RBSE Class 10 Social Science Notes History Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

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RBSE Class 10 Social Science Notes History Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

→ 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रान्ति और राष्ट्र का विचार - राष्ट्रवाद की प्रथम स्पष्ट अभिव्यक्ति 1789 ई. की फ्रांस की क्रान्ति के साथ हुई। इस क्रान्ति के फलस्वरूप प्रभुसत्ता राजतन्त्र से निकल कर फ्रांसीसी नागरिकों में केन्द्रित हो गई। इस क्रान्ति ने फ्रांसीसी लोगों में एक सामूहिक पहचान की भावना उत्पन्न की।

→ नेपोलियन बोनापार्ट–नेपोलियन बोनापार्ट ने सम्पूर्ण फ्रांस में एक समान शासन व्यवस्था लागू की। उसने 1804 ई. में 'नागरिक संहिता' का निर्माण करवाया, जो 'नेपोलियन संहिता' के नाम से प्रसिद्ध है। इस संहिता ने कानून के समक्ष समानता तथा सम्पत्ति के अधिकार को सुरक्षित बनाया। इस संहिता को फ्रांसीसी नियन्त्रण के अधीन क्षेत्रों में भी लागू किया गया।

→ कुलीन वर्ग और नया मध्य वर्ग-यूरोपीय महाद्वीप में कुलीन वर्ग सर्वाधिक शक्तिशाली वर्ग था, लेकिन यह एक छोटा समूह था। औद्योगिक उत्पादन एवं व्यापार में वृद्धि होने से विभिन्न शहरों में वाणिज्यिक वर्गों का जन्म हुआ और कुलीन वर्ग को प्राप्त विशेषाधिकारों की समाप्ति हुई तथा राष्ट्रीय एकता के विचारों का प्रचार-प्रसार हुआ

RBSE Class 10 Social Science Notes History Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

→ उदारवादी राष्ट्रवाद के मायने-यूरोप के नवीन मध्य वर्ग के लिए उदारवाद का अर्थ था - लोगों के लिए स्वतंत्रता और कानून के समक्ष सभी की समानता। फ्रांसीसी क्रान्ति के पश्चात् से ही उदारवादी वर्ग राजनीतिक क्षेत्र में संविधान, संसदीय लोकतंत्र, प्रतिनिधि सरकार का समर्थक था तथा आर्थिक क्षेत्र में बाजारों की मुक्ति, व्यापार पर राज्य के नियंत्रणों की समाप्ति के पक्ष में था।

→ 1815 के बाद एक नया रूढ़िवाद - 1815 में नेपोलियन की हार के बाद वियना सम्मेलन के प्रतिनिधियों ने 1815 की वियना-सन्धि तैयार की जिसका उद्देश्य उन समस्त परिवर्तनों को समाप्त करना था जो नेपोलियन के युद्धों के दौरान हए थे।इस सम्मेलन ने यूरोप में एक नई रूढ़िवादी व्यवस्था स्थापित कर दी, जिसमें पारम्परिक संस्थाओं-चर्च, सामाजिक भेदभाव, राजतंत्र और परिवार को बनाये रखा गया। वियना संधि के तहत बूबों राजवंश को शासन करने का पुनः अधिकार दे दिया गया। इस काल में रूढ़िवादी व्यवस्था के आलोचक उदारवादी राष्ट्रवादी लोग प्रेस की स्वतंत्रता चाहते थे।

→ ज्युसेपे मेत्सिनी - ज्युसेपे मेत्सिनी इटली का एक महान् क्रान्तिकारी था। उसने 'यंग इटली' तथा 'यंग यूरोप' नामक दो संस्थाओं की स्थापना की। उसने एकीकृत इटली के गणराज्य के लिए एक कार्यक्रम प्रस्तुत किया।

→ क्रान्तियों का युग : 1830-1848 

  • फ्रांस में जुलाई, 1830 में क्रान्ति का सूत्रपात हुआ, जिसके फलस्वरूप वहाँ एक संवैधानिक राजतन्त्र की स्थापना हुई। 1821 में यूनानियों ने स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष शुरू कर दिया और अन्त में 1832 में यूनान को एक स्वतन्त्र राष्ट्र की मान्यता प्राप्त हुई।
  • फरवरी, 1848 में फ्रांस में पुनः क्रान्ति का सूत्रपात हुआ और वहाँ गणतन्त्र की स्थापना हुई । जर्मन राज्यों में भी 1848 में क्रान्तियाँ हुईं। फ्रेंकफर्ट की संसद ने एक जर्मन राष्ट्र के लिए एक संविधान का प्रारूप तैयार किया। जब निर्वाचित प्रतिनिधियों ने प्रशा के सम्राट फ्रेडरीख विल्हेम चतुर्थ को ताज पहनाने का प्रस्ताव किया, तो उसने उसे अस्वीकार कर निर्वाचित सभा के विरोधियों का साथ दिया। इस प्रकार राष्ट्रवादियों तथा उदारवादियों को असफलता का मुँह देखना पड़ा।

→ जर्मनी का एकीकरण-मध्य वर्ग के जर्मन राष्ट्रवादी लोगों के प्रयासों से जर्मनी एकीकृत होकर राष्ट्र राज्य बना। जर्मनी के राष्ट्रवादियों ने प्रशा के नेतृत्व में जर्मनी के एकीकरण के लिए आन्दोलन शुरू किया। प्रशा के प्रधानमन्त्री ऑटो वॉन बिस्मार्क ने 'लौह और रक्त' की नीति अपनाई और सात वर्ष की अवधि में डेन्मार्क, आस्ट्रिया और फ्रांस को पराजित कर जर्मनी का एकीकरण पूरा किया। 18 जनवरी, 1871 को नए जर्मन साम्राज्य की घोषणा की गई तथा प्रशा के राजा विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्राट घोषित किया गया।

→ इटली का एकीकरण इटली अपने एकीकरण से पूर्व सात राज्यों में विभाजित था । इटली के क्रान्तिकारी नेता ज्युसेपे मेत्सिनी ने इटली के एकीकरण के लिए 1831 में 'यंग इटली' नामक एक गुप्त संगठन की स्थापना की। उसने इटलीवासियों में राष्ट्रीयता की भावनाओं का प्रसार किया। सार्जीनिया-पीडमांट के प्रधानमन्त्री कावूर ने फ्रांस की सहायता से 1859 में आस्ट्रिया को पराजित किया। गैरीबाल्डी भी इटली का एक महान क्रान्तिकारी नेता था। उसने अपने सशस्त्र स्वयंसेवकों को लेकर सिसली और नेपल्स पर आक्रमण किया और उन पर अधिकार कर लिया। 1861 में इमेनुएल द्वितीय को एकीकृत इटली का राजा घोषित किया गया।

→ ब्रिटेन-इंग्लैण्ड में 1688 ई. में एक क्रान्ति हुई जिसके फलस्वरूप इंग्लैण्ड की संसद ने राजतन्त्र की शक्ति छीन ली और इस संसद के माध्यम से एक राष्ट्र-राज्य का निर्माण हुआ जिसके केन्द्र में इंग्लैण्ड था। 1707 में इंग्लैण्ड और स्काटलैण्ड के बीच ‘एक्ट ऑफ यूनियन' से 'यूनाइटेड किंग्डम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन' का गठन हुआ। इसके बाद ब्रिटिश संसद में आंग्ल सदस्यों का प्रभुत्व स्थापित हुआ। 1801 में आयरलैण्ड को बलपूर्वक यूनाइटेड किंग्डम में सम्मिलित कर लिया गया। एक नवीन 'ब्रितानी राष्ट्र' का निर्माण किया गया जिस पर हावी आंग्ल-संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया गया।

→ राष्ट्र की दृश्य-कल्पना - 18वीं तथा 19वीं शताब्दी में कलाकारों ने एक देश को इस प्रकार चित्रित किया जैसे वह कोई व्यक्ति हो । उस समय राष्ट्रों को नारी भेष में प्रस्तुत किया जाता था। फ्रांस में मारीआन नामक महिला को राष्ट्र के रूपक के रूप में चित्रित किया गया । इसी प्रकार जर्मेनिया जर्मन राष्ट्र का रूपक बन गई। 

RBSE Class 10 Social Science Notes History Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

→ राष्ट्रवाद और साम्राज्यवाद-उन्नीसवीं शताब्दी की अन्तिम चौथाई तक राष्ट्रवाद सीमित लक्ष्यों वाला संकीर्ण सिद्धान्त बन गया। राष्ट्रवाद की प्रबलता के कारण बाल्कन क्षेत्र की अनेक जातियाँ तुर्की-साम्राज्य के चंगुल से स्वतन्त्र होने के लिए संघर्ष करने लगीं। अनेक यूरोपीय राष्ट्रीयताओं ने तुर्की-साम्राज्य के चंगुल से निकल कर स्वतन्त्रता की घोषणा कर दी।
दूसरी ओर बाल्कन-राज्य एक-दूसरे से घृणा करते थे। इसके अतिरिक्त बाल्कन क्षेत्र में बड़ी शक्तियों के बीच प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई। इसके फलस्वरूप बाल्कन क्षेत्र में कई युद्ध हुए और अन्ततः प्रथम विश्व युद्ध हुआ।

Prasanna
Last Updated on May 7, 2022, 4:33 p.m.
Published May 6, 2022