These comprehensive RBSE Class 12 Business Studies Notes Chapter 4 नियोजन will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 12 Business Studies Chapter 4 Notes नियोजन
→ नियोजन का अर्थ:
नियोजन का अर्थ पहले से यह निश्चित करना है कि भविष्य में क्या करना है तथा कैसे करना है। दूसरे शब्दों में, नियोजन से तात्पर्य उद्देश्यों का निर्धारण तथा इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए समुचित कार्य-विधि को विकसित करने से है। ये पूर्व निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए विवेकपूर्ण मार्ग सुलभ कराते हैं।
→ नियोजन का महत्त्व:
नियोजन का महत्त्व इस प्रकार है
- नियोजन निर्देशन की व्यवस्था करता है।
- नियोजन अनिश्चितता की जोखिम को कम करता है।
- नियोजन अतिव्यापित तथा अपव्ययी क्रियाओं को कम करता है।
- नियोजन नवप्रवर्तन विचारों को प्रोत्साहित करता है।
- नियोजन निर्णय लेने को सरल बनाता है।
- नियोजन नियन्त्रण के मानकों का निर्धारण करता है।

→ नियोजन की विशेषताएँ: नियोजन की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं
- नियोजन का केन्द्र-बिन्दु लक्ष्यप्राप्ति होता है।
- नियोजन प्रबन्धन का प्राथमिक कार्य है।
- नियोजन सर्वव्यापी है।
- नियोजन अविरत है।
- नियोजन भविष्यवादी है।
- नियोजन में निर्णय रचना निहित है।
- नियोजन एक मानसिक अभ्यास है।
→ नियोजन की सीमाएं:
- नियोजन दृढ़ता उत्पन्न करता है।
- परिवर्तनशील वातावरण में नियोजन प्रभावी नहीं रहता है।
- नियोजन रचनात्मकता को कम करता है।
- नियोजन में भारी लागत आती है।
- नियोजन समय नष्ट करने वाली प्रक्रिया है।
- नियोजन सफलता का आश्वासन नहीं है।
→ नियोजन प्रक्रिया:
- उद्देश्यों का निर्धारण करना,
- विकासशील आधार,
- कार्यवाही की वैकल्पिक विधियों की पहचान करना,
- विकल्पों का मूल्यांकन करना,
- विकल्पों का चुनाव करना,
- योजना को लागू करना,
- अनुवतेन।
→ नियोजन के प्रकार या तत्त्व
- उद्देश्य-उद्देश्य, प्रबन्धक का वह गंतव्य स्थान है जहाँ उसे भविष्य में पहुँचना है तथा जिन्हें प्रबन्धक अपने प्रयत्नों से प्राप्त करना चाहता है।
- व्यूह-रचना-व्यूह-रचना एक ऐसी व्यापक योजना है जो संगठन के उद्देश्यों को पूरा करती है। यह संगठन के दीर्घकालीन निर्णय तथा निर्देशन में सम्बन्ध स्थापित करती है।
- नीति-नीतियाँ वे सामान्य कथन हैं जो विचारों का मार्गदर्शन अथवा एक विशिष्ट दिशा में अग्रसर होने के लिए मार्ग प्रशस्त करती हैं।
- प्रक्रिया-प्रक्रिया से तात्पर्य दैनिक गतिविधियों के संचालन से है। कार्य कैसे सम्पन्न करना है, इसकी विस्तृत विधि, प्रक्रिया कहलाती है।
- विधि-विधि उन निर्धारित तरीकों या व्यवहारों को उपलब्ध कराती है जिसके द्वारा उद्देश्यों के अनुसार एक कार्य को निष्पादित किया जाता है।
- नियम-नियम वे विशिष्ट विवरण हैं, जो बतलाते हैं कि क्या करना है ? ये किसी प्रकार के लचीलेपन की इजाजत नहीं देते हैं।

→ कार्यक्रम:
कार्यक्रम एक परियोजना के विषय में विस्तृत विवरण होते हैं। जो आवश्यक उद्देश्यों, नीतियों, कार्यविधियों, नियमों, कार्यों, मानवीय तथा भौतिक संसाधनों तथा किसी कार्य को करने के बजट की रूपरेखा बनाते हैं।
→ बजट:
बजट से तात्पर्य आशान्वित परिणामों को संख्यात्मक मदों के रूप में व्यक्त करना है। यह एक ऐसी योजना है, जो भविष्य के तथ्यों तथा संख्याओं को परिभाषित करती है।