Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 English Literature Essay Writing Argumentative Essays Exercise Questions and Answers.
The questions presented in the RBSE Solutions for Class 12 English are solved in a detailed manner. Get the accurate RBSE Solutions for Class 12 all subjects will help students to have a deeper understanding of the concepts. Our team has come up with job letter class 12 to ensure that students have basic grammatical knowledge.
What is an Essay?
(निबन्ध क्या है?)
An essay is a piece of structured writing on a particular subject. It gives the author's own argument. It has overlapping with an article, a pamphlet, a short story etc. It is usually in prose and generally analytical, speculative or interpretative. The word essay' derives from the Latin word “exagium' meaning the presentation of a case’.
एक निबन्ध एक विशेष विषय पर एक संरचित रचना होता है। यह लेखक के स्वयं के तर्क प्रस्तुत करता है। यह एक लेख, एक पैम्फॅलैट, एक लघु कहानी आदि से मिलता-जुलता है। यह गद्य में होता है तथा प्रायः विश्लेषणात्मक, चिन्तनशील तथा व्याख्यात्मक होता है। शब्द essay लैटिन भाषा के शब्द exagium से उत्पन्न है जिसका अर्थ है 'एक विषय का प्रस्तुतीकरण'।
Types of Essay
Essays have traditionally been sub-classified as 'Formal' and 'Informal' essays. 'Formal essays are characterized by 'serious purpose, dignity, logical organisation, length' etc. 'Informal' essays are characterized by the personal element (self-revelation, individual taste, experiences, confidential manner), humour, graceful style, rambling structure, unconventionality, novelty of theme' etc.
निबन्ध, परम्परागत रूप से 'औपचारिक' व अनौपचारिक निबन्ध में वर्गीकृत किया जाता है । औपचारिक निबन्ध 'गम्भीर विषय, महत्ता, तर्कपूर्ण संगठन, लम्बाई' आदि विशेषता लिये होते हैं। अनौपचारिक निबन्ध 'व्यक्तिगत तत्त्व (स्व-प्रकटीकरण, व्यक्तिगत पसंद व अनुभव, आत्मविश्वासी तरीका), हास्य, उच्च शैली, असंबद्ध स्वरूप, अपरम्परागतता, विषय की नवीनता' आदि विषय लिये होते हैं।
Types of Essays in your Syllabus
1. Argumentative Essays (तार्किक निबन्ध)-तार्किक निबन्ध, लेखन की वह विधा है जिसमें विद्यार्थी को एक topic (विषय) को investigate (जांचना) करना होता है। प्रमाण प्रस्तुत कर उनका मूल्यांकन करना होता है। विषय को संक्षिप्त में प्रस्तुत कर एक स्थिति प्रकट करनी होती है। निबन्ध के शीर्षक के पक्ष में तर्क देते हुए उसे सही सिद्ध करना होता है तथा इसके विपक्ष का खण्डन किया जाता है।
2. Discursive Essays (असंबद्ध निबन्ध)-असंबद्ध निबन्ध में विविध प्रकार के विषय सम्मिलित किये जाते हैं। ये निबन्ध अधिक औपचारिक व अवैयक्तिक होते हैं। इसमें आरम्भिक पैरॅग्राफ में शीर्षक का परिचय दिया जाता है। प्रत्येक मुद्दे/बिन्दु की अलग-अलग पैऍग्राफ में चर्चा करें।
प्रत्येक पैरेंग्राफ का प्रथम वाक्य उस पैरॅग्राफ में चर्चा की जाने वाले मुद्दे/बिन्दु से आरम्भ होना चाहिए। Counterpoint (पूरक बिन्दु) वाले पैरॅग्राफ भी साथ-साथ देवें। इसमें प्रायः Transitional Wording (अवस्था अन्तर शब्द) का प्रयोग किया जाता है जो अगले पैरॅग्राफ से इसे जोड़ते हैं। निष्कर्ष में लेखक या तो अपने विचार हल्के रूप में प्रस्तुत करता है या पाठकों पर निष्कर्ष निकालने को छोड़ देता है।
3. Reflective Essays (चिन्तनशील निबन्ध)-चिन्तनशील निबन्ध के विषय को लेखक अपने अनुभवों, अध्ययनों, ज्ञान, जानकारी, अवलोकन, निरीक्षण, परीक्षण आदि के आधार पर examine (जाँच) व explore (अन्वेषण) करता है, पर अपने विचार प्रकट करता है।
4. Descriptive Essays (वर्णनात्मक निबन्ध)-इसके अन्तर्गत, लेखक किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, घटना, कार्यक्रम, भाव, अनुभव, प्रक्रिया, परम्परा, उत्सव, भू-भाग, भवन, स्मृति आदि का वर्णन करता है।
Tips for Writing a Good Essay
(एक अच्छे निबन्ध लेखन के लिए परामर्श)
1. Title (शीर्षक)
(a) पृष्ठ के बीचों-बीच समाचार-पत्रों की News Headline के जैसे लिख सकते हैं, जैसे
Importance of games and sports
(b) पृष्ठ के बीचों-बीच संज्ञा, विशेषण, क्रिया, क्रिया-विशेषण शब्दों के प्रथम अक्षर को Capital में लिखकर भी लिखा जा सकता है, जैसे
Importance of Games and Sports
2. Attractive Introduction (आकर्षक प्रस्तावना/आरम्भ)
(a) आरम्भिक पैरेंग्राफ का प्रथम या द्वितीय वाक्य, जहाँ तक सम्भव हो निबन्ध के शीर्षक को बताने वाला हो।
(b) निबन्ध का आरम्भ, जहाँ तक सम्भव हो, एक मुहावरे, एक लोकोक्ति, एक कविता की कुछ पंक्तियों, एक प्रसिद्ध व्यक्ति के कथन, प्रश्न खड़े करके, तथ्य प्रस्तुत करके आदि के द्वारा किया जाना चाहिए।
(c) निबन्ध में चर्चा में आने वाले बिन्दुओं का संकेत प्रस्तावना वाले पैरॅग्राफ में ही मिल जाना चाहिए।
3. Logical Development (तार्किक विकास)
(a) तथ्यों, आँकड़ों, तुलनाओं, अन्य पुस्तकों के उदाहरणों, प्रमाणों आदि के माध्यम से निबन्ध को विकसित करें।
(b) समस्यात्मक निबन्ध में समस्या की वर्तमान स्थिति, इसके कारण व इसके समाधान के सुझाव के माध्यम से निबन्ध विकसित करें।
(c) निबन्ध के विवेचन में पूर्वाग्रहरहित रहें, विश्लेषणात्मक रहें, स्पष्ट रहें तथा वास्तविक रहें।
4. Gripping Conclusion (दिलचस्प निष्कर्ष)
(a) निबन्ध में चर्चा में आये बिन्दुओं का सारांश देकर निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं।
(b) एक चेतावनी देकर, पद्य या गद्य की कुछ पंक्तियों को उद्धृत करके, एक मुहावरा या लोकोक्ति देकर निष्कर्ष पर पहुँचा जा सकता है।
5. Relevance (संगतता)
निबन्ध की विषय-वस्तु, निबन्ध के शीर्षक के अनुरूप ही होनी चाहिए। शीर्षक से जरा-सा भटकाव भी निबन्ध को कमजोर करता है।
6. Structure (संरचना/स्वरूप) ।
(a) अपने निबन्ध को पैरॅग्राफ में विभक्त करें।
(b) प्रत्येक पैरॅग्राफ में एक ही विचार होने चाहिए।
(c) आरम्भ से अन्त तक अपने विचार तार्किक क्रम में रखें।
(d) विभिन्न प्रकार के वाक्यों का प्रयोग करें, जैसे -
Simple, Complex, Compound, Active Voice, Passive Voice, Direct Speech, Indirect Speech, Various Sentence Patterns आदि।
(e) शब्दों का चयन विषय/शीर्षक के अनुरूप करें।
(f) आम बोलचाल की भाषा से बचें।
(g) व्याकरण, विराम-चिह्नों, वर्तनी आदि की त्रुटियाँ न करें।
(h) एक ही शब्द को बार-बार न लिखें, पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग करें।
(i) शब्द-सीमा का अवश्य ध्यान रखें।
7. Unity of Thoughts (विचारों की एकता)
विचारों को एक माला के जैसे पिरो कर रखें। विचारों में आपस में एक-दूसरे से तारतम्य हो।
8. Balanced (सन्तुलित)-निबन्ध के प्रत्येक पैरॅग्राफ में शब्दों की संख्या, जहाँ तक सम्भव हो, समान रखें, जैसे-200 शब्द के निबन्ध में हम 50-50 शब्द के चार पैरॅग्राफ बना सकते हैं, जिसमें प्रथम पैरॅग्राफ 'प्रस्तावना' का हो जायेगा, दूसरा व तीसरा पैरॅग्राफ, निबन्ध के शीर्षक का विवेचन करेंगे तथा चौथा पैरॅग्राफ, निबन्ध का निष्कर्ष होगा।
Argumentative Essays :
1. My Plan for My Career
Isn't every student conscious about her or his career? Of course, she or he is. Doesn't she or he has a plan for her or his career? Of course, she or he has. So do I have a plan for my career. Before plan I judged my I.Q., aptitude, circumstances, etc. I planned to become a school lecturer in English.
At present I am in 10th class. I shall opt for ‘Arts Stream' in 11th class. In 11th class I shall opt for English Literature, Public Administration and Sociology. I have interest in these. In 12th class I'll take coaching in these and obtain best marks.
I'll take admission in one of the best college. I'll opt for English Honours and Public Administration. I'll take individual lectures in English Honours. I'll try to be Gold Medalist. In Post Graduation, I'll be in the Rajasthan University. I'll try to be a Gold Medalist. Then I'll do B.Ed. and appear for the recruitment test by RPSC. I'll take coaching for the preparation of the competitive examination. I'll ensure my success. Thus my plan for my career will be successful.
मेरे करिअर के लिए मेरी योजना
क्या प्रत्येक विद्यार्थी अपने करिअर के लिए सचेत नहीं है? निसंदेह, वह है। क्या उसकी उसके करिअर के लिए कोई योजना नहीं है? निसंदेह, है। इस ही प्रकार मेरे करिअर के लिए मेरी योजना है। योजना से पूर्व मैंने अपनी होशियारी के स्तर, अभिरुचि, परिस्थितियों आदि को जाँचा। मैंने अंग्रेजी का विद्यालय व्याख्याता बनने की योजना बनाई। अभी मैं 10th क्लास में हूँ। मैं 11वीं कक्षा में कला वर्ग को चुनूँगां/चुनूँगी। मैं 11वीं कक्षा में अंग्रेजी साहित्य, लोक प्रशासन तथा समाजशास्त्र को चुनूँगी/चुनूँगा। मुझे इनमें रुचि है। 12वीं कक्षा में मैं कोचिंग लूँगी/लूँगा तथा श्रेष्ठ अंक प्राप्त करूँगी/करूँगा।
मैं श्रेष्ठ कॉलिज में प्रवेश लँगी/लूँगा। मैं अंग्रेजी ऑनर्स तथा लोक प्रशासन लँगी/लँगा। मैं अंग्रेजी ऑनर्स में व्यक्तिगत ट्यूशन लूँगी/लूंगा। मैं गोल्ड मेडलिस्ट बनने का प्रयास करूँगी/करूँगा। अधिस्नातक, मैं राजस्थान विश्वविद्यालय से करूँगी/करूँगा। मैं गोल्ड मेडलिस्ट होने का प्रयास करूँगी/करूँगा। फिर मैं, B.Ed. करूँगी/करूँगा तथा RPSC द्वारा आयोजित भर्ती परीक्षा में भाग लँगी/लूंगा। मैं प्रतियोगी परीक्षा के लिए कोचिंग करूँगी/करूँगा। मैं अपनी सफलता सुनिश्चित करूँगी/करूँगा। इस प्रकार मेरे करिअर की मेरी योजना सफल रहेगी।
2. Digital India : Need of the Hour
Digital India is an idea of high speed ‘Digital Highways' to unite the nation. The aim is to reach the remotest areas of the nation through high speed internet networks to access any information needed. This initiative was started on 1 July, 2015 by the Govt. of India. Everyone in India should have a smart phone with internet connection.
All the Government departments have started providing their services online. With the help of a smart phone with internet connection a citizen can apply online for providing the required service. For paying the fee of the service, she or he should have facility of mobile net banking. All the bills can be paid by mobile net banking. Results of examinations are available there.
All the private business concerns are providing their goods and services online. People have started shopping online. Private service providers are prompt. People are getting things at cheap rates. Digital literacy is also increasing. Paperless work is going on. It will improve environment too. Thus, digital India is the need of the hour. We are connected nationally and internationally. It curbs corruption. It saves time. People have scientific temper. They become technology oriented.
डिजिटल इण्डिया : आज की आवश्यकता
डिजिटल इण्डिया हाइ स्पीड 'डिजिटल हाइवे' का एक विचार है ताकि राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधा जा सके। इसका उद्देश्य हाई स्पीड इंटरनेट के माध्यम से राष्ट्र के दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुँचने का है ताकि आवश्यक सूचना तक पहुँच हो सके। इस कार्य को 1 जुलाई, 2015 को भारत सरकार द्वारा आरम्भ किया गया था। भारत में प्रत्येक के पास इंटरनेट कनेक्शन वाला एक स्मार्ट फोन होना चाहिए।
सभी सरकारी विभागों ने अपनी सेवाएँ ऑनलाइन देना आरम्भ कर दिया है। इन्टरनेट कनेक्शन वाले स्मार्ट फोन द्वारा एक नागरिक आवश्यक सेवा के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकता है। उस सेवा का शुल्क देने के लिए उसके पास मोबाइल नेट बैंकिंग की सुविधा होनी चाहिए। सभी बिलों का भुगतान मोबाइल नेट बैंकिंग द्वारा किया जा सकता है। परीक्षाओं के परिणाम भी मोबाइल पर उपलब्ध हैं।
सभी प्राइवेट व्यापारिक प्रतिष्ठान अपने उत्पाद व सेवाएँ ऑनलाइन उपलब्ध करा रहे हैं। लोगों ने ऑनलाइन शॉपिंग आरम्भ कर दी है। प्राइवेट सर्विस देने वाले तेज-तर्रार हैं। लोगों को सस्ते दामों पर चीजें मिल रही हैं। डिजिटल साक्षरता भी बढ़ रही है। कागज-रहित कार्य आगे बढ़ रहा है। यह पर्यावरण को भी शुद्ध करेगा। इस प्रकार, डिजिटल इण्डिया आज की आवश्यकता है। हम राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर से जुड़े रहते हैं। इससे भ्रष्टाचार भी कम होता है। इससे समय बचता है। लोगों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित होता है। वे तकनीक उन्मुख होते हैं।
3. Make in India : A Necessity
'Make in India' is an initiative launched by the Govt. of India. It encourages multinational and national companies to manufacture their products in India. It was launched by the P.M. Narendra Modi on 25 Sept., 2014. Consequently India emerged as the top destination globally for FDI (Foreign Direct Investment) in 2015 with US $ 63 billion.
Demand for electronic hardware is expected to rise. India has the potential to become an electronic manufacturing hub. India has permitted 100% FDI in 25 sectors including automobiles, aviation, electronics, electrical, IT, mining, railways, textile, tourism etc. 74% FDI for space, 49% for defence, 26% for news media haye been permitted.
The initiative aims to raise the contribution of the manufacturing sector in GDP. The govt. is introducing several reforms for business environment. Govt. is developing infrastructure. Industrial corridors are being developed. Smart cities are being made. Latest technology and high speed communication are being used. Thus, Make in India is a necessity. India will become a super power of the world.
भारत में निर्माण : एक आवश्यकता
'भारत में निर्माण' भारत सरकार द्वारा आरम्भ किया गया एक कार्यक्रम है। यह बहुराष्ट्रीय व राष्ट्रीय कम्पनियों को अपने उत्पाद भारत में ही निर्मित करने को प्रोत्साहित करता है। इसे प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सितम्बर, 2014 को आरम्भ किया गया था। परिणामस्वरूप विश्व में भारत 2015 में FDI प्राप्त करने में यू.एस. डॉलर 63 बिलियन के साथ प्रथम रहा। ऐसी आशा है कि इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेअर की माँग काफी बढ़ जायेगी। भारत इलेक्ट्रॉनिक निर्माण केन्द्र बन जाने की सामर्थ्य रखता है। भारत ने वाहन निर्माण, वायुयान निर्माण, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रीकल, आई.टी., खदान, रेल्वे, वस्त्र उद्योग, पर्यटन आदि सहित 25 क्षेत्रों में 100% FDI की अनुमति दे दी है। अन्तरिक्ष के क्षेत्र में 74%, रक्षा के क्षेत्र में 49% तथा समाचार मीडिया के क्षेत्र में 26% FDI की अनुमति दी है।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य GDP में निर्माण क्षेत्र के योगदान को बढ़ाना है। सरकार भी व्यापार पर्यावरण तैयार करने के लिए अनेक सुधार कर रही है। सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर (आधारभूत संरचना) विकसित कर रही है। औद्योगिक कॉरिडोर्स बनाए जा रहे हैं। स्मार्ट शहर बनाये जा रहे हैं। अद्यतन तकनीक व उच्च गति की संचार सुविधाएँ प्रयोग की जा रही हैं। अतः भारत में निर्माण एक आवश्यकता है। भारत विश्व की एक महाशक्ति बन जायेगा।
4. Advertisements : Information Or Manipulation
An advertisement is a notice or an announcement in a public medium to promote a product, a service, an event, a job vacancy etc. This is the age of advertisements. Print, electronic and social media show a huge number of ads daily. Cities have a large number of advertisements on sign-boards and walls. Ads are both information and manipulation.
Ads convey information about the product and the service to the consumers. Through educational ads, the concerned know about the courses, fees, duration, placement etc. Hospital ads inform us about the health facilities and the charges. Product ads apprise us of the latest product, its features and price. Service ads inform about service providers and their charges.
Ads have manipulations too. Only the strong points are advertised and not the weak points. Film stars, sportstars, prominent personalities are paid for advertisements. Even children are engaged for ads. Sometime animals and birds are made to play role. Ads are made as per the target group. Thus, ads are both information and manipulation. Nowadays there are more manipulation than the information.
विज्ञापन : सूचना या जोड़-तोड़ें
एक विज्ञापन, जनसंचार के माध्यम से एक उत्पाद, सेवा, एक कार्यक्रम, एक रिक्त पद की सूचना आदि का एक नोटिस या एक घोषणा है। यह विज्ञापन का युग है। प्रिन्ट, इलेक्ट्रॉनिक तथा सोशल मीडिया प्रतिदिन बड़ी संख्या में विज्ञापन दिखाते हैं। शहर में साइनबोर्डों व दीवारों पर बड़ी संख्या में विज्ञापन होते हैं। विज्ञापन में सूचना व जोड़-तोड़ दोनों हैं।
विज्ञापन, उपभोक्ताओं को उत्पाद व सेवा के बारे में सूचना देते हैं। शैक्षणिक विज्ञापनों द्वारा सम्बन्धित लोगों को पाठ्यक्रमों, शुल्क, अवधि, पदस्थापना आदि के बारे में जानकारी होती है। हॉस्पिटल विज्ञापन हमें स्वास्थ्य सुविधाओं तथा शुल्क के बारे में सूचित करते हैं। उत्पाद विज्ञापन हमें अद्यतन उत्पाद, इसकी विशेषताओं व कीमत के बारे में बताते हैं ।
सेवा विज्ञापन सेवा प्रदाताओं व उनके शुल्क के बारे में सूचित करते विज्ञापनों में जोड़-तोड़ भी किया जाता है। केवल विशेषताएँ बताई जाती हैं न कि कमियाँ। फिल्म स्टार, खिलाड़ियों, प्रसिद्ध हस्तियों को विज्ञापनों के लिए भुगतान किया जाता है। यहाँ तक कि बच्चों को भी विज्ञापनों में सम्मिलित किया जाता है। कभी-कभी जानवर या पक्षी को भी सम्मिलित किया जाता है। विज्ञापन, सम्भावित उपभोक्ता समूह के लिए बनाया जाता है। अतः विज्ञापन, सूचना व जोड़-तोड़ दोनों ही है। आजकल इनमें जोड़-तोड़ ज्यादा व सूचना कम होती है। .
5. Sensitivity to Specially Abled
A specially abled person is she or he who has different capabilities to the average person. People, society and government should exhibit sensitivity to them. There were 2.68 crore specially abled people in 2011 in India. People should behave normally with the specially abled persons. They should pay respect to them. They should consider their requests. They should take care of their feelings. They should help them in need.
Society should include them in itself. Society should make use of their ability. Society should give love to them. Government should make special provisions for specially abled persons. In February, 2014 Govt. tabled a bill in Rajya Sabha. There is provision for 3% of reservation in govt. jobs for them. Free education upto the age of 18 years is imparted to them. Ramps have been built for their smooth access to govt. offices. Games and sports are held for them at national and international levels.
Devendra Jhanjhadia, Rajasthani para-olympian; Sudha Chandran, Bharatnatyam dancer; Stephen Hawking, Physicist; Einstein, the great scientist are the examples of specially abled.
दिव्यांगों के प्रति संवेदनशीलता
विशेष योग्य जन वह व्यक्ति है जो एक सामान्य व्यक्ति से भिन्न योग्यताएँ रखता है। लोगों, समाज व सरकार को उनके प्रति संवेदनशीलता प्रदर्शित करनी चाहिए। भारत में 2011 में 2.68 करोड़ लोग दिव्यांग थे। लोगों को दिव्यांगों के साथ सामान्य रूप से व्यवहार करना चाहिए। उन्हें उनको सम्मान देना चाहिए। उन्हें उनके निवेदन को मानना चाहिए। उन्हें उनकी भावनाओं का आदर करना चाहिए। उन्हें आवश्यकता पड़ने पर उनकी सहायता करनी चाहिए।
समाज को उनको अपने में सम्मिलित रखना चाहिए। समाज को उनकी योग्यता का लाभ लेना चाहिए। समाज को उनको प्रेम देना चाहिए। सरकार को दिव्यांगों के लिए विशेष व्यवस्थाएँ करनी चाहिए। फरवरी 2014 में एक बिल राज्यसभा में रखा गया था। उनके लिए सरकारी नौकरियों में 3% आरक्षण है। उन्हें 18 वर्ष की आयु तक निःशुल्क शिक्षा दी जाती है। सरकारी कार्यालयों में सुगम आवागमन के लिए रैम्प बनाये गये हैं। उनके लिए राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल प्रतियोगिताएँ आयोजित होती हैं। देवेन्द्र झाझड़िया, राजस्थानी पैरा-ओलिम्पिअन; सुधाचन्द्रन, भरतनाट्यम नर्तकी; स्टीफन हॉकिंग, भौतिक विज्ञानी; आइन्सटीन, महान वैज्ञानिक दिव्यांगों के उदाहरण हैं।
6. Recycling : A Requirement
Recycling is to treat or process used or waste materials so as to make suitable for reuse. There is a requirement of recycling nowadays. Today there are different types of used, old and waste materials. They can be recycled for reuse. Iron is an important metal these days. Old vehicles, machinery, things of iron can be made iron scrap and then can be melted to get fresh iron. It will reduce the demand of iron raw material. It will save resources.
Paper has been in much demand. A large number of trees are chopped to meet the demand of paper. It leads to deforestation. The environment is affected badly. Recycling of old papers will not only generate jobs but also reduce the hacking of trees which will improve our environment and ecology.
Plastic waste is more harmful. It doesn't decompose early. It makes harmful gases too. Govts. have banned plastic carry bags. Its recycling will help reducing global warming and climate change. Dirty water can be recycled. Problem of paucity of water in cities can be resolved to a great extent. There is problem of garbage disposal in cities. Electricity can be generated with it. And bricks are being made with its ash. Thus recycling converts waste into wealth.
पुनःचक्रण : एक आवश्यकता पुनःचक्रण, प्रयोग किए हुए या अपशिष्ट का संसाधित करना या प्रक्रम करना है ताकि अपशिष्ट को पुनः प्रयोग के काबिल बना सकें। आजकल, पुनःचक्रण की सख्त आवश्यकता है। आज, अनेक प्रकार के प्रयोग किये हुए, पुराने तथा अपशिष्ट पदार्थ हैं। इन्हें पुनः प्रयोग के लिए पुनः चक्रित किया जा सकता है।
आज, लोहा एक महत्त्वपूर्ण धातु है। लोहे के पुराने वाहन, मशीनरी, वस्तुओं को चूरे में बदल कर, उन्हें गलाकर, पुनः लोहा बनाया जा सकता है। इससे कच्चे लोहे की माँग कम होगी। इससे प्राकृतिक संसाधन की बचत होगी।
कागज की सदा से अत्यधिक माँग रही है। कागज की माँग की पूर्ति के लिए बड़ी संख्या में वृक्ष काटे जाते हैं। इससे वनोन्मूलन होता है। पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है। पुनःचक्रण न केवल रोजगार सृजित करेगा वरन वृक्षों की कटाई में भी कमी करेगा जिससे हमारा पर्यावरण व पारिस्थितिकीय सुधरेगा।
प्लास्टिक अपशिष्ट अधिक नुकसानदेह है। यह जल्दी से गलता नहीं है। इससे हानिकारक गैसें निकलती हैं । सरकारों ने प्लास्टिक कैरी बैग्स के प्रयोग पर रोक लगा दी है। इसके पुनःचक्रण से वैश्विक ताप तथा जलवायु परिवर्तन को कम किया जा सकेगा।
गंदे पानी को पुन:चक्रित किया जा सकता है। शहरों में पानी की कमी की समस्या को काफी हद तक हल किया जा सकता है।
शहरों में कचरे के निस्तारण की समस्या भी है। इससे विद्युत उत्पादित की जा सकती है। और इसकी राख से ईंटें बनाई जा रही हैं। अतः पुनःचक्रण अपशिष्ट को सम्पदा में परिवर्तित कर देता है।
7. Water Management :
A Compulsion It is said that the third world war will be fought for water. Therefore, management of water is compulsory for us. Rain water harvesting is the first step for water management. There are johads (low land for rain water collection) in every village but passages to carry rain water to johads aren't much smooth. So, these should be made smooth.
Inter-linking of rivers is another step for water management. The flooded rivers should be linked with the rivers of dry areas. Network of canals is yet another step for water management. Rain water and collected water can be transmitted to any part of the country Recycling of grey water (kitchen, lat. and bath) is an important step for water management.
Multiple use of water is also important. The water used for bathing can next be used for washing clothes and then for irrigating the home garden. To plug the leakages, to observe economy in the use of water, to have water storage system are also useful for water management. Thus, water management is a compulsion nowadays.
जल प्रबन्धन : एक अनिवार्यता
यह कहा जाता है कि तीसरा विश्व युद्ध पानी के लिए लड़ा जायेगा। इसलिए जल प्रबन्धन हमारे लिए अनिवार्य है। वर्षा जल संग्रहण जल प्रबन्धन की दिशा में पहला कदम है। जोहड (वर्षा जल संग्रहण हेतु नीची भूमि) प्रत्येक गाँव में है किन्तु जोहड तक वर्षा जल ले जाने वाले मार्ग सुगम नहीं है। अतः इन्हें सुगम बनाने की आवश्यकता है।
नदियों को आपस में जोड़ना जल प्रबन्धन के लिए एक और कदम है। बाढ़ वाली नदियों को शुष्क क्षेत्र वाली नदियों से जोड़ना चाहिए। नहरों का जाल जल प्रबन्धन का एक और कदम है। वर्षा जल तथा संग्रहित जल देश के किसी भी भाग में पहुँचाया जा सकता है। ग्रे जल (रसोई, लैट. व स्नानाघर जल) का पुनःचक्रण भी जल प्रबन्धन का एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
जल का बहु-उपयोग भी महत्त्वपूर्ण है। स्नान के लिए प्रयोग किये गये जल को वस्त्र धोने में प्रयोग कर सकते हैं तथा फिर घर के बगीचे में सिंचाई के लिए प्रयोग कर सकते हैं। रिसावों को बन्द करके, जल के उपयोग में मितव्ययता करके, जल-संग्रहण प्रणाली की व्यवस्था करके भी जल प्रबन्धन के लाभ को समझा जा सकता है। अत: जल प्रबन्धन आजकल अनिवार्य हो चुका है।
8. Disaster Management
Disaster refers to mishap, calamity or the grave occurrence from the natural or man made reasons which can't be stopped or tackled immediately by the affected community. Earthquakes, cyclones, droughts, floods etc. are some of the natural disasters resulting into the huge loss of lives and properties
Disaster Management is a well-planned strategy for making efforts to reduce the hazards caused by the disasters. Disaster management though doesn't avert or eliminate the threats, it focuses on making plans to decrease the effect of disasters. In India, National Disaster management Authority (NDMA) has been set up to coordinate responses across the country.
NDMA runs various programmes such as national cyclone risk management project, school safety project, decision support system etc. society must cooperate with govt. efforts to deal with disasters.
To handle the situation efficiently, we need to be well equipped with latest technologies. There should be proper disaster management team which can take charge quickly when the disaster strikes.
आपदा प्रबन्धन
आपदा का सम्बन्ध एक दुर्घटना, विपत्ति या गम्भीर हादसे से है जो प्राकृतिक या मानवीय कारणों से घटित होता है तथा जिसे प्रभावित समुदाय द्वारा तत्काल रोका या नियन्त्रित नहीं किया जा सकता है। भूकम्प, चक्रवात, सूखा, बाढ़ आदि कुछ प्राकृतिक आपदाएँ हैं जो जीवन तथा सम्पदा का बड़ा नुकसान कर देती हैं।
आपदा प्रबन्धन आपदा जनित नुकसान को कम करने का प्रयास करने के लिए बनाई गई एक अच्छी योजना है। आपदा प्रबन्धन, यद्यपि आपदा से न तो बचाती है और न आपदा को खत्म करती है फिर भी यह आपदाओं के प्रभावों को कम करने पर ध्यान केन्द्रित करती है। भारत में राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन अथॉरिटी की स्थापना की गई है ताकि सम्पूर्ण देश से सहायता को समन्वित किया जा सके। NDMA अनेक कार्यक्रम चलाती है जैसे राष्ट्रीय चक्रवात रिस्क प्रबन्धन प्रोजेक्ट, स्कूल सुरक्षा परियोजना, निर्णयन सहायता प्रणाली आदि । समाज को भी आपदा प्रबन्धन के सरकारी प्रयासों में सहयोग देना चाहिए। परिस्थिति से कुशलता से निपटने के लिए हमें अद्यतन तकनीकों का उपयोग करना चाहिए। एक अच्छी आपदा प्रबन्धन टीम होनी चाहिए जो आपदा के समय तेजी से निपटने के कार्यों में लग जाए।
9. Save Electricity
Saving of electricity is congrual to its generation. Nowadays most of the human activities need electricity for their completion. Industries, offices, homes, streets, roads, railways etc. need electricity. The demand of electricity is rising day-by-day. The generation of electricity isn't in accordance to its demand. Therefore, there is an urgent need to save electricity.
We can save electricity using the following ways. We should use energy efficient lighting fixtures such as L.E.D. bulbs. Turn off the lights of the room when there is no need. Keep building ventilated and airy. Use bright paints on the walls. Use electric appliances as per the instructions. Physical fitness reduces the consumption of cool air from AC, fan etc. and heat from the heater etc.
Wastage of electricity is often seen. In offices, we can see fans and lights are on without any person inside. Sometimes street lights or road lights remain on during the day time too. The theft of electricity is also a wastage. The loss of electricity in its transmission is also wastage. Thus, we should save electricity wherever we can save it
बिजली की बचत
बिजली की बचत, बिजली के उत्पादन के समान है। आजकल अधिकतर मानवीय गतिविधियों की पूर्णता के लिए बिजली की आवश्यकता होती है । उद्योगों, कार्यालयों, घरों, गलियों, सड़कों, रेलगाड़ियों आदि के लिए बिजली चाहिए। बिजली की माँग दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। बिजली का उत्पादन उसकी माँग के अनुरूप नहीं है। इसीलिए बिजली की बचत एक तत्काल आवश्यकता है। हम निम्न तरीकों का प्रयोग कर बिजली बचा सकते हैं। हमें ऊर्जा की बचत करने वाले विद्युत उपकरणों का उपयोग करना चाहिए जैसे कि L.E.D. बल्ब ।
कक्ष की बत्ती बंद रखनी चाहिए जब इसका उपयोग न हो रहा हो। भवन में सूर्य के प्रकाश व वायु की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। घरेलू विद्युत उपकरणों का प्रयोग निर्देश के अनुसार करें। शारीरिक तंदुरुस्ती ए.सी., पंखे आदि की ठण्डी हवा तथा हीटर के ताप के उपभोग को कम कर देती विद्युत की बर्बादी अक्सर देखी जाती है। कार्यालयों में, लाइट व बल्ब, किसी व्यक्ति के अन्दर हुए बिना भी चलते रहते हैं। कभी-कभी गली या सड़क की लाइट दिन में भी जलती रहती है। बिजली चोरी भी इसकी एक बर्बादी है। बिजली प्रसारण में बिजली का नष्ट होना भी इसकी बर्बादी है। इस प्रकार, हमें विद्युत की बचत करनी चाहिए जहाँ-जहाँ भी हम ऐसा कर सकते हैं।