RBSE Class 11 Biology Notes Chapter 3 वनस्पति जगत

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RBSE Class 11 Biology Chapter 3 Notes वनस्पति जगत

→ पादप जगत में शैवाल, ब्रायोफाइटा, टैरिडोफाइटा, जिम्नोस्पर्म तथा एंजियोस्पर्म आते हैं। 

→ शैवाल क्लोरोफिलयुक्त, सरल, थैलाभास, स्वपोषी व जलीय जीव हैं। शैवालों को वर्णक तथा भोजन संग्रह के प्रकार के आधार पर क्लोरोफाइसी, फीयोफाइसी तथा रोडोफाइसी वर्गों में विभक्त किया गया है। 

→ शैवाल में अलैंगिक जनन विभिन्न प्रकार के बीजाणुओं के द्वारा तथा लैंगिक जनन लैंगिक कोशिकाओं के द्वारा होता है। लैंगिक कोशिकाएँ समयुग्मकी, असमयुग्मकी तथा विषमयुग्मकी हो सकती हैं।

→ ब्रायोफाइट्स पादप जगत के उभयचारी हैं। वे नम, छायादार व गीली मिट्टी पर उगते हैं। पादप काय थैलस की जैसे शयान अथवा सीधा होता है। ये मूलाभास के द्वारा मृदा के सम्पर्क में होते हैं। इनमें वास्तविक मूल, तना व पत्ती नहीं होती। इन्हें लिवरवर्ट व मॉस में विभक्त किया गया है। लिवरवर्ट थैलाभास तथा पृष्ठाधार होते हैं तो मॉस सीधे, पतले तने वाले तथा इस तने पर पत्तियाँ सर्पिल ढंग से लगी रहती हैं। मुख्य पादपकाय युग्मकोद्भिद् होती है जिस पर नर लैंगिक अंग पुंधानी तथा मादा लैंगिक अंग स्त्रीधानी लगती है। इनमें से उत्पन्न नर व मादा युग्मक संलयित होकर युग्मनज बनाते हैं। यह द्विगुणित होता है जिसे बीजाणुद्भिद् कहते हैं। बीजाणुद्भिद् में अर्धसूत्री विभाजन होने से अगुणित बीजाणु बनते हैं जिनका अंकुरण होने पर युग्मकोद्भिद् बनता है। 

→ टैरिडोफाइट्स में मुख्य पादप बीजाणुद्भिद् होता है। इनमें वास्तविक मूल, तना व पत्तियाँ तथा सुविकसित संवहन तन्त्र होता है। बीजाणुद्भिद् में उपस्थित बीजाणुधानी में अर्धसूत्री विभाजन द्वारा बीजाणु बनते हैं। बीजाणु अंकुरित होकर युग्मकोद्भिद् बनाते हैं। युग्मकोद्भिद् को प्रौथेलस कहते हैं, इनमें नर लैंगिक अंग (पुंधानी) तथा मादा लैंगिक अंग (स्त्रीधानी) लगते हैं। नर युग्मक को मादा युग्मक तक पहुँचने के लिये जल आवश्यक है। निषेचन उपरांत युग्मनज बनता है जिससे बीजाणदभिद बनता है।

→ जिम्नोस्पर्म पुष्प व फल रहित पादप है। बीज अनावृत होते हैं। इनमें लघु व गुरुबीजाणु उत्पन्न होते हैं जो लघु व गुरुबीजाणुधानी में बनते हैं। ये धानियाँ बीजाणुपर्ण में होती हैं। लघु व गुरु बीजाणुपर्ण अक्ष पर सर्पिल क्रम में लगी रहती हैं जिनमें नर व मादा शंकु बनते हैं । परागकण अंकुरित होकर परागनलिका बनाते हैं जिससे नर युग्मक अण्डाशय में छोड़. दिया जाता है। स्त्रीधानी में ही नर युग्मक व अण्ड का संलयन होता है जिससे युग्मनज बनता है। युग्मनज से भ्रूण तथा बीजाण्ड से बीज का निर्माण होता है।

→ एंजियोस्पर्म पुष्पधारी पादप है। पुष्प में नर जनन अंग (पुंकेसर) व मादा जनन अंग (स्त्रीकेसर) लगते हैं। पुंकेसर के परागकोश में अर्धसूत्री विभाजन से परागकण बनते हैं। स्त्रीकेसर के अण्डाशय में एक या अनेक बीजाण्ड होते हैं। बीजाण्ड में मादा युग्मक (भ्रूणकोष) होता है। इसमें अण्ड स्थित रहता है। परागकण परागण क्रिया द्वारा स्त्रीकेसर पर पहुँचकर अंकुरित होकर परागनलिका बनाते हैं । परागनलिका भ्रूणकोष में प्रवेश कर दो नर-युग्मकों को छोड़ देती है। एक नर युग्मक अण्ड कोशिका से तथा दूसरा नर-युग्मक द्विगुणित द्वितीयक केन्द्रक (त्रिसंलयन) से संलयित होता है। इन दो संलयन की प्रक्रिया को द्विनिषेचन कहते हैं। द्विनिषेचन एंजियोस्पर्म का विशिष्ट लक्षण है।

RBSE Class 11 Biology Notes Chapter 3 वनस्पति जगत 

→ आइकलर (Eichler) ने पादप जगत को दो उपजगत क्रिप्टोगेम्स तथा फेनरोगेम्स में विभक्त किया। बीज रहित पादपों को क्रिप्टोगेम्स तथा बीजयुक्त पौधों को फेनरोगेम्स में रखा। 

→ शैवाल सबसे अधिक आद्य (primitive) पादपों का विशाल समूह है। 

→ प्रवाल भित्तियों (coral reefs) में कैल्सियम कार्बोनेट होता है। रोडोफाइसी के कुछ सदस्यों की भित्तियों में कैल्सियम कार्बोनेट स्रावित होता है, जिससे प्रवाली (coralline) रचनाएँ बन जाती हैं। 

→ जेलिडियम (Gelidium) तथा ग्रेसीलेरिया (Gracilaria) नामक लाल शैवालों की कोशिका भित्ति से अगर-अगर (AgarAgar) प्राप्त होता है।

→ अगर-अगर जिलेटिन जैसा पदार्थ होता है। द्रव में इसे मिलाकर गर्म करके तथा फिर ठण्डा करने पर द्रव का ठोस में परिवर्तन हो जाता है। इसका उपयोग प्रयोगशालाओं में संवर्धन माध्यमों को तैयार करने में किया जाता है।

→ जापान में कोम्बु (Kombu) नामक खाद्य पदार्थ लैमिनेरिया नामक भूरे शैवाल से बनाया जाता है।

→ बर्फ का लाल रंग हिमेटोकोकस निवेलिस (Haematococcus nivelis) के कारण होता है।

→ पीट (Peat) भी कोयले की जैसे ईंधन होता है। स्फैग्नम के पौधों को हजारों वर्ष तक दबकर जीवाश्मीकरण के फलस्वरूप बनता है।

→ स्फैग्नम एंटीसेप्टिक (antiseptic) होने के कारण इसका उपयोग द्वितीय विश्व युद्ध में सर्जिकल ड्रेसिंग करने में किया गया था।

→ संवहनी पादपों में सबसे आद्य (primitive) समूह टेरिडोफाइटा का है।

→ पाइनस से चीड़ की लकड़ी, रेजिन, तारपीन का तेल प्राप्त होता है तथा बीज (चिलगोजा) खाने के काम आते हैं।

→ एफिड्रा से एफिड्रीन (Ephedrine) नामक औषध प्राप्त होती है जिसका उपयोग अस्थमा व श्वसन रोगों में किया जाता है।

→ एबीज बालसेमिया से कनाडा बालसम तथा टेक्सस से टेक्सॉल नामक औषध प्राप्त होती है। ये दोनों पौधे जिम्नोस्पर्म के हैं।

→ एन्जियोस्पर्म में नर युग्मक को अण्ड तक परागनली की सहायता से ले जाया जाता है, इसे साइफोनोगैमी (siphonogamy) कहते हैं।

Prasanna
Last Updated on July 26, 2022, 11:42 a.m.
Published July 26, 2022