Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 English Literature Essay Writing Discursive Essays Exercise Questions and Answers.
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Role of Family in Our Society
It has been said that the family is the bedrock of society. It can be proven by the fact that all over the world every society is structured by the same pattern. A man and a woman marry and form a family. This process is repeated multiple times making multiple families which form villages, regions and eventually nations. When several nations come together they form a continent and all of the continents make up the world.
Family values at large scale become society values. If families have the values of mercy, pity, peace, love and so on, society will also have these. And the society with these values will certainly make sustainable development. If families are violent, society will have to face violence or terrorism. The families of Pandavas and Kauravas in the Mahabharata is the best example.
Thus, the role of family in our society is important. Family produces Nobel Laureates. Family produces international terrorists like Bin Laden. There are families of rulers, business, industry, film acting, scientists, writers and so on. They make the society creative. Thus, progressive and regressive societies are formed on the basis of types of families they have.
हमारे समाज में परिवार की भूमिका
यह कहा जाता है कि परिवार, समाज का आधार है। इसे इस तथ्य के साथ प्रमाणित किया जा सकता है कि सम्पूर्ण विश्व में प्रत्येक समाज एक समान सामाजिक संरचना में है। एक पुरुष और एक महिला विवाह करते हैं तथा परिवार बनाते हैं। इस प्रक्रिया को अनेक बार दोहराया जाता है जिससे अनेक परिवार बनते हैं जिससे गाँव, क्षेत्र तथा फिर राष्ट्र बनते हैं। जब अनेक राष्ट्र एक साथ होते हैं तो वह क्षेत्र महाद्वीप बन जाता है
और समस्त महाद्वीप इस संसार को बनाते हैं। - पारिवारिक मूल्य, विशाल स्तर पर समाज के मूल्य बन जाते हैं । यदि परिवार में करुणा, दया, शांति, प्रेम आदि हैं तो समाज में भी ये होंगे। और इन मूल्यों वाला समाज नि:संदेह समाहित विकास करेगा। यदि परिवार हिंसक हैं तो समाज को हिंसा या आतंकवाद का सामना करना होगा। महाभारत में पाण्डवों व कौरवों का परिवार इसका श्रेष्ठ उदाहरण है।
इस प्रकार, हमारे समाज में परिवार की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। परिवार ही नोबेल विजेता उत्पन्न करते हैं। परिवार ही अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवादी, बिन लादेन जैसा उत्पन्न करता है। विश्व में शासक परिवार हैं, व्यापारी परिवार हैं, औद्योगिक परिवार हैं, फिल्म एक्टिंग के परिवार हैं, वैज्ञानिक, लेखक आदि परिवार हैं । वे समाज को रचनात्मक बनाते हैं। अतः समाज को प्रगतिशील व अवनतिशील परिवार के आधार पर ही बनाया जाता है।
Role and Functions of Judiciary in India
The judiciary in India performs various important role and functions. These do not remain confined within traditional jurisdiction of Civil and Criminal. Prevention of violation of law is primary function. The violation is punished as per the process of law. Judiciary makes new law. The judges, by way of interpreting the existing laws, make new laws. It can overrule the precedents.
Judiciary decides on constitutional questions. In case of any constitutional conflict or dispute, the Supreme Court by its decision settle the dispute. Judiciary performs administrative functions. Appointments of officers and servants, maintenance of records, administration of staff etc. are performed by judiciary. Superintendence over lower courts is another function.
Judiciary performs advisory function. Supreme Court sometimes gives advices to the executive and the legislature on constitutional points, if sought for. Judiciary protects fundamental rights. Judiciary declares a law invalid if it transgress a fundamental right. Judiciary is the guardian of the constitution. It can invalidate a law by the power of judicial review. Thus, the role and functions of judiciary in India are important.
भारत में न्यायालय की भूमिका व कार्य
भारत में न्यायालय विभिन्न महत्त्वपूर्ण भूमिका तथा कार्य निर्वहन करता है। ये परम्परागत सिविल तथा क्रिमिनल न्याय क्षेत्र तक सीमित नहीं रहते हैं। नियमों के उल्लंघन को रोकना इसका प्रधान कार्य है । न्याय की प्रक्रिया के अनुसार उल्लंघनकर्ता को दण्ड दिया जाता है। न्यायालय नये-नये कानून बना देता है। न्यायाधीश, वर्तमान कानूनों की व्याख्याओं द्वारा, नये-नये कानून बना देते हैं । यह मिसालों को रद्द कर देता है। न्यायालय संवैधानिक प्रश्नों को हल करते हैं। एक संवैधानिक संघर्ष या विवाद में, सुप्रीम कोर्ट अपने निर्णय से विवाद हल करता है।
न्यायालय प्रशासनिक कार्य भी करता है। अफसरों व सेवकों को नियुक्त करना, रिकॉर्ड को बनाए रखना, स्टाफ का प्रबन्धन आदि न्यायालय द्वारा सम्पादित किये जाते हैं । अवर न्यायालयों का निरीक्षण एक अन्य कार्य है। न्यायालय, परामर्श का कार्य भी करता है। सर्वोच्च न्यायालय कभी-कभी कार्यकारी अधिकारियों तथा विधानसभा को संवैधानिक बिन्दुओं पर, चाहने पर, परामर्श भी देता है। न्यायालय मूल अधिकारों की रक्षा करता है । न्यायालय एक कानून को निरस्त कर सकता है यदि यह मूल अधिकारों का हनन करता है। न्यायालय, संविधान का अभिभावक/रक्षक है । यह अपने न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति से एक कानून को अवैध घोषित कर सकता है। इस प्रकार न्यायालय की भूमिका तथा कार्य भारत में महत्त्वपूर्ण हैं।
India's Space Programme
Space research in India began in 1920s with the scientists S.K. Mitra, C.V. Raman and Meghnad Saha. In 1940s and 1950s it was institutionalised. Dr. Vikram Sarabhai imagined Indian space programme. Therefore, he is regarded as the Father of the Indian space Programme. In 1962 INCOSPAR was set up. In Nov. 1963 first rocket launch took place. In 1969 INCOSPAR was converted into ISRO. In 1975 first Indian satellite, Aryabhatta was launched. In 1976-77 Satellite Telecommunication Experiments Project was launched. In 1980 first indigenously built satellite Rohini (RS-I) was launched by SLV-3.
Later on two different type of rockets were developed by ISRO to launch Satellites into the earth orbit. The first is PSLV and the second is GSLV. with the help of PSLV And GSLV India has launched many types of communication satellites. With the help of these rockets GAGAN and IRNSS satellites were launched for navigation system.
ISRO had to face many challenges to make the space programme successful. ISRO got a lot of achievements by facing these challenges. In 2017 ISRO made a record of launching 104 satellites at a time.
भारतीय अन्तरिक्ष कार्यक्रम
भारत में अन्तरिक्ष अनुसन्धान 1920 में वैज्ञानिकों एस.के. मित्रा, सी.वी. रमन तथा मेघनाद साहा के साथ आरम्भ हुआ। 1940 व 1950 में इसे संस्थागत किया गया। डॉ. विक्रम साराभाई के द्वारा भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की कल्पना की गई थी अतः इन्हें भारतीय अन्तरिक्ष कार्यक्रम का जनक कहा जाता है। 1962 में INCOSPAR की स्थापना की गई। नवम्बर 1963 में पहला रॉकेट प्रक्षेपण हुआ। 1969 में INCOSPAR को ISRO में बदल दिया गया। 1975 में पहला भारतीय उपग्रह आर्यभट्ट प्रक्षेपित किया गया। 1976-77 में उपग्रह दूरसंचार अनुसन्धान परियोजना आरम्भ की गई। 1980 में प्रथम देशीय उपग्रह रोहिणी (RS-I) को SLV-3 द्वारा प्रक्षेपित किया गया।
इसके बाद इसरो के द्वारा उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में छोड़ने के लिए दो अन्य प्रकार के रॉकेट विकसित किये गये। पहला है PSLV और दूसरा है GSLV. PSLV और GSLV की सहायता से भारत ने कई प्रकार के संचार उपग्रह प्रक्षेपित किये हैं। इन रॉकेटों के द्वारा ही GAGAN और IRNSS जैसे उपग्रह नेवीगेशन सिस्टम के लिए छोड़े गये। भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए इसरो को कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इसरो ने इन चुनौतियों का सामना करके अनेक उपलब्धियाँ प्राप्त की। वर्ष 2017 में तो इसरो ने एक साथ 104 उपग्रह लॉन्च करने का रिकॉर्ड बनाया।
Terrorism and Peace
Terrorism is the unlawful use of violence and intimidation especially against civilians in the pursuit of political aims. Peace is the freedom from disturbance. Terrorists are the utmost selfish and evil minded person who kill innocent people. Peace is the requirement for development. Terrorism has disturbed the peace of the world.
India has been badly suffering from terrorism. Kashmir has been the flash point. Pakistan has been aiding and abetting terrorism. Kashmir is said to be a heaven on earth but the terrorism has affected. The terrorists drove out the Hindus from the valley. Naxalites have been spreading terrorism in Chhatisgarh, Jharkhand, Bihar, Bengal etc. Terrorists attacked Indian Parliament and different cities of India. Some terrorists group have been working in north-east too.
Peace of India has been in disturbance. India has to use its means to destroy the threats of terrorism. Therefore, the developmental activities suffer badly. Thus, terrorism is the enemy of peace. For establishing peace the countries have to fight a war against terrorism.
आतंकवाद तथा शांति
आतंकवाद, हिंसा करने तथा भयातुर करने का गैर-कानूनी प्रयोग है। वह भी विशेषकर आम लोगों के विरुद्ध वो भी राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए। शांति, परेशानियों से मुक्ति की स्थिति है। आतंकवादी सर्वाधिक स्वार्थी तथा बुरी मानसिकता वाले व्यक्ति होते हैं जो निर्दोष लोगों की हत्याएँ करते हैं। विकास के लिए शांति की अत्यन्त आवश्यकता है। आतंकवाद ने विश्व की शांति भंग कर दी है। भारत आतंकवाद से बुरी तरह प्रभावित रहा है। कश्मीर तो फ्लैश पॉइन्ट (युद्ध स्थल) रहा है। पाकिस्तान लगातार आतंकवादियों की सहायता व हथियार उपलब्ध कराता रहा है।
कश्मीर को पृथ्वी पर स्वर्ग कहा जाता है किन्तु आतंकवाद ने इस पर बुरा प्रभाव डाला है। आतंकवादियों ने घाटी से हिन्दुओं को जाने पर मजबूर कर दिया। नक्सलवादी भी छत्तीसगढ़, झारखण्ड, बिहार, बंगाल आदि में आतंकवाद फैला रहे हैं। आतंकवादियों ने भारत की संसद पर तथा भारत के विभिन्न शहरों पर आक्रमण किया। कुछ आतंकवादी संगठन उत्तर-पूर्वी राज्यों में भी सक्रिय हैं। भारत की शांति भंग रही है। भारत को अपने संसाधन आतंकवाद की समस्या को नष्ट करने में लगाने पड़ते हैं। इसीलिए विकास गतिविधियाँ बुरी तरह प्रभावित हो जाती हैं। अतः आतंकवाद, शांति का शत्रु है। शांति स्थापित करने के लिए राष्ट्रों को आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध लड़ना पड़ता है।
Involvement of Youths in Crime
It is true that involvement of youths in crime is increasing. It is also known as juvenile delinquency. Crime rate among the youths ageing 12 to 17 has increased 3% between 2005 and 2006. Even drug-related offences among youths have increased dramatically. The rate of youth violence has also increased. Even teenagers are involved in offences. The bad society of youths make them criminals. The environment at the home or neighbourhood determines the fate of such youths.
The reasons for their involvement may be the following. They don't have employment. The empty mind is a devil's workshop. The lust for money to fulfil their needs leads to crime. To be the centre of attention is also a reason. The bad company is also a reason. Discriminatory social and school environment is a reason too. Family structure is also a reason.
The following can be the remedies. Youth awareness programmes should be started. Employment opportunities should be increased. Drug availability should be stopped. Poverty and inequality should be demolished. Thus, involvement of youths in crime should be reduced otherwise the future of the country will be in danger.
युवाओं की अपराध में लिप्तता
यह सच है कि युवाओं की अपराधों में लिप्तता बढ़ रही है। इसे बाल अपचार भी कहते हैं। 2005 से 2006 के बीच 12 से 17 वर्ष की आयु के युवाओं के बीच अपराध दर 3% बढ़ी है। यहाँ तक कि नशेसम्बन्धी अपराध युवाओं के बीच नाटकीय रूप से बढ़े हैं। युवा हिंसा की दर भी बढ़ी है। यहाँ तक कि किशोर भी अपराधों में लिप्त हैं। युवाओं की बुरी संगति उन्हें अपराधी बना देती है। घर व पड़ौस का वातावरण ऐसे युवाओं के भाग्य का निर्धारण करते हैं।
युवाओं की अपराध लिप्तता के निम्न कारण हो सकते हैं। उनके पास रोजगार नहीं है। खाली दिमाग शैतान का घर होता है। अपनी आवश्यकता पूर्ति के लिए पैसे की चाह भी अपराध की ओर ले जाती है। लोगों के ध्यान का केन्द्र बनने की चाह भी एक कारण है। बुरी संगति भी एक कारण है। समाज व स्कूल में भेदभाव किये जाना भी एक कारण है। परिवार संरचना भी एक कारण है। निम्न समाधान किये जा सकते हैं। युवा संचेतना कार्यक्रम आरम्भ किया जाना चाहिए। रोजगार के अवसर बढ़ाये जाने चाहिए। नशे की सामग्री की उपलब्धता को रोकना चाहिए। गरीबी व असमानता को समाप्त करना चाहिए। . अतः युवाओं की अपराधों में लिप्तता घटानी चाहिए अन्यथा.राष्ट्र,का भविष्य खतरे में होगा।
Solutions to Traffic Problems
Solutions to traffic problems are the crying need of the hour. Installation of cameras on all the major roads across the country is an effective step to solve traffic problems. In developed countries across the world there are cameras on all the roads. Because of cameras drivers follow traffic rules which avoids road accidents. Proofs of offence also remain available. So, quick action can be taken against the offenders. In USA, violator of traffic rules is caught within a minute by the police and swift action is taken.
Zero corruption level is another solution to traffic problem. The salaries and allowances of the personnels of the traffic police department should be lucrative so that the personnels never accept bribe. Newzeland is such a country.
Use of modern technology is also a solution to traffic problems. Satellite tracking system, navigation system, sensors, rear camera, air-bags, power brake, satellite phones to police personnels etc. will solve the traffic problems. Thus, solutions are multitudinous but the commitment for implementation is needed.
यातायात की समस्याओं के समाधान
यातायात की समस्याओं का समाधान आज की तत्काल आवश्यकता है। सम्पूर्ण देश में सभी मुख्य सड़क मार्गों पर कैमरे लगा देना यातायात की समस्याओं के समाधानों का एक प्रभावी कदम है। विश्व के विकसित देशों में सम्पूर्ण सड़कों पर कैमरे लगे हैं। कैमरे के कारण ड्राइवर यातायात के नियमों का पालन करते हैं जो सड़क दुर्घटना टालते हैं।
अपराध के प्रमाण भी उपलब्ध रहते हैं। अतः अपराधी के विरुद्ध शीघ्र कार्यवाही की जा सकती है। USA में यातायात के नियम का उल्लंघनकर्ता एक मिनिट के अन्दर पुलिस द्वारा पकड़ लिया जाता है और फुर्ती से कार्यवाही कर दी जाती है। शून्य भ्रष्टाचार स्तर भी यातायात की समस्या का एक और हल है।
यातायात पुलिस विभाग के कार्मिकों के वेतन व भत्ते आकर्षक होने चाहिए ताकि कार्मिक कभी रिश्वत स्वीकार ही नहीं करे। न्यूजीलैंड ऐसा ही देश है। आधुनिक तकनीक का प्रयोग भी यातायात की समस्याओं के समाधान देते हैं। सैटेलाइट ट्रैकिंग सिस्टम, . नेविगेशन सिस्टम, सेंसर, पिछला कैमरा, एयर बैग, पावर-ब्रेक, पुलिस कार्मिक को सैटेलाइट फोन आदि यातायात की समस्याओं के समाधान देते हैं। अतः समाधान अनेक हैं किन्तु इन्हें लागू करने की प्रतिबद्धता चाहिए।
Violence on T.V. and in Films
Violence on T.V. and in films is a general phenomenon nowadays. TV serials on social problems show family disputes, caste struggles, religious intolerance, regional discriminations which lead to violence, attack, murder etc. The viewers think that violence is a solution to a problem.
They adopt it. Then the society become violent. Religious serials also have violence in them. Plottings, wars, killings, murders take place between the divine and the demon forces. Display of violence on TV must be banned. Serials and programmes growing virtues and values should only be shown.
Violence in films has crossed all limits. Nowadays most of the films show much violence. Murders and killings are presented as solutions to problems. It increases violence in the society. It shows as if Indian social values are changing. Money has become supreme.
Consequently, the viewers are influenced. The erosion in observance of social values have started. The Censure Board should not allow such violence to show to the viewers. Thus, violence on TV and in films must be checked otherwise the internal and the external peace will be jeopardise.
टी.वी. पर तथा फिल्मों में हिंसा टी.वी. पर तथा फिल्मों में हिंसा आजकल एक आम बात हो गई है। सामाजिक समस्याओं पर बने टी.वी. सीरियल पारिवारिक विवादों, जातिगत संघर्षों, धार्मिक असहिष्णुता, क्षेत्रीय भेदभावों को दिखाते हैं जो हिंसा, आक्रमण, हत्या आदि की ओर ले जाते हैं।
दर्शक सोचते हैं कि हिंसा भी किसी समस्या का समाधान है। वे इसे अपना लेते हैं। तब समाज हिंसक बन जाता है। धार्मिक सीरियलों में भी हिंसा है। षड्यन्त्र, युद्ध, मारना, हत्याएँ आदि देव व दानव शक्तियों के बीच जारी रहते हैं। टी.वी. पर हिंसा को प्रतिबन्धित कर देना चाहिए। केवल ऐसे सीरियल व कार्यक्रम दिखाये जाने चाहिए जो सद्गुण व मूल्यों को बढ़ावा देते हैं।
फिल्मों में हिंसा तो सभी हदें पार कर चुकी हैं। आजकल अधिकतर फिल्में अत्यधिक हिंसा दिखाती हैं। हत्याओं व मारकाट को समस्याओं के समाधान के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इससे समाज में हिंसा बढ़ती है। फिल्म ऐसा दिखा देती हैं कि भारतीय सामाजिक मूल्य बदल रहे हैं। धन, सर्वोच्च हो गया है। परिणामस्वरूप, दर्शक प्रभावित हो जाते हैं। सामाजिक मूल्यों में ह्रास आरम्भ हो गया है। सेंसर बोर्ड को ऐसी हिंसा, दर्शकों को दिखाये जाने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। अतः टी.वी. पर तथा फिल्मों में हिंसा को रोका जाना चाहिए अन्यथा आन्तरिक व बाहरी शांति खतरे में पड़ जायेगी।
Urbanisation and its Hazards
The roots of urbanization can be traced back to Renaissance times. It came to the fore only during the industrial revolution of 18th and 19th centuries. Massive urbanisation happened in Asia in 20th century. It is expected that world's 60% population would reside in cities.
The urbanisation leads to massive housing problems. This results in creation of slums and occupying of streets. Crimes are developed here. Uneven income drives the slum dwellers to do illegal work.
Urbanisation increases the demand of water. Thousands of people have to take unsafe water. It leads to serious health hazards. Many of them have to face untimely death.
Urbanisation chokes - the transport system. Wide roads become narrow roads. Encroachment on road grows to a great extent. Roads become lane which causes traffic problems.
Urbanisation causes the problem of rush everywhere. People stand in long queues for a long time at hospitals, rail ticket window, cinema window, bank and so on. Urbanisation leads to individual life which causes loneliness, stress, marital instability, pollution etc. Thus urbanisation has its number of hazards.
शहरीकरण व इसके खतरे
शहरीकरण की जड़ें पुनर्जागरण काल में ढूँढ़ी जा सकती हैं। यह 18वीं तथा 19वीं शताब्दी में औद्योगिक क्रान्ति के समय प्रमुख रूप से चर्चा में आया। एशिया में अत्यधिक शहरीकरण 20वीं शताब्दी में हुआ। ऐसी आशा की जाती है कि विश्व की 60% जनसंख्या शहरों में निवास करेगी। शहरीकरण मकान की अत्यधिक गम्भीर समस्या की ओर ले जाता है। इससे झुग्गी-झोंपड़ियाँ पैदा हो जाती हैं तथा गलियों पर अतिक्रमण हो जाता है। यहाँ अपराध भी पनपते हैं। झुग्गी-झोंपड़ियों के लोगों की असमान आय उन्हें गैर-कानूनी कार्य करने में लिप्त कर देती है।
शहरीकरण जल की मांग बढ़ा देता है। हजारों लोगों को अशुद्ध जल पीना पड़ता है। इससे अनेक स्वास्थ्य सम्बन्धी खतरे हो जाते हैं। उनमें से अनेक को असामयिक मृत्यु का सामना करना पड़ता है। शहरीकरण यातायात प्रणाली को अव्यवस्थित कर देता है। चौड़ी सड़कें सकड़ी हो जाती हैं। सड़कों पर अतिक्रमण अत्यधिक बढ़ जाता है। सड़कें, लेन में बदल जाती हैं जिससे यातायात की समस्या पैदा हो जाती है।
शहरीकरण से भीड़भाड़ की समस्या उत्पन्न होती है। लोग हॉस्पिटल, रेल टिकिट खिड़की, सिनेमा खिड़की, बैंक आदि पर लम्बे समय तक लम्बी लाइन में खड़े रहते हैं। शहरीकरण व्यक्तिगत जीवन की ओर ले जाता है जिससे अकेलापन, टेन्शन, वैवाहिक अस्थिरता, प्रदूषण आदि की समस्या रहती है। अतः शहरीकरण के अपने अनेक खतरे हैं।.
Information Technology
Information technology is that technology by which information is processed, communicated, exhibited and retrieved in a fast, error-free and proper way. Both telecommunication and computer technologies work together in it to provide information. Today's world is the world of information and telecommunication. Information technology includes telephone, fax, telex, computers, internet, email, photocopier, printer, scanner, cellular phones, pagers, videophones, digital cameras, multimedia etc.
It has brought about a sea change in the functioning of this world. It has proved to be a great boom to industrial productivity. Internet makes all the information available about product design, quality, technologies, market survey, financial conditions etc.
Documents transfer has become faster and quicker. In India software transfer industry has touched 100 trillion US $ mark. The best course material is available on internet. Home shopping, tele-banking, video conferencing, email, social media are making the world a global village. Record keeping has become easy. Thus every sphere of human life is changing. It has made every hand busy.
सूचना तकनीक
सूचना तकनीक वह तकनीक है जिसके द्वारा सूचना को प्रक्रिया में डाला जाता है, संचरित किया जाता है, दिखाया जाता है तथा पुनः प्राप्त किया जाता है वो भी तेज, त्रुटिरहित तथा उचित तरीके से इसमें दूरसंचार तथा कम्प्यूटर दोनों ही तकनीकें सूचना उपलब्ध कराने में साथ-साथ कार्य करती हैं। आज का युग सूचना एवं दूरसंचार का है। सूचना तकनीक में टेलिफोन, फैक्स, टेलेक्स, कम्प्यूटर्स, इंटरनेट, इमेल, फोटोकॉपिअर, प्रिन्टर, स्कैनर, सेल्युलर फोन, पेजर, वीडियोफोन, डिजिटल कैमरा या मल्टीमीडिया आदि सम्मिलित हैं।
आई.टी. ने संसार की कार्य गतिविधि में सागरीय परिवर्तन ला दिया है। यह औद्योगिक उत्पादकता के लिए अत्यधिक सहायक सिद्ध हुआ है। इंटरनेट उत्पाद डिजाइन, गुणवत्ता, तकनीक, बाजार सर्वेक्षण, वित्तीय स्थिति आदि के बारे में सभी सूचना उपलब्ध कराता है। दस्तावेजों का हस्तान्तरण तेज व शीघ्र हो गया है। भारत में सॉफ्टवेयर हस्तान्तरण उद्योग ने 100 ट्रिलियन यू.एस. डॉलर को छू लिया है। इंटरनेट पर श्रेष्ठ पाठ्यक्रम सामग्री उपलब्ध रहती है।
होम शॉपिंग, टेलिबैंकिंग, वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग, इमेल, सोशल मीडिया, इस संसार को वैश्विक गाँव बना रहे हैं। रिकार्ड संधारण आसान हो गया है। इस प्रकार मानव जीवन का प्रत्येक क्षेत्र बदल रहा है। आई.टी. ने प्रत्येक हाथ को व्यस्त कर दिया है।
Women Empowerment
Women empowerment is the empowering of women to be independent in her personal and professional life. India has male dominated society. Women were restricted to the four walls of the home. It was mandatory to put on saree after marriage and have long veil to cover her face. Women education was scanty. She was to look after the family, kitchen, children etc. She had no say in family matters. She was only to comply.
Presently, women are serving in all the sectors of human life. Politically, women have been the President, the PM, the Governor, the ministers and so on. Administratively, women are serving as administrative officers in public and private sectors. Militarily, women are serving Indian military in various capacities. In sports, Indian women are proving their worth. Industrially, they are among best entrepreneurs. In film, music, art and dance their talent is praised. In every sphere their presence is felt.
But a lot is to be done to empower them realistically. Cent percent women literacy is to be reached. Fifty percent reservation should be given in all the govt. sectors. Make them economically independent. Thus, women empowerment is still needed.
महिला सशक्तीकरण
महिला सशक्तीकरण महिला को व्यक्तिगत तथा व्यावसायिक जीवन में आत्मनिर्भर कर सशक्त करना है। भारत में पुरुष प्रधान समाज है। महिलाओं को घर की चारदीवारी तक सीमित किया हुआ था। विवाह उपरान्त उनके लिए साड़ी पहनना तथा लम्बा घूघट अपने चेहरे को ढकने के लिए अनिवार्य था। महिला शिक्षा अति न्यून थी। उसे अपने परिवार, रसोई तथा बच्चों की देखभाल करनी होती थी। पारिवारिक मामलों में उसकी कोई राय नहीं होती थी। उसे तो केवल अनुपालना करनी होती थी।
वर्तमान में, महिलाएँ मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में कार्य कर रही हैं। राजनीतिक रूप से, महिलाएँ राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री, गवर्नर, मन्त्री आदि रही हैं। प्रशासनिक रूप से, महिलाएँ प्रशासनिक अफसर के रूप में सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों में सेवाएं दे रही हैं। सैन्य रूप से, महिलाएँ भारतीय सेना में विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं। खेलों में, भारतीय महिलाएँ अपनी योग्यता सिद्ध कर रही हैं। औद्योगिक रूप से, वे श्रेष्ठ उद्योगपतियों में से हैं। फिल्म, संगीत, कला, नृत्य में उनकी प्रतिभा की प्रशंसा की जाती है। प्रत्येक क्षेत्र में उनकी उपस्थिति महसूस की जाती है। किन्तु उनको वास्तव में सशक्त करने के लिए बहुत कुछ किया जाना शेष है। शत प्रतिशत साक्षरता पर पहुँचना है। सभी सरकारी क्षेत्रों में 50% आरक्षण दिया जाना चाहिए। उन्हें आर्थिक रूप से स्वतन्त्र बनाएँ। अतः महिला सशक्तीकरण की अभी आवश्यकता है।
Role of Press or Media in Nation Building
The role of press or media in nation building is important. It is said that press/media is the fourth pillar of democracy. It is the watch-dog of freedom. Press/Media publish the people's welfare schemes of the govts. Whoever fulfils the norms can take benefits of these schemes. Media publish the public welfare announcements. People become aware of the provisions made by the govts. If people have been directed to do some task, they do so.
Media convey different types of information to the public such as of politics, sports, economy, employment, spiritual, war, terrorism, health, education, development, entertainment, art and so on.Media report the injustice of caste, creed, colour, sex, region, religion, political, race and so on. Human Right Commissions take notice of them and undertake corrective measures.
Media through verbal or visual advertisements convey information of goods and services to the public. Through appeals and notices, public is made alert. Media give news, views and analysis about almost every sphere of human life. Thus its role is significant in nation building.
राष्ट्र निर्माण में प्रेस या मीडिया की भूमिका
राष्ट्र निर्माण में प्रेस या मीडिया की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। यह कहा जाता है कि प्रेस/मीडिया लोकतन्त्र का चौथा स्तम्भ है। यह स्वतन्त्रता का प्रहरी है। प्रेस/मीडिया सरकारों की लोक कल्याणकारी योजनाएँ प्रकाशित करता है। जो कोई इनके मानदण्ड पूरे करता है इनका लाभ उठा सकता है। मीडिया, सरकारी घोषणाओं को प्रकाशित करता है। लोग, सरकार द्वारा की गई व्यवस्थाओं से परिचित होते हैं। यदि लोगों को कोई कार्य करने को कहा गया है तो वे करते हैं। मीडिया विभिन्न प्रकार की सूचनाएँ लोगों तक पहुँचाता है
जैसे राजनीति, खेल, आर्थिक, रोजगार सम्बन्धी, आध्यात्मिक, युद्ध-सम्बन्धी, आतंकवाद सम्बन्धी, स्वास्थ्य, शिक्षा, विकास, मनोरंजन, कला आदि सम्बन्धी। मीडिया जाति, रंग, लिंग, क्षेत्र, धर्म, राजनीति, प्रजाति आदि सम्बन्धी अन्याय की सूचना प्रकाशित करता है। मानवाधिकार आयोग उनका प्रसंज्ञान लेते हैं तथा उचित कार्यवाही करते हैं। मीडिया, शाब्दिक व चित्रात्मक विज्ञापनों के माध्यम से वस्तुओं व सेवाओं की सूचना जनता तक पहुँचाते हैं। अपील व नोटिस के द्वारा जनता जागरूक की जाती है। मीडिया, मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र के बारे में समाचार, विचार तथा विश्लेषण प्रस्तुत करता है। अतः राष्ट्र निर्माण में इसकी भूमिका महत्त्वपूर्ण है।