RBSE Class 11 Biology Notes Chapter 2 जीव जगत का वर्गीकरण

These comprehensive RBSE Class 11 Biology Notes Chapter 2 जीव जगत का वर्गीकरण will give a brief overview of all the concepts.

RBSE Class 11 Biology Chapter 2 Notes जीव जगत का वर्गीकरण

→ सर्वप्रथम अरस्तू ने आकारिक लक्षणों के आधार पर पादप व प्राणियों का वर्गीकरण किया।

→ लीनियस ने समस्त जीवों को 'प्लांटी' तथा 'ऐनिमेलिया' में विभक्त किया। 

→ व्हिटैकर ने पाँच जगत वर्गीकरण पद्धति दी। इन पाँच जगतों में मॉनेरा, प्रोटिस्टा, फंजाई, प्लांटी व ऐनिमेलिया हैं।

→ पाँच जगत वर्गीकरण का मुख्य आधार कोशिका संरचना, दैहिक संगठन, पोषण व प्रजनन की विधि तथा जातिवृत्तीय सम्बन्ध हैं। 

→ पाँच जगत वर्गीकरण में जीवाणुओं को मॉनेरा जगत में रखा गया है। जीवाणु विश्वव्यापी व अत्यधिक उपापचय सम्बन्धी विविधता वाले होते हैं। इनमें पोषण विधि स्वपोषी या परपोषी होती है। 

→ प्रोटिस्टा जगत में क्राइसोफाइटा, डायनोफ्लैजिलेट, युग्लीनॉइड, अवपंक कवक तथा प्रोटोजोआ जैसे एककोशिकीय यूकैरियोटिक जीवों को रखा गया है।

→ प्रोटिस्टा जगत के जीवों की कोशिका में संगठित केन्द्रक तथा झिल्लीयुक्त कोशिकांग होते हैं। प्रजनन अलैंगिक व लैंगिक दोनों प्रकार का होता है।

→ फंजाई जगत की संरचना व आवास में बहुत विभिन्नताएँ होती हैं। प्रायः कवक मृतोपजीवी प्रकार के पोषण वाले होते हैं। अलैंगिक व लैंगिक जनन पाया जाता है। इसमें चार वर्गफाइकोमाइसिटीज, एस्कोमाइसिटीज, बेसिडिओमाइसिटीज तथा ड्यूटेरोमाइसिटीज हैं।

→ पादप जगत में सभी यूकैरियोटिक, क्लोरोफिलयुक्त जीव आते हैं। इनमें शैवाल, ब्रायोफाइट, टेरिडोफाइट, जिम्नोस्पर्म तथा एंजियोस्पर्म वर्ग हैं। इनके जीवन-चक्र में युग्मकोद्भिद् व बीजाणुद्भिद पीढ़ियों का एकान्तरण होता है। 

RBSE Class 11 Biology Notes Chapter 2 जीव जगत का वर्गीकरण 

→ एनिमेलिया जगत में परपोषित, यूकैरियोटिक, बहुकोशिक जीवों, जिनकी कोशिका में कोशिका भित्ति का अभाव होता है, सम्मिलित किए गये हैं। इनमें पोषण प्राणिसम होता है व लैंगिक जनन होता है। 

→ पाँच जगत प्रणाली में अकोशिकीय जीव जैसे विषाणु, वाइराइड व प्रोसंक तथा लाइकेन्स को वर्गीकृत नहीं किया गया है।

→ वर्गिकी शब्द डी कैण्डोली ने दिया। 

→ वर्गीकरण की तीन पद्धतियाँ

  • वर्गीकरण की कृत्रिम पद्धति-पौधों के केवल एक या दो लक्षणों पर आधारित। उदा. लिनियस का वर्गीकरण,
  • वर्गीकरण की प्राकृतिक पद्धति-आकारिकीय व अन्य सभी मुख्य लक्षणों पर आधारित, उदा. बेन्थम एवं हुकर (Benthem and Hooker) का वर्गीकरण तथा
  • वर्गीकरण की जातीयवृत्तीय पद्धतिजीवों के जातिवृत्तीय सम्बन्ध तथा विकास क्रम पर आधारित। उदा. एंग्लर एवं प्रेन्टल का वर्गीकरण। 

→ आर्कीबैक्टीरिया प्राचीनतम जीवित जीवाश्म (oldest living fossil) हैं। जातिवृत्तीय दृष्टिकोण से जगत प्रोटिस्टा प्रोकैरियोटी मोनेरा तथा जटिल जीवों (कवक, पादप तथा जन्तु) के बीच की संयोजी कड़ी है। 

→ गोन्योलैक्स (Gonyaulax) नामक डायनोफ्लैजिलेट्स की संख्या में अधिक वृद्धि के कारण लाल ज्वार (red tide) होता है।

→ ट्राइकोडेस्मियम (Trichodesmium) के कारण लाल सागर का रंग लाल होता है।

→ डायटम जीवाश्मों के विशाल भण्डार डायटमी मृत्तिका (Diatomaceous earth) कहलाती है।

→ युग्लीन ऐसा जीव है जिसमें जन्तुमय तथा पादप सम दोनों प्रकार की जीवन पद्धतियाँ (life styles) मिलती हैं।

→ राइजोपस व म्युकर को पिन मोल्ड भी कहते हैं।

→ न्यूरोस्पोरा कवक पादप जगत का ड्रोसोफिला (Drosophila)

Prasanna
Last Updated on July 26, 2022, 11:40 a.m.
Published July 26, 2022