Rajasthan Board RBSE Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 5 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया Important Questions and Answers.
Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 10 Social Science in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 10. Students can also read RBSE Class 10 Social Science Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 10 Social Science Notes to understand and remember the concepts easily. The class 10 economics chapter 2 intext questions are curated with the aim of boosting confidence among students.
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
विश्व में सर्वप्रथम मुद्रण की तकनीक किस देश में विकसित हुई थी?
(अ) भारत
(ब) चीन
(स) जापान
(द) इटली
उत्तर:
(ब) चीन
प्रश्न 2.
जापान की सबसे पुरानी पुस्तक 'डायमंड सूत्र' छपी थी-
(अ) 1018 ई.
(ब) 908 ई.
(स) 968 ई.
(द) 868 ई.
उत्तर:
(द) 868 ई.
प्रश्न 3.
चीन से इटली में वुड ब्लॉक वाली छपाई की तकनीक लेकर आया था-
(अ) मार्टिन लूथर
(ब) कोलम्बस
(स) मार्कोपोलो
(द) वास्कोडिगामा
उत्तर:
(स) मार्कोपोलो
प्रश्न 4.
आधुनिक छापेखाने का आविष्कार किसने किया था?
(अ) योहान गुटेन्बर्ग
(ब) मार्कोपोलो
(स) इरैस्मस
(द) दिदरो
उत्तर:
(अ) योहान गुटेन्बर्ग
प्रश्न 5.
किसके छपे हुए लेखों के कारण यूरोप में धर्म सुधार आन्दोलन शुरू हुआ?
(अ) काल्विन
(ब) मार्टिन लूथर
(स) इरैस्मस
(द) ज्विंग्ली
उत्तर:
(ब) मार्टिन लूथर
प्रश्न 6.
1448 ई. में गुहेन्बर्ग ने कौनसी पहली पुस्तक छापी थी?
(अ) बाइबिल
(ब) कुरान
(स) डायमंड सूत्र
(द) त्रिपीटका कोरियाना
उत्तर:
(अ) बाइबिल
प्रश्न 7.
1821 से 'संवाद कौमुदी' का प्रकाशन किसने शुरु किया?
(अ) विवेकानन्द
(ब) राजा राममोहन राय
(स) ज्योतिबा फुले
(द) दादाभाई नौरोजी
उत्तर:
(ब) राजा राममोहन राय
प्रश्न 8.
जाम-ए-जहां नामा और शम्सुल अखबार नामक फारसी अखबार कब प्रकाशित हुए?
(अ) 1780
(ब) 1801
(स) 1846
(द) 1882
उत्तर:
(द) 1882
प्रश्न 9.
तुलसीदास कृत रामचरितमानस का पहला मुद्रित संस्करण कहाँ से प्रकाशित हुआ?
(अ) बनारस
(ब) इलाहाबाद
(स) हरिद्वार
(द) कलकत्ता
उत्तर:
(द) कलकत्ता
प्रश्न 10.
'गुलामगिरी' पुस्तक के लेखक कौन है?
(अ) बी.आर. अम्बेडकर
(ब) महात्मा गांधी
(स) ज्योतिवा फुले
(द) गोपाल कृष्ण गोखले
उत्तर:
(स) ज्योतिवा फुले
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
1. चर्म-पत्र या जानवरों के चमड़े से बनी लेखन की सतह ......... कहलाती है।
2. धर्म सुधारक ......... ने रोमन कैथोलिक चर्च की कुरीतियों की आलोचना करते हुए अपनी पिच्चानवें स्थापनाएं लिखीं।
3. रोमन चर्च ......... ई. से प्रतिबंधित किताबों की सूची रखने लगे।
4. भारत में प्रिंटिंग प्रेस सर्वप्रथम .......... में पुर्तगाली धर्म प्रचारकों के साथ आया।
5. ............ बंगाली भाषा में प्रकाशित पहली संपूर्ण आत्म-कहानी थी।
उत्तरमाला:
1. वेलम
2. मार्टिन लूथर
3. 1558.
4. गोवा
5. आसार जीवन।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कैलिग्राफी क्या है?
उत्तर:
हाथ से सुन्दर व सुडौल अक्षरों में लिखने की कला को कैलिग्राफी कहते हैं।
प्रश्न 2.
इटली का कौनसा यात्री चीन की यात्रा करने के बाद वहाँ से वुड ब्लॉक (काठ की तख्ती) वाली छपाई का ज्ञान लेकर चीन लौटा और कब?
उत्तर:
(1) मार्कोपोलो (2) 1295 ई. में।
प्रश्न 3.
आधुनिक प्रिंटिंग प्रेस का आविष्कार किसने किया?
उत्तर:
योहान गुटेन्बर्ग ने।
प्रश्न 4.
अपनी पुस्तकों और लेखों के प्रकाशन के कारण किस धर्म सुधारक ने प्रोटेस्टेन्ट धर्मसुधार आन्दोलन की शुरुआत की?
उत्तर:
मार्टिन लूथर।
प्रश्न 5.
"छापाखाना प्रगति का सबसे शक्तिशाली औजार है, इससे बन रहे जनमत की आँधी में निरंकुशवाद उड़ जाएगा।" यह कथन किसका था?
उत्तर:
लुई सेबेस्तिएँ मर्सिए।
प्रश्न 6.
फ्रांस के उन दो विचारकों और लेखकों के नाम लिखिए जिनके लेखों ने फ्रांसीसी क्रान्ति के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ उत्पन्न की?
उत्तर:
(1) वाल्तेयर (2) रूसो।
प्रश्न 7.
भारत में सबसे पहले प्रिंटिंग प्रेस कहाँ स्थापित हुआ और कब?
उत्तर:
प्रश्न 8.
'बंगाल गजट' नामक साप्ताहिक पत्रिका का प्रकाशन किसने किया और कब किया?
उत्तर:
प्रश्न 9.
मुद्रण क्रान्ति क्या थी?
उत्तर:
छापेखाने के आविष्कार से पुस्तकों का बड़े पैमाने पर उत्पादन एवं प्रसार होने लगा। इसे मुद्रण क्रान्ति कहा गया।
प्रश्न 10.
भारत का पहला हिन्दुस्तानी अखबार कौनसा था? इसका प्रकाशन किसने किया?
उत्तर:
भारत का पहला हिन्दुस्तानी अखबार 'बंगाल गजट' था। इसका प्रकाशन गंगाधर भट्टाचार्य ने किया।
प्रश्न 11.
मुद्रण की सबसे पहली तकनीक किन देशों में विकसित हुई?
उत्तर:
मुद्रण की सबसे पहली तकनीक चीन, जापान और कोरिया में विकसित हुई।
प्रश्न 12.
जापान की सबसे पुरानी पुस्तक कौनसी है? वह कब छपी थी?
उत्तर:
प्रश्न 13.
कितगावा उतामारो कौन था?
उत्तर:
कितगावा उतामारो जापान का एक प्रसिद्ध चित्रकार था। उसने उकियो नामक चित्रकला शैली के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
प्रश्न 14.
मार्कोपोलो कौन था?
उत्तर:
मार्कोपोलो इटली का एक महान खोजी यात्री था। वह चीन से इटली में वुड ब्लॉक वाली छपाई की तकनीक लेकर आया था।
प्रश्न 15.
मार्टिन लूथर कौन था?
उत्तर:
मार्टिन लूथर जर्मनी का धर्मसुधारक था। वह पोप तथा कैथोलिक चर्च का कट्टर विरोधी था।
प्रश्न 16.
प्रोटेस्टेन्ट धर्म सुधार से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सोलहवीं शताब्दी में यूरोप में रोमन कैथोलिक चर्च की बुराइयों को दूर करने के लिए एक आन्दोलन शुरू हुआ जिसे प्रोटेस्टेन्ट धर्म सुधार कहते हैं।
प्रश्न 17.
पश्चिमी यूरोप के दो देशों के नाम बताइए जहाँ उपन्यास ने पहले जड़ें जमाईं।
उत्तर:
प्रश्न 18.
उस देश का नाम लिखिए जो लम्बे समय तक मुद्रण सामग्री का प्रमुख उत्पादक रहा।
उत्तर:
चीन।
प्रश्न 19.
धारावाहिक शब्द की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
धारावाहिक एक ऐसी पद्धति है जिसमें कहानी को किस्तों में छापा, सुनाया या दिखाया जाता है।
प्रश्न 20.
उन्नीसवीं सदी की दो/तीन यूरोपियन महिला उपन्यास-लेखिकाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 21.
भारत में पहली तमिल पुस्तक तथा पहली मलयालम पुस्तक किसके द्वारा छापी गई और कब?
उत्तर:
कैथोलिक पादरियों ने 1579 में पहली तमिल पुस्तक तथा 1713 में पहली मलयालम पुस्तक छापी।
प्रश्न 22.
इंग्लैण्ड में सस्ती किताबों को किस नाम से जाना जाता था?
उत्तर:
इंग्लैण्ड में सस्ती किताबों को पेनी चैप बुक्स के नाम से जाना जाता था।
प्रश्न 23.
किन्हीं दो/तीन लेखिकाओं के नाम बताओ जिनके लेखों से नई नारी की परिभाषा उभरी।
उत्तर:
प्रश्न 24.
'संवाद कौमुदी' नामक समाचार-पत्र का प्रकाशन किसके द्वारा किया गया और कब किया गया?
उत्तर:
राजा राममोहन राय ने 1821 से 'संवाद कौमुदी' नामक समाचार-पत्र का प्रकाशन किया।
प्रश्न 25.
फारसी शब्द में छपने वाले दो अखबारों के नाम लिखिए। ये कब प्रकाशित हुए?
उत्तर:
ये अखबार 1882 में प्रकाशित हुए।
प्रश्न 26.
उलमा कौन थे?
उत्तर:
उलमा इस्लामी कानून और शरियत के विद्वान् थे।
प्रश्न 27.
'फतवा' से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
अनिश्चय अथवा असमंजस की स्थिति में मुफ्ती के द्वारा की जाने वाली वैधानिक घोषणा को इस्लाम में 'फतवा' कहा जाता है।
प्रश्न 28.
राजा रवि वर्मा कौन थे?
उत्तर:
राजा रवि वर्मा एक प्रसिद्ध चित्रकार थे। उन्होंने आम खपत के लिए चित्र बनाए।
प्रश्न 29.
महाराष्ट्र की ऐसी दो महिलाओं के नाम लिखिए जिन्होंने उच्च जाति की नारियों की दयनीय दशा के बारे में लिखा।
उत्तर:
प्रश्न 30.
निम्न-जातीय आन्दोलनों के मराठी प्रणेता कौन थे?
उत्तर:
निम्न जातीय आन्दोलनों के मराठी प्रणेता ज्योतिबा फुले थे।
प्रश्न 31.
'गुलामगिरी' के रचयिता कौन थे? इस पुस्तक की रचना कब हुई?
उत्तर:
प्रश्न 32.
पेरियर के नाम से कौन जाने जाते हैं?
उत्तर:
मद्रास के प्रसिद्ध लेखक ई.वी. रामास्वामी नायकर पेरियर के नाम से जाने जाते हैं।
प्रश्न 33.
बीसवीं सदी के दो प्रसिद्ध लेखकों के नाम लिखिए जिन्होंने जातिप्रथा तथा ऊँच-नीच के भेदभाव के विरुद्ध लेख लिखे।
उत्तर:
प्रश्न 34.
दो भारतीय लेखकों के नाम बताइए, जिन्होंने अंग्रेजी साहित्य के क्षेत्र में अपना योगदान दिया।
उत्तर:
प्रश्न 35.
वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट क्या था? यह कब लागू किया गया?
उत्तर:
1878 में लार्ड लिटन ने वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट लागू किया। इससे सरकार को भारतीय भाषाओं में छपने वाले समाचारपत्रों को सेंसर करने का अधिकार मिल गया।
प्रश्न 36.
प्लाटेन के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
लेटरप्रेस छपाई में प्लाटेन एक बोर्ड होता है जिसे कागज के पीछे दबाकर टाइप की छाप ली जाती थी। पहले यह बोर्ड काठ का होता था, बाद में इस्पात का बनने लगा।
प्रश्न 37.
कम्पोजीटर किसे कहते हैं?
उत्तर:
छपाई के लिए इबारत कम्पोज करने वाले व्यक्ति को कम्पोजीट कहते हैं।
प्रश्न 38.
गैली से क्या आशय है?
उत्तर:
एक धातुई फ्रेम, जिसमें टाइप बिछाकर इबारत बनाई जाती थी, गैली कहलाती थी।
प्रश्न 39.
इन्क्वीजीशन क्या है?
उत्तर:
विद्यर्मियों की शिनाख्त करने और उन्हें सजा देने वाली रोमन कैथोलिक संस्था 'इन्क्वीजीशन' है। इसे धर्म-अदालत भी कहते हैं।
प्रश्न 40.
इंग्लैंण्ड में सस्ती किताबों को क्या कहा जाता था।
उत्तर:
इंग्लैण्ड में सस्ती किताबों को पेनी चैकबुक्स या एकपैसिया किताबें कहा जाता था।
प्रश्न 41.
निरंकुशवाद से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
राजकाज की ऐसी व्यवस्था, जिसमें किसी एक व्यक्ति को संपूर्ण शक्ति प्राप्त हो, और उस पर न कानूनी पाबंदी लगी हो, न ही संवैधानिक, निरंकुशवाद कहलाती है।
प्रश्न 42.
गीत गोविंद के रचयिता का नाम बताइये।
उत्तर:
जयदेव।
लघूत्तरात्मक प्रश्न (Type-I)
प्रश्न 1.
चीनी राजतन्त्र मुद्रित सामग्री का सबसे बड़ा उत्पादक क्यों था?
उत्तर:
मुद्रित सामग्री का सबसे बड़ा उत्पादक चीनी राजतन्त्र था। सिविल सेवा परीक्षा से नियुक्त चीन के प्रशासनिक अधिकारियों की संख्या बहुत अधिक थी। इसलिए चीनी राजतन्त्र इन परीक्षाओं के लिए बहुत बड़ी संख्या में पुस्तकें छपवाता था। सोलहवीं सदी में परीक्षा देने वालों की संख्या बढ़ने से छपी हुई पुस्तकों की संख्या भी बढ़ गई।
प्रश्न 2.
वुड ब्लॉक प्रिन्ट या तख्ती की छपाई यूरोप में 1295 के बाद आई। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वुड ब्लॉक वाली छपाई चीन में होती थी। मार्कोपोलो नामक एक खोजी यात्री 1295 ई. में चीन से जब वापस इटली लौटा तो वह अपने साथ वुड ब्लॉक की छपाई की तकनीक साथ लाया। इस प्रकार 1295 के बाद यूरोप में छपाई की यह तकनीक अपनाई गई।
प्रश्न 3.
हस्तलिखित पांडुलिपियों की क्या कमियाँ थीं?
उत्तर:
प्रश्न 4.
कितागावा उतामारो पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
कितागावा उतामारो जापान का एक प्रसिद्ध चित्रकार था। उसका जन्म 1753 ई. में एदो में हुआ था। उतामारो ने उकियो (तैरती दुनिया के चित्र) नामक एक नवीन चित्रकला शैली के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इन चित्रों में आम शहरी जीवन का चित्रण किया गया था। इनकी छपी प्रतियाँ यूरोप और अमेरिका पहुँचीं।
प्रश्न 5.
1450-1550 की अवधि में यूरोप में छापेखानों की प्रगति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1450-1550 की अवधि में यूरोप के अधिकतर देशों में छापेखाने लग गए थे। जर्मनी के मुद्रक अन्य देशों में जाकर नये छापेखाने खुलवाया करते थे। छापेखानों की संख्या में वृद्धि से पुस्तक उत्पादन भी बढ़ा। पन्द्रहवीं सदी के उत्तरार्द्ध में यूरोप के बाजार में 2 करोड़ तथा 16वीं सदी में 20 करोड़ छपी हुई पुस्तकें आईं।
प्रश्न 6.
मुद्रण क्रान्ति से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
छापेखाने के आविष्कार के कारण बड़े पैमाने पर पुस्तकें छपने लगीं। छपाई से पुस्तकों की कीमतें गिरी। बाजारों में पुस्तकों की उपलब्धता बढ़ गई तथा पाठक वर्ग भी बढ़ गया। यही मुद्रण क्रान्ति कहलाती है। इससे लोक चेतना बदल गई तथा चीजों को देखने का दृष्टिकोण भी बदल गया।
प्रश्न 7.
मुद्रण संस्कृति ने किस प्रकार फ्रांसीसी क्रान्ति के लिए परिस्थितियाँ उत्पन्न की?
उत्तर:
मुद्रण संस्कृति ने निम्न प्रकार से फ्रांसीसी क्रान्ति के लिए परिस्थितियाँ उत्पन्न की-
प्रश्न 8.
मुद्रित पुस्तकों के बारे में लोगों के क्या डर थे?
उत्तर:
मुद्रित पुस्तकों के बारे में लोगों को निम्न डर थे-
प्रश्न 9.
उन्नीसवीं सदी में छापेखाने की तकनीक में हुए तीन सुधारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 10.
जातिभेद के विरुद्ध निम्न जातीय आन्दोलनों के प्रणेता ज्योतिबा फुले के योगदान की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 11.
लक्ष्मीनाथ बेजबरुबा के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
लक्ष्मीनाथ बेजबरुबा आधुनिक असमिया साहित्य के एक वरिष्ठ रचनाकार थे। उनका जन्म 1868 में तथा मृत्यु 1938 में हुई। बूढ़ी आइर साधु (दादी की कहानियाँ) उनकी उल्लेखनीय किताबों में से है। उन्होंने असम का लोकप्रिय गीत 'ओ मोर अपुनर देश' (ओ मेरी प्यारी भूमि) भी लिखा।
प्रश्न 12.
मुद्रण ने हिन्दू धर्म-सुधारकों और रूढ़िवादियों को किस प्रकार प्रभावित किया?
उत्तर:
उन्नीसवीं सदी में समाज और धर्म-सुधारकों तथा हिन्दू रूढ़िवादियों के बीच सतीप्रथा, एकेश्वरवाद, ब्राह्मण पुजारी वर्ग और मूर्तिपूजा को लेकर तीव्र वाद-विवाद हो रहा था। बंगाल में इस प्रकार के वाद-विवाद के कारण अनेक पुस्तिकाओं और समाचार-पत्रों का प्रकाशन हुआ। इनमें लोग विभिन्न प्रकार के तर्क प्रस्तुत करने लगे।
लघूत्तरात्मक प्रश्न (Type-II)
प्रश्न 1.
संसारभर में पुस्तकों की बढ़ती हुई माँग को पूरा करने के लिए अपनाए गए किन्हीं तीन उपायों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
संसारभर में पुस्तकों की बढ़ती हुई माँग को पूरा करने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए गए-
प्रश्न 2.
“सत्रहवीं सदी तक आते-आते चीन में शहरी संस्कृति के फलने-फूलने से छपाई के प्रयोग में विविधता आई।" स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सत्रहवीं सदी तक आते-आते चीन में शहरी संस्कृति के फलने-फूलने से छपाई के प्रयोग में निम्न विविधता आई-
प्रश्न 3.
भारत में मुद्रण युग से पहले की पांडुलिपियों पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
भारत में मुद्रण युग से पहले की पांडुलिपियाँ-भारत में संस्कृत, अरबी, फारसी और विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में हस्तलिखित पांडुलिपियों की एक समृद्ध परम्परा थी। पांडुलिपियाँ ताड़ के पत्तों या हाथ से बने कागज पर नकल कर बनाई जाती थीं। कभी-कभी तो पत्तों पर बेहतरीन तस्वीरें भी बनाई जाती थीं। इन्हें तख्तियों की जिल्द में या सिलकर बाँध दिया जाता था। लेकिन ये पांडुलिपियाँ नाजुक होती थीं; काफी महँगी होती थीं। इन्हें सावधानी से पकड़ना पड़ता था तथा इन्हें पढ़ना भी आसान नहीं था। इसलिए इनका व्यापक दैनिक इस्तेमाल नहीं होता था।
प्रश्न 4.
19वीं सदी के मध्य तक भारतीय परिवारों ने शिक्षा को बढ़ावा नहीं दिया। इन परिवारों की शंकाएँ क्या थी? उन परिवारों पर भी प्रकाश डालिए जिन्होंने नारी शिक्षा को बढ़ावा दिया।
उत्तर:
(अ) 19वीं सदी के मध्य तक भारतीय परिवारों ने शिक्षा को बढ़ावा नहीं दिया। रूढ़िवादी परिवारों की शंकाएँ ये थीं-
(ब) लेकिन उदारवादी परिवारों ने नारी शिक्षा को बढ़ावा दिया। ये परिवार अपने यहाँ औरतों को घर पर पढ़ाने लगे और 19वीं सदी के मध्य में जब स्कूल बने तो उन्हें स्कूल भेजने लगे। कई पत्रिकाओं ने लेखिकाओं को जगह दी और उन्होंने नारी शिक्षा के प्रसार पर बल दिया।
प्रश्न 5.
भारतीय उपन्यासकारों ने भारतीय एवं विदेशी जीवनशैली में किस प्रकार तालमेल स्थापित करने का प्रयास किया? स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्रश्न 6.
19वीं शताब्दी के भारत में मुद्रण संस्कृति का महिलाओं के जीवन पर प्रभाव बताइए।
उत्तर:
19वीं सदी में भारत में मुद्रण संस्कृति ने महिलाओं के जीवन को निम्न प्रकार से प्रभावित किया-
प्रश्न 7.
उन्नीसवीं शताब्दी में यूरोप में मुद्रण तकनीक में हुए विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 8.
उन्नीसवीं शताब्दी के यूरोप में बच्चों, महिलाओं और मजदूरों के रूप में नये पाठक वर्ग का किस प्रकार से विकास हुआ?
उत्तर:
(1) उन्नीसवीं शताब्दी के यूरोप में प्राथमिक शिक्षा अनिवार्य होने के परिणामस्वरूप बच्चों के रूप में नये पाठक-वर्ग का उदय हुआ। मुद्रकों ने बच्चों के लिए पाठ्यपुस्तकों का प्रकाशन शुरू किया।
(2) उन्नीसवीं सदी में पेनी मैगजीन्स या एक-पैसिया पत्रिकाएँ महिलाओं के लिए प्रकाशित की गईं। ये पत्रिकाएँ विशेष रूप से महिलाओं के लिए होती थीं। 19वीं सदी में जब उपन्यास-साहित्य का प्रकाशन होने लगा तो महिलाएँ उनकी महत्त्वपूर्ण पाठिकाएँ मानी गईं।
(3) 19वीं सदी में इंग्लैण्ड में किराये पर पुस्तकें देने वाले पुस्तकालय स्थापित किये गये, जिनका उपयोग सफेद-कालर मजदूरों, दस्तकारों एवं निम्नवर्गीय लोगों को शिक्षित करने के लिए किया गया।
प्रश्न 9.
छापेखाने ने यूरोप में धर्मसुधार आन्दोलन को किस प्रकार प्रोत्साहित किया?
उत्तर:
जर्मनी के धर्मसुधारक मार्टिन लूथर ने रोम कैथोलिक चर्च की कुरीतियों की आलोचना करते हुए अपने 95 निबन्ध लिखे। इसकी एक छपी प्रति विटनबर्ग के गिरजाघर के द्वार पर लगा दी गई। इसमें मार्टिन लूथर ने चर्च को शास्त्रार्थ करने की चुनौती दी। मार्टिन लूथर के लेख बड़ी संख्या में छापे गए और लोगों द्वारा पढ़े जाने लगे। इसके फलस्वरूप चर्च में विभाजन हो गया और प्रोटेस्टेन्ट धर्मसुधार की शुरुआत हुई। कुछ ही समय में न्यू टेस्टामेन्ट के लूथर के अनुवाद की 5000 प्रतियाँ बिक गईं और तीन महीने के अन्दर दूसरा संस्करण निकालना पड़ा। मार्टिन लूथर ने कहा. "मुद्रण ईश्वर की दी हुई महानतम देन है, सबसे बड़ा उपहार।" कुछ इतिहासकारों के अनुसार छपाई ने नया बौद्धिक वातावरण बनाया और इससे धर्म सुधार आन्दोलन के नये-नये विचारों के प्रसार में सहायता मिली।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
19वीं सदी के अन्त में मुद्रण संस्कृति ने महिलाओं को किस प्रकार प्रभावित किया?
उत्तर:
19वीं सदी के अन्त में मुद्रण संस्कृति ने महिलाओं को निम्न प्रकार प्रभावित किया-
प्रश्न 2.
"छापेखाने के आगमन से पढ़ने की एक नई संस्कृति विकसित हुई।" विवेचना कीजिए।
उत्तर:
छापेखाने के आगमन से पढ़ने की नई संस्कृति का विकास–छापेखाने के आगमन से एक नये पाठक वर्ग का उदय हुआ। छापेखाने के आविष्कार के कारण बड़े पैमाने पर पुस्तकों का छापना सम्भव हो गया। अतः अव पाठकों की संख्या में भी वृद्धि हुई।
मौखिक संस्कृति से मुद्रित संस्कृति की ओर-पुस्तकों के आसानी से उपलब्ध होने से पढ़ने की एक नई संस्कृति विकसित हुई। अब तक सामान्य लोग मौखिक संसार में जीते थे। वे धार्मिक पुस्तकों का वाचन सुनते थे। 'गाथा-गीत' उन्हें पढ़कर सुनाए जाते थे और किस्से भी उनके लिए बोलकर पढ़े जाते थे। इस प्रकार ज्ञान का मौखिक लेन-देन ही होता था। अब पुस्तकें समाज के अधिकाधिक लोगों तक पहुँच सकती थीं। पहले की जनता श्रोता थी, परन्तु अब पाठक-जनता अस्तित्व में आ गई थी।
मुद्रित संस्कृति-पुस्तकें केवल साक्षर ही पढ़ सकते थे और यूरोप के अधिकांश देशों में बीसवीं सदी तक साक्षरता की दर सीमित थी। अतः प्रकाशकों के सम्मुख यह समस्या थी कि लोगों में छपी पुस्तकों के प्रति रुचि कैसे जगाएँ? अतः मुद्रकों ने लोकगीत और लोककथाएँ छापनी शुरू कर दीं। ऐसी पुस्तकें चित्रों से सुसज्जित होती थीं। फिर इन्हें सामूहिक ग्रामीण सभाओं में या शहरी शराबघरों में गाया-सुनाया जाता था।
इस प्रकार मौखिक संस्कृति मुद्रित संस्कृति में प्रविष्ट हुई और छपी सामग्री मौखिक रूप में प्रसारित हुई। मौखिक और मुद्रित संस्कृतियों के बीच की विभाजक रेखा क्षीण पड़ गई।
प्रश्न 3.
गरीब पाठकों को पुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए क्या-क्या प्रयास किये गये? संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
गरीब पाठकों को पुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए अग्रलिखित प्रयास किये गये-
प्रश्न 4.
"यूरोपीय देशों में साक्षरता और स्कूलों के प्रसार के साथ लोगों में पढ़ने का जुनून पैदा हो गया।" विवेचना कीजिए।
उत्तर:
यूरोपीय लोगों में पढ़ने का जुनून-यूरोपीय लोगों में पढ़ने का जुनून पैदा होने के निम्न कारण थे-
(1) साक्षरता और स्कूलों का प्रसार-सत्रहवीं तथा अठारहवीं सदी में यूरोप के अधिकांश देशों में साक्षरता तथा स्कूलों का प्रसार हुआ। इससे लोगों में पढ़ने का जुनून उत्पन्न हो गया। अतः लोगों को पुस्तक उपलब्ध कराने के लिए मुद्रक अधिकाधिक संख्या में पुस्तक छापने लगे।
(2) विभिन्न प्रकार के साहित्य का प्रकाशन नये पाठकों की रुचि का ध्यान रखते हुए विभिन्न प्रकार का साहित्य छपने लगा। पुस्तक-विक्रेताओं ने गांव-गांव जाकर छोटी-छोटी पुस्तकें बेचने वाले फेरी वालों को नियुक्त किया। ये पुस्तकें मुख्यत: पंचांग, लोक-गाथाओं और लोकगीतों की हुआ करती थीं।
(3) मनोरंजन-प्रधान पुस्तकों की छपाई-कुछ समय बाद मनोरंजन-प्रधान पुस्तकें भी छापी जाने लगीं। ये पुस्तकें काफी सस्ती थीं तथा गरीब लोग भी इन्हें खरीदकर पढ़ सकते थे।
(4) प्रेम कहानियाँ तथा गाथाएँ-मनोरंजन-प्रधान पुस्तकों के अतिरिक्त चार-पाँच पृष्ठों की प्रेम-कहानियाँ भी छापी जाती थीं। कुछ अतीत की गाथाएँ होती थीं, जिन्हें 'इतिहास' कहते थे।
(5) पत्रिकाओं का प्रकाशन-अठारहवीं शताब्दी के आरम्भ से पत्रिकाओं का प्रकाशन शुरू हुआ। इनमें समकालीन घटनाओं का वर्णन होता था तथा ये मनोरंजन की सामग्री भी प्रस्तुत करती थीं। समाचार-पत्रों तथा पत्रिकाओं में युद्ध और व्यापार से सम्बन्धित जानकारी के अतिरिक्त दूर देशों के समाचार होते थे।
(6) विज्ञान तथा दर्शन सम्बन्धी पुस्तकों का प्रकाशन-विज्ञान तथा दर्शन सम्बन्धी पुस्तकों का प्रकाशन भी होने लगा। इन सबके प्रभावस्वरूप लोगों में पढ़ने का जुनून पैदा हो गया।
प्रश्न 5.
"मुद्रण संस्कृति ने 1789 की फ्रांसीसी क्रान्ति की पृष्ठभूमि तैयार की।" इस कथन के पक्ष में कोई तीन बिन्दु लिखिए।
अथवा
कुछ इतिहासकार ऐसा क्यों मानते हैं कि मुद्रण संस्कृति ने फ्रांसीसी क्रान्ति के लिए जमीन तैयार की? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मुद्रण संस्कृति द्वारा फ्रांसीसी क्रान्ति के लिए जमीन तैयार करना-कुछ इतिहासकारों का मानना है कि मुद्रण संस्कृति ने फ्रांसीसी क्रान्ति के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ उत्पन्न की। इसके पक्ष में निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत किये जाते हैं-
(1) चिन्तकों के विचारों का प्रसार-मुद्रण संस्कृति के कारण फ्रांसीसी जनता में फ्रांस के चिन्तकों के विचारों का प्रसार हुआ। उन्होंने अपनी रचनाओं में परम्पराओं, अन्धविश्वासों तथा निरंकुशवाद की कटु आलोचना की। उन्होंने रूढ़िवादी रीति-रिवाजों के अनुकरण की बजाय विवेकपूर्ण शासन पर तथा हर बात को तर्क और विवेक की कसौटी पर कसने पर बल दिया। उन्होंने चर्च की धार्मिक सत्ता और राज्य की निरंकुश सत्ता पर प्रहार किया और परम्परा पर आधारित सामाजिक व्यवस्था को कमजोर कर दिया। वाल्तेयर और रूसो के लेखनों से प्रभावित होकर पाठक एक नवीन, आलोचनात्मक और तार्किक दृष्टिकोण से संसार को देखने लगे थे। अब पाठक लोग हर बात पर प्रश्न उठाने लगे।
(2) वाद-विवाद-संवाद की नवीन संस्कृति का प्रसार–छपाई ने वाद-विवाद-संवाद की नयी संस्कृति को जन्म दिया। अब समस्त प्राचीन मूल्यों, सभ्यताओं और नियमों पर आम जनता के बीच वाद-विवाद होने लगे और उनका पुनर्मूल्यांकन किया जाने लगा। इसके परिणामस्वरूप सामाजिक क्रान्ति के विचारों को बढ़ावा मिला।
(3) राजशाही और उसकी नैतिकता पर व्यंग्य करने वाले साहित्य का प्रकाशन-1780 के दशक तक राजशाही और उसकी नैतिकता का उपहास करने वाले विपुल साहित्य का प्रकाशन हो चुका था। इस साहित्य ने सामाजिक व्यवस्था की त्रुटियों और बुराइयों पर प्रश्न उठाए। ऐसे साहित्य ने लोगों को राजतन्त्र के विरुद्ध विद्रोह करने के लिए उत्तेजित किया।
प्रश्न 6.
भारत में 19वीं शताब्दी के मुद्रण ने न केवल विभिन्न समुदायों के विरोधाभासी विचारों के प्रकाशन को प्रेरित किया, अपितु उन्हें आपस में जोड़ा भी। इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
भारत में 19वीं सदी में मुद्रण ने न केवल विभिन्न समुदायों के विरोधाभासी विचारों के प्रकाशन को प्रेरित किया, अपितु उन्हें आपस में जोड़ा भी। यथा-
प्रश्न 7.
"उन्नीसवीं सदी में साक्षरता के प्रसार से यूरोप में बच्चों, महिलाओं और मजदूरों के रूप में बड़ी मात्रा में नया पाठक वर्ग तैयार हुआ।" विवेचना कीजिए।
उत्तर:
उन्नीसवीं सदी में यूरोप में साक्षरता के प्रसार से बच्चों, महिलाओं और मजदूरों के रूप में बड़ी मात्रा में नये पाठक-वर्ग का उदय हुआ।
(1) बच्चों के रूप में नये पाठक-वर्ग का उदय उन्नीसवीं सदी के अन्त में प्राथमिक शिक्षा अनिवार्य होने के परिणामस्वरूप बच्चों के रूप में नये पाठक-वर्ग का उदय हुआ। मुद्रकों के लिए पाठ्य-पुस्तकों का उत्पादन महत्वपूर्ण हो गया। फ्रांस में 1857 में एक प्रेस या मुद्रणालय स्थापित किया गया, जिसमें पुरानी और नई, दोनों प्रकार की परी-कथाओं और लोक-कथाओं का प्रकाशन किया गया। जर्मनी के ग्रिम बन्धुओं ने वर्षों के परिश्रम से किसानों से लोक-कथाएँ इकट्ठी की और उन्हें 1812 के एक संकलन में छापा गया।
(2) महिलाओं के रूप में नये पाठक-वर्ग का उदय साक्षरता के प्रसार से महिलाओं के रूप में भी नये पाठक-वर्ग का उदय हुआ। पेनी मैगजीन्स या एक- पैसिया पत्रिकाएँ विशेष रूप से महिलाओं के लिए होती थीं। ये महिलाओं को सही चाल-चलन और गृहस्थी सिखाने वाली निर्देशिकाओं के समान थीं। उन्नीसवीं सदी में जब उपन्यास-साहित्य का प्रकाशन होने लगा, तो महिलाएँ उनकी महत्वपूर्ण पाठिकाएँ मानी गईं। प्रसिद्ध उपन्यासकारों में लेखिकाएँ अग्रणी थीं।
(3) मजदूरों के रूप में नये पाठक-वर्ग का उदय सत्रहवीं सदी से ही किराए पर पुस्तकें देने वाले पुस्तकालय स्थापित हो गए थे। उन्नीसवीं शताब्दी में इंग्लैण्ड में ऐसे पुस्तकालयों का उपयोग सफेद-कॉलर मजदूरों, दस्तकारों एवं निम्नवर्गीय लोगों को शिक्षित करने के लिए किया गया।
प्रश्न 8.
मुद्रण युग से पहले भारत में सूचना और विचार कैसे लिखे जाते थे? भारत में प्रिंटिंग प्रेस का चलन किस प्रकार प्रारम्भ हुआ?
अथवा
मुद्रण-युग से पहले भारत में पांडुलिपियों की परम्परा का वर्णन कीजिए एवं उनकी त्रुटियों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
मुद्रण युग से पहले भारत की पांडुलिपियाँ-भारत में संस्कृत, अरबी, फारसी और अनेक क्षेत्रीय भाषाओं में हस्तलिखित पांडुलिपियों की पुरानी परम्परा थी। इस प्रकार भारत में सूचना और विचार हाथ से लिखे जाते थे। पाण्डुलिपियाँ ताड़ के पत्तों या हाथ से बने कागज पर नकल कर बनाई जाती थीं। कभी-कभी पन्नों पर श्रेष्ठ चित्र भी बनाए जाते थे। फिर उन्हें लम्बे समय तक सुरक्षित रखने के लिए तख्तियों की जिल्द में या सिलकर बांध दिया जाता था।
पांडुलिपियों की त्रुटियाँ- पांडुलिपियों की प्रमुख त्रुटियाँ निम्नलिखित थीं-
भारत में मुद्रण तकनीक का आगमन- भारत में प्रिंटिंग प्रेस सर्वप्रथम सोलहवीं सदी में गोवा में पुर्तगाली धर्मप्रचारकों के साथ आया। 1674 ई. तक कोंकणी और कन्नड़ भाषाओं में लगभग 50 पुस्तकें छप चुकी थीं। कैथोलिक पादरियों ने 1579 ई. में कोचीन में पहली तमिल पुस्तक छापी। 1713 ई. में उन्होंने पहली मलयालम पुस्तक छापी। डच प्रोटेस्टेन्ट धर्म प्रचारकों ने 32 तमिल पुस्तकें छापी।
अंग्रेज-भाषी प्रेस- अंग्रेजी ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने सत्रहवीं शताब्दी के अन्त तक छापेखाने का आयात शुरू कर दिया था। जेम्स आगस्टस हिक्की ने 1780 से बंगाल गजट नामक एक साप्ताहिक पत्रिका का सम्पादन करना शुरू किया। अठारहवीं सदी के अन्त तक अनेक पत्र-पत्रिकाएँ छपने लगीं। कुछ भारतीय भी अपने समाचार-पत्र छापने लगे। गंगाधर भट्टाचार्य ने 'बंगाल गजट' का प्रकाशन शुरू किया।
प्रश्न 9.
मुद्रण के परिणामस्वरूप भारत में किन साहित्यिक विधाओं का प्रकाशन होने लगा?
उत्तर:
मुद्रण के परिणामस्वरूप भारत में नवीन साहित्यिक विधाओं का प्रकाशन-
(1) उपन्यास, गीत, कहानियाँ, निबन्ध- छापेखाने के परिणामस्वरूप उपन्यास, कहानियाँ, गीत, सामाजिक. राजनीतिक विषयों पर लेख आदि विभिन्न साहित्यिक विधाओं का प्रकाशन होने लगा। अलग-अलग रुचियों के कारण ये सब विधाएँ पाठकों की दुनिया का हिस्सा बन गए।
(2) एक नये प्रकार की दृश्य-संस्कृति का प्रादुर्भाव- उन्नीसवीं सदी के अन्त तक भारत में एक नये प्रकार की दृश्य-संस्कृति का प्रादुर्भाव हुआ। जब छापेखानों की संख्या बढ़ने लगी, तो छवियों की कई नकलें या प्रतियाँ बड़ी सरलता से बनाई जाने लगीं। प्रसिद्ध चित्रकार राजा रवि वर्मा ने सामान्य लोगों के लिए चित्र बनाए। काठ की तख्ती पर चित्र उकेरने वाले निर्धन चित्रकारों ने लैटरप्रेस छापेखानों के निकट अपनी दुकानें खोली और वे मुद्रकों से काम पाने लगे। बाजार में आसानी से उपलब्ध सस्ते चित्र तथा कैलेण्डरं खरीदकर निर्धन लोग भी अपने घरों एवं कार्यालयों को सुसजित करते थे। इन छपे चित्रों ने धीरे-धीरे आधुनिकता और परम्परा, धर्म और राजनीति तथा समाज और संस्कृति को नवीन रूप प्रदान किया।
(3) कैरिकेंचर तथा कार्टून- 1870 के दशक तक पत्र-पत्रिकाओं में विभिन्न प्रकार के कैरिकेचर तथा कार्टून छपने लगे थे। कुछ कैरिकेचरों तथा कार्टूनों में शिक्षित भारतीयों के पश्चिमी वेशभूषा तथा पश्चिमी अभिरुचियों का मजाक उड़ाया जाता था।
प्रश्न 10.
अंग्रेजी सरकार द्वारा उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में भारतीय प्रेस पर लगाए गए प्रतिबन्धों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अंग्रेजी सरकार द्वारा उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में भारतीय प्रेस पर लगाए गए प्रतिबन्धों का वर्णन निम्न प्रकार है-
(1) भारतीय प्रेस की स्वतन्त्रता पर प्रतिबन्ध- राष्ट्रीयता की भावना से प्रेरित होकर अनेक भारतीय समाचारपत्रों ने ब्रिटिश सरकार के अन्यायपूर्ण कार्यों का पर्दाफाश करना शुरू कर दिया। इससे ब्रिटिश सरकार बौखला गई और उसने भारतीय प्रेस का गला घोंटने वाले अनेक कानून बनाए। कोलकाता सर्वोच्च न्यायालय ने 1820 के दशक तक भारतीय प्रेस की स्वतन्त्रता को नियन्त्रित करने वाले कुछ कानून पास किए।
(2) वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट लागू करना- 1878 में लार्ड लिटन ने वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट पारित किया जिसके अनुसार भारतीय भाषाओं के समाचार-पत्रों पर कड़े प्रतिबन्ध लगा दिए गए। अब सरकार को भारतीय भाषाओं के समाचार-पत्रों में छपी हुई रिपोर्ट तथा सम्पादकीय को सेंसर करने का अधिकार प्राप्त हो गया। इससे भारत के राष्ट्रवादियों में तीव्र आक्रोश उत्पन्न हुआ।
(3) राष्ट्रवादी आलोचना को चुप करने का प्रयास-ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीति के बावजूद भारतीय समाचार-पत्रों ने सरकार की अत्याचारपूर्ण नीति की आलोचना करना जारी रखा तो सरकार ने समाचार-पत्रों पर कठोर प्रतिबन्ध लगाए तथा दमनचक्र चलाया। पंजाब के क्रान्तिकारियों को 1907 में कालापानी भेजा गया, तो बालगंगाधर तिलक को 1908 में गिरफ्तार कर 6 वर्ष का कठोर कारावास का दण्ड देकर बर्मा में माँडले जेल में भेज दिया गया। इसके परिणामस्वरूप देशभर में विरोध प्रकट किया गया।
प्रश्न 11.
मुद्रण क्रान्ति से आप क्या समझते हैं? इसके प्रभाव को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मुद्रण क्रान्ति से आशय छापेखाने के आविष्कार के कारण बड़े पैमाने पर पुस्तकें छपने लगीं। छपाई से पुस्तकों की कीमतें गिरी। बाजारों में पुस्तकों की उपलब्धता बढ़ गई तथा पाठक वर्ग भी बढ़ा। यही मुद्रण क्रान्ति कहलाती है।
मुद्रण क्रान्ति के प्रभाव-मुद्रण क्रान्ति के निम्नलिखित प्रमुख प्रभाव पड़े-
(1) मुद्रण क्रान्ति ने लोगों का जीवन परिवर्तित कर दिया। इसके परिणामस्वरूप सूचना और ज्ञान से, संस्था और सत्ता से उनका सम्बन्ध ही बदल गया।
(2) मुद्रण क्रान्ति से लोक चेतना बदल गई तथा चीजों को देखने का लोगों का दृष्टिकोण भी बदल गया।
(3) मुद्रण क्रान्ति के कारण ज्ञानोदय के चिन्तकों के विचारों का बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार हुआ। इसने वाद-विवाद की एक नई संस्कृति को जन्म दिया जिसने राजशाही तथा धर्मांधता की आलोचना की। इसके परिणामस्वरूप चर्च में विभाजन हो गया और प्रोटेस्टेंट धर्म सुधार की शुरुआत हुई। वैज्ञानिक और दाशनिकों के विज्ञान, तर्क और विवेकवाद के विचार लोकप्रिय साहित्य में स्थान पाने लगे।
(4) मुद्रण संस्कृति ने फ्रांसीसी क्रान्ति के लिए भी अनुकूल परिस्थितियाँ रची।