Rajasthan Board RBSE Class 12 Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन Important Questions and Answers.
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बहुविकल्पीय प्रश्न:
प्रश्न 1.
का मुख्य उत्पाद है।
(a) प्रोपीन-1
(b) ब्यूटीन-2
(c) ब्यूटेन
(d) ब्यूटाइन-1
उत्तर:
(b) ब्यूटीन-2
प्रश्न 2.
ऐल्कोहॉलीय की उपस्थिति में किस मिश्रण के साथ कार्बिल ऐमीन परीक्षण किया जाता है?
(a) क्लोरोफॉर्म एवं रजत चूर्ण
(b) त्रि-हैलोजनीकृत मेथेन और प्राथमिक ऐमीन
(c) एक ऐल्किल हैलाइड और एक प्राथमिक ऐमीन
(d) एक ऐल्किल सायनाइड और एक प्राथमिक ऐमीन
उत्तर:
(b) त्रि-हैलोजनीकृत मेथेन और प्राथमिक ऐमीन
प्रश्न 3.
निम्नलिखित अभिक्रिया C6H6 + Cl2 उत्पाद, में उत्पाद है।
(a) C6H5CI
(b) 0-6 H5CI
(c) C6H6Cl6
(d) p-C6H6Cl6
उत्तर:
(c) C6H6Cl6
प्रश्न 4.
CHCl3 ऑक्सीकरण पर देता है:
(a) फॉस्जीन
(b) फॉर्मिक अम्ल
(c) कार्बन टेट्रा क्लोराइड
(d) क्लोरोपिक्रिन
उत्तर:
(a) फॉस्जीन
प्रश्न 5.
क्लोरोपिक्रिन है:
(a) CCl3HNO2
(b) CCl3NO2
(c) CCl2(NO2)2
(d) CCl2H2ONO2
उत्तर:
(b) CCl3NO2
प्रश्न 6.
जब क्लोरोफॉर्म सान्द्र HNO3 से अभिक्रिया करता है तो निम्न में से क्या बनता है?
(a) CHCl3NO2
(b) C(NO2)Cl3
(c) CHCl4HNO3
(d) CHCl2NO2
उत्तर:
(b) C(NO2)Cl3
प्रश्न 7.
फॉस्जीन है:
(a) PH3
(b) POCl3
(c) CS2
(d) COCl2
उत्तर:
(d) COCl2
प्रश्न 8.
क्लोरोफॉर्म का प्रयोग होता है
(a) एक कीटनाशक के रूप में
(b) एक फफूदीनाशक के रूप में
(c) औद्योगिक विलायक के रूप में
(d) अवशोषक के रूप में
उत्तर:
(c) औद्योगिक विलायक के रूप में
प्रश्न 9.
आयोडोफॉर्म निम्न में से किससे नहीं बनाई जा सकती?
(a) एथिल मेथिल कीटोन
(b) आइसोप्रोपिल ऐल्कोहॉल
(c) 2-मेथिल-2-ब्यूटेनॉन
(d) आइसोब्यूटिल ऐल्कोहॉल
उत्तर:
(d) आइसोब्यूटिल ऐल्कोहॉल
प्रश्न 10.
आयोडोफॉर्म परीक्षण किसके द्वारा दिया जाता है?
(a) ऐसीटोन
(b) एथेनॉइक अम्ल
(c) पेन्टेन-3-ओन
(d) मेथॉक्सीमेथेन
उत्तर:
(a) ऐसीटोन
प्रश्न 11.
निम्न में से कौन-सा यौगिक हैलोफॉर्म अभिक्रिया देगा:
(a) मेथेनॉल
(b) 1-प्रोपेनॉल
(c) ऐथेनॉल
(d) 1-ब्यूटेनॉल
उत्तर:
(b) 1-प्रोपेनॉल
प्रश्न 12.
फिन्केलस्टीन अभिक्रिया में होता है:
(a) विहाइड्रोहेलोजेनीकरण
(b) हैलोजेन विनियम
(c) हाइड्रोजेनीकरण
(d) ऑक्सीकरण
उत्तर:
(c) हाइड्रोजेनीकरण
प्रश्न 13.
हैलोऐरीन का उदाहरण है:
(a) CH3Cl
(b) C6H6Cl
(c) C6H5CH2Cl
(d) C6H5Cl
उत्तर:
(d) C6H5Cl
प्रश्न 14.
काबिलेमीन अभिक्रिया में मध्यवर्ती बनता है:
(a) CN(-)
(b) CCl2
(c) N = C(-)
(d) Cl(-)
उत्तर:
(c) N = C(-)
प्रश्न 15.
SN2 अभिक्रिया में बनता है
(a) संक्रमण अवस्था
(b) कार्बेनायन
(c) कार्बोनियम आयन
(d) मुक्त मूलक
उत्तर:
(a) संक्रमण अवस्था
अति लघुत्तरीय प्रश्न:
प्रश्न 1.
वुटुंज अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर:
शुष्क ईथर में हैलो एल्केन की क्रिया सोडियम से कराने पर ऐल्केन बनते हैं जिसमें सम संख्या में कार्बन परमाणु होते हैं इसे वुर्ट्स अभिक्रिया कहते हैं
प्रश्न 2.
फिकेल्स्टाइन अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर:
इसमें हैलोजन का विनिमय होता है।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित हैलोअम्लों को उनकी अम्लीयता के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए
Cl3COOH, Cl2CHCOOH, ClCH2COOH
उत्तर:
ClH2COOH < ClCHCOOH < ClCH2COOH - I प्रभाव के कारण अम्लीयता गुण बढ़ रहा है।
प्रश्न 4.
ऐलिल क्लोराइड में हैलोजन परमाणु से बंधित कार्बन की संकरित अवस्था लिखिए।
उत्तर:
ऐलिल क्लोराइड (CH2 = CH - CH2 - Cl) में हैलोजन परमाणु से बन्धित कार्बन sp3 संकरित अवस्था में होता है क्योंकि इस पर चार बन्ध हैं।
प्रश्न 5.
क्लोरोफॉर्म को प्रकाश एवं वायु के प्रभाव से बचाने के लिए कौन-सी सावधानियाँ बरती जाती है?
उत्तर:
क्लोरोफॉर्म को रंगीन बोतलों में, काले कागज में लपेटकर, अंधेरे में, मुँह तक भर कर तथा 1% C2H5OH की कुछ बूंद मिलाकर रखना चाहिए।
प्रश्न 6.
क्लोरोबेन्जीन की बेन्जीन रिंग की एक प्रतिस्थापन अभिक्रिया को समीकरण लिखिए।
उत्तर:
क्लोराबेन्जीन का नाइट्रीकरण
प्रश्न 7.
राइमर टीमान अभिक्रिया पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
जब फीनॉल, क्लोरोफॉर्म तथा ऐल्कोहॉलिक KOH के मिश्रण को गर्म किया जाता है तो सैलिसिलेल्डिहाइड बनता है, जिसे ऑर्थों-हाइड्रॉक्सीबेन्जेल्डिहाइड कहते हैं।
यह अभिक्रिया राइमर टीमान अभिक्रिया कहलाती है।
प्रश्न 8.
CHI3 का एक उपयोग लिखिए।
उत्तर:
CHI3 कर उपयोग प्रतिरोधी (Antiseptic) के रूप में किया जाता है।
प्रश्न 9.
उस यंत्र का नाम बताइए जो उस कोण के मापन के लिए प्रयुक्त होता है जिस पर समतल धुवित हो जाता है।
उत्तर:
ध्रुवणमापी।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित में (A) और (B) को पहचानिए :
उत्तर:
A = डाइफेनिल
B = फेनिल मैग्नीशियम ब्रोमाइड
प्रश्न 11.
IUPAC नाम लिखिए:
उत्तर:
2-ब्रोमो-2-मेथिल पेन्टन-2-ईन
प्रश्न 12.
कारण दीजिए:
ऑर्थो अथवा पैरा स्थिति पर -NO2 समूह की उपस्थिति हैलोऐरीनों की नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं के प्रति क्रियाशीलता बढ़ा देती है।
उत्तर:
ऑर्थो अथवा पैरा स्थिति पर इलेक्ट्रान-अपनयक समूह (-NO2) उपस्थित होने पर हैलोएरीन की नाभिक रागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं की क्रियाशीलता बढ़ जाती है।
प्रश्न 13.
बेन्जीन का हैलोजन वाहक की उपस्थिति में हैलोजनीकरण किस प्रकार होता है? सम्बन्धित समीकरण लिखिए।
उत्तर:
हैलोजन वाहक की उपस्थिति में गर्म बेन्जीन में शुष्क क्लोरीन गैस प्रवाहित करने से क्लोरोबेन्जीन बनती है।
प्रश्न 14.
(a) फ्रीडेल-क्राफ्टस अभिक्रिया पर संक्षिप्त में टिप्पणी लिखिए।
(b) विहाइड्रोहैलोजनीकरण या डिहाइड्रोहैलोजेनीकरण पर रासायनिक अभिक्रिया समझाइए।
उत्तर:
(a)
यह अभिक्रिया फ्रीडेल-फ्राफ्ट्स अभिक्रिया कहलाती है।
(b) ऐल्कोहॉलिक KOH वे NaNH, को गर्म करने पर ऐल्काइन बनते हैं।
ऐल्काइन इसे विहाइड्रोहैलोजेनीकरण अभिक्रिया कहते हैं।
प्रश्न 15.
कारण दिजिए-क्लोरोफॉर्म क्लोरीन यौगिक है फिर भी सह सिल्वर नाइट्रेट विलयन के साथ कोई अवक्षेप नहीं देता है, क्यों?
उत्तर:
क्लोरोफॉर्म सहसंयोजी यौगिक है, अतः यह क्लोराइड आयन नहीं देता है। इसलिए यह AgNO3 के साथ किसी प्रकार का अवक्षेप नहीं देता है।
प्रश्न 16.
ध्रुवण घूर्णक पदार्थ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
वह पदार्थ जो समतल ध्रुवित प्रकाश के तल को एक निश्चित कोण तक घुमाने की प्रवृत्ति रखता है, ध्रुवण घूर्णक पदार्थ कहलाता है।
प्रश्न 17.
असममित कार्बन परमाणु किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह कार्बन परमाणु जिसकी चारों संयोजकताएँ भिन्न-भिन्न परमाणुओं या समूहों द्वारा सन्तुष्ट होती हैं, उसे असममित कार्बन परमाणु कहते हैं।
प्रश्न 18.
प्रकाश समायवयी से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
समान अणुसूत्र तथा समान रासायनिक संरचानाओं वाले दो-या-दो से अधिक यौगिक जो समतल ध्रुवित प्रकाश के प्रति भिन्न व्यवहार दर्शाते हैं, प्रकाश समावयवी कहलाते हैं।
प्रश्न 19.
C2H5O2Br सूत्र वाला एक काबोक्सिलिक अम्ल प्रकाश सक्रिय है। उसकी संरचना लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 20.
किस ऐल्किल हैलाइड का घनत्व सर्वाधिक होता है और क्यों?
उत्तर:
CH3I का घनत्व सर्वाधिक होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इसमें कार्बन की संख्या न्यूनतम है और यह सबसे भारी हैलोजन
प्रश्न 21.
निम्न को क्वथनांक के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
CH3CH2CH2CH2Br,(CH3)3 CBr,(CH3)2 CHCH2Br
उत्तर:
(CH3)3CBr < (CH3)2CHCH2Br < CH3CH2CH2CH2Br
प्रश्न 22.
कारण दीजिए-ऐल्किल हैलाइड ऐरिल हैलाइड से श्रेष्ठ विलायक होते हैं।
उत्तर:
हैलोऐल्केनों में C - X आबन्ध हैलोऐरीनों से अधिक ध्रुवीय होता है। C - X आबन्ध की ध्रुवता के कारण ऐल्किल हैलाइड ऐरिल हैलाइड से श्रेष्ठ विलायक होते हैं।
प्रश्न 23.
कारण दीजिए-उद्योगों में प्रयुक्त विलायक हैलोऐल्केन ब्रोमो यौगिकों के विपरीत क्लोरो यौगिक होते हैं।
उत्तर:
क्लोरीन, ब्रोमीन की तुलना में अधिक ऋणविद्युती होने के कारण ऐल्किन क्लोराइड में C- Cl आबन्ध ऐल्किल ब्रोमाइड में C - Br आबन्ध से अधिक ध्रुवीय (polar) होता है। आबन्ध की उच्च ध्रुवता के कारण क्लोरोऐल्केन की तुलना में श्रेष्ठ विलायक होते हैं।
प्रश्न 24.
किन परिस्थितियों में 2-मेथिलप्रोपीन को हाइड्रोजन ब्रोमाइड द्वारा आइसोब्यूब्लि ब्रोमाइड में परिवर्तित किया जा सकता हैं?
उत्तर:
परॉक्साइडों की उपस्थिति में HBr के प्रतिकामार्कोनीकॉफ योग द्वारा।
प्रश्न 25.
निम्न में से कौन-सा यौगिक SN2 अभिक्रिया में OH के साथ शीघ्रता से अभिक्रिया करेगा?
CH2 = CHCH2Br अथवा CH2 = CHCH2Br
उत्तर:
CH2 = CHCH2Br शीघ्रता से अभिक्रिया करेगा क्योंकि ऐलिल ब्रोमाइड, वाइनिल ब्रोमाइड से अधिक क्रियाशील होते हैं।
प्रश्न 26.
डी.डी.टी. एवं बी.एच.सी का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर:
डी.डी.टी.-p-p'-डाइ क्लोरो डाइ फेनिल ट्राइ क्लोरो ऐथेन बी.एच.सी.-बेन्जीन हेक्सा क्लोराइड।
प्रश्न 27.
किसी एक तृतीयक ऐल्किल हैलाइड का नाम एवं सूत्र लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 28.
हैलोफॉर्म अभिक्रिया देने वाले एक ऐल्कोहॉल एवं एक कीटोन का नाम व सूत्र लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 29.
C2H3Cl3 के सम्भावित समावयव बनाइए।
उत्तर:
प्रश्न 30.
क्या होता है जब बेन्जल क्लोराइड को जलीय NaOH विलयन के साथ उबालते हैं?
उत्तर:
बेन्जेल्डिहाइड बनता है।
प्रश्न 31.
हिन्सबर्ग अभिकर्मक का रासायनिक नाम एवं सूत्र लिखिये।
उत्तर:
प्रश्न 32.
Br- तथा-आयनों में से कौन-सा उत्तम नाभिक स्नेही है?
उत्तर:
ब्रोमाइड आयन (Br-) की तुलना में आयोडाइड आयन (I-) उत्तम नाभिकस्नेही होता है क्योंकि आयोडीन की विद्युत-ऋणात्मकता बहुत ही कम होती है इसलिए Br- आयनों की तुलना में F अधिक आसानी से इलेक्ट्रॉन युग्म मुक्त करता है।
प्रश्न 33
उत्तर:
प्रश्न 34.
किन्हीं तीन नाभिक स्नेही एवं एक इलेक्ट्रॉन स्नेही का उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
तीन नाभिक स्नेही अभिकर्मक: OH-, RO-, CN-
R - X + OH → R - OH + X
R - X + CN- → R - CN + X
R - X + RO → R - OR + X
एक इलेक्ट्रॉन स्नेही अभिकर्मक:
प्रश्न 35.
अग्निशामक के रूप में किस यौगिक का उपयोग करते हैं?
उत्तर:
कार्बन टेट्राक्लोराइड (CCIA) का प्रयोग अग्निशामक के रूप में करते हैं।
प्रश्न 36.
डी.डी.टी. का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 37.
निम्न के सूत्र लिखिए:
(a) फ्रिऑन-11
(b) फ्रिऑन-12
(1) फ्रिऑन-111
उत्तर:
(a) फ्रिऑन-11 : CFCl3
(b) फ्रिऑन-12:CF2Cl2
(c) फ्रिऑन-111:C2FCl5
प्रश्न 38.
असममित कार्बन या काइरल कार्बन क्या होता है?
उत्तर:
वह कार्बन परमाणु जिसमें चार भिन्न परमाणु तथा समूह जुड़े हुए होते हैं, काइरल कार्बन या असममित कार्बन परमाणु कहलाता है।
प्रश्न 39.
साधारण प्रकाश एवं समतल धुवित प्रकाश में क्या अन्तर होता है?
उत्तर:
साधारण प्रकाश में कम्पन संचरण मार्ग के लम्बवत् सभी दिशाओं में होता है जबकि समतल ध्रुवित प्रकाश में कम्पन केवल एक ही दिशा में होता है।
प्रश्न 40.
काइरल तथा एकाइरल वस्तुएँ क्या होती हैं?
उत्तर:
वे वस्तुएँ जो कि अपने दर्पण प्रतिबिम्ब पर अध्यारोपित नहीं होती एवं जिनमें कोई भी सममिति तल नहीं होता, काइरल वस्तुएँ कहलाती हैं। उदाहरण-दोनों हाथ।
वे वस्तुएँ जो कि अपने दर्पण प्रतिबिम्ब पर अध्यारोपित हो जाती हैं एकाइरल वस्तुएँ कहलाती हैं।
उदाहरण:
प्रश्न 41.
यौगिकों की ध्रुवण-घूर्णकता से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
ध्रुवण-घूर्णकता: वह गुण जिसमें यौगिक समतल ध्रुवित प्रकाश को इनके विलयन अथवा इनकी गैसीय अवस्था में गुजारे जाने पर उसे घूर्णित कर दे, ध्रुवण- घूर्णकता कहलाता है।
प्रश्न 42.
ध्रुवण घूर्णन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
एक ध्रुवण घूर्णक यौगिक द्वारा समतल ध्रुवित प्रकाश को जिस कोण पर घूर्णन करा दिया जाता है, वह ध्रुवण घूर्णन कहलाता है।
प्रश्न 43
(i) अभिक्रियाओं के उत्पाद बतायें।
उत्तर:
(ब) CH3 - CH2 - Br + KNO2 → CH3CH2ONO + KBr
प्रश्न 44.
यौगिकों के समूहों में कौन-सा यौगिक SN1 अभिक्रिया के प्रति तेजी से क्रिया करता है।
उत्तर:
एक 3° ऐल्किल हैलाइड जो SN1 अभिक्रिया के प्रति अधिक तेजी से क्रिया करता है क्योंकि यह अधिक स्थायी 3° कार्बोकेटायन बनाता है।
प्रश्न 45.
हुण्डसडीकर अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
हुण्डसडीकर अभिक्रिया
प्रश्न 46.
क्लोरोपिकरिन वक्लोरेटोन का सूत्र व उपयोग लिखिए।
उत्तर:
क्लोरोपिकरिन: नाइट्रोक्लोरोफॉर्म (ClCNO2) इसका उपयोग कीटनाशी तथा रासायनिक हथियारों के रूप में होता है।
क्लोरेटोन: ट्राइक्लोरोब्यूटेनॉल
इसका उपयोग नींद कारक (Hypnotic Agent) के रूप में होता है।
प्रश्न 48.
शुद्ध क्लोरोफॉर्म प्राप्त करने के लिए कौन-सा श्रेष्ठ अभिकर्मक है।
उत्तर:
शुद्ध क्लोरोफॉर्म क्लोरल या जलायोजित क्लोरल का आसवन सान्द्र जलयोजित NaOH के साथ करने पर प्राप्त किया जा सकता है।
लघुत्तरीय प्रश्न:
प्रश्न 1.
एक अणुक नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया की क्रियाविधि समझाइए।
उत्तर:
एक अणुक नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया दो पदों में पूर्ण होती है
यह एक प्रथम कोटि अभिक्रिया है क्योंकि अभिक्रिया का वेग धीमे . पद पर निर्भर करता है अत: वेग = K[RX]
उदाहरण-तृतीयक ब्यूटिल ब्रोमाइड का जल अपघटन
प्रश्न 2.
(a) बेंजिल क्लोराइड में हैलोजन परमाणु से बंधित कार्बन की संकरित अवस्था लिखिए।
(b) द्विअणुक नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया की क्रियाविधि समझाइए।
उत्तर:
(a) बेन्जिल क्लोराइड में हैलोजन परमाणु से बधित कार्बन sp3 संकरित अवस्था में होगा।
(b) द्विअणुक नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया एक पद में पूर्ण होती है।
यह द्वितीय कोटि की अभिक्रिया है।
उदाहरण: मेथिल क्लोराइड की जलीय KOH से किया
प्रश्न 3.
(अ) ऐरिल हैलाइड नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं के प्रति कम क्रियाशील क्यों होते हैं? समझाइये।
(ब) निम्नलिखित ऐल्किल हैलाइडों को SN2 अभिक्रिया के प्रति उनकी अभिक्रियाशीलता के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
CH3CH2CI, (CH3)2 CHCI, (CH3)3 CCI
(स) CHCI का कक्षक आरेख बनाइए।
उत्तर:
ऐरिल हैलाइड या हैलोएरीन में हैलोजेन परमाणु पर उपस्थित एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म वलय के इलेक्ट्रॉन के साथ संयुग्म में होते है। इस कारण ये इलेक्ट्रॉन अनुनाद प्रदर्शित करते हैं। अनुनाद के कारण ऐरिल हैलाइड नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं के प्रति कम क्रियाशील होते हैं।
(ब) (CH3)3CCl < (CH3)2 CHCl < CHICH2CI
प्रश्न 4.
(अ) वज-फिटिंग अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण
(ब) ऐल्किल क्लोराइड जलीय KOH से अभिक्रिया करके ऐल्कोहॉल बनाता है जबकि ऐल्कोहॉलिक KOH की उपस्थिति में ऐल्कीन मुख्य उत्पाद के रूप में प्राप्त होती है। समझाइए।
(स) निम्नलिखित हैलोजन व्युत्पन्नों को नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रियाशीलता के प्रति अभिक्रियाशीलता के क्रम में व्यवस्थित करिए
उत्तर:
(ब) ऐल्किल हैलाइड जलीय KOH के साथ नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया प्रदर्शित करता है जिससे उत्पाद ऐल्कोहॉल मिलता है।
R-Cl + KOH (जलीय) → R-OH + KCl
जबकि ऐल्कोहॉलीय KOH के साथ यह ß - विलोपन की अभिक्रिया प्रदर्शित करता हैं जिससे उत्पाद एल्कीन प्राप्त होता है।
R-Cl + KOH (ऐल्कोहॉलीय) → एल्कीन
(स)
प्रश्न 5.
ट्राइक्लोरोमेथेन को गहरी रंगीन बोतलों में संगृहीत करते हैं। तर्क दीजिए।
उत्तर:
ट्राइक्लोरोमेथेन या क्लोरोफॉर्म प्रकाश की उपस्थिति में वायुमण्डलीय ऑक्सीजन से ऑक्सीकृत होकर अत्यधिक विषैली गैस फॉस्जीन (COCI2) बनाता है।
फॉस्जीन अतः प्रकाश से बचाने के लिए क्लोरोफॉर्म को गहरी रंगीन बोतलों में संगृहीत किया जाता है।
प्रश्न 6.
ट्राइआयोडोमेथेन (आयोडोफॉम) पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
यह मेथेन का ट्राइआयोडो व्युत्पन्न (derivative) है तथा औषधियों एवं रासायनिक उद्योगों में कई प्रकार से उपयोग किया जाता है। सामान्यतः इसे आयोडोफॉर्म (iodoform) कहते हैं। यह विशिष्ट गन्ध वाला पीला क्रिस्टलीय ठोस है। इसका उपयोग प्रारम्भ में पूतिरोधी (ऐंटिसेप्टिक) के रूप में किया जाता था। आयोडोफॉर्म का यह पूतिरोधी गुण स्वयं आयोडोफॉर्म के कारण नहीं बल्कि मुक्त हुई आयोडीन के कारण होता है। इसकी अरुचिकर गंध के कारण अब इसके स्थान पर आयोडीनयुक्त अन्य दवाओं का उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 7.
कार्बिल एमीन अभिक्रिया पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
क्लोरोफॉर्म को ऐनिलीन और ऐल्कोहॉलीय KOH के साथ गर्म करने पर अभिक्रिया द्वारा तीव्र दुर्गन्ध युक्त पदार्थ आइसोसायनाइड बनता है। यह अभिक्रिया कार्विल ऐमीन कहलाती है।
प्रश्न 8.
फ्रेऑन क्या है? इसका पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है?
या
किसी फ्रेऑन का रासायनिक सूत्र लिखिए।
या
फ्रेऑन क्या है? इसका एक उपयोग लिखिए।
उत्तर:
ऐल्केनों के पॉलिक्लोरोफ्लुओरो व्युत्पन्नों को फ्रेऑन कहते हैं। पॉलिक्लोरोफ्लुओरोमेथेन तथा पॉलिक्लोरोफ्लुओरोएथेन महत्त्वपूर्ण फ्रेऑन हैं, जैसे
1. CFCl3 ट्राइक्लोरोफ्लुओरोमेथेन (फ्रेऑन-11)
2. CF2Cl2 डाइक्लोरोडाइफ्लुओरोमेथेन (फ्रेऑन-12)
3. C2F2C14 टेट्राक्लोरोडाइफ्लुओरोएथेन (फ्रेऑन-112)
CFCl3 में कार्बन तथा फ्लुओरीन का अनुपात 1 : 2 है, अतः इस कारण इसका नाम फ्रेऑन-12 है। फ्रेऑन के गुण-फ्रेऑन रंगहीन, गन्धहीन, विषहीन, अत्यन्त अक्रिय तथा कम क्वथनांक वाले द्रव हैं। ये बहुत कम दाब पर ही गैस अवस्था में परिवर्तित हो जाते हैं, इस कारण इनका उपयोग रेफ्रीजेरेटर तथा वातानुकूलन में प्रशीतक के रूप में होता है। इन यौगिकों को संक्षिप्त रूप में CFCs भी कहते हैं। इनका पर्यावरण पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता इनको ओजोन परत को नष्ट करने के लिए उत्तरदायी माना जा रहा
प्रश्न 9.
डी. डी. टी. पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
या
डी डी टी का उपयोग लिखिए तथा पर्यावरण पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
DDT का उपयोग एक सम्पर्क कीटनाशक (contact insecticide) की भाँति किया जाता है। सस्ता तथा शक्तिशाली होने के कारण मक्खी, मच्छर, कीड़े-मकोड़े, शलभ तथा कृषि पीड़कों को मारने के लिए इसका व्यापक स्तर पर उपयोग किया जाता है। यह मुख्यत मलेरिया फैलाने वाले ऐनोफीलीज मच्छर (Anopheles masquito) तथा टाइफस वाहक जुओं को समाप्त करने में प्रभावकारी है। द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् कीटनाशक के रूप में DDT का उपयोग विश्व स्तर पर तेजी से बढ़ा। 1940 ई. के अन्त में DDT के अत्यधिक उपयोग के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याएँ सामने आने लगी। कीटों की अनेक प्रजातियों ने DDT के प्रति प्रतिरोधात्मकता विकसित कर ली तथा यह मछलियों के लिए अति विषैली सिद्ध हुई।
DDT के अत्यधिक रासायनिक स्थायित्व तथा इसकी वसा में विलेयता ने समस्या को और जटिल बना दिया। जन्तुओं द्वारा DDT का शीघ्रता से उपापचय नहीं होता है बल्कि यह वसीय ऊतकों में एकत्र तथा संग्रहित हो जाती है। यदि जन्तु इसका निरन्तर अन्तर्ग्रहण करता रहता है तो समय के साथ इसकी मात्रा निरन्तर बढ़ती जाती है। यह बढ़ी हुई मात्रा जन्तुओं के जनन तन्त्र पर विपरीत प्रभाव डालती है। इसके दुष्प्रभावों (ill effects) को देखते हुए यू.एस.ए. ने 1973 ई. में DDT पर प्रतिबन्ध लगा दिया था यद्यपि विश्व में अनेक स्थानों पर इसका उपयोग आज भी हो रहा है।
प्रश्न 10.
मुख्य उत्पाद की प्रागुक्ति कीजिए जब 2-ब्रोमोपेन्टेन, ऐल्कोहॉली KOH के साथ अभिक्रिया करता है।
उत्तर:
2-ब्रोमोपेन्टेन, एल्कोहॉली KOH के साथ अभिक्रिया कर मुख्य उत्पाद के रूप में 2-पेन्टीन प्राप्त होता है।
प्रश्न 11.
ऐल्कोहॉलों से एल्किल क्लोराइड विरचन के लिए थायोनिल क्लोराइड विधि को वरीयता दी जाती है। कारण समझाइए।
उत्तर:
ऐल्कोहॉलों को पिरीडीन की सूक्ष्म मात्रा की उपस्थिति में थायोनिल क्लोराइड के साथ आसवित करने पर ऐल्किल क्लोराइड बनते हैं। यह अभिक्रिया अन्य की अपेक्षा अधिक उत्तम है, क्योंकि यहाँ शेष दोनों उत्पाद आसानी से निकल सकने वाली गैसें हैं अतः इस अभिक्रिया से शुद्ध ऐल्किल क्लोराइड प्राप्त होता है।
प्रश्न 12.
(अ) निम्नलिखित एल्किल हैलाइडों की SN1 क्रिया के प्रति क्रियाशीलता के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
(ब) निम्नलिखित रासायनिक क्रियाओं को पूर्ण कीजिए एवं उत्पाद लिखिये।
उत्तर:
प्रश्न 13.
निम्नलिखित यौगिकों को क्वथनांकों के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
(i) ब्रोमोमेथेन, ब्रोमोफॉर्म, क्लोरोमेथेन, डाइब्रोमोमेथेन।
(ii) 1-क्लोरोप्रोपेन, आइसोप्रोपिल क्लोराइड, 1-क्लोरोब्यूटेन।
उत्तर:
(i) क्लोरोमेथेन < ब्रोमोमेथेन < डाइब्रोमोमेथेन < ब्रोमोफॉर्म (अणुभार बढ़ने पर क्वथनांक बढ़ता जाता है।)
(ii) आइसोप्रोपिल क्लोराइड <1-क्लोरोप्रोपेन < 1- क्लोरोब्यूटेन (शाखित होने के कारण आइसोप्रोपिल क्लोराइड का गलनांक . 1-क्लोरोप्रोपेन से कम होगा।)
प्रश्न 14.
निम्नलिखित युगलों में से आप कौन-से ऐल्किल हैलाइड द्वारा S 2 क्रियाविधि से अधिक तीव्रता से अभिक्रिया करने की अपेक्षा करते हैं? अपने उत्तर को समझाइए।
उत्तर:
(i) CH3 CH2 CH2 CH2 Br अधिक तीव्रता से SN2 क्रियाविधि द्वारा अभिक्रिया करता है, क्योंकि प्राथमिक हैलाइड होने के कारण इसमें कोई त्रिविम बाधा उत्पन्न नहीं होगी।
(ii) अधिक तीव्रता से SN2 क्रियाविधि द्वारा अभिक्रिया करेगा, क्योंकि द्वितीयक हैलाइड, तृतीयक हैलाइड की तुलना में अधिक तीव्रता से अभिक्रिया करता है।
(iii) अधिक तीव्रता से SN2 क्रियाविधि द्वारा अभिक्रिया करेगा, क्योंकि यहाँ मेथिल समूह हैलाइड समूह से दूर होने के कारण कम त्रिविम बाधा को उत्पन्न करेगा तथा इसमें अभिक्रिया का वेग अधिक होगा।
प्रश्न 15.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
(i) किसी यौगिक की किरेलिटी (Chirality) का क्या अर्थ है? एक उदाहरण दीजिए।
(ii) निम्नलिखित यौगिकों में से कौन-सा KOH द्वारा अधिक सरलता से जल अपघटित होता है और क्यों?
CH3CHCICH2CH3 अथवा CH3CH2CH2Cl
(ii) इनमें से कौन SN2 प्रतिस्थापन अभिक्रिया तेजी से करता है और क्यों?
अथवा
उत्तर:
(i) ऐसे यौगिक जिनमें सममिति का तल (Plane of symmetry) नहीं पाया जाता है, काइरल यौगिक कहलाते हैं तथा वे यौगिक (या वस्तु) अपने दर्पण प्रतिबिम्ब पर अध्यारोपित नहीं हो सकते हैं, काइरल (Chiral) कहलाते हैं तथा यह गुण काइरलता कहलाता है।
उदाहरण:
(ii) CH3CHCICH2CH3 क्योंकि इसमें CI समूह द्वितीयक कार्बन पर है।
(iii) आयोडाइड के बड़े आकार के कारण यह अच्छा प्रतिस्थापी समूह है। अत: SN2 प्रतिस्थापन अभिक्रिया तेजी से करता है।
प्रश्न 16.
बेन्जिलिक क्लोराइड तथा वाइनिलिक क्लोराइड के संरचना सूत्र लिखिए। इन यौगिकों में क्लोरीन परमाणुओं से जुड़े कार्बन परमाणुओं की संकरण अवस्थाएँ भी लिखिए।
उत्तर:
(i) बेन्जिलिक क्लोराइड
(ii) वाइनिलिक क्लोराइड
प्रश्न 17.
निम्नलिखित यौगिकों में कौन-से आयोडोफॉर्म परीक्षण देंगे:
(i) प्रोपेन-1-ऑल
(ii) ब्यूटेन-2-ऑल
(iii) ऐथेनैल
(iv) प्रोपेनॉल
(v) tert-ब्यूटिल ऐल्कोहॉल
(vi) प्रोपेनोन
(vii) 1-फेनिल ऐथेनॉल
(viii) 2-फेनिल ऐथेनॉल
(ix) ब्यूटेन-2-ऑन
उत्तर:
ऐसे यौगिक जिनमें या समूह पाये जाते हैं आयोडोफॉर्म परीक्षण देते हैं। अतः अग्रलिखित यौगिक
आयोडोफॉर्म परीक्षण देंगे:
प्रश्न 17.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं को लिखिए।
(A) ऐलिलिक ब्रोमीनीकरण
(B) फिन्कल्स्टीन अभिक्रिया
(C) सैण्डमेयर अभिक्रिया
(D) गॉटरमान अभिक्रिया।
उत्तर:
(A) ऐलिलिक ब्रोमीनीकरण (Allylic Bromination):
(B) फिन्केल्स्टीन अभिक्रिया (Finkelstein reaction):
(C) सैण्डमेयर अभिक्रिया (Sandmeyer's reaction):
(D) गॉटरमैन अभिक्रिया (Gatterman's reaction):
प्रश्न 18.
आप किस प्रकार बनायेंगे?
(1) टॉलुईन से बेन्जिल ऐल्कोहॉल
(2) ब्रोमोबेन्जीन से m-नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल
(3) क्लोरोबेन्जीन से ऐनिलीन
(4) क्लोरोबेन्जीन से टॉलुईन
(5) क्लोरोबेन्जीन से फीनॉल।
उत्तर:
(1) टॉलुईन से बेन्जिल ऐल्कोहॉल:
(2) ब्रोमो बेन्जीन से m-नाइट्रो बेन्जोइक अम्ल:
(3) क्लोरोबेन्जीन से ऐनिलीन:
(4) क्लोरोबेन्जीन से टॉलुईन:
(5) क्लोरोबेन्जीन से फीनॉल:
प्रश्न 19.
C2H5Cl की अपेक्षा C6H5Cl नाभिक स्नेही अभिक्रियाओं के प्रति कम क्रियाशील होता है। क्यों?
उत्तर:
प्रश्न 20.
ß - विलोपनको समझाइए।
उत्तर:
हैलोऐल्केन ß विलोपन को प्रदर्शित करती हैं। जब ß हाइड्रोजन परमाणु युक्त हैलोऐल्केन को KOH के जलीय विलयन के साथ गर्म किया जाता है, तो ß-कार्बन से हाइड्रोजन परमाणु तथा a-कार्बन से हैलोजन परमाणु का विलोपन होता है तथा उत्पाद के रूप में ऐल्कीन प्राप्त होती है। यहाँ विलोपन अभिक्रिया में ß-हाइड्रोजन परमाणु भाग लेता है।
अतः यहह अभिक्रिया ß-विलोपन कहलाती है।
प्रश्न 21.
बेन्जिलिक क्लोराइड,क्लोरो बेन्जीन से अधिक क्रियाशील है। क्यों?
उत्तर:
बेन्जिलिक क्लोराइड, क्लोरोबेन्जीन से अधिक क्रियाशील है क्योंकि बेन्जिलिक क्लोराइड SN1 प्रकार की नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ देती हैं और अभिक्रिया में बनने वाला बेन्जीन कार्बोनियम आयन अनुनाद द्वारा स्थायी हो जाता है। यही कारण है कि यह अधिक क्रियाशील होते हैं।
प्रश्न 22.
SN1 और SN2 अभिक्रियाओं में विभेद कीजिए।
उत्तर:
SN1 अभिक्रियाओं |
SN2 अभिक्रियाओं |
1. ये अभिक्रियाएँ प्रथम कोटि वेग समीकरण का अनुसरण करती हैं। |
1. ये अभिक्रियाएँ द्वितीय कोटि वेग समीकरण का अनुसरण करती हैं। |
2. इनका वेग केवल अभिकारक की सान्द्रता पर ही निर्भर करता है, अर्थात् वेग नाभिकस्नेही की सान्द्रता पर निर्भर नहीं करता है। |
2. इसका वेग अभिकारक एवं नाभिकस्नेही दोनों की सान्द्रता पर निर्भर करता है। |
3. इन अभिक्रियाओं में रेसिमीकरण होता है। |
3. इनमें पूर्णतः त्रिविमीय प्रतीपन (Inversion) होता है। |
4. इसकी क्रियाशंली का क्रम निम्न प्रकार है |
4. इनकी क्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार है- |
5. इन अभिक्रियाओं का वेग ध्रुवीय विलायकों में बढ़ जाता है। |
5. इन अभिक्रियाओं का वेग ध्रुवीय विलायकों में घट जाता है। |
6. ये अभिक्रियाएँ आयनिक होती हैं, अतः तीव्र गति से सम्पन्न होती है। |
6. ये अभिक्रियाएँ मन्द गति से होती हैं। |
7. यह अभिक्रिया दो पदों में सम्पन्न होती है। |
7. यह अभिक्रिया केवल एक पद में सम्पन्न होती है। |
प्रश्न 23.
निम्नलिखित समुच्चयों के यौगिकों को SN2 विस्थापन के प्रति क्रियाशील के क्रम में व्यवस्था कीजिए।
1. 2-ब्रोमो-2-मेथिल ब्यूटेन, 1-ब्रोमोपेन्टेन, 2-ब्रोमो पेन्टेन
2. 1-ब्रोमो-3-मेथिल ब्यूटेन, 2-ब्रोमो-2-मेथिल ब्यूटेन, 3-ब्रोमो-2-मेथिल ब्यूटेन
3. 1-ब्रोमो ब्यूटेन, 1-ब्रोमो-2, 2-डाइमेथिल प्रोपेन, 1-ब्रोमो-2-मेथिल ब्यूटेन, 1-ब्रोमो-3-मेथिल ब्यूटेन।
उत्तर:
प्रश्न 24.
(i) निम्नलिखित में विभेद के लिए परीक्षण दीजिए।
(a) क्लोरोबेन्जीनतथा बेन्जिल क्लोराइड
(b) क्लोरोफॉर्म तथा कार्बन क्लोराइड
(ii) मेथिल क्लोराइड क्लोरोबेन्जीन की तुलना में आसानी से जल अपघटित क्यों हो जाता है?
उत्तर:
(i) (a) बेन्जिल क्लोराइड की क्रिया तब AgNO3 विलयन में करायी जाती है तब यह सफेद अवक्षेप देता है जबकि क्लोरोफॉर्म नहीं।
(b) क्लोरोफॉर्म तब KOH तथा 1° ऐमीन से क्रिया करता है, जब आइसोसायनाइड की अप्रिय गन्ध आती है जबकि CCl4 यह परीक्षण नहीं देता है।
(ii) क्लोरोबेन्जीन अनुनाद स्थायी है जिससे C - CI में आंशिक द्विआबन्ध लक्षण आ जाते हैं। पुन: C, sp2-संकरित होने के कारण अधि
क विद्युतऋणी होता है। अतः Cl- आसानी से प्रतिस्थापित नहीं होता है।
जबकि मेथिल क्लोराइड में एकल आबन्ध होता है जो आसानी से टूट जाता है अर्थात् यह क्लोरोबेन्जीन की तुलना में शीघ्रता से जल अपघटित हो जाता है।
प्रश्न 25.
कार्बन टेट्राक्लोराइड के चार उपयोग लिखो?
उत्तर:
(chloromethane or Carbon tetrachloride, CCl4) इसकी खोज कोलतार के भारी प्रभाज से सर्वप्रथम लॉरेन्ट (Laurent) ने की थी। चूँकि यह आग बुझाने में प्रयोग किया जाता है। अतः इसे पाइरीन (Pyrene = fire) भी कहते हैं।
(a) विरचन (Preparation): मेथेन को उच्च ताप पर या सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में Cl2 की अधिकता में मेथेन कार्बन टेट्राक्लोराइड में परिवर्तित हो जाती है।
(b) हानिकारक प्रभाव (Harmful effect): कार्बन टेट्रा- क्लोराइड के उद्भासन (exposure) द्वारा मनुष्यों में यकृत का कैंसर हो जाता है। इसके कुछ प्रमुख प्रभाव हैं-चक्कर आना, सिर का हल्कापन, मितली तथा उल्टी आना आदि, जिससे तन्त्रिका कोशिकाओं में स्थायी क्षति हो सकती है। गम्भीर स्थिति में यह प्रभाव शीघ्रता से मूर्छा, गहरी नींद, बेहोशी अथवा मृत्यु ला सकता है। CCl4 के उद्भासन से हृदयगति अनियमित हो सकती है अथवा रुक सकती है। आँखों के सम्पर्क में आने पर जलन उत्पन्न होती है। जब CCl4 ऊपरी वायुमण्डल तक पहुँच जाती है तो यह ओजोन परत को विरल बना देती है। ओजोन परत के विरलीकरण से मनुष्यों का पराबैंगनी किरणों से उद्भासन बढ़ जाता है जिससे त्वचा का कैंसर, आँखों की बीमारियाँ तथा विकार उत्पन्न होने
लगते हैं।
(c) उपयोग (Uses):
निम्नको ऐनिलीन से कैसे प्राप्त करेंगे:
(a) क्लोरोबेन्जीन
(b) ब्रोमोबेन्जीन
(c) आयोडोबेन्जीन
उत्तर:
(a) क्लोरोबेन्जीन
(b) ब्रोमोबेन्जीन
(c) आयोडो बेन्जीन
प्रश्न 26.
क्लोरोबेन्जीन, नाभिकस्नेही प्रतिस्थापी अभिक्रियाओं के प्रति कम क्रियाशील है, क्यों?
उत्तर:
क्लोरोबेन्जीन की निम्न अनुनादी संरचनायें होती हैं:
अनुनाद के कारण,C - Cl के मध्य अधिक द्विबन्ध गुण आ जाने के कारण, C - Cl की बन्ध ऊर्जा में वृद्धि हो जाती है। अत: C - Cl बन्ध किसी नाभिक स्नेही प्रतिस्थापी समूह के द्वारा आसानी से प्रतिस्थापित नहीं हो पाता अतः कम क्रियाशील है।
प्रश्न 27.
ऐरिल हैलाइड नाभिकरागी प्रतिस्थापन के प्रति कम क्रियाशील होती है। क्यों? समझाइए।
उत्तर:
नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रिया के प्रति ऐरिल हैलाइड की क्रियाशीलता ऐल्किल हैलाइड ऐलिलिक हैलाइड इत्यादि की तुलना में कम होती है इसके निम्नलिखित करण हैं:
(i) कार्बन हैलोजन आबंध (C - X) में कार्बन परमाणु के संकरण में भिन्नता है-हैलोऐल्केन में हैलोजन से जुड़ा कार्बन परमाणु sp3 संकरित होता है। जबकि हैलोऐरीन (ऐरिल हैलाइड) में इस कार्बन पर sp2 संकरण होता है।
संकरण में s लक्षण बढ़ने पर कार्बन की विद्युत-ऋणता बढ़ती है अतः sp3 संकरित कार्बन की तुलना में sp2 संकरित कार्बन अधिक विद्युतऋणी होता है। अत: हैलोऐरीन का कार्बन, बन्ध के इलेक्टॉन युग्म को अधिक आकर्षित करता है इसकी बन्ध लम्बाई कम हो जाती है। तथा बन्ध की प्रबलता बढ़ जाती है जिससे बन्ध का टूटना मुश्किल हो जाता है।
प्रश्न 28.
ऐथिल क्लोराइड KCN से क्रिया करके मुख्य उत्पाद ऐथिल सायनाइड बनाता है जबकि AgCN से क्रिया करने पर ऐथिल आइसोसायनाइड बनाता है। समझाइए।
उत्तर:
KCN आयनिक प्रकृति का होता है। यह विलयन में सायनाइड आयन देता है। यद्यपि कार्बन तथा नाइट्रोजन दोनों ही परमाणु इलेक्ट्रॉन युगल प्रदान करने की स्थिति में होते हैं, परन्तु आक्रमण मुख्यत: कार्बन परमाणु द्वारा होता है न कि नाइट्रोजन परमाणु के द्वारा क्योंकि C - C आबन्ध C - N आबन्ध की तुलना में अधिक स्थायी होता है। इस कारण हैलोऐल्केन की KCN से अभिक्रिया कराने पर प्रमुख उत्पादन ऐल्किल सायनाइड प्राप्त होता है। AgCN की प्रकृति सहसंयोजक होती है तथा इसका नाइट्रोजन परमाणु इलेक्ट्रॉन युगल प्रदान करने के लिये सक्षम होता है। इस कारण से ऐल्किल हैलाइड AgCN से क्रिया करके आइसोसायनाइड मुख्य . उत्पाद के रूप में बनाता है।
प्रश्न 29.
निम्नलिखित हैलाइडों के नाम आईयूपीएसी (IUPAC) पद्धति से लिखिए तथा उनका वर्गीकरण ऐल्किल, ऐलिलिक, बेन्जिलिक (प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक), वाइनिल अथवा ऐरिल हैलाइड के रूप में कीजिए
(i) (CH3)2CHCH(Cl)CH3
(ii) CH3CH2CH(CH3)CH(C2H5)Cl
(iii) CH3CH2C(CH3)2CH2I
(iv) (CH3)3CCH2CH(Br)C6H5
(v) CH3CH(CH3)CH(Br)CH3
(vi) CH3C(C2H5)CH2Br
(vü) CH3C(Cl)(C2H5)CH2CH3
(viii) CH3CH = C(CI)CH2CH(CH3)2
(ix) CH3CH = CHC(Br)(CH3)2
उत्तर:
प्रश्न 30.
उपरोक्त नाभिकस्नेही क्रियाओं (i) तथा (i) में (क) से भिन्न-भिन्न त्रिविमीय समावयवी उत्पद 'ख' एवं 'ग' प्राप्त होते हैं। इन दोनों प्रक्रमों (i) एवं (ii) के नाम लिखिये।
(ब) यौगिक 'क' से यौगिक 'ग' किस प्रकार की नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन क्रियाविधि से प्राप्त होता है। नाम लिखिये।
उत्तर:
(अ) प्रक्रम (i) का नाम धारण है जिसमें क्रियाकारक एवं उत्पाद का विन्यास समान रहता है। प्रक्रम (ii) का नाम प्रतिलोमन है। जिसमें क्रियाकारक एवं उत्पाद का विन्यास बदल जाता है।
(ब) यौगिक 'क' से 'ग' SN2 अभिक्रिया से प्राप्त होता है। क्योंकि SN2 अभिक्रिया में ही विन्यास का प्रतिलोमन (प्रतीपन) होता है।
प्रश्न 31.
क्लोरोबेन्जीन बनाने की विधियों का वर्णन कीजिए। तथा उनके गुण एवं उपयोग लिखिए।
उत्तर:
हैलोऐल्केनों को ऐल्कोहॉल से कई विधियों द्वारा बनाया जा सकता है। ये सामान्यतः प्रयोगशाला विधियाँ होती हैं जिन्हें निम्न प्रकार वर्णित कर सकते हैं
(i) हैलोजन अम्लों के द्वारा (By Halogen Acids): ऐल्कोहॉल को हैलोजन अम्लों के द्वारा आसानी से हैलोऐल्केन में परिवर्तित किया जा सकता है। इस प्रक्रिया की सामान्य अभिक्रिया को निम्न प्रकार लिख सकते हैं
(a) क्लोरोऐल्केन (Chloroalkanes): ऐल्कोहॉल की क्रिया जब ल्यूकास अभिकर्मक (Lucas reagent) अर्थात् निर्जल ZnCl2 तथा सान्द्र HCl के साथ करायी जाती है तो क्लोरोऐल्केन प्राप्त होता है। यह अभिक्रिया ग्रूव प्रक्रम (Groove's process) कहलाती है।
(b) ब्रोमोऐल्केन (Bromoalkanes): ऐल्कोहॉल की अभिक्रिया KBr या NaBr तथा सान्द्र H2SO4 के साथ कराने पर अभिक्रिया के दौरान HBr का निर्माण होता है, जो ऐल्कोहॉल के साथ अभिक्रिया करके ब्रोमोऐल्केन बनाता है।
ऐल्किल ब्रोमाइड का विरचन ऐल्कोहॉल को 48% HBr के साथ उबालकर भी किया जा सकता है।
(c) आयोडोऐल्केन (Iodoalkanes): इसके विरचन के लिए ऐल्कोहॉल को KI तथा 95% H3PO4 (Phosphoric acid) के साथ गरम किया जाता है।
C2H5OH + HI → C2H5I + H2O
ऐल्कोहॉल को 57% हाइड्रोआयोडिक अम्ल के साथ गर्म करने पर भी आयोडोऐल्केन प्राप्त होता है। इन अभिक्रियाओं के लिए हैलोजन अम्लों की अभिक्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार है।
HI > HBr > HCl
इसका कारण इनकी आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी है। आयोडीन का आकार बड़ा होने के कारण इसकी आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी सबसे कम तथा अभिक्रियाशीलता सबसे अधिक होती है जबकि HCl की आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी अधिक होने के कारण इसकी अभिक्रियाशीलता कम होती है।
इन अभिक्रियाओं के लिए ऐल्कोहॉलों की अभिक्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार है
तृतीयक > द्वितीयक > प्राथमिक इसका कारण + I प्रभाव (धनात्मक प्रेरणिक प्रभाव) है।
(ii) फॉस्फोरस हैलाइडों से अभिक्रिया द्वारा (By the reaction with Phosphorous Halides): फॉस्फोरस हैलाइड (PCl3 तथा PCl5), ऐल्कोहॉलों को ऐल्किल क्लोराइड में परिवर्तित कर देते हैं। ब्रोमाइड तथा आयोडाइड प्राप्त करने के लिए Br2 या I2 की लाल फॉस्फोरस की उपस्थिति में क्रिया कराते हैं, क्योंकि PBr3 तथा PI3 अस्थायी यौगिक हैं।
3ROH + PCl3 → 3RCI + H3PO3
ROH + PCl5 → RCl + POCl3 + HCl
6ROH + 2P + 3X2 → 6RX + 2H3PO3
(जहाँ x = Br, I)
(iii) डार्जेन अभिक्रिया (Darzen's reaction): ऐल्कोहॉलों को पिरीडीन की सूक्ष्म मात्रा की उपस्थिति में थायोनिल क्लोराइड के साथ आसवित करने पर ऐल्किल क्लोराइड बनते हैं। यह अभिक्रिया अन्य की अपेक्षा अधिक उत्तम है, क्योंकि यहाँ शेष दोनों उत्पाद आसानी से निकल सकने वाली गैसें हैं अतः इस अभिक्रिया से शुद्ध ऐल्किल क्लोराइड प्राप्त होता है।
प्रश्न 32.
निम्न के IUPAC नाम लिखिए।
उत्तर:
2-ब्रोमोब्यूटेन।
उत्तर:
1-क्लोरो-3-मेथिल ब्यूटेन।
उत्तर:
2-ब्रोमो-2-मेथिल प्रोपेन।
उत्तर:
4-क्लोरो-4-मेथिल पेन्ट-2-ईन।
उत्तर:
3-आयोडोप्रोपीन।
उत्तर:
4-तृतीयक ब्यूटिल-3-आयोडोहेप्टेन।
उत्तर:
2-क्लोरो-3-मेथिल पेन्टेन।
प्रश्न 33.
निम्नलिखित परिवर्तन कैसे सम्पन्न किये जा सकते हैं:
(1) प्रोपीन से प्रोपेन-1-ऑल
(2) एथेनॉल से ब्यूट-1-आइन
(3) 1-ब्रोमोप्रोपेन से 2-ब्रोमोप्रोपेन
(4) टॉलुईन से बेन्जिल ऐल्कोहॉल
(5) बेन्जीन से 4-ब्रोमोनाइट्रोबेन्जीन
(6) बेन्जिल ऐल्कोहॉल से 2-फेनिल एथेनोइक अम्ल
(7) एथेनॉल से प्रोपेन नाइट्राइल
(8) ऐनिलीन से क्लोरोबेन्जीन
(9) 2-क्लोरोब्यूटेन से 3, 4-डाइमेथिल हेक्सेन
(10) 2-मेथिल-1-प्रोपीन से 2-क्लोरो-2-मेथिल प्रोपेन
(11) एथिल क्लोराइड से प्रोपेनोइक अम्ल
(12) ब्यूट-1-ईन से n-ब्यूटिल आयोडाइड
(13) 2-क्लोरोप्रोपेन से 1-प्रोपेनॉल
(14) आइसोप्रोपिल ऐल्कोहॉल से आयोडोफॉर्म
(15) क्लोरोबेन्जीन से p-नाइट्रोफीनॉल
(16) 2-ब्रोमोप्रोपेन से 1-ब्रोमोप्रोपेन
(17) क्लोरोएथेन से ब्यूटेन
(18) बेन्जीन से डाइफेनिल
(19) तृतीयक ब्यूटिल बोमाइड से आइसो ब्यूटिल ब्रोमाइड
(20) ऐनिलीन से फेनिलआइसोसायनाइड।
उत्तर:
(1) प्रोपीन से प्रोपेन-1-ऑल
(2) एथेनॉल से ब्यूट-1-आइन
(3) 1-ब्रोमोप्रोपेन से 2-ब्रोमोप्रोपेन
(4) टॉलुईन से बेन्जिल ऐल्कोहॉल
(5) बेन्जीन से 4-ब्रोमोनाइट्रोबेन्जीन
(6) बेन्जिल ऐल्कोहॉल से 2-फेनिल एथेनोइक अम्ल
(7) एथेनॉल से प्रोपेन नाइट्राइल
(8) ऐनिलीन से क्लोरोबेन्जीन
(9) 2-क्लोरोब्यूटेन से 3, 4-डाइमेथिलहेक्सेन
(10) 2-मेथिल-1-प्रोपीन से 2-क्लोरो-2-मेथिल प्रोपेन
(11) एथिल क्लोराइड से प्रोपेनोइक अम्ल
(12) ब्यूट-1-ईन से n-ब्यूटिल आयोडाइड
(13) 2-क्लोरोप्रोपेन से 1-प्रोपेनॉल प्रथम विधि
(14) आइसोप्रोपिल ऐल्कोहॉल से आयोडोफॉर्म
(15) क्लोरोबेन्जीन से पैरा-नाइट्रोफीनॉल
(16) 2-ब्रोमोप्रोपेन से 1-ब्रोमोप्रोपेन
(17) क्लोरोएथेन से ब्यूटेन
(18) बेन्जीन से डाइफेनिल
(19) तृतीयक ब्यूटिल ब्रोमाइड से आइसोब्यूटिल ब्रोमाइड
(20) ऐनिलीन से फेनिल आइसो सायनाइड
प्रश्न 34.
क्या होता है जब (केवल समीकरण दीजिए)।
(i) क्लोरोबेन्जीन की क्रिया नाइट्रीकारी मिश्रण से कराई जाती।
(ii) ऐथिल ब्रोमाइड मैग्नीशियम से क्रिया करता है।
(iii) क्लोरोफॉर्म की प्रकाश की उपस्थिति में O2 से क्रिया होती।
(iv) ऐरिल हैलाइड सोडियम से क्रिया करता है।
उत्तर:
(i) क्लोरोबेन्जीन की क्रिया नाइट्रीकारी मिश्रण से कराई जाती है तो ऑर्थो तथा पैरा क्लोरो नाइट्रोबेन्जीन प्राप्त होता है।
(ii) ऐथिल ब्रोमाइड मैग्नीशियम से क्रिया करके ग्रीन्यार अभिकर्मक बनाता है।
(iii) क्लोरोफॉर्म की प्रकाश की उपस्थिति में O2 से क्रिया करके फॉस्जीन या कार्बोनिल क्लोराइड बनाता है।
(iv) ऐरिल हैलाइड सोडियम से क्रिया करके डाइफेनिल बनाता है।
प्रश्न 35.
क्या होता है जब ................. (केवल अभिक्रियाएँ दीजिए)।
(i) क्लोरीन CS2 से निर्जल AlCl3 की उपस्थिति में अभिक्रिया करती है?
(ii) ऐथिल ऐल्कोहॉल को आयोडीन एवं सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ गर्म करते हैं?
(iii) ट्राइक्लोरो एथेनॉल जलीय सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ क्रिया करता है?
(iv) सिल्वर आइसोब्यूटाइरेट का आसवन Br2 के साथ CCl4 की उपस्थिति में करते हैं?
(v) ऐथिल क्लोराइड की क्रिया मरक्यूरस फ्लुओराइड के साथ की जाती है?
(vi) ऐसीटिलीन की क्रिया HCl के साथ मरक्यूरिक क्लोराइड की उपस्थिति में करते हैं?
(vii) ऐथेनॉल की क्रिया फॉस्फोरस ट्राइब्रोमाइड के साथ कराते हैं ?
उत्तर:
(i) CCl4 बनता है।
(ii) आयोडोफॉर्म बनता है।
(iii) क्लोरोफॉर्म बनता है।
(iv) आइसोप्रोपिल ब्रोमाइड बनता है।
(v) फ्लु ओरोऐथेन बनता है।
(vi) क्लोरोऐथीन बनता है।
(vii) ऐथिल ब्रोमाइड बनता है।
प्रश्न 36.
निम्नलिखित प्रत्येक अभिक्रिया के मुख्य मोनोहैलो उत्पाद की संरचना बनाइए।
उत्तर:
केवल ऐल्कोहॉलीय –OH समूह HCl के साथ गर्म करने पर Cl से प्रतिस्थापित हो जाते हैं, परन्तु फीनॉलिक -OH समूह ऐसा नहीं करते
प्रश्न 37.
SN1 अभिक्रिया को उचित उदाहरण की सहायता से समझाइए।
अथवा
SN1 तथा SN2 अभिक्रियाओं की क्रिया विधि को समझाइए।
उत्तर:
इस प्रकार की अभिक्रिया में नाभिकरागी उस हैलोऐल्केन (क्रियाधार) से अभिक्रिया करता है जिसमें हैलोजन परमाणु से आबन्धित कार्बन परमाणु पर आंशिक धनावेश होता है। अभिक्रिया में हैलाइड आयन निकल जाता है, इसे अवशिष्ट समूह (leaving group) कहते हैं। चूंकि प्रतिस्थापन अभिक्रिया नाभिकरागी के द्वारा प्रारम्भ होती है, अतः इसे नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रिया कहते हैं।
यह ऐल्किल हैलाइड की कार्बनिक अभिक्रियाओं का एक प्रमुख उपयोगी संवर्ग है जिसमें हैलोजन परमाणु sp3 संकरित कार्बन परमाणु से आबन्धित होता है। यह नोट करने योग्य तथ्य है कि हैलाइड आयन केवल उस आक्रमण करने वाले नाभिकरागी से प्रतिस्थापित होता है जोकि हैलाइड आयन से अधिक शक्तिशाली होता है। चूँकि हैलाइड आयन स्वयं एक बहुत कमजोर नाभिकरागी है, अतः प्रायः आक्रमण करने वाले अन्य नाभिकरागी इससे शक्तिशाली ही होते हैं।
विभिन्न ऐल्किल हैलाइडों की नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं का क्रम निम्न प्रकार है।
हैलोऐल्केनों की नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं के उदाहरण (Examples of Nucleophilic Substitution Reactions of Haloalkanes)
(i) हाइड्रॉक्सिल समूह के द्वारा प्रतिस्थापन (Replacement by hydroxyl group): हैलोऐल्केन KOH के जलीय विलयन या भीगे हुए सिल्वर ऑक्साइड (Ag2O/H2O) से क्रिया करके ऐल्कोहॉल बनाता है।
(ii) ऐल्कॉक्सी समूह के द्वारा प्रतिस्थापन (Replace-ment by alkoxy group): विलियम्सन संश्लेषण (Williamson's synthesis) हैलोऐल्केन ऐल्कोहॉली सोडियम या पोटैशियम ऐल्कॉक्साइड (alcoholic sodium or potassium alkoxide) से क्रिया करके ईथर बनाता है। यह अभिक्रिया विलियम्सन निर्माण (Williamson's synthesis) कहलाती है।
एथॉक्साइड ऐल्किल हैलाइड सूखे हुए सिल्वर ऑक्साइड के साथ गर्म करने पर भी ईथर बनाता है।
जब किसी कार्बनिक यौगिक से अभिकर्मक के प्रभाव द्वारा छोटे-छोटे अणु पृथक् हो जाते हैं और वह यौगिक असंतृप्त यौगिक में परिवर्तित हो जाता है तो ऐसी अभिक्रिया को निराकरण या विलोपन अभिक्रिया (elimination reactions) कहते हैं।
विलोपन अभिक्रियाएँ तीन प्रकार की होती हैं।
(i) a-विलोपन (a-elimination): जब दो परमाणु या समूह किसी एक ही परमाणु से विलोपित होते हैं तो इसे 4-विलोपन कहा जाता है।
उदाहरण:
(ii) B-विलोपन (B-elimination):
जब दो परमाणु या समूह का विलोपन पास-पास वाले परमाणुओं से होता है तो इसे 8-विलोपन कहते हैं।
उदाहर:
जब B-हाइड्रोजन परमाणु युक्त हैलोऐल्केन को पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड के ऐल्कोहॉलीय विलयन के साथ गर्म किया जाता है तो B-कार्बन से हाइड्रोजन परमाणु तथा a-कार्बन से हैलोजेन परमाणु का विलोपन होता है। यहाँ उत्पाद के रूप में ऐल्कीन प्राप्त होती है। यहाँ विलोपन अभिक्रिया में B-हाइड्रोजन परमाणु भाग लेता है अतः यह अभिक्रिया B-विलोपन है।
(iii) y-विलोपन (y-elimination): जब निकलने वाले दोनों समूह व परमाणु के बीच एक परमाणु का अन्तराल होता है तथा अभिक्रिया के फलस्वरूप तीन परमाणुओं का एक चक्र बनता है तो इसे "-विलोपन कहते हैं।
उदाहरण:
विलोपन अभिक्रिया के लिए हैलोऐल्केनों का अभिक्रियाशीलता क्रम निम्न प्रकार है
जब हैलोजेन परमाणु निश्चित हो, तो
जब ऐल्किल समूह निश्चित हो, तो
R - F < R - CI < R - Br < R - I
सैत्जेफ का नियम (Saytzeff's Rule): विलोपन अभिक्रिया में जब द्वितीयक अथवा तृतीयक ऐल्किल हैलाइड की क्रिया ऐल्कोहॉली KOH के साथ कराते हैं तो वह ऐल्कीन अधिक मात्रा बनेगी जिस पर एल्किल प्रतिस्थापियों की संख्या अधिक होगी। इस अभिक्रिया में दो प्रकार की ऐल्कीन बनने की सम्भावना होती है।
इसे सैत्जेफ का नियम कहते हैं।
विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गये प्रश्न:
प्रश्न 1.
यौगिक A की Na से अभिक्रिया करवाने पर वह B देता है तथा PCl5 के साथ अभिक्रिया करवाने पर वह C देता है। B एवं c दोनों की साथ में अभिक्रिया करवाने पर डाइएथिल ईथर प्राप्त होता है। A, B तथा C क्रम में हैं:
(a) C2H5Cl,C2H6, C2H5OH
(b) C2H5OH, C2H5Cl, C2H5ONa
(c) C2H5OH, C2H6, C2H5Cl
(d) C2H5OH, C2H5ONa , C2H5Cl
उत्तर:
(c) C2H5OH, C2H6, C2H5Cl
प्रश्न 2.
एक यौगिक C7H8 निम्नलिखित अभिक्रियाओं से गुजरता है:
उत्पाद 'C' है
(a) 3-ब्रोमो-2,4, 6-ट्राइक्लोरोटॉलुईन।
(b) o-ब्रोमोटॉलुईन
(c) m-ब्रोमोटॉलुईन
(d) p-ब्रोमोटॉलुईन
उत्तर:
(c) m-ब्रोमोटॉलुईन
प्रश्न 3.
A को पहचानिए तथा अभिक्रिया के प्रकार को बताइए
उत्तर:
प्रश्न 4.
निम्मन अभिक्रिया पर विचार कीजिये
CH3CH2CH2Br + NaCN → CH3CH2CH2CN + NaBr
यह अभिक्रिया किसमें अति शीघ्र होगी?
(a) N, N-डाइमेथिलफॉर्मामाइड (DMF)
(b) जल
(c) एथेनॉल
(d) मेथेनॉल
उत्तर:
(c) एथेनॉल
प्रश्न 5.
निम्न में से कौन-सा बाईफिनायल प्रकाशित सक्रिय है?
उत्तर:
प्रश्न 6.
काइरल केन्द्र पर SI अभिक्रिया में होता है:
(a) 100% रेसिमीकरण
(b) धारण में ज्यादा प्रतिलोमन के द्वारा आंशिक रेसिमीकरण
(c) 100% धारण
(d) 100% प्रतिलोमन
उत्तर:
(b) धारण में ज्यादा प्रतिलोमन के द्वारा आंशिक रेसिमीकरण
प्रश्न 7.
CH3CHOHCOOH की दो संभावित त्रिविम संरचनायें जो कि धुवण घूर्णक हैं, कहलाती हैं:
(a) डायास्टिरियोमर
(b) एट्रोपआइसोमर
(c) प्रतिबिम्ब रूप
(d) मेसोमर
उत्तर:
(d) मेसोमर
प्रश्न 8.
एक ऐल्कीन HCl से अभिक्रिया करके मारकोनीकॉफ नियम के अनुसार उत्पाद 1-क्लोरो-1-मेथिल साइक्लोहेक्सेन देता है। सम्भावित ऐल्कीन है।
उत्तर:
प्रश्न 9.
किसी कार्बनिक यौगिक में आइसोब्यूटाइल समूह की संरचना है।
उत्तर:
प्रश्न 10.
जब क्लोरोबेन्जीन को सान्द्र H2SO4 की उपस्थिति में क्लोरल के साथ गर्म करते हैं तो उत्पाद बनेगा।
उत्तर: