Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 English Literary Terms Exercise Questions and Answers.
The questions presented in the RBSE Solutions for Class 12 English are solved in a detailed manner. Get the accurate RBSE Solutions for Class 12 all subjects will help students to have a deeper understanding of the concepts. Our team has come up with job letter class 12 to ensure that students have basic grammatical knowledge.
Metaphysical Poetry- [ मेटॅफिजिकल पउइटरि (तत्त्ववादी कविता)]]
In the 17th Century, the term-'Metaphysical poetry', was first used as a contempt against the poetry of John Donne, Abraham Cowley and Andrew Marwell, etc. by Dr. Samuel Johnson. It denotes the habitual deviation from naturalness of thought and style, for novelty and quaintness by these poets.
Their wish was to say what they hoped had never been said before. They enjoyed in display of wit, far fetched images, hyperbole and conceits. Metaphysical poets wrote love poems that exhibited their cynical attitude towards fair sex, joys of conjugal love and Platonic love too.
In 20th Century, T.S. Eliot revived Metaphysical poetry by calling it fruit of passionate thinking. He wrote-“A thought to Donne was an experience” and admired their talent by saying- “The figure of speech is elaborated to the farthest stage to which ingenuity can carry it in metaphysical poet.”
17वीं सदी में, शब्दावली 'तत्ववादी कविता' को पहली बार डॉ. सैम्युअल जॉनसन द्वारा जॉन डन, अब्राहम काउलि, एन्ड्र मार्वेल की कविता के विरुद्ध आलोचना/तिरस्कार स्वरूप प्रयुक्त की थी। मेटॅफिजिकल पउइटरि में ये कवि नवीनता तथा विचित्रता के लिए कविता के स्वाभाविक विचार-चिंतन मंथन की शैली से आदतन विचलन की ओर संकेत करते हैं। उनकी इच्छा वह विषय रखने की रहती थी जिसकी वे आशा करते थे कि शायद पहले कभी भी प्रस्तुत नहीं किया गया होगा। वे बुद्धिमता को प्रदर्शित करने में, बेमेल प्रतीकों का उदाहरण देने में, अतिशयोक्ति करने में तथा कैनसीट्स (बेमेल तुलनाएँ) में आनंद लेते थे।
मेटॅफिजिकल कवियों ने ऐसी 'लव पउरन्ज' (प्रेम कविताएँ) लिखी हैं जिनमें महिलाओं के प्रति दोषदर्शी दृष्टिकोण दिखाया गया है, दाम्पत्य प्रेम के आनंद तथा पवित्र/आध्यात्मिक प्रेम को भी दिखाया गया है। 20वीं सदी में टी. एस. एलिअट ने मेटॅफिजिकल पउइटरि (तत्त्ववादी कविता) को जोशपूर्ण विचारशीलता का फल कहकर पुनर्जीवित किया। आपने लिखा, 'डन पर विचारशीलता अपने आप में एक अनुभव था और यह कहते हुए उनके गुणों (टैलॅन्ट) की प्रशंसा की, "अलंकार की विवेचना बेमेलतम अवस्था तक की गई जिसे विदग्धता/अति सूक्ष्मता मेटॅफिजिकल पउइटरि में कर सकते थे।
Q. What do you understand by 'Metaphysical Poetry'? Write a 50 words note on it.
तत्ववादी कविता से आप क्या समझते हैं? इस पर 50 शब्दों की एक टिप्पणी लिखिए।
Answer:
Dr. Samuel Johnson used this term at first in his poetry. Generally poets use metaphors, puns, and paradoxes in their poems. Poems are often presented in the form of an argument. The poets adopt a style that is energetic, uneven and rigorous. Metaphysical poetry investigates logical factor on one side and on the other side between rational or intuitive factor.
डॉ. सैमुअल जॉनसन ने सर्वप्रथम इस शब्द का प्रयोग अपनी कविताओं में किया। सामान्यतः कवि अपनी कविताओं में रूपक, श्लेष और विरोधाभास का प्रयोग करते हैं । कवितायें अनेक बार तर्क के रूप में प्रस्तुत की जाती हैं । कवि ऊर्जायुक्त, विलक्षण और कठिन शैली को अपनाते हैं । तत्ववादी कविता एक ओर तार्किक तत्त्व व दूसरी ओर अन्तर्ज्ञान या रहस्यवाद के बीच सम्बन्ध का पता लगाता है।
Impressionism [इम्प्रेशनिजॅम (प्रभाववाद)]
Impressionism is a 19th Century art movement originated with a group of Paris based artists who faced harsh criticism from the conventional art community. Such artists violated the rules of academic painting, painted realistic scenes of modern life and often painted outdoors in their consistent pursuit of an art of spontaneity, sunlight and colour.
The term Impressionism has also been used to describe works of literature in which a few select details suffice to convey the sensory impressions of an incident or scene. Impressionist Literature is closely related to symbolism. Authors such as Virginia Woolf, D.H. Lawrence and Joseph Conrad have written works that are impressionistic in the way they describe rather than interpret the impressions, sensations and emotions that constitute a · character's mental life.
इम्प्रेशनिजम 19वीं सदी का एक कला आंदोलन है जो पेरिस के कलाकारों के एक समूह से जन्मा था जिन्हें परंपरागत कला समुदाय/समूह की कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा था। ऐसे आर्टिस्ट्स (कलाकारों) ने ऐकॅडेमिक पेन्टिंग (सैद्धांतिक चित्रकारी) के नियमों का उल्लंघन किया, आधुनिक जीवन के वास्तविक दृश्यों पर चित्र बनाए तथा सहजता, धूप व रंग की चित्रकारी के लगातार तलाश में बाहरी दृश्यों पर चित्र बनाये।
शब्द इम्प्रेशनिजॅम का प्रयोग साहित्य की रचनाओं का वर्णन करने के लिए भी किया गया है जिसमें कुछ चयनित विस्तृत विवरण एक घटना या दृश्य के इन्द्रिय प्रभावों को पहुंचाने में पर्याप्त होती है । इम्प्रेशनिस्ट लिटॅरॅचर (प्रभाववादी साहित्य) सिम्बोलिजॅम (प्रतीकवाद) से गहनता से जुड़ा है।
वर्जिनिया वुल्फ, डी. एच लॉरेन्स तथा जोसेफ कौनराड आदि लेखकों ने ऐसी रचनाएँ सृजित की हैं जो वर्णन करने के तरीके में इम्प्रेशनिस्टिक (प्रभाववादी) हैं किंतु प्रभावों, उत्तेजनाओं तथा संवेदनाओं की व्याख्या नहीं करती जो कि एक पात्र का मानसिक जीवन निर्मित करते हैं।
Q. Write a note in about 50 words on 'Impressionism'.
'प्रभाववाद' पर लगभग 50 शब्दों में एक टिप्पणी लिखिए।
Answer:
Impressionism includes narrative style and ambiguous meanings. Impressionistic poets often describe the action through the eyes of the character while the events are occurring. These poets often avoid chronological telling of events. In place of it they give the readers information in a way that forces them to focus on how and why things happen.
प्रभाववाद वर्णनात्मक शैली और अस्पष्ट शब्दार्थ सम्मिलित करती है। प्रभाववादी कवि घटना का वर्णन अक्सर पात्र की आँखों के माध्यम से ही करते हैं जब घटनाएँ घट रही होती हैं। ये कवि अधिकांशतः घटनाओं के क्रमबद्ध वर्णन से बचते हैं। इसके स्थान पर वे पाठकों को घटनाओं की सूचना इस प्रकार देते हैं कि वह उन्हें इस पर ध्यान केन्द्रित करने को बाध्य करती है कि घटनाएँ कैसे और क्यों होती हैं।
Stream of Consciousness (चेतना का प्रवाह)
In literature stream of consciousness is a method of narration that describes happenings in the flow of thoughts in the minds of the characters. The term was initially coined by psychologist William James in his research in 1890, the principles of psychology. He writes; It is nothing joined, it flows. A ‘river' or a 'stream is the metaphor by which it is most naturally described.
In talking of it here after, let's call it the stream of thought. The stream of consciousness style of writing is marked by the sudden rise of thoughts and lack of punctuation. The use of this narration style is generally associated with the modern novelist and short story writers of the 20th century.
साहित्य में यह एक ऐसी तकनीक है जो कि पात्रों के विचारों और भावनाओं को उस प्रकार प्रस्तुत करती है जिस प्रकार वे घटित होते हैं। इस शब्द का प्रथम बार 1890 में उस समय प्रयोग में आया जब दार्शनिक व मनोवैज्ञानिक विलियम जेम्स ने इसे अपनी पुस्तक 'The Principles of Psychology' (मनोविज्ञान के सिद्धान्त) में प्रयोग किया। उन्होंने इसका प्रयोग विचारों के स्वाभाविक प्रवाह, वह भी तब जब विचारों के विभिन्न भाग आपस में जुड़े हुए नहीं हों।
एक नदी या धारा का प्रवाह विचारों की उपमा के समान होती है जो कि स्वाभाविक रूप से बहती है। बोलचाल में हम इसे विचारों का प्रवाह कहते हैं। विचारों के प्रवाह की तकनीक लेखन की वह शैली है जिसमें विराम-चिह्न का अभाव होता है । इस प्रकार के प्रस्तुतिकरण की तकनीक सामान्यतः आधुनिक उपन्यासकार और 20वीं शताब्दी के लघु कहानियों के लेखकों से सम्बन्धित है।
Q. Write a note on the literary term 'Stream of Consciousness' in about 50 words.
'चेतना के प्रवाह' पर लगभग 50 शब्दों में एक टिप्पणी लिखिए।
Answer:
Stream of consciousness is a narrative technique in which there is description of flow of thoughts in the mind of the character. A character's thoughts are in the form of a stream or a river which flows his thoughts naturally. Thoughts and emotions are rationally associated. These thoughts pass through his mind in a natural way.
चेतना का प्रवाह एक विवरणात्मक तकनीक है जिसमें पात्र के मस्तिष्क में विचारों का प्रवाह होता है। पात्र के विचार एक धारा अथवा नदी के रूप में होते हैं जो कि उसके विचारों को स्वाभाविक रूप से बहा ले जाती है। विचार और भावनाएँ विवेकपूर्ण ढंग से जुड़े हुए होते हैं । ये विचार स्वाभाविक रूप से पात्र के मस्तिष्क के माध्यम से गुजरते हैं।
Interior Monologue [इंटिअरिअर मोनॅलोग (आंतरिक एकालाप)]
Interior Monologue, in Dramatic or Non-dramatic fiction is the narrative technique that exhibits thoughts passing through the minds of the protagonist. These expressions may be either loosely related impressions, free associations or more rationally structured sequence of thoughts and emotions.
Interior Monologue includes dramatized inner conflicts, self analysis, imagined dialogues and rationalization. It may be direct first person expression of a character who is free from control of the author. It may also be a third person treatment that begins with a phrase such as-"he thought...". The term 'Interior Monologue' is often used interchangeably with 'stream of consciousness'.
But while an interior monologue may mirror all the half thoughts, impressions and associations that impinge upon the character's consciousness, it may also be restricted to an organized presentation of that character's rational thoughts. It is closely related to soliloquy and dramatic monologue and has became a characterstic device of 20th century psychological novel.
इंटिअरिअर मोनॅलोग (आंतरिक एकालाप),इँमैटिक (नाट्य) तथा नोन-डॅमेटिक (नाट्य रहित) फिक्शन (उपन्यास) में एक नैरॅटिव टेक्निक (कथात्मक तकनीक) है जो मुख्य पात्र के मस्तिष्क में चल रहे विचारों को प्रदर्शित करता है। ये अभिव्यक्तियाँ शिथिल रूप से जुड़े विचार हो सकते हैं, उन्मुक्त संग हो सकता है या अधिक तर्कपूर्णता से संरचित विचारों तथा भावों का क्रम हो सकता है।
इंटिअरिअर मोनॅलोग में नाटित (ड्रामॅटाइज्ड) आंतरिक संघर्ष, स्व-विश्लेषण, काल्पनिक संवाद तथा बुद्धिसंगत व्याख्या हो सकती है। यह एक पात्र जो कि लेखक के नियंत्रण से मुक्त होते हैं की फॅस्ट पॅर्सन (प्रथम पुरुष) में सीधी अभिव्यक्ति भी हो सकती है। यह एक थर्ड पॅर्सन (तृतीय पुरुष) ट्रीटमॅन्ट (प्रबंध) भी हो सकता है जो ऐसे वाक्यांश से भी आरंभ हो सकता है जैसे ही थोट' (उसने सोचा)।
शब्दावली इंटिअरिअर मोनॅलोग अक्सर स्ट्रीम ऑव कोनॉसनॅस (चेतना प्रवाह) के स्थान पर प्रयोग कर ली जाती है। किंतु जबकि इंटिअरिअर मोनॅलोग उन सभी अर्द्ध विचारों, प्रभावों तथा संगतता को दर्पणित करता है जो पात्र की चेतना में आ रहे हैं, यह उस पात्र के तर्कपूर्ण विचारों के संगठित प्रस्तुतिकरण तक भी सीमित किया जा सकता है । यह सॉल्लिकि (स्वगत कथन) तथा इँमैटिक मोनॅलोग (नाटकीय एकालाप) से गहनता से संबंधित है और 20वीं सदी के साइकॅलोजिक नोवल (मनोवैज्ञानिक उपन्यास) का यह एक उपकरण बन गया था।
Q. Write a note about 50 words on 'Interior Monologue'.
आन्तरिक एकालाप पर लगभग 50 शब्दों में एक टिप्पणी लिखिए।
Answer:
Interior Monologue includes dramatized inner conflicts, self-analysis, imagined dialogues and rationalizations. Into the fiction and non-fiction an interior monologue is the expression of a character's thoughts, feelings and impressions in a narrative. It may be either direct or indirect. In direct expression it is free from the control of the author. It is closely related to soliloquy.
आन्तरिक एकालाप में नाटकीकृत अन्तर्द्वन्द्व, आत्मविश्लेषण, काल्पनिक संवाद और तार्किकता सम्मिलित होते हैं । काल्पनिक और अकाल्पनिक दोनों ही उपन्यासों में आन्तरिक एकालाप किसी पात्र के विचारों, भावनाओं और किसी वर्णन में उसके प्रभावों का प्रस्तुतीकरण होता है। यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हो सकता है। प्रत्यक्ष अभिव्यक्ति में यह लेखक के नियन्त्रण के बाहर होता है। यह स्वयं से वार्तालाप करने से सम्बन्धित होता है।
Anglo-Indian Literature
[एंग्लो इंडियन लिटरेचर (अंग्रेजी-भारतीय साहित्य)]
Strictly speaking, Anglo- Indian literature is a branch of English literature produced by Englishmen who lived in India. To put it in simple words, Anglo-Indian literature is the outcome of the two different cultures that of the East and the West- come into contact. E.F. Oaten has observed regarding the main themes of Anglo-Indian literature- 'The first is the ever present sense of exile; the second, an interest in Asiatic religions; the third consists of the humorous sides of Anglo-Indian official life; the fourth is Indian native life and scenery'.
Anglo Indian literature had its greatest author in Rudyard Kipling (1865-1936) who also received Nobel Prize for literature. The first few decades of Twentieth Century can be considered as the golden age of Anglo Indian literature. However, Anglo-Indian literature died its natural death with the independence of India. Works on India may still be written by British authors but they can no longer be considered as Anglo-Indian Literature
असल में, ऐंग्लो-इंडियन लिटरॅचर, अंग्रेजी साहित्य की वह शाखा है जिसका सृजन, भारत में ही अंग्रेज साहित्यकारों द्वारा किया गया था जो भारत में रहे थे। सरल रूप में कहें तो, ऐंग्लो-इंडियन लिटरेचर पूर्वी व पश्चिमी दो भिन्न संस्कृतियों के संपर्क में आने का परिणाम है । ऐंग्लो-इंडियन लिटरॅचर के मुख्य विषयों के बारे में इ. एफ. ओटन का विचार है कि, 'प्रथम विषय हमेशा विद्यमान निर्वासितता की अनुभूति है; दूसरा विषय, एशिऐटिक रिलिजन्ज (एशियाई धर्मों) में रुचि; तृतीय में ऐंग्लो-इंडियन कार्यालय जीवन का हास्य पक्ष सम्मिलित है; चतुर्थ विषय भारतीय स्थानीय जीवन तथा दृश्य है।'
ऐंग्लो-इंडियन लेखकों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण रूडयाड किपलिंग (1865-1936) है जिन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार भी दिया गया था। 20वीं सदी के कुछ पहले दशक ऐंग्लो-इंडियन लिटरॅचर के स्वर्णिम युग माना जा सकता है। लेकिन एंग्लो-इंडियन लिटरॅचर, भारत की स्वतंत्रता के साथ ही अपनी स्वाभाविक मृत्यु को प्राप्त हो गया। अंग्रेज लेखकों द्वारा भारत पर अभी भी साहित्य रचना होती है लेकिन उन्हें ऐंग्लो-इंडियन लिटरेचर नहीं माना जा सकता है।
Q. Write a note in about 50 words on Anglo-Indian Literature.
आंग्ल-भारतीय साहित्य पर लगभग 50 शब्दों में एक टिप्पणी लिखिये।
Answer:
Anglo-Indian Literature is a branch of English Literature. It was produced by Englishmen who lived in India for some time. Anglo-Indian literature is the outcome of the two different cultures that of the East and the west-come into contact, Anglo-Indian Literature had its greatest author in Rudyard Kipling (1865-1936) who received Nobel prize for literature. Anglo-Indian literature died its natural death with the independence of India.
आंग्ल-भारतीय साहित्य अंग्रेजी साहित्य की एक शाखा है। इसका जन्म तब हुआ जब कुछ अंग्रेज लेखक भारत में कुछ समय तक रहे। आंग्ल भारतीय साहित्य दो भिन्न संस्कृतियों पूरब व पश्चिम के सम्पर्क का परिणाम है। आंग्ल-भारतीय साहित्य के महान लेखक थे Rudyard Kipling (1865-1936) जिन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार भी मिला। आंग्ल-भारतीय साहित्य का भारतीय स्वतन्त्रता प्राप्ति के साथ स्वाभाविक अन्त हो गया।
Indo-Anglian Literature [इण्डो-एन्गलिअन लिटरॅचर (भारत-अंग्रेजी साहित्य)]
Indo-Anglian Literature or Indian English Literature is a specific term that refers to the works of writers in India who write in English. Its early history began with the writers like R.K. Narayan, Mulk Raj Anand, Raja Rao, Nissim Ezekiel, A.K Ramanujan, Girish Karnad, etc. who wrote in English language.
It is also associated with the works of members of Indian diaspora (Writers of Indian origin living abroad) such as V.S. Naipaul, Kiran Desai, Jhumpa Lahiri, Salman Rushdie, etc.The term Indo-Anglian literature should not be confused with the term AngloIndian Literature, which is a branch of English literature produced by Englishmen who lived in India, even if for a short while.
इन्डो-एन्गलिअन लिटरॅचर अथवा भारतीय अंग्रेजी साहित्य एक विशिष्ट शब्दावली है जो भारत के उन साहित्यकारों की रचनाओं का उल्लेख करती है जो अंग्रेजी में लेखन करते हैं । भारतीय अंग्रेजी लेखन का इतिहास आर. के. नारायण, मुल्क राज आनंद, राजा राव, निसीम इजेकील, ए. के. रामानुजन, गिरीश कर्नाड जैसे लेखकों के साथ आरंभ हुआ था जिन्होंने अंग्रेजी भाषा में साहित्य रचना की।
यह इंडियन डाइअएपोरा (विदेशों में बसे भारतीय) की रचनाओं से भी संबंधित है (लेखक जो भारतीय मूल के हैं लेकिन विदेशों में बसे हैं) जैसे वी. एस. नॉयपॉल, किरन देसाई, झुम्पा लाहिरि, सलमान रुश्दि आदि। शब्दावली इन्डो-एन्गलिअन साहित्य को एंग्लोइंडियन साहित्य से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए जो कि अंग्रेजी साहित्य की वह शाखा है जिसे भारत में रहे अंग्रेज लेखकों ने लिखा है, चाहे वे थोड़े समय ही भारत में क्यों न रहे हों।
Q. Write a note on Indo-Anglian Literature in about 50 words
भारतीय-आंग्ल साहित्य पर लगभग 50 शब्दों में एक टिप्पणी लिखिये।
Answer:
Indo-Anglian Literature refers to the works of Indian writers who write in English. In this category R.K. Narayan, Mulk Raj Anand, Raja Rao, Nissim Ezekiel, A.K. Ramanujan and Girish Karnad are included. It is also associated with the works of members of Indian diaspora such as V.S. Naipaul, kiran Desai, Jhumpa Lahiri, Salman Rushadi etc.
भारतीय अंग्रेजी साहित्य उन भारतीय लेखकों के कार्यों को इंगित करता है जो अंग्रेजी में लिखते हैं । इस श्रेणी में आर. के. नारायण, मुल्क राज आनन्द, राजाराव, निसिम इजेकिल और गिरीश कर्नाड शामिल किये जाते हैं। यह भारतीय समुदाय के स. स्यों जैसे वी.एस. नायपॉल, किरण देसाई, झुम्पा लाहिड़ी, सलमान रशदी आदि के लेखन से भी सम्बन्ध है।