RBSE Class 12 English Literature Essay Writing Reflective Essays

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 English Literature Reading Unseen Passage Exercise Questions and Answers.

The questions presented in the RBSE Solutions for Class 12 English are solved in a detailed manner. Get the accurate RBSE Solutions for Class 12 all subjects will help students to have a deeper understanding of the concepts. Our team has come up with job letter class 12 to ensure that students have basic grammatical knowledge. 

RBSE Class 12 English Literature Reading Unseen Passage

Life Management 

What is life? If one asks, I'll say, it is a management. From birth to death, we manage our life. In childhood it is managed by our family and school. In adulthood we plan our life as per our knowledge and circumstances. Sometime, in childhood, a child may not be as careful to life management as she or he becomes in adulthood. The life of Mahatma Gandhi is a fine example of 'Life Management' from his adulthood to the end.

Some other time we may see a sincere child turning insincere in adulthood. Owing to various factors the “life management' gets disturbed and that person fails to achieve his targets. Bin Laden, the dreaded terrorist may be a fitting example of life mismanagement'.

You may say that ‘fate' plays its role in our life. Let it do that. Keep your preparation updated. Such as, we can't stop disasters but we learn disaster management. Likewise, we should plan our career and work accordingly. Similarly we should plan our family and wealth creation. We should keep time for all the positive activities. Lives of Swami Vivekanand, Dr. Kalam and the P.M. Narendra Modi are the fine examples of 'Life Management'.

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जीवन प्रबन्धन 

जीवन क्या है? यदि कोई पूछता है, तो मैं कहूँगा कि यह एक प्रबन्धन है। जन्म से मृत्यु तक हम अपने जीवन का प्रबन्धन करते रहते हैं। बचपन में हमारे जीवन का प्रबन्धन परिवार तथा विद्यालय द्वारा किया जाता है। वयस्क अवस्था में हम अपने जीवन का नियोजन अपने ज्ञान तथा अपनी परिस्थिति अनुसार करते हैं। कभी-कभी, बाल्यावस्था में, एक बालक जीवन प्रबन्धन के प्रति हो सकता है इतना चिन्तनशील न हो जितना कि वह वयस्क अवस्था में हो जाती/जाता है। महात्मा गाँधी का जीवन, वयस्क अवस्था से अन्त तक 'जीवन प्रबन्धन' का सुन्दर उदाहरण है।

किसी अन्य समय हो सकता है हमें यह देखने को मिल जाए कि एक सही बालक, वयस्क अवस्था में बुरा आदमी बन गया हो। विभिन्न कारणों से 'जीवन प्रबन्धन' अस्त-व्यस्त हो जाता है और वह व्यक्ति अपने लक्ष्य प्राप्ति में असफल हो जाता है। खुंखार आतंकवादी बिन लादेन 'जीवन कुप्रबन्धन' का सटीक उदाहरण हो सकता आप कह सकते हैं कि भाग्य भी हमारे जीवन में अपनी भूमिका निभाता है। उसे अपना काम करने दें।

आप अपनी तैयारी अद्यतन रखिए। जैसे, हम प्राकृतिक आपदाओं को रोक नहीं सकते फिर भी हम आपदा प्रबन्धन सीखते हैं । ठीक इसी तरह, हमें अपने कैरियर का नियोजन करना चाहिए और उसके अनुरूप कार्य करना चाहिए। वैसे ही हमें अपने परिवार तथा सम्पदा सृजन का नियोजन करना चाहिए। हमें सभी सकारात्मक गतिविधियों के लिए समय रखना चाहिए। स्वामी विवेकानन्द, डॉ. कलाम तथा प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के जीवन 'जीवन प्रबन्धन' के सुन्दर उदाहरण हैं।

Cleanliness 

Cleanliness is next to godliness, people say so. It appears true. Cleanliness like god is the necessity of life. For the lucid study of cleanliness, we can classify it into four categories of physique, of psyche, of place and of environment. Let's discuss them one by one. Cleanliness of physique keeps us physically healthy. We should take bath daily. We should brush our teeth after every meal. We should keep our nails short. We should wear clean clothes. We should eat and drink healthy eatables.

Cleanliness of psyche is of supreme value. There should be purity in our thoughts and actions. Our mind is a fertile land. We should grow positive thoughts on this land. This cleanliness will keep us peaceful, merciful, loving and happy. One becomes Godly if one has this cleanliness.

Cleanliness of place makes our life better. We should keep our homes, streets, roads, offices, gardens, playgrounds, cinema halls, schools, colleges, universities etc. clean. Cleanliness of environment makes our living best. We should grow more and more trees. We should use public transport. Thus, cleanliness is significant in our life.

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स्वच्छता 

स्वच्छता ईश्वर का ही एक रूप है, लोग ऐसा कहते हैं। यह ठीक भी लगता है। स्वच्छता, ईश्वर की भाँति जीवन की एक आवश्यकता है। स्वच्छता के सुगम अध्ययन के लिए हम इसे चार वर्गों में वर्गीकृत कर सकते हैं शारीरिक, चित्त, स्थान तथा पर्यावरण की स्वच्छता। आइए, एक-एक कर इन पर चर्चा करते हैं। शारीरिक स्वच्छता हमें शारीरिक रूप से तन्दुरुस्त रखती है। हमें नित्य प्रति स्नान करना चाहिए। हमें प्रत्येक भोजन के बाद दाँत पर ब्रश करनी चाहिए। हमें अपने नाखून छोटे रखने चाहिए। हमें साफ वस्त्र पहनने चाहिए। हमें पौष्टिक खाद्य सामग्री खानी व पीनी चाहिए।

चित्त की स्वच्छता सर्वाधिक मूल्यवान है। हमारे विचारों व कार्यों में शुद्धता होनी चाहिए। हमारा मस्तिष्क एक उपजाऊ भूमि है। हमें इस भूमि पर सकारात्मक विचारों को जन्म देना चाहिये। यह स्वच्छता हमें शांत, करुण, प्रेममय तथा प्रसन्न रखेगी। जिस व्यक्ति के पास यह स्वच्छता है वह ईश्वर के समान है।

स्थान की स्वच्छता हमारा जीवन बेहतर बना देती है। हमें अपने घर, गलियाँ, सड़कें, कार्यालय, बगीचे, खेल मैदान, सिनेमा हॉल, स्कूल, कॉलिज, विश्वविद्यालय आदि स्वच्छ रखने चाहिए। पर्यावरण की स्वच्छता हमारे जीवन को श्रेष्ठ बना देती है। हमें अधिकाधिक वृक्ष लयाने चाहिए। हमें सार्वजनिक यातायात का प्रयोग करना चाहिए। इस प्रकार, स्वच्छता हमारे जीवन में महत्त्वपूर्ण है।

Social Media 

Social media were introduced in 1979 when 'Usenet Systems' were first introduced by Tom Truscott and Jim Ellis. Mark Zuckerberg created 'Facebook' in 2004. Social media are computer mediated technologies that facilitate creation and sharing of information, ideas, pictures, links, messages, videos, documentaries, movies etc. They are interactive internet based applications. They facilitate online social networks by connecting users' profiles.

Social media are useful for various points of view. Some famous social sites are Facebook, Twitter, Whats App, You Tube, My Space, Skype, Orkut etc. There are 'facebook friends'. Politicians twist on twitter. Videos on YouTube can make you learn any process. Whats App groups keep you updated. They can provide feedback about a product or a service. 

We know about job opportunities. We get information by ads. Social media are harmful too. They have ended physical meetings. People live in the company of gadgets. Over use of internet causes health hazards. Economic burden has grown. Thus social media are. both advantageous and disadvantageous.

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सोशल मीडिया 

सोशल मीडिया को 1979 में तब आरम्भ किया गया था जब टॉम ट्रसकॉट तथा जिम एलिस द्वारा 'यूजनेट सिस्टम्स' आरम्भ किया गया था। मार्क जकरबर्ग ने 2004 में 'फेसबुक' का सजन किया था। सोशल मीडिया कम्प्यूटर जनित तकनीकें हैं जो सूचना, विचार, तस्वीर, लिन्क, सन्देश, वीडियो, डोक्युमेन्टॅरिज, मूविज आदि के सृजन व शेअरिंग की सुविधा देते हैं। वे इन्टरनेट आधारित एप्लिकेशन्स हैं जिनसे आपस में वार्तालाप सम्भव होता है। वे ऑनलाइन सोशल नेटवर्क की सुविधा यूजर प्रोफाइल को आपस में जोड़कर उपलब्ध कराते हैं।

सोशल मीडिया विभिन्न दृष्टिकोणों से उपयोगी है। कुछ प्रसिद्ध सोशल साइट्स हैं फेसबुक, ट्विटर, वॉट्स ऐप, यू-ट्यूब, माइ स्पेस, स्काइप, ऑरकुट आदि । फेसबुक मित्र हैं। राजनीतिज्ञ ट्विटर पर ट्वीट करते हैं। यू-ट्यूब के वीडियो आपको कोई भी प्रक्रिया समझा देते हैं। वॉट्स ऐप ग्रुप्स आपको अद्यतन रखते हैं। वे एक उत्पाद व सेवा के लिए फीडबैक भी दे सकते हैं। हमें रोजगार के अवसरों की जानकारी हो जाती है। हमें विज्ञापनों द्वारा जानकारी होती है।

सोशल मीडिया हानिकारक भी है। इन्होंने शारीरिक बैठकें खत्म कर दी हैं। लोग उपकरणों की संगति में रहते हैं। इन्टरनेट का अधिक प्रयोग स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा करता है। आर्थिक भार बढ़ गया है। इस प्रकार सोशल मीडिया लाभदायक तथा हानिकारक दोनों है।

Emotional Maturity 

Gone are the days when Intelligent Quotient (IQ) was checked. This is the age of 'Emotional Quotient' (EQ). In other words we can call it Emotional Maturity. Emotionally immature people commit suicide. People start lamenting over a slight grief. People come under tension over a slight hardship. People start quarrelling very early. People get enraged immediately. What is responsible for all these? Obviously, it is the absence of emotional maturity'.

There are many advantages of emotional maturity. In personal and professional lives, we have to face a lot of adversity, hardships, mental pressures etc. If we have mental maturity, we can handle these. In personal life, we may have quarrel in the familes or neighbourhood. If we are emotionally mature, we can handle these easily. It saves us from going mad. We remain emotionally and physically healthy if we have emotional maturity.

We can develop emotional maturity by yoga and pranayam, by reading literary books of great thinkers, by listening to the spiritual discourses of seers and sages, by having interactions with great professionals and so on. Thus emotional maturity is significant in life.

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भावनात्मक परिपक्वता

वो दिन लद गये हैं जब बुद्धि-लब्धि के बारे में पूछा जाता था। यह भाव-लब्धि का युग है। दूसरे शब्दों में हम इसे भावनात्मक परिपक्वता कह सकते हैं। भावनात्मक रूप से अपरिपक्व लोग आत्महत्या कर लेते हैं। लोग छोटे से दुःख पर विलाप करने लगते हैं। लोग थोड़ी-सी कठिनाई से ही दबाव में आ जाते हैं। लोग तुरन्त ही झगड़ना आरम्भ कर देते हैं। लोग तत्काल क्रोधित हो जाते हैं। इन सबके लिए कौन जिम्मेदार है? स्पष्टतः यह भावनात्मक परिपक्वता की कमी है।

भावनात्मक परिपक्वता के अनेक लाभ हैं। व्यक्तिगत व पेशेवर जीवनों में हमें अनेक विपरीत परिस्थितियों, कठिनाइयों, मानसिक दबावों आदि का सामना करना पड़ता है। यदि हममें भावनात्मक परिपक्वता है तो हम इनसे निपट सकते हैं। व्यक्तिगत जीवन में, हमारे परिवार या पड़ोस में झगड़ा हो सकता है। यदि हम भावनात्मक परिपक्व है तो इनसे आसानी से निपट सकते हैं। यह हमें पागल होने से भी बचाता है। यदि हम भावनात्मक रूप से परिपक्व हैं तो हम मानसिक व शारीरिक रूप से भी स्वस्थ रहेंगे।

हम योग व प्राणायाम द्वारा, महान चिन्तकों की साहित्यिक पुस्तकों के अध्ययन द्वारा, संतों व महात्माओं के आध्यात्मिक उपदेशों द्वारा, महान् पेशेवरों के साथ वार्तालाप आदि के द्वारा भावनात्मक परिपक्वता विकसित कर सकते हैं। इस प्रकार जीवन में भावनात्मक परिपक्वता बहुत महत्त्वपूर्ण है।

Performance of Duties 

Performance of duties is the need of the hour. Particularly in government sector the performance of duties is either poor or partial. In private sector it is effective and full. It is observed in most cases of family. It is poorly done in most cases of society or public. It is mostly fulfilled in most cases in personal life. It is somewhat weakly observed in professional life:

One should do one's duty sincerely. One should perform one's duty efficiently. Effective performance of duties keep us positive. It increases our professional efficiencies. Indian Space Research Organisation (ISRO) is the fine example of professional efficiencies. The Rashtriya Swayam Sevak Sangh (RSS), a patriotic organisation, motivates its activists to think positively and work to strengthen the nation. 

The former President, Dr. APJ Abdul Kalam, is a fine example of performance of duties. He contributed in developing missiles. He is known as 'Missile Man'. The Tatas, Birlas, Ambanis and so on are also the fine examples of performance of duties. Thus, perform your duties effectively and efficiently wherever you are.

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कर्तव्यों का निर्वहन 

कर्तव्यों का निर्वहन आज की आवश्यकता है। विशेषकर सरकारी क्षेत्र में कर्तव्यों का निर्वहन या तो कम है या आंशिक है। प्राइवेट क्षेत्र में यह प्रभावी तथा पूर्ण है। परिवार से सम्बन्धित अधिकतर कार्यों में कर्तव्यों का निर्वहन किया जाता है। समाज या सार्वजनिक कार्यों के सम्बन्ध में कर्तव्यों का निर्वहन हल्के-फुल्के ढंग से किया जाता है। पेशेवर जीवन में भी कर्तव्यों के निर्वहन में थोड़ी-बहुत कमी रख दी जाती है।

एक व्यक्ति को अपना कार्य ईमानदारी से करना चाहिए। एक व्यक्ति को अपना कार्य निपुणता से करना चाहिए। कर्त्तव्यों का प्रभावी रूप से पालन हमें सकारात्मक रखता है। यह हमारी पेशेवर क्षमता को बढ़ाता है। भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संस्थान (इसरो) कर्तव्यों के निर्वहन का सुन्दर उदाहरण है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), एक देश-भक्त संगठन, अपने कार्यकर्ताओं को सकारात्मक सोचने और राष्ट्र को मजबूत करने के कार्य करने के लिए सोचने को प्रेरित करता है। पूर्व राष्ट्रपति, डॉ. 

APJ अब्दुल कलाम, कर्तव्यों के निर्वहन का सुन्दर उदाहरण हैं। उन्होंने मिसाइल विकसित करने में योगदान दिया। उन्हें 'मिसाइल मैन' के नाम से जाना जाता है। टाटा, बिड़ला, अंबानी आदि भी कर्तव्यों के निर्वहन का सुन्दर उदाहरण हैं। इस प्रकार, आप जहाँ भी हैं वहाँ अपने कर्तव्यों का निर्वहन प्रभावी रूप से तथा निपुणता से करें।

Value of Discipline in Life 

Discipline is very valuable in life. Discipline is obeyance of rules or a code of behaviour. It is external. Self-discipline is greater than this. It is internal. Discipline in civil life is not so stringent as it is in police or army life. Discipline in family life, school life, professional life and social life is of high value.

Discipline in family life keeps the family orderly and intact. We should wake up and sleep early. We should take meals timely. It will keep us healthy and wise.

Discipline in school life makes us punctual, regular, obedient, efficient, effective, humble, and so on. Teachers like a disciplined student. She or he remains energetic and laboursome. Best academic of sports performance is given by such a student.

Discipline in professional is vital. It develops devotion, resolution, efficiency, skills, nobility, usability and so on. This discipline makes the nation powerful. Discipline in social life keeps the society peaceful, harmonious, cooperative and so on. There is love and tolerance in it. Thus discipline is valuable in all walks of life.

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जीवन में अनुशासन का महत्त्व

जीवन में अनुशासन का बहुत महत्त्व है। अनुशासन, नियमों अथवा आचार संहिता की अनुपालना है। यह बाहरी है। स्वानुशासन इससे उच्चतर होता है। यह आन्तरिक है। नागरिक जीवन में अनुशासन इतना कठोर नहीं होता है जितना कठोर यह पुलिस या सैनिक जीवन में होता है।

पारिवारिक जीवन, स्कूल जीवन, पेशेवर जीवन तथा समाज जीवन में अनुशासन उच्च महत्त्व का होता है। पारिवारिक जीवन में अनुशासन परिवार को व्यवस्थित तथा एकजुट रखता है। हमें जल्दी उठना व जल्दी सोना चाहिए। हमें समय से भोजन लेना चाहिए। यह हमें स्वस्थ तथा बुद्धिमान रखेगा।।

विद्यालय जीवन में अनुशासन हमें समय पालन करने वाला, नियमित, आज्ञापालक, निपुण, प्रभावी, सज्जन आदि बनाता है। आचार्य एक अनुशासित विद्यार्थी को पसन्द करते हैं। वह ऊर्जित व परिश्रमी बना रहती/रहता है। ऐसे विद्यार्थी द्वारा श्रेष्ठ शैक्षिक व खेल उपलब्धि दी जाती है।

पेशेवर जीवन में अनुशासन महत्त्वपूर्ण है। यह समर्पण, संकल्प, निपुणता, कुशलता, सजनता, उपादेयता आदि विकसित करता है। यह अनुशासन राष्ट्र को ताकतवर बनाता है। सामाजिक जीवन में अनुशासन समाज को शान्त, समरस, सहकारी आदि रखता है। इसमें प्रेम व सहिष्णुता होती है। अतः अनुशासन जीवन के सम्पूर्ण क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण है।

Bhagya
Last Updated on Dec. 14, 2023, 9:45 a.m.
Published Dec. 13, 2023