These comprehensive RBSE Class 11 Biology Notes Chapter 11 पौधों में परिवहन will give a brief overview of all the concepts.
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→ पौधे विभिन्न प्रकार के अकार्बनिक तत्वों एवं लवणों को अपने आस-पास के पर्यावरण से लेते हैं। इन पोषकों की गति पर्यावरण से पौधों में तथा कोशिका से अन्य कोशिका में झिल्ली के द्वारा होती है। कोशिका झिल्ली के आर-पार परिवहन विसरण, सुसाध्य परिवहन या सक्रिय परिवहन के द्वारा होता है। मूल के द्वारा अवशोषित जल जाइलम के द्वारा तथा पत्तियों द्वारा संश्लेषित कार्बनिक पदार्थ फ्लोयम के द्वारा पौधे के विभिन्न भागों में परिवहन किये जाते हैं।
→ निष्क्रिय व सक्रिय परिवहन पोषकों को झिल्लियों के आरपार संचरित करने की दो विधियाँ हैं। निष्क्रिय परिवहन में विसरण के द्वारा झिल्ली के आर-पार बिना ऊर्जा व्यय किए पोषकों की गति सांद्रता प्रवणता के अनुसार होती है। पदार्थों का विसरण आकार व उसके जल में या कार्बनिक विलेयन में घुलनशीलता पर निर्भर करता है। परासरण में जल अर्धपारगम्य झिल्ली के पार जाता है तथा दाब व सांद्रण प्रवणता पर निर्भर करता है। सक्रिय परिवहन में ATP की ऊर्जा, अणुओं को सांद्रण प्रवणता के विरुद्ध झिल्ली के पार पम्प करती है। जल विभव जल की गति में सहायता करता है। यह विलेय अंतःशक्ति तथा दाब अंतःशक्ति द्वारा निर्धारित होती है। कोशिका का यह व्यवहार आस-पास के विलयनों पर निर्भर करता है। यदि विलयन अतिपरासारी है तो जीवद्रव्य कुंचित होता है। बीजों व शुष्क काष्ठों द्वारा जल का अवशोषण अंतःशोषण द्वारा होता है।
→ उच्च पौधों में जाइलम व फ्लोयम स्थानान्तरण हेतु उत्तरदायी होते हैं। जल, खनिज तथा पोषक पादप शरीर के अन्दर विसरण के अलावा सामूहिक प्रवाह तंत्र द्वारा संचारित होते हैं। यह प्रवाह दो बिन्दुओं के बीच दाब के अन्तर के कारण होता है। मूल रोमों द्वारा अवशोषित जल जड़ों की गहराई में एपोप्लास्ट तथा सिमप्लास्ट पथों से जाता है।
→ मृदा से विविध आयन तथा जल तने की कम ऊँचाई तक मूलदाब से परिवहित किये जाते हैं। वाष्पोत्सर्जन खिंचाव व संसंजन बल रसारोहण के लिए उत्तरदायी है। रंध्रों द्वारा जल की हानि जलवाष्प के रूप में होती है, यही वाष्पोत्सर्जन होता है। ताप, प्रकाश, आर्द्रता, वायु की गति वाष्पोत्सर्जन की दर को प्रभावित करने वाले कारक हैं। पानी की अधिक मात्रा बिन्दुस्राव के द्वारा निकाली जाती है। पौधों में खाद्य पदार्थों का परिवहन उद्गम से कुंड तक के लिए फ्लोयम द्वारा होता है। फ्लोयम में स्थानान्तरण दाब प्रवाह परिकल्पना के आधार पर होता है।
→ जीवद्रव्य के जैविक भार का लगभग 90 प्रतिशत भाग जल है।
→ पौधों की विभिन्न जैविक उपापचयी क्रियाओं के अध्ययन को पादप कार्यिकी (Plant Physiology) कहते हैं।
→ स्टीफन हेल्स (Stephen Hales) को पादप कार्यिकी का जनक तथा जे.सी. बोस को भारतीय पादप कार्यिकी का जनक कहा जाता है।
→ गैस, द्रव अथवा ठोस के अणुओं या आयनों के अपने अधिक सांद्रता क्षेत्र से कम सांद्रता क्षेत्र की ओर समान वितरण तक गमन को विसरण कहते हैं।
→ मेनोमीटर द्वारा परासरण दाब मापा जाता है। एपोप्लास्ट व सिमप्लास्ट धारणा जर्मन वैज्ञानिक ई. मंच ने दी थी।
→ प्रात:काल समय में पत्तियों के किनारे पर जल की छोटीछोटी बूंदों का निकलना बिन्दुस्राव (Guttation) के कारण होता है। इसे आलू, अरबी, टमाटर, गार्डन नैस्टर्शियम आदि में देखा जा सकता है।
→ पौधों के कटे या चोट खाये स्थानों से कोशिका रस का निकलना रस स्रावण (bleeding) कहलाता है। रबर व ताड़ वृक्षों में इसे देखा जा सकता है।
→ शुद्ध जल (विलायक) एवं विलयन में जल के अणुओं की मुक्त ऊर्जा में अन्तर जल विभव कहलाता है। जल विभव Ψ = Ψs + Ψp
→ मैलपीगी (Malpighi) ने वलयन प्रयोग (Girdling or Ringing Experiment) किये थे।
→ परासरण की खोज नोलेट (Nollet) ने तथा फेफर (Pfeffer) ने परासरण दाब को बताया।
→ पोटोमीटर से वाष्पोत्सर्जन की दर तथा पोरोमीटर से रंध्रों का आकार मापा जाता है।
→ नमक (NaCl) विलयनों का परासरणी दाब (O.P) 20°C पर 1.0 M = 46.5 atm., 0.1 M = 4.68 atm. तथा 0.01 M = 0.47 atm. होता है।
→ सुक्रोज विलयनों का 20°C पर परासरण दाब 1.0M = 28.39 atm., 0.1 M = 2.51 atm., 0.01M = 0.24 atm. होता है।