Rajasthan Board RBSE Class 12 Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर Important Questions and Answers.
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बहुविकल्पीय प्रश्न:
प्रश्न 1.
तनु अम्ल की उपस्थिति में आइसोप्रोपिल ऐल्कोहॉल वायु-ऑक्सीकृत होकर देता है
(a) C6H5COOH
(b) C6H3COCH3
(c) C6H5CHO
(d) C6H5OH
उत्तर:
(d) C6H5OH
प्रश्न 2.
फीनॉल पहले सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल से क्रिया करता है, फिर सान्द्र नाइट्रिक अम्ल से क्रिया करके देता है:
(a) p-नाइट्रोफीनॉल
(b) नाइट्रोबेंजीन
(c) 2,4,6-ट्राइनाइट्रोबेंजीन
(d) o-नाइट्रोफीनॉल
उत्तर:
(b) नाइट्रोबेंजीन
प्रश्न 3.
सान्द्र H2SO4 की उपस्थिति में फीनॉल को थैलिक ऐनहाइड्राइड के साथ गर्म करने पर बनता है
(a) थैलिक अम्ल
(b) फीनोन
(c) क्वीनोन
(d) फिनॉल्पथेलीन
उत्तर:
(a) थैलिक अम्ल
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में पिक्रिक अम्ल है
(a) σ - हाइड्रॉक्सी बेन्जोइक अम्ल
(b) m-नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल
(c) 2,4,6-ट्राइनाइट्रो फीनॉल
(d) 0, ऐमीनो बेन्जोइक अम्ल
उत्तर:
(d) 0, ऐमीनो बेन्जोइक अम्ल
प्रश्न 5.
ग्लूकोस को एथिल ऐल्कोहॉल में परिवर्तित करने के लिए प्रयुक्त एन्जाइम है
(a) इनवटेंस
(b) जाइमेस
(c) डायस्टेस
(d) ये सभी
उत्तर:
(c) डायस्टेस
प्रश्न 6.
आयोडोफॉर्म परीक्षण देने वाला यौगिक है:
(a) CH3CH2COCH2CH3
(b) (CH3)2CHOH
(c) CH3CH2COC6H5
(d) CH3CH2CH2OH
उत्तर:
(b) (CH3)2CHOH
प्रश्न 7.
ल्यूकास अभिकर्मक का प्रयोग मोनोहाइड्रिक ऐल्कोहॉल के विभेद में किया जाता है
(a) प्राथमिक
(b) द्वितीयक
(c) तृतीयक
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी
प्रश्न 8.
फीनॉल का 0.20% विलयन निम्न में से किस रूप में कार्य करता है?.
(a) ऐन्टीसेप्टिक
(b) प्रतिऑक्सीकारक
(c) ज्वरनाशक
(d) ऐन्टीबायोटिक
उत्तर:
(b) प्रतिऑक्सीकारक
प्रश्न 9.
जब ऐल्किल हैलाइड को शुष्क Ag2O के साथ गर्म करते हैं, तब यह बनाता है
(a) एस्टर
(b) ईथर
(c) कीटोन
(d) ऐल्कोहॉल
उत्तर:
(a) एस्टर
प्रश्न 10.
क्लोरोबेन्जीन की क्रिया क्यूप्रस ऑक्साइड की उपस्थिति में अमोनिया से कराने पर. प्राप्त होता है
(a) फीनॉल
(b) एनिलीन
(c) बेन्जीन
(d) बेन्जोइक अम्ल
उत्तर:
(c) बेन्जीन
प्रश्न 11.
का सामान्य एवं IUPAC नाम क्या है?
(a) क्रमशः डाइमेथिल ईथर व मेथॉक्सी मेथेन
(b) क्रमशः डाइमेथिल ईथर व मेथॉक्सी एथेन
(c) क्रमशः डाइएथिल ईथर व मेथॉक्सी मेथेन
(d) क्रमश: डाइएथिल ईथर व मेथॉक्सी एथेन
उत्तर:
(c) क्रमशः डाइएथिल ईथर व मेथॉक्सी मेथेन
प्रश्न 12.
ऐल्केनॉल समजात श्रेणी को प्रदर्शित करने वाला सामान्य सूत्र है:
(a) CnH2n+2O
(b) CnH2nO2
(c) CnH2nO
(d) CnH2n+10
उत्तर:
(a) CnH2n+2O
प्रश्न 13.
का सही आई.यू.पी.ए.सी. नाम है।
(a) tert-ब्यूटिल ऐल्कोहॉल
(b) 2,2-डाइमेथिलप्रोपेनॉल
(c) 2-मेथिलब्यूटेन-2-ऑल
(d) 3-मेथिलब्यूटेन-3-ऑल
उत्तर:
(d) 3-मेथिलब्यूटेन-3-ऑल
प्रश्न 14.
CH3OH तथा C2H5OH को हम विभेदित कर सकते हैं:
(a) HCl की क्रिया द्वारा
(b) I2 + Na2CO3 की क्रिया द्वारा
(c) NH की क्रिया द्वारा
(d) जल में विलेयता द्वारा।
उत्तर:
(b) I2 + Na2CO3 की क्रिया द्वारा
प्रश्न 15.
निम्न में से कौन-सा यौगिक एथिल मेथिल कीटोन में ऑक्सीकृत होता है?
(a) प्रोपेन-2-ऑल
(b) ब्यूटेन-2-ऑल
(c) ब्यूटेन-1-ऑल
(d) तृतीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल।
उत्तर:
(d) तृतीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल।
प्रश्न 16.
एथिल ऐल्कोहॉल तनु अम्लीय K2Cr2O7 द्वारा ऑक्सीकृत होता है?
(a) फॉर्मिक अम्ल में
(b) फॉर्मेल्डिहाइड में
(c) ऐसीटिक अम्ल में
(d) ऐसीटैल्डिहाइड में।
उत्तर:
(a) फॉर्मिक अम्ल में
प्रश्न 17.
एथेनॉल एवं क्लोरीन अभिक्रिया द्वारा बनाते हैं:
(a) एथिल क्लोराइड
(b) क्लोरोफॉर्म
(c) ऐसीटैल्डिहाइड
(d) क्लोरल
उत्तर:
(c) ऐसीटैल्डिहाइड
प्रश्न 18.
(a) टॉलुईन तथा प्रोपीन।
(b) टॉलुईन तथा प्रोपिल क्लोराइड
(c) फीनॉल तथा ऐसीटोन
(d) फीनॉल तथा ऐसीटैल्डिहाइड।
उत्तर:
(a) टॉलुईन तथा प्रोपीन।
प्रश्न 19.
कोल्बे-श्मिट अभिक्रिया को किसे प्राप्त करने के लिए कराया जाता है
(a) सैलिसिल-ऐल्डिहाइड
(b) सैलिसिलिक अम्ल
(c) फीनॉल
(d) हाइड्रोकार्बन।
उत्तर:
(c) फीनॉल
प्रश्न 20.
फीनॉल की क्रिया बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड के साथ कराने पर प्राप्त उत्पाद है:
(a) फेनिल हाइड्राजीन
(b) p-ऐमीनो ऐजोबैन्जीन
(c) फीनॉल हाइड्रॉक्सिलएमीन
(d) p-हाइड्रॉक्सी एजोबेन्जीन।
उत्तर:
(c) फीनॉल हाइड्रॉक्सिलएमीन
अति लघुत्तरीय प्रश्न:
प्रश्न 1.
ईथर का सामान्य सूत्र लिखिए।
उत्तर:
Cn H2n+2O या R - O - R
प्रश्न 2.
डाई एथिल ईथर का IUPAC नाम लिखिए।
उत्तर:
C2H5 - O - C2H5
प्रश्न 3.
फीनॉक्साइड आयन की अनुनादी संरचनाएँ बनाइए।
उत्तर:
प्रश्न 4.
आइसो ब्यूटिल ऐल्कोहॉल का संरच आइसो ब्यूटिलो लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 5.
तृतीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल का संरचना सूत्र लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 6.
मेथिल एल्कोहॉल से एथिल ऐल्कोहॉल कैसे प्राप्त करेंगे?
उत्तर:
प्रश्न 7.
एथेनॉल के उपयोग लिखिए।
उत्तर:
एथेनॉल के प्रमुख उपयोग निम्नवत् हैं
प्रश्न 8.
निम्नलिखित यौगिकों को अम्ल की बढ़ती हुई प्रबलता के क्रम में लिखिए
(i) फिनॉल
(ii) 0-क्रीसॉल
(iii) m-क्रीसॉल
(iv) p-क्रीसॉल
उत्तर:
0-क्रीसॉल < p - क्रीसॉल < m - क्रीसॉल < फिनॉल अम्ल की प्रबलता का बढ़ता हुआ क्रम है।
प्रश्न 9.
प्राथमिक ऐल्कोहॉल की तुलना में t-ब्यूटिल ऐल्कोहॉल धात्विक सोडियम से कम तेजी से क्रिया करता है, क्यों?
उत्तर:
तृतीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल में केन्द्रीय C-परमाणु पर उपस्थित तीन-CH, समूहों की उपस्थिति के कारण यह आंशिक ऋणावेशित हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप यह O-H के इलेक्ट्रॉन युग्म को हाइड्रोजन परमाणु की ओर धकेलता है, अत: H-परमाणु आसानी से प्रतिस्थापित नहीं होता है।
प्रश्न 10.
C2H5OH तथा CH3HOCH3 दोनों के अणुभार समान हैं किन्तु कमरे के ताप पर C2H5OHद्रव हैतथा CH3OCH3 गैंस है क्यों?
उत्तर:
C2H5OH के अणुओं के मध्य अन्तराणुक हाइड्रोजन बन्ध बनता है जिसके कारण इसके अणुओं का संगुणन हो जाता है और यह द्रव अवस्था में रहता है जबकि CH3 O - CH3 के अणुओं के मध्य हाइड्रोजन बंध नहीं है इसलिए यह गैस है।
प्रश्न 11.
दुर्बल ऐल्कोहॉल जल में विलेय होते हैं प्रबल एल्कोहॉल नहीं, क्यों?
उत्तरं:
दुर्बल ऐल्कोहॉल जल के साथ H-आबन्ध बनाते हैं, लेकिन प्रबल ऐल्कोहॉल वृहद् जलविरागी भाग के कारण H-आबन्ध नहीं बना सकते हैं।
प्रश्न 12.
t-ब्यूटिल ऐल्कोहॉल और n-ब्यूटेनॉल में से कौन-सा अम्ल उत्प्रेरित निर्जलन तीव्रता से देगा और क्यों?
उत्तर:
t-ब्यूटिल एल्कोहल, तृतीयक एल्कोहल है, जबकि n-ब्यूटेनॉल प्राथमिक एल्कोहल है, चूँकि एल्कोहॉलों का ऐल्कीन्स में निर्जलन कार्बोधनायन मध्यवर्ती के निर्माण से होता है तथा तृतीयक कार्बोधनायन सर्वाधिक स्थायी होता है अतः तृतीयक एल्कोहॉल निर्जलीकरण अभिक्रियास सुगमता से देते हैं। प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक कार्बोधनायनों के स्थायित्व का क्रम निम्न होता है।
तृतीयक (3°)> द्वितीयक (2°)> प्राथमिक (13)
अतः ऐल्कोहॉलों की निर्जलीकरण क्रिया के प्रति क्रियाशीलता समान क्रम में होती है।
तृतीयक ऐल्कोहॉल (39) > द्वितीयक ऐल्कोहॉल (2°) > प्राथमिक ऐल्कोहॉल (1)
प्रश्न 13.
निम्न ऐल्कोहॉल जल में विलेय होते हैं, उच्च ऐल्कोहॉल नहीं। क्यों?
उत्तर:
निम्न ऐल्कोहॉल जल के साथ हाइड्रोजन बन्ध बना सकते हैं जबकि उच्च ऐल्कोहॉलों में हाइड्रोकार्बन भाग अधिक होने के कारण वे हाइड्रोजन आबन्ध नहीं बना पाते हैं। इस कारण निम्न ऐल्कोहॉल जल में विलेय होते हैं जबकि उच्च ऐल्कोहॉल जल में अविलेय होते हैं।
प्रश्न 14.
ऐल्कोहॉलों के क्वथनांक तुल्य अणुभार वाले ऐल्केनों की तुलना में उच्च होते हैं, क्यों?
उत्तर:
ऐल्कोहॉलों में अन्तराअणुक हाइड्रोजन आबन्ध होने के कारण इनमें अणु आपस में आकर्षण बलों द्वारा जुड़े होते हैं, जबकि ऐल्केनों में ऐसा नहीं होता है। यही कारण है कि ऐल्कोहॉलों के क्वथनांक तुल्य अणुभार वाले ऐल्केनों की तुलना में उच्च होते हैं।
प्रश्न 15.
परम ऐल्कोहॉल क्या होता है?
उत्तर:
100% एथिल ऐल्कोहॉल परम ऐल्कोहॉल कहलाता है।
प्रश्न 16.
निम्नलिखित को घटती अम्लीय सामर्थ्य के क्रम में व्यवस्थित कीजिए
CH3 OH, H2O,C6H5OH
उत्तर:
C6H5OH > H2O > CH3 OH (अम्लीय सामर्थ्य का क्रम)
प्रश्न 17.
ऐल्कोहॉलों को निरूपित करने का सामान्य सूत्र लिखिए।
उत्तर:
Cn H2n+2 O.
प्रश्न 18.
तृतीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल का सूत्र व IUPAC नाम लिखिए।
उत्तर:
(CH3)3 C - OH, 2 - मेथिल ब्यूटेन-2-ऑल।
प्रश्न 19.
ऐल्कोहॉलों के क्वथनांक, अणुभार बढ़ने के साथ बढ़ते हैं, क्यों?
उत्तर:
अणुभार बढ़ने के साथ अन्तराअणुक आकर्षण बलों की . प्रबलता बढ़ती है, अतः उनके क्वथनांक भी बढ़ते हैं।
प्रश्न 20.
प्राथमिक, द्वितीयक व तृतीयक ऐल्कोहॉलों को निर्जलन में सुगमता के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
उत्तर:
तृतीयक ऐल्कोहॉल > द्वितीयक ऐल्कोहॉल > प्राथमिक ऐल्कोहॉल.
प्रश्न 21.
ऐल्कोहॉल का अणुभार बढ़ने पर जल में इसकी विलेयता घटती है, क्यों?
या
जलं में ऐल्कोहॉल की विलेयता किन कारकों के कारण है?
उत्तर:
ऐल्कोहॉल जल में हाइड्रोजन आबन्ध बनाने के कारण विलेय होते हैं। ऐल्किल समूह बड़ा होने के साथ इस H-बन्ध की प्रबलता कम - हो जाती है तथा जलविरागी समूह का प्रभाव अधिक होता जाता है। यही कारण है कि अणुभार के बढ़ने के साथ इनकी जल में विलेयता घटती जाती है तथा उच्च ऐल्कोहॉल जल में अविलेय होते हैं।
या
ऐल्कोहॉल की जल में विलेयता के कारक
प्रश्न 22.
एथिल ऐल्कोहॉल के निर्जलीकरण से प्राप्त होने वा पदार्थों के सूत्र व नाम लिखिए।
उत्तर:
CH2 =CH2 ; एथीन; CH3CH2OCH2CH3; एथॉक्सी एथे
प्रश्न 23.
दिये गये तीन ऐल्कोहॉलों के क्वथनांक निम्नलिपि क्रम में होते हैं, क्यों ?
n-ब्यूटिल ऐल्कोहॉल > द्वितीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल > तृतीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल
उत्तर:
चूँकि समावयवी अणुओं में शाखाकरण बढ़ने के साथ पृ क्षेत्रफल घट जाता है जिसके कारण अन्तराणुक आकर्षण बल क्षीण जाते हैं। तृतीयक ऐल्कोहॉल का ऐल्किल भाग सर्वाधिक शाखित हे है, अत: इसका क्वथनांक कम होता है।
प्रश्न 24.
अम्ल उत्प्रेरित निर्जलीकरण में n-ब्यूटेनॉल की तुलना t-ब्यूटेनॉल तेजी से क्रिया करता है, क्यों?
उत्तर:
क्योंकि मध्यवर्ती 3°-कार्बोधनायन (जो कि t-ब्यूटेनॉल बनता है), 1°-कार्बोधनायन (जो कि n-ब्यूटेनॉल से बनता है) से अधि स्थायी होता है।
प्रश्न 25.
ब्यूट-2-ईन से एथेनॉल कैसे प्राप्त करेंगे?
उत्तर:
प्रश्न 26.
ऐसीटोन से तृतीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल कैसे प्राप्त करेंगे
उत्तर:
प्रश्न 27.
फीनॉल वायु में खुला छोड़ने पर क्या बनाता है?
उत्तर:
फीनॉल वायु में खुला छोड़नेपर मन्दगति से ऑक्सी होकर क्विनोन युक्त रंगीन मिश्रण बनाता है।
प्रश्न 28.
इलेक्ट्रॉन आकर्षी समूह का फीनॉल की अम्लता। क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
फीनॉल में बेन्जीन वलय पर इलेक्ट्रॉन आकर्षी समूह उपस्थि होने पर फीनॉल की अम्लीयता बढ़ जाती है।
प्रश्न 29.
फीनॉल की अभिक्रिया HNO3 से कराने पर नाइट्रो व्युत्पन्न की उत्पाद कम बनती है, क्यों?
उत्तर:
क्योंकि फीनॉल HNO3 के द्वारा स्वयं ऑक्सीकृत हो जाता है।
प्रश्न 30.
फोनॉल अम्लीय होते हैं जबकि ऐल्कोहॉल उभयधर्मी होते हैं, क्यों?
उत्तर:
फीनॉल से H+ निष्कासन से बना फीनॉक्साइड आयन अनुनाद के कारण स्थायी हो जाता है जबकि ऐल्कोहॉल में H+ के निष्कासन से बना ऐल्कॉक्साइड (RO) में अनुनाद नहीं हो सकता है, इस कारण वह स्थायी नहीं होता।
अतः फीनॉल अम्लीय होते हैं, जबकि ऐल्कोहॉल उभयधर्मी होते हैं।
प्रश्न 31.
फीनॉल का C - 0 बन्ध ऐथेनॉल के C - 0 बन्ध से ता छोटा होता है, क्यों?
उत्तर:
अनुनाद के कारण फीनॉल के C- 0 बन्ध में आने वाला पार्श्व द्वि-बन्ध गुण इस बन्ध की लम्बाई कम कर देता है।
प्रश्न 32.
फोनॉल वडाइऐजोनियम क्लोराइड के बीच (coupling) अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में तथा ऐनिलीन डाइऐजोनियम क्लोराइड के बीच यह अभिक्रिया अम्लीय माध्यम में होती है, क्यों ?
उत्तर:
फीनॉल के साथ: C6H5N2+ इलेक्ट्रॉनस्नेही तथा C6H5O आधार की तरह कार्य करता है।
ऐनिलीन के साथ: ऐनलीनियम आयन इलेक्ट्रॉन-स्नेही की तरह व्यवहार करता है। H
प्रश्न 33.
फीनॉल के साथ FeCl3 का बैंगनी रंग किस पदार्थ का होता है?
उत्तर:
[(C6H5O)6 Fe]3- हेक्सा-फीनॉक्सी फेरेट (III)।
प्रश्न 34.
फीनॉलों का द्विध्रुव आघूर्ण ऐल्कोहॉल से कम क्यों होता है?
उत्तर:
बेन्जीन वलय के इलेक्ट्रॉन प्रत्याहार्य प्रभाव के कारण, फीनॉल - में C-0 आबन्ध कम ध्रुवीय होता है, परन्तु ऐल्कोहॉलों (जैसे-मेथेनॉल) की स्थिति में, -CH3 समूह के इलेक्ट्रॉन विमोचक प्रभाव के कारण C-0 आबन्ध अधिक ध्रुवीय होता है।
प्रश्न 35.
फीनॉल की जलीय ब्रोमीन की अधिकता से अभिक्रिया कराई जाती है। इस अभिक्रिया के उत्पाद का संरचनात्मक सूत्र तथा नाम दें।
अथवा
जब फीनॉल की अभिक्रिया ब्रोमीन जल से कराते हैं, तो सफेद त अवक्षेप प्राप्त होता है। सम्बन्धित अभिक्रिया लिखें।
उत्तर:
प्रश्न 36.
निम्न के IUPAC नाम लिखिए:
उत्तर:
(i) 2-मेथिल फोनॉल
(ii) 2-फेनिल-1-ऐथेनॉल
(iii) 2, 4-डाइब्रोमोफोनॉल।
प्रश्न 37.
क्या होता है जब फीनॉल CS2 में घुली हिमशीतित ब्रोमीन से अभिक्रिया करता है? समीकरण दें।
उत्तर:
प्रश्न 38.
निम्न को अम्लीय सामर्थ्य के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए:
1. फीनॉल, ऐथेनॉल, जल
2. p-नाइट्रोफीनॉल, क्रीसॉल, फीनॉल
3. फीनॉल, बेन्जिल ऐल्कोहॉल, -नाइट्रोफीनॉल।
उत्तर:
प्रश्न 39.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं को पूर्ण कीजिए:
उत्तर:
प्रश्न 40.
विलियमसन संश्लेषण द्वारा डाइएथिल ईथर बनायें।
उत्तर:
प्रश्न 41.
डाइएथिल ईथर व एथिल ऐल्कोहॉल में कैसे विभेद करेंगे?
उत्तर:
एथिल ऐल्कोहॉल सोडियम धातु से क्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त करता है जबकि डाईएथिल ईथर नहीं।
प्रश्न 42.
ईथर को रंगीन बोतलों में पूर्ण भर कर क्यों रखा जाता
उत्तर:
ईथर वायु व प्रकाश की उपस्थिति में परॉक्साइड का निर्माण करते हैं जो कि अत्यन्त विषैले होते हैं अतः परॉक्साइड को बनने से रोकने के लिए ईथर को रंगीन बोतलों में पूर्ण भर कर रखते हैं।
प्रश्न 43.
ईथर की वाष्पशीलता, ऐल्कोहॉलों से अधिक क्यों होती है?
उत्तर:
ईथरों में अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध नहीं होते हैं जिस कारण वे संगुणित नहीं हो पाते हैं जबकि ऐल्कोहॉलों में अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध उपस्थित होते हैं जिससे वे संगुणित हो जाते हैं और आसानी से वाष्पित नहीं होते।
यही कारण है कि ऐल्कोहॉल कम वाष्पशील जबकि ईथर अधिक वाष्पशील होते हैं।
प्रश्न 44.
शुद्ध व अशुद्ध ईथरों में कैसे विभेद करेंगे?
उत्तर:
अशुद्ध ईथर KI व स्टॉर्च विलयन के साथ नीला रंग देते हैं जबकि शुद्ध ईथर नीला रंग नहीं देते हैं।
प्रश्न 45.
डाइएथिल ईथर तथा मेथिल-प्रोपिल ईथर में क्या समावयवता होती है?
उत्तर:
इनमें मध्यावयवता पायी जाती है।
प्रश्न 46.
सरल या सममिति ईथरों का द्विध्रुव आधूर्ण शून्य नहीं होता है। क्यों?
उत्तर:
सरल या सममिति ईथरों की संरचना रेखीय (180°) न होकर कोणीय (= 110°) होती है। इस कारण इनका द्विध्रुव आघूर्ण शून्य नहीं होता है।
प्रश्न 47.
ईथर जल में अविलेय किन्तु प्रबल अम्लों में विलेय क्यों होते हैं?
उत्तर:
ईथर की प्रकृति लुईस क्षारीय होती है, अतः ये प्रबल अम्लों के साथ क्रिया करके ऑक्सोनियम लवण बना लेते हैं, इस कारण वे प्रबल अम्लों में विलेय होते हैं।
प्रश्न 48.
ईथर की बोतल में सूक्ष्म मात्रा में CU2O क्यों मिलाते
उत्तर:
ईथर वायु के सम्पर्क में आने पर परॉक्साइड बनाता है जो कि विषैला होता है अतः ईथर में CU2O डालने पर यह ऋणात्मक उत्प्रेरक का कार्य करता है तथा परॉक्साइड निर्माण को रोकता है।
प्रश्न 49.
ईथर को कभी भी शुष्कता तक गर्म नहीं करते, क्यों?
उत्तर:
ईथर के ऑक्सीकरण से बने परॉक्साइड विस्फोटक होते हैं जो कि शुष्कता तक गर्म करने पर विस्फोट कर सकते हैं। अतः ईथर को कभी भी शुष्कता तक गर्म नहीं किया जाता है।
प्रश्न 50.
निम्नलिखित के लिए कारण दीजिए:
(a) ऐल्कोहॉल में आबन्ध कोण चतुष्फलकीय कोण से जरा-सा कम होता है।
(b) CH3OH में C - OH आबन्ध लम्बाई फीनॉल में C - OH आबन्ध लम्बाई से जरा-सी अधिक होती है।
उत्तर:
(a) एल्कोहल में आक्सीजन परमाणु पर दो एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म उपस्थित होने के कारण आबन्ध कोण चतुष्फलकीय कोण से कम हो जाता है।
(b) CH3 - OH में - OH समूह sp3 सकरित कार्बन परमाणु से जुड़ा होता है। जबकि C6H5 - OH में -OH समूह sp2 संकरित कार्बन परमाणु (द्विबन्ध युक्त C-परमाणु) से जुड़ा होने के कारण की बन्ध लम्बाई की बन्ध लम्बाई से अधिक होती है।
प्रश्न 51.
निम्नलिखित को अम्लीयता के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित कीजिए:
फीनॉल, एथेनॉल, जल
उत्तर:
फीनॉल > जल > एथेनॉल
प्रश्न 52.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के उत्पाद/उत्पादों को लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 53.
निम्न के IUPAC नाम लिखिए
उत्तर:
(i) 3,4-डाइक्लोरो-2-मेथिल पेण्टेनॉल।
(ii) 4-मेथिल पेण्टेन-2-ऑल।
(iii) 2,3,3,4-टेट्राक्लोरो पेण्टेनॉल
(iv) 3-क्लोरो मेथिल-2-(1-मेथिल एथिल) पेण्टेन 1-ऑल
प्रश्न 54.
ऐल्कीन तथा प्राथमिक ऐल्कोहॉल में विभेद करें।
उत्तर:
प्रश्न 55.
लुईस अम्लों जैसे-BF3, AICI, आदि के साथ क्रिया करके ईथर उप-सहसंयोजी यौगिक बनाता है। क्यों?
उत्तर:
ईथरों में ऑक्सीजन परमाणु पर एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म की उपस्थिति के कारण ईथर की प्रकृति लुईस क्षारों जैसी होती है, इस कारण वे लुईस अम्लों के साथ उपसहसंयोजी बन्ध बनाते हैं।
प्रश्न 56.
ईथर जल में अविलेय किन्तु प्रबल अम्लों में विलेय क्यों होते हैं?
उत्तर:
ईथर की प्रकृति लुईस क्षारीय होती है, अतः ये प्रबल अम्लों के साथ क्रिया करके ऑक्सोनियम लवण बना लेते हैं, इस कारण वे प्रबल अम्लों में विलेय होते हैं।
प्रश्न 57.
ईथर को कभी भी शुष्कता तक गर्म नहीं करते, क्यों?
उत्तर:
ईथर के ऑक्सीकरण से बने परॉक्साइड विस्फोटक होते हैं जो कि शुष्कता तक गर्म करने पर विस्फोट कर सकते हैं। अतः ईथर को कभी भी शुष्कता तक गर्म नहीं किया जाता है।
लघुत्तरीय प्रश्न:
प्रश्न 1.
सैटजैफ नियम को उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर:
मोनोहाइड्रिक ऐल्कोहॉल को सान्द्र H2SO4 के साथ 160 - 170°C पर गर्म करने पर ऐल्कोहॉल का -OH तथा a-hydrogen परमाणु मिलकर H2O के अणु के रूप में निकल जाते हैं तथा एथिलीन बनती हैं।
प्रश्न 2.
आप मेथिल ऐल्कोहॉल और एथिल ऐल्कोहॉल में विभेद कैसे करेंगे? (केवल एक रासायनिक परीक्षण तथा अभिक्रिया का समीकरण दीजिए)।
उत्तर:
मेथिल ऐल्कोहॉल और एथिल ऐल्कोहॉल में विभेद आयोडोफॉर्म परीक्षण द्वारा किया जा सकता है। एथिल ऐल्कोहॉल को जब आयोडीन तथा जलीय सोडियम हाइड्रॉक्साइड या जलीय सोडियम कार्बोनेट विलयन के साथ गर्म करते हैं तो पीला क्रिस्टलीय ठोस आयोडोफॉर्म बनता है।
प्रश्न 3.
मेथिल ऐल्कोहॉल आयोडोफॉर्म परीक्षण नहीं देता है। फीनॉल का लीबरमान अभिक्रिया द्वारा परीक्षण लिखिए।
उत्तर:
जब फीनॉल सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल में घुले सोडियम नाइट्राइट से अभिक्रिया करता है तो नीला या हरा रंग प्रकट होता है। क्रियाकारी मिश्रण को जल से तनु करने पर रंग लाल हो जाता है तथा आधिक्य में NaOH मिलाने पर रंग पुनः नीला हो जाता है। इस अभिक्रिया को ही लीबरमान अभिक्रिया कहते हैं।
प्रश्न 4.
आण्विक सूत्र C4H10O वाले सभी सम्भव ईथरों के संरचना सूत्र लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 5.
उदाहरण देते हुए समझाइए कि ईथर लूइस-बेस के समान व्यवहार करता है और अम्लों के साथ क्रिया करके ऑक्सीनियम लवण बनाता है।
उत्तर:
ईथर अणु में ऑक्सीकरण परमाणु पर दो एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म उपस्थित होते हैं जिसके कारण यह प्रबल अम्लों के प्रति क्षारक जैसा व्यवहार प्रदर्शित करता है। ईथर (C2H5- O - CH5) सान्द्र H2SO4 के साथ ऑक्सोनियम लवण बनाता है।
प्रश्न 6.
मेथिल ऐलकोहॉल बनाने की दो विधियों का वर्णन कीजिए। आवश्यक रासायनिक समीकरण भी लिखिए। मेथिल ऐल्कोहॉल से डाइमेथिल ईथर कैसे प्राप्त करेंगे?
उत्तर:
मेथिल ऐल्कोहॉल बनाने की दो विधियाँ निम्नवत् हैं:
(i) मेथेन के ऑक्सीकरण द्वारा मेथिल ऐल्कोहॉल का निर्माण-मेथेन और ऑक्सीजन के 9 : 1 (आयतन से मिश्रण को 100 वायुमण्डल दाब और 200°C ताप पर कॉपर की नली में से प्रवाहित करने पर मेथेन का मेथिल ऐल्कोहॉल में ऑक्सीजन होता है।
(ii) कार्बन मोनॉक्साइड के हाइड्रोजनीकरण द्वारा मेथिल ऐल्कोहॉल का निर्माण-उच्च ताप (300 - 400°C) और उच्च दाब (200-300 atm) पर ZnO - Cr2O3 उत्प्रेरक की उपस्थिति में कार्बन मोनॉक्साइड का हाइड्रोजनीकरण करने पर मेथिल ऐल्कोहॉल बनता है।
माथल एल्काहाल मेथिल ऐल्कोहॉल से डाइमेथिल ईथर का निर्माण-मेथिल ऐल्कोहॉल की अधिकता में 140°C पर डाइमेथिल ईथर बनता है।
प्रश्न 7.
ल्यूकास परीक्षण क्या है? यह किस प्रकार के यौगिकों की पहचान में उपयोगी है?
उत्तर:
ल्यूकास परीक्षण-यह प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक ऐल्कोहॉलों में विभेद करने की अत्यन्त सरल विधि है। यह भिन्न-भिन्न ऐल्कोहॉलों की ल्यूकास अभिकर्मक (सान्द्र HCl + निर्जल ZnCl2) के प्रति भिन्न-भिन्न गति से अभिक्रिया करने पर आधारित है। किसी ऐल्कोहॉल में ल्यूकास अभिकर्मक मिलाने पर ऐल्किल क्लोराइड बनते हैं जिससे धुंधलापन उत्पन्न होता है। इस प्रकार,
प्रश्न 8.
निम्नलिखित को समझाइए:
1. ऐल्कोहॉल का अणुभार बढ़ने पर जल में इनकी विलेयता घटती है।
2. पावर ऐल्कोहॉल क्या है? उसका उपयोग क्या है?
3. फीनॉल अम्लीय होते हैं। क्यों?
उत्तर:
प्रश्न 9.
(अ) ऐल्कोहॉल की तुलना में फीनॉल अधिक अम्लीय क्यों होता है? समझाइए।
(ब) निम्नलिखित ऐल्कोहॉलों की एस्टरीकरण अभिक्रिया के प्रति उनकी बढ़ती अभिक्रियाशीलता के क्रम में व्यवस्थित कीजिए
CH3 - CH2 - OH, (CH3)2CH - OH, (CH3)3C - OH
उत्तर:
(अ) फीनॉल में अनुनाद पाया जाता है। इस कारण फीनॉल अणु में आवेश वितरण से- OH समूह की ऑक्सीजन धनावेशित हो जाती है और इसका अम्लीय व्यवहार बढ़ जाता है। जबकि मेथैनॉल में अनुनादी संरचना नहीं पायी जाती है। इस कारण यह फीनॉल से कम अम्लीय होता
(ब) (CH3)3 COH < (CH3)2 CHOH < CH3CH2OH
प्रश्न 10.
(अ) ऐल्कोहॉलों का क्वथनांक समतुल्य आण्विक भार वाले हाइड्रोकार्बनों अथवा ऐल्केनों एवं ईथर से अधिक क्यों होते हैं? समझाइए।
(ब) निम्नलिखित ऐल्कोहॉलों को निर्जलीकरण अभिक्रिया के प्रति उनकी बढ़ती अभिक्रियाशीलता के क्रम में व्यवस्थित कीजिए
CH3 CH2OH,(CH3)2 CHOH, (CH3)3COH
उत्तर:
(ओऐल्कोहॉलों में अन्तराअणुक हाइड्रोजन आबन्ध होने के कारण इनमें अणु आपस में आकर्षण बलों द्वारा जुड़े होते हैं, जबकि ऐल्केन एवं ईथर में ऐसा नहीं होता है। यही कारण है कि ऐल्कोहॉलों के क्वथनांक समान अणुभार वाले ऐल्केनों की तुलना में उच्च होते हैं।
(ब) तृतीयक ऐल्कोहॉल (CH3)3 - OH > द्वितीयक ऐल्कोहॉल (CH3)2 CHOH > प्राथमिक ऐल्कोहॉल (CH3CH2OH)
प्रश्न 11.
(अ) क्या होता है जब डाईएथिल ईथर सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में क्लोरीन से अभिक्रिया करता है? रासायनिक समीकरण लिखिए।
(ब) निम्नलिखित अभिक्रिया अनुक्रमों को पूरा कीजिए एवं उत्पाद (A) एवं (B) का नाम लिखिए।
उत्तर:
(अ) जब डाइएथिल ईथर सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में क्लोरीन से अभिक्रिया करता है तो परक्लोरोडाइएथिल ईथर बनता है
अभिक्रिया:
प्रश्न 12.
(अ) क्या होता है जब डाइएथिल ईथर की वाष्य को एलुमिना पर 653 K ताप पर प्रवाहित किया जाता है? रासायनिक समीकरण दीजिए।
(ब) निम्नलिखित अभिक्रिर भनुक्रमों को पूरा कीजिए एवं उत्पाद [A] तथा [B] के नाम लिखिए
उत्तर:
(अ) जब डाइएथिल ईथर की वाष्प को एलुमिना पर 653 K ताप पर प्रवाहित किया जाता है तो एथीन बनती है।
अभिक्रिया:
प्रश्न 13.
(अ) ऐथेनॉल के निर्जलीकरण से एथीन बनने की क्रियाविधि लिखिए।
(ब) ग्लूकोस को ऐथेनॉल में परिवर्तित करने वाले एन्जाइम का नाम दीजिए।
(स) फोनॉल की क्लोरोफार्म तथा KOH से क्रिया का रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर:
(अ) ऐथेनॉल को H2SO4 के आधिक्य में 433 - 443K के मध्य गर्म करने पर जल का अणु निष्कासित होकर एथीन बनती है।
क्रियाविधि : तीन पदों में होता है
प्रथम पद : एथेनॉल में आक्सीजन परमाणु पर दो एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म होने के कारण दुर्बल क्षार की तरह व्यवहार करता है जो सान्द्र H2SO4 से क्रिया कर ऑक्सोनियम लवण बनाती है।
द्वितीय पद : उच्च विद्युतऋणी ऑक्सीजन परमाणु पर धनावेश के उपस्थिति से C - 0 आबन्ध दुर्बल हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप प्रोटॉनीकृत ऐथेनॉल आसानी से H2O अणु का निष्कासन करके ऐथिल कार्बोधनायन (Carbocation) बनाता है।
यह पद मन्द पद होता है अर्थात् वेग निर्धारक पद (Rate Determin ing Step) होता है।
तृतीय पद: द्वितीय पद में निर्मित कार्बोधनायन क्रियाशील स्पीशीज होने के कारण आसानी से प्रोट्रॉन खोकर ऐथीन अणु बनता है।
जाइमेस (यीस्ट में) एन्जाइम फीनॉल की अभिक्रिया क्षारों की उपस्थिति में क्लोरोफॉर्म के साथ कराने पर -CHO समूह ऑर्थो स्थिति पर प्रतिस्थापित हो जाता है तथा सैलिसैल्डिहाइड प्राप्त होता है। यह अभिक्रिया राइमर टीमैन अभिक्रिया कहलाती है।
प्रश्न 14.
(अ) मेथेनॉल से ऐथेनॉल में परिवर्तन कैसे करेंगे? केवल रासायनिक समीकरण लिखिए।
(ब) पैट्रोल के स्थान पर प्रयुक्त, एल्कोहॉल एवं ईथर का मिश्रण क्या कहलाता है?
(स) फोनॉल से p-हाइड्रॉक्सीबैन्जेल्डिहाइड कैसे प्राप्त करेंगे? रासायनिक समीकरण दीजिए।
उत्तर:
(अ) मेथेनॉल से एथेनॉल में परिवर्तन
(ब) पेट्रोल के स्थान पर प्रयुक्त एल्कोहॉल एवं ईथर का मिश्रण पावर ऐल्कोहॉल (नैटालाइड) कहलाता है।
(स) फीनॉल से p-हाइड्रॉक्सीबैन्जेल्डिहाइड।
प्रश्न 15.
(a) एथेनॉल की थायोनिल क्लोराइड के साथ अभिक्रिया का समीकरण लिखिये। इस अभिक्रिया का क्या महत्त्व है?
(b) निम्नलिखित अभिक्रियाओं को पूर्ण कीजिए:
उत्तर:
इस अभिक्रिया द्वारा ऐथिल क्लोराइड की प्राप्ति उच्चतम होती है क्योंकि SO2 गैस है व प्राप्त HCl पिरीडीन के द्वारा अवशोषित कर लेता है।
प्रश्न 16.
(a) द्वितीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल का IUPAC नाम एवं संरचना सूत्र लिखिए।
(b) निम्नलिखित यौगिकों से फीनॉल विरचन के समीकरण दीजिए
(i) बेन्जीन
(ii) ऐनिलीन।
(c) फीनॉल की अनुनादी संरचनाएँ लिखिए।
उत्तर:
(c) फीनॉल को निम्नलिखित अनुनादी संरचनाओं द्वारा चित्रित किया जाता है
प्रश्न 17.
फीनोल तथा ईथर के प्रमुख उपयोग लिखिए।
उत्तर:
फीनोल के प्रमुख उपयोग निम्नवत् हैं:
इथरों के प्रमुख उपयोग निम्नवत् हैं:
प्रश्न 18.
निम्नलिखित रासायनिक अभिक्रियाओं को लिखिए।
(a) (i) क्यूमीन, (ii) बेन्जीन सल्फोनिक अम्ल, (iii) बेन्ज़ीन डाइएज़ोनियम क्लोराइड से आप फीनॉल कैसे प्राप्त कर सकते हैं?
(b) कोल्बे अभिक्रिया से सम्बद्ध अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
(a) (i) क्यूमीन से फीनॉल प्राप्त करना: क्यूमीन को वायु की उपस्थिति में क्यूमीन हाइड्रोपरॉक्साइड में ऑक्सीकृत कर लिया जाता है। तनु अम्ल के साथ क्रिया द्वारा इसे फीनॉल तथा ऐसीटोन में परिवर्तित किया जाता है। यह ऐसीटोन सहउत्पाद होता है।
(ii)बेन्जीन या बेन्जीन सल्फोनिक अम्ल से फीनॉल प्राप्त करना बेन्जीन का ओलियम द्वारा सल्फोनेशन किया जाता है तथा इससे प्राप्त बेन्जीन सल्फोनिक अम्ल को गलित सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ गर्म करके सोडियम फीनॉक्साइड में परिवर्तित कर लिया जाता है। सोडियम लवण के अम्लीकरण से फीनॉल प्राप्त होता है।
(iii) बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड से-बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड की क्रिया गर्म जल से कराने पर फीनॉल प्राप्त होता है।
(b) पाठयनिहित प्रश्न सं 18(i) में देखें।
प्रश्न 19.
निम्नलिखित अभिक्रिया की क्रियाविधि लिखिए
अथवा
एथीन से एथेनॉल बनने की क्रियाविधि दीजिए।
उत्तर:
क्रियाविधि: इस अभिक्रिया की क्रियाविधि तीन चरणों में सम्पन्न होती है
चरण 1:
H3O+ के इलेक्ट्रॉनरागी आक्रमण के द्वारा ऐल्कीनों के नोटॉनन से कार्बोकैटायन बनते हैं।
चरण 2: कार्बोकैटायन या कार्बोधनायन पर जल का नाभिकरागी आक्रमण
चरण 3: विप्रोटोनन जिससे ऐल्कोहॉल बनता है
प्रश्न 20.
फोनॉल की अम्लीय प्रकृति को प्रदर्शित करने के लिए कोई एक रासायनिक क्रिया समीकरण देते हुए लिखिए।
उत्तर:
फीनॉल अम्लीय है तथा प्रबल क्षारकों के साथ अभिक्रिया करके लवण बनाता है, उदाहरणार्थ
फीनॉल अम्लीय होते हैं, जबकि ऐल्कोहॉल उदासीन होते हैं। इसका कारण यह है कि फीनॉल में – OH समूह ऋण विद्युती फेनिल समूह से जुड़ा है। फेनिल समूह के (-I) प्रभाव तथा – OH समूह के + M प्रभाव के कारण ऑक्सीजन परमाणु आंशिक धनावेश युक्त होता है, अतः इस समूह में से हाइड्रोजन परमाणु H+ के रूप में पृथक् हो सकता है। ऐल्कोहॉलों में –OH समूह धनविद्युती ऐल्किल समूहों से जुड़ा होता है तथा –OH समूह + M प्रभाव प्रदर्शित नहीं करता है, अतः ऐल्कोहॉलों से H+ प्राप्त नहीं होते हैं। फीनॉल दुर्बल अम्ल है। यह NaHCO3 या Na2CO3 से अभिक्रिया नहीं करता है। यह कार्बोक्सिलिक अम्लों से दुर्बल अम्ल है।
प्रश्न 21.
निम्नलिखित रूपान्तरण सम्पन्न कीजिए:
(i) फीनॉल से सैलिसिलऐल्डिहाइड
(ii) एल्किल हैलाइड से t-ब्यूटिल एथिल ईथर
(iii) प्रोपीन से प्रोपेनॉल
उत्तर:
फीनॉल से सैलिसैल्डिहाइड ZnCl2 की उपस्थिति में फीनॉल की अभिक्रिया HCN व HCl से कराने पर सैलिसैल्डिहाइड प्राप्त होता है।
(ii) एल्किल हैलाइड से t-ब्यूटिल एथिल ईथर-एथिल ब्रोमाइड की क्रिया सोडियम t-ब्यूटॉक्साइड से कराने पर एथिल t-ब्यूटिल इर्थर प्राप्त होता है।
(iii) प्रोपीन से प्रोपेनॉल-प्रोपीन तनु अम्लों की उपस्थिति में जल . से अभिक्रिया कर प्रोपेनॉल बनाती है।
2-प्रोपेनॉल असममित एल्कीनों में योगेन अभिक्रिया मारर्कोनीकॉफ के नियम के अनुसार होती है।
प्रश्न 22.
निम्नलिखित रूपांतरण सम्पन्न करने के लिए अभिकर्मक की प्रागुक्ति कीजिए।
(i) फ़ीनॉल से बेन्ज़ोक्विनोन
(ii) ऐनिसोल से P-ब्रोमोऐनिसोल
(iii) फ़ीनॉल से 2, 4, 6-ट्राइब्रोमोफ़ीनॉल
उत्तर:
(i) फीनॉल के क्रोमिक अम्ल द्वारा ऑक्सीकरण से संयुग्मित डाइकीटोन प्राप्त होता है जिसे बेन्जोक्विनोन कहते हैं। वायु की उपस्थिति में फीनॉल धीरे-धीरे गहरे रंग के क्विनोनों के मिश्रण में ऑक्सीकृत हो जाता है।
(ii) एनिसॉल की क्रिया ब्रोमीन के साथ एसीटिक अम्ल की उपस्थिति मे कराने पर आर्थो एवं पैरा व्युत्पन्न प्राप्त होते हैं।
(iii) जब फीनॉल की क्रिया ब्रोमीन जल से कराई जाती है तो 2, 4, 6-ट्राइब्रोमोफीनॉल का श्वेत अवक्षेप प्राप्त होता है।
प्रश्न 23.
निम्नलिखित को उनके अम्लीय सामर्थ्य के बढ़ते क्रम में लिखिए।
(i) फीनॉल, कार्बोनिक अम्ल,p-नाइट्रोफीनॉल, बेन्जोइक अम्ल
(ii) फीनॉल, एथेनॉल, P-क्रीसॉल, p-नाइट्रोफीनॉल, m-ऐमीनो फीनॉल, 2, 4-डाइनाइट्रोफीनॉल
(iii) फीनॉल, m-क्रीसॉल, m-क्लोरोफीनॉल, m-नाइट्रोफीनॉल
उत्तर:
(i) फीनॉल < p-नाइट्रोफीनॉल < कार्बोनिक अम्ल < बेन्जोइक अम्ल
(ii) एथेनॉल < p-क्रीसॉल < m-ऐमीनोफीनॉल < फोनॉल < p-नाइट्रोफीनॉल < 2, 4-डाइनाइट्रोफीनॉल
(iii) m-क्रीसॉल < फोनॉल.< m-क्लोरोफीनॉल < m-नाइटोफीनॉल
प्रश्न 24.
निम्न में विभेद कैसे करेंगे?
(i) n - प्रोपिल ऐल्कोहॉल और आइसोप्रोपिल ऐल्कोहॉल।
उत्तर:
n - प्रोपिल ऐल्कोहॉल आयोडोफॉर्म परीक्षण नहीं देता है जबकि आइसोप्रोपिल ऐल्कोहॉल आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है अर्थात् यह I2 तथा NaOH के साथ क्रिया कराने पर आयोडोफॉर्म का पीला अवक्षेप देता है।
(ii) n-ब्यूटिल, sec-ब्यूटिल व tert-ब्यूटिल ऐल्कोहॉल।
उत्तर:
इसके लिए ल्यूकास परीक्षण का उपयोग किया जाता है। तृतीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल ल्यूकास अभिकर्मक (ZnCl + HCI) से क्रिया कराने पर तुरन्त ही धुंधलापन (Cloudiness) उत्पन्न करता है, जबकि द्वितीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल ल्यूकास अभिकर्मक से क्रिया करने के 5 मिनट बाद धुंधलापन उत्पन्न करता है। n-ब्यूटिल ऐल्कोहॉल ल्यूकास अभिकर्मक से कमरे के ताप पर अभिक्रिया नहीं करता है।
(iii) क्लोरोफार्म तथा ऐथेनॉल में।
उत्तर:
क्लोरोफॉर्म आइसोसायनाइड परीक्षण देता है जबकि ऐथेनॉल इस परीक्षण को नहीं देता। ऐथेनॉल आयोडोफार्म परीक्षण देता है जबकि क्लोरोफॉर्म इस परीक्षण को नहीं देता है।
प्रश्न 25.
निम्नलिखित को कैसे प्राप्त करोगे
(i) एक हाइड्रोकार्बन से आइसोप्रोपिल ऐल्कोहॉल
(ii) ऐसीटिलीन से n-ब्यूटिल ऐल्कोहॉल
(iii) एथिल ऐल्कोहॉल से मेथिल ऐल्कोहॉल
(iv) मेथिल ऐल्कोहॉल से एथिल ऐल्कोहॉल
(v) प्रोपीन से ऐलिल ऐल्कोहॉल
(vi) एथिल मैग्नीशियम ब्रोमाइड से प्रोपेन-1-ऑल
(vi) ऐथिलीन ऑक्साइड से n-प्रोपिल ऐल्कोहॉल
(vii) बेन्जीन से फीनॉल
(ix) एनिलीन से फीनॉल
उत्तर:
प्रश्न 26.
निम्न के IUPAC नाम लिखिए
उत्तर:
(i) 2-मेथिल फीनॉल
(ii) 2-फेनिल-1-ऐथेनॉल
(iii) 2,4-डाइब्रोमोफीनॉल।
प्रश्न 27.
क्या होता है जब फीनॉल CS2 में घुली हिमशीतित ब्रोमीन से अभिक्रिया करता है? समीकरण दें।
उत्तर:
प्रश्न 28.
निम्न को अम्लीय सामर्थ्य के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए:
(i) p-नाइट्रोफीनॉल, कीसॉल, फीनॉल
(ii) फीनॉल,बेन्जिल ऐल्कोहॉल, 0-नाइट्रोफीनॉल।
उत्तर:
प्रश्न 29.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं को पूर्ण कीजिए
उत्तर
प्रश्न 30.
क्या होता है जब
(i) क्यूमीन की ऑक्सीजन से अभिक्रिया होती है तथा उत्पाद को तनु अम्ल के साथ जल-अपघटित किया जाता है।
(ii) निकिल की उपस्थिति में फीनॉल H2 से अभिक्रिया करता है।
(iii) फीनॉल नाइट्रीकरण मिश्रण के आधिक्य से अभिक्रिया करता है।
(iv) सोडियम फीनॉक्साइड की अभिक्रिया CO2 के साथ 413K तथा 4-7 वायुमण्डलीय दाब पर कराई जाती है।
(v) फीनॉल को जलीय NaOH की उपस्थिति में CCl2 के साथ गर्म करते हैं।
(vi) फेनिल एथेनोएट का मोनोनाइट्रीकरण कराते हैं।
उत्तर:
(i) फीनॉल प्राप्त होता है।
(ii) फीनॉल साइक्लोहेक्सेनॉल में अपचयित हो जाता है।
(iii) पिक्रिक अम्ल प्राप्त होता है।
(iv) सोडियम सैलिसिलेट बनता है।
(v) सैलिसिलिक अम्ल प्राप्त होता है।
(vi) 4-नाइट्रोफेनिल एथेनोएट तथा 2-नाइट्रोफेनिल एथेनोएट प्राप्त होता है।
प्रश्न 31.
आप किस प्रकार बनायेंगे
(1) एथीन से डाईवेनिल ईथर
(2) डाइमेथिल ईथर से डाइएथिल ईथर
(3) एथिल ब्रोमाइड से डाइएथिल ईथर
(4) मेथिल आयोडाइड से एथिल मेथिल ईथर।
उत्तर:
(i) एथीन से डाइवेनिल ईथर
(ii) डाइमेथिल ईथर से डाइएथिल ईथर
(iii) एथिल ब्रोमाइड से डाइएथिल ईथर
(iv) मेथिल आयोडाइड से एथिल मेथिल ईथर
प्रश्न 32.
डाइएथिल ईथर तथा एथेनॉल में विभेद करें।
उत्तर:
डाइएथिल ईथर |
एथेनॉल |
1. इसकी गन्ध काफी विशिष्ट होती है। |
1. इनकी ऐल्कोहॉलिक गन्ध होती है। |
2. यह आयोडोफॉर्म परीक्षण नहीं देता है। |
2. यह आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है। |
3. यह ऑक्सीजन से क्रिया करके परॉक्साइड बनाता है। |
3. ऑक्सीजन के साथ क्रिया करके यह परॉक्साइड नहीं बनाता। |
4. यह कमरे के ताप पर गैस है। |
4. यह कमरे के ताप पर द्रवीय अवस्था में होता है। |
प्रश्न 33.
कभी-कभी ईथर के आसवन के दौरान विस्फोट होता है, क्यों?
उत्तर:
ईथर ऑक्सीजन से क्रिया करके परॉक्साइड बनाता है। इन परॉक्साइडों का क्वथनांक ईथर से ज्यादा होता है। इसलिए आसवन के दौरान परॉक्साइड फ्लास्क में बचा रहता है। यह परॉक्साइड अस्थायी होता है तथा हल्का-सा गर्म करने पर विस्फोट कर देता है।
प्रश्न 34.
कारण बताइए:
1. ईथर का ऐल्कोहॉल की अपेक्षा द्विध्रुव आघूर्ण कम है।
2. डाइएथिल ईथर को शुष्क बनाने के लिए सोडियम धातु का प्रयोग करते हैं परन्तु एथिल ऐल्कोहॉल में नहीं।
3. ईथर ज्वलनशील पदार्थ है।
उत्तर:
प्रश्न 35.
निम्न में विभेद कैसे करेंगे?
(i) n-प्रोपिल ऐल्कोहॉल और आइसोप्रोपिल ऐल्कोहॉल।
उत्तर:
n-प्रोपिल ऐल्कोहॉल आयोडोफॉर्म परीक्षण नहीं देता है जबकि आइसोप्रोपिल ऐल्कोहॉल आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है अर्थात् यह I, तथा NaOH के साथ क्रिया कराने पर आयोडोफॉर्म का पीला अवक्षेप देता है।
(ii) n-ब्यूटिल, see-ब्यूटिल व tert-ब्यूटिल ऐल्कोहॉल।
उत्तर:
इसके लिए ल्यूकास परीक्षण का उपयोग किया जाता है। तृतीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल ल्यूकास अभिकर्मक (ZnCl2 + HCI) से क्रिया कराने पर तुरन्त ही धुंधलापन (Cloudiness) उत्पन्न करता है, जबकि द्वितीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल ल्यूकास अभिकर्मक से क्रिया करने के 5 मिनट बाद धुंधलापन उत्पन्न करता है। n-ब्यूटिल ऐल्कोहॉल ल्यूकास अभिकर्मक से कमरे के ताप पर अभिक्रिया नहीं करता है।
निबन्धात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
ऐल्कोहॉल क्या है? इन्हें किस प्रकार वर्गीकृत करते हैं?
उत्तर:
ऐसे ऐल्कोहॉल जिनमें हाइड्रॉक्सिल समूहों की संख्या 1, 2, 3 या अधिक होती है उन्हें क्रमश: मोनो, डाइ, ट्राइ या पॉली हाइड्रिक ऐल्कोहॉल कहते हैं। एक कार्बन परमाणु पर एक –OH समूह ही प्रतिस्थापित होना चाहिए। एक ही कार्बन पर दो या अधिक हाइड्रॉक्सी समूह उपस्थित होने पर यौगिक अस्थायी (Unstable) होता है।
उदाहरणार्थ:
(i) मोनोहाइड्रिक ऐल्कोहॉल (MonohydricAlcohols)
(ii) डाइाइड्रिक ऐल्कोहॉल (DihydricAlcohols)
(iii) ट्राइहाइड्रिक ऐल्कोहॉल (TrihydricAlcohols)
(iv) पॉलीहाइड्रिक ऐल्कोहॉल (PolyhydricAlcohols)
इस अध्याय में हम केवल मोनोहाइड्रिक ऐल्कोहॉलों का ही अध्ययन करेंगे। मोनोहाइड्रिक ऐल्कोहॉलों का सामान्य सूत्र CnH2n + 1 OH होता है। इसे R - OH से भी प्रदर्शित करते हैं। जहाँ R = ऐल्किल समूह है। मोनोहाइड्रिक ऐल्कोहॉलों को कार्बन परमाणु, जिससे –OH समूह जुड़ा होता है, की संकरण अवस्था (Hybridisation) के आधार पर पुनः वर्गीकृत किया जाता है।
(a) Csp3 - OH आबन्ध युक्त ऐल्कोहॉल (Alcohols containing Csp3 - OH bond):
'इन ऐल्कोहॉलों में –OH समूह sp3 संकरित कार्बन परमाणु से जुड़ा होता है।
(i) -OH समूह के प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक कार्बन परमाणु से जुड़ा होने के आधार पर इन्हें क्रमश: प्राथमिक (1°), द्वितीयक (2) तथा तृतीयक (39) ऐल्कोहॉलों में वर्गीकृत किया जाता है।
प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक ऐल्कोहॉलों में क्रियात्मक समूह क्रमश: CH2OH, > CHOH तथा → C - OH होते हैं।
(ii) ऐलिलिक ऐल्कोहॉल (Allylic Alcohols): इन एल्कोहॉलों में -OH समूह कार्बन-कार्बन द्विआबन्ध से अगले sp-संकरित कार्बने या ऐलिलिक कार्बन से जुड़ा होता है। उदाहरणार्थ
(iii) बेन्जीलिक ऐल्कोहॉल (BenzylicAlcohol): इन एल्कोहॉलों में -OH समूह बेन्जीन वलय से जुड़े sp कार्बन परमाणु से जुड़ा होता है।
(b) Csp3 - OH आबन्ध युक्त ऐल्कोहॉल (Alcohols Containing Csp3 - OH bond)
इन ऐल्कोहॉलों में –OH समूह द्विआबन्ध के कार्बन परमाणु या विनायलिक कार्बन से जुड़ा होता है। उदाहरणार्थ
CH2 = CH - OH वाईनिल ऐल्कोहॉल (अस्थायी)
प्रश्न 2.
ऐल्कीन से ऐल्कोहॉल का विरचन किस प्रकार करते हैं? अम्ल उत्प्रेरित जलयोजन की क्रियाविधि समझाइए।
उत्तर:
(i) अम्ल उत्प्रेरित जलयोजन द्वारा (By acid catalysed hydration): ऐल्कीन तनु अम्ल की उत्प्रेरकों की तरह उपस्थिति में जल के साथ अभिक्रिया करके ऐल्कोहॉल बनाती हैं।
असममित ऐल्कीनों में योगज अभिक्रिया मार्कोनीकॉफ नियम के अनुसार होती है।
उपर्युक्त अभिक्रिया को हम निम्न प्रकार भी लिख सकते हैं
इस अभिक्रिया की क्रियाविधि तीन चरणों में सम्पन्न होती है
चरण 1: H3O+ के इलेक्ट्रॉनरागी आक्रमण के द्वारा ऐल्कीनों के प्रोटॉनन से कार्बोकैटायन बनते हैं।
चरण 2: कार्बोकैटायन या कार्बोधनायन पर जल का नाभिकरागी
आक्रमण:
(ii) हाइड्रोबोरॉनन-ऑक्सीकरण के द्वारा (By hydroboration oxidation): डाइबोरेन H3O ऐल्कीनों से अभिक्रिया करके एक योगज उत्पाद ट्राइऐल्किल बोरेन बनाता है जो जलीय सोडियम हाइड्रॉक्साइड की उपस्थिति में हाइड्रोजन पर-ऑक्साइड द्वारा ऑक्सीकृत होकर ऐल्कोहॉल देता है। यह अभिक्रिया प्रतिमार्कोनीकॉफ योग द्वारा सम्पन्न होती है।
इस अभिक्रिया में द्विक् आबन्ध पर बोरेन का योजन इस प्रकार होता है कि बोरॉन परमाणु उस p2 संकरित कार्बन परमाणु पर जुड़ता है जिस पर पहले से ही अधिक हाइड्रोजन परमाणु उपस्थित होते हैं। इस प्रकार से प्राप्त ऐल्कोहॉल, ऐल्कीनों से मार्कोनीकॉफ के नियम के विपरीत जलयोजन से प्राप्त होते हैं। इससे ऐल्कोहॉलों की लब्धि उत्तम होती है।
प्रश्न 3.
प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक ऐल्कोहॉलों में विभेद कीजिए।
उत्तर:
रासायनिक गुण (Chemical Properties):
A. ऐल्कोहॉलों के रासायनिक गुण (Chemical Properties of Alcohols): ऐल्कोहॉल सर्वतोमुखी यौगिक हैं। ये नाभिकरागी (nucleophile) एवं इलेक्ट्रॉनरागी (electrophile) दोनों के रूप में अभिक्रिया करते हैं।
(A) जब ऐल्कोहॉल नाभिकरागी के रूप में अभिक्रिया करते हैं तो O - H के मध्य आबन्ध टूटता है। इसे हम निम्न प्रकार प्रदर्शित कर सकते हैं
(B) जब ऐल्कोहॉल इलेक्ट्रॉनरागी के रूप में अभिक्रिया करते हैं तो C - O के मध्य आबन्ध टूटता है एवं प्रोटॉनीकृत ऐल्कोहॉल बनता है तथा । यह प्रोटॉनीकृत ऐल्कोहॉल इस प्रकार अभिक्रिया करता है
O - H व C - O आबन्ध के विदलन के आधार पर ऐल्कोहॉलों की अभिक्रिया को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है
(A) - O + H आबन्ध के विदलन के कारण होने वाली aufufaent (Reactions due to cleavage of - O + H bond): ऐल्कोहॉलों में 0-6 आबन्ध का आसानी से विदलन हो जाता है। O - आबन्ध विदलन निम्न क्रम में होता है
प्राथमिक ऐल्कोहॉल > द्वितीयक ऐल्कोहॉल > तृतीयक ऐल्कोहॉल
(1) अम्लीय गुण (Acidic character): ऐल्कोहॉलों की अम्लीय प्रकृति ध्रुवीय O - H आबन्ध के कारण होती है। ऐल्कोहॉल दुर्बल अम्ल होते हैं। ये नीले लिटमस पत्र को लाल में परिवर्तित नहीं करते हैं। लेकिन धातुओं जैसे-सोडियम, पोटैशियम और ऐलुमिनियम आदि से क्रिया करके हाइड्रोजन व ऐल्कॉक्साइड देते हैं।
उपर्युक्त अभिक्रियाएँ दर्शाती हैं कि ऐल्कोहॉल अम्लीय प्रकृति के होते हैं। वास्तव में ऐल्कोहॉल ब्रॉन्ट्टेड (Bronsted) अम्ल हैं अर्थात् वे किसी प्रबल क्षारक \((\overline{\mathrm{B}}:)\) को प्रोटॉन प्रदान कर सकते हैं।
(2) ऐल्कोहॉलों की अम्लता (Acidity of alcohols): ऐल्कोहॉलों की अम्लीय प्रकृति ध्रुवीय O - H आबन्ध के कारण होती है। इलेक्ट्रॉन विमोचक (दाता) समूह (-CH3, C2H5) ऑक्सीजन परमाणु पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ा देते हैं जिससे O - H आबन्ध की ध्रुवता कम हो जाती है इससे अम्ल सामर्थ्य कम हो जाती है।
इस कारण ऐल्कोहॉलों की अम्ल-सामर्थ्य निम्नलिखित क्रम में घटती है:
जबकि ऐल्कॉक्साइड का क्षारीय गुण उपर्युक्त क्रम के विपरीत होता है।
ऐल्कोहॉल जल की अपेक्षा दुर्बल अम्ल होते हैं। जल की ऐल्कॉक्साइड से अभिक्रिया कराने पर,
उपर्युक्त अभिक्रिया प्रदर्शित करती है कि ऐल्कोहॉल की अपेक्षा जल एक बेहतर प्रोटॉन दाता है (यानि कि प्रबलतम अम्ल)।
अत: उपर्युक्त अभिक्रिया से यह सिद्ध होता है कि एक ऐल्कॉक्साइड आयन हाइड्रॉक्साइड आयन की अपेक्षा बेहतर प्रोटॉनग्राही होता है जो यह बताता है कि ऐल्कॉक्साइड प्रबलतम क्षारक होते हैं। ऐल्कोहॉल भी ब्रॉन्स्टेड क्षारकों की भाँति कार्य करते हैं। ऐसा ऑक्सीजन पर उपस्थित असहभाजित इलेक्ट्रॉन युग्मों के कारण होता है जिसके कारण ये प्रोटॉनग्राही होते हैं।
प्रश्न 4.
फोनॉल को निम्न से किस प्रकार प्राप्त करेंगे?
(i) बेन्जीन डाइऐजोनियम लवण से
(ii) बेन्जीन सल्फोनिक अम्ल से
(iii) ग्रीन्यार अभिकर्मक से
(iv) क्यूमीन से
उत्तर:
1. प्रयोगशाला विधियाँ (Laboratory Methods):
(i) बेन्जीन डाइऐजोनियम लवणों से (From Benzenediazonium Salts): बेन्जीन डाइऐजोनियम लवणों के जलीय विलयन को उबालने पर फीनॉल प्राप्त होता है।
(ii) हैलोऐरीनों से (From Haloarenes): क्लोरोबेन्जीन को 623 K ताप तथा 320 atm पर NaOH के साथ संगलित करने पर सोडियम फीनॉक्साइड प्राप्त होता है। सोडियम फीनॉक्साइड का अम्लीकरण करने पर फीनॉल प्रास्त होता है।
(iii) बेन्जीन सल्फोनिक अम्ल से (From Benzene Sulphonic Acid): बेन्जीन का ओलियम (Oleum) द्वारा सल्फोनीकरण (Sulphonation) करने पर बेन्जीन सल्फोनिक अम्ल प्राप्त होता है। इसे NaOH के साथ गर्म करने पर सोडियम फीनॉक्साइड बनता है जिसका अम्लीकरण कराने पर फीनॉल प्राप्त होता है।
प्रश्न 5.
फीनॉल की अम्लीय प्रकृति स्पष्ट कीजिए फीनॉल तथा रेल्कोहॉल की अम्लीयता की तुलना कीजिए।
उत्तर:
ऐसे ऐल्कोहॉल जिनमें हाइड्रॉक्सिल समूहों की संख्या 1, 2, 3 या अधिक होती है उन्हें क्रमश: मोनो, डाइ, ट्राइ या पॉली हाइड्रिक ऐल्कोहॉल कहते हैं। एक कार्बन परमाणु पर एक –OH समूह ही प्रतिस्थापित होना चाहिए। एक ही कार्बन पर दो या अधिक हाइड्रॉक्सी समूह उपस्थित होने पर यौगिक अस्थायी (Unstable) होता है।
उदाहरणार्थ:
(i) मोनोहाइड्रिक ऐल्कोहॉल (MonohydricAlcohols)
(ii) डाइाइड्रिक ऐल्कोहॉल (DihydricAlcohols)
(iii) ट्राइहाइड्रिक ऐल्कोहॉल (TrihydricAlcohols)
(iv) पॉलीहाइड्रिक ऐल्कोहॉल (PolyhydricAlcohols)
इस अध्याय में हम केवल मोनोहाइड्रिक ऐल्कोहॉलों का ही अध्ययन करेंगे। मोनोहाइड्रिक ऐल्कोहॉलों का सामान्य सूत्र CnH2n + 1 OH होता है। इसे R - OH से भी प्रदर्शित करते हैं। जहाँ R = ऐल्किल समूह है। मोनोहाइड्रिक ऐल्कोहॉलों को कार्बन परमाणु, जिससे –OH समूह जुड़ा होता है, की संकरण अवस्था (Hybridisation) के आधार पर पुनः वर्गीकृत किया जाता है।
(a) Csp3 - OH आबन्ध युक्त ऐल्कोहॉल (Alcohols containing Csp3 - OH bond):
'इन ऐल्कोहॉलों में –OH समूह sp3 संकरित कार्बन परमाणु से जुड़ा होता है।
(i) -OH समूह के प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक कार्बन परमाणु से जुड़ा होने के आधार पर इन्हें क्रमश: प्राथमिक (1°), द्वितीयक (2) तथा तृतीयक (39) ऐल्कोहॉलों में वर्गीकृत किया जाता है।
प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक ऐल्कोहॉलों में क्रियात्मक समूह क्रमश: CH2OH, > CHOH तथा → C - OH होते हैं।
(ii) ऐलिलिक ऐल्कोहॉल (Allylic Alcohols): इन एल्कोहॉलों में -OH समूह कार्बन-कार्बन द्विआबन्ध से अगले sp-संकरित कार्बने या ऐलिलिक कार्बन से जुड़ा होता है। उदाहरणार्थ
(iii) बेन्जीलिक ऐल्कोहॉल (BenzylicAlcohol): इन एल्कोहॉलों में -OH समूह बेन्जीन वलय से जुड़े sp कार्बन परमाणु से जुड़ा होता है।
(b) Csp3 - OH आबन्ध युक्त ऐल्कोहॉल (Alcohols Containing Csp3 - OH bond)
इन ऐल्कोहॉलों में –OH समूह द्विआबन्ध के कार्बन परमाणु या विनायलिक कार्बन से जुड़ा होता है। उदाहरणार्थ
CH2 = CH - OH वाईनिल ऐल्कोहॉल (अस्थायी)
प्रश्न 6.
डाइऐथिल ईथर का औद्योगिक निर्माण किस प्रकार करते हैं। डाइऐथिल ईथर के गुणों को समझाइए।
उत्तर:
(1) ऐल्कोहॉलों के निर्जलन द्वारा (By dehydration of alcohols): प्रोटिक अम्लों (H2SO4 H3PO4) की उपस्थिति में ऐल्कोहॉल निर्जलित हो जाते हैं। अभिक्रिया का उत्पाद ऐल्कौन होगा। उदाहरणार्थ, 443K ताप पर सल्फ्यूरिक अम्ल की उपस्थिति में एथेनॉल निर्जलित होकर एथीन देती है। 413K ताप पर एथॉक्सीएथेन मुख्य उत्पाद होता है।
एथॉक्सी एथेन क्रियाविधि (Mechanism): ईथर का विरचन एक द्विअणुक नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रिया (SN2 अभिक्रिया) है। इसमें ऐल्कोहॉल अणु एक प्रोटॉनीकृत ऐल्कोहॉल अणु पर आक्रमण करता है। यह अभिक्रिया निम्न पदों में सम्पन्न होती है
पद 1
पद 2. इस पद में ऐल्कोहॉल पुनः प्रोटॉनीकृत ऐल्कोहॉल पर आक्रमण करता है।
पद 3. इस विधि में विप्रोटॉनीकरण होता है तथा ईथर बनता है।
यह विधि केवल प्राथमिक ऐल्किल समूह युक्त ईथरों के विरचन के लिए ही उपयुक्त है। ऐल्किल समूह आबन्धित तथा तापक्रम निम्न होना चाहिए।
द्वितीयक और तृतीयक ऐल्कोहॉलों के निर्जलीकरण से ईथर प्राप्त नहीं कर सकते हैं, क्योंकि प्रतिस्थापन और विलोपन की प्रतिस्पर्धा में प्रतिस्थापन की बजाय विलोपन होता है, जिससे ऐल्कीन बनती हैं।
(2) विलियम्सन संश्लेषण (Williamson's synthesis): यह सममित व असममित ईथर बनाने की महत्वपूर्ण प्रयोगशाला विधि है।
इसमें प्राथमिक ऐल्किल हैलाइड की क्रिया सोडियम ऐल्कॉक्साइड के साथ करायी जाती है।
उपर्युक्त अभिक्रिया SN2 क्रियाविधि द्वारा सम्पूर्ण होती है। द्वितीयक व तृतीयक ऐल्किल समूह युक्त ईथर भी इस विधि द्वारा बनाये जा सकते हैं। यदि द्वितीयक व तृतीयक ऐल्किल हैलाइडों का प्रयोग ईथर के निर्माण में किया तो अभिक्रिया में विलोपन, प्रतिस्पर्धा में प्रतिस्थापन से आगे होता है एवं ऐल्कीन मुख्य उत्पाद के रूप में पायी जाती है।
यदि हम द्वितीयक व तृतीयक ऐल्किल समूह वाले ईथर बनाना चाहते हैं तो हमें द्वितीयक व तृतीयक ऐल्किल समूह वाला ऐल्कॉक्साइड लेना होगा।
उदाहरणार्थ:
अतः हमेशा प्राथमिक हैलाइड ही प्रयोग करना चाहिए।
इस विधि से फोनॉलों को भी ईथरों में परिवर्तित किया जा सकता है। इसमें फीनॉल का उपयोग अर्धांश (moiety) के रूप में होता है।
यदि ऐरिल हैलाइड एवं सोडियम ऐल्कॉक्साइड को फीनॉलिक ईथर बनाने में प्रयुक्त किया जाये तो यहाँ अभिक्रिया नहीं होगी क्योंकि ऐरिल हैलाइड की क्रियाशीलता नाभिकरागी प्रतिस्थापन के प्रति बहुत कम होती है।
(3) ऐल्किल हैलाइड की क्रिया शुष्क सिल्वर ऑक्साइड से (By the reaction of alkyl halide with dry silver oxide): ईथर को हम ऐल्किल हैलाइड की क्रिया शुष्क सिल्वर ऑक्साइड से कराकर भी प्राप्त कर सकते हैं।
(4) ऐल्कॉक्सी मरक्यूरीकरण-विमरक्यूरीकरण द्वारा (By alkoxy mercuration-demercuration): ऐल्कीन आसानी से मरक्यूरिक ट्राइफ्लुओरोऐसीटेट के साथ क्रिया ऐल्कोहॉल की उपस्थिति में करती है तथा ऐल्कॉक्सी मरक्यूरिक यौगिक बनाती है जो कि NaBH4 के द्वारा अपचयित होकर ईथर देती है।
विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गये प्रश्न:
प्रश्न 1.
वह यौगिक जिसको प्रोटोनित करना सर्वाधिक कठिन है, वह है:
उत्तर:
प्रश्न 2.
निम्न अभिक्रिया में मध्यवर्ती A की संरचना है:
उत्तर:
प्रश्न 3.
इस अभिक्रिया
में सम्मिलित इलेक्ट्रॉनस्नेही है
(a) डाइक्लोरोमेथिल ऋणायन (CHCl2)
(b) फॉर्मिल धनायन (CHO)
(c) डाइक्लोरोमेथिल धनायन (CHC12)
(d) डाइक्लोरोकार्बीन (: CC12)
उत्तर:
(c) डाइक्लोरोमेथिल धनायन (CHC12)
प्रश्न 4.
एक यौगिक है A, C8H10O, जो कि NaOI (Y की अभिक्रिया NaOH से करके बनाया गया) से अभिक्रिया करके लक्षणिक गध वाला पीला अवक्षेप देता है। A और Y क्रमशः हैं
उत्तर:
प्रश्न 5.
निम्नलिखित अभिक्रिया श्रृंखला में मुख्य उत्पाद P, Q और R को पहचानिए:
उत्तर:
प्रश्न 6.
निम्न में से कौन-सा सर्वाधिक अम्लीय यौगिक है?
उत्तर:
प्रश्न 7.
फेनिल मेथिल ईथर को HI के साथ गर्म करने पर बनता है
(a) ऐथिल क्लोराइड
(b) आयडोबेंजीन
(c) फ़ीनॉल
(d) बेंजीन
उत्तर:
(a) ऐथिल क्लोराइड
प्रश्न 8.
अभिक्रिया
को वर्गीकृत किया जा सकता है:
(a) निर्जलीकरण अभिक्रिया
(b) विलियमसन ऐल्कोहॉल संश्लेषण अभिक्रिया
(c) विलियमसन ईथर संश्लेषण अभिक्रिया
(d) ऐल्कोहॉल विरचन अभिक्रिया
उत्तर:
(d) ऐल्कोहॉल विरचन अभिक्रिया
प्रश्न 9.
फीनॉल की क्रिया क्लोरोफॉर्म के साथ तनु NaOH में करवाने पर निम्नलिखित में से अंततः कौन-सा क्रियात्मक समूह लगता
(a) - CH2Cl
(b) - COOH
(c) - CHCl2
(d) - CHO
उत्तर:
(a) - CH2Cl
प्रश्न 10.
निम्नलिखित में से कौन सी अभिक्रिया/अभिक्रियाएँ ऐल्किल हैलाइड के विरचन में उपयोग में ली जा सकती है?
(a) केवल (I), (III) और (IV)
(b) केवल (I) और (II)
(c) केवल (IV)
(d) केवल (III) और (IV)
उत्तर:
(c) केवल (IV)