These comprehensive RBSE Class 10 Social Science Notes Civics Chapter 8 लोकतंत्र की चुनौतियाँ will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 10 Social Science Notes Civics Chapter 8 लोकतंत्र की चुनौतियाँ
→ लोकतंत्र का कोई प्रतिद्वन्द्वी नहीं - लोकतंत्र का कोई प्रतिद्वन्द्वी नहीं है लेकिन लोकतंत्र की सभी संभावनाओं का कहीं भी पूरा लाभ नहीं उठाया गया है।
→ लोकतंत्र की चुनौतियाँ अलग-अलग लोकतंत्र अलग-अलग चुनौतियों का सामना कर रहे हैं । साधारणतया लोकतंत्र तीन प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रहा है
- जहाँ लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं है, वहाँ लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थापना करने की चुनौती
- लोकतंत्र के विस्तार की चुनौती और
- लोकतंत्र को मजबूत करने की चुनौती।

→ लोकतांत्रिक या राजनीतिक सुधार
- लोकतांत्रिक सुधारों के मामले में कानून की एक महत्वपूर्ण भूमिका है। लेकिन विधिक-संवैधानिक परिवर्तनों से लोकतंत्र की चुनौतियों को हल नहीं किया जा सकता। इन्हें राजनीतिक दलों, आंदोलनों, कार्यक्रमों तथा देश के चेतन नागरिकों द्वारा लाया जाना चाहिए।
- लोकतंत्र में किसी भी वैधानिक परिवर्तन से पहले बहुत ध्यान से यह देख लेना चाहिए कि राजनीति पर इसके क्या प्रभाव पड़ेंगे। राजनीतिक कार्यकर्ता को अच्छे काम करने के लिए बढ़ावा देने वाले या लाभ पहुंचाने वाले काननों के सफल होने की संभावना अधिक होती है। सबसे बढ़िया कानून वे हैं जो लोगों को लोकतांत्रिक सुधार करने की ताकत देते हैं। जैसे - सूचना का अधिकार।।
- राजनैतिक दलों का राजनीतिक सुधारों पर जोर मुख्यतः लोकतांत्रिक कामकाज को ज्यादा मजबूत बनाने पर होना चाहिए।
- राजनीतिक सुधार में इन्हें लागू करने पर भी पूरा विचार किया जाना चाहिए। सुधारों को लागू करवाने में लोकतांत्रिक संगठन, नागरिक संगठन और मीडिया की भूमिका पर बल दिया जाना चाहिए।
- जब तक लोग जाति और धर्म के नाम पर समाज को बाँटने और भरमाने का काम बंद नहीं करेंगे तब तक कानून कुछ नहीं कर सकता। जब तक लोग और नेता धर्म और जाति की सीमाओं से ऊपर नहीं उठेंगे तब तक वास्तविक लोकतंत्र नहीं आयेगा।
→ लोकतंत्र की पुनर्परिभाषा-लोकतंत्र शासन का वह स्वरूप है जिसमें लोग अपने शासकों को खुद चुनते हों; ये निर्वाचित शासक ही सारे फैसले लेते हों; लोगों को चुनाव में प्रतिनिधियों को चुनने के पर्याप्त विकल्प मिलते हों तथा सरकार संविधान के मूलभूत नियमों और नागरिकों के अधिकारों को मानते हुए कार्य करती हो।