Rajasthan Board RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास Important Questions and Answers.
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वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौनसा जैव संसाधन है-
(अ) चट्टानें
(ब) धातुएँ
(स) खेल के मैदान
(द) पशुधन
उत्तर:
(द) पशुधन
प्रश्न 2.
नवीकरण योग्य संसाधन हैं-
(अ) पवन ऊर्जा
(ब) वन
(स) जल
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 3.
गुजरात व राजस्थान में भूमि निम्नीकरण का मुख्य कारण है-
(अ) अति पशुचारण
(ब) वनोन्मूलन
(स) अत्यधिक सिंचाई
(द) खनन
उत्तर:
(अ) अति पशुचारण
प्रश्न 4.
निम्न में से किस राज्य में लाल और पीली मृदा पाई जाती है-
(अ) राजस्थान
(ब) गुजरात
(स) मध्यप्रदेश
(द) उड़ीसा
उत्तर:
(द) उड़ीसा
प्रश्न 5.
भारत का सम्पूर्ण उत्तरी मैदान जिस प्रकार की मदा से बना है, वह है-
(अ) काली मृदा
(ब) लाल और पीली मृदा
(स) जलोढ़ मृदा
(द) लेटराइट मृदा
उत्तर:
(स) जलोढ़ मृदा
प्रश्न 6.
संसाधनों के अंधाधुंध शोषण का परिणाम है-
(अ) भूमंडलीय तापन
(ब) भूमि निम्नीकरण
(स) ओजोन परत अवक्षय
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 7.
रियो डी जेनेरो पृथ्वी सम्मेलन कब हुआ?
(अ) जून, 1986 में
(ब) जून, 1992 में
(स) मई, 1996 में
(द) जनवरी, 2002 में
उत्तर:
(ब) जून, 1992 में
प्रश्न 8.
'स्माल इज ब्यूटीफुल' पुस्तक के रचयिता हैं-
(अ) शुमेसर
(ब) ब्रुन्डटलैंड
(स) मोरारजी देसाई
(द) महात्मा गाँधी
उत्तर:
(अ) शुमेसर
प्रश्न 9.
झारखण्ड में भूमि निम्नीकरण का प्रमुख कारण क्या है?
(अ) अति पशुचारण
(ब) खनन
(स) अधिक सिंचाई
(द) गहन खेती
उत्तर:
(ब) खनन
प्रश्न 10.
अधिकतर गहरी तथा अम्लीय (pH < 6.0) किस मृदा का गुण है?
(अ) काली मृदा
(ब) जलोढ़ मृदा
(स) मरुस्थली मृदा
(द) लेटराइट मृदा
उत्तर:
(द) लेटराइट मृदा
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
1. संसाधन ........ क्रियाओं का परिणाम है।
2. संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए .......... एक सर्वमान्य रणनीति है।
3. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यवस्थित तरीके से संसाधन संरक्षण की वकालत 1968 में ........ ने की।
4. ......... में पहाड़ी चट्टानें, सूखी और मरुस्थलीय भूमि शामिल हैं।
5. काली मृदाओं को ........ मृदाएँ भी कहा जाता है।
उत्तरमाला:
1. मानवीय
2. नियोजन
3. क्लब ऑफ रोम
4. बंजर भूमि
5. रेगर।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
उत्पत्ति के आधार पर संसाधनों के दो प्रकार कौन से हैं? प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
(i) जैविक : मनुष्य।
(ii) अजैविक : धातुएँ।
प्रश्न 2.
बांगर और खादर में दो अन्तर बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 3.
'एजेण्डा-21' क्या है?
उत्तर:
यह संयुक्त राष्ट्र की एक घोषणा है जिसका उद्देश्य भूमण्डलीय सतत् पोषणीय विकास हासिल करना है।
प्रश्न 4.
संसाधनों का संरक्षण करना हमारे लिए क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
संसाधनों का संरक्षण निम्न कारणों से आवश्यक है-
प्रश्न 5.
संसाधन विकास का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संसाधन विकास से तात्पर्य उस प्रयत्न से है जिसके अन्तर्गत संसाधन का मानवीय संतुष्टि में उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 6.
समाप्यता के आधार पर संसाधन का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 7.
प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय पृथ्वी सम्मेलन किस शहर में आयोजित किया गया?
उत्तर:
ब्राजील के शहर रियो-डि-जेनेरो में।
प्रश्न 8.
भू-उपयोग को निर्धारित करने वाले भौतिक तत्त्वों के नाम बताइये।
उत्तर:
भू-आकृति, जलवायु और मदा के प्रकार।
प्रश्न 9.
भारत में राष्ट्रीय वन नीति (1952) के अनुसार वनों के अन्तर्गत कितने प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र वांछित है?
उत्तर:
33 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र।
प्रश्न 10.
बंजर भूमि में कौन-कौनसे स्थलीय भाग शामिल हैं?
उत्तर:
पहाड़ी चट्टानें, सूखी और मरुस्थलीय भूमि।
प्रश्न 11.
वर्तमान में भारत की कितने हैक्टेयर भूमि निम्नीकृत है?
उत्तर:
लगभग 13 करोड़ हैक्टेयर भूमि।
प्रश्न 12.
कपास की खेती के लिए उपयुक्त मानी जाने वाली मृदा का नाम बताइये।
उत्तर:
काली मृदा।
प्रश्न 13.
संसाधन से क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
पर्यावरण में उपलब्ध प्रत्येक वस्तु जो कि मनुष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने में प्रयुक्त की जा सकती है, संसाधन कहलाती है।
प्रश्न 14.
नवीकरण योग्य संसाधन क्या होते हैं?
उत्तर:
वे संसाधन जिनको नवीकृत या पुनः उत्पन्न किया जा सकता है, नवीकरण योग्य संसाधन कहे जाते हैं।
प्रश्न 15.
संभावी संसाधन क्या होते हैं?
उत्तर:
वे संसाधन जो किसी प्रदेश में विद्यमान होते हैं लेकिन इनका अभी तक उपयोग नहीं किया गया है, संभावी संसाधन कहलाते हैं।
प्रश्न 16.
सतत पोषणीय आर्थिक विकास का अर्थ स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
विकास पर्यावरण को बिना नुकसान पहुँचाए हो और वर्तमान विकास की प्रक्रिया भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकता की अवहेलना न करे।
प्रश्न 17.
भारत के उन राज्यों के नाम बताइये जिनमें खनिजों और कोयले के प्रचुर भंडार उपलब्ध हैं।
उत्तर:
झारखण्ड, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़।
प्रश्न 18.
भारत का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल कितना है?
उत्तर:
भारत का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 32.8 लाख वर्ग किलोमीटर है।
प्रश्न 19.
भारत के उन राज्यों के नाम बताइये जिनमें 10 प्रतिशत से भी कम क्षेत्र पर फसलें उगाई जाती हैं।
उत्तर:
भारत में अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर तथा अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह में 10 प्रतिशत से भी कम क्षेत्र पर फसलें उगाई जाती हैं।
प्रश्न 20.
भू-संसाधनों का निम्नीकरण किस कारण हो रहा है?
उत्तर:
लम्बे समय तक लगातार भूमि संरक्षण और प्रबंधन की अवहेलना करने एवं लगातार भू-उपयोग के कारण भू-संसाधनों का निम्नीकरण हो रहा है।
प्रश्न 21.
मृदा अपरदन के दो कारण लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 22.
मृदा अपरदन को नियंत्रित करने वाली किन्हीं दो विधियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 23.
मृदा के निर्माण में जलवायु सबसे महत्त्वपूर्ण कारक किस प्रकार है? दो कारण बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 24.
मृदा निर्माण की प्रक्रिया में सहायक कारकों के नाम बताइये।
उत्तर:
मृदा निर्माण की प्रक्रिया में उच्चावच, जनक शैल, जलवायु, वनस्पति और अन्य जैव पदार्थ और समय मुख्य कारक हैं।
प्रश्न 25.
जलोढ़ मृदा वाले क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व अधिक क्यों पाया जाता है?
उत्तर:
जलोढ़ मृदा वाले क्षेत्रों में गहन कृषि के कारण यहाँ जनसंख्या घनत्व अधिक पाया जाता है।
प्रश्न 26.
काली मृदा की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 27.
लेटराइट मृदा किन क्षेत्रों में विकसित होती है?
उत्तर:
लेटराइट मृदा उच्च तापमान और अत्यधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में विकसित होती है।
प्रश्न 28.
लेटराइट मृदा में ह्यूमस की मात्रा कहाँ कम पाई जाती है?
उत्तर:
विरल वनस्पति और अर्ध शुष्क पर्यावरण वाले क्षेत्रों में लेटराइट मृदा में ह्यमस की मात्रा कम पाई जाती है।
प्रश्न 29.
भारत में लेटराइट मृदाएँ कहाँ-कहाँ पाई जाती हैं?
उत्तर:
भारत में लेटराइट मृदाएँ मुख्य रूप से कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश और उड़ीसा तथा असम के पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती हैं।
प्रश्न 30.
मृदा अपरदन से क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
मृदा के कटाव और उसके बहाव की प्रक्रिया को मृदा अपरदन कहा जाता है।
प्रश्न 31.
भू-क्षरण के लिए उत्तरदायी कोई दो मानवीय कारण लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 32.
समोच्च जुताई किसे कहा जाता है? बताइये।
उत्तर:
ढाल वाली भूमि पर समोच्च रेखाओं के समानान्तर हल चलाने से ढाल के साथ जल बहाव की गति घटती है। इसे समोच्च जुताई कहा जाता है।
प्रश्न 33.
सम्पूर्ण उत्तरी मैदान के अलावा भारत में जलोढ़ मृदाएँ और कहाँ पाई जाती हैं?
उत्तर:
राजस्थान एवं गुजरात तथा पूर्वी तटीय मैदान में पाई जाती हैं।
लघुत्तरात्मक प्रश्न (Type-I)
प्रश्न 1.
सतत् पोषणीय विकास से आपका क्या आशय है?
उत्तर:
सतत् पोषणीय विकास से आशय है कि विकास पर्यावरण को बिना नुकसान पहुँचाए हो और वर्तमान विकास की प्रक्रिया भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकता की अवहेलना न करे। इसे धारणीय विकास भी कहा जाता है।
प्रश्न 2.
संसाधनों का वर्गीकरण कीजिये।
उत्तर:
संसाधनों का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया जा सकता है-
(1) उत्पत्ति के आधार पर- (i) जैव और (ii) अजैव।
(2) समाप्यता के आधार पर- (i) नवीकरण योग्य और (ii) अनवीकरण योग्य।
(3) स्वामित्व के आधार पर- (i) व्यक्तिगत (ii) सामुदायिक (iii) राष्ट्रीय और (iv) अंतर्राष्ट्रीय।
(4) विकास के स्तर के आधार पर- (i) संभावी (ii) विकसित (iii) भंडार और (iv) संचित कोष।
प्रश्न 3.
अन्तर्राष्ट्रीय संसाधनों का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय संसाधन-कुछ अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाएँ संसाधनों को नियंत्रित करती हैं। तट रेखा से 200 समुद्री मील की दूरी से परे खुले महासागरीय संसाधनों पर किसी देश का अधिकार नहीं है। इन संसाधनों को अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं की सहमति के बिना उपयोग नहीं किया जा सकता है। ये अन्तर्राष्ट्रीय संसाधन होते हैं।
प्रश्न 4.
मरुस्थलीय मृदा की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 5.
मंदा संरक्षण के दो उपाय सुझाइए।
उत्तर:
प्रश्न 6.
मानव द्वारा संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग से उत्पन्न दो समस्याओं को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग से उत्पन्न हुई समस्याएँ बताइये।
उत्तर:
प्रश्न 7.
नवीकरणीय संसाधनों और अनवीकरणीय संसाधनों में दो बिन्दुओं में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 8.
भूमि निम्नीकरण संरक्षण के दो उपाय बताइए।
अथवा
भमि निम्नीकरण के संरक्षण के चार उपाय बताइए।
उत्तर:
भूमि निम्नीकरण के संरक्षण के चार उपाय निम्नलिखित हैं-
प्रश्न 9.
संसाधन नियोजन का क्या अर्थ है? संसाधन नियोजन के किसी एक सोपान का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
संसाधन नियोजन का अर्थ- संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए अपनाई गई सर्वमान्य रणनीति संसाधन नियोजन कहलाती है।
संसाधन नियोजन का सोपान (कोई एक)- संसाधन विकास योजनाएँ लागू करने के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी, कौशल और संस्थागत नियोजन ढाँचा तैयार करना।
प्रश्न 10.
संसाधन नियोजन क्यों आवश्यक है? बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 11.
काली मृदा की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 12.
संसाधन के संरक्षण का क्या अभिप्राय है? संसाधनों के संरक्षण के दो कारण समझाइए।
उत्तर:
संसाधन संरक्षण मानव द्वारा संसाधनों के प्रबन्धन को संसाधन संरक्षण कहते हैं। संसाधनों के संरक्षण के कारण-
प्रश्न 13.
एजेण्डा 21 से क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एजेण्डा 21-एजेण्डा 21 एक घोषणा है जिसे सन् 1992 में ब्राजील के शहर रियो-डी-जेनेरो में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण और विकास सम्मेलन के तत्वावधान में राष्ट्राध्यक्षों द्वारा स्वीकृत किया गया था। इसका उद्देश्य समान हितों, पारस्परिक आवश्यकताओं एवं सम्मिलित जिम्मेदारियों के अनुसार विश्व सहयोग के द्वारा पर्यावरणीय क्षति, गरीबी और रोगों से निपटना है।
प्रश्न 14.
संसाधन विकास में प्रौद्योगिकी एवं मानव की भूमिका बताइये।
उत्तर:
किसी क्षेत्र के विकास के लिए संसाधनों की उपलब्धता एक आवश्यक शर्त है । लेकिन प्रौद्योगिकी और संस्थाओं में तदनुरूपी परिवर्तनों के अभाव में केवल संसाधनों की उपलब्धता से ही विकास संभव नहीं है। अतः उपयुक्त प्रौद्योगिकी के विकास एवं मानव संसाधनों की गुणवत्ता पर संसाधन विकास आधारित होता है।
प्रश्न 15.
भूमि का उपयोग सावधानी एवं योजनाबद्ध तरीके से क्यों किया जाना चाहिए?
उत्तर:
भूमि एक महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है। प्राकृतिक वनस्पति, वन्य जीवन, मानव जीवन, आर्थिक क्रियाएँ, परिवहन तथा संचार व्यवस्थाएँ भूमि पर ही आधारित हैं। किन्तु भूमि एक सीमित संसाधन है इसलिए उपलब्ध भूमि का विभिन्न उद्देश्यों के लिए उपयोग सावधानी और योजनाबद्ध तरीके से किया जाना चाहिए।
प्रश्न 16.
संसाधनों का समाज में न्यायसंगत बँटवारा क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
मानव जीवन की गुणवत्ता और विश्व शान्ति बनाए रखने के लिए संसाधनों का समाज में न्यायसंगत बँटवारा आवश्यक है। यदि कुछ ही व्यक्तियों तथा देशों द्वारा संसाधनों का वर्तमान दोहन जारी रहता है, तो हमारी पृथ्वी का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।
प्रश्न 17.
प्रकृति, प्रौद्योगिकी एवं संस्थाओं के परस्पर अन्तर्सम्बन्ध को समझाइए।
उत्तर:
हमारे पर्यावरण में उपलब्ध वस्तुओं की रूपान्तरण-प्रक्रिया प्रकृति, प्रौद्योगिकी तथा संस्थाओं के परस्पर अन्तर्सम्बन्ध में निहित है। इनके केन्द्र में मानव है। मानव प्रौद्योगिकी द्वारा प्रकृति के साथ क्रिया करते हैं और अपने आर्थिक विकास की गति को तेज करने के लिए संस्थाओं का निर्माण करते हैं।
इसे चित्र द्वारा निम्न प्रकार जाना जा सकता है-
प्रश्न 18.
गाँधीजी के अनुसार संसाधन ह्रास के लिए कौन उत्तरदायी है? संसाधन संरक्षण के लिए वे क्या चाहते थे?
उत्तर:
गाँधीजी के अनुसार विश्व स्तर पर संसाधन ह्रास के लिए लालची और स्वार्थी व्यक्ति तथा आधुनिक प्रौद्योगिकी की शोषणात्मक प्रवृत्ति जिम्मेदार है। वे अत्यधिक उत्पादन के विरुद्ध थे और इसके स्थान पर अधिक बड़े जनसमुदाय द्वारा उत्पादन के पक्षधर थे।
प्रश्न 19.
भू-उपयोग को निर्धारित करने वाले तत्त्वों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भू-उपयोग को निर्धारित करने वाले तत्त्व-भू-उपयोग को निर्धारित करने वाले तत्त्वों में भौतिक कारक यथा भू-आकृति, जलवायु और मृदा के प्रकार तथा मानवीय कारक यथा जनसंख्या घनत्व, प्रौद्योगिक क्षमता, संस्कृति और परम्पराएँ आदि शामिल हैं।
प्रश्न 20.
'भारत में संसाधन नियोजन की आवश्यकता' किस कारण है?
उत्तर:
भारत में किन्हीं प्रदेशों में एक प्रकार के संसाधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं किन्तु दूसरे प्रकार के संसाधनों की कमी है। कुछ प्रदेश ऐसे भी हैं जो कि संसाधनों की उपलब्धता में आत्मनिर्भर हैं तथा कुछ प्रदेश ऐसे भी हैं जहाँ महत्त्वपूर्ण संसाधनों की अत्यधिक कमी है। इसी कारण देश में संसाधन नियोजन की आवश्यकता है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न (Type-II)
प्रश्न 1.
व्यक्तिगत संसाधन तथा सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधनों में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
(1) व्यक्तिगत संसाधन-वे संसाधन जो कि निजी व्यक्तियों के स्वामित्व में होते हैं, व्यक्तिगत संसाधन कहलाते हैं । गाँवों में अनेक किसानों के पास स्वयं के निजी स्वामित्व वाली भूमि होती है जिसके बदले वे सरकार को लगान चुकाते हैं। शहरों में भी लोग भूखण्ड, मकान व अन्य जायदाद के स्वामी होते हैं। निजी बाग, चरागाह, तालाब और कुओं का जल आदि निजी स्वामित्व वाले संसाधन हैं।
(2) सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन-वे संसाधन जो कि समुदाय के सभी सदस्यों को उपलब्ध होते हैं, सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन कहलाते हैं। गाँव की शामिलात भूमि, तालाब तथा नगरीय क्षेत्रों में सार्वजनिक पार्क, पिकनिक स्थल, खेल के मैदान आदि सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन हैं।
प्रश्न 2.
रियो-डी-जेनेरो पृथ्वी सम्मेलन, 1992 का आयोजन क्यों किया गया? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जून, 1992 में विश्व के सौ से भी अधिक राष्ट्राध्यक्ष ब्राजील के शहर रियो-डी-जेनेरो में प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय पृथ्वी सम्मेलन में एकत्रित हुए। इस सम्मेलन का आयोजन विश्व स्तर पर उभरते पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक-आर्थिक विकास की समस्याओं का हल ढूँढ़ने के लिए किया गया था। इस सम्मेलन में एकत्रित नेताओं ने भूमण्डलीय जलवायु परिवर्तन और जैविक विविधता पर एक घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर किये। रियो सम्मेलन में भूमण्डलीय वन सिद्धान्तों पर सहमति जताई गई और 21वीं शताब्दी में सतत पोषणीय विकास के लिए 'एजेण्डा 21' को स्वीकृति प्रदान की गई।
प्रश्न 3.
भारत में संसाधन नियोजन के प्रमुख सोपानों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
संसाधन नियोजन एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें निम्नलिखित सोपान हैं-
(1) देश के विभिन्न प्रदेशों में संसाधनों की पहचान करके उनकी तालिका बनाना। इस कार्य में क्षेत्रीय सर्वेक्षण, मानचित्र बनाना और संसाधनों का गुणात्मक एवं मात्रात्मक अनुमान लगाना व मापन करना है।
(2) संसाधन विकास योजनाएं लागू करने के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी, कौशल और संस्थागत नियोजन ढाँचा तैयार करना।
(3) संसाधन विकास योजनाओं और राष्ट्रीय विकास योजना में समन्वय स्थापित करना।
स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरान्त भारत में संसाधन नियोजन के उद्देश्य की पूर्ति के प्रथम पंचवर्षीय योजना से ही प्रयास किए गये।
प्रश्न 4.
जलोढ़ मृदा की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
जलोढ़ मृदा की प्रमुख विशेषताएँ-जलोढ़ मृदा की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
प्रश्न 5. बांगर व खादर में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
पुराने जलोढ़ एवं नवीन जलोढ़ में अन्तर बताइए।
उत्तर:
पुराने जलोढ़ (बांगर) एवं नवीन जलोढ़ (खादर) में निम्नलिखित अन्तर हैं-
प्रश्न 6.
भारत की मुख्य भू-आकृतियों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
मुख्य भू-आकृतियाँ-भारत में भूमि पर मुख्य रूप से निम्नलिखित प्रकार की भू-आकृतियाँ पाई जाती
(1) मैदान-भारत में लगभग 43 प्रतिशत भू-क्षेत्र मैदान है जो कि कृषि और उद्योग के विकास के लिए सुविधाजनक है।
(2) पर्वत भारत में पर्वत कुल भू-क्षेत्र के 30 प्रतिशत भाग पर विस्तृत हैं। पर्वत कुछ बारहमासी अर्थात वर्षपर्यन्त प्रवाहित होने वाली नदियों के प्रवाह को सुनिश्चित करते हैं। ये पर्यटन विकास के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ प्रदान करते हैं तथा पारिस्थितिकी की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होते हैं।
(3) पठार-भारत में कुल भू-क्षेत्र का लगभग 27 प्रतिशत भाग पठारी क्षेत्र है। इस क्षेत्र में खनिजों, जीवाश्म ईंधन और वनों का अपार भण्डार संचित है।
प्रश्न 7.
मृदा अपरदन क्या है? मृदा किस-किस प्रकार अपरदित होती है?
उत्तर:
मृदा अपरदन- मृदा के कटाव एवं उसके बहाव की प्रक्रिया को मृदा अपरदन कहते हैं।
मृदा अपरदन के कारक-
प्रश्न 8.
मृदा अपरदन को कैसे रोका जा सकता है?
उत्तर:
मृदा अपरदन को निम्न तरीकों से रोका जा सकता है-
प्रश्न 9.
संसाधनों के वर्गीकरण को चित्र/तालिका बनाकर दर्शाइए।
उत्तर:
प्रश्न 10.
समाप्यता के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
समाप्यता के आधार पर संसाधन निम्न दो प्रकार के होते हैं-
(1) नवीकरण योग्य संसाधन-वे संसाधन जिन्हें भौतिक, रासायनिक या यांत्रिक प्रक्रियाओं द्वारा नवीकृत या पुनः उत्पन्न किया जा सकता है, उन्हें नवीकरण योग्य अथवा पुनः पूर्ति योग्य संसाधन कहा जाता है। उदाहरणार्थ, सौर तथा पवन ऊर्जा, जल, वन व वन्य जीवन। इन संसाधनों को सतत् अथवा प्रवाह संसाधनों में विभाजित किया गया है।
(2) अनवीकरण योग्य संसाधन-इन संसाधनों का विकास एक लंबे भू-वैज्ञानिक अंतराल में होता है। खनिज और जीवाश्म ईंधन इस प्रकार के संसाधनों के उदाहरण हैं। इनके बनने में लाखों वर्ष लग जाते हैं। इनमें से कुछ संसाधन जैसे धातुएँ पुनः चक्रीय हैं और कुछ साधन जैसे जीवाश्म ईंधन अचक्रीय हैं व एक बार के प्रयोग के साथ ही खत्म हो जाते हैं।
प्रश्न 11.
राष्ट्रीय संसाधन क्या होते हैं? समझाइए।
उत्तर:
राष्ट्रीय संसाधन-तकनीकी तौर पर देश में पाये जाने वाले सभी संसाधन राष्ट्रीय संसाधन होते हैं। देश के सारे खनिज पदार्थ, जल संसाधन, वन, वन्य जीवन, राजनीतिक सीमाओं के अन्दर सारी भूमि और 12 समुद्री मील (22.2 किमी.) तक महासागरीय क्षेत्र (भू-भागीय समुद्र) व इसमें पाए जाने वाले संसाधन राष्ट्र की संपदा होते हैं। इसके साथ ही देश की सरकार को कानूनी अधिकार होता है कि वह व्यक्तिगत संसाधनों को भी आम जनता के हित में अधिग्रहित कर सकती है। इसीलिए कई जगह सड़कें, नहरें और रेल लाइनें व्यक्तिगत स्वामित्व वाले खेतों में भी बनी हुई होती हैं। शहरी विकास प्राधिकरणों को सरकार ने भूमि अधिग्रहण का अधिकार दिया हुआ है।
प्रश्न 12.
भारत में संसाधनों की उपलब्धता में बहुत विविधता है, समझाइए।
उत्तर:
भारत में संसाधनों की उपलब्धता में बहुत अधिक विविधता पाई जाती है। यहाँ ऐसे प्रदेश भी हैं जहाँ एक तरह के संसाधनों की प्रचुरता है, परन्तु दूसरे तरह के संसाधनों की कमी है। कुछ ऐसे प्रदेश भी हैं, जो संसाधनों की दृष्टि से आत्मनिर्भर हैं और कुछ ऐसे प्रदेश भी हैं, जहाँ महत्त्वपूर्ण संसाधनों की अत्यधिक कमी है। उदाहरण के लिए, झारखंड, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में खनिजों और कोयले के प्रचुर भंडार हैं। अरुणाचल प्रदेश में जल संसाधन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, परन्तु मूल विकास की कमी है। राजस्थान में पवन और सौर ऊर्जा संसाधनों की बहुतायत है, लेकिन जल संसाधनों की कमी है। लद्दाख का शीत मरुस्थल सांस्कृतिक विरासत का धनी है परन्तु यहाँ जल, आधारभूत, अवसंरचना तथा कुछ महत्त्वपूर्ण खनिजों की कमी है।
इस प्रकार भारत में संसाधनों की उपलब्धता में क्षेत्रवार बहुत विविधता पाई जाती है।
प्रश्न 13.
मनुष्यों द्वारा संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग से क्या समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं? बतलाइये।
उत्तर:
मनुष्यों द्वारा संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग से निम्नलिखित मुख्य समस्याएँ पैदा हुई हैं-
प्रश्न 14.
संसाधनों के संरक्षण के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हुए प्रयासों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
उत्तर:
संसाधन संरक्षण हेतु अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर निम्न प्रयास किये गये-
प्रश्न 15.
रियो डी जेनेरो पृथ्वी सम्मेलन, 1992 पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
अथवा
प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय पृथ्वी सम्मेलन की प्रमुख बातें लिखिए।
उत्तर:
1992 में आयोजित रियो डी जेनेरो पृथ्वी सम्मेलन की प्रमुख बातें निम्न प्रकार हैं-
प्रश्न 16.
मृदा संसाधन पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
उत्तर:
मृदा संसाधन-पृथ्वी पर मृदा सबसे महत्त्वपूर्ण नवीकरण योग्य प्राकृतिक संसाधन है। यह पेड-पौधों के विकास का माध्यम है जो पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार के जीवों का पोषण करती है। मृदा एक जीवंत तंत्र है। मृदा निर्माण की प्रक्रिया बहुत लम्बी है। कुछ सेंटीमीटर गहरी मृदा बनने में भी लाखों वर्ष लग जाते हैं। मृदा बनने की प्रक्रिया में उच्चावच, जनक शैल अथवा संस्तर शैल, जलवायु, वनस्पति और अन्य जैव पदार्थ और समय मुख्य कारक हैं। प्रकृति के अनेकों तत्व जैसे तापमान परिवर्तन, बहते जल की क्रिया, पवन, हिमनदी और अपघटन क्रियाएँ आदि का मृदा बनने की प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। मृदा में होने वाले रासायनिक और जैविक परिवर्तन भी महत्त्वपूर्ण हैं। मृदा जैव (ह्यूमस) और अजैव दोनों प्रकार के पदार्थों से बनती है।
प्रश्न 17.
काली मृदा की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
अथवा
रेगर मृदा किन-किन क्षेत्रों में पाई जाती है? इसकी विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
काली मृदा (रेगर मृदा) के क्षेत्र-काली मृदाएँ महाराष्ट्र, सौराष्ट्र, मालवा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के पठार पर पाई जाती हैं और दक्षिण-पूर्वी दिशा में गोदावरी और कृष्णा नदियों की घाटियों तक फैली हैं।
काली मृदा (रेगर मृदा) की विशेषताएँ-
प्रश्न 18.
मरुस्थली मृदा पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
उत्तर:
मरुस्थली मृदा- भारत में मरुस्थली मृदा मुख्यतः पश्चिमी राजस्थान में पाई जाती है। मरुस्थली मृदा की प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं-
प्रश्न 19.
वन मृदा का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वन मदा-वन मृदाएँ प्रायः ऐसे पहाड़ी और पर्वतीय क्षेत्रों में पाई जाती हैं जहाँ पर्याप्त वर्षा- वन उपलब्ध हैं। इन मृदाओं का गठन पर्वतीय पर्यावरण के अनुसार बदलता रहता है। नदी घाटियों में जहाँ ये मृदाएँ दोमट और सिल्टदार होती हैं, वहाँ ऊपरी ढालों पर इनका गठन मोटे कणों का होता है। हिमालय के हिमाच्छादित क्षेत्रों में इन मृदाओं का अत्यधिक अपरदन होता है और ये अधिसिलिक (acidic) तथा ह्यूमस रहित होती हैं। नदी घाटियों के निचले क्षेत्रों, विशेषकर नदी सोपानों और जलोढ़ पंखों आदि में ये मृदाएँ अत्यन्त उपजाऊ होती हैं।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
संसाधन किसे कहते हैं? स्वामित्व के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण कीजिये।
उत्तर:
संसाधन का अर्थ-पर्यावरण में उपलब्ध प्रत्येक वस्तु जो कि मनुष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने में प्रयुक्त की जा सकती है और जिसको बनाने के लिए प्रौद्योगिकी उपलब्ध है एवं जो कि आर्थिक रूप से संभाव्य और सांस्कृतिक रूप से मान्य है, संसाधन कहलाती है।
स्वामित्व के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण
स्वामित्व के आधार पर संसाधनों को निम्नलिखित चार वर्गों में विभाजित किया जाता है-
(i) व्यक्तिगत संसाधन- वे संसाधन जो कि निजी व्यक्तियों के स्वामित्व में होते हैं, व्यक्तिगत संसाधन कहलाते हैं। गाँवों में अनेक लोग भूमि के स्वामी होते हैं। शहरों में भी लोग भूखंड, मकानों एवं अन्य जायदाद के स्वामी होते हैं । बाग, चरागाह, तालाब और कुओं का जल आदि संसाधनों के निजी स्वामित्व के कुछ उदाहरण हैं।
(ii) सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन- वे संसाधन जो कि समुदाय के सभी सदस्यों को उपलब्ध होते हैं, सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन होते हैं। गाँव में चारण भूमि, श्मशान भूमि, तालाब तथा नगरीय क्षेत्रों में सार्वजनिक पार्क, पिकनिक स्थल और खेल के मैदान, सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन हैं।
(iii) राष्ट्रीय संसाधन- तकनीकी रूप से देश में पाए जाने वाले समस्त संसाधन राष्ट्रीय संसाधन हैं। देश की सरकार को कानूनी अधिकार होता है कि वह व्यक्तिगत संसाधनों को भी आम जनता के हित में अधिग्रहित कर सकती है। इसीलिए सड़कें, नहरें और रेल लाइनें व्यक्तिगत स्वामित्व वाले खेतों में भी बनी हुई होती हैं।
(iv) अन्तर्राष्ट्रीय संसाधन- कुछ अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाएँ संसाधनों को नियंत्रित करती हैं। तट रेखा से 200 समुद्री मील की दूरी से परे खुले महासागरीय संसाधनों पर किसी देश का अधिकार नहीं है। इन संसाधनों को अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं की सहमति के बिना उपयोग नहीं किया जा सकता है। ये अन्तर्राष्ट्रीय संसाधन होते हैं।
प्रश्न 2.
किसी क्षेत्र के विकास हेतु संसाधनों की उपलब्धता के साथ-साथ प्रौद्योगिकी विकास एवं संस्थागत परिवर्तन भी आवश्यक हैं। स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
इसे निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) किसी क्षेत्र के विकास के लिए संसाधनों की उपलब्धता एक आवश्यक शर्त है परंतु प्रौद्योगिकी और संस्थाओं में तदनुरूपी परिवर्तनों के अभाव में मात्र संसाधनों की उपलब्धता से ही विकास संभव नहीं है।
(2) देश में बहुत से क्षेत्र हैं जो संसाधन समृद्ध होते हुए भी आर्थिक रूप से पिछड़े प्रदेशों की गिनती में आते हैं क्योंकि वहाँ प्रौद्योगिकी तथा तदनुरूप संस्थाओं का अभाव है। इसके विपरीत कुछ ऐसे प्रदेश भी हैं जो संसाधनों की कमी होते हुए भी उन्नत प्रौद्योगिकी विकास के कारण आर्थिक रूप से विकसित हैं।
(3) उपनिवेशन का इतिहास हमें बताता है कि उपनिवेशकारी देशों ने बेहतर प्रौद्योगिकी के सहारे उपनिवेशों के संसाधनों का शोषण किया तथा उन पर अपना आधिपत्य स्थापित किया।
अतः संसाधन किसी प्रदेश के विकास में तभी योगदान दे सकते हैं, जब वहाँ उपयुक्त प्रौद्योगिकी विकास और संस्थागत परिवर्तन किए जाएँ। उपनिवेशन के विभिन्न चरणों में भारत ने भी इन सबका अनुभव किया है। अतः विकास सामान्यतः तथा संसाधन विकास लोगों के मुख्यतः संसाधनों की उपलब्धता पर ही आधारित नहीं होता बल्कि इसमें प्रौद्योगिकी, मानव संसाधन की गुणवत्ता और ऐतिहासिक अनुभव का भी योगदान रहता है।
प्रश्न 3.
संसाधनों के नियोजन से आप क्या समझते हैं? संसाधनों के संरक्षण करने के उपाय सुझाइए।
उत्तर:
संसाधन नियोजन का अर्थ- संसाधन नियोजन एक ऐसी प्रक्रिया है जो संसाधनों के उपयोग, संरक्षण एवं संवर्धन हेतु अपनाई जाती है। अतः संसाधनों को लम्बे समय तक उपयोग करने, विनिष्टता से बचाने और प्रदूषण रहित रखने और उनके संवर्द्धन हेतु नीति एवं विधि निर्धारित करने की कला संसाधन नियोजन कहलाती है।
संसाधन संरक्षण के उपाय- किसी भी तरह के विकास में संसाधनों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। परन्तु संसाधनों का अविवेकपूर्ण उपयोग तथा अति उपयोग के कारण कई सामाजिक-आर्थिक तथा पर्यावरणीय समस्याएँ पैदा हो सकती हैं। इन समस्याओं से बचने के लिए विभिन्न स्तरों पर संसाधनों का संरक्षण आवश्यक है। संसाधन संरक्षण के प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं-
प्रश्न 4.
भारत में पाई जाने वाली मृदाओं का वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिये।
उत्तर:
मदाओं का वर्गीकरण
भारत में अनेक प्रकार के उच्चावच, भू-आकृतियाँ, जलवायु और वनस्पतियाँ पाई जाती हैं। इसके परिणामस्वरूप निम्नलिखित मृदाएँ पाई जाती हैं-
(1) जलोढ़ मृदा- यह देश की महत्त्वपूर्ण मृदा है जो कि विस्तृत रूप से फैली हुई है। सम्पूर्ण उत्तरी मैदान जलोढ़ मृदा से बना है। जलोढ़ मृदाएँ हिमालय के तीन महत्त्वपूर्ण नदी तंत्रों यथा-सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों द्वारा लाए गए जमावों से बनी हैं। एक संकरे गलियारे द्वारा ये मृदाएँ राजस्थान और गुजरात तक फैली हैं। पूर्वी तटीय मैदान, विशेषकर महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी नदियों के डेल्टे भी जलोढ़ मृदा से बने हैं। इसके दो प्रकार हैं(i) बांगर और (ii) खादर।
(2) काली मृदा- इन मृदाओं का काला रंग होता है तथा इनको 'रेगर' मृदाओं के नाम से भी जाना जाता है। काली मृदा कपास की खेती के लिए उत्तम होती है तथा इनको 'काली कपास मृदा' के नाम से भी जाना जाता है।
काली मृदाएँ महाराष्ट्र, सौराष्ट्र, मालवा, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के पठार पर पाई जाती हैं तथा दक्षिणी-पूर्वी दिशा में गोदावरी और कृष्णा नदियों की घाटियों तक फैली हैं।
(3) लाल और पीली मृदा- लाल मृदा दक्कन के पठार के पूर्वी और दक्षिणी भागों में रवेदार आग्नेय चट्टानों पर कम वर्षा वाले भागों में विकसित हुई है। लाल और पीली मृदाएँ उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्य गंगा मैदान के दक्षिणी छोर पर और पश्चिमी घाट में पहाड़ी पद पर पाई जाती हैं।
(4) लेटराइट- लेटराइट मृदा उच्च तापमान और अत्यधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में विकसित होती है। यह भारी वर्षा से अत्यधिक निक्षालन का परिणाम है। इस मृदा में ह्यूमस की मात्रा कम पाई जाती है। लेटराइट मृदा पर अधिक मात्रा में खाद और रासायनिक उर्वरक का प्रयोग करके ही खेती की जा सकती है।
लेटराइट मृदाएँ मुख्य रूप से कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, उड़ीसा तथा असम के पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती हैं।
(5) मरुस्थली मृदा- मरुस्थली मृदाओं का रंग लाल और भूरा होता है। ये मृदाएँ आमतौर पर रेतीली और लवणीय होती हैं। कुछ क्षेत्रों में नमक की मात्रा इतनी अधिक होती है कि झीलों से जल वाष्पीकृत करके खाने का नमक भी बनाया जाता है। इस मृदा में ह्यूमस और नमी की मात्रा कम होती है।
(6) वन मृदा-इस प्रकार की मृदाएँ मुख्य रूप से उन पहाड़ी और पर्वतीय क्षेत्रों में पाई जाती हैं, जिन क्षेत्रों में पर्याप्त वर्षा-वन उपलब्ध हैं।
प्रश्न 5.
लेटराइट मृदा किन क्षेत्रों में पाई जाती है? इनकी प्रमुख विशेषताएँ बतलाइए।
उत्तर:
लेटराइट मृदा के क्षेत्र-लेटराइट मृदा अधिकतर दक्षिणी राज्यों, महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट क्षेत्रों ओडिशा, पश्चिम बंगाल के कुछ भागों तथा उत्तर-पूर्वी प्रदेशों में पाई जाती है।
लेटराइट मृदा की विशेषताएँ-
प्रश्न 6.
भारत में भूमि निम्नीकरण के लिए उत्तरदायी कारक तथा इसे नियंत्रित करने के उपाय बताइये।
उत्तर:
भूमि निम्नीकरण के लिए उत्तरदायी कारक-भूमि निम्नीकरण के लिए उत्तरदायी कारक निम्नलिखित हैं-
भूमि निम्नीकरण को नियंत्रित करने के उपाय-
प्रश्न 7.
मृदा अपरदन और संरक्षण पर एक भौगोलिक लेख लिखिए।
उत्तर:
मृदा अपरदन का अर्थ- मृदा के कटाव और उसके बहाव की प्रक्रिया को मृदा अपरदन कहा जाता है। मृदा अपरदन के प्रकार-मृदा अपरदन के प्रकार निम्नलिखित हैं-
मृदा संरक्षण-मृदा संरक्षण के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाने चाहिए-
प्रश्न 8.
विकास के स्तर के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
विकास के स्तर के आधार पर संसाधनों को निम्न प्रकारों में बाँटा जा सकता है
(1) संभावी संसाधन-वे संसाधन जो किसी प्रदेश में विद्यमान होते हैं परन्तु इनका उपयोग नहीं किया गया है, संभावी संसाधन कहलाते हैं। जैसे-भारत के पश्चिमी भाग, विशेषकर राजस्थान और गुजरात में पवन और सौर ऊर्जा संसाधनों की अपार संभावना है, परन्तु इनका अभी तक सही ढंग से उपयोग नहीं हुआ है।
(2) विकसित संसाधन-यह वे संसाधन होते हैं जिनका सर्वेक्षण किया जा चुका है और उनके उपयोग की गुणवत्ता और मात्रा भी निर्धारित की जा चुकी है। विकसित संसाधन प्रौद्योगिकी और उनकी संभाव्यता के स्तर पर निर्भर करते हैं।
(3) भण्डार-पर्यावरण में उपलब्ध वे पदार्थ जो मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते हैं परन्तु उनकी प्राप्ति की कोई उपयुक्त प्रौद्योगिकी अभी उपलब्ध नहीं है, भण्डार में शामिल हैं। जैसे-जल दो ज्वलनशील गैसों, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का यौगिक है तथा यह ऊर्जा का मुख्य स्रोत बन सकता है। परन्तु इस उद्देश्य से, इनका प्रयोग करने के लिए हमारे पास आवश्यक तकनीकी ज्ञान नहीं है।
(4) संचित कोष-भंडार का वह हिस्सा, जिन्हें उपलब्ध तकनीकी ज्ञान की सहायता से प्रयोग में लाया जा सकता है, परन्तु इनका उपयोग अभी आरम्भ नहीं हुआ है, संचित कोष कहलाता है। इनका उपयोग भविष्य में आवश्यकता पूर्ति के लिए किया जा सकता है। नदी जल, बाँधों में जल, वन आदि संचित कोष हैं जिनका भविष्य में अधिकाधिक उपयोग किया जा सकता है।
प्रश्न 9.
भारत में भू-संसाधनों का उपयोग किन उद्देश्यों के लिए किया जाता है? समझाइये।
उत्तर:
भारत में भू-संसाधनों का उपयोग निम्नलिखित उद्देश्यों से किया जाता है-