These comprehensive RBSE Class 11 Biology Notes Chapter 20 गमन एवं संचलन will give a brief overview of all the concepts.
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→ चलन या गमन-ऐसी गति जिसमें प्राणी का सम्पूर्ण शरीर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाता है यानी स्थान परिवर्तन करता है, चलन या गमन कहा जाता है। प्राणियों में चलन व गति में सीधा सम्बन्ध होता है।
→ मानव शरीर की कोशिकाएँ मुख्यतः तीन प्रकार की गति दर्शाती |
→ पेशी (Muscles):
पेशियों में संकुचनशीलता एवं उत्तेजनशीलता का गुण होने के कारण ये गति एवं चलन में महत्वपूर्ण होती हैं। ये मनुष्य में सम्पूर्ण शरीर के भार का लगभग चालीस प्रतिशत भाग बनाती हैं।
→ पेशियों के प्रकार (Types of Muscles):
संरचना एवं कार्यिकी के आधार पर पेशियों को तीन प्रकारों में बांट गया है
→ कंकाल पेशियां-पेशी तन्तुओं से निर्मित होती हैं तथा इनकी क्रियात्मक इकाई को सार्कोमीयर कहते हैं । सार्कोमीयर का निर्माण मोटे मायोसिन तन्तुओं तथा पतले एक्टिन तंतुओं द्वारा होता है।
→ एक्टिन (Actin):
प्रत्येक एक्टिन तन्तु एक-दूसरे से सर्पिल रूप में कुंडलित दो 'F' (तन्तुमय) एक्टिनों का बना होता है। प्रत्येक 'F' एक्टिन 'G' (गोलाकार) एक्टिन इकाइयों का बहुलक है।
→ मायोसिन (Myosin):
प्रत्येक मायोसिन (मोटे) तंतु भी एक बहुलक प्रोटीन है । कई एकलकी प्रोटीन जिसे मेरोमायोसिन कहते हैं। यह एक मोटा तंतु है।
→ मेरोमायोसिन (Meromyosin):
इसके दो भाग होते हैं
→ तन्तु विसर्पण सिद्धान्त (Sliding Filament Theory):
पेशी संकुचन की क्रियाविधि के तन्तु विसर्पण सिद्धान्त के अनुसार संकुचन मोटे तंतुओं के सापेक्ष पतले तन्तुओं के सरकने से होता है।
→ संकुचन की कार्यिकी (Physiology of Muscles Contraction):
पेशी संकुचन एवं शिथिलन की क्रिया निम्न चार चरणों में सम्पन्न होती है
→ लाल पेशियां (Red Muscles):
इनमें मायो ग्लोबिन (Myoglobin) नामक वर्णक पाये जाने के कारण इनका रंग लाल होता है। अतः इन्हें लाल पेशियां कहते हैं। इनमें मंद गति से संकुचन होता है। ये पेशियां थकान महसूस नहीं करती हैं। उदाहरण-मनुष्य की पीठ के पेशी तन्तु ।
→ श्वेत पेशियां (White Muscles):
इनका रंग सफेद होता है। इनमें अवायवीय श्वसन के कारण लैक्टिक अम्ल का निर्माण होता है जिसके कारण पेशियां थकान महसूस करती हैं। इनमें संकुचन तीव्र होता है। उदाहरण-नेत्र गोलक की पेशियां।
→ मनुष्य में कंकाल तंत्र (Human Skeletal System):
मनुष्य में अन्त:कंकाल का निर्माण कुल 206 अस्थियों एवं कुछ उपास्थियों द्वारा होता है। कंकाल तन्त्र गति, चलने, उठने-बैठने आदि में सहायक होने के साथ-साथ अन्य कार्य भी करता है। अन्तःकंकाल के दो प्रमुख भाग होते हैं
→ करोटि (Skull):
मानव करोटि में 29 अस्थियाँ पाई जाती हैं। ये सीवनों (Sutures) द्वारा परस्पर संधित रहती हैं तथा चार भागों में बांटी जा सकती हैं
→ कशेरुक दण्ड (Vertebral Column):
इसका निर्माण मनुष्य में 33 कशेरुकाओं से होता है।
→ उरोस्थि:
उरोस्थि शरीर के वक्षीय प्रदेश के मध्य अधर क्षेत्र में स्थित रहती है।
→ पसलियां:
मनुष्य में 12 जोड़ी पायी जाती हैं । पहली सात जोड़ी उरोस्थि अथवा स्टरनम से जुड़ी होती हैं, ये वास्तविक पसलियाँ (true ribs) कहलाती हैं। आठवीं, नवीं एवं दसवीं तीन जोड़ी पसलियां मिथ्या पसलियां (false ribs) कहलाती हैं, जो सातवीं से जुडी होती हैं। बाकी दो जोडी पसलियां स्टरनम से अलग रहती हैं, ये मुक्त पसलियां (free or floating ribs) कहलाती हैं।
→ वक्षीय बास्केट (Thoracic Basket):
स्टर्नम, पसलियाँ तथा वक्षीय कशेरुकाएँ मिलकर वक्षीय बास्केट का निर्माण करती हैं। यह वक्ष के कोमल अंगों (हृदय, फेफड़ों आदि) की रक्षा करता मेखलायें दो होती हैं - अंस मेखला व श्रोणि मेखला।
→ संधि या जोड़ (Joints):
कंकाल तन्त्र में उन स्थानों को संधि कहते हैं जहाँ दो या दो से अधिक अस्थियाँ जुड़ी रहती हैं । सन्धियां निम्न तीन प्रकार की होती हैं
→ पेशीय और कंकाल तन्त्र के विकार निम्नलिखित हैं
→ माइस्थेनिया (Myasthenia):
एक स्वप्रतिरक्षा विकार को तन्त्रिका-पेशी संधि को प्रभावित करता है। इससे कमजोरी और कंकाली पेशियों का पक्षाघात होता है। अस्थि सुषिरता (Osteoporosis)-यह उम्र सम्बन्धित विकार है जिसमें अस्थि के पदार्थों में कमी से अस्थि भंग की प्रबल संभावना है। एस्ट्रोजन स्तर में कमी इसका सामान्य कारक है।
→ पेशियाँ रासायनिक ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलती हैं।
→ शरीर का 40-50% भाग पेशियों द्वारा निर्मित होता है।
→ मनुष्य में 639 पेशियाँ पाई जाती हैं। 634 पेशियाँ युग्मित व 5 पेशियाँ अयुग्मित होती हैं।
→ मनुष्य में 400 पेशियाँ रेखित प्रकार की होती हैं। शरीर में सबसे अधिक पेशियाँ पीठ में पाई जाती हैं। यहाँ 180 पेशियाँ पाई जाती हैं।
→ जबड़ों की पेशियाँ सबसे मजबूत पेशियाँ हैं।
→ पेशियों में संग्रहित खाद्य पदार्थ ग्लाइकोजन है।
→ मनुष्य में सारटोरियस फिमोरिस सबसे बड़ी पेशी है।
→ पेशियों में मायोग्लोबिन नामक श्वसन वर्णक पाया जाता है।
→ गर्भाशय की अरेखित पेशियाँ सबसे लम्बी होती हैं।
→ बच्चों में हड्डियाँ अधिक लचीली एवं भंगुर होती हैं क्योंकि उनमें कार्बनिक पदार्थ अधिक मात्रा में एवं लवण कम मात्रा में पाये जाते
→ खोपड़ी और ऐटलस का जोड़, जिसमें कि नोडिंग गति पाई जाती है, अटलांटो-ऑक्सीपीटल जोड़ कहलाता है।
→ एन्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम या सारकोप्लाज्मिक रेटिकलम पेशीय संकुचन, पेशीय उत्तेजना और पेशीय शिथिलन में बड़ी भूमिका निभाते हैं।
→ एक लम्बी हड्डी का केन्द्रीय शाफ्ट डायफाइसिस कहलाता है।
→ मानव का अन्त:कंकाल अस्थि व उपास्थि का बना होता है।
→ पेशियों में मायोग्लोबिन नामक लाल वर्णक पाया जाता है, जिसके कारण ये लाल दिखाई देती हैं। मनुष्य का कंकाल तन्त्र सुरक्षा व आलम्बन प्रदान करने के साथसाथ गमन में भी सहायता करता है।