RBSE Class 12 Home Science Important Questions Chapter 2 नैदानिक पोषण और आहारिकी

Rajasthan Board RBSE Class 12 Home Science Important Questions Chapter 2 नैदानिक पोषण और आहारिकी Important Questions and Answers.

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RBSE Class 12 Home Science Important Questions Chapter 2 नैदानिक पोषण और आहारिकी

बहुचयनात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
तरल आहार का उदाहरण है-
(अ) खिचड़ी 
(ब) दलिया 
(स) चपाती 
(द) फलों का रस। 
उत्तर:
(द) फलों का रस।

प्रश्न 2. 
नरम आहार का उदाहरण है- 
(अ) दूध 
(ब) छाछ 
(स) खिचड़ी 
(द) मिल्कशेक 
उत्तर:
(स) खिचड़ी

प्रश्न 3. 
व्यक्ति को नरम आहार देने से जिस समस्या का खतरा कम-से-कम हो जाता है, वह हैं-
(अ) अपचन
(ब) पेट का फूलना 
(स) उबकाई 
(द) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 4. 
निम्न में जो चिरकालिक रोग नहीं है, वह है- 
(अ) मधुमेह 
(ब) हैजा 
(स) उच्च रक्तचाप 
(द) हृदय रोग 
उत्तर:
(ब) हैजा

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प्रश्न 5. 
मृदु आहार नहीं होता है- 
(अ) एक आहारी संशोधन 
(ब) पूर्णतया नरम 
(स) आसानी से पचने वाला 
(द) उच्च वसा और मसाले युक्त 
उत्तर:
(द) उच्च वसा और मसाले युक्त 

प्रश्न 6. 
पिछले दशक में शहरी भारतीयों के आहारों में उपयोग घट गया है। 
(अ) वसा का 
(ब) परिष्कृत शक्कर का 
(स) जंतु प्रोटीन का 
(द) रेशेदार पदार्थों का 
उत्तर:
(द) रेशेदार पदार्थों का

प्रश्न 7. 
रोगी को भोजन देने का सबसे सही तरीका है- 
(अ) मुँह से भोजन खिलाना
(ब) नली द्वारा भोजन कराना 
(स) अन्तःशिरा से भोजन देना
(द) इनमें से कोई नहीं 
उत्तर:
(अ) मुँह से भोजन खिलाना

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें-

1. पोषण खाद्य पोषकों और दूसरे पदार्थों के साथ शरीर द्वारा उसके पाचन, अवशोषण तथा उपयोग का ..................... है। 
2. पोषण का विशिष्ट क्षेत्र, जो बीमारी के समय के पोषण से संबंधित है, .................. पोषण कहलाता है। 
3. नैदानिक पोषण प्रमाणित बीमारी वाले मरीजों के पोषण .............. पर केन्द्रित रहता है।
4. पोषण औषध वे पदार्थ हैं जो स्वास्थ्य के लिए ................. होते हैं।
5. .................. ही रोगी की चिकित्सीय आवश्यकताओं, जिसमें पोषण भी सम्मिलित है, को पूरा करने के लिए मूल रूप से उत्तरदायी होते हैं। 
उत्तर:
1. विज्ञान 
2. नैदानिक 
3. प्रबंधक 
4. लाभकारी 
5. चिकित्सक। 

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अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
पोषण किस प्रकार का विज्ञान है? 
उत्तर:
पोषण खाद्य पोषकों और दूसरे पदार्थों के साथ शरीर द्वारा उनके पाचन, अवशोषण तथा उपयोग का विज्ञान है। 

प्रश्न 2. 
समुचित पोषण के कोई दो महत्त्वपूर्ण कार्य बताइए। 
उत्तर:

  • समुचित पोषण संक्रमण से रोधक्षमता तथा सुरक्षा देता है। 
  • यह बीमारियों से निपटने के लिए भी महत्त्वपूर्ण है। 

प्रश्न 3. 
जब शरीर में पोषक पदार्थों की अपर्याप्तता होती है तो शरीर के लिए क्या कठिनाई होती है?
उत्तर:
शरीर में पोषक पदार्थों की अपर्याप्तता होने पर शरीर के लिए रोधक्षमता रक्षा तथा अंगों के सुचारु रूप से कार्य करने में कठिनाई होती है।

प्रश्न 4. 
नैदानिक पोषण किसे कहते हैं? 
उत्तर:
पोषण का विशिष्ट क्षेत्र, जो बीमारी के समय पोषण से संबंधित है, नैदानिक पोषण कहलाता है। 

प्रश्न 5. 
नैदानिक पोषण किस पर केन्द्रित रहता है? 
उत्तर:
नैदानिक पोषण प्रमाणित बीमारी वाले मरीजों के पोषण प्रबंधन पर केन्द्रित रहता हैं। 

प्रश्न 6. 
पोषण देखभाल प्रक्रिया का प्राथमिक केन्द्र कौन होता है?
उत्तर:
मरीज पोषण देखभाल प्रक्रिया का प्राथमिक केन्द्र होता है। 

प्रश्न 7. 
नैदानिक पोषण विशेषज्ञ बीमारियों के प्रबंधन के लिए क्या भूमिका निभाता है? 
उत्तर:
नैदानिक पोषण विशेषज्ञ बीमारियों के प्रबंधन के लिए चिकित्सीय आहार बताने, बीमारियों की रोकथाम और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने की भूमिका निभाता है।

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प्रश्न 8. 
पोषण औषध क्या है? 
उत्तर:
पोषण औषध वे पदार्थ हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। 

प्रश्न 9. 
चिकित्सीय खाद्य पदार्थ से क्या आशय है? 
उत्तर:
चिकित्सीय खाद्य पदार्थ वे उत्पाद हैं जो विशिष्ट आवश्यकताओं वाले लोगों के लिए विशेष रूप से तैयार किए जाते हैं। 

प्रश्न 10. 
पादप रसायन/जैव सक्रिय यौगिक खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाले किस प्रकार के अवयव होते हैं? 
उत्तर:
ऐसे यौगिक खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाले ऐसे अवयव होते हैं जिनकी शरीर में जैविक क्रियाशीलता होती है और स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। 

प्रश्न 11. 
चिकित्सीय पोषण और आहारिकी का सरोकार किससे है? 
उत्तर:
चिकित्सीय पोषण और आहारिकी का सरोकार विभिन्न रोगों से पीड़ित मरीजों की पोषण आवश्यकताओं और उन्हें उचित आहार सुझाने से है। 

प्रश्न 12. 
आहार चिकित्सा के कोई दो उद्देश्य लिखिए। 
उत्तर:

  • मरीज की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए आहार की सूची तैयार करना। 
  • बीमार के हालात में सुधार हेतु वर्तमान आहार में परिवर्तन करना। 

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प्रश्न 13. 
रोगी की चिकित्सीय आवश्यकताओं और पोषण को पूरा करने के लिए मूल रूप से कौन उत्तरदायी होता 
उत्तर:
चिकित्सक। 

प्रश्न 14. 
मानव का नियमित सामान्य आहार कौनसा होता है? 
उत्तर:
नियमित सामान्य आहार वह होता है जो सभी प्रकार के भोजनों को सम्मिलित कर स्वस्थ व्यक्तियों की आवश्यकताएँ पूरी करता है। 

प्रश्न 15. 
संशोधित आहार कौनसे होते हैं? 
उत्तर:
संशोधित आहार वे होते हैं जो रोगी की चिकित्सीय आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। 

प्रश्न 16. 
तरल आहार कौनसे होते हैं? 
उत्तर:
तरल आहार वे होते हैं जो कमरे के ताप पर सामान्यतः द्रव अवस्था में रहते हैं, जैसे-दूध, छाछ, नारियल पानी आदि। 

प्रश्न 17. 
किन्हीं दो नरम आहारों के उदाहरण लिखिए। 
उत्तर:

  • खिचड़ी 
  • दलिया। 

प्रश्न 18.
तैयार मृदु आहार से क्या आशय है?
उत्तर:
तैयार मृदु आहार वृद्धजनों के लिए नरम, कुचला हुआ और शोरबा युक्त भोजन होता है। 

प्रश्न 19. 
रोगी को भोजन देने के कोई तीन तरीके लिखिए। 
उत्तर:

  • मुँह से भोजन खिलाना 
  • नली द्वारा भोजन देना 
  • अंतःशिरा से भोजन देना। 

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लघूत्तरात्मक प्रश्न- 

प्रश्न 1. 
बीमारी की परिस्थितियों में मरीज के पोषण के सम्बन्ध में क्या सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है और क्यों? 
उत्तर:
बीमारी की परिस्थितियों में मरीज के पोषण के सम्बन्ध में यह सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है कि बीमार व्यक्ति का समचित रूप से पोषण हो और इसके लिए जो व्यक्ति सेवाएँ दे रहा है, वह प्रशिक्षित आहार विशेषज्ञ/ चिकित्सीय पोषण विशेषज्ञ हो। इसका कारण यह है कि प्रशिक्षित आहार या, पोषण विशेषज्ञ पोषण देखभाल के लिए एक व्यवस्थित और औचित्यपूर्ण तरीका काम में लेता है, जो प्रत्येक मरीज की विशिष्ट आवश्यकताओं पर केन्द्रित होता है और व्यक्तिगत रूप से लागू होता है। 

प्रश्न 2. 
वर्तमान में पोषण देखभाल सहायता और आहार सलाह की अधिक आवश्यकता क्यों हो गई है? 
उत्तर:
बीसवीं तथा 21वीं शताब्दियों में चिकित्सा और औषध विज्ञान के क्षेत्र में हुई प्रगति के साथ-साथ अनेक नयी बीमारियाँ, जैसे-एच.आई.वी./एड्स, मोटापा, हृदय रोग, अतितनाव, मुधमेह और उच्च रक्तचाप जैसी गैर-संक्रामक बीमारियाँ न केवल व्यापक रूप से बढ़ रही हैं, बल्कि कम उम्र में हो रही हैं। 

दूसरे, जनसांख्यिकी में हुए परिवर्तनों में वृद्धजनों की संख्या में वृद्धि हुई है। 
इस प्रकार जनसंख्या का वह भाग बढ़ रहा है, जिसे पोषण देखभाल सहायता और आहार सलाह की आवश्यकता है।

प्रश्न 3. 
आधुनिक काल में नैदानिक पोषण के क्षेत्र में हुई उन्नति पर एक टिप्पणी लिखिए। 
उत्तर:
आधुनिक काल में नैदानिक पोषण के क्षेत्र में हुई प्रगति को निम्न प्रकार स्पष्ट किया गया है- 

  • असाध्य और गंभीर बीमारियों में शरीर क्रियात्मक और उपापचयी गड़बड़ी संबंधी नवीन वैज्ञानिक ज्ञान सामने आया है। 
  • पोषण मूल्यांकन के नए तरीके विकसित हुए हैं और अपनाए जा रहे हैं। 
  • मरीजों के पोषण की नई तकनीक और पूरकों का उपयोग किया जा रहा है। 
  • पोषण सम्बन्धी आधारभूत शोध ने विभिन्न पोषकों और अन्य पदार्थों, जैसे-पादप रसायनों/जैव सक्रिय पदार्थों की भूमिका और खाद्य तथा औषध निर्माण उद्योग में हुए विकास पर प्रकाश डाला है। इससे नैदानिक पोषण के क्षेत्र में उन्नति हुई है। 

प्रश्न 4. 
आहार चिकित्सा के क्या उद्देश्य हैं? 
उत्तर:
आहार चिकित्सा के उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  • मरीज की भोजन की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए आहार की सूची तैयार करना। 
  • बीमार के हालात को सुधारने और नियंत्रण में रखने के लिए वर्तमान आहार में परिवर्तन करना। 
  • पोषणहीनता की स्थिति में आहार उपचारहीनता को दूर करना। 
  • दीर्घकालीन बीमारियों में आहार उपचार समस्याओं को रोकने में मदद करना। 
  • निर्धारित आहार का अनुसरण करने की आवश्यकता सम्बन्धी शिक्षा और सलाह मरीज को देना। 

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प्रश्न 5. 
एक आहार विशेषज्ञ को भोजन के स्वीकरण और उपयोग पर अस्वस्थता के प्रभाव को देखने हेतु किन बातों पर विचार करना चाहिए? 
उत्तर:
एक आहार विशेषज्ञ के लिए यह आवश्यक है कि वह भोजन के स्वीकरण और उपयोग पर अस्वस्थता के प्रभाव को देखने के लिए निम्नलिखित बातों पर विचार करे-(अ) पोषण तनाव (ब) मानसिक तनाव (स) भोजन के स्वीकरण पर अस्वस्थता का प्रभाव और (द) परिष्कृत चिकित्सीय आहारों की स्वीकार्यता। 

प्रश्न 6. 
बीमारी में पोषण देखभाल में कौन-कौनसी गतिविधियाँ शामिल हैं? 
उत्तर:
बीमारी में पोषणे देखभाल गतिविधियों का एक व्यवस्थित समूह है जिसमें निम्नलिखित गतिविधियाँ शामिल हैं- 

  • पोषण स्थिति का मूल्यांकन करना। 
  • पोषण समस्याओं का निदान करना। 
  • पोषण आवश्यकताएं पूरी करने के लिए पोषण हस्तक्षेपों की योजना बनाना और वरीयता तय करना। 
  • पोषण देखभाल के परिणामों का मूल्यांकन करना और यदि आवश्यकता हो तो परिवर्तन करना। 

प्रश्न 7. 
पोषण देखभाल प्रक्रिया किसी भी व्यक्ति या समूह पर किन-किन भिन्न स्थितियों के लिए लागू की जाती हैं? 
उत्तर:
पोषण देखभाल प्रक्रिया किसी भी व्यक्ति या समूह पर भिन्न स्थितियों के लिए लागू की जाती हैं। ये स्थितियाँ निम्नलिखित हो सकती हैं- 

  • स्वस्थ व्यक्ति जो स्वस्थता/निरोग केन्द्र/कार्यक्रम के ग्राहक हैं। 
  • गर्भवती महिलाएँ। 
  • वयोवृद्ध व्यक्ति। 
  • निजी चिकित्सकों के निदानगृहों में उपचार पाने वाले व्यक्ति। 
  • अस्पताल में भर्ती मरीज, चाहे वे नगर परिषद, सरकारी, धर्मार्थ अथवा निजी अस्पताल में हों। 

प्रश्न 8. 
रोगी के पोषण मूल्यांकन की आवश्यकता क्यों होती है और इसके लिए किन-किन बातों का होना आवश्यक है? 
उत्तर:
रोगी की पोषण स्थिति और पोषण आवश्यकताओं सम्बन्धी सूचनाएँ प्राप्त करने के लिए पोषण मूल्यांकन की आवश्यकता होती है। 

रोगी के पोषण मूल्यांकन के लिए निम्नलिखित बातों का होना आवश्यक है-

  • स्वास्थ्य, आहार, व्यक्तिगत और चिकित्सीय इतिहास की विस्तृत जानकारी प्राप्त करना; 
  • मानवमितिय माप; 
  • प्रयोगशाला और भौतिक मापों की जानकारी को उपरोक्त तथा डॉक्टरी निदान से संबद्ध करना; तथा 
  • प्रमुख पोषणहीनता और भावी हीनताओं के जोखिम का पता लगाने के लिए उपरोक्त सभी क्रियायें करना। 

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प्रश्न 9. 
आहार विशेषज्ञ का मूलभूत उत्तरदायित्व क्या है? 
उत्तर:
आहार विशेषज्ञ का मूलभूत उत्तरदायित्व है कि रोगी की पोषण स्थिति का मूल्यांकन करके, पोषण आवश्यकताओं (विभिन्न बीमारियों/रोग अवस्थाओं में पोषण आवश्यकताएँ परिवर्तित होती हैं) का विश्लेषण करे और यह सुनिश्चित करे कि रोगी को उचित आहार और पर्याप्त पोषण देखभाल मिल रही है। साथ ही पोषण देखभाल योजना विकसित करना और अस्पताल में भर्ती अथवा बाह्य रोगी विभाग में रोगियों को उचित हिदायतें देकर उन्हें लागू करना भी उसका दायित्व है। 

प्रश्न 10. 
व्यक्ति में अच्छे पोषण को बनाए रखने के लिए आहारों की योजना किन-किन बातों को ध्यान में रखते हुए बनाई जाती है? 
उत्तर:
व्यक्ति में अच्छे पोषण को बनाए रखने के लिए सामान्य और डाक्टरी दोनों प्रकार के आहारों की योजना बनाई जाती है। यह योजना डॉक्टरी पोषण चिकित्सक/आहार विशेषज्ञ द्वारा बनाई जाती है। इसके अन्तर्गत वह भोजन के प्रतिरूप, विभिन्न प्रकार के भोजन को ग्रहण करने की आवृत्ति, बीमारी का निदान, डॉक्टर द्वारा दिया गया नुस्खा, स्वास्थ्य स्थिति और भौतिक दशा (खाने वाले भोजन को खाने, चबाने, निगलने, पचाने और अवशोषण करने की क्षमता), भूख का अहसास, शारीरिक गतिविधियाँ, आहारीय और दूसरी खाई जाने वाली वस्तुएँ, सांस्कृतिक और जातीय प्रथाएँ तथा धार्मिक विश्वास को ध्यान में रखता है। 

प्रश्न 11. 
संशोधित आहार कौनसे होते हैं? 
उत्तर:
संशोधित आहार वे होते हैं जो रोगी की चिकित्सीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए समायोजित किये जाते हैं। इनमें निम्नलिखित में से एक या अधिक हो सकते हैं- 

  • क्रमबद्धता और/अथवा बनावट (जैसे-तरल और नरम आहार)। 
  • ऊर्जा (कैलोरी) अंतर्ग्रहण में कमी अथवा वृद्धि। 
  • एक या अधिक पोषकों को कम या अधिक मात्रा में शामिल करना। जैसे-सर्जरी में अधिक प्रोटीन लेना और किडनी खराब हो जाने पर कम प्रोटीन लेना आदि। 

प्रश्न 12. 
रोगी को भोजन देने के तरीकों पर एक टिप्पणी लिखिए। 
उत्तर: 
रोगी को भोजन देने के तरीके 
रोगी को भोजन देने के तरीके निम्नलिखित हैं-

  • मुँह से भोजन खिलाना-रोगी को भोजन देने का सबसे सही तरीका मुँह से भोजन खिलाना है। 
  • ऐसे रोगी हो सकते हैं जिनके लिए चबाना या निगलना संभव न हो या वह बेहोश हो या उसकी आहार नली में कोई समस्या हो । ऐसे व्यक्तियों को भोजन देने के निम्नलिखित दो विकल्प हैं। 

(अ) नली द्वारा भोजन ग्रहण करना अथवा (ब) अन्तःशिरा से भोजन देना। यथा- 
(अ) नली द्वारा भोजन ग्रहण करना-नली द्वारा भोजन खिलाने में पोषण की दृष्टि से सम्पूर्ण भोजन नली द्वारा दे दिया जाता है। 
(ब) अन्तःशिरा से भोजन देना-अन्तःशिरा से रोगी को पोषण विशेष बिलियनों से दिया जाता है, जिन्हें शिरा में ड्रिप द्वारा पहुंचाया जात जाता है। 

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प्रश्न 13. 
मछली खाने वालों में हृदय रोग से अचानक मरने की संभावना कम क्यों हो जाती है? 
उत्तर:
मछली में ओमेगा-3 वसा अम्लों की मात्रा अधिक होती है, जो कोशिकाओं के आवश्यक अवयव होते हैं और हृदय को घातक एरीथीमियास (असामान्य हृदय गति) जैसे रोगों से बचा सकता है। इसीलिए मछली खाने वालों में हृदय रोग से अचानक मरने की संभावना कम हो जाती है। 

प्रश्न 14. 
नैदानिक पोषण और आहारिकी में पोषण विशेषज्ञों की जीविका के किन्हीं चार अवसर क्षेत्रों का उल्लेख कीजिए। 
उत्तर:
नैदानिक पोषण और आहारिकी में पोषण विशेषज्ञों के लिए जीविका के अवसर-

  • स्वास्थ्य क्लबों या व्यायामशालाओं में सलाहकारों/चिकित्सकों के साथ आहार विशेषज्ञ। 
  • अस्पतालों में विशिष्ट विभागों सहित अन्य में आहार विशेषज्ञ के रूप में स्वास्थ्य देखभाल दल को पोषण सहायता करने वाला प्रमुख सदस्य। 
  • अस्पतालों, विद्यालयों, उद्योगों के अल्पाहार गृहों इत्यादि की खान-पान सेवाओं में आहार विशेषज्ञ। 
  • शिक्षण और शैक्षिक क्षेत्र।

निबन्धात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
डॉक्टरी पोषण और आहारिकी का अध्ययन व्यावसायियों को किस संदर्भ में सक्षम बनाता है? 
उत्तर:
डॉक्टरी पोषण और आहारिकी का अध्ययन व्यावसायियों को निम्नलिखित संदर्भ में सक्षम बनाता है-

  • जीवन चक्र के विभिन्न स्तरों की पोषण आवश्यकताओं के लिए सही तरीके से आहार की योजना बनाना। 
  • बीमारी की विभिन्न स्थितियों में मरीज की भौतिक दशा, रोजगार, जातीय और सामाजिक-आर्थिक पष्ठभमि. उपचार सम्बन्धी नियम और पसंद-नापसंद को ध्यान में रखते हुए आहारों में परिवर्तन करना। 
  • खिलाड़ियों के लिए और विशिष्ट परिस्थितियों में, जैसे-अंतरिक्ष में, पनडुब्बियों में काम करने वालों के लिए, रक्षा सेवाओं के व्यक्तियों के लिए, उद्योगों में काम करने वाले मजदूरों के लिए आहारों की योजना बनाना। 
  • अस्पतालों में भर्ती मरीजों और बाह्य रोगियों के साथ-साथ संस्थानिक परिवेशों के मरीजों के स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देना। 
  • विभिन्न प्रकार के संस्थानिक परिवेशों, जैसे-वृद्धजन आवासों, विद्यालयों, अनाथालयों इत्यादि में आहार सेवाओं का प्रबंधन करना। 
  • दीर्घकालिक बीमारियों, जैसे-मधुमेह और हृदय रोग के रोगियों की जटिलता को रोकने और जीवन की गुणवत्ता सुधारने में मदद करना। 
  • समुदाय में बेहतर स्वास्थ्य और स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों में बेहतर रोगी देखभाल प्रबंधन के रूप में समग्र देखभाल सेवाओं की बेहतर क्षमता को बढ़ावा देना और बेहतर जीवन तथा स्वास्थ्य लाभ में योगदान देना। 

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प्रश्न 2. 
आहार के प्रकारों पर एक लेख लिखिए। 
उत्तर: 
आहार के प्रकार 
मोटे रूप से आहार के प्रकारों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है-(अ) सामान्य नियमित आहार और (ब) संशोधित आहार। यथा-
(अ) सामान्य नियमित आहार-एक मानव का सामान्य नियमित आहार वह होता है जो सभी प्रकार के भोजनों को सम्मिलित करता है और स्वस्थ व्यक्तियों की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। 

(ब) संशोधित आहार-संशोधित आहार वे होते हैं जो रोगी की चिकित्सीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए समायोजित किये जाते हैं। इनमें निम्नलिखित में से एक या अधिक हो सकते हैं- 
(1) बनावट के आधार पर आहार तैयार करना-बनावट के आधार पर या तरलता में परिवर्तन के आधार पर आहार के तीन प्रकार बताये जा सकते हैं। यथा 

(i) तरल आहार-तरल आहार कमरे के ताप पर सामान्यतः द्रव अवस्था में रहते हैं । इनका लाभ यह है कि यदि जठरांत्र क्षेत्र सामान्य रूप से कार्य कर रहा है तो पोषक भली भाँति अवशोषित हो जाते हैं। इस प्रकार के आहार लेने की सलाह उन व्यक्तियों को दी जाती है जो सामान्य रूप से चबा या निगल नहीं सकते। इस प्रकार के आहारों के उदाहरण हैं-नारियल पानी, फलों के रस, दूध, छाछ, मिल्क शेक इत्यादि। इन आहारों की सीमा यह है कि व्यक्ति की पोषण आवश्यकताओं को इनसे पूर्ण रूप से पूरा करना आसान नहीं है। 

(ii) नरम आहार-नरम आहार नरम तथा ठोस भोज्य पदार्थ उपलब्ध कराता है, जो हल्के पकाए जाते हैं। इनमें गैस बनाने वाले खाद्य पदार्थ नहीं होते। इन आहारों को चबाना और पचाना आसान होता है। नरम आहार में सम्मिलित भोजन के उदाहरण हैं-खिचड़ी, दलिया इत्यादि। इस प्रकार के भोजन से अपाचन, पेट के फूलने, उबकाई, ऐंठन अथवा किस जठरांत्र समस्या का खतरा कम-से-कम हो जाता है। 

(iii) तैयार मृदु आहार-हम बड़ी उम्र समूह के सामान्य प्रौढ़ों के लिए भी आहार में कुछ संशोधन कर सकते हैं। यह तैयार मृदु आहार कहलाता है, जिसमें वृद्धजनों के लिए नरम, कुचला हुआ और शोरबामय भोजन होता है जिनको चबाने में आसानी होती है। दूसरी ओर मृदु आहार उपचार के अनुसार एक आहारी संशोधन होता है । यह पूर्णतया नरम होता है और आसानी से पच जाता है। इसमें कठोर रेशे, उच्च वसा या मसालेयुक्त पदार्थ नहीं होते। 

(2) ऊर्जा (कैलोरी) अंतर्ग्रहण में कमी या वृद्धि के आधार पर संशोधित आहार-रोगी की आयु, जेंडर, शारीरिक अवस्था, रोजगार और स्वास्थ्य की स्थिति के आधार पर आवश्यकताओं के अनुसार कैलोरी अंतर्ग्रहण में कमी या वृद्धि करके संशोधित आहार तैयार किए जाते हैं। 

(3) एक या अधिक पोषकों को कम या अधिक मात्रा में शामिल करके संशोधित आहार तैयार करना रोगी की स्थिति और रोग के प्रकार के आधार पर एक या अधिक पोषकों को कम या अधिक मात्रा में शामिल करके संशोधित आहार तैयार किया जाता है। उदाहरण के लिए सर्जरी में अधिक प्रोटीन लेना, जबकि किडनी खराब हो जाने पर कम प्रोटीन लेना होता है। 

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प्रश्न 3. 
नैदानिक पोषण और आहारिकी में पोषण विशेषज्ञ के कार्य क्षेत्र तथा जीविका के अवसरों का उल्लेख कीजिए। 
उत्तर:
नैदानिक पोषण और आहारिकी में पोषण विशेषज्ञों के कार्य क्षेत्र-नैदानिक पोषण और आहारिकी में पोषण विशेषज्ञों को आहार सलाहकार, शिक्षक, शोधकर्ता या उद्योग सलाहकार के रूप में संतोषजनक जीविका के लिए पर्याप्त कार्य करने के अवसर और क्षमताएँ हैं। यथा- 
(1) शोध एवं शिक्षण क्षेत्र-शोध एवं शिक्षण क्षेत्र में प्राथमिक जीविका के अवसरों में आहार विशेषज्ञ, आहार सलाहकार अथवा नैदानिक पोषण विशेषज्ञ बनना शामिल है। 

(2) औद्योगिक क्षेत्र-नैदानिक पोषण विशेषज्ञों के लिए ऐसे उद्योगों में जीविका के अवसर हैं जो शोध और विकास से तथा चिकित्सीय खाद्य पदार्थों, पोषण औषधियों, नली से लिये जाने वाले आहारों, विभिन्न प्रकार के पोषण सहायक फॉर्मूला बनाने के प्रयोजन से खाद्य पदार्थों से संबंधित हैं। चिकित्सीय खाद्य पदार्थ और पूरकों का उत्पादन करने वाली कंपनियों में सलाहकार के रूप में रोजगार प्राप्त कर सकते हैं। 

(3) नैदानिक पोषण एवं आहारिकी क्षेत्र-यदि किसी व्यक्ति की रोग की स्थितियों पर नियंत्रण, रोकथाम और उपचार के लिए भोजन के उपयोग के तरीकों में सुधारने की रुचि है तो उसके लिए नैदानिक पोषण और आहारिकी ऐसा क्षेत्र है जिसे उसे चुनना चाहिए। अस्पतालों/क्लीनिकों, स्वास्थ्य क्लबों या व्यायामशालाओं में आहार विशेषज्ञ या सलाहकार या भोजन सेवा प्रदाता या प्रबंधक के रूप में जीविका के पर्याप्त अवसर हैं। वर्तमान में बीमारियों की परिस्थितियों द्वारा होने वाले शारीरिक और मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों पर शोध करने का दायरा बढ़ता जा रहा है। विभिन्न प्रकार के रोग स्थितियों की रोकथाम, उपचार और इलाज के पोषण में नैदानिक पोषण और आहारिकी में पोषण विशेषज्ञों की स्वीकार्यता बढ़ती जा रही है। 

(4) अन्य क्षेत्र-उपर्युक्त के अतिरिक्त नैदानिक पोषण-विशेषज्ञ की सार्वजनिक योजना बनाने और पोषणहीनता से होने वाले विकारों को दूर करने के लिए रोकथाम और प्रोत्साहक पोषण कार्यक्रमों को बनाने और लागू करने की भूमिका हो सकती है। 

जीविका के अवसर
उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि नैदानिक पोषण एवं आहारिकी में पोषण विशेषज्ञों के लिए जीविका के प्रमुख अवसर निम्न प्रकार हैं-

  • स्वास्थ्य क्लबों या व्यायामशालाओं में सलाहकारों/चिकित्सकों के साथ आहार विशेषज्ञ। 
  • अस्पतालों में विशिष्ट विभागों सहित अन्य में आहार विशेषज्ञ के रूप में स्वास्थ्य देखभाल दल को पोषण सहायता करने वाला प्रमुख सदस्य। 
  • अस्पतालों, विद्यालयों, उद्योगों के अल्पाहार गृहों इत्यादि की खान-पान सेवाओं में आहार विशेषज्ञ। 
  • उद्यमी जो विशिष्ट स्वास्थ्य प्रयोजनों के लिए विशिष्ट प्रकार के खाद्य पदार्थों का विकास और आपूर्ति करते हैं। 
  • विश्वविद्यालय या महाविद्यालयों में शिक्षक प्रशिक्षण या शिक्षक के रूप में कार्य। 
  • शोध जिसमें चिकित्सीय शोध भी सम्मिलित हैं, में आहार विशेषज्ञ, आहार सलाहकार या नैदानिक पोषण विशेषज्ञ के रूप में सेवा कार्य। 
  • इसके अतिरिक्त पोषण विपणन तथा तकनीकी लेखन के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी जा सकती है।
Prasanna
Last Updated on July 16, 2022, 2:16 p.m.
Published July 15, 2022