RBSE Class 12 Home Science Important Questions Chapter 11 वस्त्र एवं परिधान के लिए डिज़ाइन

Rajasthan Board RBSE Class 12 Home Science Important Questions Chapter 11 वस्त्र एवं परिधान के लिए डिज़ाइन Important Questions and Answers.

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बहुचयनात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
डिजाइन का तत्व है-
(अ) रंग 
(ब) अनुपात 
(स) संतुलन 
(द) आवर्तिता 
उत्तर:
(अ) रंग

प्रश्न 2. 
निम्न में डिजाइन का तत्व नहीं है, वह है-
(अ) रंग 
(ब) बनावट 
(स) रेखा 
(द) संतुलन
उत्तर:
(द) संतुलन

प्रश्न 3. 
निम्न में जो प्राथमिक रंग है, वह है- 
(अ) नारंगी 
(ब) लाल 
(स) हरा 
(द) बैंगनी 
उत्तर:
(ब) लाल

प्रश्न 4. 
जिस रंग का मान अधिकतम होता है, वह है-
(अ) सफेद 
(ब) काला
(स) धूसर 
(द) लाल 
उत्तर:
(अ) सफेद

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प्रश्न 5. 
सामग्री में बुनावट का निर्धारण करने वाला कारक है- 
(अ) रेशा
(ब) धागे का प्रकार 
(स) वस्त्र निर्माण तकनीक 
(द) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 6. 
ऊपर और नीचे गति पर बल देने वाली रेखाएँ होती हैं- 
(अ) क्षैतिज सरल रेखाएँ 
(ब) ऊर्ध्वाधर सरल रेखाएँ 
(स) विकर्ण रेखाएँ 
(द) वक्र रेखाएँ 
उत्तर:
(ब) ऊर्ध्वाधर सरल रेखाएँ

प्रश्न 7. 
जो आकृतियाँ गणितीय रूप से बनाई जाती हैं, कहलाती हैं- 
(अ) प्राकृतिक आकृतियाँ 
(ब) फैशनेबल शैली की आकृतियाँ
(स) ज्यामितीय आकृतियाँ 
(द) अमूर्त आकृतियाँ 
उत्तर:
(स) ज्यामितीय आकृतियाँ

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

1. संरचनात्मक डिजाइन वह है जो .................... पर निर्भर करता है। 
2. अनुप्रयुक्त डिजाइन मुख्य डिजाइन का एक भाग होता है, जो .................... संरचना के ऊपर बनाया जाता है। 
3. डिजाइन के तत्व सामञ्जस्य, संतुलन, आवर्तन, अनुपात और महत्व के सर्जन हेतु .................. किए जाते हैं। 
4. डिजाइनर एक सुनिश्चित विवरण के लिए .................... का चयन सावधानीपूर्वक करते हैं। 
5. .................. रंग ऐसे रंग हैं, जो किन्हीं अन्य रंगों के मिलाने से नहीं बनते। 
6. दो प्राथमिक रंगों को मिलाकर जो रंग बनाए जाते हैं. उन्हें .................... रंग कहते हैं। 
उत्तर:
1. रूप 
2. मूल 
3. परिचालित 
4. रंगों 
5. प्राथमिक 
6. द्वितीयक 

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अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
डिजाइन का अध्ययन किन दो पहलुओं में होता है? 
उत्तर:
डिजाइन का अध्ययन जिन दो पहलुओं में होता है वे हैं-

  • संरचनात्मक और 
  • अनुप्रयुक्त। 

प्रश्न 2. 
संरचनात्मक डिजाइन कौनसी होती है? 
उत्तर:
संरचनात्मक डिजाइन वह है जो रूप पर निर्भर करती है, न कि ऊपरी सजावट पर। 

प्रश्न 3. 
अनुप्रयुक्त डिजाइन कौनसी होती है? 
उत्तर:
अनुप्रयुक्त डिजाइन मुख्य डिजाइन का एक भाग होता है जो मूल संरचना के ऊपर बनाया जाता है। 

प्रश्न 4. 
डिजाइन में मुख्य कारक कितने होते हैं? उनके नाम लिखिए। 
उत्तर:
डिजाइन में दो मुख्य कारक होते हैं। ये हैं-

  • तत्व और 
  • सिद्धान्त। 

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प्रश्न 5. 
डिजाइन के तत्वों के नाम लिखिए। 
उत्तर:
डिजाइन के तत्व हैं-

  • रंग 
  • बनावट 
  • रेखा 
  • आकृति अथवा रूप। 

प्रश्न 6. 
डिजाइन के सिद्धान्तों के नाम लिखिए। 
उत्तर:
डिजाइन के सिद्धान्त ये हैं-

  • सामंजस्य 
  • संतुलन 
  • आवर्तन 
  • अनुपात और 
  • महत्व। 

प्रश्न 7. 
रंग की पसंद किनसे प्रभावित होती है? 
उत्तर:
रंग की पसंद संस्कृति, परम्परा, जलवायु, मौसम, अवसर अथवा पूर्णतया वैयक्तिक कारण से प्रभावित होती है। 

प्रश्न 8. 
प्रकाश में कितने रंग होते हैं? उनके नाम लिखिए। 
उत्तर:
प्रकाश में सात रंग होते हैं। ये हैं-

  • बैंगनी 
  • इंडिगो 
  • नीला 
  • हरा 
  • पीला 
  • नारंगी और 
  • लाल। 

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प्रश्न 9. 
कम तरंग-दैयों वाले प्रकाश में कौनसे रंगों का समूह होता है? 
उत्तर:
कम तरंग-दैयौँ वाले प्रकाश में-हरा, नीला और बैंगनी रंगों का समूह होता है। 

प्रश्न 10. 
अधिक तरंग वाले दैर्यों में कौनसे रंगों का समूह होता है? 
उत्तर:
अधिक तरंग वाले दैर्यों में लाल, नारंगी और पीले रंगों का समूह होता है। 

प्रश्न 11. 
रंग को कितने रूपों में उल्लेखित किया जाता है? 
उत्तर:
रंग को तीन रूपों में उल्लेखित किया जाता है। ये हैं-

  • रंग (यू), 
  • मान तथा 
  • तीव्रता या क्रोमा। 

प्रश्न 12. 
उदासीन रंग कौनसे हैं? 
उत्तर:
सफेद, काला, धूसर, रजत और धात्विक रंग उदासीन कहे जाते हैं। इनको अवर्णक भी कहते हैं। 

प्रश्न 13. 
रंग का मान क्या बताता है?
उत्तर:
रंग का मान उसके हल्केपन या गहरेपन को बताता है, जिसे आभा या रंगत माना जाता है। 

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प्रश्न 14. 
किस रंग का मान सर्वाधिक और किसका मान न्यूनतम होता है? 
उत्तर:
सफेद रंग का मान सर्वाधिक तथा काले रंग का मान न्यूनतम होता है। 

प्रश्न 15. 
धूसर या हयू के लिए मान क्या है? 
उत्तर:
धूसर या हयू के लिए मध्यमान है। 

प्रश्न 16. 
क्रोमा (तीव्रता) क्या है? 
उत्तर:
क्रोमा या तीव्रता रंग की चमक या विशुद्धता होती है। 

प्रश्न 17. 
पेंटोन शेड कार्ड क्या है? 
उत्तर:
पेंटोन शेड कार्ड रंगों, आभाओं और शेडों की विभिन्न तीव्रताओं को प्रदर्शित करता है। 

प्रश्न 18.
बुनावट (टेक्सचर) क्या है?
उत्तर:
बुनावट दिखने और छूने की एक संवेदी अनुभूति है जो वस्त्र की स्पर्शी तथा दृश्य गुणवत्ता को बताती है।

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प्रश्न 19. 
पोशाक डिजाइन में बुनावट का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
पोशाक डिजाइन में बुनावट का मुख्य उद्देश्य रुचि उत्पन्न करना और व्यक्ति के वांछित लक्षणों को उभारना है।

प्रश्न 20. 
पोशाक में उपयोग में लाई गयी बुनावट कैसी होनी चाहिए? 
उत्तर:
पोशाक में उपयोग में लाई गयी बुनावट शारीरिक आकार, निजी गुण, वेशभूषा की रूपरेखा या आकार तथा अवसर के उपयुक्त होनी चाहिए। 

प्रश्न 21. 
किसी डिजाइन के तत्व के रूप में रेखा की क्या भूमिका होती है? 
उत्तर:
किसी डिजाइन के तत्व के रूप में रेखा वस्तुओं की आकृति प्रदर्शित करती है, गति प्रदान करती है और दिशा निर्धारित करती है।

प्रश्न 22. 
ऊर्ध्वाधर रेखाएँ क्या प्रभाव देती हैं? 
उत्तर:
ऊर्ध्वाधर रेखाएँ ऊपर और नीचे गति पर बल देती हैं, ऊँचाई का महत्व बताती हैं और वह प्रभाव देती हैं जो तीव्र, सम्मानजनक और सुरक्षित होता है। 

प्रश्न 23. 
तिरछी या विकर्ण रेखाएँ किस प्रकार का प्रभाव सर्जित कर सकती हैं? 
उत्तर:
तिरछी या विकर्ण रेखाएँ एक सक्रिय, आश्चर्यजनक अथवा नाटकीय प्रभाव सर्जित कर सकती हैं। 

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प्रश्न 24. 
एक स्थायी और सौम्य प्रभाव किस प्रकार की रेखाएँ देती हैं? 
उत्तर:
क्षैतिज रेखाएँ एक स्थायी और सौम्य प्रभाव देती हैं। 

प्रश्न 25. 
आकृतियों के मूलभूत समूह कितने होते हैं? उनके नाम लिखिए। 
उत्तर:
आकृतियों के चार मूलभूत समूह होते हैं। ये हैं-

  • प्राकृतिक आकृतियाँ 
  • फैशनेबल शैली की आकृतियाँ 
  • ज्यामितीय आकृतियाँ 
  • अमूर्त आकृतियाँ। 

प्रश्न 26. 
आकृतियाँ कैसे बनती हैं? 
उत्तर:
रेखाओं को जोड़ने से आकृतियाँ बनती हैं। 

प्रश्न 27. 
एक पैटर्न (प्रतिरूप) कब बनता है? 
उत्तर:
एक पैटर्न तब बनता है, जब आकृतियाँ एक साथ समूहित की जाती हैं। 

प्रश्न 28. 
अनुपात से क्या आशय है? 
उत्तर:
अनुपात का अर्थ वस्तु के एक भाग का दूसरे भाग से संबंध होता है। 

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प्रश्न 29. 
एक डिजाइन में अनुपात को किस-किसमें सर्जित किया जा सकता है? 
उत्तर:
एक डिजाइन में उसके विभिन्न भागों के संबंध अर्थात् अनुपात को आमाप, रंग, आकृति और बुनावट में सर्जित किया जा सकता है।

प्रश्न 30. 
संतुलन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
संतुलन को पोशाक के केन्द्र बिंदु से भार के एक समान वितरण करने के रूप में परिभाषित करते हैं।

प्रश्न 31. 
पोशाक को किस प्रकार से संतुलित करने की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
पोशाक को ऊर्ध्वाधर रूप में और क्षैतिज रूप में दोनों प्रकार से संतुलित करने की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 32. 
संतुलन की उपलब्धि कितने प्रकार के रूप में हो सकती है?
उत्तर-संतुलन की उपलब्धि तीन प्रकार-

  • औपचारिक, 
  • अनौपचारिक तथा 
  • रेडियल-के रूप में हो सकती है। 

प्रश्न 33. 
पोशाक में संतुलन बनाते समय किस पर विचार किया जाता है?
उत्तर:
पोशाक में संतुलन बनाते समय डिजाइन के तत्वों-रेखा, रूप, रंग, बुनावट आदि पर विचार किया जाता है। 

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प्रश्न 34. 
पोशाक का महत्वपूर्ण (केन्द्र बिंदु) स्थान कौनसा होता है?
उतर:
पोशाक का महत्वपूर्ण या केन्द्र बिंदु स्थान वह होता है, जो देखने वालों की आँखों को सर्वप्रथम आकर्षित करता है। 

प्रश्न 35. 
आवर्तिता से क्या आशय है?
उत्तर:
आवर्तिता का अर्थ है-डिजाइन की लाइनों, रंगों अथवा अन्य तत्त्वों को दोहराकर पैटर्न का सर्जन करना जिसके द्वारा वस्तु/पोशाक आँख को अच्छा लगे।

प्रश्न 36. 
डिजाइन में सामञ्जस्यता कब उत्पन्न होती है?
उत्तर:
डिजाइन में सामञ्जस्यता तब उत्पन्न होती है, जब डिजाइन के सभी तत्व एक रोचक सामञ्जस्यूर्ण प्रभाव के साथ एक-दूसरे के साथ आते हैं। 

लघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
डिजाइन का अध्ययन के दो पक्ष कौनसे हैं? स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
डिजाइन के अध्ययन के दो पक्ष हैं-(1) संरचनात्मक डिजाइन और (2) अनुप्रयुक्त डिजाइन। यथा- 

(1) संरचनात्मक डिजाइन-संरचनात्मक डिजाइन वह है जो रूप पर निर्भर करता है, न कि ऊपरी सजावट पर। वस्त्र उत्पादन में संरचनात्मक डिजाइन में सम्मिलित हैं-रेशों का मूल संसाधन, रेशों और धागों के प्रकार, बनाई इत्यादि में विविधता और वे स्थितियाँ जहाँ रंग मिलाना है। 

पोशाक में संरचनात्मक डिजाइन कपड़े की मूल कटाई या आकार से संबंध रखती है।

अनप्रयक्त डिजाइन-अनप्रयक्त डिजाइन मुख्य डिजाइन का एक भाग होता है, जो मल संरचना के ऊपर बनाया जाता है। वस्त्र की सज्जा में रंगाई, छपाई, कसीदाकारी और विलक्षण सुई-धागे का काम इसके उदाहरण हैं। अनुप्रयुक्त डिजाइन में पोशाकों पर संवारने तथा बाँधने की युक्तियाँ सम्मिलित रहती हैं, जो पोशाक के महत्व को बढ़ा देती हैं। 

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प्रश्न 2. 
डिजाइन के कारकों का उल्लेख कीजिए। 
उत्तर:
डिजाइन के कारक-डिजाइन के दो मुख्य कारक होते हैं-(अ) तत्व और (ब) सिद्धान्त। 
(अ) तत्व-डिजाइन के तत्व कला के उपकरण हैं। ये हैं-रंग, बुनावट, रेखा, आकृति अथवा रूप। 
(ब) सिद्धान्त-डिजाइन के सिद्धान्तों के लिए डिजाइन के तत्व परिचालित किए जाते हैं। प्रमुख सिद्धान्त हैं-(1) सामञ्जस्य (2) संतुलन (3) आवर्तन (4) अनुपात और (5) महत्व। 

प्रश्न 3. 
वस्त्र-डिजाइन के तत्व के रूप में रंग की विशेषताएँ लिखिए। 
उत्तर:
वस्त्र-डिजाइन के तत्व के रूप में रंग की विशेषताएँ-

  • विभिन्न प्रकार के रंग वस्त्र निर्माण वस्तुओं के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक हैं, चाहे वह परिधान व्यापारिक अथवा संस्थागत उपयोग के लिए हों। 
  • उत्पाद की पहचान का श्रेय अधिकतर रंग को दिया जाता है। 
  • प्रत्येक व्यक्ति रंग के प्रति प्रतिक्रिया व्यक्त करता है और उसकी निश्चित प्राथमिकताएँ होती हैं। 
  • रंग मौसम, समारोह तथा लोगों की भावनाओं को प्रतिबिंबित करता है। 
  • रंग की पसंद, संस्कृति, परम्परा, जलवायु, मौसम, अवसर अथवा पूर्णतया वैयक्तिक कारण से प्रभावित होती है। 
  • रंग फैशन का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसलिए डिजायनर एक सुनिश्चित विवरण हेतु रंगों का चयन सावधानीपूर्वक करते हैं।

प्रश्न 4.
रंग सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
रंग सिद्धान्त-रंग को प्रकाश के किसी वस्तु के पृष्ठ से टकराकर परावर्तन होने के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। यह दृश्य प्रकाश किरणों के परावर्तन के परिणामस्वरूप होने वाली अनुभूति है। इसमें किरणें टकराती हैं और आँख की तंत्रिकाओं की कोशिकाओं को उत्तेजित करती हैं; आँख की तंत्रिकाएँ मस्तिस्क को एक संदेश भेजती हैं, जो विशेष अनुभूति उत्पन्न करती हैं और हम रंग देखते हैं। 

जो रंग मस्तिष्क द्वारा अवलोकित किया जाता है, वह प्रकाश स्रोत की एक विशिष्ट तरंग-दैयों के संयोजन पर निर्भर करता है। 

जब प्रकाश की सभी किरणें परावर्तित होती हैं तो वस्तु सफेद दिखाई देती है। जब कोई भी किरण परावर्तित नहीं होती तो वस्तु काली दिखाई पड़ती है। कम तरंग-दैॉ वाली प्रकाश किरणों का समूह शांत प्रभाव वाले रंगों हरा, नाला और बैंगनी वाला होता है। अधिक तरंग दैयों वाले प्रकाश में लाल, नारंगी और पीला रंग है जो उत्तेजित प्रभाव वाले रंग हैं। 

प्रश्न 5. 
रंग को पहचानने पर एक टिप्पणी लिखिए। 
उत्तर:
रंग को पहचानना-हममें से अधिकांश अपनी सामान्य दृष्टि से विभिन्न रंगों के मानों और तीव्रताओं में भेद करने और उन्हें नाम देने में सक्षम होते हैं। रंगों के नाम प्राकृतिक स्रोतों, जेसे-फूल, वृक्ष, फल, काष्ठ, वनस्पति, मसाले, पक्षी, पशु, पत्थर, धातु, खनिज, मिट्टी, रंजक इत्यादि के साथ-साथ अन्य अनेक स्रोतों से प्राप्त किये जाते हैं। 

रंग के नामों में अक्सर क्षेत्रीय झलक होती है। अतः एक क्षेत्र के नाम का अर्थ दूसरे क्षेत्र के लोगों के लिए अलग हो सकता है। आज भी दुनिया में, जहाँ भारी मात्रा में वस्त्र उत्पादों का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार होता है, नामों के साथ संख्यायें उपयोग में लाने की पद्धति बनाई गई है। पेंटोन शेड कार्ड रंगों, आभाओं और शेडों को विभिन्न तीव्रताओं के साथ प्रदर्शित करता है। प्रत्येक की एक कोड संख्या दी गई है, जिसको अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार किया गया है।

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प्रश्न 6. 
वस्त्र एवं परिधान के लिए डिजाइन क्षेत्र में जीविका के लिए तैयारी किस प्रकार की जा सकती है? 
उत्तर:
जीविका के लिए तैयारी 
वस्त्र और परिधान के लिए डिजाइन के व्यापक क्षेत्र को दो विशेषज्ञताओं के रूप में माना जा सकता है। एक, परिधान और घरेलू उपयोग के अतिरिक्त वस्त्र का उपयोग अन्य अनेक वस्तुओं में किया जाता है। दूसरे, परिधान में मात्र वस्त्र के अतिरिक्त अन्य पदार्थों का भी उपयोग होता है। 

दोनों ही प्रकार के उपयोग में दिखने और टिकाऊपन तथा लागत निर्धारण के संबंध में विशिष्ट आवश्यकताएँ होती हैं। अतः इस क्षेत्र में जीविका के लिए तैयारी हेतु निम्न ज्ञान व कौशल प्राप्त करना आवश्यक है-

  • वस्त्र डिजाइनर को रेशे के गुणों, लाभों, सीमाओं और संसाधन का सम्पूर्ण ज्ञान होना चाहिए, जो वांछित परिणाम देने में सहायक हो सकता है। 
  • उनको विभिन्न रेशों और वस्त्रों की रंगाई के गुणों का अच्छा ज्ञान होना चाहिए। 
  • वे रंग के अनुप्रयोग के चरण तथा तकनीकों का ज्ञान रखते हों। 
  • वे डिजाइन के सिद्धान्तों को भी समझते हों। 
  • बहुत से संस्थान दीर्घ तथा लघु, दोनों अवधियों के पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं, जो इस क्षेत्र में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, एसोसिएट या स्नातक की डिग्री देते हैं जिनके माध्यम से आप वस्त्र एवं परिधान डिजाइन सम्बन्धी आवश्यक ज्ञान और कौशल प्राप्त कर सकते हैं। 

प्रश्न 7. 
वस्त्र एवं परिधान डिजाइन के कार्यक्षेत्र को स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
वस्त्र एवं परिधान डिजाइन कार्यक्षेत्र
वस्त्र निर्माण या वस्त्र डिजाइन में कार्य करना बदलती प्रवृत्तियों और शैलियों के प्रति जागरूकता और डिजाइनों के उत्पादन की योग्यता की माँग करता है, जो नयी आधुनिक या फैशन वक्र से भी आगे हों। परिधान, फैशन के लिए वस्त्र डिजाइन, सजावट की सामग्री के डिजाइनों की अपेक्षा, अधिक तेजी से बदलने की प्रवृत्ति रखते हैं। वस्त्र निर्माण डिजाइनर उद्योग में काम करते हैं, अनुसंधान करते हैं और वस्त्र-निर्माता कंपनियों अथवा फैशन प्रतिष्ठानों के लिए डिजाइनों का उत्पादन करते है-परन्तु वे डिजाइन एजेन्सियों के लिए अथवा स्वतंत्र कार्यकर्ता के रूप में भी कार्य कर सकते हैं। 

निबन्धात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
रंग के रूपों का विवेचन कीजिए। 
उत्तर:
रंग के रूप 
रंग को तीन रूपों में उल्लेखित किया जाता है-
(1) रंग (यू) 
(2) मान 
(3) तीव्रता या क्रोमा। यथा- 

(1) यू-यू रंग का सामान्य नाम है। वर्णक्रम सात रंगों को दर्शाता है। ये हैं-(1) बैंगनी (2) इंडिगो (3) नीला (4) हरा (5) पीला (6) नारंगी और (7) लाल। सूर्य के प्रकाश की किरणें इन सात रंगों के अतिरिक्त पराबैंगनी तथा अवरक्त किरणों से बनी होती हैं। 

डिजाइन की दृष्टि से रंग को समझने के लिए मुंसेल रंग चक्र (Munsell's Colour Wheel) का संदर्भ दिया जाता है। यह रंगों को निम्न प्रकार से विभाजित करता है 

(i) प्राथमिक रंग-ये ऐसे रंग हैं, जो किन्हीं अन्य रंगों को मिलाने से नहीं बनते। ये रंग हैं-लाल, पीला और नीला (ये निम्न चित्र में वृत्तों द्वारा दिखाए गए हैं)।
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चित्र 1: रंग चक्र 

(ii) द्वितीयक रंग-ये रंग दो प्राथमिक रंगों को मिलाकर बनाए जाते हैं। ये रंग हैं-नारंगी, हरा और बैंगनी (ये चित्र 1 में वर्गों द्वारा दिखाए गए हैं)। 

(iii) तृतीयक या माध्यमिक रंग-ये रंग चक्र पर निकटवर्ती प्राथमिक और एक द्वितीयक रंग को मिलाकर बनाए जाते हैं। इस प्रकार हमारे पास हैं, लाल-नारंगी, पीला-नारंगी, पीला-हरा, नीला-हरा, नीला-बैंगनी और लाल बैंगनी (ये चित्र 1 में त्रिभुजों द्वारा दिखाए गए हैं)। इसके अतिरिक्त अन्य समूह हैं, जैसे उदासीन रंग-सफेद, काला, धूसर, रजत और धात्विक। इनको अवर्णक कहते हैं अर्थात् बिना रंग के रंग। 

सामान्य रंग, चक्र रंगों को उनके विशुद्ध रूप और पूर्ण तीव्रता के साथ प्रदर्शित करता है। 

(2) रंग का मान-रंग का मान उसके हल्केपन या गहरेपन को बताता है, जिसे आभा या रंगत माना जाता है, सफेद रंग का मान अधिकतम तथा काले रंग का मान न्यूनतम होता है। ग्रे पैमाने और मान चार्ट में मान का अनुमान लगाने के लिए इसकी ग्रेड (0-10) है। यह काले रंग का मान 0 से और सफेद का 10 व 5 धूसर या यू के लिए है। जब रंग सफेद रंग की ओर जाता है तो यह आभा है और जब यह काले रंग की ओर जाता है तो यह शेड होता है। ग्रे पैमाना हमें किसी भी रंग के तुल्य मान का अनुमान लगाने में भी मदद करता है। 
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(3) क्रोमा या तीव्रता-क्रोमा या तीव्रता रंग की चमक या विशुद्धता होती है। जब किसी रंग को अन्य रंग के साथ मिलाते हैं, विशेषकर रंग चक्र पर इसके विपरीत रंग के साथ, तो इसके रंग में मंदता (रंग के चमक में कमी) आ जाती है। 

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प्रश्न 2. 
रंग योजनाएँ (रंग सुमेल) क्या हैं? समझाइए। 
उत्तर:
रंग योजनाएँ (रंग सुमेल) रंगों के संयोजन के लिए मार्गदर्शन के रूप में जो मूलभूत योजनाएँ उपयोग में लायी जाती हैं, उन्हें रंग योजनाएँ या रंग सुमेल कहा जाता है। एक रंग-योजना यह सुझाती है कि किन रंगों का संयोजन करना है। रंगों के मान और तीव्रताएँ और उपयोग में आने वाले प्रत्येक रंग की मात्रा का निर्धारण डिजाइनर करते हैं। रंग योजनाओं का अध्ययन वर्णचक्र के संदर्भ में भली-भाँति किया जाता है। 

रंग योजनाओं के समूह 
रंग योजनाओं का उल्लेख दो समूहों में किया जा सकता है-(1) संबंधित रंग योजनाएँ, (2) विषम रंग योजनाएँ। यथा-

(1) संबंधित रंग योजनाएँ-संबंधित रंग योजनाओं में कम से कम एक रंग सर्वनिष्ठ अर्थात् सामान्य होता है। संबंधित रंग योजनाएँ निम्नलिखित हैं- 

  • एक रंगीय योजना-एक रंगीय सुमेल या योजना का अर्थ है कि योजना एक रंग पर आधारित है। इस अकेले रंग के मान और/अथवा तीव्रता में विविधता लाई जा सकती है। 
  • अवर्णी योजना-अवर्णी रंग-योजना में केवल उदासीन रंगों का उपयोग करता है, जैसे-काले और सफेद का संयोजन।
  • विशिष्टतापूर्ण उदासीन रंग योजना-विशिष्टतापूर्ण उदासीन रंग योजना में एक रंग और एक उदासीन या एक अवर्णी रंग का उपयोग किया जाता है। 
  • अनुरूप रंग योजना-अनुरूप रंग योजना से आशय उस रंग संयोजन से है, जिस वर्ण चक्र (रंग चक्र) के दो या तीन निकटवर्ती रंगों के उपयोग से प्राप्त किया जाता है। चार या अधिक रंग एक गड़बड़झाला उत्पन्न कर सकते हैं, जब तक कि एक रंग बहुत कम मात्रा में न हो। 

(2) विषम रंग योजनाएँ-विषम रंग योजनाएँ निम्नलिखित हो सकती हैं-

  • पूरक रंग योजना-इसमें दो रंगों का उपयोग होता है, जो रंग चक्र में एक-दूसरे के ठीक सामने होते हैं। 
  • दोहरा पूरक सुमेल-दोहरा पूरक विषम रंग योजना दो पूरक युगलों से होती है, जो सामान्यतः रंगचक्र में पड़ौसी होते हैं। 
  • विभाजित पूरक रंग योजना-इसमें एक रंग, उसके पूरक रंग (रंगचक्र पर ठीक सामने) और पड़ोसी रंग का उपयोग कर रंगों का संयोजन होता है। 
  • अनुरूप विषम रंग योजना-अनुरूप रंग योजना अनुरूप और पूरक योजनाओं का संयोजन है। इसमें पड़ौसी रंगों के समूह में प्रधानता के लिए पूरक का चयन किया जाता है। 
  • ऋणात्मक रंग योजना-ऋणात्मक रंग योजना रंगचक्र पर एक-दूसरे से समान दूरी पर स्थित तीन रंगों का संयोजन है।

प्रश्न 3. 
बुनावट (टेक्सचर) से क्या आशय है? सामग्री में बुनावट का निर्धारण करने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
बुनावट का अर्थ-बुनावट दिखने और छूने की एक संवेदी अनुभूति है जो वस्त्र की स्पर्शी तथा दृश्य गुणवत्ता को बताती है। प्रत्येक वस्त्र की एक विशिष्ट बुनावट होती है। बुनावट को निम्नलिखित पदों में स्पष्ट किया जा सकता है- 
(अ) दृश्य गुणवत्ता-वह कैसा दिखाई देता है-चमकीला, मंद, अपारदर्शक, घना, पारदर्शक, पारभासी या चिकना। 
(ब) स्वरूपात्मक गुण-उसकी प्रकृति कैसी है; जैसे-ढीला, लटका हुआ, कड़ा, बाहर को निकला हुआ, चिपकने वाला, लहराता हुआ आदि। 
(स) स्पर्शी गुण-वह छूने पर कैसा लगता है; जैसे-नरम, कड़क, रूखा, समतल, सतह वाला या ऊबड़ खाबड़, खुरदरा, कणीय, दानेदार आदि। 

सामग्री में बुनावट को निर्धारण करने वाले कारण 
वस्त्र निर्माण सामग्री में बुनावट को निर्धारण करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं-

  • रेशा-रेशे का प्रकार (प्राकृतिक या मानव-निर्मित), इसकी लम्बाई, उत्कृष्टता और इसके पृष्ठीय गुण। 
  • धागे का संसाधन और धागे का प्रकार-इसके अन्तर्गत संसाधन विधि, संसाधन के समय समावेशित घुमाव, धागे की उत्कृष्टता और धागे का प्रकार, जैसे-सरल, जटिल, नवीनता या स्पर्श के विशेष अनुभव वाला, आदि आते हैं। 
  • वस्त्र निर्माण तकनीक-वस्त्र निर्माण तकनीकें भी बुनावट के निर्धारण का एक प्रमुख कारक होती हैं। इसके अन्तर्गत बुनने का प्रकार और उसकी सघनता, बुनाई, नमदा बनाना, गुंथना, लेस या जाली बनाना आदि तकनीकें आती हैं।
  • वस्त्र सज्जा-वस्त्र सज्जा का प्रकार भी बुनावट को निर्धारण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वस्त्र सज्जा के रूप हैं-मांड लगाकर या गोंद लगाकर वस्त्र को कडा करना, इस्तरी करना, कैलेंडरिंग और टेटरिंग, नैपिंग तथा परिष्करण करना आदि।
  • पृष्ठीय सजावट-वस्त्र निर्माण सामग्री में बुनावट को निर्धारण करने वाला एक अन्य कारक पृष्ठीय सजावट है। पृष्ठीय सजावट के रूप हैं-गुच्छे से सजाना, मखमली मुद्रण, कसीदाकारी और सिलाई डिजाइन के प्रभाव।

बुनावट का उद्देश्य-पोशाक डिजाइन में बुनावट का मुख्य उद्देश्य रुचि उत्पन्न करना और व्यक्ति के वांछित लक्षणों को उभारना है। अच्छी रंग योजना हेतु उपयोग में लाई गई बुनावटों में परस्पर अनुकूल सम्बन्ध होने चाहिए।

RBSE Class 12 Home Science Important Questions Chapter 11 वस्त्र एवं परिधान के लिए डिज़ाइन

प्रश्न 4. 
आप पोशाक में अनुपात, संतुलन और महत्व किस प्रकार प्राप्त करते हैं?
उत्तर:
डिजाइन के सिद्धान्त-एक सफल डिजाइन का विकास डिजाइन सिद्धान्तों की समझ पर निर्भर करता है। डिजाइन के सिद्धान्त वे नियम हैं. जो संचालन करते हैं कि किस प्रकार श्रेष्ठतम तरीके परस्पर मिलाया जाए। प्रमुख डिजाइन के सिद्धान्त हैं-अनुपात, संतुलन, महत्व आवर्तिता और सामञ्जस्य। प्रत्येक सिद्धान्त अपना एक पृथक् अस्तित्व रखता है।

हमारा प्रतिपाद्य पोशाक में डिजाइन के तीन सिद्धान्त-अनुपात, संतुलन और महत्व-का विवेचन करना है। यथा-
(1) अनुपात-अनुपात का अर्थ वस्तु के एक भाग का दूसरे भाग से संबंध है। यह सम्बन्ध आमाप, रंग, आकृति और बुनावट में सर्जित किया जा सकता है। इन सबका परस्पर और रोचकतापूर्ण सम्बन्ध होना आवश्यक होता है। यह सामान्यतः स्वर्णिम माध्य के अनुपात पर आधारित होता है, जिसे 3:5:8 से 5:8:13 के अनुपातों या इसी प्रकार के अन्य अनपातों में प्रदर्शित किया जाता है। 

इनमें छोटे भाग 3 का बड़े भाग 5 से वही सम्बन्ध है जो बड़े भाग 5 का पूर्ण भाग 8 से है। पोशाक को क्षैतिज रूप से 3:5, 5:8 या 8:13 भाग में बाँटा गया है। ये भाग कमर रेखा, योक (कंधों) का भाग और किनारे की रेखा पर दृष्टिगत होते हैं। पोशाक मनोहर लगती है यदि ब्लाउज, स्कर्ट और सम्पूर्ण शरीर 35:8 का अनुपात प्रदर्शित करता है।

उदाहरण के लिए, एक स्कर्ट और ब्लाउज पोशाक में ब्लाउज 3 प्रदर्शित करता है, स्कर्ट 5 प्रदर्शित करता है और संयुक्त प्रभाव 8 प्रदर्शित करता है। इसी प्रकार एक कमीज-पेंट पोशाक में कमीज 5 को दर्शाता है, पेंट 8 को तथा 13 संयुक्त प्रभाव प्रदर्शित करता है। यथा-
(i) रंग का अनुपात-स्वर्णिम माध्य का उपयोग करते हुए, रंग का अनुपात उत्पन्न करने के लिए कमीज और पेंट के भिन्न-भिन्न रंग पहने जा सकते हैं।

(ii) बुनावट का अनुपात-बुनावट का अनुपात तब प्राप्त होता है, जब पोशाक बनाने वाली सामग्री की विभिन्न बुनावटें, पोशाक पहनने वाले व्यक्ति का साइज बढ़ा या घटा सकती हैं। उदाहरण के लिए, एक दुबले व्यक्ति पर भारी तथा वृहदकार बुनावटें हावी होती प्रतीत होती हैं।

(iii) आकृति तथा रूप का अनुपात-यह पोशाक में छपाई का साइज और स्थिति, पहनने वाले के साइज के अनुपात में होते हैं। शरीर की चौड़ाई, कमर या धड़ की लम्बाई, टाँगों की लम्बाई आदर्श शारीरिक आकृति से अलग हो सकती है। वस्त्र रुचिकर ढंग से भद्दे शारीरिक अनुपात का उचित अनुपात में रूपान्तरण करते हैं। उदाहरण के लिए, मातृत्व में उपयोग में ली जाने वाली ऊँची कमर की कुर्ती बढ़े हुए पेट को छुपा लेती है। समान विभाजक व्यक्ति को दिखने में छोटा और चौड़ा बनाते हैं, जबकि असमान क्षैतिज विभाजक व्यक्ति को दिखने में पतला बना देते हैं।

(2) संतुलन-संतुलन को पोशाक के केन्द्र बिन्दु से भार के एक समान विवरण करने के रूप में परिभाषित किया जाता है। 
पोशाक को ऊर्ध्वाधर रूप में (केन्द्रीय रेखा से) और क्षैतिज रूप में (ऊपर से नीचे) दोनों प्रकार से संतुलित करने की आवश्यकता होती है। इसकी उपलब्धि तीन प्रकार-(i) औपचारिक, (ii) अनौपचारिक तथा (iii) रेडियल के रूप में हो सकती है।

(3) महत्व-पोशाक का महत्वपूर्ण या केन्द्र बिन्दु वह स्थान होता है, जो देखने वालों की आँखों को सर्वप्रथम आकर्षित करता है। यह पोशाक में रुचि की वृद्धि करता है और इसे रंग, डिजाइन रेखाओं, विस्तारण अथवा उपसाधनों का उपयोग करके सर्जित किया जा सकता है। महत्वपूर्ण केन्द्र पोशाक के विशिष्ट क्षेत्र पर दर्शकों का ध्यान केन्द्रित करता है।

शारीरिक आकृति वाली समस्याओं वाले लोग अपनी आकृति सम्बन्धी समस्याओं को महत्व दे सकते हैं या छुपा सकते हैं। उदाहरण के लिए, पतली कमर वाली महिला अपनी पतली कमर को महत्व देने के लिए एक चमकदार और विषम रंग वाली बेल्ट पहन सकती है, जबकि बड़े नितंबों वाली महिला नितंब बेल्ट पहनकर अथवा नितम्ब भाग पर अन्य डिजाइन विवरण के साथ, अधिक उजागर कर सकती है।

विषम रंगों, विभिन्न असामान्य आकृतियों, रेखाओं और बुनावटों का उपयोग करके महत्व का सर्जन किया जा सकता है।

Prasanna
Last Updated on July 20, 2022, 7:23 p.m.
Published July 20, 2022