Rajasthan Board RBSE Class 12 Home Science Important Questions Chapter 24 निगमित संप्रेषण तथा जनसंपर्क Important Questions and Answers.
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बहुचयनात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
जनसम्पर्क का उद्देश्य है-
(अ) कम्पनी की सकारात्मक छवि सृजित करना
(ब) कंपनी के संकट को निपटाना
(स) कर्मचारियों को प्रेरित करना
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 2.
निगमित संप्रेषण प्राथमिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सृजित करता है-
(अ) नकारात्मक और प्रतिकूल सार्वजनिक ज्ञान
(ब) निर्बल निगमित संस्कृति
(स) सकारात्मक और अनुकूल सार्वजनिक ज्ञान
(द) संप्रेषण के अप्रभावी और अकुशल मार्ग
उत्तर:
(स) सकारात्मक और अनुकूल सार्वजनिक ज्ञान
प्रश्न 3.
निगमित संप्रेषण का प्रकार्य है-
(अ) जनसम्पर्क नीति
(ब) प्रचार करना
(स) प्रतिष्ठा प्रबंधन
(द) वक्तव्य और प्रेस विज्ञप्तियां
उत्तर:
(स) प्रतिष्ठा प्रबंधन
प्रश्न 4.
जनसम्पर्क का प्रकार्य है-
(अ) संबंध बनाना
(ब) प्रतिष्ठा प्रबंधन
(स) एक स्वस्थ संगठनात्मक परिवेश का निर्माण करना
(द) ब्रांड का सृजन करना और रख-रखाव करना
उत्तर:
(अ) संबंध बनाना
प्रश्न 5.
जनसम्पर्क का सिद्धान्त नहीं है-
(अ) सच बताना
(ब) काम द्वारा सिद्ध करना
(स) विज्ञापन देना
(द) ग्राहकों की सुनना
उत्तर:
(स) विज्ञापन देना
प्रश्न 6.
संदेश बनाते समय निम्न में किसका ध्यान रखना चाहिए-
(अ) संक्षिप्तता का
(ब) मूर्तता का
(स) शिष्टाचार का
(द) उपर्युक्त सभी का
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी का
प्रश्न 7.
निगमित संप्रेषण और जनसम्पर्क के जो कौशल स्वयं सीखे जाते हैं, वे हैं-
(अ) अन्तर्वैयक्तिक कौशल
(ब) श्रवण कौशल
(स) समझौते के कौशल
(द) प्रस्तुतीकरण कौशल
उत्तर:
(ब) श्रवण कौशल
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
1. निगमित संप्रेषण को सभी आंतरिक और बाह्य संप्रेषणों के ................ और ............... में सम्मिलित गतिविधियों के समूह के रूप में वर्णित किया गया है।
2. निगमित संप्रेषण किसी भी संगठन में विविध प्रकार के विशेषज्ञों और संवाददाताओं द्वारा दी गई ............... पर आधारित होता है।
3. जनसम्पर्क एक ................. भी है और विज्ञान भी।
4. आर्थर पेज ने जनसम्पर्क के ...................... सिद्धान्त बताए हैं।
5. संगठन के प्रति जनता की धारणा ............ प्रतिशत उससे बनती है जो वह करता है और ............ प्रतिशत उससे जो वह कहता है।
6. संदेश सदैव ................. अर्थ देने वाला होना चाहिए, जो विविधता उत्पन्न न करे और पाठक को उलझन में न डाले।
7. अन्तर्वैयक्तिक कौशल, बातचीत के कौशल और संपर्क स्थापना कौशल, सफल और प्रभावी लोगों का ......... करके सीख सकते हैं।
उत्तर:
(1) प्रबंधन, संगठन,
(2) जानकारी,
(3) कला,
(4) सात,
(5) 90, 10
(6) स्पष्ट,
(7) अवलोकन।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
जनसम्पर्क को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
"किसी गतिविधि, कारण, आन्दोलन, संस्थान, उत्पाद या. सेवा प्राप्त करने के लिए जानकारी, अनुनय, समायोजन और संपर्कों द्वारा प्रयास जनसम्पर्क कहलाता है।"
प्रश्न 2.
निगमित संप्रेषण प्राथमिक रूप से क्यों महत्वपूर्ण है? कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर:
निगमित संप्रेषण प्राथमिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सृजित करता है-
प्रश्न 3.
निगमित संप्रेषण का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
निगमित संप्रेषण का प्राथमिक उद्देश्य है-अपने सभी साझेदारों के समक्ष अपना दृष्टिकोण स्थापित करना।
प्रश्न 4.
जनसम्पर्क के कोई दो उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:
जनसम्पर्क के दो प्रमुख उद्देश्य ये हैं-
प्रश्न 5.
जनसम्पर्क अधिकारी अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए किस प्रकार की योजनाएं बनाता है? किन्हीं दो का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 6.
जनसम्पर्क के किन्हीं दो प्रकार्यों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 7.
जनसम्पर्क गतिविधियों के कोई दो क्षेत्र बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 8.
जनसम्पर्क के दो सिद्धान्तों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 9.
निगमित संप्रेषण में कितने प्रकार के संप्रेषणों का अधिक उपयोग होता है। उनके नाम लिखिए।
उत्तर:
निगमित संप्रेषण में दो प्रकार के संप्रेषणों का अधिक उपयोग होता है। ये हैं-
प्रश्न 10.
आन्तरिक संप्रेषण किनके बीच होता है?
उत्तर:
आन्तरिक संप्रेषण संगठन के नियोक्ता और कर्मचारियों के मध्य होता है।
प्रश्न 11.
बाह्य संप्रेषण किनके मध्य होता है?
उत्तर:
बाह्य संप्रेषण संगठन के सदस्यों और बाहरी दुनिया के बीच होता है।
प्रश्न 12.
संप्रेषण गतिविधियों के प्रमुख क्षेत्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:
संप्रेषण गतिविधियों के दो प्रमुख क्षेत्र ये हैं-
प्रश्न 13.
संदेश बनाते समय किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
उत्तर:
संदेश बनाते समय उसकी-
प्रश्न 14.
किन कौशलों को सफल और प्रभावी लोगों का अवलोकन करके सीखा जा सकता है?
उत्तर:
लघूत्तरात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
निगमित संप्रेषण का अर्थ बताइए।
उत्तर:
निगमित संप्रेषण से आशय-निगमित संप्रेषण को सभी आन्तरिक और बाह्य संप्रेषणों के प्रबंधन और संगठन में सम्मिलित गतिविधियों के समूह के रूप में वर्णित किया गया है। यह स्थानीय और वैश्विक स्तर पर कर्मचारियों, उपभोक्ताओं, नियोजकों तथा अन्य व्यक्तियों के साथ संप्रेषण का सक्षम और प्रभावी मार्ग है। यह लोगों, संगठन की प्रक्रियाओं, लोगों की गतिविधियों और संचार माध्यमों से संबंधित है।
प्रश्न 2.
जनसम्पर्क के उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
जनसम्पर्क किसी संगठन की महत्वपूर्ण गतिविधि है। इसके प्रमुख उद्देश्य हैं-
प्रश्न 3.
जनसम्पर्क अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए क्या प्रयास करता है?
उत्तर:
जनसम्पर्क अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए विभिन्न योजनाएं बनाता है। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं-
प्रश्न 4.
संप्रेषण गतिविधियों के एक प्रमुख क्षेत्र संदेश बनाने से संबंधित ध्यान रखने योग्य बातों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
संदेश बनाते समय निम्नलिखित सात बातों का ध्यान रखना चाहिए-
प्रश्न 5.
निगमित संप्रेषण तथा जनसम्पर्क के लिए आवश्यक ज्ञान एवं कौशलों को कैसे प्राप्त किया जा सकता है?
उत्तर:
निगमित संप्रेषण तथा जनसम्पर्क के लिए आवश्यक ज्ञान एवं कौशलों को निम्न प्रकार प्राप्त किया जा सकता है-
प्रश्न 6.
निगमित संप्रेषण एवं जनसम्पर्क के कार्य क्षेत्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
कार्यक्षेत्र-इसके कार्यक्षेत्र के अन्तर्गत आते हैं-
निबन्धात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
निगमित जनसम्पर्क के प्रकार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
निगमित जनसम्पर्क के प्रकार्य
निगमित जनसम्पर्क विभाग और जनसम्पर्क एजेन्सियों द्वारा किये जाने वाले कार्यों में से बहत से कार्य एक जैसे होते हैं। अधिकांश समान प्रकार्य निम्नलिखित हैं-
(1) जनसम्पर्क नीति-निगमित जनसम्पर्क, जनसम्पर्क नीति को विकसित और अनुशासित करने का कार्य करता है और इसे शीर्ष प्रबन्धकों और सभी विभागों के साथ साझा करता है। जनसम्पर्क एजेंसियाँ भी यही कार्य करती हैं।
(2) वक्तव्य और प्रेस विज्ञप्तियाँ-जनसम्पर्क कर्मियों द्वारा निगमित वक्तव्य, प्रेस विज्ञप्तियाँ और अधिकारियों के भाषण आदि तैयार किए जाते हैं। इस प्रक्रिया में वे कंपनी, उत्पाद या नीतियों की सकारात्मक छवि को निर्मित और प्रस्तुत करते हैं।
(3) प्रचार करना-निगमित जनसम्पर्क संचार माध्यमों और समुदायों को कंपनी की गतिविधियों और उत्पादों संबंधी घोषणाएँ प्रेषित करता है। प्रोत्साहन अभियानों की योजनाएं बनाकर संचार माध्यमों द्वारा उनका प्रचार करना भी इसका एक अतिआवश्यक प्रकार्य है। व्यापक रूप से, प्रेस और लोगों से पूछताछ का उत्तर देना भी इसका एक प्रकार्य है।
(4) संबंध बनाना-जनसम्पर्क कार्मिकों से अपेक्षा की जाती है कि वे सरकारी इकाइयों के साथ स्थानीय, राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर संबंध बनाएँ। उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे समाज के साथ 'अच्छे पड़ोसियों' जैसे सम्बंध बनाएँ। इसमें पर्यावरण संरक्षण मानकों का अनुपालन, स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर देना, इलाके के विकास कार्यक्रमों में सहयोग करना और भाग लेना आदि शामिल हैं। कंपनी, साझेदारों और अन्य निवेशकों के मध्य संप्रेषण और संबंध बनाए रखना भी एक महत्वपूर्ण प्रकार्य है। कभी-कभी जनसम्पर्क एजेन्सियों को वार्षिक/त्रैमासिक रिपोर्ट भी तैयार करनी पड़ सकती है और साझेदारों के साथ बैठकर योजनाएँ तैयार करनी पड़ सकती हैं।
(5) प्रकाशन-कभी-कभी जनसम्पर्क एजेन्सियों को संस्थानिक पत्रिकाएँ तैयार करने और प्रकाशित करने का काम भी करना होता है।
प्रश्न 2.
जनसम्पर्क गतिविधियों के प्रमुख क्षेत्रों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
जनसम्पर्क गतिविधियों के प्रमुख क्षेत्र जनसम्पर्क गतिविधियों के प्रमुख क्षेत्रों को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है-
(1) प्रेस से संबंध-जनसम्पर्क व्यक्तियों को प्रेस के सभी स्तरों अर्थात् संपादक से संवाददाता तक, मधुर संबंध रखने होते हैं। प्रेस और जनसम्पर्क दोनों अपनी रोजी-रोटी के लिए एक-दूसरे पर निर्भर हैं। अच्छी लिखी हुई और सही समय पर प्रेस विज्ञप्तियाँ उपलब्ध कराना, संवाददाता को उनके लेख लिखने में मदद करना, आसान उपलब्धता, प्रेस की आलोचना से दूर रहना, पक्षपात और कुछ पत्रों का अनुचित पक्ष लेने से बचना आदि प्रेस से अच्छे सम्बन्धों की विशेषताए हैं।
(2) विज्ञापन देना-एक उत्पाद स्वयं के गुणों के आधार पर नहीं बिकता, इसका विज्ञापन करना पड़ता है। विज्ञापन करने का उद्देश्य जानकारी फैलाना, लोगों को उत्पाद के उपयोग के लिए राजी करना या प्रभावित करना हो सकता है।
विज्ञापन देने के लिए बहुत से संचार माध्यम हैं, जैसे-समाचार पत्र, रेडियो, टी.वी. आदि। सामान्यतः जनसम्पर्क व्यक्ति विज्ञापन के लिए बजट और माध्यम तय करते हैं।
(3) प्रकाशन-विवरणिकाएँ, फोल्डर, पैम्फलेट, परिपत्र, संस्थानिक पत्रिकाएँ और इसी प्रकार की सामग्री को . प्रकाशित करने का दायित्व जनसम्पर्क विभाग का होता है। सामग्री तैयार करते समय सरलता, स्पष्टता, लागत, संगठन की सही छवि और उसके आकर्षक होने का ध्यान रखना आवश्यक होता है।
(4) अन्य संचार माध्यमों से समन्वय-अन्य श्रव्य-दृश्य संचार माध्यमों, फिल्मों, प्रदर्शनियों, विज्ञापन पट्टों, कठपुतलियों और लोकगीतों का उपयोग जनसम्पर्क विभाग के प्रचालनों के दायरे में आते हैं। अच्छी सार्वजनिक बातचीत और फोन पर शिष्ट बातचीत भी संगठन की सकारात्मक छवि में योगदान दे सकती है। इसके अतिरिक्त जनसम्पर्क विभाग को अन्य प्रचार माध्यमों जैसे-रेडियो और दूरदर्शन से भी अच्छे सम्बन्ध बनाए रखने होते हैं।
(5) जनसम्पर्क के संघटक-स्थानीय प्रेस के साथ-साथ जनसम्पर्क विभाग के व्यक्तियों को स्थानीय समाज, वित्तीय विश्लेषकों, बैंक वालों, प्रमुख बड़े संस्थानों, शेयरधारकों और संभावित निवेशकों से भी संबंध बनाए रखने होते हैं।
आंतरिक जनसम्पर्क गतिविधियों में अधिकारियों सहित सभी कर्मचारियों और अन्य वरिष्ठ कर्मियों से संबंध बनाए रखना भी इसके कार्यक्षेत्र में आता है क्योंकि इससे जनसम्पर्ककर्मी को सभी जानकारी मिलती है। इससे उसे संगठन के अन्दर होने वाली सभी घटनाओं की जानकारी रहती है।
प्रश्न 3.
निगमित संप्रेषण तथा जनसम्पर्क हेतु आवश्यक ज्ञान व कौशल पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
आवश्यक ज्ञान और कौशल
निगमित संप्रेषण तथा जनसम्पर्क हेतु आवश्यक ज्ञान व कौशलों को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है-
(1) श्रवण कौशल-श्रवण एक सक्रिय प्रक्रिया है, जिसके तीन भाग होते हैं-सुनना, समझना और प्रतिक्रिया। सुनने और उनका अर्थ निकालना शामिल होता है। बातचीत के हिस्से के रूप में ये शब्द सन सकते हैं। समझना यह है कि जहाँ हमारा मस्तिष्क सुने गए शब्दों का अर्थ पूरी बातचीत के संदर्भ में निकालता है। इस स्तर पर जो जानकारी हमें संप्रेषित होती है, उसे हम समझ लेते हैं।
सुने शब्दों को समझ लेने के पश्चात् हम प्रतिक्रिया करते हैं अर्थात् उसका उत्तर देते हैं। प्रतिक्रिया में समझी गई जानकारी पर क्रिया करने हेतु निर्णय लेना और संभवतः अपने विचार या टिप्पणियों के साथ उत्तर देना सम्मिलित हो सकता है।
(2) अन्तर्वैयक्तिक कौशल-अन्तर्वैयक्तिक कौशल किसी व्यक्ति की व्यापारिक संगठनों के अंदर सामाजिक संप्रेषण और बातचीत द्वारा संचालन करने की योग्यता का माप है। ये ऐसे कौशल है जिन्हें व्यक्ति अन्य लोगों के साथ पारस्परिक क्रिया करके उपयोग में लाता है।
सकारात्मक अन्तर्वैयक्तिक कौशल होने से प्रतिष्ठान की उत्पादकता बढ़ जाती है, क्योंकि द्वन्द्व कम हो जाते हैं। यह संप्रेषण को सरल और सुविधाजनक बनाता है। अच्छे अन्तर्वैयक्तिक कौशलों वाले लोग सामान्यतः कठिन परिस्थितियों में उत्पन्न होने वाली भावनाओं को नियंत्रित कर सही तरीके से प्रतिक्रिया करते हैं।
(3) समझौते के कौशल-समझौते की प्रक्रिया वह है जिसमें किसी मुद्दे या सौदे के संदर्भ में दोनों पक्षों में कुछ बिन्दुओं पर असहमति होती है। समझौते द्वारा प्रत्येक पक्ष दूसरे को मनाने के प्रयास करता है। अच्छे समझौते द्वारा यह संभव है कि दोनों पक्ष एक सुखद सौदे पर पहुँच जाएँ।
अच्छे समझौते करने वालों को बैठक से पहले सभी संभावित परिवर्ती कारकों पर विचार कर लेना चाहिए।
(4) प्रस्तुतीकरण कौशल-प्रस्तुतीकरण कौशल विचारों और जानकारी को संप्रेषित करने में प्रयुक्त होता है। इसमें वक्ता का व्यक्तित्व सामने आता है और यह सभी भागीदारों के बीच तुरन्त पारस्परिक संवाद करने की अनुमति देता है।
विषय-वस्तु (जानकारी), रूपरेखा (प्रारभ, बीच का भाग और अन्त), पैकेजिंग (विषय-वस्तु का सही उपयोग) और मानवीय तत्व सम्मिलित हैं।
(5) मानवीय तत्व-यह अच्छा प्रस्तुतीकरण याद रखा जाता है, यदि उसके साथ एक व्यक्ति जुड़ा होता है। उदाहरण के लिए जन्मदिवसों अथवा अन्य अवसरों पर भेजे जाने वाले कार्ड के साथ यदि वरिष्ठ व्यक्ति उन्हें व्यक्तिगत रूप से बधाई देते हैं तो उन्हें बहुत अच्छा लगता है।
(6) तालमेल स्थापित करना-तालमेल किसी संबंध में विश्वास और सामंजस्य स्थापित करना है। यह अन्य लोगों का समर्थन और सहयोग प्राप्त करने की कला का एक मुख्य तत्व है। संप्रेषण के 93 प्रतिशत हमारे हाव-भाव और बात करने के ढंग से संप्रेषित होते हैं। हममें से अधिकांश एक विशेष प्रकार के लोगों के साथ सम्पर्क बना पाते हैं, परन्तु विशेषज्ञ संप्रेषक में व्यापक श्रेणी के लोगों के साथ सम्पर्क स्थापित करने की क्षमता होती है।
(7) प्रभावी निर्णय लेना-प्रत्येक सफल व्यक्ति के पास यह कौशल होना आवश्यक है। मानवीय और भौतिक तत्वों के सभी घटकों का आकलन कर, परिणाम का पूर्वानुमान लगाकर सभी संबंधित पक्षों के अधिकतम हितों का ध्यान में रखते हुए निर्णय लेने चाहिए। महत्वपूर्ण गतिविधियों का क्रम तय करने की योग्यता हमें गतिविधियों के चयन का निर्णय लेने में मार्गदर्शन करती है।
निगमित प्रतिष्ठानों में प्रबंधकों के सामने प्रभावी निर्णय लेने की चुनौती होती है, क्योंकि उन्हें दक्षता, लाभ, साझेदारों, कर्मचारियों और मालिकों की संतुष्टि के बीच संतुलन बनाने की समस्या का सामना करना पड़ता है।
(8) टेलीफोन शिष्टाचार, मौखिक लेखन कौशल (ई-मेल, टिप्पणियाँ आदि लिखना) तथा सार्वजनिक व्याख्यान कौशल-निगमित संप्रेषण तथा जनसम्पर्क क्षेत्र में कार्य करने के लिए हमें इन तीनों कौशलों का अनुभव होना आवश्यक है। टेलीफोन शिष्टाचार अच्छा प्रभाव छोड़ते हैं। इससे दूसरे व्यक्ति को अच्छा लगता है। मौलिक लेखन कौशल हमारी भाषा की पाठ्यचयो का हिस्सा है तथा वाक्पटुता और सार्वजनिक व्याख्यान कौशल का प्रभाव भी स्पष्ट दिखाई देता है।
निगमित संप्रेषक के रूप में अपने व्यापार की सफलता के लिए हमें इन्हें विकसित कर प्रयोग में लाना है।
(9) उच्चारण निष्प्रभावन-उच्चारण निष्प्रभावान में व्यक्ति शब्दों का उच्चारण इस प्रकार करता है कि सुनने वाला समझ जाता है कि क्या बोला गया है। ऐसा करने के अन्य कारण हैं-व्यक्तिगत और व्यावसायिक अवसरों में वृद्धि करना, अपनी कंपनी की व्यावसायिक छवि में सुधार करना, व्यापक वार्तालाप, प्रस्तुतीकरणों और टेलीफोन वार्ताओं में व्यस्त रखना, सामाजिक व्यावसायिक दोनों प्रकार से अधिक आत्मविश्वासी और प्रभावी होना तथा श्रोताओं के साथ अधिक समझ बनाना।
(10) समय प्रबंधन-अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए समय का उपयोग करना एक कौशल है। समय प्रबंधन, सिद्धान्तों, प्रचालनों, कौशलों, साधनों और कार्य करने की पद्धतियों का एक समूह है, जो हमें जीवन की गणवत्ता सुधारने के उद्देश्य से समय का अधिक मूल्य प्राप्त करने में सहायक है। इसमें प्रक्रर्मों और साधनों का विकास होता है, जिससे क्षमता और उत्पादकता में वृद्धि होती है। तार्किक रूप से पूरे संगठन में अच्छे या बुरे समय प्रबन्धन के प्रभाव व्यापक रूप से होते हैं। समय प्रबंधन से तनाम कम होता है।
(11) तनाव प्रबंधन-तनाव प्रबंधन का तात्पर्य हमें अपने विचारों, अपनी भावनाओं, अपने कार्यक्रमों, अपने पर्यावरण और हमारे द्वारा समस्याओं से निपटने के तरीके से संबंधित है। अंतिम लक्ष्य एक संतुलित जीवन है, जहाँ काम, संबंधों, विश्राम और मनोरंजन के लिए समय हो, वहीं तनाव सहने और आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए लचीलापन होना चाहिए।