Rajasthan Board RBSE Class 11 Biology Important Questions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन Important Questions and Answers.
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I. रिक्त स्थानों की पूर्ति के प्रश्न (Fin in the blanks type questions)
प्रश्न 1.
यीस्ट के कोशिका चक्र के पूर्ण होने में लगभग ............................... मिनट लगते हैं।
उत्तर:
नब्बे
प्रश्न 2.
पादप की ............................... में पाये जाने वाली कोशिका जीवन भर विभाजित होती रहती है।
उत्तर:
शीर्षस्थ कोशिका
प्रश्न 3.
प्रौढ़ प्राणियों में कुछ कोशिकाएँ जैसे ............................... विभाजित नहीं होती हैं।
उत्तर:
हृदय कोशिका
प्रश्न 4.
कोशिका वृद्धि के साथ सूत्री विभाजन हेतु G2 प्रावस्था के दौरान ............................... का निर्माण होता है।
उत्तर:
प्रोटीन
प्रश्न 5.
सूत्री विभाजन को केन्द्रक विभाजन की ............................... अवस्थाओं में विभाजित किया गया है।
उत्तर:
चार
प्रश्न 6.
बहु सामाजिक कीटों की अगुणित कोशिकाएँ ............................... द्वारा विभाजित होती हैं।
उत्तर:
सूत्री विभाजन
प्रश्न 7.
लैंगिक प्रजनन द्वारा संतति के निर्माण में दो ............................... का संयोजन होता है।
उत्तर:
बुग्मक
प्रश्न 8.
दो गुणसूत्रों में आनुवंशिक पदार्थों का पुनर्योजन ............................... द्वारा होता है।
उत्तर:
जीन विनिमय
प्रश्न 9.
............................... अवस्था में पुनयों जन ग्रन्थिकाएँ (recombination modules) दिखाई देने लगती हैं।
उत्तर:
स्थूलपट्ट (pachytene)
प्रश्न 10.
प्याज की जड़ की कोशिका में ............................... गुण सूत्र होते हैं।
उत्तर:
161
II. सत्य व असत्य प्रकार के प्रश्न (True and False type questions)
प्रश्न 1.
विकास प्रक्रिया के लिए विभिन्नताएँ अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 2.
किसी भी जीवधारी का जीवन चक्र एक कोशिकीय युग्मनज (zygote) से प्रारम्भ होता है। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 3.
सूची विभाजन कोशिका की मरम्मत में महत्त्व सहयोग करता है। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 4.
नर मधुमक्खियों में अगुणित कोशिकाएँ समसूत्री विभाजन द्वारा विभाजित नहीं होती हैं। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 5.
पादपों की शीर्षस्थ कोशिका में पाये जाने वाली कोशिका जीवन भर विभाजित होती रहती है इसलिए उन्हें विभज्योतिकी ऊतक कहते हैं। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 6.
अर्धसूत्री विभाजन में क्रॉसिंग ओवर स्थूलपट्ट (pachytene) अवस्था में पायी जाती है। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 7.
तर्क तन्तु सैरन्यूलोज से निर्मित होते हैं। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 8.
इन्टरफेज कोशिका विभाजन में सबसे सक्रिय अवस्था है। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 9.
दो अर्धसूत्री विभाजन के बीच की अवस्था को अन्तरालावस्था (इन्टर काइनेसिक) नहीं कहते हैं। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 10.
पारगतिक्रम (डायाकाइनेसिस) प्रावस्था में काइएज्मेटा का अन्त होने लगता है। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
सत्य
II. निम्न को सुमेलित कीजिए (Match the following)
स्तम्भ - I में दिये गये पदों का स्तम्भ - II में दिये गये पदों के साथ सही मिलान कीजिए
प्रश्न 1.
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. G1 |
(i) संश्लेषण अवस्था |
B. S |
(ii) द्वितीय वर्धन अवस्था |
C. G2 |
(iii) विभाजनकारी अवस्था |
D. प्रावस्था |
(iv) प्रथम वर्धन अवस्था |
उत्तर:
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. G1 |
(iv) प्रथम वर्धन अवस्था |
B. S |
(i) संश्लेषण अवस्था |
C. G2 |
(ii) द्वितीय वर्धन अवस्था |
D. प्रावस्था |
(iii) विभाजनकारी अवस्था |
प्रश्न 2.
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. तर्कु तन्तुओं का प्रारम्भन |
(i) एनाफेज - I |
B. RNA एवं प्रोटीन का संश्लेषण |
(ii) जाइगोटीन |
C. एण्डोन्यूक्लियेज की क्रिया |
(iii) G1 प्रावस्था |
D. क्रोमेटिड्स की विपरीत ध्रुवों की गति |
(iv) पेकीटीन |
|
(v) ऐनाफेज - II |
उत्तर:
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. तर्कु तन्तुओं का प्रारम्भन |
(ii) जाइगोटीन |
B. RNA एवं प्रोटीन का संश्लेषण |
(iii) G1 प्रावस्था |
C. एण्डोन्यूक्लियेज की क्रिया |
(iv) पेकीटीन |
D. क्रोमेटिड्स की विपरीत ध्रुवों की गति |
(v) ऐनाफेज - II |
प्रश्न 3.
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. कोशिका प्लेट |
(i) एनाफेज - I |
B. डिसजंक्शन |
(ii) जाइगोटीन |
C. सूत्र युग्मन |
(iii) पैकीटीन |
D. जीन विनिमय |
(iv) टीलोफेज - I |
उत्तर:
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. कोशिका प्लेट |
(iv) टीलोफेज - I |
B. डिसजंक्शन |
(i) एनाफेज - I |
C. सूत्र युग्मन |
(ii) जाइगोटीन |
D. जीन विनिमय |
(iii) पैकीटीन |
प्रश्न 4.
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. केन्द्रक झिल्ली का विलुप्त होना |
(i) टीलोफेज |
B. केन्द्रिक का प्रकट होना |
(ii) एनोफेज |
C. सेन्ट्रोमियर का विभाजन |
(iii) S - फेज |
D. प्रतिकृतिकरण |
(iv) प्रोफेज |
उत्तर:
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. केन्द्रक झिल्ली का विलुप्त होना |
(iv) प्रोफेज |
B. केन्द्रिक का प्रकट होना |
(i) टीलोफेज |
C. सेन्ट्रोमियर का विभाजन |
(ii) एनोफेज |
D. प्रतिकृतिकरण |
(iii) S - फेज |
प्रश्न 5.
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. केरियोकाइनेसिस |
(i) मियोसाइट्स |
B. साइटोकाइनेसिस |
(ii) वनस्पति कोशिका |
C. अर्धसूत्री विभाजन |
(iii) केन्द्रीय विभाजन |
D. कोशिका प्लेट |
(iv) कोशिका द्रव्य विभाजन |
उत्तर:
स्तम्भ - I |
स्तम्भ - II |
A. केरियोकाइनेसिस |
(iii) केन्द्रीय विभाजन |
B. साइटोकाइनेसिस |
(iv) कोशिका द्रव्य विभाजन |
C. अर्धसूत्री विभाजन |
(i) मियोसाइट्स |
D. कोशिका प्लेट |
(ii) वनस्पति कोशिका |
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
गुणसूत्रों के अध्ययन के लिए कौनसी अवस्था सर्वश्रेष्ठ है?
उत्तर:
गुणसूत्रों के अध्ययन के लिए मध्यावस्था (metaphase) सर्वश्रेष्ठ अवस्था है।
प्रश्न 2.
प्याज की जड़ कोशिकाओं में कोशिका चक्र के पूर्ण होने में कितना समय लगता है?
उत्तर:
प्याज की जड़ कोशिकाओं में कोशिका चक्र पूर्ण होने में 20 घण्टे लगते हैं।
प्रश्न 3.
कोशिका चक्र की कौन - सी दो मूल प्रावस्थाएँ होती हैं?
उत्तर:
प्रश्न 4.
प्याज में गुणसूत्रों की संख्या कितनी होती है।
उत्तर:
प्याज में गुणसूत्रों की संख्या 14 होती है।
प्रश्न 5.
विश्राम अवस्था को और किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
विश्राम अवस्था को अंतरावस्था (Interphase) के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 6.
शान्त अवस्था किसे कहते हैं?
उत्तर:
कोशिकाएँ जो आगे विभाजित नहीं होती हैं G1 अवस्था से निकलकर निष्क्रिय अवस्था में पहुँचती हैं जिसे कोशिका चक्र की शान्त अवस्था G0 कहते हैं।
प्रश्न 7.
जनन कोशिकाओं में होने वाले विभाजन को क्या कहते हैं?
उत्तर:
जनन कोशिकाओं में होने वाले विभाजन को अर्धसूत्री विभाजन कहते हैं।
प्रश्न 8.
कोशिका चक्र की उस अवस्था का नाम बताइए जिसके दौरान क्रोमेटिन पदार्थ दुगुना हो जाता है।
उत्तर:
कोशिका चक्र की उस अवस्थ का नाम अंतरावस्था (Interphase) है जिसके दौरान क्रोमेटिन पदार्थ दुगुना हो जाता है।
प्रश्न 9.
समजात क्रोमोसोमो का युग्मन किस अवस्था में होता है?
उत्तर:
समजात क्रोमोसोमो का युग्मन जाइगोटीन (पूर्वावस्था I) अवस्था में होता है।
प्रश्न 10.
एककोशिकीय जीवों में जनन की कौनसी एकमात्र विधि है?
उत्तर:
एककोशिकीय जीवों में जनन की माइटोसिस ही एकमात्र विधि है।
प्रश्न 11.
संकोशिका किसे कहते हैं? उदाहरण दीजिये।
उत्तर:
ऐसी कोशिका जिनमें एक से अधिक केन्द्रक पाये जाते हैं उसे संकोशिका अवस्था कहते हैं।
उदाहरण: नारियल का तरल भ्रूणपोष।
प्रश्न 12.
काइएज्मेटा (Chiasmata) की संख्या किसकी लम्बाई पर निर्भर करती है?
उत्तर:
काइएम्पेटा (Chiasmata) की संख्या गुणसूत्रों की लम्बाई पर निर्भर करती है।
प्रश्न 13.
युग्मक जनन के समय कौन - सा विभाजन होता है?
उत्तर:
युग्मक जनन के समय अर्धसूत्री विभाजन (Meiosis) होता है।
प्रश्न 14.
कोशिकीय चक्र का सही क्रम क्या है?
उत्तर:
कोशिकीय चक्र का सही क्रम G1 → S → G2 →M
प्रश्न 15.
कोशिका विभाजन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
एक कोशिका का निर्माण पूर्ववर्ती कोशिका से होता है। इस प्रक्रिया को कोशिका विभाजन कहते हैं।
प्रश्न 16.
बाइवेलेन्ट व टेट्राड से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
समजात गुणसूत्रों के एक जोड़े को बाइवेलेन्ट कहते हैं, जिसमें 4 क्रोमोटिड्स पाये जाते हैं अत: इसे टेट्राड कहते हैं।
प्रश्न 17.
यदि विभाजन के दौरान केन्द्रक झिल्ली विलुप्त नहीं होती है तो इसे क्या कहते हैं?
उत्तर:
यदि विभाजन के दौरान केन्द्रक झिल्ली विलुप्त नहीं होती है तो इसे क्रिप्टोमाइलेसिस कहते हैं।
प्रश्न 18.
समसूत्री विभाजन को परिभाषित कीजिए। यह किन कोशिकाओं में होता है?
उत्तर:
जनक व संतति कोशिका में गुणसूत्रों की संख्या बराबर होती है इसलिए इसे समसूत्री विभाजन कहते हैं। यह विभाजन कायिक कोशिकाओं में होता है।
प्रश्न 19.
अर्धसूजी विभाजन को कौन - सी दो अवस्थाओं में विभाजित किया गया है?
उत्तर:
प्रश्न 20.
कोशिका चक्र को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
घटनाओं का अनुक्रम जिसमें कोशिका अपने जीनोम का द्विगुणन व अन्य संघटकों का संश्लेषण और तत्पश्चात् विभाजित होकर दो नई संतति कोशिकाओं का निर्माण करती है। इसे कोशिका चक्र कहते हैं।
प्रश्न 21.
सम्पूर्ण सूत्री विभाजन (माइटोटिस) में लगभग कितना समय लगता है?
उत्तर:
सम्पूर्ण सूत्री विभाजन (माइटोटिस) में लगभग एक घण्टे का समय लगता है।
प्रश्न 22.
फ्रेगमोप्लास्ट क्या है? इसका महत्व बताइए।
उत्तर:
अन्तःप्रद्रव्यी जालिका, गाल्जीकॉय व तकुतन्तु तीनों मिलकर फ्रेगमोप्लास्ट बनता है। इससे कोशिका पट्टी बनती है।
प्रश्न 23.
गुणसूत्र की संरचना स्पष्ट रूप से दृश्य किस प्रावस्था में होती है?
उत्तर:
गुणसूत्र की संरचना स्पष्ट रूप से दृश्य मेटाफेज (Metaphase) प्रावस्था में होती है।
प्रश्न 24.
पादपों में चोट लगने पर घावों का भरना किस विभाजन द्वारा होता है?
उत्तर:
पादपों में चोट लगने पर घावों का भरना समसूत्री विभाजन द्वारा होता है।
प्रश्न 25.
दो क्रमिक एम अवस्थाओं के बीच की अवस्था को किसके द्वारा व्यक्त किया जाता है?
उत्तर:
दो क्रमिक एम अवस्थाओं के बीच की अवस्था को अंतरावस्था द्वारा व्यक्त किया जाता है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
अर्थसूत्री विभाजन की मुख्य विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
अर्थसूत्री विभाजन की मुख्य विशेषताएँ निम्न हैं -
प्रश्न 2.
सिनेप्टोनिमल सम्मिश्र पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
इस अवस्था में गुणसूत्र संघनित होकर छोटे हो जाते हैं तथा समजात गुणसूत्र अपनी पूरी लम्बाई के साथ - साथ पास - पास में आकर सिनेप्सिस या जोड़ी बनाते हैं। यह क्रिया गुणसूत्रों में आकर्षण के कारण होती है। गुणसूत्रों की प्रत्येक जोड़ी को बाइवेलेन्ट (Bivalents) कहते हैं। समजात गुणसूत्र युग्म में एक पैतृक एवं एक मातृक गुणसूत्र होते हैं। यह क्रिया अर्धसूत्री विभाजन की प्रथम पूर्वावस्था की जाइगोटीन अवस्था में होती है। इस बाइवेलेर को सिनोप्टोनिमल सम्मिश्र कहते हैं तथा इसका मुख्य तत्व प्रोटीन होता है।
प्रश्न 3.
अर्धसूत्री विभाजन किसे कहते हैं? उपातिभवन को समझाइए।
उत्तर:
वह कोशिका विभाजन जिससे बनने वाली पुशी कोशिकाओं में गुणसूत्र संख्या मातृ कोशिका की आधी रह जाती है, अर्धसूत्री विभाजन कहलाता है। अर्धसूत्री विभाजन के द्वारा द्विगुणित मातृ कोशिका से चार अगुणित कोशिकाएँ बनती हैं।
उपांतिभवन (Terminalization): कोशिका विभाजन की प्रथम प्रोफेज की डिप्लोटीन अवस्था के दौरान समजात गुणसूत्रों के बने जोड़े अर्थात् बुग्ली (bivalent) के दोनों गुणसूत्र एक-दूसरे से जिप की भौति पृथक् होने लगते हैं। यह अलगाव प्राय: गुणसूत्र बिन्दु (सेन्ट्रोमीयर) से प्रारम्भ होकर सिरों की तरफ होता है। इस प्रकार के अलगाव को उपातिभवन कहते हैं।
प्रश्न 4.
उस पादप ऊतक का नाम व स्थान बताइए जिसकी कोशिका जीवन भर विभाजित होती रहती है।
उत्तर:
शीर्षस्थ कोशिका में पाये जाने वाली कोशिका जीवन भर विभाजित होती रहती है, इसलिए उन्हें विभज्योतिकी ऊतक कहते हैं।
प्रश्न 5.
निम्न कथनों के लिए एक विशिष्ट वैज्ञानिक शब्द दीजिए:
(अ) वह बिन्दु जिस पर दो पुत्री अर्ध गुणसूत्र/पुत्री क्रोमेटिड्स आपस में जुड़े रहते हैं।
(ब) केन्द्रकीय विभाजन।
(स) दो उत्तरोत्तर समसूत्री विभाजनों के मध्य का समयान्तराल।
(द) कोशिका विभाजन की ऐसी प्रक्रिया जिसमें गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है, जो कोशिकाद्रव्य विभाजन द्वारा अनुसरित किया जाता है।
(य) कोशिका चक्र की वह अवस्था जिसमें मुख्यतः प्रोटीन तथा RNA का संश्लेषण होता है।
उत्तर:
(अ) सेन्ट्रोमीयर
(ब) कैरियोकाइनेसिस
(स) अन्तरावस्था
(द) अर्धसूत्री विभाजन
(य) प्रथम।
प्रश्न 6.
समसूत्री एवं अर्थसूत्री विभाजन की पूर्वावस्था में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समसूत्री एवं अर्धसूत्री विभाजन की पूर्वावस्था में अन्तर
समसूत्री पूर्वावस्था |
अर्धसूत्री पूर्वावस्था |
1. इसमें सभी गुणसूत्र बिखरे होते हैं तथा समजातीय गुणसूत्रों में युग्मन नहीं होता। |
समजातीय गुणसूत्रों में युग्मन होता है। |
2. प्रत्येक गुणसूत्र में दो अर्धगुणसूत्र होते हैं। |
प्रत्येक युगली गुणसूत्रों में चार अर्धगुणसूत्र होते हैं। |
3. इसमें क्रॉसिंग ओवर, काइएज्मेटा व उपांतिभवन की क्रियाएँ होती हैं। |
नहीं होती। |
4. जीनों का आदान - प्रदान नहीं होता है। |
जीनों का आदान - प्रदान होता है। |
5. यह अवस्था अर्धसूत्री के तुलनात्मक ज्यादा लम्बी नहीं होती। |
लम्बी होती है। इसमें लैप्टोटीन, जाइगोटीन, पैकाइटीन, डिप्लोटीन तथा डायाकाइनैसिस अवस्थाएँ होती हैं। |
प्रश्न 7.
समसूत्री विभाजन किसे कहते हैं? पूर्वावस्था के दौरान घटित घटनाओं की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
समसूत्री विभाजन (Mitosis): ऐसे विभाजन जिसमें बनने वाली पुत्री कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या मातृ कोशिका के समान हो, समसूत्री विभाजन कहलाता है।
पूर्वावस्था के दौरान घटित घटनाओं की विशेषताएँ निम्न हैं:
प्रश्न 8.
क्रॉसिंग ओवर/विनिमय का वंशागति पर क्या प्रभाव पड़ता है? संक्षिप्त समझाइए।
उत्तर:
क्रॉसिंग ओवर (Crossing Over) अर्थात् विनिमय का वंशागति पर बहुत प्रभाव होता है। क्रॉसिंग ओवर प्रथम माइटोटिक विभाजन की डिप्लोटीन उपावस्था में होता है जिसमें क्रोमेटिड पदार्थ का समजात अर्थात् जोड़ीदार क्रोमोसोम में लेनदेन होता है जिसके फलस्वरूप संतानों में माता-पिता के लक्षणों में असंख्य प्रकार के मिश्रण होने से आनुवंशिक विभिन्नताएँ (Hereditary Variations) उत्पन्न होती है। आनुवंशिक विभिन्नताओं का प्राणियों के विकासवाद (evolution) से गहरा सम्बन्ध है।
प्रश्न 9.
कोशिका द्रव्य विभाजन या साइटोकाइनेसिस (Cytokinesis) को परिभाषित कीजिए एवं जन्तु एवं बनस्पति कोशिका के कोशिका द्रव्य विभाजन में कोई दो अन्तर लिखिए।
उत्तर:
कोशिका द्रव्य विभाजन या साइटोकाइनेसिस (Cytokinesis): पैतृक कोशिका के कोशिका द्रव्य को दो संतति कोशिकाओं में समान रूप से वितरण को कोशिका द्रव्य विभाजन या साइटोकाइनेसिस कहते हैं।
जन्तु एवं वनस्पति कोशिका के कोशिका द्रव्य के विभाजन में अन्नर:
जन्तु कोशिका में कोशिका द्रव्य विभाजन |
पादप कोशिका में कोशिका द्रव्य विभाजन |
1. एक्टिन और मायोसिन के सूक्ष्म तन्तु संकुचनशील वलय करते हैं जिससे सतह पर एक खाँच बन जाती है। |
कोशिका के मध्य फ्रेगमोप्लास्ट से कोशिका पट्टी बनती है। |
2. यह बाहर से मध्य की ओर बढ़ती है। |
यह मध्य से परिधि की ओर बढ़ती है। |
प्रश्न 10.
केन्द्रीय विभाजन की उस प्रावस्था का नाम बताइये जिसका वर्णन निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से द्वारा किया जाता है
(i) केन्द्रकीय झिल्ली का विलोपन।
(ii) केन्द्रकीय झिल्ली तथा केन्द्रिका का फिर से दिखायी देना।
(iii) सेन्ट्रोमियर का विभाजित होना तथा तर्कु तन्तुओं के छोटे होते जाने के कारण क्रोमैटिडो का विपरीत ध्रुवों की ओर पहुँचना।
(iv) गुणसूत्र अपने आपको त' के विषुवतीय पटल पर स्थापित कर लेते है और तर्कु तन्तु सेन्ट्रोमियरो के साथ संलग्न हो जाते हैं।
उत्तर:
(i) पूर्वावस्था (Prophase)
(ii) अंत्यावस्था (Telophase)
(iii) पश्चावस्था (Anaphase)
(iv) मध्यावस्था (Metaphase)।
प्रश्न 11.
प्रथम अर्थसूची विभाजन एवं द्वितीय अर्थसूत्री विभाजन में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
प्रथम अर्धसूत्री विभाजन एवं द्वितीय अर्धसूत्री विभाजन में अन्तर (Differences between First Meiotic and Second Meiotic Division)
प्रथम अर्धसूत्री विभाजन (First Meiotic Division) |
द्वितीय अर्धसूत्री विभाजन (Second Meiotic Division) |
1. इसे विषम विभाजन (Heterotypic division) या न्यूनकारी (Reduction divison) भी कहते हैं। |
इसे समविभाजन (Homotypic division) या समानकारी विभाजन (equational division) भी कहते हैं। |
2. इसकी पूर्वावस्था लम्बी तथा इसमें लैप्टोटीन, जाइगोटीन, पैकाइटीन, डिप्लोटीन व डायाकाइनेसिस अवस्थाएँ होती हैं। |
पूर्वावस्था में ये अवस्थाएँ नहीं होती। |
3. इसमें समजात गुणसूत्रों के युग्ली बनना, क्रॉसिंग ओवर, काइएज्मेटा तथा उपांतिभवन जैसी घटनाएं होती हैं। |
नहीं होती हैं। |
4. इससे पूर्व अन्तरावस्था (G1, S,G2) होती है। |
नहीं होती है। |
5. विभाजन के बाद बनने वाली दो पुत्री कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या मातृ कोशिका की तुलना में आधी रह जाती है। |
गुणसूत्रों की संख्या समान रहती है। |
प्रश्न 12.
अर्धसूत्री विभाजन को परिभाषित कीजिए। लेप्टोटीन प्रावस्था का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अर्धसूत्री विभाजन (Meiosis): ऐसा विभाजन जिसमें से बनने वाली पुत्री कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या मातृ कोशिका की आधी रह जाती है, अर्धसूशी विभाजन कहलाता है।
लेप्टोटीन (Leptotene): लेप्टोटीन प्रावस्था की इस अवस्था में क्रोमोसोम लम्बे धागेनुमा हो जाते हैं। इन संरचनाओं पर मोती जैसी संरचनाएँ अथवा क्रोमोमियर्स मिलते हैं। केन्द्रक आयतन में वृद्धि करता है। गुणसूत्र जाल में आधे गुणसूत्र नर से तथा आये मादा से होते हैं। एक - सी संरचना वाले गुणसूत्र समजात होते हैं।
प्रश्न 13.
सूत्री विभाजन के कोई चार महत्त्व लिखिए।
उत्तर:
सूत्री विभाजन के महत्त्व (Significance of Mitosis Division)
प्रश्न 14.
निम्नलिखित कथनों के लिए दिए गए शब्दों में से सम्बन्धित शब्द लिखिए -
(i) पूर्वावस्था (Prophase)
(ii) मेटाफेज (Metaphase)
(iii) पश्चावस्था (Anaphase)
(iv) अन्न्यावस्था (Telophase)।
(आ) केन्द्रक झिल्ली पुनः प्रकट होती है।
(ब) गुणसूत्र सर्वाधिक मोटे तथा छोटे होते हैं।
(स) गुणसूत्र कुण्डलित होना प्रारम्भ हो जाते हैं।
(द) गुणसूत्र बिन्दु/सेन्ट्रोमीयर दो में विभाजित हो जाते हैं।
(य) साइटोकाइनेसिस की पूर्ववती अवस्था।
(र) प्रत्येक गुणसूत्र, दो क्रोमेटिड्स/अर्द्धगुणसूत्रों से बने होते हैं।
उत्तर:
(i) अन्त्यावस्था (Telophape)
(ii) मध्यावस्था (Metaphase)
(iii) पूर्वावस्था (Prophase)
(iv) पश्चावस्था (Anaphase)
(v) मध्यावस्था (Metaphase)।
प्रश्न 15.
जन्तु एवं पादप कोशिका के सूत्री विभाजन में कोई चार अन्तर लिखिए।
उत्तर:
जन्तु एवं पादप कोशिका के सूत्री विभाजन में अन्तर
जन्तु कोशिका का विभाजन |
पादप कोशिका का विभाजन |
1. तारककाय (centrosome) कोशिका विभाजन में भाग लेता है। |
तारककाय (Centrosome) अनुपस्थित होते हैं। |
2. विभाजन के दौरान तारक किरणें (astral rays) बनती हैं, इस कारण इसे एस्ट्रल सूत्री विभाजन (Astral mitosis) कहते हैं। |
तारक किरणों का निर्माण नहीं होता है। अत: इसे एनैस्ट्रल (Anastral) कहते हैं। |
3. कोशिका पट्टिका विधि द्वारा होता है। |
कोशिका द्रव्य का विभाजन खांच विधि के द्वारा होता है। |
4. विभाजन जन्तुओं के सारे शरीर में होता है। |
पौधों में प्रायः विभज्योतक भागों में ही होता है। |
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कोशिका चक्र किसे कहते हैं? इसकी विभिन्न अवस्थाओं का चित्र बनाकर वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कोशिका के एक विभाजन के अन्त से दूसरे विभाजन के अन्त तक के चक्रीय प्रक्रम को कोशिका चक्र कहते हैं। इसका विस्तृत अध्ययन हावर्ड एवं पेल्क (Howard and Pele, 1953) ने प्रस्तुत किया। कोशिका चक्र में लिए जाने वाला समय एक पीढ़ीकाल (One Generation) कहलाता है।
कोशिका चक्र का प्रारम्भ नवनिर्मित कोशिका से होता है। नव कोशिका, जनक कोशिका की तुलना में छोटी होती है। इसमें DNA की माश भी जनक कोशिका की तुलना में आधी होती है। वयस्क होने तक इसमें कोशिकाद्रव्यी व केन्द्रकीय पदार्थों का संश्लेषण होता रहता है और वयस्क कोशिका का आयतन, नव कोशिका से चार गुना अधिक और DNA प्रतिकृति के कारण इसकी मात्रा दुगुनी हो जाती है। अब यह परिपक्व वयस्क कोशिका, विभाजन योग्य हो जाती है। इस प्रकार कोशिका चक्र में दो प्रमुख प्रावस्थाएँ मिलती है: अन्तरावस्था एवं कोशिका विभाजन अवस्था।
उच्च पौधों व प्राणियों में सामान्यतः कोशिका चक्र 24 घण्टे का होता है। सामान्यत: 37°C पर यह 10 से 12 घण्टे का होता है किन्तु अधिकतर में यह समय 18 से 24 घण्टे का लिया जाता है। इसमें से लगभग एक घण्टे का समय M प्रावस्था अर्थात् विभाजन के लिए उपयोग में लाया जाता है शेष समय अन्तरावस्था के उपयोग में आता है। प्रोकेरियोटिक कोशिकाओं में कोशिका चक्र केवल 20 - 30 मिनट का होता है क्योंकि इनमें विशिष्ट केन्द्रक अनुपस्थित होता है तथा क्रोमेटिन का संगठन भी निम्न स्तर का पाया जाता है। यीस्ट कोशिका के पूर्ण चक्र में लगभग नब्बे मिनट लगते हैं।
कोशिका चक्र की प्रावस्थाएँ (Phases of Cell Cycle):
कोशिका चक्र की प्रमुख दो प्रावस्थाएँ निम्न हैं:
(1) अन्तरावस्था (Inter Phase): दो क्रमिक या उत्तरोत्तर विभाजनों के मध्य की वह अवधि या अन्तराल (period) जबकि कोशिका में विभाजन नहीं हो रहा होता है अन्तरावस्था कहलाती है। कोशिकाएँ अपना अधिकांश जीवन काल अन्तरावस्था में ही बिताती हैं। इस अवस्था में तेजी से जैवसंश्लेषण (Bio - synthesis) होता है, इससे कोशिका का आकार दुगुना हो जाता है। इस अवस्था को विश्राम अवस्था (Resting phase) भी कहते हैं परन्तु कोशिका चक्र की सबसे अधिक सक्रिय अवस्था है। अन्तरावस्था को निर्मितीय (Preparatory) अवस्था भी कहते हैं।
इस प्रावस्था में निम्न घटनाएं होती हैं:
अन्तरावस्था में होने वाली संश्लेषी क्रियाओं के आधार पर होवार्ड एवं पेल्क (Howard and Pele, 1953) ने तीन अवधियों या काल में विभक्त किया है।
1. प्रथम अन्तराल काल (First gap period of G1 Phase): इसे प्रथम वर्धन काल भी कहते हैं। इसमें प्रोटीनों एवं RNA का संश्लेषण होता है तथा DNA के संश्लेषण की पूर्व तैयारी होती है। G1 काल की लम्बाई बदलती रहती है। जिन कोशिकाओं में बार - बार विभाजित होने वाली कोशिकाओं की यह अवस्था छोटी होती है। स्थायी ऊतकों में विभाजन रुक जाने से G1 अवस्था का परिवर्तन G0 अवस्था या विश्राम अवस्था में हो जाता है। G0 वाली कोशिकाएं पुनः परिस्थितियाँ आने पर G1 काल में प्रवेश कर जाती हैं।
2. S - अवस्था (S - phase) :अथवा संश्लेषण अवस्था: यह प्रावस्था G1 के बाद आती है। इसमें DNA तथा हिस्टोन प्रोटीन का निर्माण होता है। गुणसूत्र दो अर्थ गुणसूत्रों या क्रोमेटिड में बँट जाता है। इस अवस्था में DNA की मात्रा दुगुनी हो जाती है। जैसे यदि DNA की मात्रा n है तो 2n तथा 2n है तो 4n हो जाती है। इस अवस्था में 6 से 9 घण्टे लगते हैं।
3. G2 अवस्था (G2 Phase): इस पश्च DNA संश्लेषी (Post DNA synthesis) अवस्था भी कहते हैं। इस प्रावस्था के दौरान और अधिक प्रोटीन का संश्लेषण होता है। कोशिकाद्रव्यी कोशिका अंगक जैसे माइटोकॉन्ड्रिया, गॉल्जीबॉडी दुगुनी संख्या बन जाते हैं। एकल सेन्ट्रोसोम के भीतर स्थित सेन्ट्रिओल भी दो सेन्ट्रीओलो में बँट जाता है।
(2) M - अवस्था (M - Phase): जिसे विभाजनकारी अवस्था भी कहते हैं। इस अवस्था का निरूपण संकेत M द्वारा किया जाता है (M माइटोसिस को दर्शाता है)। सूत्री विभाजन (Mitosis) होने से क्रोमेटिड अलग-अलग हो जाते हैं और संतति क्रोमोसोम बनाते हैं। संतति क्रोमोसोम संतति केन्द्रकों में चले जाते हैं और कोशिकाद्रव्य बंटकर दो एकसमान संतति कोशिकाओं का निर्माण करता है।
यह अवस्था G2 के बाद की स्थिति है। इस अवस्था में सम्पूर्ण सूत्री विभाजन (प्रावस्था, मध्यावस्था, पश्चावस्था तथा अन्त्यावस्था) होता है। इस प्रकार विभाजन की तैयारी में ही लगभग 90% समय लग जाता है। विभाजन तो केवल 5 - 10% समय में ही सम्पन्न हो जाता है।
कोशिका चक्र का नियमन (Regulation of Cell Cycle): कोशिका चक्र के नियमन सम्बन्ध में खोज के लिए हार्टबेल, हन्ट तथा नर्स को 2001 का नोबल पुरस्कार मिला था। इन्होंने बेकर्स यीस्ट (सैक रोमाइसीज सेरेविसी) नामक कवक पर कार्य किया था। खोज से सम्बन्धित मुख्य बिन्दु निम्न हैं:
1. कोशिका चक्र को CDC gene (Cell Division Cycle Gene) नियन्त्रित करती है। इसमें से CDC - 28, G1 अवस्था के प्रथम चरण को नियन्त्रित करती है। अतः इसे स्टार्ट (Start) कहा गया है।
2. G2 से M अवस्था में परिवर्तन को CDC - 2 जीन नियन्त्रित करती है।
3. साइक्लिन (Cyclin) नामक प्रोटीन भी कोशिका चक्र का नियमन करती है। ये प्रोटीन कोशिका चक्र के दौरान बनते हैं तथा अपक्षीणित होते रहते हैं। ये प्रोटीन CDK (Cyclin Dependent Kinase) नामक एन्जाइमों को सक्रिय कर DNA के प्रतिकृतिकरण को प्रेरित करते हैं।
प्रश्न 2.
समसूत्री विभाजन को परिभाषित कीजिए। इसकी विभिन्न प्रावस्थाओं का चित्र बनाकर वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सूत्री विभाजन सभी कायिक कोशिकाओं में पाया जाता है। फ्लेमिंग ने 1881 में सर्वप्रथम इसका पता लगाया। सबसे अधिक सूची विभाजन वृद्धि क्षेत्र या विभज्योतक कोशिकाओं में होता है। इस क्रिया में केन्द्रक विभाजित होकर दो पुत्री केन्द्रक बनाता है। इनमें गुणसूत्रों की संख्या तथा सभी गुण मातृ कोशिका के समान होते हैं। यह प्रक्रिया एक सतत प्रक्रिया है। सूची विभाजन को केन्द्रक विभाजन की चार अवस्थाओं में विभाजित किया गया है:
1. पूर्वावस्था (Prophase):
अंतरावस्था (Interphase) के पश्चात् विभाजन की यह प्रथम अवस्था है। इंटरफेज अवस्था में केन्द्रिक एक गुणसूत्र से चिपक जाते हैं। क्रोमेटिन जाल संघनित होकर छोटे व मोटे गुणसूत्र बन जाते हैं। प्रत्येक गुणसूत्र लम्बाई में दो पतले धागेनुमा संरचना में टूटता है केवल सेन्ट्रोमियर क्षेत्र में यह विभाजन नहीं होता। प्रत्येक संरचना को क्रोमेटिड कहते हैं। दोनों क्रोमेटिड की संरचना तथा विशेषताएँ समान होती हैं। गुणसूत्रों पर छोटी - छोटी कणिकाएँ मिलती हैं, इन्हें क्रोमोमियर कहते हैं। इन्हीं क्रोमोमियर में जीन मिलते हैं। अधं गुणसूत्र के चारों ओर मैट्रिक्स जमा होता रहता है और गुणसूत्र संघनित हो जाते हैं। इस अवस्था के परिपक्व होते - होते केन्द्रक कला तथा केन्द्रिक दोनों विलुप्त हो जाते हैं।
2. मध्यावस्था (Metaphase):
इस अवस्था में गुणसूत्र मध्य रेखा पर आ जाते हैं तथा मध्यावस्था पट्टिका (metaphase plate) बनाते हैं। सेन्ट्रिओल से तर्क बनते हैं और दोनों सेन्टिओल ध्रुवों पर पहुँच जाते हैं। सेन्ट्रोमियर से गुणसूत्र तर्कु से जुड़ते हैं। गुणसूत्र की भुजा ध्रुवों की तरफ हो जाती है। कुछ समय के बाद गुणसूत्र बिन्दु बीच में से दो में विभाजित हो जाता है तथा दोनों क्रोमेटिड एक - दूसरे से अलग हो जाते हैं। इस अवस्था में गुणसूत्र सर्वाधिक स्पष्ट दिखाई देते हैं तथा इनके आकार का मापन किया जा सकता है।
3. पश्चावस्था (Anaphase):
इस अवस्था में दोनों क्रोमेटिड अलग होकर प्रतिकर्षण बल के कारण विपरीत दिशा में चलते हैं। भुजाएँ ध्रुवों की ओर होती हैं। गुणसूत्र VJL अथवा I का आकार ले लेता है। गुणसूत्र बिन्दु मध्य रेखा की ओर रहते हैं। इस प्रकार एक क्रोमोसोम से बने समान क्रोमेटिड दो विपरीत ध्रुवों पर पहुंच जाते हैं।
4. अन्त्यावस्था (Telophase):
इस अवस्था में दोनों ध्रुवों पर गुणसूत्र का मैट्रिक्स समाप्त होकर फिर क्रोमेटिन जाल बन जाता है। केन्द्रक कला, केन्द्रिका, गॉल्जीकाय व अन्तव्यी जालिका फिर से बन जाते हैं। अन्त में एक कोशिका में दो पुशी केन्द्रक दिखाई देते हैं।
5. कोशिकाद्रव्य विभाजन (Cytokinesis):
केन्द्रक विभाजन के बाद कोशिकाद्रव्य का विभाजन होता है और पुत्री केन्द्रकों युक्त दो पुत्री कोशिकाएँ बनती हैं। कोशिकाद्रव्य विभाजन केन्द्रक विभाजन की टीलोफेज के अन्तिम चरण में या पुत्री केन्द्रकों के बनने के तत्काल बाद हो सकता है। कभी - कभी जैसे पादपों के कुछ वंशों (Genera) के धूणपोष परिवर्धन में, केन्द्रक विभाजन उत्तरोत्तर रूप में होता जाता है और कई केन्द्रक बन जाते हैं। उदाहरणार्थ: नारियल का तरल भ्रूणपोष ऐसी बहुकेन्द्रकी कोशिका को संकोशिका (Coenocyte) कहते हैं। इसके बाद कोशिकाद्रव्य विभाजन प्रारम्भ होता है और बहुतसी एककेन्द्रकी (Uninuclear) कोशिकाएँ बन जाती हैं। कोशिकाद्रव्य का विभाजन निम्न दो विधियों द्वारा होता है:
(i) कोशिका खाँच विधि (Cell Furrow Method): सामान्यतया यह विधि जन्तु कोशिका में पायी जाती है। जन्तु कोशिकाओं में कोशिका भित्ति के अभाव से बाहरी परतें लचीली होती हैं, इनमें मध्यवर्ती स्थान पर संकीर्णन बनकर धीरे-धीरे अन्दर की ओर बढ़कर दो संतति कोशिकाओं का निर्माण होता है।
(ii) कोशिका पट्टी विधि (Cell Plate Method): यह विधि पादप की कायिक कोशिकाओं के विभाजन से मिलती है। यह विभाजन समसूत्री विभाजन की टेलोफेज (Telophase) के अन्तिम चरण में ही प्रारम्भ हो जाता है। तर्कु के मध्यवर्ती क्षेत्र के केन्द्र भाग में पट्टिका बनाने वाले पदार्थ (जैसे कैल्सियम व मैग्नीशियम पेक्टेट) से भरी सूक्ष्म कोशिकाद्रव्यी पुटिकाएँ (Cytoplasmic Vesicles) एक पंक्ति में विन्यासित हो जाती हैं। इस प्रकार पुटिकाओं का पंक्ति विन्यास, तओं के मध्य क्षेत्र के केन्द्रीय भाग से परिधि की ओर बढ़ता जाता है। पुटिकाओं के संयोजन से एक पट्टी बन जाती है और कोशिकाद्रव्य दो भागों में विभाजित हो जाता है। इस पट्टिका (Plate) की दोनों सतह पर दोनों पुत्री कोशिकाओं द्वारा प्राथमिक भित्ति के पदार्थ निक्षेपित हो जाते हैं। इस प्रकार यह पट्टिका दो प्राथमिक भित्तियों के मध्य पायी जाने वाली मध्य पट्टिका (Middle Lamella) बन जाती है।
जन्तु कोशिकाओं में कोशिकाद्रव्य का विभाजन (Cytokinesis) कोशिकाद्रव्य में बीच में खाँच बनने और इसके बढ़ते रहने से होता है। इस प्रकार की क्रिया पादप कोशिकाओं में बहुत कम पायी जाती है क्योंकि यहाँ एक कठोर भित्ति (Cell wall) होती है। ऐसी दशा में यह क्रिया आसानी से नहीं हो सकती।
प्रश्न 3.
अर्द्धसूत्री विभाजन क्रिया का चित्रों की सहायता से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
लैंगिक जनन करने वाले जीवों में एक विशेष प्रकार का विभाजन मिलता है जिसे कि अर्धसूत्री विभाजन (Meiosis) कहते हैं। इस विभाजन के द्वारा पुत्री केन्द्रक में गुणसूत्रों की संख्या मातृ केन्द्रक की तुलना में आधी हो जाती है। जन्तुओं और उच्च विकसित पादपों में अर्धसूत्री विभाजन, जनन मातृ कोशिका में होता है। परिणामत: जनन के लिए युग्मक या गेमिट बनते हैं। अर्धसूत्री विभाजन में केन्द्रक का विभाजन लगातार दो बार होता है और चार अगुणित पुत्री केन्द्रक बनते हैं। केन्द्रक के इन दो विभाजनों को क्रमश: अर्धसूत्री विभाजन - I (Meiosis - I) और अर्धसूत्री विभाजन - II (Meiosis - II) कहते हैं। जे.बी.फार्मर (J.B. Farmer, 1905) तथा जे.ई.मूरे (JE.Moore) ने सर्वप्रथम इस विभाजन को मीओसिस (Meiosis) नाम दिया।
अर्धसूत्री विभाजन - I (Meiosis - l):
प्रथम अर्धसूत्री विभाजन को न्यूनकारी विभाजन (Reduction divison) कहते हैं क्योंकि इस विभाजन में एक द्विगुणित कोशिका (Diploid cell) से दो अगुणित कोशिका (Haploid Cell) बनती हैं। इसलिए इस विभाजन को न्यूनकारी विभाजन कहते हैं। इस विभाजन को विषमरूपी विभाजन (Heterotypic division) भी कहते हैं। इस विभाजन को निम्न चार प्रावस्थाओं में विभक्त किया जाता है:
(1) पूर्वावस्था प्रथम (Prophase - I): यह प्रावस्था अत्यन्त जटिल, लम्बी तथा महत्त्वपूर्ण है। माइटोटिक पूर्वावस्था (mitotic prophase) में होने वाले परिवर्तनों के अलावा इस प्रावस्था में गुणसूत्र (chromosomes) बहुत ही महत्त्वपूर्ण क्रियाएँ प्रदर्शित करते हैं। ये महत्वपूर्ण क्रियाएँ हैं:
1. समजात (Homologous): क्रोमोसोम्स का जोड़े बनाना या युग्मानुबंधन (Pairing of Synapsis)।
2. दो जोड़ीदार या युग्मानुबन्धित क्रोमोसोम्स के बीच काइऐज्मेटा (Chiasmata) बनते हैं।
3. जब दो समजात क्रोमोसोम्स एक-दूसरे से अलग होते हैं तो इनमें काइऐज्मेटा के स्थानों में क्रोमेटिन पदार्थ (Chromatin Material) का आदान - प्रदान या क्रॉसिंग ओवर (Crossing over) होता है। ये सारी क्रियाएँ अध्ययन में आसानी के दृष्टिकोण से निम्नलिखित उपायस्थाओं में विभक्त की गई हैं:
(i) लेप्टोटीन (Leptotene): प्रावस्था की इस अवस्था में क्रोमोसोम लम्बे धागेनुमा हो जाते हैं। इन संरचनाओं पर मोती जैसी संरचनाएँ अथवा क्रोमोमियर्स (Chromomeres) मिलते हैं। केन्द्रक एवं केन्द्रिका स्पष्ट होते हैं। केन्द्रक आयतन में वृद्धि करता है। गुणसूत्र जाल में आधे गुणसूत्र नर से तथा आधे मादा से आते हैं, एकसी संरचना वाले गुणसूत्र समजात (Homologous) होते हैं।
(ii) जाइगोटीन (Zygotene): क्रोमोसोम्स अधिक मोटे, छोटे और काफी दानेदार (क्रोमोमियर्स की अधिकता के कारण) दिखाई देते हैं। विशेष प्रकार का आकर्षण उत्पन्न होने के कारण समजात क्रोमोसोम्स (Homologous Chromosomes) जोड़े बनाते हैं। इस समय ये एकदूसरे के निकट आना प्रारम्भ करते हैं और आपस में सटकर युगली या बाइवैलेन्ट (bivalent) दशा बनाते हैं। प्रत्येक जोड़ा या बाइवेलेन्ट एक द्विगुणित क्रोमोसोम के समान दिखाई देता है। क्रोमोसोम्स के इस प्रकार जोड़े बनाने की क्रिया को सूत्रयुग्मन (synapsis) कहते हैं।
इलेक्ट्रोन सूक्ष्मदर्शी में एक तन्तुमय सीढ़ी के समान न्यूक्लियोप्रोटीनबुक्त कॉम्प्लेक्स दिखाई देता है जिसे सिनेप्टोनियल कॉम्प्लेक्स कहते हैं।
(iii) पैकीटीन (Pachtene): इस उपावस्था में बाइवैलेर के दोनों समजात एक - दूसरे के साथ और अधिक मजबूती से लिपट जाते हैं और उनमें क्रोमोमियर्स (Chromomeres) अत्यधिक स्पष्ट दिखाई देने लगते हैं। क्रोमोसोम्स और अधिक मोटे और छोटे हो जाते हैं। प्रत्येक बाइवैलेन्ट का प्रत्येक समजात अब लम्बाई में दो भागों से फटने लगता है (क्रोमेटिड्स)। अतः अब प्रत्येक समजात जोड़ा (Homologous pair) जिसे बाइवैलेन्ट कहा था चार क्रोमेटिड (प्रत्येक क्रोमोसोम की दो) वाला अर्थात् टेट्राबैलेन्ट (tetravalent) दिखाई देने लगता है।
(iv) डिप्लोटीन (Diplotene): इस उपावस्था में क्रोमोसोम के चार क्रोमेटिड वाले आकार टेट्रावलेन्ट (tetravalent) अब अधिक स्पष्ट हो जाते हैं। टेट्रावैलेन्ट के दोनों क्रोमोसोम्स के बीच इस समय प्रतिकर्षण (repulsion) उत्पन्न हो जाने से स्थान - स्थान पर काइऐजोटा (Chiasmata) दिखाई देते हैं। इन काइऐज्मेट के स्थानों में क्रोमेटिन पदार्थ का, ये क्रोमोसोम्स, आदान-प्रदान करते हैं। इस क्रिया को विनिमय (crossing over) कहते हैं। काइऐज्मेट (chiasmata) दोनों समजात क्रोमोसोम के बीच बनते हैं।
एक समजात की कोई भी क्रोमेटिड दूसरे समजात की किसी भी क्रोमेटिड के साथ कितने भी काइऐज्मेटा बना सकती है। ध्यान रहे, एक ही क्रोमोसोम की दोनों क्रोमेटिड्स के बीच किसी प्रकार का आदान - प्रदान नहीं होता न ही इसकी आवश्यकता है (दोनों एकदम एक जैसी हैं)। यहाँ ध्यान रखना है कि अब तक, क्रोमोसोम पूर्ण रूप से मोटे और छोटे हो गये हैं। प्रत्येक क्रोमोसोम पर मैट्रिक्स (matrix) चढ़ चुका होता है। क्रोमोसोम्स के बीच यद्यपि प्रतिकर्षण काफी होता है किन्तु मैट्रिक्स के कारण ये एक-दूसरे से अलग नहीं होते।
(v) डायकाइनेसिस (Diakinesis): इस उपावस्था में क्रोमोसोम्स स्पष्ट रूप से अलग - अलग किन्तु मैट्रिक्स के अन्दर रहते हैं। इस समय तक केन्द्रक कला (nuclear membrane) और केन्द्रिका (Nucleolus) विलुप्त हो चुके होते हैं। तर्कुतन्तु (spindle) भी अब तक उत्पन्न हो जाते हैं। क्रोमोसोम्स टेट्रावैलेन्ट अवस्था में ही स्पाइन्डल (spindle) की मध्य रेखा (equator) की ओर खिसकने लगते हैं।
(2) मध्यावस्था - प्रथम (Metaphase - I): समजात गुणसूत्रों के जोड़े मध्य पट्टिका पर व्यवस्थित हो जाते हैं। सेन्ट्रोमीयर की सहायता से गुणसूत्र तर्कु तन्तुओं द्वारा जुड़े होते हैं। गुणसूत्रों की भुजाएँ ध्रुवों की ओर रहती हैं।
(3) पश्चावस्था - प्रथम (Telophase - I): समजात गुणसूत्र विपरीत ध्रुवों की ओर गति करने लगते हैं। समसूत्री विभाजन के विपरीत, इस अवस्था में सेन्ट्रोमीयर (centromere) का विभाजन नहीं होता है। इस प्रकार चार क्रोमेटिड वाला गुणसूत्र दो क्रोमिटिड में बदल जाता है। इस दौरान इनकी आकृति V के समान होती है। ये गुणसूत्र गति करते हुए विपरीत ध्रुवों पर पहुंच जाते हैं। इस समय प्रत्येक ध्रुव पर गुणसूत्रों की संख्या पैतृक कोशिका की आधी होती है। प्रत्येक गुणसूत्र में दो - दो क्रोमेटिड्स पाये जाते हैं।
(4) अन्त्यावस्था - प्रथम (Telophase - I): दोनों ध्रुवों पर एकत्रित हुए गुणसूत्र समूहों के चारों ओर केन्द्रक झिल्ली (Nuclear membrane) का निर्माण हो जाता है, साथ केन्द्र में केन्द्रिका विकसित हो जाती है। गुणसूत्र पुनः क्रोमेटिन जालिका में परिवर्तित हो जाते हैं। तर्क तन्तु धीरेधीरे विलुप्त हो जाते हैं। इस प्रकार निर्मित दो संतति केन्द्रक (daughter nuclei) अगुणित (haploid) होते हैं।
प्रश्न 4.
समसूत्री विभाजन की अर्द्धसूत्री विभाजन से तुलना कीजिए।
उत्तर:
समसूत्री एवं अर्धसूत्री विभाजन की पूर्वावस्था में अन्तर
समसूत्री पूर्वावस्था |
अर्धसूत्री पूर्वावस्था |
1. इसमें सभी गुणसूत्र बिखरे होते हैं तथा समजातीय गुणसूत्रों में युग्मन नहीं होता। |
समजातीय गुणसूत्रों में युग्मन होता है। |
2. प्रत्येक गुणसूत्र में दो अर्धगुणसूत्र होते हैं। |
प्रत्येक युगली गुणसूत्रों में चार अर्धगुणसूत्र होते हैं। |
3. इसमें क्रॉसिंग ओवर, काइएज्मेटा व उपांतिभवन की क्रियाएँ होती हैं। |
नहीं होती। |
4. जीनों का आदान - प्रदान नहीं होता है। |
जीनों का आदान - प्रदान होता है। |
5. यह अवस्था अर्धसूत्री के तुलनात्मक ज्यादा लम्बी नहीं होती। |
लम्बी होती है। इसमें लैप्टोटीन, जाइगोटीन, पैकाइटीन, डिप्लोटीन तथा डायाकाइनैसिस अवस्थाएँ होती हैं। |
प्रश्न 5.
अर्द्धसूत्री विभाजन - I एवं अर्धसूत्री विभाजन - II का चित्र बनाकर वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अर्धसूत्री विभाजन - I (Meiosis - l):
प्रथम अर्धसूत्री विभाजन को न्यूनकारी विभाजन (Reduction divison) कहते हैं क्योंकि इस विभाजन में एक द्विगुणित कोशिका (Diploid cell) से दो अगुणित कोशिका (Haploid Cell) बनती हैं। इसलिए इस विभाजन को न्यूनकारी विभाजन कहते हैं। इस विभाजन को विषमरूपी विभाजन (Heterotypic division) भी कहते हैं। इस विभाजन को निम्न चार प्रावस्थाओं में विभक्त किया जाता है:
(1) पूर्वावस्था प्रथम (Prophase - I): यह प्रावस्था अत्यन्त जटिल, लम्बी तथा महत्त्वपूर्ण है। माइटोटिक पूर्वावस्था (mitotic prophase) में होने वाले परिवर्तनों के अलावा इस प्रावस्था में गुणसूत्र (chromosomes) बहुत ही महत्त्वपूर्ण क्रियाएँ प्रदर्शित करते हैं। ये महत्वपूर्ण क्रियाएँ हैं:
1. समजात (Homologous): क्रोमोसोम्स का जोड़े बनाना या युग्मानुबंधन (Pairing of Synapsis)।
2. दो जोड़ीदार या युग्मानुबन्धित क्रोमोसोम्स के बीच काइऐज्मेटा (Chiasmata) बनते हैं।
3. जब दो समजात क्रोमोसोम्स एक-दूसरे से अलग होते हैं तो इनमें काइऐज्मेटा के स्थानों में क्रोमेटिन पदार्थ (Chromatin Material) का आदान -
प्रदान या क्रॉसिंग ओवर (Crossing over) होता है। ये सारी क्रियाएँ अध्ययन में आसानी के दृष्टिकोण से निम्नलिखित उपायस्थाओं में विभक्त की गई हैं:
(i) लेप्टोटीन (Leptotene): प्रावस्था की इस अवस्था में क्रोमोसोम लम्बे धागेनुमा हो जाते हैं। इन संरचनाओं पर मोती जैसी संरचनाएँ अथवा क्रोमोमियर्स (Chromomeres) मिलते हैं। केन्द्रक एवं केन्द्रिका स्पष्ट होते हैं। केन्द्रक आयतन में वृद्धि करता है। गुणसूत्र जाल में आधे गुणसूत्र नर से तथा आधे मादा से आते हैं, एकसी संरचना वाले गुणसूत्र समजात (Homologous) होते हैं।
(ii) जाइगोटीन (Zygotene): क्रोमोसोम्स अधिक मोटे, छोटे और काफी दानेदार (क्रोमोमियर्स की अधिकता के कारण) दिखाई देते हैं। विशेष प्रकार का आकर्षण उत्पन्न होने के कारण समजात क्रोमोसोम्स (Homologous Chromosomes) जोड़े बनाते हैं। इस समय ये एकदूसरे के निकट आना प्रारम्भ करते हैं और आपस में सटकर युगली या बाइवैलेन्ट (bivalent) दशा बनाते हैं। प्रत्येक जोड़ा या बाइवेलेन्ट एक द्विगुणित क्रोमोसोम के समान दिखाई देता है। क्रोमोसोम्स के इस प्रकार जोड़े बनाने की क्रिया को सूत्रयुग्मन (synapsis) कहते हैं।
इलेक्ट्रोन सूक्ष्मदर्शी में एक तन्तुमय सीढ़ी के समान न्यूक्लियोप्रोटीनबुक्त कॉम्प्लेक्स दिखाई देता है जिसे सिनेप्टोनियल कॉम्प्लेक्स कहते हैं।
(iii) पैकीटीन (Pachtene): इस उपावस्था में बाइवैलेर के दोनों समजात एक - दूसरे के साथ और अधिक मजबूती से लिपट जाते हैं और उनमें क्रोमोमियर्स (Chromomeres) अत्यधिक स्पष्ट दिखाई देने लगते हैं। क्रोमोसोम्स और अधिक मोटे और छोटे हो जाते हैं। प्रत्येक बाइवैलेन्ट का प्रत्येक समजात अब लम्बाई में दो भागों से फटने लगता है (क्रोमेटिड्स)। अतः अब प्रत्येक समजात जोड़ा (Homologous pair) जिसे बाइवैलेन्ट कहा था चार क्रोमेटिड (प्रत्येक क्रोमोसोम की दो) वाला अर्थात् टेट्राबैलेन्ट (tetravalent) दिखाई देने लगता है।
(iv) डिप्लोटीन (Diplotene): इस उपावस्था में क्रोमोसोम के चार क्रोमेटिड वाले आकार टेट्रावलेन्ट (tetravalent) अब अधिक स्पष्ट हो जाते हैं। टेट्रावैलेन्ट के दोनों क्रोमोसोम्स के बीच इस समय प्रतिकर्षण (repulsion) उत्पन्न हो जाने से स्थान - स्थान पर काइऐजोटा (Chiasmata) दिखाई देते हैं। इन काइऐज्मेट के स्थानों में क्रोमेटिन पदार्थ का, ये क्रोमोसोम्स, आदान-प्रदान करते हैं। इस क्रिया को विनिमय (crossing over) कहते हैं। काइऐज्मेट (chiasmata) दोनों समजात क्रोमोसोम के बीच बनते हैं। एक समजात की कोई भी क्रोमेटिड दूसरे समजात की किसी भी क्रोमेटिड के साथ कितने भी काइऐज्मेटा बना सकती है। ध्यान रहे, एक ही क्रोमोसोम की दोनों क्रोमेटिड्स के बीच किसी प्रकार का आदान - प्रदान नहीं होता न ही इसकी आवश्यकता है (दोनों एकदम एक जैसी हैं)। यहाँ ध्यान रखना है कि अब तक, क्रोमोसोम पूर्ण रूप से मोटे और छोटे हो गये हैं। प्रत्येक क्रोमोसोम पर मैट्रिक्स (matrix) चढ़ चुका होता है। क्रोमोसोम्स के बीच यद्यपि प्रतिकर्षण काफी होता है किन्तु मैट्रिक्स के कारण ये एक-दूसरे से अलग नहीं होते।
(v) डायकाइनेसिस (Diakinesis): इस उपावस्था में क्रोमोसोम्स स्पष्ट रूप से अलग - अलग किन्तु मैट्रिक्स के अन्दर रहते हैं। इस समय तक केन्द्रक कला (nuclear membrane) और केन्द्रिका (Nucleolus) विलुप्त हो चुके होते हैं। तर्कुतन्तु (spindle) भी अब तक उत्पन्न हो जाते हैं। क्रोमोसोम्स टेट्रावैलेन्ट अवस्था में ही स्पाइन्डल (spindle) की मध्य रेखा (equator) की ओर खिसकने लगते हैं।
(2) मध्यावस्था - प्रथम (Metaphase - I): समजात गुणसूत्रों के जोड़े मध्य पट्टिका पर व्यवस्थित हो जाते हैं। सेन्ट्रोमीयर की सहायता से गुणसूत्र तर्कु तन्तुओं द्वारा जुड़े होते हैं। गुणसूत्रों की भुजाएँ ध्रुवों की ओर रहती हैं।
(3) पश्चावस्था - प्रथम (Telophase - I): समजात गुणसूत्र विपरीत ध्रुवों की ओर गति करने लगते हैं। समसूत्री विभाजन के विपरीत, इस अवस्था में सेन्ट्रोमीयर (centromere) का विभाजन नहीं होता है। इस प्रकार चार क्रोमेटिड वाला गुणसूत्र दो क्रोमिटिड में बदल जाता है। इस दौरान इनकी आकृति V के समान होती है। ये गुणसूत्र गति करते हुए विपरीत ध्रुवों पर पहुंच जाते हैं। इस समय प्रत्येक ध्रुव पर गुणसूत्रों की संख्या पैतृक कोशिका की आधी होती है। प्रत्येक गुणसूत्र में दो - दो क्रोमेटिड्स पाये जाते हैं।
(4) अन्त्यावस्था - प्रथम (Telophase - I): दोनों ध्रुवों पर एकत्रित हुए गुणसूत्र समूहों के चारों ओर केन्द्रक झिल्ली (Nuclear membrane) का निर्माण हो जाता है, साथ केन्द्र में केन्द्रिका विकसित हो जाती है। गुणसूत्र पुनः क्रोमेटिन जालिका में परिवर्तित हो जाते हैं। तर्क तन्तु धीरेधीरे विलुप्त हो जाते हैं। इस प्रकार निर्मित दो संतति केन्द्रक (daughter nuclei) अगुणित (haploid) होते हैं।
अर्थसूत्री विभाजन - II (Meiosis - II):
यह विभाजन समसूत्री विभाजन के समान होता है। इस विभाजन को समरूपी (Homotypic) या समान (equational) विभाजन भी कहते हैं क्योंकि इस विभाजन में गुणसूत्रों की संख्या में कोई परिवर्तन नहीं होता है। इसलिए इस विभाजन को समरूपी या समान विभाजन कहते हैं।
इस विभाजन को भी चार प्रावस्थाओं में विभक्त किया गया है:
(1) पूर्वावस्था - द्वितीय (Prophase - II): इस प्रावस्था में निम्न परिवर्तन होते हैं
(2) मध्यावस्था - द्वितीय (Metaphase - II): इस प्रावस्था में निम्न परिवर्तन होते हैं -
(3) पश्चावस्था - द्वितीय (Anaphase - II): इस प्रावस्था में निम्न परिवर्तन होते हैं:
(4) अन्त्यावस्था - द्वितीय (Telophase - II): इस प्रावस्था में निम्न परिवर्तन होते हैं:
इस प्रकार अर्धसूत्री विभाजन की समाप्ति पर कुल चार अगुणित कोशिकाएँ बनती हैं। प्रत्येक में समजात युग्म का एक सदस्य होता है।
प्रश्न 6.
सूत्री विभाजन क्या है? कोशिका द्रव्य विभाजन को समझाइए।
उत्तर:
सूत्री विभाजन सभी कायिक कोशिकाओं में पाया जाता है। फ्लेमिंग ने 1881 में सर्वप्रथम इसका पता लगाया। सबसे अधिक सूची विभाजन वृद्धि क्षेत्र या विभज्योतक कोशिकाओं में होता है। इस क्रिया में केन्द्रक विभाजित होकर दो पुत्री केन्द्रक बनाता है। इनमें गुणसूत्रों की संख्या तथा सभी गुण मातृ कोशिका के समान होते हैं। यह प्रक्रिया एक सतत प्रक्रिया है। सूची विभाजन को केन्द्रक विभाजन की चार अवस्थाओं में विभाजित किया गया है:
कोशिकाद्रव्य विभाजन (Cytokinesis):
केन्द्रक विभाजन के बाद कोशिकाद्रव्य का विभाजन होता है और पुत्री केन्द्रकों युक्त दो पुत्री कोशिकाएँ बनती हैं। कोशिकाद्रव्य विभाजन केन्द्रक विभाजन की टीलोफेज के अन्तिम चरण में या पुत्री केन्द्रकों के बनने के तत्काल बाद हो सकता है। कभी - कभी जैसे पादपों के कुछ वंशों (Genera) के धूणपोष परिवर्धन में, केन्द्रक विभाजन उत्तरोत्तर रूप में होता जाता है और कई केन्द्रक बन जाते हैं। उदाहरणार्थ: नारियल का तरल भ्रूणपोष ऐसी बहुकेन्द्रकी कोशिका को संकोशिका (Coenocyte) कहते हैं। इसके बाद कोशिकाद्रव्य विभाजन प्रारम्भ होता है और बहुतसी एककेन्द्रकी (Uninuclear) कोशिकाएँ बन जाती हैं। कोशिकाद्रव्य का विभाजन निम्न दो विधियों द्वारा होता है:
(i) कोशिका खाँच विधि (Cell Furrow Method): सामान्यतया यह विधि जन्तु कोशिका में पायी जाती है। जन्तु कोशिकाओं में कोशिका भित्ति के अभाव से बाहरी परतें लचीली होती हैं, इनमें मध्यवर्ती स्थान पर संकीर्णन बनकर धीरे-धीरे अन्दर की ओर बढ़कर दो संतति कोशिकाओं का निर्माण होता है।
(ii) कोशिका पट्टी विधि (Cell Plate Method): यह विधि पादप की कायिक कोशिकाओं के विभाजन से मिलती है। यह विभाजन समसूत्री विभाजन की टेलोफेज (Telophase) के अन्तिम चरण में ही प्रारम्भ हो जाता है। तर्कु के मध्यवर्ती क्षेत्र के केन्द्र भाग में पट्टिका बनाने वाले पदार्थ (जैसे कैल्सियम व मैग्नीशियम पेक्टेट) से भरी सूक्ष्म कोशिकाद्रव्यी पुटिकाएँ (Cytoplasmic Vesicles) एक पंक्ति में विन्यासित हो जाती हैं। इस प्रकार पुटिकाओं का पंक्ति विन्यास, तओं के मध्य क्षेत्र के केन्द्रीय भाग से परिधि की ओर बढ़ता जाता है। पुटिकाओं के संयोजन से एक पट्टी बन जाती है और कोशिकाद्रव्य दो भागों में विभाजित हो जाता है। इस पट्टिका (Plate) की दोनों सतह पर दोनों पुत्री कोशिकाओं द्वारा प्राथमिक भित्ति के पदार्थ निक्षेपित हो जाते हैं।
इस प्रकार यह पट्टिका दो प्राथमिक भित्तियों के मध्य पायी जाने वाली मध्य पट्टिका (Middle Lamella) बन जाती है।
जन्तु कोशिकाओं में कोशिकाद्रव्य का विभाजन (Cytokinesis) कोशिकाद्रव्य में बीच में खाँच बनने और इसके बढ़ते रहने से होता है। इस प्रकार की क्रिया पादप कोशिकाओं में बहुत कम पायी जाती है क्योंकि यहाँ एक कठोर भित्ति (Cell wall) होती है। ऐसी दशा में यह क्रिया आसानी से नहीं हो सकती।
विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गये प्रश्न
प्रश्न 1.
अर्धसूत्री विभाजन में गुणसूत्रों की संख्या आधी हो जाती है:
(a) मेटाफेज - I में
(b) एनाफेज - I में
(c) मेटाफेज - I में
(d) टीलोफेज - I में
उत्तर:
(c) मेटाफेज - I में
प्रश्न 2.
माइटोसिस में एक अवस्था जो एनाफेज के मध्य की ओर से प्रारम्भ होकर टीलोफेज के साथ समाप्त हो जाती है
(a) सायटोकाइनेसिस
(b) केरियोकाइनेसिस
(c) क्रोसिंग ओवर
(d) इन्टरकाइनेसिस
उत्तर:
(a) सायटोकाइनेसिस
प्रश्न 3.
नीचे दिये जा रहे चित्र A और B में कोशिका - विभाजन की क्रमशः कौनसी अवस्थाएँ दर्शायी गयी हैं
(a) प्रोफेज - ऐनाफेज
(b) मेटाफेज - टीलोफेज
(c) टीलोफेज- मेयफेज
(d) लैट ऐनाफेज - प्रोफेज
उत्तर:
(d) लैट ऐनाफेज - प्रोफेज
प्रश्न 4.
सही विकल्प चुनिए
I |
II |
(A) सिनेप्सिस, समजात गुणसूत्रों को पंक्तिबद्ध कर देता है |
(i) एनाफेज - II |
(B) RNA और प्रोटीन का संश्लेषण |
(ii) जाइगोटिन |
(C) एंजाइम रीकोम्बीनोज की अभिक्रिया |
(iii) G2 - प्रावस्था |
(D) सेन्ट्रोमियर पृथक् नहीं होते किन्तु क्रोमैटिड विपरीत ध्रुव की तरफ गति करने लगते हैं |
(iv) एनाफेज - I |
|
(v) पेकाइटिन |
(A) |
(B) |
(C) |
(D) |
(a) (ii) |
(iii) |
(v) |
(iv) |
(b) (i) |
(ii) |
(v) |
(iv) |
(c) (ii) |
(iii) |
(iv) |
(v) |
(d) (ii) |
(i) |
(iii) |
(iv) |
उत्तर:
(a) (ii) |
(iii) |
(v) |
(iv) |
प्रश्न 5.
एक कायिक कोशिका में जिसने अपने कोशिका - चक्र की अभीअभी S - प्रावस्था पूरी की है, उसी स्पीशीज के युग्मक की तुलना में:
(a) गुणसूत्रों की संख्या समान होती है लेकिन DNA की मात्रा दुगुनी होती है
(b) गुणसूत्रों की संख्या दुगुनी होती है और DNA की मात्र चार गुना अधिक होती है
(c) गुणसूत्रों की संख्या चार गुना अधिक होती है और DNA की माश दुगुनी होती है
(d) गुणसूत्रों की संख्या दुगुनी होती है और DNA की माश भी दुगुनी होती है
उत्तर:
(b) गुणसूत्रों की संख्या दुगुनी होती है और DNA की मात्र चार गुना अधिक होती है
प्रश्न 6.
अर्धसूत्री विभाजन की घटनाओं को सही क्रम में व्यवस्थित कीजिए:
(A) क्रॉसिंग ओवर (जौन विनिमय)
(B) सिनेप्सिस (सूत्रयुग्मन)
(C) काइएज्मेटा का अन्त
(D) केन्द्रिका का अदृश्य होना
(a) (B), (A), (C), (D)
(b) (A), (B), (C), (D)
(c) (B), (C), (D), (A)
(d) (B), (A), (D), (C)
उत्तर:
(a) (B), (A), (C), (D)
प्रश्न 7.
कोशिका चक्र के 'S' प्रावस्था में क्या होता है
(a) गुणसूत्र की संख्या अधिक हो जाती है
(b) प्रत्येक कोशिका में DNA की मात्रा आधी रह जाती है
(c) प्रत्येक कोशिका में DNA की मात्रा दुगुनी हो जाती है
(d) प्रत्येक कोशिका में DNA की माशा समान रहती है
उत्तर:
(c) प्रत्येक कोशिका में DNA की मात्रा दुगुनी हो जाती है
प्रश्न 8.
यदि DNA की प्रारम्भिक मात्रा 2C हो, तो कोशिका चक्र की किस प्रावस्था में, कोशिका में DNA की माशा 4C स्तर तक हो जाती है
(a) केवल G2
(b)G2 तथा M
(c) G0 तथा G1
(d) G1 तथा S
उत्तर:
(a) केवल G2
प्रश्न 9.
वह कौनसी अर्धसूत्री अवस्था होती है जिसमें समजात क्रोमोसोम (गुणसूत्र) एक - दूसरे से पृथक् हो जाते हैं। जबकि संतति क्रोमैटिड्स (अर्ध - गुणसूत्र) अपने गुणसूत्र बिन्दुओं (सेंट्रोमीयर्स) से जुड़े रहते हैं-
(a) मध्यावस्था - I
(b) मध्यावस्था - II
(c) पश्चावस्था - I
(d) पश्चावस्था - II
उत्तर:
(c) पश्चावस्था - I
प्रश्न 10.
नीचे दिये जा रहे आरेखीय निरूपण में, एक प्रकार कोशिका विभाजन की एक विशिष्ट अवस्था में एक विशिष्ट घटना होती हुई दर्शायी गयी है। बताइए यह कौनसी अवस्था है
(a) मीयोसिस (अर्धसूत्रण) के दौरान पूर्वावस्था - I
(b) मीयोसिस (अर्धसूत्रण) के दौरान पूर्वावस्था - II
(c) माइटोसिस (समसूत्रण) की पूर्वावस्था
(d) माइटोसिस (समसूत्रण) की पूर्वावस्था एवं मध्यावस्था, दोनों
उत्तर:
(a) मीयोसिस (अर्धसूत्रण) के दौरान पूर्वावस्था - I
प्रश्न 11.
G1, G2 एवं S प्रावस्थाएँ कोशिका चक्र की किस प्रावस्था में दिखाई देती हैं
(a) प्रोफेज में
(b) मेटाफेज में
(c) एनाफेज में
(d) इन्टरफेज में
(e) लेप्टोटीन में
उत्तर:
(d) इन्टरफेज में
प्रश्न 12.
युग्मक बनने के दौरान, रिकॉम्बिनेज एंजाइम किस अवस्था में भाग लेता है
(a) मध्यावस्था - I
(b) पश्चावस्था - II
(c) पूर्वावस्था - I पेकाइटिन (स्थूलपट्ट)
(d) पूर्वावस्था - II
उत्तर:
(c) पूर्वावस्था - I पेकाइटिन (स्थूलपट्ट)
प्रश्न 13.
अर्धसूत्री विभाजन की किस अवस्था के दौरान सिनेप्टोनिमल कॉम्प्लैक्स का निर्माण होता है-
(a) लेप्टोटीन में
(b) जायगोटीन में
(c) डिप्लोटीन में
(d) पेकोटीन में
उत्तर:
(b) जायगोटीन में
प्रश्न 14.
मैटाफेज अवस्था में, गुणसूत्र तर्क तन्तुओं से किसके द्वारा लगे चिपके रहते हैं-
(a) काईनेटोकोरों द्वारा
(b) सैन्ट्रोमियर द्वारा
(c) सैटेलाइट्स द्वारा
(d) द्वितीयक संकीर्णनों द्वारा
उत्तर:
(a) काईनेटोकोरों द्वारा
प्रश्न 15.
निम्न सूचियों का अध्ययन करें
सूची - I |
सूची - II |
(A) स्पिंडल तन्तुओं का प्रारम्भन |
(I) ऐनाफेज - I |
(B) RNA एवं प्रोटीन का संश्लेषण |
(II) जाइगोटीन |
(C) एण्डोन्यूक्लियेज की क्रिया |
(III) G1 प्रावस्था |
(D) क्रोमेटिड्स की विपरीत ध्रुवों की ओर गति |
(IV) पेकीटीन |
|
(V) ऐनाफेज - II |
सही मेल है-
A |
B |
C |
D |
(a) II |
III |
IV |
V |
(b) III |
II |
I |
V |
(c) I |
III |
V |
IV |
(d) V |
III |
I |
II |
उत्तर:
(a) II |
III |
IV |
V |
प्रश्न 16.
कायिक कोशिकाओं में, समसूत्री विभाजन के दौरान क्या दिखाई नहीं देता है-
(a) स्पिण्डल फाइबर
(b) क्रोमोसोम गति
(c) केन्द्रिका का गायब होना
(d) सिनेप्सिस
उत्तर:
(d) सिनेप्सिस
प्रश्न 17.
निम्न में से किस अवस्था में नॉन - सिस्टर क्रोमेटिड एक - दूसरे के चारों ओर लिपटे रहते हैं तथा खण्डों का आदान - प्रदान करते
अथवा
मियोसिस में क्रॉसिंग ओवर प्रारम्भ होता है
(a) डिप्लोटीन
(b) डाइकाइनेसिस
(c) लेप्टोटीन
(d) पेकोटीन
(e) जाइगोटीन
उत्तर:
(d) पेकोटीन
प्रश्न 18.
DNA का रेप्लीकेशन किस अवस्था में होता है
अथवा
कोशिका चक्र की किस अवस्था के दौरान DNA तथा हिस्टोन प्रोटीन संश्लेषित होता है-
(a) G1 अवस्था
(b) G2 अवस्था
(c) S अवस्था
(d) मायटोटिक प्रावस्था
उत्तर:
(c) S अवस्था
प्रश्न 19.
माझ्टोसिस (समसूत्रण) के विषय में सही विकल्प चुनिए
(a) मेटाफेज (मध्यावस्था) में गुणसूत्र स्पिंडल की मध्यरेखा पर चले जाते तथा मध्यरेखा प्लेट के साथ - साथ पंक्तिबद्ध हो
(b) ऐनाफेज (पश्चावस्था) में क्रोमैटिड पृथक् हो जाते परन्तु कोशिका के केन्द्र में बने रहते हैं
(c) टेलोफेज (अन्यावस्था) में क्रोमैटिड विपरीत ध्रुषों की ओर गति करने लग जाते हैं।
(d) गॉल्जी सम्मिन तथा एंडोप्लाज्मी जालक पूर्वावस्था के अन्त पर भी दृश्यमान बने रहते हैं
उत्तर:
(a) मेटाफेज (मध्यावस्था) में गुणसूत्र स्पिंडल की मध्यरेखा पर चले जाते तथा मध्यरेखा प्लेट के साथ - साथ पंक्तिबद्ध हो
प्रश्न 20.
जब कोशिका में DNA प्रतिकृतियन द्विशाख रुक जाता है, तब किस जाँच-बिन्दु को प्रभावी रूप से सक्रियत करना चाहिए
(a) G2/M और M दोनों
(b) G1/S
(c) G2/M
(d) M
उत्तर:
(b) G1/S
प्रश्न 21.
कॉलम - I में दी गयी अर्धसूत्री विभाजन की विभिन्न अवस्थाओं का कॉलम - II में दिये गये उनके विशिष्ट लक्षणों से साथ मिलान कीजिए तथा नीचे दिये गये कूट का प्रयोग कर सही विकल्प को चुनिये
कॉलम - I |
कॉलम - II |
(A) पैकाइटीन |
(i) समजात गुणसूत्रों का युग्मन |
(B) मेटाफेज I (मध्यावस्था - I) |
(ii) काइऐज्मेटा का समापन |
(C) डाइकाइनेसिस |
(iii) जीन विनिमय होता है |
(D) जाइगोटीन |
(iv) गुणसूत्र मध्यवर्ती पट्टी पर व्यवस्थित हो जाते हैं। |
कोइस |
(A) |
(B) |
(C) |
(D) |
(a) |
(iv) |
(iii) |
(ii) |
(i) |
(b) |
(iii) |
(iv) |
(ii) |
(i) |
(c) |
(i) |
(iv) |
(ii) |
(iii) |
(d) |
(ii) |
(iv) |
(iii) |
(i) |
उत्तर:
(b) |
(iii) |
(iv) |
(ii) |
(i) |
प्रश्न 22.
ऐनाफेस प्रोमोटिंग कॉम्प्लेक्स (APC) जन्तु कोशिका में समसूत्री विभाजन के सुचारू रूप से होने के लिए आवश्यक प्रोटीन डीग्रेडेशन मशीनरी है। यदि मानव कोशिका में APC त्रुटिपूर्ण है तो निम्न में क्या घटित होगा
(a) गुणसूत्र संघनित नहीं होंगे
(b) गुणसूत्र खण्डित हो जायेंगे
(c) गुणसूत्र पृथक् नहीं होंगे
(d) गुणसूत्र भुजाओं में पुनर्योजन होगा
उत्तर:
(c) गुणसूत्र पृथक् नहीं होंगे
प्रश्न 23.
निम्नलिखित में से कौनसा विकल्प सूत्री विभाजन के दौरान होने वाली घटनाओं का सही अनुक्रम दर्शाता है
(a) संम्पनन → केन्द्रक झिल्ली का विघटन → जीन विनिमय → पृथक्करण → अंत्यावस्था
(b) संघनन → केन्द्रक झिल्ली का विघटन → मध्यरेखा पर व्यवस्था → गुणसूत्र बिन्दु का विभाजन → पृथक्करण + अंत्यावस्था
(c) संघनन → जीन विनिमय → केन्द्रक झिल्ली का विघटन → पृथक्करण → अंत्यावस्था
(d) संघनन → मध्यरेखा पर व्यवस्था - गुणसूत्र बिन्दु का विभाजन → पृथक्करण → अंत्यावस्था
उत्तर:
(b) संघनन → केन्द्रक झिल्ली का विघटन → मध्यरेखा पर व्यवस्था → गुणसूत्र बिन्दु का विभाजन → पृथक्करण + अंत्यावस्था
प्रश्न 24.
चित्र में कोशिका-विभाजन की एक अवस्था दर्शायी गयी है। अवस्था की सही पहचान और उसकी सही विशिष्टता को चुनिए
(a) अंत्यावस्था (टीलोफेज) |
एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम और केन्द्रिका अभी दुबारा नहीं बने होते |
(b) अंत्यावस्था (टीलोफेज) |
केन्द्रकीय आवरण दुबारा बन जाता है, गॉल्जी सम्मिश्र भी दुबारा बन जाता है |
(c) परवर्ती पश्चावस्था (लेट ऐनाफेज) |
गुणसूत्र मध्यवर्ती पट्टी से दूर चले जाते है, गॉल्जी सम्मिश्र नहीं होता |
(d) कोशिकाभाजन (साइटोकाइनेसिस) |
कोशिका - पट्टी बन जाती है, माइटोकॉण्डिया दोनों संतति कोशिकाओं में वितरित हो जाती है |
उत्तर:
(b) अंत्यावस्था (टीलोफेज) |
केन्द्रकीय आवरण दुबारा बन जाता है, गॉल्जी सम्मिश्र भी दुबारा बन जाता है |
प्रश्न 25.
अर्द्धसूत्री विभाजन कहाँ होता है-
(a) गुरुबीजाणु
(b) अर्द्धसूत्री कोशिका
(c) कोनिडिया (कणि बीजाणु)
(d) मुकुलक
उत्तर:
(b) अर्द्धसूत्री कोशिका
प्रश्न 26.
सूत्रयुग्मित समजात गुणसूत्रों के युग्म द्वारा बनाये गये सम्मिश्र को कहा जाता है
(a) अक्षसूत्र (Axoneme)
(b) मध्यवर्ती पट्टी
(c) काइनेटोकोर
(d) gurit (Bivalent)
उत्तर:
(d) gurit (Bivalent)
प्रश्न 27.
जीवाणुओं में DNA प्रतिकृतियन होता है-
(a) S अवस्था के दौरान
(b) केन्द्रिका के अन्दर
(c) विखण्डन से पहले
(d) अनुलेखन से ठीक पहले
उत्तर:
(c) विखण्डन से पहले