Rajasthan Board RBSE Class 12 Home Science Important Questions Chapter 23 जनसंचार माध्यम प्रबंधन, डिज़ाइन एवं उत्पादन Important Questions and Answers.
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बहुचयनात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
मुद्रण मीडिया का उदाहरण है-
(अ) समाचार-पत्र
(ब) रेडियो
(स) टेलीविजन
(द) इंटरनेट
उत्तर:
(अ) समाचार-पत्र
प्रश्न 2.
प्रसारण मीडिया का उदाहरण है-
(अ) समाचार-पत्र
(ब) पत्रिकाएँ
(स) पोस्टर
(द) टेलीविजन
उत्तर:
(द) टेलीविजन
प्रश्न 3.
अन्योन्य क्रियात्मक मीडिया है-
(अ) समाचार-पत्र
(ब) इंटरनेट
(स) बुलेटिन बोर्ड
(द) पत्रिकाएँ
उत्तर:
(ब) इंटरनेट
प्रश्न 4.
निम्न में कौनसी समाचार-पत्र की कमी है-
(अ) पठन
(ब) कम उत्पादन लागत
(स) निरर्थक समाचार
(द) एक बार में कई व्यक्तियों तक पहुँच
उत्तर:
(स) निरर्थक समाचार
प्रश्न 5.
टेलीविजन की शक्ति है-
(अं) व्यापक श्रोता/दर्शक
(ब) उच्च उत्पादन लागत
(स) कम श्रोता/दर्शक
(द) उपर्युक्त में कोई नहीं
उत्तर:
(अं) व्यापक श्रोता/दर्शक
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
1. जनसंचार माध्यम विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर सार्वजनिक ................ को प्रभावित करते हैं।
2. जनसंचार माध्यम समाज को तो प्रभावित करता ही है, साथ ही स्वयं भी .......... द्वारा प्रभावित होता है।
3. सूचना संप्रेषण के लिए संचार माध्यम आयोजना की जाती है, ताकि .......... परिवर्तन लाए जा सकें।
4. संचार माध्यमों का डिजाइन और उत्पादन ............ कारणों से किया जाता है।
उत्तर:
1. बोध,
2. समाज,
3. वांछित,
4. विभिन्न
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
संचार माध्यमों में किसी भी विषय में सफलता और प्रभाव प्राप्त करने के लिए क्या करना पड़ता है?
उत्तर:
संचार माध्यमों में किसी भी विषय में सफलता और प्रभाव प्राप्त करने के लिए, उन्हें भली-भांति नियोजित, डिजाइन और प्रस्तुत करना पड़ता है।
प्रश्न 2.
व्यवसायों अथवा सामाजिक अभियानों के प्रचार अभियान की सफलता किस पर निर्भर करती है?
उत्तर:
व्यवसायों अथवा सामाजिक अभियानों के प्रचार अभियान की सफलता काफी सीमा तक अभियानों की संचार माध्यम आयोजना और प्रबंधन पर निर्भर करती है।
प्रश्न 3.
संचार माध्यम से क्या आशय है?
उत्तर:
संचार माध्यम एक ऐसा शब्द है जिसमें आपस में और अन्य लोगों से मुद्रित और प्रसारित दोनों ही रूपों में संप्रेषण शामिल है।
प्रश्न 4.
मुद्रण मीडिया के कोई दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 5.
प्रसारण मीडिया के कोई दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 6.
इंटरनेट और टेलीफोन किस प्रकार का संचार माध्यम हैं?
उत्तर:
इंटरनेट और टेलीफोन 'अन्योन्य क्रियात्मक' संचार माध्यम हैं।
प्रश्न 7.
मीडिया (संचार माध्यम) को किन संदर्भो में समझा जा सकता है?
उत्तर:
मीडिया को दो संदर्भो में समझा जा सकता है-
प्रश्न 8.
संचार माध्यम योजनाकार किन-किन मानदंडों पर ध्यान दे सकता है?
उत्तर:
संचार माध्यम योजनाकार चार मुख्य मानदंडों पर ध्यान दे सकता है। ये हैं-
प्रश्न 9.
प्रतिपादन क्या है?
उत्तर:
प्रतिपादन वह विधि और स्वरूप है जिसके द्वारा संचार माध्यम संदेश अथवा संचार माध्यम उत्पाद को अभीष्ट श्रोताओं तक पहुँचाता जाता है।
प्रश्न 10.
विषय-वस्तु की स्पष्टता से क्या आशय है?
उत्तर:
विषय-वस्तु की स्पष्टता से यह आशय है कि संदेश की प्रस्तुति के यथासंभव स्पष्टता के साथ ऐसे प्रयास किये जाएं कि उसे अभीष्ट श्रोता अभीष्ट अर्थ के साथ समझ सकें।
प्रश्न 11.
संचार माध्यम प्रबंधन के चरणों के नाम लिखिये।
उत्तर:
संचार माध्यम प्रबंधन के प्रमुख चरण ये हैं-
लघूत्तरात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
समाज में जनसंचार माध्यम की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जनसंचार माध्यम की भूमिका-
प्रश्न 2.
संचार माध्यमों में किसी भी विषय में सफलता प्राप्त करने के लिए क्या करना आवश्यक है?
उत्तर:
संचार माध्यमों में किसी भी विषय में सफलता और प्रभाव प्राप्त करने के लिए उन्हें भली-भांति नियोजित, डिजाइन और उत्पादित (प्रस्तुत करना) करना पड़ता है। ये प्रक्रियाएँ संचार माध्यम प्रबंधन के भाग हैं। व्यवसायों अथवा सामाजिक अभियानों के प्रचार अभियान की सफलता काफी सीमा तक अभियानों की संचार माध्यम आयोजना और प्रबंधन पर निर्भर करती है जिसे आजकल संचार माध्यम कार्यनीति या संचार आयोजना भी कहा जाता है।
प्रश्न 3.
संचार माध्यम आयोजना से क्या आशय है?
उत्तर:
संचार माध्यम आयोजना-संचार माध्यम आयोजना एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें पहले से निर्धारित किए गए उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए यह तय किया जाता है कि कम लागत पर कौन-कौन से माध्यमों को शामिल किया जाये। यह कार्रवाई के क्रम को डिजाइन करने की ऐसी प्रक्रिया है जो दर्शाती है कि किस प्रकार विज्ञापन और विपणन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए विज्ञापन समय और स्थान का उपयोग किया जा सकता है। इसमें विज्ञापन के लिए मात्रा माध्यम का चयन करने के साथ-साथ विज्ञापनों की विस्तार सीमाओं का भी विश्लेषण किया जाता है।
प्रश्न 4.
लक्षित श्रोताओं के लिए संचार माध्यम संदेश की विषय-वस्तु पर निर्णय लेने हेतु किन बातों पर विचार किया जाना चाहिए?
उत्तर:
विषय-वस्तु का प्रकार वह सीमा है, जहाँ तक कोई संचार माध्यम संदेश को अपने अभीष्ट अर्थ और वास्तविक बोध के साथ सही रूप में और सफलतापूर्वक पहुँचा सकने में सक्षम हो। जो यह लक्षित श्रोताओं के लिए नियोजित था।
लक्षित श्रोताओं के लिए संचार माध्यम संदेश की विषयवस्तु पर निर्णय लेने हेतु निम्नलिखित बिंदुओं पर विचार किया जाना चाहिए-
प्रश्न 5.
लागत और संचार माध्यम बजट पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
लागत और संचार माध्यम बजट-संचार माध्यम संदेश अथवा संचार उत्पाद के विकास तथा संचार के प्रस्तुतीकरण में धन व्यय करना पड़ता है। संचार माध्यम अभियान विकास में अक्सर काफी बड़े बजट की आवश्यकता पड़ती है और विस्तार शिक्षा में सामाजिक विकास के मुद्दों से संबंधित किसी भी सामाजिक संचार अभियान में अत्यधिक व्यय करना पड़ता है। यदि बजट में राशि उपलब्ध हो तो किसी भी विज्ञापन में एक से अधिक संचार माध्यमों को मिलाकर उपयोग में लेना उचित रहता है।
संचार माध्यम योजनाकार संचार माध्यम के बजट और उसकी पहुँच को देखते हुए किसी संचार माध्यम का चयन करता है। अधिकतम पहुँच वाले सबसे सस्ते संचार माध्यम का चयन किया जाता है। इसका अभिप्राय है, उत्पादन लागत (प्रस्तुतीकरण की लागत) न्यूनतम करने के साथ-साथ संचार माध्यम के प्रभाव को अधिकतम करना।
प्रश्न 6.
संचार माध्यम प्रतिपुष्टि कितने प्रकार की हैं?
उत्तर:
कार्यान्वयन से पूर्व और बाद संचार माध्यम प्रतिपुष्टि दो प्रकार की है-
(1) तत्काल प्रतिपुष्टि-तत्काल आदेश, क्रय, प्रश्न पूछना, संदेह प्रकट करना अथवा संदेश के प्रस्तुतीकरण के बाद अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए इसी प्रकार की पारस्परिक क्रिया करना।
(2) विलंबित प्रतिपुष्टि-विलंबित प्रतिपुष्टि का अर्थ यह नहीं है कि संदेश का कोई प्रभाव नहीं है, बल्कि संदेश के प्रति पाठक/श्रोता द्वारा खरीदने की योजना बनाने तथा अंतिम निर्णय लेने से है, क्योंकि विज्ञापन में संदेश का प्रभाव तब अधिक होता है जब पाठक/श्रेता/दर्शक खरीदारी का अंतिम निर्णय लेता है।
निबन्धात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
संचार माध्यम क्या है? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संचार माध्यम-संचार माध्यम एक ऐसा शब्द है, जिसमें आपस में और अन्य लोगों से मुद्रित और प्रसारित दोनों रूपों में संप्रेषण शामिल है। ये सूचना के संग्रहण और संचार के साधन हैं।
मुद्रित संप्रेषण के उदाहरण हैं-
प्रसारित संप्रेषण के उदाहरण हैं-
इसके अतिरिक्त बुलेटिन बोर्ड, पोस्टर, इंटरनेट तथा टेलीफोन, मोबाइल फोन भी संप्रेषण के अन्य साधन हैं।
संचार माध्यम को दो संदर्भो में समझा जा सकता है-
एक अंतिम उत्पाद (प्रस्तुतीकरण) या अभियान डिजाइन के रूप में समझाने के लिए आगे दो पोस्टर दिए गए हैं, जिनमें पोस्टर संख्या (1) मीडिया के एक अंतिम उत्पाद या अभियान डिजाइन के रूप को प्रस्तुत करता है, जो यह दिखाता है-शराब पीने का परिणाम क्या होता है। पोस्टर संख्या (2) एक चैनल या वाहक या माध्यम के रूप में मीडिया को स्पष्ट करता है जिसमें यह दर्शाया गया है कि सिगरेट पीने से निकलने वाले धुएँ से जिस प्रकार वायुमंडल प्रदूषित हो जाता है, जहरीला हो जाता है, उसी प्रकार इसका धुआं कश के रूप में शरीर के अन्दर जाकर मुँह, मस्तिष्क, गले तथा फेफड़ों को खोखला कर देती है।
प्रश्न 2.
किसी संचार माध्यम की कार्यनीति तैयार करने के लिए और आयोजना, डिजाइन तथा उत्पादन के लिए और अन्त में किसी संचार माध्यम संदेश को कार्यान्वित करने के लिए ध्यान रखने योग्य आवश्यक बातों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
संचार माध्यम कार्यनीति को तैयार करने से लेकर उसके क्रियान्वित किये जाने के लिए ध्यान रखने योग्य आवश्यक बातें
किसी संचार माध्यम की कार्यनीति को तैयार करने के लिए और आयोजना, डिजाइन करने, उत्पादन के लिए और अंत में किसी संचार माध्यम संदेश/कार्यनीति के प्रबन्धन (कार्यान्वित करने) के लिए निम्नलिखित बातें ध्यान में रखनी चाहिए-
(1) श्रोताओं और आवश्यकताओं की अभिरुचियों को समझना-जानकारी वह होनी आवश्यक है जो श्रोता या दर्शक चाहते हैं, न कि वह जो संचारकर्ता देना चाहता है। इस सम्बन्ध में निम्न शर्तों पर ध्यान देना आवश्यक है=-
(2) समय और अवधि-किसी संचार माध्यम की कार्यनीति को तैयार करने के लिए उसकी आयोजना, डिजाइन और उत्पादन व प्रबंधन हेतु समय और अवधि के सम्बन्ध में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है-
(3) श्रोताओं की मनोदशा (भावात्मक अथवा मानसिक अवस्था)-
(i) उस समय की मनोदशा जब श्रोता संचार माध्यम, संदेश या संचार उत्पाद को प्राप्त करते हैं या उसे उसके समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। यह संदेश किसी अभियान/विज्ञापन के रूप में हो सकता है।
(ii) उस समय की मनोदशा, जब श्रोता संचार माध्यम, संदेश या संचार उत्पाद के प्रति अपनी अनुक्रिया का प्रदर्शन करते हैं।
अर्थात् संचार माध्यम कार्यनीति को तैयार करने तथा उसके प्रबंधन के लिए इस बात पर ध्यान देना आवश्यक है कि जब संचार माध्यम संदेश (विज्ञापन या अभियान) अभीष्ट श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है तो उसके प्रति उनकी क्या मनोदशा होती है और फिर उसके प्रति वे अपनी कैसी प्रतिक्रिया/अनुक्रिया देते हैं। .
(4) श्रोताओं के सोचने के तरीके-संचार माध्यम कार्यनीति को तैयार करने से लेकर उसे क्रियान्वित किए जाने के तक के लिए श्रोताओं के सोचने के तरीकों पर भी ध्यान दिया जाना आवश्यक है। श्रोताओं के सोचने के तरीके बहुत से कारकों द्वारा नियंत्रित होते हैं, जैसे-सामाजिक-सांस्कृतिक, आर्थिक व राजनीतिक पृष्ठभूमि, शिक्षा, आय, स्त्री-पुरुष होना. अन्य पर्यावरणीय कारक, जैसे-अधिगम और अन्य अवसर, साथ ही श्रोताओं की समझ और बोध का स्तर इत्यादि। इसमें सामाजिक विपणन मुद्दों और सामाजिक संचार नेटवर्क से संबंधित सरोकार भी सम्मिलित हैं।
(5) मीडिया (जनसंचार माध्यम)-विभिन्न संचार माध्यम उपयोग में लाये जाते हैं। विभिन्न संचार माध्यमों के संदेश पहुँचाने के भिन्न-भिन्न तरीके होते हैं। लक्षित श्रोताओं का स्तर, उपलब्धता और पहुँच तथा संचार माध्यम की समुचित जानकारी आदि की भिन्नता के कारण कोई अकेला संचार साधन सभी लक्षित श्रोताओं तक शायद ही कभी पहुँच पाता है। इसमें निम्नलिखित शामिल हैं-
(i) अभीष्ट श्रोताओं की आवश्यकता के अनुसार, श्रोताओं के प्रकार, बजट, पहुँच और चैनल की उपलब्धता की सुविधा के हिसाब से एक प्रस्तुतीकरण में एक या अधिक संचार माध्यम साधनों की संख्या के उपयोग पर निर्णय करना।
(ii) सभी संचार माध्यम चैनलों के उपयोग को अधिकतम करने/प्रभाव बढाने के लिए, 'परिणाम अभिमुखी संचार माध्यम नियोजकों' के उपभोग पर निर्णय करना, जो पुनः संचार माध्यम, संदेश या संचार उत्पाद की पहुँच को बढ़ाने के लिए श्रोताओं से जोड़ता है।
(iii) एक विजातीय श्रोता समूह में संदेश को आसानी से समझने की संभावना को अधिकतम करने की आवश्यकता ध्यान रखना आवश्यक है। इसके लिए श्रोताओं के प्रकार, बजट, संचार माध्यम की पहुँच और उपलब्धता के अनुसार, 'एक प्रस्तुति ( उत्पाद) में एक या अधिक संख्या में संचार माध्यम विधियों के मिश्रण' की उपयोगिता पर निर्णय करना चाहिए।
(iv) ऐसे सभी प्रकार के संचार माध्यम मिश्रण के उपयोग को अधिकतम करने का प्रयास करना चाहिए जो परिणाम अभिमुखी संचार माध्यम योजनाकारों के उपयोग पर निर्णय कर श्रोताओं के साथ पुनः जुड़ सकें तथा एक विजातीय श्रोता समूह में संदेशों को अधिक बोधगम्य बनाने के लिए विविधता उपलब्ध करा सकें।
(6) प्रतिपादन-एक अन्य ध्यान रखने योग्य आवश्यक बात प्रतिपादन की है। प्रतिपादन वह विधि या स्वरूप है जिसके द्वारा संचार माध्यम संदेश/उत्पाद को अभीष्ट श्रोताओं तक पहुँचाया जाता है। इसका स्वरूप बुद्धि संगत या भावात्मक, लोक संबंधी, आदिवासी या आधुनिक, संगीतमय या नाटकीय, टैग लाइन/पंच लाइन में या वर्णनात्मक या कथात्मक व श्रव्य व दृश्य दोनों प्रकार का हो सकता है। इसका निर्धारण कर लेना भी आवश्यक होता है। . प्रश्न 3. परिवार नियोजन पर एक विज्ञापन अभियान की योजना बनाने को ध्यान में रखते हुए पोस्टर 'अधिक बच्चे-जीविका कमाने के लिए अधिक हाथ अथवा बोझ' पर अपनी टिप्पणी लिखिए।
प्रश्न 3.
परिवार नियोजन पर एक विज्ञापन अभियान की योजना बनाने को ध्यान में रखते हुए पोस्टर अधिक बच्चे-जीविका कमाने के लिए अधिक हाथ अथवा बोझ' पर अपनी टिप्पणी लिखिए।
पोस्टर-अधिक बच्चे-जीविका कमाने के लिए अधिक हाथ अथवा एक बोझ
उत्तर:
इस पोस्टर में दो बातों को सामने रखते हुए यह संदेश दिया गया है कि परिवार नियोजन करना अति आवश्यक है क्योंकि ऐसा न करने पर परिवार में अधिक बच्चे माँ-बाप पर एक बोझ के रूप में हो जाते हैं। दूसरी तरफ माँ-बाप बच्चों का सही ढंग से लालन-पालन भी नहीं कर पाते हैं, न उनका उचित ढंग से पोषण हो पाता है और न उनकी शिक्षा सही ढंग से हो पाती है तथा पूरे परिवार का जीवन स्तर गिर जाता है।
यह पोस्टर इस धारणा को भी समाप्त करता है कि अधिक बच्चे होंगे तो जीविका कमाने के अधिक हाथ होंगे और परिवार का जीवन-स्तर उच्च होगा क्योंकि अच्छी शिक्षा और उचित पोषण के अभाव में बच्चों की कार्यक्षमता कमजोर रहेगी तथा वे प्रायः अकुशल कार्यों में ही संलग्न होंगे, जिसमें मजदूरी या आय कम होती है।
प्रश्न 4.
संचार माध्यमों की डिजाइन करने और उनके उत्पादन के कारणों तथा चरणों का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
संचार माध्यमों को डिजाइन करने और उनके उत्पादन के कारण-
संचार माध्यमों का डिजाइन और उत्पादन विभिन्न कारणों से किया जाता है। यथा-प्रारंभिक जानकारी अथवा कोई संकल्पना, विचार या उत्पाद, संदेश-विचार या संदेश या उत्पाद को प्रोन्नत करने, जागरूकता उत्पन्न करने, ज्ञान उपलब्ध कराने, कौशल प्रशिक्षण उपलब्ध कराने और विविध महत्वपूर्ण मुद्दों को समर्थन देने के लिए जैसे-कृषि, उद्यमिता विकास और आजीविका उत्पन्न करना, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, पोषण, शिक्षा, जीवन की गुणवत्ता में सुधार तथा जीवन कौशल की आरंभिक जानकारी तथा परिचय देना आदि।
संचार माध्यम डिजाइन और उत्पाद के चरण-
संचार माध्यम डिजाइन और उत्पाद में कुछ अंतस्थ चरण सम्मिलित हैं, जिनमें विविध उपचरण हैं और उनमें भी अलग भाग हैं, उनका संक्षिप्त विवेचन निम्न प्रकार किया गया है-
(1) श्रोताओं की पहचान करना, सूची बनाना और समझना-श्रोताओं की समझ को बढ़ाने में संचार माध्यम अनुसंधान प्रमुख भूमिका निभाता है। इसके अन्तर्गत आने वाले उपचरण हैं-
श्रोता अनुसंधान दो चरणों में किया जाता है- पहले, उत्पादन पूर्व और दूसरे, प्रतिपुष्टि के लिए क्रियान्वयन के बाद।
(2) संचार माध्यमों/माध्यम की प्रभाविता की पहचान करना-इसके अन्तर्गत श्रोताओं पर संचार माध्यम/ माध्यमों के संदेशों की प्रभाविता कितनी है।
(3) प्रसारण क्षेत्र-औसतन लोग अपने संचार माध्यमों के साथ बिताए गए समय का 85 प्रतिशत प्रसारण माध्यमों (रेडियो, टेलीविजन, उपग्रह संप्रेषण) के साथ और केवल 15 प्रतिशत मुद्रित संचार माध्यमों (समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं, पुस्तिकाओं, विवरणिकाओं इत्यादि) के साथ बिताते हैं।
प्रसारित होने वाले विज्ञापनों की घुसपैठ मुद्रित संचार माध्यम में दिए संदेश से अधिक होती है क्योंकि सामाजिक मुद्दों पर कार्यक्रमों के विज्ञापन एक के बाद एक धारा प्रवाह के रूप में प्रस्तुत किए जाते हैं।
मुद्रित संचार माध्यमों के पाठक कहानियों और विज्ञापनों का चयन कर सकते हैं अथवा छोड़ सकते हैं अथवा पाठक इसी प्रकार यह भी तय कर सकते हैं कि वे क्या चाहते हैं और क्या पूरी तरह छोड़ सकते हैं, लेकिन प्रसारण माध्यमों में यह विकल्प या स्वतंत्रता नहीं है या बहुत सीमित है। लेकिन चैनल नियंत्रण का उपयोग कर कुछ लचीलापन अवश्य संभव है।
संचार माध्यम के प्रसारण क्षेत्र तथा श्रोताओं के मापन के लिए निम्न बातों पर विचार किया जाता है-
(4) संचार माध्यमों/माध्यम की अग्रसारण दर-'अग्रसारण दर' उन लोगों की संख्या है, जो मुद्रित माध्यम को वास्तविक वितरण अभिदाताओं और खरीदारों के अतिरिक्त पढ़ते हैं। बहुत से समाचार-पत्रों की अपेक्षा पत्रिकाओं की अग्रसारण दर बहुत अधिक होती है।
(5) प्रसारण माध्यमों को देखने के संदर्भ में श्रोता मापन-किसी प्रसारण संचार माध्यम को देखने का मापन निर्धारण बिंदुओं (रेटिंग प्वाइंटस) के पदों में किया जाता है।
निर्धारण बिन्दु उस संप्रेषण का 1 प्रतिशत है, जो कवरेज क्षेत्र है, जिनको संचार माध्यम कार्यक्रम/संचार माध्यम द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। उदाहरण के लिए प्रसारण माध्यमों के मामले में यह एक विशिष्ट समय में एक विशिष्ट स्टेशन/चैनल को सुनने/देखने के लिए रेडियो/टीवी का उपयोग करने वाले परिवारों या लोगों का प्रतिशत है।
(6) संचार माध्यम बजट/कीमत निर्धारण कारक-सामान्यतः किसी संचार माध्यम के क्रम की लागत, स्लॉ को दी गई समय-अवधि की मात्रा से सीधी जुड़ी हुई है। संचार माध्यम की कीमत के निर्धारण के अन्य कारक हैं-आय, सामाजिक संरचना की पृष्ठभूमि, जीवन-शैली, ग्रामीण, शहरी, आदिवासी परिवेश इत्यादि।
संचार बजट बनाने के बढ़ते महत्व के कारण, बढ़ती संचार माध्यम लागत, प्रतिस्पर्धा में वृद्धि और कंपनी प्रचालनों में उत्पादकता पर शीर्ष प्रबंधन द्वारा अधिक ध्यान दिया जाना हो सकता है। इसके अतिरिक्त लागत कम करने के लिए परीक्षण काल में संचार माध्यम बजट प्रथम क्षेत्र है जिस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। इसने संस्था द्वारा संप्रेषण के खर्च के प्रभाव को अधिकतम करने के लिए, संचार माध्यम नियोजकों पर भारी दबाव डाला है।
(7) उपलब्ध माध्यम का संरूप (फॉर्मेट)-उदाहरण के लिए रेडियो के लिए विभिन्न संरूप हैं, जैसे-समाचार स्टेशन, वार्ता, रेडियो संगीत, कंठ संगीत, शास्त्रीय और सुगम संगीत, वाद्य संगीत इत्यादि। प्रत्येक एक विशिष्ट प्रकार के दर्शकों, श्रोताओं आदि को आकर्षित करते हैं। संचार माध्यम डिजाइन और उत्पादन के लिए उपलब्ध माध्यम के संरूप पर भी ध्यान देना आवश्यक होता है, क्योंकि इसमें यह देखा जाता है कि संबंधित संदेश को प्राप्त करने वाले अधिकतम श्रोता या पाठक किस संरूप में हैं।
(8) श्रोताओं, दर्शकों एवं पाठकों के प्रकार-संचार माध्यम का चयन और विकास संचार माध्यम के लक्षणों, पहुँच और उपलब्धता के साथ-साथ उनके श्रोता/दर्शक/पाठक पृथक्ककरण पर आधारित हैं तथा आगे वास्तविक जीवन परिस्थिति में इसका परीक्षण आवश्यक रूप से होना चाहिए।
प्रत्येक प्रारूप संदेश का वास्तविक क्षेत्र परिस्थिति में और श्रोताओं पर. इनको समझने, अभीष्ट अर्थ में अवबोध, विश्वसनीयता, वैधता और लक्षित श्रोताओं द्वारा प्रथम स्वीकृति के लिए पूर्व-परीक्षण कर लेना चाहिए और इसके बाद ही इसके वृहत पैमाने पर प्रसार के लिए अंतिम रूप से उत्पादन (प्रस्तुत) किया जाये।
प्रश्न 5.
प्रमुख संचार माध्यमों की शक्ति तथा कमियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्रमख संचार माध्यमों की शक्ति और कमियाँ
प्रश्न 6.
जनसंचार माध्यम-प्रबंधन, डिजाइन एवं उत्पादन के कार्य क्षेत्र, कौशल एवं इसमें जीविका के अवसरों का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
जनसंचार माध्यम-प्रबंधन, डिजाइन एवं उत्पादन का कार्यक्षेत्र
(1) संचार माध्यम इतिहास के विश्लेषण संबंधी कार्य क्षेत्र-जनसंचार माध्यम प्रबंधन-डिजाइन एवं उत्पादन का कार्यक्षेत्र संचार माध्यम के प्रबंधन को जानना है। हमारे समाज में संचार माध्यमों का प्रभाव कैसे महत्वपूर्ण हुआ और यह कैसे विकसित हुआ और इसमें कैसे प्रगति हुई, को जानने के लिए इसके इतिहास का विश्लेषण आवश्यक है। अतः इसके कार्यक्षेत्र में विद्यार्थी के लिए इसके इतिहास का विश्लेषण भी आता है।
(2) उद्योग तथा व्यापार क्षेत्र-जनसंचार माध्यम-प्रबंधन, डिजाइन व उत्पादन का कार्यक्षेत्र व्यापार या उद्योग को बढ़ाने में है। बहुत से विद्यमान व्यापार यद्यपि अपने मुख्य व्यापार के लिए संचार माध्यमों पर विशेष रूप से केन्द्रित नहीं हैं, उन्हें भी ऐसे व्यक्तियों की आवश्यकता होती है, जो संचार माध्यमों के द्वारा उनके व्यापार के विज्ञापन, उन्नयन, प्रतिष्ठा निर्माण और अपने उद्योग को बढ़ाने के लिए उपयोग में ला सकें, जिससे वे इसे अपनी कम्पनियों को सुधारने और फैलाने के लिए साधन के रूप में उपयोग में ले सकें। अतः जिन लोगों को संचार माध्यम आयोजन और प्रबंधन का अनुभव है और जिनके पास संचार माध्यमों की डिग्री है, उनका उद्योगों में बहुत महत्व है।
(3) जनसंचार माध्यमों में रोजगार के अवसर-संचार माध्यमों में जीविका आज पसंद की जीविका बन चकी है। मुद्रित संचार माध्यम, विज्ञापन, जनसंचार माध्यम, इलेक्ट्रानिक संचार माध्यम, वेब प्रकाशन और जनसम्पर्क ने सफलता की राहे के साथ महाविद्यालय के युवा स्नातकों के लिए रोजगार के अवसरों की नयी श्रृंखला खोल दी है। इस क्षेत्र में प्रगति के अवसर बहुत अधिक हैं।
अत्यधिक मात्रा में टी.वी. चैनलों के अस्तित्व में आने से इन चैनलों ने इलेक्ट्रानिक संचार माध्यमों में जीविका के अवसर खोल दिए हैं। दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो जैसी सार्वजनिक प्रसारण एजेंसियाँ अथवा निजी प्रसारण कर्ताओं द्वारा जीविका के विकल्प उपलब्ध कराए हैं।
इन जन संचार माध्यमों में अब कोई व्यक्ति क्षेत्र-रिपोर्टर, लेखक, सम्पादक, अनुसंधानकर्ता, संवाददाता, स्टूडियो संचालक, प्रस्तुतकर्ता व समाचार विश्लेषक बन सकता है।
(4) अन्य क्षेत्रों में कार्य-ये व्यवसायी अन्य क्षेत्रों में भी कार्य कर सकते हैं, जैसे-निर्देशन, उत्पादन (प्रस्तुतीकरण), कैमरा, ग्राफिक्स, संपादन, ध्वनि कार्यक्रम, आलेख लेखन आदि। इसके अलावा व्यक्ति अपना स्वयं का टी.वी./एफ.एम. रेडियो चैनल शुरू कर सकता है।
जन संचार माध्यम प्रबंधन क्षेत्र में कौशल
जन संचार माध्यम प्रबंधन क्षेत्र में जीविका के अवसरों हेतु व्यक्तियों में निम्नलिखित कौशलों का होना आवश्यक है-
संचार माध्यमों के प्रबंधन, डिजाइन और उत्पादन के क्षेत्र में जीविकाएँ-
इस क्षेत्र में प्रमुख रोजगार के अवसर व पद अर्थात् जीविकाएं निम्नलिखित हैं-