Rajasthan Board RBSE Class 11 Biology Important Questions Chapter 22 रासायनिक समन्वय तथा एकीकरण Important Questions and Answers.
I. रिक्त स्थानों की पूर्ति के प्रश्न (Fill in the blanks type questions)
प्रश्न 1.
मादाओं में ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन पूर्ण विकसित पुटिकाओं (ग्राफीयन पुटिका) से ........................... को प्रेरित करता है।
उत्तर:
अण्डोत्सर्ग
प्रश्न 2.
थाइयोसिन ही लिम्फोसाइट्स के ........................... में मुख्य भूमिका निभाते हैं।
उत्तर:
विभेदीकरण
प्रश्न 3.
मधुमेह के मरीजों का ........................... द्वारा सफलतापूर्वक उपचार किया जा सकता है।
उत्तर:
इन्सुलिन
प्रश्न 4.
वृषण प्राथमिक लैंगिक अंग के साथ ही ........................... ग्रन्थि के रूप में भी कार्य करता है।
उत्तर:
अन्तःस्रावी
प्रश्न 5.
कार्टिसोल ........................... के उत्पादन को प्रेरित करता है।
उत्तर:
RBC
प्रश्न 6.
वृक्क की जक्स्टाग्लोमेरुलर कोशिकाएँ ........................... नामक हार्मोन का उत्पादन करती हैं।
उत्तर:
इरिथ्रोपोइटिन
प्रश्न 7.
हार्मोन ग्राहियों के साथ जुड़कर ........................... का निर्माण करते हैं।
उत्तर:
हार्मोनग्राही सम्मिश्र
प्रश्न 8.
अधिवृक्क मध्यांश एपीनेफ्रीन और ........................... हार्मोन का स्त्राव करता है।
उत्तर:
नॉर एपी नेफ्रीन
प्रश्न 9.
हृदय की आलिन्द भित्ति ........................... कारक का उत्पादन करता है।
उत्तर:
एट्रियल नेट्रियूरेटिक
प्रश्न 10.
मोचक हार्मोन और ........................... हार्मोन हाइपोथैलेमस द्वारा स्लावित किया जाता है।
उत्तर:
निरोधी।
II. सत्य व असत्य प्रकार के प्रश्न (True and False type questions)
प्रश्न 1.
जनद ग्रन्थियाँ मिश्रित ग्रन्थियाँ कहलाती हैं। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 2.
इन्सुलिन की कमी से डायबिटीज मेलीटस नामक रोग हो जाता हैं। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 3.
हाइपोथेलेमस से 7 मुक्तकारी हार्मोन और 3 निरोधी हार्मोन का उत्पादन होता है। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 4.
टेस्टोस्टेरोन स्त्रियों में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों का नियमन करता है। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 5.
अण्डोत्सर्ग के पश्चात् विखण्डित पुटिका कार्पोराक्वाड्रीजेमीना में बदल जाता है। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 6.
एंड्रोजन शुक्राणु निर्माण की प्रक्रिया में प्रेरक भूमिका निभाते हैं। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 7.
लम्बी अवधि तक हाइपरग्लाइसीमिया होने पर डायबीटीज मेलीटस बीमारी हो जाती है। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 8.
एड्रीनल बल्कुट द्वारा हार्मोन के अल्प रावण के कारण गाऊट रोग हो जाता है। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 9.
वैसोप्रेसिन वृक्क की दूरस्थ कुण्डलित नलिका से जल एवं आयनों का पुनरावशोषण को प्रेरित करता है। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 10.
गैस्ट्रिन जठर ग्रन्थियों पर कार्य कर HCl और पेप्सिनोजन के स्त्राव को प्रेरित करता है। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
सत्य
III. निम्न को सुमेलित कीजिए (Match the following)
स्तम्भ - I में दिये गये पदों का स्तम्भ - II में दिये गये पदों के साथ सही मिलान कीजिए
प्रश्न 1.
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. एड्रीनेलिन |
(i) मादा |
B. एस्ट्रोजन |
(ii) गुस्सा, डर, खतरा |
C. इन्सुलिन |
(iii) पैंक्रियाज से एन्जाइम्स के स्रवण को उद्दीप्त करना |
D. कोलेसिस्टोकाइनिन |
(iv) ग्लूकोज |
उत्तर:
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. एड्रीनेलिन |
(ii) गुस्सा, डर, खतरा |
B. एस्ट्रोजन |
(i) मादा |
C. इन्सुलिन |
(iv) ग्लूकोज |
D. कोलेसिस्टोकाइनिन |
(iii) पैंक्रियाज से एन्जाइम्स के स्रवण को उद्दीप्त करना |
प्रश्न 2.
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. हाइपोथैलेमस |
(i) एस्ट्रोजन |
B. ग्रेफियन पुटिका |
(ii) टेस्टोस्टेरोन |
C. अन्तराली कोशिकाएँ |
(iii) रिलेक्सन |
D. प्रसव |
(iv) GnRH |
उत्तर:
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. हाइपोथैलेमस |
(iv) GnRH |
B. ग्रेफियन पुटिका |
(i) एस्ट्रोजन |
C. अन्तराली कोशिकाएँ |
(ii) टेस्टोस्टेरोन |
D. प्रसव |
(iii) रिलेक्सन |
प्रश्न 3.
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. मेलोटोनिन |
(i) एड्रीनल वल्कुट |
B. एल्डोस्टीरान |
(ii) पिनियल ग्रन्थि |
C. प्रोजेस्ट्रोन |
(iii) प्लेसेन्य |
D. HCG |
(iv) कार्पस ल्यूटियम |
उत्तर:
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. मेलोटोनिन |
(ii) पिनियल ग्रन्थि |
B. एल्डोस्टीरान |
(i) एड्रीनल वल्कुट |
C. प्रोजेस्ट्रोन |
(iv) कार्पस ल्यूटियम |
D. HCG |
(iii) प्लेसेन्य |
प्रश्न 4.
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. एड्रीनिलन |
(i) डिमिनरेलाइजेशन |
B. हाइपरपेराथाइडिज्म |
(ii) हृदय गति को बढ़ाना |
C. आक्सीटोसिन |
(iii) मिक्सोडिमा |
D. हाइपोथाईराडिज्म |
(iv) बच्चे के जन्म की प्रक्रिया |
उत्तर:
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. एड्रीनिलन |
(ii) हृदय गति को बढ़ाना |
B. हाइपरपेराथाइडिज्म |
(i) डिमिनरेलाइजेशन |
C. आक्सीटोसिन |
(iv) बच्चे के जन्म की प्रक्रिया |
D. हाइपोथाईराडिज्म |
(iii) मिक्सोडिमा |
प्रश्न 5.
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. महाकायता |
(i) मादा के समान नर में स्तनों का विकास |
B. नेत्रसेंधी गलकण्ड |
(ii) त्वचा कास्य वर्ण |
C. गाइनोकोमैस्टिज्म |
(iii) थायरोक्सिन के अति स्रावण |
D. एडीसन रोग |
(iv) वृद्धि हार्मोन के अति स्त्रावण |
उत्तर:
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. महाकायता |
(iv) वृद्धि हार्मोन के अति स्त्रावण |
B. नेत्रसेंधी गलकण्ड |
(iii) थायरोक्सिन के अति स्रावण |
C. गाइनोकोमैस्टिज्म |
(i) मादा के समान नर में स्तनों का विकास |
D. एडीसन रोग |
(ii) त्वचा कास्य वर्ण |
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
पीयूष ग्रन्थि कहाँ स्थित होती है?
उत्तर:
पीयूष ग्रन्थि कपाल की स्फीनायड अस्थि के सेलाटर्सिका गुहा में स्थित होती है।
प्रश्न 2.
पीयूष ग्रन्थि के पश्च पिण्ड (न्यूरोहाइपोफाइसिस) के खावित हार्मोन्स के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 3.
3F (FFF) हार्मोन किस ग्रन्थि से सम्बन्धित है?
उत्तर:
3F (FEF) हार्मोन एड्रीनल ग्रन्थि से सम्बन्धित है।
प्रश्न 4.
उस ग्रन्थि का नाम लिखिए जो जैविक घड़ी (Biological Clock) की भाँति कार्य करती है।
उत्तर:
पीनियल ग्रन्थि (Pineal gland) जैविक घड़ी की भाँति कार्य करती है।
प्रश्न 5.
महिलाओं में गर्भाधान की प्रारम्भिक अवस्था में उनके मूत्र से कौनसा हार्मोन उत्सर्जित किया जाता है जिससे गर्भाधान की जांच (Pregnancy test) की जाती है।
उत्तर:
कोरियोनिक गोनेडोदापिक हार्मोन।
प्रश्न 6.
प्रथम व द्वितीय दूत किसे कहा जाता है?
उत्तर:
हार्मोन को प्रथम दूत व C - AMP को द्वितीय दूत कहते है।
प्रश्न 7.
गर्भनिरोधक गोलियों में कौनसे हार्मोन का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर:
गर्भनिरोधक गोलियों में एस्ट्रोजन हार्मोन का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 8.
पित्त रस के स्रावण हेतु पित्ताशय को उद्दीपन करने वाले हारमोन का नाम लिखिए।
उत्तर:
पित्त रस के स्रावण हेतु पित्ताशय को उद्दीपन करने वाले हारमोन का नाम कोलेसिस्टोकाइनिन (Cholecystokinin) है।
प्रश्न 9.
पार्स डिस्टेलिस द्वारा कितने ट्रॉफिक हार्मोन्स का स्रवण किया जाता है?
उत्तर:
पार्स डिस्टेलिस द्वारा 6 ट्रॉफिक हार्मोन का स्रवण किया जाता है।
प्रश्न 10.
पीयूष ग्रन्थि के तीन मुख्य भागों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 11.
वृक्क में किस हार्मोन का उत्पादन होता है? इसका एक कार्य लिखिए।
उत्तर:
वृक्क में एरीथोपोइटिन नामक हार्मोन का उत्पादन होता है जो रक्ताणु उत्पत्ति को प्रेरित करता है।
प्रश्न 12.
जठर आंघीय पथ के द्वारा सावित किन्हीं दो हार्मोन के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 13.
वृद्धि कारक किसे कहते हैं? एक कार्य लिखिए।
उत्तर:
ऊतक जो अन्त:स्त्रावी नहीं होते हैं फिर भी कई हार्मोन का खाव करते हैं, जिन्हें वृद्धिकारक कहते हैं। ये वृद्धिकारक ऊतकों की सामान्य वृद्धि और उनकी मरम्मत का कार्य करते हैं।
प्रश्न 14.
एट्रियल नेटियूरेटिक कारक (एएनएफ) का कार्य लिखिए।
उत्तर:
एट्रियल नेटियूरेटिक कारक (एएनएफ) रक्त दाब को कम करने का कार्य करता है।
प्रश्न 15.
स्त्री प्रत्येक मासिक चक्र में कितने अण्डे उत्पादित करती है?
उत्तर:
स्वी प्रत्येक मासिक चक्र में एक अण्डे को उत्पादित करती है।
प्रश्न 16.
पुरुष व स्त्री के प्राथमिक लैंगिक अंगों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 17.
कौनसा हार्मोन केन्द्रीय तंत्रिका तन्त्र पर कार्य कर नर लैंगिक व्यवहार (लिबिडो) को प्रभावित करता है?
उत्तर:
एंड्रोजन केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र पर कार्य कर नर लैंगिक व्यवहार (लिबिडो) को प्रभावित करता है।
प्रश्न 18.
साधारण मनुष्य के अग्न्याशय में लगभग कितने लैंगरहँस द्वीप होते हैं?
उत्तर:
साधारण मनुष्य के आन्याशय में लगभग 10 से 20 लाख लैंगरहँस द्वीप होते हैं।
प्रश्न 19.
श्राइमोसिन हार्मोन का एक कार्य लिखिए।
उत्तर:
थाइमोसिन टी - लिंफोसाइट्स के विभेदीकरण का कार्य करता है।
प्रश्न 20.
मानव में कितनी पैराथाइरॉइड ग्रन्थियाँ पाई जाती हैं?
उत्तर:
मानव में चार पैराथाइरॉइड ग्रन्धियाँ पाई जाती हैं।
प्रश्न 21.
थाइरॉइड ग्रन्धि की दोनों पालियाँ किस रचना से जुड़ी होती हैं?
उत्तर:
थाइरॉइड ग्रन्थि की दोनों पालियाँ संयोजी ऊतक के पतली - पल्लीनुमा इस्थमस से जुड़ी होती हैं।
प्रश्न 22.
हार्मोन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
हामोंन सूक्ष्म मात्रा में उत्पन्न होने वाले अपोषक रसायन हैं जो अंतरकोशिकीय संदेशवाहक के रूप में कार्य करते हैं।
प्रश्न 23.
उस अन्तः स्रावी ग्रन्थि का नाम लिखिए जो सबसे बड़ी हैं।
उत्तर:
थायरॉइड ग्रन्धि सबसे बड़ी अन्तःस्रावी ग्रन्थि है।
प्रश्न 24.
नवजात शिशु में शल्य क्रिया द्वारा थायमस ग्रन्थि को निकाल दें तो क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
नवजात शिशु में शल्य क्रिया द्वारा थायमस ग्रन्धि को निकाल दें तो T - लिम्फोसाइट्स का निर्माण नहीं होगा।
प्रश्न 25.
कॉर्पस ल्यूटियम द्वारा स्रावित किसी एक हार्मोन का नाम लिखिए।
उत्तर:
कॉर्पस ल्यूटियम द्वारा स्रावित हार्मोन का नाम प्रोजेस्टीरोन है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
यदि अग्न्याशय ग्रन्थि के लैंगरहैन्स द्वीपसमूह में स्थित एल्फा व बीटा कोशिकाओं को निष्क्रिय कर दिया जाये तो प्राणी में प्रभावित क्रिया को कारण सहित समझाइए।
उत्तर:
लैंगरहैन्स की द्वीपिकाओं में उपस्थित एल्फा कोशिकाओं द्वारा ग्लूकैगोन (Glucagon) हार्मोन का स्रावण किया जाता है। इन्हें नष्ट कर दिया जाए तो ग्लूकैगोन के अभाव में ग्लूकोनियोजेनेसिस (Gluconeogenesis), ग्लाइकोजिनोलाइसिस (Glycogenolysis) तथा वसा ऊतकों में वसा के विखण्डन की क्रियाएँ अवरुद्ध हो जाएंगी। बीटा कोशिकाएँ इन्सुलिन नामक हार्मोन का लावण करती हैं। बीटा कोशिकाओं को नष्ट कर देने पर इन्सुलिन के अभाव में ग्लाइकोजेनेसिस, लाइपोजेनेसिस, RNA का संश्लेषण अवरुद्ध हो जाएगा तथा ग्लूकोज के उपापचय का नियंत्रण समाप्त हो जाएगा।
प्रश्न 2.
कारण सहित बताइये किसी व्यक्ति में वैसोप्रेसिन की कमी हो जाए तो उसको प्यास अधिक लगती है, क्यों?
उत्तर:
वैसोप्रेसिन अथवा एण्टीडाइयूरेटिक हार्मोन (ADH) का मुख्य कार्य वृक्क नलिकाओं के दूरस्थ कुण्डलित भाग तथा संग्रह नलिकाओं में जल के पुनः अवशोषण को बढ़ाना है। इसलिए इस हार्मोन को मूत्ररोधी हार्मोन कहते हैं।
इस हार्मोन के अल्प त्रावण से मूत्र पतला हो जाता है तथा मूत्र की मात्रा बढ़ जाती है। इस रोग को उदकमेह या डायबिटिज इन्सिपिडस (Diabetes Insipidus) कहते हैं। इसके कारण शरीर में निर्जलीकरण (Dehydration) होने लगता है तथा प्यास अधिक लगती है।
प्रश्न 3.
एड्रीनल - मेड्यूला से स्त्रावित हार्मोन क्या कहलाते हैं तथा उनका प्रमुख कार्य क्या है?
उत्तर:
एड्रीनल मेड्यूला से दो हार्मोन्स का स्रावण होता है जिन्हें क्रमश: एडीनेलीन या एपीनेफ्रीन एवं नारऐडीनेलीन या नारएपीनेफ्रीन कहते हैं। इन्हें संयुक्त रूप से कैटेकोलएमीन (Catecholamine) कहते हैं।
1. एपीनेफ्रिन या एड्रेनेलिन के कार्य: यह हार्मोन हृदय, धमनियों तथा अन्य सभी अनैच्छिक पेशियों के संकुचन को प्रभावित करता है जिससे अधिक दाब का नियन्त्रण होता है तथा हृदय स्पन्दन की दर निश्चित बनी रहती है। यह हार्मोन श्वास नलिकाओं के संकुचन को प्रभावित करता है। रोंगटे खड़े हो जाना,आँखों की पुतलियों का फैलना तथा उत्साह और उत्तेजना का नियंत्रण भी ऐपीनेफ्रिन पर निर्भर होता है। इसी कारण इसे संकटकालीन हार्मोन (Emergency Hormone) कहते हैं।
2. नॉर - ऐपीनेफ्रीन के कार्य: यह हार्मोन क्रोध, भय या पीड़ा को प्रभावित करता है क्योंकि इस हार्मोन द्वारा सिम्पेथेटिक तन्त्रिका तन्त्र का नियन्त्रण होता है।
प्रश्न 4.
थाइराइड ग्रन्थि का गर्दन फूलने से क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
पेंचा या गलगण्ड (Goiter) रोग में थाइराइड ग्रन्धि बड़ी होकर फूल जाती है जिससे गर्दन भी फलकर मोटी हो जाती है। यह रोग भोजन में आयोडीन की कमी के कारण होता है।
प्रायः पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में यह रोग अधिक होता है क्योंकि वहाँ पानी में आयोडीन की कमी होती है।
प्रश्न 5.
पीयूष ग्रन्थि के बृद्धि हार्मोन के अति स्राव के कारण होने वाले रोगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पीयूष ग्रन्थि के वृद्धि हार्मोन के अति सावण से होने वाले रोग निम्न हैं-
इससे व्यक्ति में कूबड़ उत्पन्न हो जाती है, जिसे काइफोसिस (Kyphosis) कहते हैं।
प्रश्न 6.
क्या कारण है कि प्रायः घेघा की बीमारी पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले मनुष्यों में ज्यादा होती है?
उत्तर:
प्राय: घा की बीमारी पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले मनुष्यों में ही ज्यादा होती है क्योंकि वहाँ की मिट्टी व पानी में आयोडीन की - कमी होती है।
आयोडीन की कमी से ही घेघा (Goiter) रोग होता है।
प्रश्न 7.
निम्न पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए-
(1) वृद्धिकारक
(2) जठर आंत्रीय पथ
(3) इरिथ्रोपोइटिन
(4) थाइरोकैल्सिटोनिन।
उत्तर:
(1) वृद्धिकारक: अनेक अन्य ऊतक जो अन्तःस्रावी नहीं हैं, कई हार्मोन का स्राव करते हैं जिन्हें वृद्धिकारक कहते हैं। ये वृद्धिकारक, ऊतकों की सामान्य वृद्धि और उनकी मरम्मत और पुनर्जनन के लिए आवश्यक हैं।
(2) जठर आंत्रीय पथ: जठर आंत्रीय पथ के विभिन्न भागों में उपस्थित अन्त:सावी कोशिकाएँ चार मुख्य पेप्टाइड हार्मोन का स्राव करती हैं जो निम्न हैं-
(3) इरिथ्रोपोइटिन: वृक्क की जक्स्टाग्लोमेरुलर कोशिकाएँ, इरिथ्रोपोइटिन नामक हार्मोन का उत्पादन करती हैं जो रक्ताणु उत्पत्ति (RBC के निर्माण) को प्रेरित करता है।
(4) थाइरोकैल्सिटोनिन: थाइरॉइड ग्रन्थि से एक प्रोटीन हार्मोन का स्राव किया जाता है जिसे थाइरोकैल्सिटोनिन (TCT) कहते हैं। यह रक्त में कैल्सियम स्तर को नियन्त्रण करता है।
प्रश्न 8.
हार्मोन के कोई चार महत्त्व लिखिए।
उत्तर:
हार्मोन के महत्व निम्न हैं-
प्रश्न 9.
पिनियल ग्रन्थि कहाँ स्थित होती है? इससे निकलने वाले हार्मोन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पिनियल ग्रन्थि अग्रमस्तिष्क के पृष्ठीय (ऊपरी भाग में) स्थित होती है। इसके द्वारा मिलेटोनिन नामक हार्मोन का खावण किया जाता है।
मिलेटोनिन हार्मोन के कार्य-
प्रश्न 10.
थायरॉइड ग्रन्थि के अधर दृश्य का नामांकित चित्र बनाइये तथा रासायनिक प्रकृति के आधार पर हार्मोन को कितने समूह में बाँटा गया है? नाम लिखिए।
उत्तर:
थायराइड ग्रन्थि के अधर दृश्य का चित्र:
रासायनिक प्रकृति के आधार पर हार्मोनों को चार समूहों में बाँटा गया है-
प्रश्न 11.
डायबेटिक कोमा (Diabetic Coma) किसे कहते है?
उत्तर:
इन्सुलिन हार्मोन की अधिकता से रुधिर में ग्लूकोज की मात्रा कम हो जाती है जिससे मस्तिष्क की कोशिकाओं को पर्याप्त ग्लूकोज नहीं मिल पाता और व्यक्ति बेहोश हो जाता है। इस रोग को ही डायबेटिक कोमा (Diabetic Coma) कहते हैं।
प्रश्न 12.
पीयूष ग्रन्थि के किन्ही चार हार्मोनों के कार्यों का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
पीयूष ग्रन्धि के किन्हीं चार हार्मोनों के कार्य:
प्रश्न 13.
थाइराइड ग्रन्थि को स्वभाव ग्रन्थि भी कहते हैं, क्यों?
उत्तर:
थाइराइड ग्रन्थि से निकलने वाला हारमोन थाइरॉक्सिन का मनुष्य के स्वभाव से सम्बन्ध होता है। उचित मात्रा में मनुष्य का स्वभाव सामान्य बना रहता है। यदि हारमोन की मात्रा रुधिर में अधिक हो जाती है तो उपापचय क्रियाएँ भी तेज हो जाती हैं जिससे तन्त्रिका कोशिका अधिक संवेदनशील हो जाती है। इससे मनुष्य अधीर व चिड़चिड़ा हो जाता है। चूंकि थाइरॉइड मनुष्य के स्वभाव से सम्बन्धित है इसलिए इसे स्वभाव ग्रन्थि (Nature gland or behaviour gland) भी कहते हैं।
प्रश्न 14.
उत्तेजना तथा विपत्ति के समय रुधिर में किस हारमोन की मात्रा बढ़ जाती है? उस हारमोन के अति स्त्राव के शरीर में होने वाले परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उत्तेजना तथा विपत्ति के समय रक्त में एड्रीनल ग्रन्थि के मेड्यूला से ऐडीनिलीन या एपीनेफ्रिन (Epinephrine) नामक हारमोन की मात्रा बढ़ जाती है। यह हारमोन संकटकालीन परिस्थितियों में प्राणी को संकट से सामना करने के लिए तैयार करता है।
अतिस्त्राव से शरीर में होने वाले परिवर्तन निम्न हैं:
विशेष: यह हारमोन लड़ाई (Fight), पलायन (Flight) तथा भय (Fear) के समय अधिक स्रावित होकर जन्तुओं को इन प्रतिकूल परिस्थितियों के प्रति तैयार करता है इसलिए इस हारमोन को 3F= FFF हारमोन तथा इस ग्रन्थि को FFF ग्रन्थि कहते हैं।
प्रश्न 15.
निम्न हार्मोन्स का पूरा नाम व कार्य को लिखिए
(i) M.S.H.
(ii) A.C.T.H.
उत्तर:
(1) M.S.H.: मेलेनोसाइट प्रेरक हामो न (Melanocyte Stimulating Hormone)
कार्य: यह हार्मोन त्वचा में पायी जाने वाली रंगा कोशिकाओं में मिलेनीन (Melanin) वर्णक कर्णो को फैलाकर त्वचा के रंग को गहराता है। MSH सभी कशेरुकी वर्गों के जन्तुओं में पाया जाता है किन्तु यह असमतापी (Polikothermal) जन्तुओं में ही कार्यात्मक होता है। यह हार्मोन मनुष्य में तिल व चकत्तों के लिए जिम्मेदार है।
(ii) A.C.T.H.: एड्रिनो कोर्टिकोट्रोपिक हार्मोन (Adreno Corticotropic Hormone)
कार्य: यह हार्मोन अधिवृक्क, कोर्टेक्स भाग की वृद्धि एवं उससे निकलने वाले हार्मोनों पर नियन्त्रण करता है।
प्रश्न 16.
तंत्रिका नियंत्रण और हार्मोन्स नियंत्रण में विभेद कीजिए।
उत्तर:
तंत्रिका और हार्मोन्स नियंत्रण में विभेद:
लक्षण |
तंत्रिका नियंत्रण |
हार्मोन्स नियंत्रण |
1. क्रिया की गति |
हमेशा तुरन्त क्रिया करते हैं। |
तुरन्त क्रियाशील हो सकते हैं या लम्बे समय के साथ क्रियाशील हो सकते हैं। |
2. सूचनाओं के संचरण की प्रणाली |
इलेक्ट्रोकेमिकल तंत्रिका आवेगों के रूप में। |
रासायनिक संदेशवाहक के रूप में। |
3. संचरण का मार्ग |
नर्व फाइबर्स द्वारा। |
रक्त द्वारा। |
4. सूचना की दिशा |
एक विशिष्ट दिशा की ओर (प्रभावी अंग या CNS)। |
सामान्य रक्त परिवहन तंत्र में छोड़े जाते हैं जहाँ ये विशिष्ट रिसेप्टर द्वारा ग्रहण किये जाते हैं। |
5. अनुकूलता |
तुरन्त क्रियाओं के लिए, जैसे - रिफ्लेक्सेस। |
लम्बे समय के परिवर्तनों के लिए, जैसे-गर्भावस्था का रखरखाव। |
6. समयशीलता |
कम समय के लिए प्रभाव। |
लम्बे समय तक प्रभाव। |
प्रश्न 17.
एड्रीनल कॉर्टेक्स और एड्रीनल मेड्यूला में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एड्रीनल कर्टिक्स और एड्रीनल मेड्यूला में अन्तर:
एडीनल कॉर्टक्स (Adrenal Cortex) |
एड्रीनल मेड्यूला (Adrenal Medulla) |
1. यह एड्रीनल ग्रन्थि का बाहरी कठोर या दृढ़ क्षेत्र होता है। |
यह एडीनल ग्रन्थि के केन्द्र का नरम भाग होता है। |
2. यह पीले - गुलाबी रंग का होता है। |
यह गहरा लाल - भूरा रंग का होता है। |
3. यह एक तन्तुमय (फाइबर्स) कैप्सूल में बन्द रहता है। |
यह फाइबर्स कैप्सूल में बन्द नहीं रहता है। |
4. यह एड्रिनल ग्रन्थि का लगभग 80% भाग बनाता है। |
यह एड्रिनल ग्रन्थि का लगभग 20% भाग बनाता है। |
5. यह मीजोडर्म से विकसित होता है। |
यह एक्टोडर्म (न्यूरल स्ट) से विकसित होता है। |
6. यह तीन संकेन्द्रित क्षेत्रों का बना होता है - बाहरी जोन ग्लूमेरुलोसा, मध्य जोन फैसीकुलेटा और आन्तरिक जोन रेटीकुलेरिस। |
यह क्षेत्रों में विभाजित नहीं होता है। |
7. यह जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण है। इसके नष्ट होने पर मृत्यु हो जाती है। |
यह जीवन के लिए आवश्यक नहीं है। इसके नष्ट होने से मृत्यु नहीं होती है। |
8. यह हार्मोन्स की तीन समूहों का स्रावण करता है, मिनरै लोकॉर्टीकॉइड्स, ग्लू कोकॉर्टीकाइड्स और मिनरै लोकॉर्टीकॉइड्स, ग्लू कोकॉर्टीकाइड्स और |
यह दो समान हार्मोन्स का लावण करता है, नॉर - एड्रीनेलिन और एड्रीनेलिन। |
9. यह अग्र पिट्यूटरी के ACTH हार्मोन के प्रभाव से उत्तेजित होकर अपने हार्मोन्स का सावण करता है। |
सिम्पैथेटिक नवं फाइबर्स के नर्व इम्पल्स द्वारा यह अपने हार्मोन्स का स्रावण करता है। |
10. इसका एड्रीनल कर्टिक्स तथा सिम्पैथेटिक तंत्रिका तंत्र का आपस में कोई सम्बन्ध नहीं होता है। |
एड्रीनल मेड्यूला तथा सिम्पैथेटिक तंत्रिका तंत्र आपस में समग्न होते हैं जिसे सिम्मैथेटिको - एड्रीनल तंत्र कहते हैं। |
11. यह की कमियों/अनियमितताओं को उत्पन्न करता है। |
यह कोई अनियमितता उत्पन्न नहीं करता है। |
प्रश्न 18.
अधिवृक्क ग्रन्थि एवं इसके दो भागों का अनुप्रस्थ काट का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
प्रश्न 19.
निम्न रोग किन - किन ग्रन्थियों से सम्बन्धित हैं? उनके नाम तथा रोग के कारण बताइए-
1. टिटनी (Tetany)
2. मिक्सीडेमा (Myxoedema)
3. एडीसन्स (Addisons disease)
4. एकोमिगेली (Acromegaly)
5. गलगंड या फेंधा (Goitre)
6. कॉन्सका रोग (Cones disease)
7. मधुमेह (Diabetes)
8. हाशमोटो का रोग (Hashimoto's disease)
उत्तर:
रोग |
ग्रन्थि से सम्बन्ध |
कारण |
1. टिटैनी (Tetany) |
पैराथाइराइड ग्रन्थि। |
पैराथार्मोन की कमी के कारण। |
2. मिक्सीडेमा (Myxoedema) |
थाइरॉइड ग्रन्थि। |
थाइरॉक्सिन की कमी के कारण। |
3. एडीसन्स (Addisons disease) |
एड्रीनल ग्रन्थि। |
कार्टिकल हार्मोन की कमी के कारण। |
4. एक्रोमिगेली (Acromegaly) |
पीयूष ग्रन्थि। |
सोमेटोट्रोपिक हार्मोन की अधिकता के कारण। |
5. गलगंड या पेंघा (Goitre) |
थाइरॉइड ग्रन्थि। |
थाइरॉक्सिन की कमी के कारण। |
6. कॉन्सका रोग (Cones's disease) |
एड्रीनल ग्रन्थि। |
मिनरेलोकॉर्टिकायड्स के अल्प सावण के कारण। |
7. मधुमेह (Diabetes) |
लैंगरहँस की द्वीपिकाएं (Islets of Langerhans) (अग्न्याशय) |
इन्सुलिन की कमी के कारण। |
8. हाशमोटो का रोग (Hashimoto's disease) |
थाइरॉइड ग्रन्थि। |
थायरॉक्सिन हार्मोन के अल्प त्रावण के कारण। |
प्रश्न 20.
अन्तःस्रावी ग्रन्थियों एवं बहिःस्त्रावी ग्रन्थियों में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
अन्तःस्रावी ग्रन्थियों एवं बहिःस्रावी ग्रन्थियों में अन्तर:
अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ (Endocrine glands) |
बहिःस्रावी ग्रन्थियाँ (Exocrine glands) |
1. ये ग्रन्थियाँ अपने स्राव को सीधे रक्त में छोड़ती हैं। |
जबकि ये ग्रन्थियाँ अपने स्राव को वाहिनियों में मुक्त करती हैं। |
2. इनके सावित पदार्थ को हार्मोन कहते हैं। |
जबकि इनके स्लाव को एन्जाइम कहते हैं। |
3. ये नलिकाविहीन होती हैं। उदाहरण- पीयूष ग्रन्थि, थायरॉइड ग्रन्थि, एड्रीनल ग्रन्थि। |
ये नलिकायुक्त होती हैं। उदाहरण- स्वेद ग्रन्थियाँ, दुग्ध प्रन्थियाँ। |
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
हाइपोथैलेमस क्या है? इससे सावित हार्मोन के नाम एवं कार्य लिखिए।
उत्तर:
हाइपोथैलेमस (Hypothalamus):
हाइपोथैलेमस डाइनसिफेलॉन (अग्रमस्तिष्क पश्च) का आधार भाग है। इसमें धूसर द्रव्य (Grey matter) के अनेक क्षेत्र होते हैं जिनको न्यूक्ली कहते हैं। ये क्षेत्र विशेष मोचक (Releasing) हार्मोनों का
संश्लेषण करते हैं। ये हार्मोन इस ग्रन्थि से निकलकर पीयूष ग्रन्थि के अग्र पालि को विभिन्न हार्मोन लावित करने हेतु उद्दीपित करते हैं। पीयूष ग्रन्थि एक वृन्त सदृश इंफन्डीबुलम द्वारा हाइपोथैलेमस से जुड़ी रहती है। पीयूष ग्रन्थि की अन पालि निवाहिका रुधिर वाहिकाओं द्वारा हाइपोथैलेमस से जुड़ी रहती है। इन वाहिकाओं द्वारा नियमनकारी हार्मोन प्रवाहित होते हैं। हाइपोथैलेमस द्वारा दो प्रकार के हार्मोन मोचक हार्मोन (Releasing hormones) तथा निरोधी हार्मोनों (Inhibiting hormones) का संश्लेषण किया जाता है, जो पीयूष ग्रन्थि द्वारा हार्मोनों के उत्पादन तथा स्रावण का नियंत्रण करते हैं। इस कारण हाइपोथैलेमस को अन्त:सावी नियमन का सर्वोच्चा कमाण्डर (Supreme Commander) अथवा प्रधान ग्रन्थि का भी नियंत्रक (Master of the Master Gland) कहा जाता है। पीयूष ग्रन्थि पर नियंत्रण द्वारा, हाइपोथैलेमस शरीर की अधिकांश क्रियाओं का नियमन करता है।
हाइपोथैलेमस द्वारा स्रावित हार्मोन एवं उनके कार्य (Hormone Secreted by Hypothalamus and their Functions) इस ग्रन्थि के लगभग 10 प्रकार के तंत्रिका हार्मोन, जो मोचक तथा निरोधी प्रकृति के होते हैं, का खावण किया जाकर पीयूष ग्रन्थि के स्रावी कार्य पर नियंत्रण रखा जाता है। ये हार्मोन न्यूरोहार्मोन (neurohormone) कहलाते हैं। शरीर में समस्थैतिकता कायम रखने में इस प्रकार तंत्रिका तंत्र व अन्त:लावी तंत्र समन्वित रूप से कार्यरत रहते हैं। इसलिए आधुनिक वैज्ञानिक तंत्रिका अन्त :स्रावी नियंत्रण (Neuroendocrime control) की धारणा पर बल देते हैं।
प्रश्न 2.
पीयूष ग्रन्थि तथा हाइपोथैलेमस के साथ इसके संबद्धता का आरेखीय चित्र बनाइए एवं ऐडीनोहाइपोफाइसिस द्वारा सावित हार्मोनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पीयूष ग्रन्थि (Pituitary Gland):
पीयूष ग्रन्थि: यह ग्रन्थि मस्तिष्क के अधर तल पर दृक काएज्मा (Optic chiasma) के पीछे डाइनसेफेलन (Diencephalon) के फर्श या हाइपोथेलेमस (Hypothalamus) के नीचे स्फीनाइड (Sphenoid) अस्थि के (सेला टर्सिका) नामक गर्त में स्थित होती है। यह दूसरी सभी अन्तःस्रावी ग्रन्थियों के स्रावों का नियमन करती है। अतः इसे मास्टर ग्रन्थि (Master gland) कहते हैं। परन्तु आधुनिक खोजों से ज्ञात हुआ है कि पीयूष का नियंत्रण हाइपोथेलेमस द्वारा होता है। इसलिए अब इसे मास्टर ग्रन्थि नहीं कहते हैं। अब पीयूष ग्रन्थि को हाइपोथेलेमीहाइपोफाइसीयल ग्रन्थि या हाइपोफाइसिस सेरीबाई कहते हैं। पीयूष ग्रन्थि रचना व कार्य की दृष्टि से दो प्रमुख पालियों से मिलकर बनी होती है जिन्हें क्रमश: ऐडीनोहाइपोफाइसिस एवं न्यूरोहाइपोफाइसिस कहते हैं।
ऐडीनोहाइपोफाइसि (Adenohypophysis): पीयूष ग्रन्थि की इस पालि का उद्गम ग्रसनी की छत से रेके कोष्ठ (Rathke pouch) के रूप में होता है। यह पीयूष ग्रन्थि का 75% भाग बनाता है। यह दो भागों में विभेदित होता है-
I. एडिनोहाइपोफाइसिस द्वारा स्रावित हार्मोन एवं उनके कार्य: निम्न हार्मोन एडिनोहाइपोफाइसिस के भाग पार्स डिस्टेलिस द्वारा लावित किये जाते हैं-
1. थाइरॉयड उत्तेजक हारमोन (Thyroid Stimulating/ Thyrotrophic Hormone/TSH): यह हारमोन थाइरॉयड ग्रन्थि को उत्तेजित कर, थायरॉक्सिन के संश्लेषण एवं उसकी मुक्ति की दर को नियन्त्रित करता है।
2. एडिनोकोर्टिकोदोफिक हारमोन (Adreno Cortico Trophic Hormone/ACTH): यह हारमोन अधिवृक्क ग्रन्थि के काटेक्स के लावण का नियन्त्रण करता है।
3. पुटक - उत्तेजक हारमोन (Folicle Stimulating Hormone/FSH): यह हारमोन अण्डाशय के पुटकों को परिवर्धक व परिपक्वन के लिए उत्तेजित करता है। इससे उत्तेजित होकर पुटक ऐस्ट्रोजन्स स्त्रावित करते हैं तथा अण्डाणु को मुक्त करते हैं।
4. ल्यूटियोट्रोफिक हारमोन (Luteotrophic Hormone/ LTH) प्रोलेक्टिन (Prolactin)/लैक्टोजेनिक (Lactogenic) या मेमोट्रोफिक हारमोन (Mammotrophic Hormone): यह हारमोन निषेचन के बाद पीत पिण्ड (Corpus luteum) को बनाये रखता है तथा उसे प्रोजेस्ट्रोन स्त्राषित करते रहने के लिए उत्तेजित करता रहता है। एस्ट्रोजन के साथ मिलकर यह हारमोन स्तन ग्रन्थियों के परिवर्धन को नियन्त्रित करता है तथा सन्तानोत्पत्ति के तुरन्त बाद यह स्तन ग्रन्थियों को दुग्ध स्रवण के लिए उत्तेजित करता है।
5. ल्यूटीनाइजिंग हार्मोन अथवा अन्तराली कोशिका प्रेरक हार्मोन (Luteinizing Hormone - LH अथवा Interstitial Cells - Stimulating Hormone - ICSH): यह हार्मोन जनन अंगों के कार्यों का नियमन करता है। नर में वृषण की अन्तराली कोशिकाओं को उद्दीपित करके यह एण्ड्रोजन सावित करवाता है। इसलिए इसे नर में अन्तराली कोशिका उत्तेजक हार्मोन (Interstitial Cells Stimulating Hormone/ICSH) की संज्ञा दी जाती है।
यह हार्मोन मादाओं में अण्डाशय के अण्डोत्सर्ग (Ovulation) को FSH के सहयोग से प्रेरित करता है, जिससे कार्पस ल्यूटियम (Corpus Luteum) का विकास होता है। कार्पस ल्यूटियम से निकलने वाला प्रोजेस्ट्रॉन (Progestron) हार्मोन भी LH द्वारा ही प्रेरित होता है। पुटिका प्रेरक हार्मोन (FSH) एवं ल्यूटीनाइजिंग हार्मोन (LH) दोनों ही जनदों (Gonads) के परिपक्वन एवं इनकी क्रियाशीलता के प्रेरक होते हैं, अतः इन्हें गोने डोट्रोफिक हारमोन (Gonadotrophic Hormone) कहते हैं।
6. वृद्धि हार्मोन या सोमेटोट्रोफिक हार्मोन (Growth Hormone or Somatotrophic Hormone GH or STH):
7. मेलेनोसाइट प्रेरक हार्मोन (Melenocytes Stimulalting Hormone) - M.S.H.) का स्रावण पार्स इन्टरमीडिया से होता है, इसलिए इस हामोंन को इन्टरमिडिन (Intermedin) कहते हैं।
यह हार्मोन त्वचा में पायी जाने वाली रंगा कोशिकाओं में मिलेनिन (Melanin) वर्णक कणों को फैलाकर त्वचा के रंग को गहराता है। MSH सभी कशेरुकी वर्गों के जन्तुओं में पाया जाता है किन्तु यह असमतापी (Polikothermal) जन्तुओं में ही कार्यात्मक होता है। यह हार्मोन मनुष्य में तिल व चकतों के लिए जिम्मेदार है।
वृद्धि हार्मोन के अति तथा अल्प स्त्रावण से होने वाले रोग-
(1) वृद्धि हार्मोन का अल्पत्रावण (Hyposecretion of Growth of Hormone):
(i) बौनापन या मिजेट्स (Dwarfism or Midgets): शिशुओं या बाल्यावस्था में इस हार्मोन की कमी से बौनापन उत्पन्न होता है। पीयुष ग्रन्धि के कारण उत्पन्न होने वाले इस बौनेपन को एटिओलिसिस (Atelisis) कहते हैं। इस प्रकार के बौनों को मिजेट्स (Midgets) कहते हैं।
(ii) साइमण्ड रोग (Simmonds disease):
(2) वृद्धि हार्मोन का अति स्रावण-
(i) महाकायता (Gigantism): बाल्यावस्था में इस हार्मोन की अधिकता के कारण शरीर सामान्य की तुलना में अत्यधिक भीमकाय (Giant) हो जाता है। इसे महाकायता (Gigantism) कहते हैं।
(ii) अनातिकायता (Acromegaly): यदि वयस्क व्यक्ति में सामान्य वृद्धि के बाद इस हार्मोन की मात्रा में वृद्धि हो जाती है तो शरीर की लम्बी अस्थियों में वृद्धि नहीं हो पाती है। इस दौरान चेहरे की अस्थियों में असामान्य वृद्धि होती है व चेहरा कुरूप हो जाता है। हड्डियों में मोटाई में वृद्धि होती जाती है। इसे अग्रातिकायता या एक्रोमैगली कहते हैं।
II. न्यूरोहाइपोफाइसिस (Neurohypophysis) द्वारा स्रावित हार्मोन एवं उनके कार्य: न्यूरोहाइपोफाइसिस पीयूष ग्रन्थि का लगभग एक - चौथाई भाग बनाता है। इसका विकास हाइपोथेलेमस के इन्फन्डीबुलम (Infundibulum) से होता है। इसे पश्च पालि पश्च पीयूष ग्रन्थि भी कहते हैं।
पश्च पाली के स्त्राव को पिटुइटीन (Pituitrin) कहते हैं। इसमें दो हार्मोन होते हैं:
1. प्रतिमूत्रक हार्मोन (Antidiuretic Hormone/ADH) वैसोप्रेसीन (Vassopressin), पिट्रेसिन (Pitresin): इस हार्मोन का मुख्य कार्य वृक्क नलिकाओं के दूरस्थ कुण्डलित भाग तथा संग्रह नलिकाओं में जल के पुनः अवशोषण (Reabsorption) को बढ़ाना है इसलिए इस हार्मोन को मूत्ररोधी हार्मोन (Antidiuretic hormone) कहते हैं। इस हार्मोन के खावण का नियंत्रण हाइपोथैलेमस में स्थित परासरण नियंत्रण केन्द्र के द्वारा होता है। वैसोप्रेसीन के अल्प स्त्रावण से मूत्र (Urine) पतला हो जाता है तथा मूत्र की मात्रा बढ़ जाती है। इस रोग को उदकमेह या डायबिटीज इन्सिपिडस (Diabetes insipidus) कहते हैं। यदि ADH का अतिस्रावण होता है, तो मूत्र गाढ़ा एवं रुधिर पतला हो जाता है।
2. आक्सीटोसिन (Oxytocin)/पिटोसिन (Pitocin):
प्रश्न 3.
एड्रीनल ग्रन्थि के द्वारा सावित हार्मोनों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अधिवृक्क ग्रन्थि (Adrenal Gland):
अधिवृक्क ग्रन्थि एक जोड़ी के रूप में पाई जाती है जो वृक्कों के ऊपर टोपी के रूप में पाई जाती है। इसलिए इनको सुप्रारीनल ग्रन्थियाँ भी कहते हैं।
प्रत्येक अधिवृक्क ग्रन्थि एक छोटी (5 cm. लम्बी, 3 cm. चौड़ी और 1 cm, मोटी) त्रिभुजाकार और पीली - सी टोपी के समान संरचना है। मानव में इसका वजन लगभग 3.5 से 5.09 gm. होता है। जन्म के समय अधिवृक्क ग्रन्थि सुविकसित होती है। अधिवृक्क ग्रन्धि दो भागों में बंटी होती है-बाहरी भाग कार्टेक्स (Cortex) तथा आन्तरिक भाग मेड्यूला (Medulla)। कार्टेक्स भाग भ्रूण की मीसोडर्म एवं मेड्यूला भ्रूण के न्यूरल एक्टोडर्म से बनता है।
एड्रीनल कार्टेक्स के स्रावण का नियंत्रण पीयूष ग्रन्थि के एडिनोहाइपोफाइसिस से सावित एड्रिनो - कार्टिकाँट्रोफिक हार्मोन (ACTH) के द्वारा होता है लेकिन मेड्यूला भाग का नियंत्रण तंत्रिका तंत्र द्वारा किया जाता है।
(अ) कार्टेक्स (Cortex): यह भाग ग्रन्थि का लगभग 80 - 90 प्रतिशत होता है। इसकी अधिकांश कोशिकाएँ वसायुक्त होती हैं। कार्टेक्स भाग को बाहर से अन्दर की ओर निम्न भागों में विभेदित किया जाता है:
(i) जोना ग्लोमेरुलोसा (Zona glomerulosa)
(ii) जोना फेसिकुलेय (Zona fasciculata)
(iii) जोना रेटिकुलेरिस (Zona reticularis)
ऐड्रीनल कार्टेक्स से स्रावित हार्मोन्स: इस भाग में लगभग 4550 हार्मोन्स का संश्लेषण होता है। ये सभी स्टीरॉयड्स (Steroids) श्रेणी के होते हैं। इन सभी हार्मोन्स को कॉर्टिकाइड्स (Corticoids) कहते हैं। इनमें सक्रिय 7 - 8 ही हैं। इन हार्मोन्स को कार्य के आधार पर तीन श्रेणियों में बाँटा जाता है:
(1) मिनरेलोकारटिकायड्स (Mineralocorticoids): इस श्रेणी में दो प्रमुख हार्मोन्स आते हैं: एल्डोस्टीरॉन (Aldosterone) तथा डी - ऑक्सीकॉरटीकोस्टीरॉन (De - oxycorticosterone)।
ये हार्मोन्स बाहा कोशिकीय द्रव तथा रक्त में सोडियम, पोटैशियम एवं क्लोराइड्स (Na+, K+ एवं Cl-) आयन्स तथा जल की उपयुक्त मात्रा बनाये रखते हैं।
ऐल्डोस्टीरॉन, वृक्क की वृक्क नलिकाओं में सोडियम तथा क्लोराइड्स आयनों के पुनरावशोषण (Reabsorption) तथा पोटैशियम आयनों के उत्सर्जन का नियंत्रण करता है।
इन हार्मोन्स की कमी से सोडियम तथा पोटैशियम आयनों का सन्तुलन बिगड़ जाता है तथा इनसे होने वाले रोग को कॉन्स रोग (Conns disease) कहते हैं।
(2) ग्लूकोकारटिकायड्स (Glucocorticoids): इस श्रेणी में तीन प्रमुख हार्मोन्स आते हैं - कार्टिसोल (Cortisol), कार्टिसोन (Cortisone), कॉरटिकोस्टीरोन (Corticosterone)। इनमें सबसे प्रभावी हार्मोन कार्टिसोल होता है। इसके निम्नलिखित कार्य हैं:
(3) लिंग हार्मोन्स (Sex hormones): एड्रीनल से स्रावित हार्मोन्स गोनेडोकार्टिकोइड्स (Gonadocorticoids) कहलाते हैं। गोनेडोकार्टिकोइड्स में नर लिंग हार्मोन्स एन्ड्रोजन (Androgens) तथा मादा लिंग हार्मोन्स इस्ट्रोजन (Estrogen) होते हैं। लिंग हार्मोन्स खावण जोना रेटीकुलेरिस से अल्प मात्रा में होता है लेकिन यह जीवन पर्यन्त चलता है।
ये हार्मोन्स पेशियों, बाह्य जननांग (External genitalia) तथा यौन व्यवहार को प्रेरित करता है।
यदि स्त्रियों में नर लिंग हार्मोन्स ऐड्रीनल ग्रन्थि से अधिक नावित हो, तो उनमें नर जन्तुओं के समान चेहरे पर बाल आ जाते हैं। इस प्रक्रिया को ऐड्रीनल विरिलिज्म (Adrenal Virilism) कहते हैं और नर में मादा के समान स्तन विकसित हो जाते हैं तो इस अवस्था को गाइनाकोमस्टिआ (Gynacomastia) कहते हैं।
ऐड्रीनल विरिलिज्म को हिरसूटिजम भी कहते हैं।
(ब) मेड्यूला (Medulla): यह ऐड्रीनल ग्रन्थि का 10% भाग होता है। इस भाग में अनुकम्पी स्वायत्त तन्त्रिका तन्त्र की ही रूपान्तरित उत्तर - गुच्छकीय (post - ganglionic) कोशिकाएँ होती हैं। ये कोशिकाएँ ग्रन्थिल (glandular) हो जाती हैं, इन्हें क्रोमेफिन कोशिकाएँ (Chromaffins cells) कहते हैं। ये कतारों एवं गुच्छों में लगी होती हैं।
ऐड्रीनल मेड्यूला से स्रावित हार्मोन्स: इस भाग से दो हार्मोन्स का स्रावण होता है जिन्हें संयुक्त रूप से कैटे कोलएमीन (Catecholamine) कहते हैं। इन हार्मोन्स का संश्लेषण क्रोमेफिन कोशिकाएँ टाइरोसीन (Tyrosin) नामक अमीनो अम्ल से करती हैं।
(1) ऐडीने लीन या एपीने फ्रीन (Adrenaline or Epinephrine): मेड्यूला द्वारा सावित हार्मोन्स में से ऐडीनेलीन 80% होता है। इसे संकटकालीन हार्मोन (Emergency hormone) कहते हैं क्योंकि ये हार्मोन संकटकालीन परिस्थितियों का सामना करने के लिए तयार करता है।
एडीनेलीन के कार्य:
इस ग्रंथि को FFF ग्रंथि भी कहते हैं।
(2) नॉर ऐडीनेलीन या नॉर एपिनेफ्रीन (Nor adrenalin or nor epinephrine): मेड्यूला से स्रावित हार्मोन्स का नॉर ऐड्रीनेलीन 20% भाग होता है।
यह हार्मोन शरीर को सभी रक्त वाहिनियों (Blood Vessles) को संकुचित करके रक्त दाब बढ़ा देता है।
ऐड्रीनल ग्रन्थि के हार्मोन्स का अनियमित स्रावण:
(अ) अल्प स्रावण (Hyposecretion):
(ब) अतिस्रावण (Hypersecretion):
प्रश्न 4.
निम्न पर टिप्पणी लिखिए
(i) पिनियल ग्रन्थि
(ii) थाइमस ग्रन्थि
(iii) पैराथाइरॉइड ग्रन्थि।
उत्तर:
(i) पिनियल ग्रन्थि (Pineal Gland):
यह ग्रन्थि मस्तिष्क गोलार्थों के मध्य तृतीय गुहा की छत पर वृन्त द्वारा लगी होती है तथा पायामेटर द्वारा रचित सम्पुट में बंद रहती है। इस ग्रन्थि को एपीफाइसिस सेरेब्राई (Epiphysis Cerebri) भी कहते हैं। यह वास्तव में डायेनसिफेलॉन (Diencephalon) की मध्य पृष्ठ तल पर स्थित होती है।
इसका रंग सफेद, चपटी, 1 सेमी. लंबी ग्रन्थि होती है जो बहुपालि युक्त होती है। प्रत्येक पाली में दो प्रकार की शाखान्वित कोशिकाएँ पाई जाती हैं:
1. पिनीयलोसाइट्स (Pinealocytes): पिनियल ग्रन्धि सात वर्ष की आयु के बाद नष्ट होने लगती है क्योंकि इसमें कैल्शियम लवण के कण (मस्तिष्क रेत) का जमाव हो जाता है।
2. न्यूरोग्लियल कोशिकाएँ (Neurogleal Cells): पीनियल काय मिलेटोनिन (melatonin) हार्मोन का स्रावण करती है जो निम्न कशेरुकियों में वर्णक कोशिकाओं (pigment cells) मिलैनोफोर पर विपरीत प्रभाव डालता है जिससे त्वचा का रंग हल्का हो जाता है। स्तनियों में जननांगों के विकास और उनके कार्य पर मिलेटोनिन अवरोधक (Inhibitor) प्रभाव डालता है। यह ग्रन्थि लैंगिक जैविकी घड़ी (Sexual Biological Clock) की भाँति कार्य करती है। मानव में अंधे बच्चों में यौवनावस्था समय से पूर्व आ जाती है तथा तीव्र सूर्य प्रकाश के क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों में यौवनावस्था शीघ्र आ जाती है। यह मिलैटोनिन के स्रावण कम होने के कारण होता है।
यह सोने - जागने के चक्र एवं शरीर के तापक्रम को नियंत्रित करता है। इसके अतिरिक्त उपापचय, मासिक चक्र प्रतिरक्षा क्षमता को भी प्रभावित करता है।
इस ग्रन्थि का लावण तेज प्रकाश कम तथा अंधकार या मंद प्रकाश में अत्यधिक होता है।
(ii) थाइमस ग्रन्थि (Thymus Gland):
यह ग्रन्थि हृदय से आगे स्थित होती है। यह चपटी गुलाबी रंग की द्विपिण्डकीय रचना है। ये पिण्ड संयोजी ऊतक से ढके रहते हैं। इसका उद्गम एन्डोडर्म से हुआ है तथा यह भ्रूण की तीसरी क्लोमधानी से बनी है। यह ग्रन्धि जन्म के समय विकसित होती है तथा मनुष्य में 8 से 10 वर्ष या यौवनावस्था तक बड़ी होती रहती है। इसके बाद आकार में घटने लगती है और अन्त में वृद्धावस्था में एक तन्तुकीय डोरी के रूप में रह जाती है। इसकी बाहरी सतह पर लिम्फोसाइट्स जमा रहती हैं जो शिशुओं में जीवाणुओं के संक्रमण से शरीर की रक्षा करती हैं। जन्म के समय के बाद लिम्फोसाइट्स इस ग्रन्थि से निकलकर प्लीहा (spleen), पेयर की पैचेन्स (Peyer's patenes) तथा लसीका गांठों में प्रवेश करती हैं।
थाइमोसिन के कार्य (Functions of Thymosin):
(iii) पैराथाइरॉइड ग्रन्थि (Parathyroid Gland):
ये संख्या में चार होती हैं जो थाइरॉइड ग्रन्थि की पृष्ठ सतह पर पूर्ण या आंशिक रूप से धंसी होती हैं। थाइरॉइड ग्रन्थि के प्रत्येक पिण्ड पर दो पैराथाइराइड ग्रन्थि होती है। प्रत्येक ग्रन्थि छोटी (5 x 5 mm) अण्डाकार व पीले रंग की होती है। प्रत्येक ग्रन्थि पंक्तियों में व्यवस्थित पॉलीगोनल कोशिकाओं की बनी होती है जो प्रिन्सीपल या चीफ व ऑक्सीफिल प्रकार की कोशिकाओं की बनी होती है। पैराथायरॉइड की उत्पत्ति एण्डोडर्म से होती है।
पैराथायरॉइड के हार्मोन (Hormones of Parathyroid): पैराथायरॉइड से पैराथार्मोन नामक सक्रिय हार्मोन स्रावित होता है, जिसे कोलिप्स हार्मोन (फिलिप्स कोलिप, 1925) भी कहते हैं। इसे कोलिप ने 1925 में खोजा व शद्ध रूप में प्राप्त किया। यह एक पॉलीपेप्टाइड हार्मोन है जिसमें 84 एमीनो अम्ल होते हैं।
पैराथार्मोन के कार्य (Functions of Paratharmon): पैराथार्मोन जीवन के लिए आवश्यक है क्योंकि यह ECF में Ca++ व PO4- की मात्रा को नियंत्रित करके होमियोस्टेसिस बनाये रखने का कार्य करता है। ECF में कैल्सियम की निश्चित मात्रा (10.0 से 11.5 mg/ 100 ml) होनी चाहिए (एक 70 किग्रा. के मनुष्य में कुल 1000 से 1120 होती है। क्योंकि कैल्सियम विभिन्न क्रियाओं का मुख्य तत्व है, जैसे- कोशिका झिल्ली की पारगम्यता, पेशीय संकुचन, तंत्रिका आवेग, हदय दर, रुधिर स्कंदन, अस्थियों का निर्माण, अण्डाणु के निषेचन आदि। Ca+2 शरीर में सर्वाधिक मात्रा में पाया जाने वाला लवण है तथा लगभग 99% Ca+2 व PO4- अस्थियों में पाये जाते हैं।
कैल्सियम का सही स्तर बनाये रखना होमियोस्टेसिस के अन्तर्गत आता है। वास्तव में यह पैराथार्मोन, थायरोकैल्सीटोनिन का तथा विटामिन D3 (कोलेकैल्सीफेरोल) का संयुक्त कार्य है। पैराथार्मोन आंत्र में भोजन से कैल्सियम का अवशोषण बढ़ाता है, साथ ही यह मूत्र में फॉस्फेट का निष्कासन बढ़ाता है। इस प्रकार पैराथार्मोन के प्रभाव के कारण ECF में कैल्सियम अस्थि निर्माण करने वाली कोशिकाओं ओस्टियोब्लास्ट द्वारा अस्थि निर्माण में उपयोग कर लिया जाता है । अस्थि जब सर्वप्रथम बनती है तो असममित होती है। अस्थि के आवश्यक भाग अस्थि भक्षण करने वाली कोशिकाओं ओस्टियोब्लास्ट द्वारा नष्ट कर दिये जाते हैं। यह प्रक्रिया पैराथार्मोन के प्रभाव में जारी रहती है। इसके परिणामस्वरूप रुधिर में कैल्सियम तथा फॉस्फेट मुक्त होते हैं।
विटामिन D3 एक स्टीरॉयड हार्मोन है जो सूर्य की अल्ट्रावायलेट (UV) किरणों के प्रभाव से पहले त्वचा की कोशिकाओं में 7 - डीहाइड्रोकोलेस्ट्रॉल से निष्क्रिय रूप में बनता है। त्वचा कोशिकाएं इसे रुधिर में मुक्त करती हैं। यकृत कोशिकाएँ इसे रुधिर से ग्रहण करके, 25 - हाइड्रॉक्सीकोलेकैल्सीफेरॉल में बदलकर पुनः रुधिर में मुक्त कर देती हैं। अन्त में नेफ्रोन की समीपस्थ कुण्डलित नलिकाओं की कोशिकाएँ 25 हाइड्रोक्सी कोले कैल्सीफेरॉल को 1 - 25 - डाईहाइड्रॉक्सीकोलेकैल्सीफेरॉल में पैराथार्मोन के प्रभाव से बदल देती हैं। यह अन्तिम उत्पाद विटामिन D3 या कोलकल्सफिराल रुधिर में मुक्त कर दिया जाता है जो कोलेकैल्सीफेरोल (कैल्सीट्राइओल) कहलाता है।
हड्डी के नवीनीकरण के अतिरिक्त D3 आंत से Ca+2 एवं Mg+2 आयन के अवशोषण को भी प्रेरित करता है। इसी प्रकार पैराथार्मोन भी Na+, K+ एवं HCO3- उत्सर्जन को प्रेरित करता है किन्तु Mg+2 सदैव इसको रोकता है।
पैराथार्मोन की अनियमितताएँ (Irregularities of Parathormones):
(1) हाइपोपैराथायराइडिज्म या पैराथार्मोन का अल्पस्रावण:
(2) हाइपरपैराथायराइडिज्म या पैराथार्मोन का अतिस्त्रावण:
पैराथार्मोन और थाइरोकैल्सिटोनिन के स्रावण पुनर्निवेशन नियंत्रण (Feedback Control of Secretion and Thyrocalcitonin): दोनों हार्मोन्स का स्रावण एक प्रत्यक्ष नकारात्मक पुनर्निवेशन के द्वारा नियमित रूप से नियंत्रित होता है । यदि Ca+2 का स्तर कम हो जाता है तो पैराथार्मोन का स्रावण बढ़ जाता है लेकिन थाइरोकैल्सिटोनिन कम हो जाता है। इसी तरह जब रक्त में Ca+2 का स्तर बढ़ जाता है तब पैराथार्मोन का सावण कम हो जाता है और थायरोकैल्सिटोनिन बढ़ जाता है।
प्रश्न 5.
थाइरॉइड ग्रन्थि के द्वारा स्रावित हार्मोन्स व उनके अनियमित स्त्राव के कारण उत्पन्न रोगों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
थाइरॉइड ग्रन्थि (Thyroid Gland):
स्थिति: थाइरॉइड ग्रन्थि ग्रीवा क्षेत्र में श्वास नली के ऊपर व पार्श्व भाग में श्वास नली से जुड़ी रहती है।
संरचना: यह ग्रन्थि द्विपालित होती है और दोनों पालि पट्टीनुमा संयोजक (isthmus) से जुड़ी रहती हैं। यह ग्रन्थि 'H' आकार की प्रतीत होती है। इसका रंग गुलाबी होता है, यह सबसे बड़ी अन्तःखावी ग्रन्थि है। मनुष्य में इसका वजन 25 से 30 ग्राम होता है। मादा में यह कुछ बड़ी होती है। थायराइड ग्रन्थि में अनेक छोटे-छोटे पुटक (follicle on acini) होते हैं। इन पुटकों के अन्दर कोशिकाओं के समूह पैरापुटिकीय कोशिकाएँ या सी-कोशिकाएँ (Paralollicular or Ccell) एवं लसदार, पारदर्शी कोलाइडी थायरोग्लोब्युलिन (thyroglobulin) प्रोटीन भरा रहता है जो निष्क्रिय अवस्था में होता है। एक विशेष हार्मोन TSH (थॉयराइड उत्तेजक हार्मोन) थायरोग्लोब्यूलिन प्रोटीन को उत्तेजित करता है जिससे पुटिकाओं में उपस्थित आयोडीन टाइरोसीन (Tyrosine) अमीनो अम्ल (थायरोग्लोब्यूलिन का भाग) से क्रिया कर दो हार्मोन, टेट्रा - आयोडोथायरोनिन (Tetraiodo - thyronine - T4) या थायरॉक्सिन तथा ट्राई - आयोडोथाइरोनिन (Iri - ioxdo - thyronine - T3) बनाता है। थायरॉक्सिन की मात्रा 65% से 90% व T3 की मात्रा 10% से 35% तक होती है। C - कोशिकाओं द्वारा थायरोकेल्सिटोनिन हार्मोन स्रावित होता है।
थाइरॉइड हार्मोन्स के कार्य-
थाइरॉइड अनियमितताएँ एवं रोग:
1. अल्पस्त्राव (Hypothyroidism): थाइरॉइड अल्प साव, आनुवंशिक दोष है जो भोजन में आयोडीन की कमी या मूत्र में अधिक आयोडीन जाने से होता है। इससे निम्न रोग हो जाते हैं:
2. अतिस्रावण (Hyperthyroidism): थाइरॉइड के अतिसावण से उपापचय दर, हृदय की स्पन्दन दर, रक्त - दाब बढ़ जाता है तथा निम्न अनियमिततायें हो जाती हैं:
अल्प स्त्राव वाली सभी बीमारियों को भोजन में आयोडीन की मात्रा बढ़ाने से ठीक किया जा सकता है।
प्रश्न 6.
हार्मोन किसे कहते हैं? हार्मोन क्रिया की क्रियाविधि को आरेख की सहायता से समझाइए।
उत्तर:
हार्मोन (Hormone): अन्त:स्रावी ग्रन्थियों से स्रावित रासायनिक पदार्थ जिसे सीधा रक्त में सावित किया जाता है। यह शरीर के विभिन्न अंगों में पहुँचकर कार्यों को प्रभावित करते हैं, इन्हें हार्मोन या रासायनिक उत्प्रेरक (Hormone or Chemical massanger) कहते है।
"हार्मोन सूक्ष्म मात्रा में उत्पन्न होने वाले अपोषक रसायन हैं जो अंतरकोशिकीय संदेशवाहक के रूप में कार्य करते हैं।"
थाइरॉइड ग्रन्थि (Thyroid Gland):
स्थिति: थाइरॉइड ग्रन्थि ग्रीवा क्षेत्र में श्वास नली के ऊपर व पार्श्व भाग में श्वास नली से जुड़ी रहती है।
संरचना: यह ग्रन्थि द्विपालित होती है और दोनों पालि पट्टीनुमा संयोजक (isthmus) से जुड़ी रहती हैं। यह ग्रन्थि 'H' आकार की प्रतीत होती है। इसका रंग गुलाबी होता है, यह सबसे बड़ी अन्तःखावी ग्रन्थि है। मनुष्य में इसका वजन 25 से 30 ग्राम होता है। मादा में यह कुछ बड़ी होती है। थायराइड ग्रन्थि में अनेक छोटे-छोटे पुटक (follicle on acini) होते हैं। इन पुटकों के अन्दर कोशिकाओं के समूह पैरापुटिकीय कोशिकाएँ या सी-कोशिकाएँ (Paralollicular or Ccell) एवं लसदार, पारदर्शी कोलाइडी थायरोग्लोब्युलिन (thyroglobulin) प्रोटीन भरा रहता है जो निष्क्रिय अवस्था में होता है। एक विशेष हार्मोन TSH (थॉयराइड उत्तेजक हार्मोन) थायरोग्लोब्यूलिन प्रोटीन को उत्तेजित करता है जिससे पुटिकाओं में उपस्थित आयोडीन टाइरोसीन (Tyrosine) अमीनो अम्ल (थायरोग्लोब्यूलिन का भाग) से क्रिया कर दो हार्मोन, टेट्रा - आयोडोथायरोनिन (Tetraiodo - thyronine - T4) या थायरॉक्सिन तथा ट्राई - आयोडोथाइरोनिन (Iri - ioxdo - thyronine - T3) बनाता है। थायरॉक्सिन की मात्रा 65% से 90% व T3 की मात्रा 10% से 35% तक होती है। C - कोशिकाओं द्वारा थायरोकेल्सिटोनिन हार्मोन स्रावित होता है।
थाइरॉइड हार्मोन्स के कार्य-
थाइरॉइड अनियमितताएँ एवं रोग:
1. अल्पस्त्राव (Hypothyroidism): थाइरॉइड अल्प साव, आनुवंशिक दोष है जो भोजन में आयोडीन की कमी या मूत्र में अधिक आयोडीन जाने से होता है। इससे निम्न रोग हो जाते हैं:
2. अतिस्रावण (Hyperthyroidism): थाइरॉइड के अतिसावण से उपापचय दर, हृदय की स्पन्दन दर, रक्त - दाब बढ़ जाता है तथा निम्न अनियमिततायें हो जाती हैं:
अल्प स्त्राव वाली सभी बीमारियों को भोजन में आयोडीन की मात्रा बढ़ाने से ठीक किया जा सकता है।
प्रश्न 7.
निम्न पर विस्तार से टिप्पणी लिखिए
(i) वृषण
(ii) अण्डाशय।
उत्तर:
(i) वृषण (Testis):
नर में उदरगुहा के बाहर वृषण कोष में एक जोड़ी वृषण स्थित होते हैं। वृषण प्राथमिक लैंगिक अंग के साथ ही अन्तःस्रावी ग्रन्थि के रूप में भी कार्य करता है। शुक्रजनन नलिकाओं के बीच विशिष्ट प्रकार का कोशिकाएँ पाई जाती हैं जिन्हें अन्तराली कोशिकाएँ या लैंडिग कोशिकाएँ कहते हैं। ये कोशिकाएँ नर हामोन्स (एन्ड्रोजन्स) का रावण करती हैं जो कोलेस्ट्रॉल से बना होता है। मुख्य एन्ड्रोजन टेस्टोस्टीरॉन होता है। टेस्टोस्टीरॉन एक पौरुष विकास हार्मोन है। यौवनारम्भ से लेकर 20 वर्ष की उम्र तक हार्मोन काफी मात्रा में लावित होता है। जैसे किशोरावस्था या लैंगिक परिवक्वता के समय।
एन्ड्रोजन्स के कार्य:
(ii) अण्डाशय (Ovary):
मादाओं के उदर में अण्डाशय का एक युग्म (जोड़ा) होता है। अण्डाशय एक प्राथमिक मादा लैंगिक अंग है जो प्रत्येक मासिक चक्र में एक अण्डे को उत्पादित करता है। स्त्री के अण्डाशय के स्ट्रोमा (Stroma) के कार्टेक्स (Cortex) भाग में विकासशील प्रैफियन पुटिकाएँ (Graftian follicles) पाई जाती हैं। ग्रैफियन पुटिकाओं को थीका इन्टरना (Theca interna) ऐस्ट्रोजन (estrogen) हार्मोन्स का स्रावण करती है। यह हार्मोन यौवनावस्था प्रारम्भ (adolescence) से लेकर रजोनिवृत्ति (menopause) की आयु तक स्रावित होता है। कार्पस ल्यूटियम से भी दो हार्मोन स्रावित होते हैं - प्रोजेस्ट्रान एवं रिलक्सिन।
प्रश्न 8.
हृदय, वृक्क और जठर आंत्रीय पथ के हार्मोन्स का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हृदय (Heart): शरीर में NaCl की मात्रा एकत्रित हो जाने के कारण जब ECF की मात्रा और रक्त दाब (BP) बढ़ जाता है तो हृदय के एट्रियम (आलिन्द) की पेशियाँ एक एट्रियल नेट्रीयूरेटिक पेप्टाइड को सावित करती है जो एक हामोन के रूप में प्रभाव डालता है। (ANP) के प्रभाव से अधिक मूत्र त्याग (diuresis) और सामान्य से अधिक NaCl का स्रावण होता है, जिससे ECF और BP सामान्य हो जाता है। यह वैसोकॉस्ट्रक्टर हार्मोन्स के प्रभाव, रेनिन, वैसोप्रेसिन और एल्डोस्टेरोन हार्मोन्स के स्त्रावण को मन्द करता है।
वृक्क (Kidney): जब कभी कम रक्त दाब (BP) के कारण वृक्कों में परानिस्यंदन दर मन्द हो जाती है तब इनकी जक्स्ट्रा - मेड्यूलरी काम्पलेक्सेज रक्त में एक यौगिक का खावण करती है, जिसका नाम रेनिन है। रेनिन एक प्रोटिओलाइटिक (प्रोटीन पाचक) एन्जाइम है जो सीधे रुधिर से मुक्त होकर प्लाज्मा की एक प्रोटीन, एन्जिओटेन्सिनोजन - I बनाता है। इसके अलावा वृक्क तीन हार्मोन्स - कैल्सिदिओल, रेनिन, इरिथ्रोपोइटिन का खावण करता है। कैल्सीट्रिओल, D3 का सक्रिय रूप है, जिसका पहले विवरण किया जा चुका है। जब रक्त यकृत (Liver) की रक्त वाहिनियों में जाता है तो यकृत (लीवर) में पाया जाने वाला एक एन्जिओटेन्सिन - कनवर्टिंग एन्जाइम (ACE) एन्जिओटेन्सिन - I को एन्जिओटेन्सिन - II में बदल देता है जो कि एक हार्मोन के रूप में कार्य करता है। यह हार्मोन हदय स्पंदन दर को बढ़ाकर और धमनियों को सिकोड़ कर रक्त दाब बढ़ाता है। जिससे वृक्कों में परानिस्यंदन दर बढ़ जाती है साथ ही यह एड्रीनल काटेंक्स को एल्डोस्टेरोन हार्मोन के स्त्रावण के लिए प्रेरित करता है और नेफ्रोन में जल एवं सोडियम के पुनः अवशोषण को बढ़ाता है। इससे भी बाह्य कोशिकीय तरल (ECF) की मात्रा बढ़ने के कारण, रक्त दाब बढ़ता है।
इरिथ्रोपोइटिन अस्थिमज्जा (Bone marrow) में इरिथ्रोसाइट्स (लाल रुधिर कणिकाएँ) के निर्माण का नियंत्रण करता है। इसका तात्पर्य है कि इसका सावण रक्त एवं RBC मात्रा को कम या ज्यादा या हीमोग्लोबिन की कमी (एनीमिया) आदि कर देता है।
जठर - आंत्रीय श्लेष्मिका (Gastro - intestinal mucosa): आहार नाल का सबसे आन्तरिक स्तर (Layer) श्लेष्मिका (mucosa) कहलाता है। आमाशय और आंत की म्यूकोसा को कुछ कोशिकाएँ महत्त्वपूर्ण हामोन्स का रावण करता है। आमाशय - आंशीय श्लेष्मकाओं की उत्पत्ति एक्टोडर्म से होती है।
प्रश्न 9.
मानव अंतःस्रावी तंत्र से क्या तात्पर्य है? मानव में पाई जाने वाली अंतःस्रावी ग्रन्थियों के नाम लिखिए तथा अंतःस्रावी ग्रन्धियों की स्थिति को प्रदर्शित करते हुए चित्र बनाइए।
उत्तर:
अंतःस्रावी ग्रन्थियाँ और शरीर के विभिन्न भागों में स्थित हार्मोन नावित करने वाले ऊतक (tissues)/कोशिकाएँ (cells) मिलकर अंतःस्रावी तन्त्र (Endocrine system) का निर्माण करते हैं। मानव में निम्नलिखित अन्तःलावी ग्रन्थियाँ पाई जाती हैं:
इसके अतिरिक्त कुछ अन्य अंग, जैसे - जठर - आंघीय मार्ग, यकृत, वृक्क, हदय आदि भी हार्मोन का उत्पादन करते हैं। मानव शरीर की सभी प्रमुख अन्तःस्रावी ग्रन्थियों तथा हाइपोथैलेमस की संरचना और उनके कार्य का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार से है।
अन्त: स्त्रावी (Endocrine) शब्द ग्रीक भाषा के शब्द एन्डो (Endo - within) तथा क्राइनीन (Krinein = to secrete) त्रावण करना से निर्मित हुआ है जिसका अभिप्राय आन्तरिक त्रावण से है। अन्तःस्त्रावी ग्रन्थियों द्वारा जिन रासायनिक यौगिकों का स्रावण किया जाता है, उन्हें हार्मोन (Hormone) कहते हैं। ये ग्रन्थियाँ अपने स्राव को सीधे रक्त में मुक्त करती हैं। नलिकाविहीन (Ductless) होने के कारण इन्हें नलिकाविहीन ग्रन्थियाँ कहते हैं।
वैज्ञानिक क्लॉड बरनार्ड (Claude Bernard) ने सन् 1855 में अन्त:स्रावण (Internal Secretion) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किया था। थॉमस एडिसन (Thomas Addison) को अन्तःस्त्रावी विज्ञान का जनक (Father of Endocrinology) कहा जाता है। सन् 1902 में बैलिस एवं स्टालिंग (Baylis and Starling) द्वारा हार्मोन (Hormone) की तर्कसंगत परिभाषा प्रस्तुत की गई। 1905 में स्टार्लिंग (Starling) ने हार्मोन को उत्तेजक पदार्थ की संज्ञा दी।
बैलिस एवं स्टालिग ने 1903 में ग्रहणी की श्लेष्मिक कला की सावी कोशिका से सबसे पहला हार्मोन प्राप्त किया जिसे सेक्रेटिन (Secretin) नाम दिया गया। हार्मोन ऐसे सक्रिय संदेशवाहक कार्बनिक पदार्थ हैं जो बाद्य एवं आन्तरिक उद्दीपन के कारण, अन्त:स्रावी ग्रन्थियों से स्रावित होकर रुधिर के माध्यम से संचारित होकर विशिष्ट लक्ष्य अंगों या कोशिकाओं की कार्यिकी को प्रभावित करते हैं। ये विशिष्ट पदार्थ ही प्राणियों में रासायनिक समन्वय का कार्य करते हैं।
हार्मोन्स के गुणधर्म (Properties of Hormones):
हार्मोन्स की रासायनिक प्रकृति (Chemical nature of hormones): हार्मोन्स निम्न प्रकार के रासायनिक पदार्थों द्वारा निर्मित होते हैं:
(अ) अमीनो अम्ल (aminoacid): कुछ हार्मोन्स अमीनो अम्लों या उनके व्युत्पन्न (Derivatives) द्वारा निर्मित होते हैं। उदाहरण- थॉयराक्सिन (Thyroxine)।
(ब) एमाइन्स या कै टे कोले मीन्स (Amines or Catecholamines): कुछ हार्मोन्स कैटेकोलेमीन्स होते हैं जैसे- एड्रीनेलिन (Adrenaline) तथा नॉरऐड्रिनेलिन (Noradrenaline)।
(स) स्टीराइड्स (Steroides): यह हार्मोन कोलेस्ट्रोल में व्युत्पन्न के रूप में उत्पन्न होते हैं। यह वसा में विलेय होते हैं। उदाहरण: लिंगी हार्मोन्स (Sex hormones), कोर्टिसोन (Cortisones) एल्डोस्टीरोन (Aldosterone) आदि।
(द) ग्लाइकोप्रोटीन्स (Glycoproteins): यह हार्मोन ग्लाइकोप्रोटीन्स द्वारा निर्मित होते हैं।
(य) प्रोटीन्स: यह हार्मोन्स पोलिपेप्टाइड (Polypeptide शृंखला द्वारा निर्मित होते हैं। उदाहरण- वेसोप्रेसीन (Vasopressin) ऑक्सीटोसिन (Oxytocin) व प्रोलेक्टिन (Prolactin)।
हार्मोन्स के कार्य (Functions of Hormones): हार्मोन्स के निम्न कार्य हैं:
प्रश्न 10.
पीयूष ग्रन्धि के पश्च पिण्ड से कौनसे हार्मोन स्रावित होते हैं? प्रत्येक क्या कार्य करता है? विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
पीयूष ग्रन्थि (Pituitary Gland):
पीयूष ग्रन्थि: यह ग्रन्थि मस्तिष्क के अधर तल पर दृक काएज्मा (Optic chiasma) के पीछे डाइनसेफेलन (Diencephalon) के फर्श या हाइपोथेलेमस (Hypothalamus) के नीचे स्फीनाइड (Sphenoid) अस्थि के (सेला टर्सिका) नामक गर्त में स्थित होती है। यह दूसरी सभी अन्तःस्रावी ग्रन्थियों के स्रावों का नियमन करती है। अतः इसे मास्टर ग्रन्थि (Master gland) कहते हैं। परन्तु आधुनिक खोजों से ज्ञात हुआ है कि पीयूष का नियंत्रण हाइपोथेलेमस द्वारा होता है। इसलिए अब इसे मास्टर ग्रन्थि नहीं कहते हैं। अब पीयूष ग्रन्थि को हाइपोथेलेमीहाइपोफाइसीयल ग्रन्थि या हाइपोफाइसिस सेरीबाई कहते हैं। पीयूष ग्रन्थि रचना व कार्य की दृष्टि से दो प्रमुख पालियों से मिलकर बनी होती है जिन्हें क्रमश: ऐडीनोहाइपोफाइसिस एवं न्यूरोहाइपोफाइसिस कहते हैं।
ऐडीनोहाइपोफाइसि (Adenohypophysis): पीयूष ग्रन्थि की इस पालि का उद्गम ग्रसनी की छत से रेके कोष्ठ (Rathke pouch) के रूप में होता है। यह पीयूष ग्रन्थि का 75% भाग बनाता है। यह दो भागों में विभेदित होता है-
I. एडिनोहाइपोफाइसिस द्वारा स्रावित हार्मोन एवं उनके कार्य: निम्न हार्मोन एडिनोहाइपोफाइसिस के भाग पार्स डिस्टेलिस द्वारा लावित किये जाते हैं-
1. थाइरॉयड उत्तेजक हारमोन (Thyroid Stimulating/ Thyrotrophic Hormone/TSH): यह हारमोन थाइरॉयड ग्रन्थि को उत्तेजित कर, थायरॉक्सिन के संश्लेषण एवं उसकी मुक्ति की दर को नियन्त्रित करता है।
2. एडिनोकोर्टिकोदोफिक हारमोन (Adreno Cortico Trophic Hormone/ACTH): यह हारमोन अधिवृक्क ग्रन्थि के काटेक्स के लावण का नियन्त्रण करता है।
3. पुटक - उत्तेजक हारमोन (Folicle Stimulating Hormone/FSH): यह हारमोन अण्डाशय के पुटकों को परिवर्धक व परिपक्वन के लिए उत्तेजित करता है। इससे उत्तेजित होकर पुटक ऐस्ट्रोजन्स स्त्रावित करते हैं तथा अण्डाणु को मुक्त करते हैं।
4. ल्यूटियोट्रोफिक हारमोन (Luteotrophic Hormone/ LTH) प्रोलेक्टिन (Prolactin)/लैक्टोजेनिक (Lactogenic) या मेमोट्रोफिक हारमोन (Mammotrophic Hormone): यह हारमोन निषेचन के बाद पीत पिण्ड (Corpus luteum) को बनाये रखता है तथा उसे प्रोजेस्ट्रोन स्त्राषित करते रहने के लिए उत्तेजित करता रहता है। एस्ट्रोजन के साथ मिलकर यह हारमोन स्तन ग्रन्थियों के परिवर्धन को नियन्त्रित करता है तथा सन्तानोत्पत्ति के तुरन्त बाद यह स्तन ग्रन्थियों को दुग्ध स्रवण के लिए उत्तेजित करता है।
5. ल्यूटीनाइजिंग हार्मोन अथवा अन्तराली कोशिका प्रेरक हार्मोन (Luteinizing Hormone - LH अथवा Interstitial Cells - Stimulating Hormone - ICSH): यह हार्मोन जनन अंगों के कार्यों का नियमन करता है। नर में वृषण की अन्तराली कोशिकाओं को उद्दीपित करके यह एण्ड्रोजन सावित करवाता है। इसलिए इसे नर में अन्तराली कोशिका उत्तेजक हार्मोन (Interstitial Cells Stimulating Hormone/ICSH) की संज्ञा दी जाती है।
यह हार्मोन मादाओं में अण्डाशय के अण्डोत्सर्ग (Ovulation) को FSH के सहयोग से प्रेरित करता है, जिससे कार्पस ल्यूटियम (Corpus Luteum) का विकास होता है। कार्पस ल्यूटियम से निकलने वाला प्रोजेस्ट्रॉन (Progestron) हार्मोन भी LH द्वारा ही प्रेरित होता है। पुटिका प्रेरक हार्मोन (FSH) एवं ल्यूटीनाइजिंग हार्मोन (LH) दोनों ही जनदों (Gonads) के परिपक्वन एवं इनकी क्रियाशीलता के प्रेरक होते हैं, अतः इन्हें गोने डोट्रोफिक हारमोन (Gonadotrophic Hormone) कहते हैं।
6. वृद्धि हार्मोन या सोमेटोट्रोफिक हार्मोन (Growth Hormone or Somatotrophic Hormone GH or STH):
7. मेलेनोसाइट प्रेरक हार्मोन (Melenocytes Stimulalting Hormone) - M.S.H.) का स्रावण पार्स इन्टरमीडिया से होता है, इसलिए इस हामोंन को इन्टरमिडिन (Intermedin) कहते हैं।
यह हार्मोन त्वचा में पायी जाने वाली रंगा कोशिकाओं में मिलेनिन (Melanin) वर्णक कणों को फैलाकर त्वचा के रंग को गहराता है। MSH सभी कशेरुकी वर्गों के जन्तुओं में पाया जाता है किन्तु यह असमतापी (Polikothermal) जन्तुओं में ही कार्यात्मक होता है। यह हार्मोन मनुष्य में तिल व चकतों के लिए जिम्मेदार है।
वृद्धि हार्मोन के अति तथा अल्प स्त्रावण से होने वाले रोग-
(1) वृद्धि हार्मोन का अल्पत्रावण (Hyposecretion of Growth of Hormone):
(i) बौनापन या मिजेट्स (Dwarfism or Midgets): शिशुओं या बाल्यावस्था में इस हार्मोन की कमी से बौनापन उत्पन्न होता है। पीयुष ग्रन्धि के कारण उत्पन्न होने वाले इस बौनेपन को एटिओलिसिस (Atelisis) कहते हैं। इस प्रकार के बौनों को मिजेट्स (Midgets) कहते हैं।
(ii) साइमण्ड रोग (Simmonds disease):
(2) वृद्धि हार्मोन का अति स्रावण-
(i) महाकायता (Gigantism): बाल्यावस्था में इस हार्मोन की अधिकता के कारण शरीर सामान्य की तुलना में अत्यधिक भीमकाय (Giant) हो जाता है। इसे महाकायता (Gigantism) कहते हैं।
(ii) अनातिकायता (Acromegaly): यदि वयस्क व्यक्ति में सामान्य वृद्धि के बाद इस हार्मोन की मात्रा में वृद्धि हो जाती है तो शरीर की लम्बी अस्थियों में वृद्धि नहीं हो पाती है। इस दौरान चेहरे की अस्थियों में असामान्य वृद्धि होती है व चेहरा कुरूप हो जाता है। हड्डियों में मोटाई में वृद्धि होती जाती है। इसे अग्रातिकायता या एक्रोमैगली कहते हैं।
II. न्यूरोहाइपोफाइसिस (Neurohypophysis) द्वारा स्रावित हार्मोन एवं उनके कार्य: न्यूरोहाइपोफाइसिस पीयूष ग्रन्थि का लगभग एक - चौथाई भाग बनाता है। इसका विकास हाइपोथेलेमस के इन्फन्डीबुलम (Infundibulum) से होता है। इसे पश्च पालि पश्च पीयूष ग्रन्थि भी कहते हैं।
पश्च पाली के स्त्राव को पिटुइटीन (Pituitrin) कहते हैं। इसमें दो हार्मोन होते हैं:
(1) प्रतिमूत्रक हार्मोन (Antidiuretic Hormone/ADH) वैसोप्रेसीन (Vassopressin), पिट्रेसिन (Pitresin): इस हार्मोन का मुख्य कार्य वृक्क नलिकाओं के दूरस्थ कुण्डलित भाग तथा संग्रह नलिकाओं में जल के पुनः अवशोषण (Reabsorption) को बढ़ाना है इसलिए इस हार्मोन को मूत्ररोधी हार्मोन (Antidiuretic hormone) कहते हैं। इस हार्मोन के खावण का नियंत्रण हाइपोथैलेमस में स्थित परासरण नियंत्रण केन्द्र के द्वारा होता है। वैसोप्रेसीन के अल्प स्त्रावण से मूत्र (Urine) पतला हो जाता है तथा मूत्र की मात्रा बढ़ जाती है। इस रोग को उदकमेह या डायबिटीज इन्सिपिडस (Diabetes insipidus) कहते हैं। यदि ADH का अतिस्रावण होता है, तो मूत्र गाढ़ा एवं रुधिर पतला हो जाता है।
(2) आक्सीटोसिन (Oxytocin)/पिटोसिन (Pitocin):
विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गये प्रश्न
प्रश्न 1.
अन्तःस्रावी तंत्र के सन्दर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौनसा कथन सही है-
(a) निर्मोचक और संदमक दोनों प्रकार के हॉर्मोन पिट्यूटरी ग्रन्थि द्वारा उत्पन्न होते हैं।
(b) एडेनोहाइपोफाइसिस, हाइपोथैलेमस के प्रत्यक्ष रूप में तंत्रिकीय नियमन के अन्तर्गत होता है
(c) शरीर के कुछ अंग जैसे जठरांत्र पथ, हृदय, वृक्क तथा यकृत किसी भी हॉर्मोन को उत्पन्न नहीं करते
(d) शरीर द्वारा लेश मात्रा में उत्पन्न होने वाले गैस पोषक रसायन, जो अंतरकोशिकीय संदेशवाहक के रूप में कार्य करते हैं, हॉर्मोन कहलाते हैं
उत्तर:
(d) शरीर द्वारा लेश मात्रा में उत्पन्न होने वाले गैस पोषक रसायन, जो अंतरकोशिकीय संदेशवाहक के रूप में कार्य करते हैं, हॉर्मोन कहलाते हैं
प्रश्न 2.
मानवों में हॉर्मोन क्रिया के विषय में क्या कहना सही है-
(a) ग्लूकैगॉन का लावण लैंगरहँस द्वीपिकाओं की कोशिकाओं से होता है और वह ग्लाइकोजनलयन का उत्तेजन करता है
(b) उम्र बढ़ते जाने के साथ - साथ थाइमोसिनों का खावण उत्तेजित होता जाता है
(c) मादाओं में, FSH सर्वप्रथम अण्डाशयी कोशिका झिल्ली पर स्थित विशिष्ट ग्राहियों के साथ बंधन बनाता है
(d) FSH द्वारा एस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्टेरोन का स्त्रावण उत्तेजित होता है
उत्तर:
(d) FSH द्वारा एस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्टेरोन का स्त्रावण उत्तेजित होता है
प्रश्न 3.
निम्नलिखित हॉर्मोनों में से कौनसा हॉर्मोन, यद्यपि कहीं अन्य स्थान पर संश्लेषित होता है, लेकिन उसका भण्डारण और निर्मोचन प्रमुख (Master) ग्रन्धि द्वारा होता है-
(a) ल्यूटीनाइजिंग हॉर्मोन
(b) प्रोलेक्टिन
(c) मेलानोसाइट उद्दीपक हॉर्मोन
(d) प्रतिमूत्रण हॉर्मोन
उत्तर:
(d) प्रतिमूत्रण हॉर्मोन
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से हॉर्मोनों का वह कौनसा जोड़ा है जो उन हॉर्मोनों का उदाहरण है जो लक्ष्य कोशिका की कोशिका झिल्ली में से होकर सरलता से पार जा सकते हैं और भीतर उस एक ग्राही के साथ बंधन बनाते हैं जो अधिकतर केन्द्रक के भीतर पाया जाता है-
(a) इंसुलिन, ग्लूकैगॉन
(b) थाइरॉक्सिन, इंसुलिन
(c) सोमैटोस्टैटिन, ऑक्सीटोसिन
(d) कॉर्टिसोल, टेस्टोस्टेरोन
उत्तर:
(d) कॉर्टिसोल, टेस्टोस्टेरोन
प्रश्न 5.
मानव शरीर में पायी जाने वाली लोडिग कोशिकाओं से किसका स्त्रावण होता है-
(a) प्रोजेस्टेरोन
(b) आंत्र श्लेष्म
(c) ग्लूकैगॉन
(d) ऐंड्रोजेन्स
उत्तर:
(d) ऐंड्रोजेन्स
प्रश्न 6.
वह रासायनिक संकेत कौनसा है जिसकी अंत:स्रावी और तंत्रिकीय दोनों प्रकार की भूमिका होती है-
(a) कैल्सिटोनिन
(b) एपिनेफ्रिन
(c) कॉर्टिसोल
(d) मेलाटोनिन
उत्तर:
(b) एपिनेफ्रिन
प्रश्न 7.
एक व्यक्ति जैसे ही वह खाली कमरे में घुसता है तो दरवाजा खोलते ही उसे अचानक एक सांप ठीक सामने नजर आता है। बताइए, उसी क्षण उसके तंत्रिका - हॉर्मोन नियंत्रण तंत्र में सम्भवतः क्या होगा-
(a) अनुकम्पनी तंत्रिका तंत्र सक्रिय होता है जिससे एपिनेफ्रिन तथा नारएपिनेफ्रिन का ऐड्रीनल मेडुला से विमोचन होता है
(b) तंत्रिप्रेषी तेजी से दरार को पार कर जाते हैं और एक तंत्रिका आवेग का संचरण करते हैं।
(c) हाइपोथैलेमस द्वारा मस्तिष्क का परानुकंपी भाग सक्रिय हो
(d) अनुकम्पी तंत्रिका तंत्र सक्रिय हो जाता है जिससे ऐड्रीनल कॉर्टेक्स से एपिनेफ्रिन तथा नारएपिनेफ्रिन निकलते हैं।
उत्तर:
(a) अनुकम्पनी तंत्रिका तंत्र सक्रिय होता है जिससे एपिनेफ्रिन तथा नारएपिनेफ्रिन का ऐड्रीनल मेडुला से विमोचन होता है
प्रश्न 8.
सूची - I को सूची - II से सुमेलित करके सही उत्तर पर निशान लगाइये-
सूची - I |
सूची - II |
A. एडीनलिन |
1. मिक्जोडीमा |
B. हाइपरपेराथाइरॉइडिज्म |
2. हृदय गति का बढ़ना |
C. ऑक्सीटोसिन |
3. लवण - पानी का संतुलन |
D. हाइपोथाइरॉइडिज्म |
4. बच्चे के जन्म की प्रक्रिया |
E. एल्डोस्टेरॉन |
5. डिमिनरेलाइजेशन |
(a) A - 2, B - 5, C - 4, D - 1, E - 3
(b) A - 3, B - 4, C - 5, D - 3, E - 2
(c) A - 5, B - 3, C - 2, D - 4, E - 1
(d) A - 2, B - 3, C - 4, D - 5, E - 1
(e) A - 5, B - 3, C - 4, D - 2, E - 1
उत्तर:
(a) A - 2, B - 5, C - 4, D - 1, E - 3
प्रश्न 9.
हाइपोथैलेमस तक सीमित क्षति सम्भवतः निम्नलिखित में से किस एक को विघटित करेगी-
(a) कार्यकारी प्रकार्य, जैसे कि निर्णय लेना
(b) शरीर के तापमान का नियमन
(c) लघु - कालिक स्मृति
(d) चलन में समन्वयन
उत्तर:
(b) शरीर के तापमान का नियमन
प्रश्न 10.
एक सामान्य गर्भवती स्त्री में गोनेडोट्रॉपिन की सक्रियता का वर्णन करने वाले सही विकल्प का चयन कीजिए-
(a) hCG का उच्च स्तर ऐट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन के संश्लेषण को उद्दीपित करता है
(b) hCG का उच्च स्तर एण्डोमेट्रियम के स्थूलन को उद्दीपित करता है
(c) FSH तथा LH का उच्च स्तर एण्डोमेट्रियम के स्थूलन को उद्दीपित करता है
(d) FSH तथा LH का उच्च स्तर भ्रूण के रोपण को सुगम बनाता है
उत्तर:
(a) hCG का उच्च स्तर ऐट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन के संश्लेषण को उद्दीपित करता है
प्रश्न 11.
फाईट या फ्लाईट अभिक्रियाओं के कारण किसका सक्रियण होता है-
(a) एड्रीनल मेड्यूला का जिसके कारण एपिनेफ्रीन तथा नारएपिनेफ्रीन का स्रावण बढ़ जाता है
(b) अग्न्याशय का जिसके कारण रुधिर शर्करा का स्तर घट जाता है
(c) पैराथायरॉइड ग्रन्थियों का जिसके कारण उपापचयी दर बढ़ जाती है
(d) वृक्क का जिसके कारण रेनिन - एनजियोटेनसिन एल्डोस्टीरॉन पथ में कमी हो जाती है
उत्तर:
(a) एड्रीनल मेड्यूला का जिसके कारण एपिनेफ्रीन तथा नारएपिनेफ्रीन का स्रावण बढ़ जाता है
प्रश्न 12.
गलत कथन को चुनिए-
(a) FSH सर्टोली कोशिकाओं को उद्दीपित करता है जो शुक्राणुजनन में सहायता करती है
(b) LH अण्डाशय में अण्डोत्सर्जन को प्रेरित करता है
(c) LH और FSH पुटक - अवस्था के दौरान धीरे - धीरे घटते जाते हैं
(d) LH लीडिग कोशिकाओं से एंड्रोजन के खाव को प्रेरित करता है
उत्तर:
(c) LH और FSH पुटक - अवस्था के दौरान धीरे - धीरे घटते जाते हैं
प्रश्न 13.
'एक्सोप्थेल्मिक ग्वाइटर' का कारण है:
(a) थायरॉइड की कम क्रियाशीलता
(b) थायरॉइड की अधिक क्रियाशीलता
(c) पैराथायरॉइड की कम क्रियाशीलता
(d) पैराथायरॉइड की अधिक क्रियाशीलता
उत्तर:
(b) थायरॉइड की अधिक क्रियाशीलता
प्रश्न 14.
हॉमोनों के निम्नलिखित युग्मों में से कौनसा युग्म एक-दूसरे का विरोधी (विपरीत प्रभाव वाला) नहीं है-
(a) पैराथोर्मोन - कैल्सिटोनिन
(b) इंसुलिन - ग्लूकैगॉन
(c) ऐल्डोस्टेरॉन - एट्रियल नेट्रियूरेटिक कारक
(d) रिलैक्सिन - इन्हिबिन
उत्तर:
(d) रिलैक्सिन - इन्हिबिन
प्रश्न 15.
निम्नलिखित में से कौनसा एक जोड़ा गलत सुमेलित है-
(a) इन्सुलिन - डाइबिटीज मेलाइट्स (रोग)
(b) ग्लूकैगॉन - बीटा कोशिकाएँ (स्रोत)
(c) सोमेटोस्टेटिन - डेल्टा कोशिकाएँ (स्रोत)
(d) कार्पसल्यूटियम - रिलैक्सिन (साव)
उत्तर:
(b) ग्लूकैगॉन - बीटा कोशिकाएँ (स्रोत)
प्रश्न 16.
कौनसा हॉर्मोन अमीनो अम्ल का व्युत्पन्न है-
(a) एस्ट्रोजन
(b) एपीनैफ्रीन
(c) प्रोजेस्ट्रॉन
(d) प्रोस्टाग्लैंडिस
उत्तर:
(b) एपीनैफ्रीन
प्रश्न 17.
पेप्टाइड हॉर्मोन जो मुख्य रूप से हिपेटोसाइट्स, एडीपोसाइट्स पर कार्य करता है एवं कोशिकीय ग्लूकोज के ग्रहण व उपयोग को बढ़ाता है, है-
(a) एण्ड्रोजन
(b) इन्सुलिन
(c) प्रोजेस्ट्रोन
(d) ग्लूकैगॉन
उत्तर:
(b) इन्सुलिन
प्रश्न 18.
हॉर्मोन की पहचान के साथ उसके सही स्रोत और उसके कार्य केसही मिलान को चुनिए-
(a) प्रोजेस्टेशन कॉर्पसल्यूटियम - स्वियों में द्वितीयक लैंगिक अंगों की वृद्धि तथा क्रियाओं की प्रेरणा
(b) एट्रियल नेट्रियुरेटिक कारक - हदय की निलय भित्ति - रक्त दाब को बढ़ाती है।
(c) ऑक्सीटोसिन - पश्च पीयूष ग्रन्थि - दुग्ध प्रन्थियों का विकास और रख - रखाव
(d) मेलाटोनिन - पीनियल ग्रन्थि शरीर के दैनिक लय का नियमन
उत्तर:
(d) मेलाटोनिन - पीनियल ग्रन्थि शरीर के दैनिक लय का नियमन
प्रश्न 19.
पूर्ण विकसित गर्भ तथा अपरा से निकले संकेतों से अंतत: प्रसव हो जाता है, जिसके लिए किसके विमोचन की आवश्यकता होती है-
(a) अपरा (Placenta) से निकले एस्ट्रोजन की
(b) माता के पिट्यूटरी (पीयूष) से ऑक्सीटोसिन की
(c) गर्भ (Foetal) के पिट्यूटरी (पीयूष) से ऑक्सीटोसिन की
(d) अपरा (Placenta) से निकले रिलैक्सिन की
उत्तर:
(b) माता के पिट्यूटरी (पीयूष) से ऑक्सीटोसिन की
प्रश्न 20.
वह कौनसा हॉर्मोन है जिसके द्वारा हमारे शरीर की 24 घण्टे की (दिवसीय) ताल का जैसे कि निद्रा-जाग्रत अवस्था चक्र का नियमन होता है-
(a) ऐडीनेलीन
(b) मेलेटोनिन
(c) कैल्सिटोनिन
(d) प्रोलैक्टिन
उत्तर:
(b) मेलेटोनिन
प्रश्न 21.
निम्न में से कौनसी अस्थाई अन्तःस्रावी ग्रन्धि है-
(a) पीनियल
(b) अग्न्याशय
(c) अपरा (कॉर्पस ल्यूटियम)
(d) पैराथायरॉइड
उत्तर:
(c) अपरा (कॉर्पस ल्यूटियम)
प्रश्न 22.
नीचे दी जा रही अधूरी तालिका में कुछ हॉर्मोनों के नाम उनकी स्रोत ग्रन्धि तथा हॉर्मोन का मानव शरीर पर पड़ने वाला एक मुख्य प्रभाव बताया गया है। इसमें दिये गये तीन रिक्त स्थान A, B तथा C क्या हैं, पहचान कर उचित विकल्प चुनिए-
ग्रन्धि |
स्राव |
शरीर पर प्रभाव |
A |
ईस्ट्रोजन |
द्वितीयक लैंगिक लक्षणों को बनाये रखना |
लैंगरहँस दीपिकाओं की ऐल्फा कोशिकाएँ |
B |
रक्त शर्करा स्तर को बढ़ा देता है |
अग्रे पीयूष |
C |
अधिस्लाव से अतिकायता |
विकल्प:
A |
B |
C |
(a) अपरा |
ग्लूकैगाँन |
कैल्सिटोनिन |
(b) अण्डाशय |
ग्लूकैगाँन |
वृद्धि हॉर्मोन |
(c) अपरा |
इंसुलिन |
वैसोप्रेसिन |
(d) अण्डाशय |
इंसुलिन |
कैल्सिटोनिन |
उत्तर:
(b) अण्डाशय |
ग्लूकैगाँन |
वृद्धि हॉर्मोन |
प्रश्न 23.
स्रोत प्रन्थि, उसके अपने हॉर्मोन एवं उसी हॉर्मोन के कार्य को सही मिलाइए-
स्रोत ग्रंथि |
हॉर्मोन |
कार्य |
(a) थायराइड |
थाइरॉक्सीन |
रक्त के कैल्शियम स्तर का नियमन |
(b) अग्र पीयूष |
ऑक्सीटोसिन |
बच्चे के जन्म के समय गर्भाशय पेशियों का संकुचन |
(c) पश्च पीयूष |
वैसोप्रेसिन |
नेफ्रान की दूरस्थ नलिकाओं में जल - अवशोषण को उत्तेजित करता है |
(d) कॉर्पस लुटियम |
एस्ट्रोजन |
गर्भावस्था को समर्थन देता है |
उत्तर:
(c) पश्च पीयूष |
वैसोप्रेसिन |
नेफ्रान की दूरस्थ नलिकाओं में जल - अवशोषण को उत्तेजित करता है |
प्रश्न 24.
पश्च पिट्यूटरी ग्रंथि वास्तविक अन्त:लावी ग्रंथि नहीं होती है, क्योंकि-
(a) यह एंजाइमों का स्राव करती है
(b) इसकी एक वाहिनी होती है।
(c) यह हॉर्मोनों को केवल भण्डारित करती है और निष्कासित करती है
(d) यह हाइपोथैलेमस के नियमन के अधीन होती है
उत्तर:
(c) यह हॉर्मोनों को केवल भण्डारित करती है और निष्कासित करती है
प्रश्न 25.
जनन के लिए आवश्यक हाइपोथैलमिक हॉर्मोन GnRH किस पर कार्य करता है-
(a) अन पियूष ग्रंथि पर और LH एवं ऑक्सीटॉसिन के सावण को उद्दीपित करता है
(b) अग्न पीयूष ग्रंथि और LH एवं FSH के खावण को उद्दीपित
(c) पश्च पीयूष ग्रंथि पर और ऑक्सीटोसिन एवं FSH के लावण को उद्दीपित करता है
(d) पश्च पीयूष ग्रंथि पर LH एवं ऑक्सीटोसिन के स्रावण को उद्दीपित करता है
उत्तर:
(b) अग्न पीयूष ग्रंथि और LH एवं FSH के खावण को उद्दीपित
प्रश्न 26.
निम्नलिखित में से किस हॉर्मोन की अस्थिसुषिरता में मुख्य भूमिका
(a) ऐल्डोस्टेरोन एवं प्रोलैक्टिन
(b) प्रोजेस्टेरोन एवं ऐल्डोस्टेरोन
(c) एस्ट्रोजन एवं पैराथाइरॉइड हॉर्मोन
(d) पैराथाइरॉइड हॉर्मोन एवं प्रोलैक्टिन
उत्तर:
(c) एस्ट्रोजन एवं पैराथाइरॉइड हॉर्मोन
प्रश्न 27.
वयस्कों में वृद्धि हॉर्मोन का अतिस्त्रावण उनकी लम्बाई नहीं बढ़ाता क्योंकि-
(a) वयस्कों में वृद्धि हॉर्मोन निष्क्रिय हो जाता है।
(b) किशोरावस्था के पश्चात् एपिफिसियल प्लेटें बन्द हो जाती
(c) वयस्कों में अस्थियाँ वृद्धि हॉर्मोन के प्रति संवेदनशीलता खो देती हैं
(d) जन्म के पश्चात् पेशी तन्तुओं में वृद्धि नहीं होती
उत्तर:
(b) किशोरावस्था के पश्चात् एपिफिसियल प्लेटें बन्द हो जाती