम्बन्ध में क्या मदद करते हैं?
उत्तर:
खाद्य वैज्ञानिक हमें खाद्य की प्रकृति और उनके गुणों को समझने में मदद करते हैं।
प्रश्न 5.
खाद्य संसाधन के लिए किस प्रकार के कच्चे माल की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
खाद्य संसाधन के लिए पौधों और/अथवा जंतुओं से प्राप्त अच्छी गुणवत्ता वाले कच्चे माल की अवश्यता होती है।
प्रश्न 6.
खाद्य उत्पादन से क्या आशय है?
उत्तर:
खाद्य उत्पादन से आशय है-जनसंख्या की विविध माँगों की पूर्ति हेतु खाद्य प्रौद्योगिकी के सिद्धान्तों का उपयोग करते हुए बड़े पैमाने पर खाद्य उत्पादन करना।
प्रश्न 7.
विकार्य खाद्य पदार्थों से क्या आशय है?
उत्तर:
विकार्य खाद्य पदार्थ वे होते हैं जो एक-दो दिन में खराब हो जाते हैं, जैसे-दूध, दही, मछली, माँस आदि।
प्रश्न 8.
अर्ध विकार्य पदार्थ कौनसे होते हैं?
उत्तर:
अर्ध विकार्य पदार्थ वे होते हैं जो 1-2 सप्ताह तक सही हालत में रह सकते हैं, जैसे-फल और सब्जियाँ।
प्रश्न 9.
अविकार्य पदार्थ कौनसे होते हैं?
उत्तर:
अविकार्य पदार्थ वे होते हैं जो सामान्यतः एक वर्ष तक खराब नहीं होते, जैसे अनाज, दालें और तिलहन।
प्रश्न 10.
किन्हीं दो संरक्षित खाद्य के उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 11.
किन्हीं चार विनिर्मित प्रकार के खाद्यों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 12.
फार्मूलाबद्ध खाद्य से क्या आशय है?
उत्तर:
जो खाद्य विभिन्न संघटकों को मिलाकर और संसाधित करके तैयार किए जाते हैं, फार्मूलाबद्ध खाद्य कहलाते हैं, जैसे-बिस्कुट।
लघूत्तरात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
खाद्य पदार्थ किन कारणों से संसाधित किए जाते रहे हैं?
उत्तर:
खाद्य पदार्थ विभिन्न कारणों से संसाधित किए जाते रहे हैं। यथा-
(i) प्रारंभ में खाद्य पदार्थों का संसाधन उनका सुरक्षाकाल बढ़ाने, उनकी सुपाच्यता, स्वाद सुधारने और खाद्य पदार्थ की निरन्तर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए किया जाता था।
(ii) वर्तमान काल में सुविधाजनक खाद्यों, ताजे और अधिक प्राकृतिक खाद्यों, सुरक्षित और स्वास्थ्यवर्द्धक खाद्यों तथा पर्याप्त सुरक्षा काल वाले तथा आसानी से पैक, भंडारित और परिवहन किए जा सकने वाले खाद्यों की बढ़ती मांगों की पूर्ति हेतु खाद्य पदार्थों को संसाधित किया जा रहा है।
प्रश्न 2.
खाद्य प्रौद्योगिकविदों का काम मुख्य रूप से किस प्रकार के संस्थानों में होता है?
उत्तर:
खाद्य प्रौद्योगिकविदों का काम मुख्य रूप से खाद्य उद्योगों, गुणवत्ता नियंत्रण विभागों, होटलों, अस्पतालों, लेबल लगाने और पैक करने वाले उद्योगों, मद्य निर्माण कारखानों, मृदु पेय उद्योगों, डेयरी, मछली और माँस संसाधन, फल-सब्जी संसाधन, अनाजों तथा आटा कारखानों इत्यादि में होता है।
इन संस्थानों के विभिन्न विभागों, जैसे-क्रम और भंडारण, संसाधन/विनिर्माण, गुणवत्ता नियंत्रण और प्रबंधन, सुरक्षा आकलन के साथ-साथ शोध और विकास में वे अपनी प्रवीणता का उपयोग कर सकते हैं।
प्रश्न 3.
खाद्य प्रौद्योगिकीविदों के जीविका के अवसरों को उल्लेखित कीजिए।
उत्तर:
खाद्य प्राद्योगिकीविदों के जीविका के अवसर निम्नलिखित हैं-
प्रश्न 4.
भारत में खाद्य संसाधन उद्योग में स्व-रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के क्षेत्र में क्या प्रयास किये जा रहे हैं?
उत्तर:
खाद्य संसाधन उद्योग के क्षेत्र में स्वरोजगार के अवसर
(1) भारत में घरेलू और कुटीर उद्योग के रूप में खाद्य संसाधन प्रकार्यों में मिठाइयाँ, पापड़, मुरब्बा, अचार, तले हुए अल्पाहार, भुने हुए और फुलाए हुए अनाज बनाए और बेचे जाते रहे हैं।
(2) वर्तमान में सरकार वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण, आधारभूत ढाँचा और विपणन सुविधाएँ उपलब्ध कराकर उन तकनीकी व्यक्तियों, खाद्य-प्रौद्योगिकविदों को प्रोत्साहन व सहायता देती है, जो स्वयं अपने खाद्य-संसाधन उद्योग स्थापित करना चाहते हैं। इस हेतु उन्हें बैंकों द्वारा वित्तीय सहायता तथा राज्य सरकारों द्वारा भूमि उपलब्ध करायी जा रही है।
निबन्धात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
संसाधित खाद्य पदार्थों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
संसाधित खाद्य पदार्थों का वर्गीकरण संसाधित खाद्य पदार्थों का वर्गीकरण दो आधारों पर किया जा सकता है-
(अ) संसाधन की सुरक्षा अवधि (सीमा) के आधार पर
(ब) संसाधन के प्रकार के आधार पर। यथा-
(अ) संसाधन की सुरक्षा अवधि (सीमा) के आधार पर-खाद्य पदार्थों को निम्नलिखित तीन वर्गों में विभाजित किया जाता है-
(1) विकार्य खाद्य पदार्थ- विकार्य खाद्य पदार्थ वे हैं जो एक-दो दिन में खराब हो जाते हैं, जैसे-दूध, दही, मछली, माँस आदि।
(2) अर्ध-विकार्य खाद्य पदार्थ-अर्ध-विकार्य खाद्य पदार्थ वे हैं जो 1-2 सप्ताह तक सही हालत में रह सकते हैं, जैसे-फल और सब्जियाँ, रूपान्तरित तने वाली फसलें, जैसे-प्याज और आलू।
(3) अविकार्य पदार्थ-अविकार्य पदार्थ वे हैं जो सामान्यतः एक वर्ष तक खराब नहीं होते, जैसे-अनाज (चावल, गेहूँ), दालें और तिलहन।
(ब) संसाधन के प्रकार के आधार पर-खाद्य पदार्थों को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है-
(1) न्यूनतम संसाधित खाद्य-ये कम-से-कम संसाधित खाद्य पदार्थ होते हैं, जिससे ताजे खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता बनी रहती है। सामान्यतः इसके लिए उपयोग में लाई जाने वाली प्रक्रियाएँ हैं-साफ करना, काट-छांट करना, छीलना, काटना, पतले टुकड़े करना तथा प्रशीतन ताप पर भंडारण करना।
(2) संरक्षित खाद्य-इसके अंतर्गत संरक्षण के लिए प्रयुक्त की गई विधियाँ उत्पाद के गुणों में अधिक परिवर्तन नहीं करतीं, जैसे-हिमशीतित मटर, हिमतशीतित सब्जियाँ, निर्जलित मटर, निर्जलित सब्जियाँ और डिब्बाबंद फल।
(3) विनिर्मित खाद्य-विनिर्मित खाद्य उत्पादों में कच्ची सामग्री के मूल गुण काफी समाप्त हो जाते हैं और संरक्षण के लिए कुछ मूलभूत विधियाँ काम में लाई जाती हैं। प्रायः विभिन्न संघटकों, जैसे-नमक, शक्कर, तेल या रासायनिक संरक्षकों का उपयोग किया जाता है, जैसे-अचार, जैम, मुरब्बा, शरबत, पापड़ आदि।
(4) फार्मूलाबद्ध खाद्य-फार्मूलाबद्ध खाद्य विभिन्न संघटकों को मिलाकर और संसाधित करके तैयार किए जाते हैं, जिससे प्राप्त खाद्य उत्पादों का शैल्फ काल अपेक्षाकृत अधिक हो सके। इनके उदाहरण हैं-डबलरोटी, बिस्कुट, आइसक्रीम, केक, कुल्फी इत्यादि।
(5) व्युत्पन्न खाद्य-खाद्य व्युत्पन्न उद्योग में पदार्थों के संघटकों को कच्ची सामग्री से शोधन द्वारा प्राप्त किया जाता है, जैसे-गन्ने से शक्कर, तिलहनों से तेल आदि।
(6) संश्लेषित खाद्य-संश्लेषित खाद्य पदार्थ सूक्ष्म जैविक अथवा रासायनिक संश्लेषण द्वारा विनिर्मित किए जाते हैं, जैसे-उद्योगों में उपयोग आने वाले एंजाइम और पोषक जैसे कि विटामिन।
(7) कार्यमलक खाद्य-कार्यमलक खाद्य पदार्थ मानव स्वास्थ्य पर लाभदायक प्रभाव डालने वाले होते हैं।
(8) चिकित्सीय खाद्य-चिकित्सीय खाद्य पदार्थ रोगियों के आहारी प्रबंधन में उपयोग में लाए जाते हैं, जैसे कम सोडियम वाला नमक, लैक्टोस मुक्त दूध आदि।
प्रश्न 2.
खाद्य प्रसंस्करण और प्रौद्योगिकी के लिए निम्नलिखित तीन स्तरों पर खाद्य उत्पादों के वर्गीकरण और प्रत्येक के लिए आवश्यक ज्ञान तथा कौशलों की सूची को एक सारणी में प्रदर्शित कीजिए-
1. सामग्री के रूप में खाद्य
2. खाद्य उत्पादन विकास
3. रैसीपी विकास
उत्तर:
सारणी-खाद्य प्रसंस्करण और प्रौद्योगिकी के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल
सामग्री के रूप में खाद्य |
खाद्य उत्पादन विकास |
रैसीपी विकास |
खाद्य सामग्री की प्रकृति और और गुण |
बड़े पैमाने पर खाद्य उत्पादन के लिए खाद्य पदार्थ तैयार करने और पाकक्रिया के कौशलों का ज्ञान |
पाकक्रिया कौशलों और ऊर्जा उपयोग में निपुणता |
पोषक मात्रा और उसका विश्लेषण |
उत्पादन विनिर्देशन और उसका परीक्षण करने का ज्ञान |
संघटकों के उपयोग, उनका यथार्थ मापन और तोलना |
खाद्य पदार्थ की लागत/कीमत |
विश्लेषण विवरण के अनुसार खाद्य पदार्थ के गुणवत्ता नियंत्रण का प्रेक्षण और मापन |
एक मूल रैसीपी को डिजाइन करना, विश्लेषण करना और उसे अपनाना |
रासायनिक पीड़कनाशी, समय, नमी, ताप और संयोजी पदार्थों का प्रभाव |
संवेदी विधियों द्वारा आकलन (उत्पादित खाद्यों का परीक्षण करके और स्वाद चखकर) |
खाद्य पदार्थों को संभालने और काम में लाने के कौशल |
गुणवत्ता वाली खाद्य सामग्री के उत्पादन के लिए कच्चे खाद्य और संघटकों की गुणवत्ता का आकलन |
प्रौद्योगिक पद्धतियाँ और विनिर्माण तंत्र तथा उनका नियंत्रण |
स्वच्छता और सुरक्षा के मापदंडों का पालन करते हुए खाद्य उत्पादन |
खाद्य स्वच्छता और खाद्य सुरक्षा |
विपणन योग्य तैयार उत्पाद पर लेबल लगाना और उसे पैक करना। |
औजारों और उपकरणों का सावधानी पूर्वक प्रयोग |
समकालीन खाद्य उत्पादन के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का ज्ञान |
संकट-विश्लेषण और क्रांतिक नियंत्रण बिंदु (एच.ए.सी.सी.पी.) |
उपभोक्ताओं के बोध के अनुसार उत्पादों को बनाना और डिजाइन बनाने में नवप्रवर्तन |
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समकालीन उत्पादन के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग |