These comprehensive RBSE Class 11 Biology Notes Chapter 13 उच्च पादपों में प्रकाश-संश्लेषण will give a brief overview of all the concepts.
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→ पौधे प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया द्वारा अपना भोजन स्वयं तैयार करते हैं । इस प्रक्रिया में ये वायुमण्डल की CO2 को रंध्रों द्वारा लेकर कार्बोहाइड्रेट्स (ग्लूकोज, स्टार्च) बनाने में उपयोग करते हैं। पत्तियों में स्थित पर्णमध्योतक क्लोरोप्लास्ट में प्रचुर होती है जो कि CO2, के यौगिकीकरण के लिए उत्तरदायी होती है। प्रकाश-संश्लेषण में प्रकाश अभिक्रिया तथा कार्बन स्थिरीकरण होता है। प्रकाश अभिक्रिया में प्रकाश ऊर्जा एंटेना में उपस्थित वर्णकों द्वारा अवशोषित की जाती है। इनमें दो प्रकाश तंत्र (PSI, PS-II) होते हैं । PS-I के अभिक्रिया केन्द्र में क्लोरोफिल ए (P700) के अणु प्रकाश तरंगदैर्घ्य 700nm को अवशोषित करते हैं, जबकि PS-II में P680 अभिक्रिया केन्द्र होता है जो लाल प्रकाश को 680nm पर अवशोषित करता है। प्रकाश अवशोषण से इलेक्ट्रॉन उत्तेजित होते हैं और PS-II तथा PS-I से स्थानान्तरित होते हुए अन्त में NADP में पहुँच NADPH बनाते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान एक प्रोटोन प्रवणता थाइलेकोइड की झिल्लिका के आर-पार उत्पन्न हो जाती है। ATP एंजाइम के भाग F से प्रोटोन की गति के कारण प्रवणता भंग हो जाती है तथा ATP के संश्लेषण के लिए पर्याप्त ऊर्जा मुक्त की जाती है । जल अपघटन PS-II में होता है, परिणामत: O2 तथा प्रोटोन मुक्त होता है और PS-II में इलेक्ट्रॉन का स्थानान्तरण होता है।
कार्बन स्थिरीकरण में एंजाइम रुबिस्को द्वारा CO2, एक 5 कार्बन । यौगिक RuDP से जुड़ता है तथा PGA के दो अणु बनते हैं। इसके बाद केल्विन चक्र के द्वारा यह शर्करा में परिवर्तित होता है तथा RuDP पुनरुद्भवित होता है। इस प्रक्रिया में प्रकाश अभिक्रिया द्वारा संश्लेषित ATP व NADPH का उपयोग होता है। इसके साथ RUBISCO C, पादपों में प्रकाश श्वसन को उत्प्रेरित करता है। कुछ उष्णकटिबंधीय पौधे विशेष प्रकार का प्रकाश-संश्लेषण करते हैं जिसे C3, कहते हैं। इन पौधों के पर्णमध्योतक में सम्पन्न होने वाले CO2, यौगिकीकरण के उत्पाद एक 4 कार्बन यौगिक (OAA) है। पूलाच्छद कोशिका में केल्विन पथ चलता है, जिससे कार्बोहाइड्रेट्स का संश्लेषण होता है।
→ प्रकाश एक प्रकार की ऊर्जा है जो छोटे-छोटे कणों के रूप में प्रवाहित होती है जिन्हें फोटोन कहते हैं। फोटोन में उपस्थित ऊर्जा को क्वांटम कहते हैं।
→ ग्लूकोज में O2 कार्बन डाइऑक्साइड से आती है।
→ जल के अपघटन हेतु प्रकाशीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है जिसके कारण NADPH, प्राप्त होता है।
→ प्रकाशीय अभिक्रिया क्लोरोप्लास्ट के ग्रेना में होती है तथा अप्रकाशीय अभिक्रिया स्ट्रोमा में होती है। संतुलन प्रकाश तीव्रता (Compensation Point) प्रकाश तीव्रता की वह स्थिति है जब प्रकाश-संश्लेषण में ली गई CO2, तथा श्वसन में छोड़ी गई CO2, की मात्रा बराबर होती है।
→ अपचयोपचय या रिडोक्स विभव (Redox Potential) एक अणु की इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने या त्यागने की क्षमता को कहते हैं। कम रिडोक्स विभव वाले अणु इलेक्ट्रॉन त्यागते हैं अर्थात् ये इलेक्ट्रॉन दाता (donar) होते हैं। अधिक रिडॉक्स विभव वाले अणु इलेक्ट्रॉन ग्राही होते हैं । अतः इलेक्ट्रॉन सदैव कम रिडॉक्स विभव वाले अणुओं से अधिक रिडॉक्स विभव वाले अणुओं की ओर प्रस्थान करते हैं।
→ DCMU (डाइ क्लोरोफिनाइल डाइ मिथाइल यूरिया) एक शाकनाशक है। यह PS-II का संदमन (inhibit) करता है।
→ अधिक तीव्र प्रकाश में क्लोरोप्लास्ट का नष्ट होना सोलेराइजेशन कहलाता है।
→ सभी O2, निकालने वाले पौधों में PS-I तथा PS-II दोनों मिलते हैं। O2, न निकालने वाले पौधों, जैसे जीवाणु आदि में केवल PS-I मिलता है।
→ प्रकाशीय श्वसन में C3, पौधों की क्षमता में कमी आती है। RUBISCO एक एंजाइम है जिसकी प्रकृति प्रोटीन है। पौधों की कुल प्रोटीन का 70% यह प्रोटीन पाई जाती है।