RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

Rajasthan Board RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास Important Questions and Answers. 

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 10 Social Science in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 10. Students can also read RBSE Class 10 Social Science Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 10 Social Science Notes to understand and remember the concepts easily. The class 10 economics chapter 2 intext questions are curated with the aim of boosting confidence among students.

RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1. 
निम्नलिखित में से कौनसा जैव संसाधन है-
(अ) चट्टानें
(ब) धातुएँ 
(स) खेल के मैदान 
(द) पशुधन 
उत्तर:
(द) पशुधन

प्रश्न 2. 
नवीकरण योग्य संसाधन हैं-
(अ) पवन ऊर्जा
(ब) वन
(स) जल 
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 3. 
गुजरात व राजस्थान में भूमि निम्नीकरण का मुख्य कारण है-
(अ) अति पशुचारण 
(ब) वनोन्मूलन 
(स) अत्यधिक सिंचाई 
(द) खनन 
उत्तर:
(अ) अति पशुचारण 

प्रश्न 4. 
निम्न में से किस राज्य में लाल और पीली मृदा पाई जाती है-
(अ) राजस्थान
(ब) गुजरात 
(स) मध्यप्रदेश 
(द) उड़ीसा 
उत्तर:
(द) उड़ीसा 

RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

प्रश्न 5. 
भारत का सम्पूर्ण उत्तरी मैदान जिस प्रकार की मदा से बना है, वह है-
(अ) काली मृदा 
(ब) लाल और पीली मृदा 
(स) जलोढ़ मृदा 
(द) लेटराइट मृदा 
उत्तर:
(स) जलोढ़ मृदा 

प्रश्न 6. 
संसाधनों के अंधाधुंध शोषण का परिणाम है-
(अ) भूमंडलीय तापन
(ब) भूमि निम्नीकरण 
(स) ओजोन परत अवक्षय
(द) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी 

प्रश्न 7. 
रियो डी जेनेरो पृथ्वी सम्मेलन कब हुआ?
(अ) जून, 1986 में 
(ब) जून, 1992 में 
(स) मई, 1996 में 
(द) जनवरी, 2002 में
उत्तर:
(ब) जून, 1992 में 

प्रश्न 8. 
'स्माल इज ब्यूटीफुल' पुस्तक के रचयिता हैं-
(अ) शुमेसर
(ब) ब्रुन्डटलैंड 
(स) मोरारजी देसाई 
(द) महात्मा गाँधी 
उत्तर:
(अ) शुमेसर

RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

प्रश्न 9. 
झारखण्ड में भूमि निम्नीकरण का प्रमुख कारण क्या है?
(अ) अति पशुचारण 
(ब) खनन 
(स) अधिक सिंचाई 
(द) गहन खेती 
उत्तर:
(ब) खनन 

प्रश्न 10. 
अधिकतर गहरी तथा अम्लीय (pH < 6.0) किस मृदा का गुण है?
(अ) काली मृदा 
(ब) जलोढ़ मृदा 
(स) मरुस्थली मृदा 
(द) लेटराइट मृदा
उत्तर:
(द) लेटराइट मृदा

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

1. संसाधन ........ क्रियाओं का परिणाम है। 
2. संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए .......... एक सर्वमान्य रणनीति है। 
3. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यवस्थित तरीके से संसाधन संरक्षण की वकालत 1968 में ........ ने की। 
4. ......... में पहाड़ी चट्टानें, सूखी और मरुस्थलीय भूमि शामिल हैं। 
5. काली मृदाओं को ........ मृदाएँ भी कहा जाता है।
उत्तरमाला:
1. मानवीय 
2. नियोजन 
3. क्लब ऑफ रोम 
4. बंजर भूमि 
5. रेगर। 

RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
उत्पत्ति के आधार पर संसाधनों के दो प्रकार कौन से हैं? प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए। 
उत्तर:
(i) जैविक : मनुष्य। 
(ii) अजैविक : धातुएँ। 

प्रश्न 2. 
बांगर और खादर में दो अन्तर बताइए। 
उत्तर:

  • प्राचीन जलोढ़ को बांगर और नवीन जलोढ़क को खादर कहा जाता है। 
  • बांगर की अपेक्षा खादर अधिक उपजाऊ होता है। 

प्रश्न 3. 
'एजेण्डा-21' क्या है? 
उत्तर:
यह संयुक्त राष्ट्र की एक घोषणा है जिसका उद्देश्य भूमण्डलीय सतत् पोषणीय विकास हासिल करना है। 

प्रश्न 4. 
संसाधनों का संरक्षण करना हमारे लिए क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
संसाधनों का संरक्षण निम्न कारणों से आवश्यक है-

  • वर्तमान आवश्यकताओं को पूरा करना और 
  • भावी पीढ़ियों के लिए बचाकर रखना।

RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

प्रश्न 5. 
संसाधन विकास का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संसाधन विकास से तात्पर्य उस प्रयत्न से है जिसके अन्तर्गत संसाधन का मानवीय संतुष्टि में उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 6. 
समाप्यता के आधार पर संसाधन का वर्गीकरण कीजिए। 
उत्तर:

  • नवीकरण योग्य संसाधन 
  • अनवीकरण योग्य संसाधन। 

प्रश्न 7. 
प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय पृथ्वी सम्मेलन किस शहर में आयोजित किया गया? 
उत्तर:
ब्राजील के शहर रियो-डि-जेनेरो में। 

प्रश्न 8. 
भू-उपयोग को निर्धारित करने वाले भौतिक तत्त्वों के नाम बताइये। 
उत्तर:
भू-आकृति, जलवायु और मदा के प्रकार। 

प्रश्न 9. 
भारत में राष्ट्रीय वन नीति (1952) के अनुसार वनों के अन्तर्गत कितने प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र वांछित है? 
उत्तर:
33 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र। 

RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

प्रश्न 10. 
बंजर भूमि में कौन-कौनसे स्थलीय भाग शामिल हैं? 
उत्तर:
पहाड़ी चट्टानें, सूखी और मरुस्थलीय भूमि। 

प्रश्न 11. 
वर्तमान में भारत की कितने हैक्टेयर भूमि निम्नीकृत है? 
उत्तर:
लगभग 13 करोड़ हैक्टेयर भूमि। 

प्रश्न 12. 
कपास की खेती के लिए उपयुक्त मानी जाने वाली मृदा का नाम बताइये। 
उत्तर:
काली मृदा।

प्रश्न 13. 
संसाधन से क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
पर्यावरण में उपलब्ध प्रत्येक वस्तु जो कि मनुष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने में प्रयुक्त की जा सकती है, संसाधन कहलाती है।

प्रश्न 14. 
नवीकरण योग्य संसाधन क्या होते हैं? 
उत्तर:
वे संसाधन जिनको नवीकृत या पुनः उत्पन्न किया जा सकता है, नवीकरण योग्य संसाधन कहे जाते हैं। 

RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

प्रश्न 15. 
संभावी संसाधन क्या होते हैं?
उत्तर:
वे संसाधन जो किसी प्रदेश में विद्यमान होते हैं लेकिन इनका अभी तक उपयोग नहीं किया गया है, संभावी संसाधन कहलाते हैं।

प्रश्न 16. 
सतत पोषणीय आर्थिक विकास का अर्थ स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
विकास पर्यावरण को बिना नुकसान पहुँचाए हो और वर्तमान विकास की प्रक्रिया भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकता की अवहेलना न करे।

प्रश्न 17. 
भारत के उन राज्यों के नाम बताइये जिनमें खनिजों और कोयले के प्रचुर भंडार उपलब्ध हैं। 
उत्तर:
झारखण्ड, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़। 

प्रश्न 18. 
भारत का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल कितना है? 
उत्तर:
भारत का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 32.8 लाख वर्ग किलोमीटर है। 

प्रश्न 19. 
भारत के उन राज्यों के नाम बताइये जिनमें 10 प्रतिशत से भी कम क्षेत्र पर फसलें उगाई जाती हैं।
उत्तर:
भारत में अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर तथा अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह में 10 प्रतिशत से भी कम क्षेत्र पर फसलें उगाई जाती हैं।

RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

प्रश्न 20. 
भू-संसाधनों का निम्नीकरण किस कारण हो रहा है?
उत्तर:
लम्बे समय तक लगातार भूमि संरक्षण और प्रबंधन की अवहेलना करने एवं लगातार भू-उपयोग के कारण भू-संसाधनों का निम्नीकरण हो रहा है।

प्रश्न 21. 
मृदा अपरदन के दो कारण लिखिए। 
उत्तर:

  • नदियों में बाढ़ आना 
  • वनोन्मूलन। 

प्रश्न 22. 
मृदा अपरदन को नियंत्रित करने वाली किन्हीं दो विधियों के नाम लिखिए। 
उत्तर:

  • ढाल वाली भूमि पर समोच्च जुताई 
  • वृक्षारोपण। 

प्रश्न 23. 
मृदा के निर्माण में जलवायु सबसे महत्त्वपूर्ण कारक किस प्रकार है? दो कारण बताइए। 
उत्तर:

  • जलवायु अपक्षय की दर निर्धारित करती है। 
  • जलवायु वनस्पति के प्रकार का निर्णय करती है। 

प्रश्न 24. 
मृदा निर्माण की प्रक्रिया में सहायक कारकों के नाम बताइये।
उत्तर:
मृदा निर्माण की प्रक्रिया में उच्चावच, जनक शैल, जलवायु, वनस्पति और अन्य जैव पदार्थ और समय मुख्य कारक हैं।

RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

प्रश्न 25. 
जलोढ़ मृदा वाले क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व अधिक क्यों पाया जाता है? 
उत्तर:
जलोढ़ मृदा वाले क्षेत्रों में गहन कृषि के कारण यहाँ जनसंख्या घनत्व अधिक पाया जाता है। 

प्रश्न 26. 
काली मृदा की दो विशेषताएँ लिखिए। 
उत्तर:

  • काली मृदा का रंग काला होता है। 
  • इसकी नमी धारण करने की क्षमता अधिक होती है। 

प्रश्न 27. 
लेटराइट मृदा किन क्षेत्रों में विकसित होती है? 
उत्तर:
लेटराइट मृदा उच्च तापमान और अत्यधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में विकसित होती है। 

प्रश्न 28. 
लेटराइट मृदा में ह्यूमस की मात्रा कहाँ कम पाई जाती है? 
उत्तर:
विरल वनस्पति और अर्ध शुष्क पर्यावरण वाले क्षेत्रों में लेटराइट मृदा में ह्यमस की मात्रा कम पाई जाती है। 

प्रश्न 29. 
भारत में लेटराइट मृदाएँ कहाँ-कहाँ पाई जाती हैं?
उत्तर:
भारत में लेटराइट मृदाएँ मुख्य रूप से कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश और उड़ीसा तथा असम के पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती हैं।

RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

प्रश्न 30. 
मृदा अपरदन से क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिये। 
उत्तर:
मृदा के कटाव और उसके बहाव की प्रक्रिया को मृदा अपरदन कहा जाता है। 

प्रश्न 31. 
भू-क्षरण के लिए उत्तरदायी कोई दो मानवीय कारण लिखिए। 
उत्तर:

  • शहरीकरण 
  • औद्योगीकरण। 

प्रश्न 32. 
समोच्च जुताई किसे कहा जाता है? बताइये।
उत्तर:
ढाल वाली भूमि पर समोच्च रेखाओं के समानान्तर हल चलाने से ढाल के साथ जल बहाव की गति घटती है। इसे समोच्च जुताई कहा जाता है।

प्रश्न 33. 
सम्पूर्ण उत्तरी मैदान के अलावा भारत में जलोढ़ मृदाएँ और कहाँ पाई जाती हैं?
उत्तर:
राजस्थान एवं गुजरात तथा पूर्वी तटीय मैदान में पाई जाती हैं। 

RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

लघुत्तरात्मक प्रश्न (Type-I)

प्रश्न 1. 
सतत् पोषणीय विकास से आपका क्या आशय है?
उत्तर:
सतत् पोषणीय विकास से आशय है कि विकास पर्यावरण को बिना नुकसान पहुँचाए हो और वर्तमान विकास की प्रक्रिया भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकता की अवहेलना न करे। इसे धारणीय विकास भी कहा जाता है।

प्रश्न 2. 
संसाधनों का वर्गीकरण कीजिये। 
उत्तर:
संसाधनों का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया जा सकता है-
(1) उत्पत्ति के आधार पर- (i) जैव और (ii) अजैव। 
(2) समाप्यता के आधार पर- (i) नवीकरण योग्य और (ii) अनवीकरण योग्य। 
(3) स्वामित्व के आधार पर- (i) व्यक्तिगत (ii) सामुदायिक (iii) राष्ट्रीय और (iv) अंतर्राष्ट्रीय। 
(4) विकास के स्तर के आधार पर- (i) संभावी (ii) विकसित (iii) भंडार और (iv) संचित कोष। 

प्रश्न 3. 
अन्तर्राष्ट्रीय संसाधनों का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय संसाधन-कुछ अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाएँ संसाधनों को नियंत्रित करती हैं। तट रेखा से 200 समुद्री मील की दूरी से परे खुले महासागरीय संसाधनों पर किसी देश का अधिकार नहीं है। इन संसाधनों को अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं की सहमति के बिना उपयोग नहीं किया जा सकता है। ये अन्तर्राष्ट्रीय संसाधन होते हैं।

RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

प्रश्न 4. 
मरुस्थलीय मृदा की कोई दो विशेषताएँ लिखिए। 
उत्तर:

  • मरुस्थली मृदाओं का रंग लाल और भूरा होता है।
  • ये मृदाएँ आमतौर पर रेतीली और लवणीय होती हैं। कुछ क्षेत्रों में नमक की मात्रा इतनी अधिक होती है कि झीलों से जल वाष्पीकृत करके खाने का नमक भी बनाया जाता है।

प्रश्न 5. 
मंदा संरक्षण के दो उपाय सुझाइए।
उत्तर:

  • ढाल वाली भूमि पर जुताई समोच्च रेखाओं के समानान्तर करने से ढाल के साथ जल बहाव कम होता है। इससे मृदा संरक्षण किया जा सकता है।
  • पेड़ों को कतारों में लगाकर रक्षक मेखला बनाकर पवनों की गति कम करके भी मृदा संरक्षण किया जा सकता है। 

प्रश्न 6. 
मानव द्वारा संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग से उत्पन्न दो समस्याओं को स्पष्ट कीजिए।
अथवा 
संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग से उत्पन्न हुई समस्याएँ बताइये।
उत्तर:

  • संसाधन समाज के कुछ ही लोगों के हाथ में आ गए हैं जिससे समाज दो हिस्सों अमीर और गरीब में विभाजित हो गया है।
  • संसाधनों के अंधाधुंध शोषण से वैश्विक पारिस्थितिकी संकट उत्पन्न हो गया है। जैसे-भूमंडलीय तापन, ओजोन परत अवक्षय, पर्यावरण प्रदूषण तथा भूमि निम्नीकरण आदि। 

प्रश्न 7. 
नवीकरणीय संसाधनों और अनवीकरणीय संसाधनों में दो बिन्दुओं में अन्तर लिखिए। 
उत्तर:

  • नवीकरणीय संसाधन एक बार प्रयुक्त करने के बाद पुनः निर्मित हो जाते हैं, जबकि अनवीकरण संसाधन पुनः निर्मित नहीं हो पाते हैं।
  • नवीकरणीय साधनों में महासागर, जल, सौर ऊर्जा, वायु, वन आदि आते हैं जबकि अनवीकरणीय संसाधनों में खनिज पदार्थ आते हैं। 

RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

प्रश्न 8. 
भूमि निम्नीकरण संरक्षण के दो उपाय बताइए।
अथवा 
भमि निम्नीकरण के संरक्षण के चार उपाय बताइए। 
उत्तर:
भूमि निम्नीकरण के संरक्षण के चार उपाय निम्नलिखित हैं-

  • वनारोपण और चरागाहों का उचित प्रबन्धन 
  • पशुचारण नियंत्रण 
  • रेतीले टीलों पर काँटेदार झाड़ियाँ लगाना 
  • खनन नियंत्रण करना। 

प्रश्न 9. 
संसाधन नियोजन का क्या अर्थ है? संसाधन नियोजन के किसी एक सोपान का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
संसाधन नियोजन का अर्थ- संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए अपनाई गई सर्वमान्य रणनीति संसाधन नियोजन कहलाती है।

संसाधन नियोजन का सोपान (कोई एक)- संसाधन विकास योजनाएँ लागू करने के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी, कौशल और संस्थागत नियोजन ढाँचा तैयार करना।

प्रश्न 10. 
संसाधन नियोजन क्यों आवश्यक है? बताइए। 
उत्तर:

  • संसाधनों की बर्बादी को रोकने, 
  • पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त रखने, 
  • सीमित संसाधनों का सभी को उपलब्ध कराये जाने तथा 
  • संसाधनों को भावी पीढ़ियों के लिए बनाये रखने आदि के लिए संसाधनों का नियोजन आवश्यक है। 

प्रश्न 11. 
काली मृदा की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  • काली मृदा काले रंग की होती है। यह बहुत महीन कणों से बनी होती है तथा इसकी नमी धारण करने की क्षमता बहुत अधिक होती है।
  • ये मृदाएँ कैल्शियम कार्बोनेट, मैग्नीशियम, पोटाश तथा चूने जैसे पौष्टिक तत्वों से परिपूर्ण होती हैं। 

RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

प्रश्न 12. 
संसाधन के संरक्षण का क्या अभिप्राय है? संसाधनों के संरक्षण के दो कारण समझाइए। 
उत्तर:
संसाधन संरक्षण मानव द्वारा संसाधनों के प्रबन्धन को संसाधन संरक्षण कहते हैं। संसाधनों के संरक्षण के कारण-

  • वर्तमान पीढ़ी को उनका सतत लाभ प्रदान करना। 
  • इसमें भावी पीढ़ी की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं की पूर्ति का भाव भी निहित है। 

प्रश्न 13. 
एजेण्डा 21 से क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एजेण्डा 21-एजेण्डा 21 एक घोषणा है जिसे सन् 1992 में ब्राजील के शहर रियो-डी-जेनेरो में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण और विकास सम्मेलन के तत्वावधान में राष्ट्राध्यक्षों द्वारा स्वीकृत किया गया था। इसका उद्देश्य समान हितों, पारस्परिक आवश्यकताओं एवं सम्मिलित जिम्मेदारियों के अनुसार विश्व सहयोग के द्वारा पर्यावरणीय क्षति, गरीबी और रोगों से निपटना है।

प्रश्न 14. 
संसाधन विकास में प्रौद्योगिकी एवं मानव की भूमिका बताइये।
उत्तर:
किसी क्षेत्र के विकास के लिए संसाधनों की उपलब्धता एक आवश्यक शर्त है । लेकिन प्रौद्योगिकी और संस्थाओं में तदनुरूपी परिवर्तनों के अभाव में केवल संसाधनों की उपलब्धता से ही विकास संभव नहीं है। अतः उपयुक्त प्रौद्योगिकी के विकास एवं मानव संसाधनों की गुणवत्ता पर संसाधन विकास आधारित होता है।

प्रश्न 15. 
भूमि का उपयोग सावधानी एवं योजनाबद्ध तरीके से क्यों किया जाना चाहिए?
उत्तर:
भूमि एक महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है। प्राकृतिक वनस्पति, वन्य जीवन, मानव जीवन, आर्थिक क्रियाएँ, परिवहन तथा संचार व्यवस्थाएँ भूमि पर ही आधारित हैं। किन्तु भूमि एक सीमित संसाधन है इसलिए उपलब्ध भूमि का विभिन्न उद्देश्यों के लिए उपयोग सावधानी और योजनाबद्ध तरीके से किया जाना चाहिए।

प्रश्न 16. 
संसाधनों का समाज में न्यायसंगत बँटवारा क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
मानव जीवन की गुणवत्ता और विश्व शान्ति बनाए रखने के लिए संसाधनों का समाज में न्यायसंगत बँटवारा आवश्यक है। यदि कुछ ही व्यक्तियों तथा देशों द्वारा संसाधनों का वर्तमान दोहन जारी रहता है, तो हमारी पृथ्वी का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।

RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

प्रश्न 17. 
प्रकृति, प्रौद्योगिकी एवं संस्थाओं के परस्पर अन्तर्सम्बन्ध को समझाइए।
उत्तर:
हमारे पर्यावरण में उपलब्ध वस्तुओं की रूपान्तरण-प्रक्रिया प्रकृति, प्रौद्योगिकी तथा संस्थाओं के परस्पर अन्तर्सम्बन्ध में निहित है। इनके केन्द्र में मानव है। मानव प्रौद्योगिकी द्वारा प्रकृति के साथ क्रिया करते हैं और अपने आर्थिक विकास की गति को तेज करने के लिए संस्थाओं का निर्माण करते हैं। 

इसे चित्र द्वारा निम्न प्रकार जाना जा सकता है-
RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास 1

प्रश्न 18. 
गाँधीजी के अनुसार संसाधन ह्रास के लिए कौन उत्तरदायी है? संसाधन संरक्षण के लिए वे क्या चाहते थे?
उत्तर:
गाँधीजी के अनुसार विश्व स्तर पर संसाधन ह्रास के लिए लालची और स्वार्थी व्यक्ति तथा आधुनिक प्रौद्योगिकी की शोषणात्मक प्रवृत्ति जिम्मेदार है। वे अत्यधिक उत्पादन के विरुद्ध थे और इसके स्थान पर अधिक बड़े जनसमुदाय द्वारा उत्पादन के पक्षधर थे।

प्रश्न 19. 
भू-उपयोग को निर्धारित करने वाले तत्त्वों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भू-उपयोग को निर्धारित करने वाले तत्त्व-भू-उपयोग को निर्धारित करने वाले तत्त्वों में भौतिक कारक यथा भू-आकृति, जलवायु और मृदा के प्रकार तथा मानवीय कारक यथा जनसंख्या घनत्व, प्रौद्योगिक क्षमता, संस्कृति और परम्पराएँ आदि शामिल हैं।

प्रश्न 20. 
'भारत में संसाधन नियोजन की आवश्यकता' किस कारण है?
उत्तर:
भारत में किन्हीं प्रदेशों में एक प्रकार के संसाधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं किन्तु दूसरे प्रकार के संसाधनों की कमी है। कुछ प्रदेश ऐसे भी हैं जो कि संसाधनों की उपलब्धता में आत्मनिर्भर हैं तथा कुछ प्रदेश ऐसे भी हैं जहाँ महत्त्वपूर्ण संसाधनों की अत्यधिक कमी है। इसी कारण देश में संसाधन नियोजन की आवश्यकता है। 

RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

लघूत्तरात्मक प्रश्न (Type-II)

प्रश्न 1. 
व्यक्तिगत संसाधन तथा सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधनों में अन्तर स्पष्ट कीजिये। 
उत्तर:
(1) व्यक्तिगत संसाधन-वे संसाधन जो कि निजी व्यक्तियों के स्वामित्व में होते हैं, व्यक्तिगत संसाधन कहलाते हैं । गाँवों में अनेक किसानों के पास स्वयं के निजी स्वामित्व वाली भूमि होती है जिसके बदले वे सरकार को लगान चुकाते हैं। शहरों में भी लोग भूखण्ड, मकान व अन्य जायदाद के स्वामी होते हैं। निजी बाग, चरागाह, तालाब और कुओं का जल आदि निजी स्वामित्व वाले संसाधन हैं। 

(2) सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन-वे संसाधन जो कि समुदाय के सभी सदस्यों को उपलब्ध होते हैं, सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन कहलाते हैं। गाँव की शामिलात भूमि, तालाब तथा नगरीय क्षेत्रों में सार्वजनिक पार्क, पिकनिक स्थल, खेल के मैदान आदि सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन हैं।

प्रश्न 2. 
रियो-डी-जेनेरो पृथ्वी सम्मेलन, 1992 का आयोजन क्यों किया गया? स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
जून, 1992 में विश्व के सौ से भी अधिक राष्ट्राध्यक्ष ब्राजील के शहर रियो-डी-जेनेरो में प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय पृथ्वी सम्मेलन में एकत्रित हुए। इस सम्मेलन का आयोजन विश्व स्तर पर उभरते पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक-आर्थिक विकास की समस्याओं का हल ढूँढ़ने के लिए किया गया था। इस सम्मेलन में एकत्रित नेताओं ने भूमण्डलीय जलवायु परिवर्तन और जैविक विविधता पर एक घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर किये। रियो सम्मेलन में भूमण्डलीय वन सिद्धान्तों पर सहमति जताई गई और 21वीं शताब्दी में सतत पोषणीय विकास के लिए 'एजेण्डा 21' को स्वीकृति प्रदान की गई।

प्रश्न 3. 
भारत में संसाधन नियोजन के प्रमुख सोपानों का उल्लेख कीजिए। 
उत्तर:
संसाधन नियोजन एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें निम्नलिखित सोपान हैं-
(1) देश के विभिन्न प्रदेशों में संसाधनों की पहचान करके उनकी तालिका बनाना। इस कार्य में क्षेत्रीय सर्वेक्षण, मानचित्र बनाना और संसाधनों का गुणात्मक एवं मात्रात्मक अनुमान लगाना व मापन करना है।
(2) संसाधन विकास योजनाएं लागू करने के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी, कौशल और संस्थागत नियोजन ढाँचा तैयार करना।
(3) संसाधन विकास योजनाओं और राष्ट्रीय विकास योजना में समन्वय स्थापित करना।
स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरान्त भारत में संसाधन नियोजन के उद्देश्य की पूर्ति के प्रथम पंचवर्षीय योजना से ही प्रयास किए गये।

RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

प्रश्न 4. 
जलोढ़ मृदा की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिये। 
उत्तर:
जलोढ़ मृदा की प्रमुख विशेषताएँ-जलोढ़ मृदा की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  • जलोढ़ मृदा विस्तृत रूप से सम्पूर्ण उत्तरी भारत के मैदान में फैली हुई है।
  • जलोढ़ मृदाएँ हिमालय के तीन महत्त्वपूर्ण नदी तंत्रों यथा सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों द्वारा लाए गये निक्षेपों से निर्मित हुई हैं।
  • जलोढ़ मृदा में रेत, सिल्ट और मृत्तिका के विभिन्न अनुपात पाये जाते हैं। 
  • आयु के आधार पर जलोढ़ मृदाएँ दो प्रकार की होती हैं-(i) पुराना जलोढ़ (बांगर) तथा (ii) नया जलोढ़ (खादर)।
  • जलोढ़ मृदाएँ बहुत उपजाऊ होती हैं। अधिकांशतः ये मृदाएँ पोटाश, फॉस्फोरस और चूनायुक्त होती हैं। .
  • अधिक उपजाऊ होने के कारण जलोढ़ मृदा वाले क्षेत्रों में गहन कृषि की जाती है और यहाँ जनसंख्या का घनत्व भी अधिक पाया जाता है।
  • सूखे क्षेत्रों की जलोढ़ मृदाएँ अधिक क्षारीय होती हैं। सही उपचार और सिंचाई द्वारा इनकी पैदावार बढ़ाई जा सकती है।

प्रश्न 5. बांगर व खादर में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
पुराने जलोढ़ एवं नवीन जलोढ़ में अन्तर बताइए। 
उत्तर:
पुराने जलोढ़ (बांगर) एवं नवीन जलोढ़ (खादर) में निम्नलिखित अन्तर हैं-

  • पुराने जलोढ़ को बांगर कहते हैं जबकि नवीन जलोढ़ को खादर कहते हैं।
  • बांगर ऊँचा मैदानी भाग है जहाँ नदियों की बाढ़ का जल नहीं पहुँच पाता जबकि खादर निचला मैदानी भाग है जहाँ नदियों की बाढ़ का जल पहुँचता है।
  • बांगर अपेक्षाकृत कम उपजाऊ होता है जबकि खादर अधिक उपजाऊ होता है।
  • गठन में बांगर की मृदा में 'कंकर' ग्रन्थियों की मात्रा अधिक होती है अर्थात् यह मृदा मोटे कण वाली होती है और खादर की मृदा बारीक कण वाली होती है।

प्रश्न 6. 
भारत की मुख्य भू-आकृतियों का उल्लेख कीजिये। 
उत्तर:
मुख्य भू-आकृतियाँ-भारत में भूमि पर मुख्य रूप से निम्नलिखित प्रकार की भू-आकृतियाँ पाई जाती
(1) मैदान-भारत में लगभग 43 प्रतिशत भू-क्षेत्र मैदान है जो कि कृषि और उद्योग के विकास के लिए सुविधाजनक है।
(2) पर्वत भारत में पर्वत कुल भू-क्षेत्र के 30 प्रतिशत भाग पर विस्तृत हैं। पर्वत कुछ बारहमासी अर्थात वर्षपर्यन्त प्रवाहित होने वाली नदियों के प्रवाह को सुनिश्चित करते हैं। ये पर्यटन विकास के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ प्रदान करते हैं तथा पारिस्थितिकी की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होते हैं।
(3) पठार-भारत में कुल भू-क्षेत्र का लगभग 27 प्रतिशत भाग पठारी क्षेत्र है। इस क्षेत्र में खनिजों, जीवाश्म ईंधन और वनों का अपार भण्डार संचित है।

RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

प्रश्न 7. 
मृदा अपरदन क्या है? मृदा किस-किस प्रकार अपरदित होती है? 
उत्तर:
मृदा अपरदन- मृदा के कटाव एवं उसके बहाव की प्रक्रिया को मृदा अपरदन कहते हैं। 
मृदा अपरदन के कारक-

  • मानवीय तथा प्राकृतिक दोनों प्रकार के कारक मृदा अपरदन के लिए उत्तरदायी हैं।
  • कृषि के गलत तरीकों से मृदा अपरदन होता है। गलत ढंग से हल चलाने से, जैसे-ढाल पर ऊपर से नीचे की ओर हल चलाने से वाहिकाएँ बन जाती हैं, जिसके अन्दर से बहता पानी मृदा को अपरदित करता है।
  • शुष्क एवं बलुई क्षेत्रों में तीव्र हवा मृदा अपरदन का प्रमुख कारण है। 
  • पेड़ों की अविवेकपूर्ण कटाई तथा वनोन्मूलन के कारण बार-बार बातें आती हैं जो मृदा को हानि पहुँचाती हैं। 
  • अति पशुचारण, खनन एवं निर्माण कार्य भी मृदा को अपरदित करने में सहायता करते हैं। 

प्रश्न 8. 
मृदा अपरदन को कैसे रोका जा सकता है? 
उत्तर:
मृदा अपरदन को निम्न तरीकों से रोका जा सकता है-

  • समोच्च जुताई-समोच्च जुताई द्वारा अपरदन को कम किया जा सकता है। ढाल वाली भूमि की जुताई समोच्च रेखाओं के समानान्तर करने से ढाल के साथ जल बहाव की गति घटती है।
  • सोपान कृषि भूमि में ढालों पर सीढ़ीदार कृषि करने से भूमि अपरदन नियंत्रित होता है।
  • पट्टी कृषि-एक बड़ी कृषि भूमि को छोटी-छोटी पट्टियों में बाँटकर फसलों के बीच घास की पट्टियाँ उगाकर वायु की गति को कम करके भूमि अपरदन को रोका जा सकता है।
  • रक्षक मेखला पेड़ों को एक कतार में लगाकर वायु गति को कम करके भी भूमि अपरदन को रोका जाता है।
  • मानवीय क्रियाओं पर नियंत्रण-वनोन्मूलन, अति पशुचारण, निर्माण तथा अवैध खनन आदि पर नियंत्रण लगाकर भी मृदा अपरदन को रोका जा सकता है।

प्रश्न 9. 
संसाधनों के वर्गीकरण को चित्र/तालिका बनाकर दर्शाइए। 
उत्तर:
RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास 2

प्रश्न 10. 
समाप्यता के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण कीजिए। 
उत्तर:
समाप्यता के आधार पर संसाधन निम्न दो प्रकार के होते हैं-
(1) नवीकरण योग्य संसाधन-वे संसाधन जिन्हें भौतिक, रासायनिक या यांत्रिक प्रक्रियाओं द्वारा नवीकृत या पुनः उत्पन्न किया जा सकता है, उन्हें नवीकरण योग्य अथवा पुनः पूर्ति योग्य संसाधन कहा जाता है। उदाहरणार्थ, सौर तथा पवन ऊर्जा, जल, वन व वन्य जीवन। इन संसाधनों को सतत् अथवा प्रवाह संसाधनों में विभाजित किया गया है।

(2) अनवीकरण योग्य संसाधन-इन संसाधनों का विकास एक लंबे भू-वैज्ञानिक अंतराल में होता है। खनिज और जीवाश्म ईंधन इस प्रकार के संसाधनों के उदाहरण हैं। इनके बनने में लाखों वर्ष लग जाते हैं। इनमें से कुछ संसाधन जैसे धातुएँ पुनः चक्रीय हैं और कुछ साधन जैसे जीवाश्म ईंधन अचक्रीय हैं व एक बार के प्रयोग के साथ ही खत्म हो जाते हैं।

RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

प्रश्न 11. 
राष्ट्रीय संसाधन क्या होते हैं? समझाइए।
उत्तर:
राष्ट्रीय संसाधन-तकनीकी तौर पर देश में पाये जाने वाले सभी संसाधन राष्ट्रीय संसाधन होते हैं। देश के सारे खनिज पदार्थ, जल संसाधन, वन, वन्य जीवन, राजनीतिक सीमाओं के अन्दर सारी भूमि और 12 समुद्री मील (22.2 किमी.) तक महासागरीय क्षेत्र (भू-भागीय समुद्र) व इसमें पाए जाने वाले संसाधन राष्ट्र की संपदा होते हैं। इसके साथ ही देश की सरकार को कानूनी अधिकार होता है कि वह व्यक्तिगत संसाधनों को भी आम जनता के हित में अधिग्रहित कर सकती है। इसीलिए कई जगह सड़कें, नहरें और रेल लाइनें व्यक्तिगत स्वामित्व वाले खेतों में भी बनी हुई होती हैं। शहरी विकास प्राधिकरणों को सरकार ने भूमि अधिग्रहण का अधिकार दिया हुआ है।

प्रश्न 12. 
भारत में संसाधनों की उपलब्धता में बहुत विविधता है, समझाइए।
उत्तर:
भारत में संसाधनों की उपलब्धता में बहुत अधिक विविधता पाई जाती है। यहाँ ऐसे प्रदेश भी हैं जहाँ एक तरह के संसाधनों की प्रचुरता है, परन्तु दूसरे तरह के संसाधनों की कमी है। कुछ ऐसे प्रदेश भी हैं, जो संसाधनों की दृष्टि से आत्मनिर्भर हैं और कुछ ऐसे प्रदेश भी हैं, जहाँ महत्त्वपूर्ण संसाधनों की अत्यधिक कमी है। उदाहरण के लिए, झारखंड, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में खनिजों और कोयले के प्रचुर भंडार हैं। अरुणाचल प्रदेश में जल संसाधन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, परन्तु मूल विकास की कमी है। राजस्थान में पवन और सौर ऊर्जा संसाधनों की बहुतायत है, लेकिन जल संसाधनों की कमी है। लद्दाख का शीत मरुस्थल सांस्कृतिक विरासत का धनी है परन्तु यहाँ जल, आधारभूत, अवसंरचना तथा कुछ महत्त्वपूर्ण खनिजों की कमी है।

इस प्रकार भारत में संसाधनों की उपलब्धता में क्षेत्रवार बहुत विविधता पाई जाती है। 

प्रश्न 13. 
मनुष्यों द्वारा संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग से क्या समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं? बतलाइये। 
उत्तर:
मनुष्यों द्वारा संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग से निम्नलिखित मुख्य समस्याएँ पैदा हुई हैं-

  • कुछ व्यक्तियों के लालचवश संसाधनों का ह्रास।
  • संसाधन समाज के कुछ ही लोगों के हाथ में आ गए हैं, जिससे समाज दो हिस्सों संसाधन संपन्न एवं संसाधनहीन अर्थात् अमीर और गरीब में बँट गया।
  • संसाधनों के अंधाधुंध शोषण से वैश्विक पारिस्थितिकी संकट पैदा हो गया है जैसे भूमंडलीय तापन, ओजोन परत अवक्षय, पर्यावरण प्रदूषण और भूमि निम्नीकरण आदि हैं।

RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

प्रश्न 14. 
संसाधनों के संरक्षण के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हुए प्रयासों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए। 
उत्तर:
संसाधन संरक्षण हेतु अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर निम्न प्रयास किये गये-

  • अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यवस्थित तरीके से संसाधन संरक्षण की वकालत 1968 में क्लब ऑफ रोम ने की।
  • 1974 में शुमेसर ने अपनी पुस्तक 'स्माल इज ब्यूटीफुल' में संसाधन संरक्षण पर गाँधीजी के दर्शन की एक बार फिर से पुनरावृत्ति की।
  • 1987 में ब्रुन्ड्टलैंड आयोग रिपोर्ट द्वारा वैश्विक स्तर पर संसाधन संरक्षण में मूलाधार योगदान किया गया। इस रिपोर्ट ने सतत पोषणीय विकास (Sustainable Development) की संकल्पना प्रस्तुत की और संसाधन संरक्षण की वकालत की। यह रिपोर्ट बाद में हमारा सांझा भविष्य (Our Common Future) शीर्षक से पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुई।
  • पर्यावरण संरक्षण हेतु रियो डी जेनेरो, ब्राजील में 1992 में पृथ्वी सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में सतत पोषणीय विकास हेतु एजेंडा 21 को स्वीकृति प्रदान की गई।

प्रश्न 15. 
रियो डी जेनेरो पृथ्वी सम्मेलन, 1992 पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
अथवा 
प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय पृथ्वी सम्मेलन की प्रमुख बातें लिखिए। 
उत्तर:
1992 में आयोजित रियो डी जेनेरो पृथ्वी सम्मेलन की प्रमुख बातें निम्न प्रकार हैं-

  • प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय पृथ्वी सम्मेलन जून, 1992 में ब्राजील के शहर रियो डी जेनरो में आयोजित किया गया। 
  • इस सम्मलन में विश्व के 100 से भी अधिक राष्ट्राध्यक्ष एकत्रित हुए।
  • सम्मेलन का आयोजन विश्व स्तर पर उभरते पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक-आर्थिक विकास की समस्याओं का हल ढूँढ़ने के लिए किया गया था।
  • इस सम्मेलन में एकत्रित नेताओं ने भूमंडलीय जलवायु परिवर्तन और जैविक विविधता पर एक घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर किए।
  • रियो सम्मेलन में भूमंडलीय वन सिद्धान्तों (Forest Principles) पर सहमति जताई गई और 21वीं शताब्दी में सतत पोषणीय विकास के लिए एजेंडा 21 को स्वीकृति प्रदान की गई। इसका उद्देश्य भूमण्डलीय सतत पोषणीय विकास हासिल करना है।

प्रश्न 16. 
मृदा संसाधन पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
उत्तर:
मृदा संसाधन-पृथ्वी पर मृदा सबसे महत्त्वपूर्ण नवीकरण योग्य प्राकृतिक संसाधन है। यह पेड-पौधों के विकास का माध्यम है जो पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार के जीवों का पोषण करती है। मृदा एक जीवंत तंत्र है। मृदा निर्माण की प्रक्रिया बहुत लम्बी है। कुछ सेंटीमीटर गहरी मृदा बनने में भी लाखों वर्ष लग जाते हैं। मृदा बनने की प्रक्रिया में उच्चावच, जनक शैल अथवा संस्तर शैल, जलवायु, वनस्पति और अन्य जैव पदार्थ और समय मुख्य कारक हैं। प्रकृति के अनेकों तत्व जैसे तापमान परिवर्तन, बहते जल की क्रिया, पवन, हिमनदी और अपघटन क्रियाएँ आदि का मृदा बनने की प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। मृदा में होने वाले रासायनिक और जैविक परिवर्तन भी महत्त्वपूर्ण हैं। मृदा जैव (ह्यूमस) और अजैव दोनों प्रकार के पदार्थों से बनती है। 

RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

प्रश्न 17. 
काली मृदा की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
अथवा 
रेगर मृदा किन-किन क्षेत्रों में पाई जाती है? इसकी विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
काली मृदा (रेगर मृदा) के क्षेत्र-काली मृदाएँ महाराष्ट्र, सौराष्ट्र, मालवा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के पठार पर पाई जाती हैं और दक्षिण-पूर्वी दिशा में गोदावरी और कृष्णा नदियों की घाटियों तक फैली हैं।

काली मृदा (रेगर मृदा) की विशेषताएँ-

  • काली मृदा बहुत बारीक कणों अर्थात् मृत्तिका से बनी है। 
  • इसकी नमी धारण करने की क्षमता बहुत अधिक होती है। 
  • काली मृदाएँ कैल्शियम कार्बोनेट, मैगनीशियम, पोटाश और चूने जैसे पौष्टिक तत्त्वों से परिपूर्ण होती हैं। 
  • इनमें फास्फोरस की मात्रा कम होती है।
  • गर्म और शुष्क मौसम में इन मृदाओं में गहरी दरारें पड़ जाती हैं जिससे इनमें वायु का मिश्रण अच्छी तरह हो जाता है।
  • गीली होने पर ये मृदाएँ चिपचिपी हो जाती हैं। 
  • काली मृदाएँ लावा जनक शैलों से बनी होती हैं। 
  • इनका रंग काला होता है तथा इन्हें 'रेगर' मृदाएँ भी कहा जाता है। 
  • काली मृदाएँ कपास की खेती के लिए बहुत अच्छी होती हैं। 

प्रश्न 18. 
मरुस्थली मृदा पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
उत्तर:
मरुस्थली मृदा- भारत में मरुस्थली मृदा मुख्यतः पश्चिमी राजस्थान में पाई जाती है। मरुस्थली मृदा की प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं-

  • मरुस्थली मृदाओं का रंग लाल और भूरा होता है।
  • ये मृदाएँ प्रायः रेतीली और लवणीय होती हैं। कुछ क्षेत्रों में नमक की मात्रा इतनी अधिक है कि झीलों से जल वाष्पीकृत करके खाने का नमक भी बनाया जाता है।
  • इन मृदाओं में ह्यूमस और नमी की मात्रा कम होती है।
  • इस प्रकार की मृदा की सतह के नीचे कैल्शियम की मात्रा बढ़ती चली जाती है और नीचे की परतों में चुने के कंकर की सतह पाई जाती है। इसके कारण मृदा में जल अंत:स्यंदन (infiltration) बाधित हो जाता है।
  • इस मृदा को सही तरीके से सिंचित करके कृषि योग्य बनाया जा सकता है। 

प्रश्न 19. 
वन मृदा का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वन मदा-वन मृदाएँ प्रायः ऐसे पहाड़ी और पर्वतीय क्षेत्रों में पाई जाती हैं जहाँ पर्याप्त वर्षा- वन उपलब्ध हैं। इन मृदाओं का गठन पर्वतीय पर्यावरण के अनुसार बदलता रहता है। नदी घाटियों में जहाँ ये मृदाएँ दोमट और सिल्टदार होती हैं, वहाँ ऊपरी ढालों पर इनका गठन मोटे कणों का होता है। हिमालय के हिमाच्छादित क्षेत्रों में इन मृदाओं का अत्यधिक अपरदन होता है और ये अधिसिलिक (acidic) तथा ह्यूमस रहित होती हैं। नदी घाटियों के निचले क्षेत्रों, विशेषकर नदी सोपानों और जलोढ़ पंखों आदि में ये मृदाएँ अत्यन्त उपजाऊ होती हैं। 

RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
संसाधन किसे कहते हैं? स्वामित्व के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण कीजिये।
उत्तर:
संसाधन का अर्थ-पर्यावरण में उपलब्ध प्रत्येक वस्तु जो कि मनुष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने में प्रयुक्त की जा सकती है और जिसको बनाने के लिए प्रौद्योगिकी उपलब्ध है एवं जो कि आर्थिक रूप से संभाव्य और सांस्कृतिक रूप से मान्य है, संसाधन कहलाती है।

स्वामित्व के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण

स्वामित्व के आधार पर संसाधनों को निम्नलिखित चार वर्गों में विभाजित किया जाता है-
(i) व्यक्तिगत संसाधन- वे संसाधन जो कि निजी व्यक्तियों के स्वामित्व में होते हैं, व्यक्तिगत संसाधन कहलाते हैं। गाँवों में अनेक लोग भूमि के स्वामी होते हैं। शहरों में भी लोग भूखंड, मकानों एवं अन्य जायदाद के स्वामी होते हैं । बाग, चरागाह, तालाब और कुओं का जल आदि संसाधनों के निजी स्वामित्व के कुछ उदाहरण हैं।

(ii) सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन- वे संसाधन जो कि समुदाय के सभी सदस्यों को उपलब्ध होते हैं, सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन होते हैं। गाँव में चारण भूमि, श्मशान भूमि, तालाब तथा नगरीय क्षेत्रों में सार्वजनिक पार्क, पिकनिक स्थल और खेल के मैदान, सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन हैं।

(iii) राष्ट्रीय संसाधन- तकनीकी रूप से देश में पाए जाने वाले समस्त संसाधन राष्ट्रीय संसाधन हैं। देश की सरकार को कानूनी अधिकार होता है कि वह व्यक्तिगत संसाधनों को भी आम जनता के हित में अधिग्रहित कर सकती है। इसीलिए सड़कें, नहरें और रेल लाइनें व्यक्तिगत स्वामित्व वाले खेतों में भी बनी हुई होती हैं।

(iv) अन्तर्राष्ट्रीय संसाधन- कुछ अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाएँ संसाधनों को नियंत्रित करती हैं। तट रेखा से 200 समुद्री मील की दूरी से परे खुले महासागरीय संसाधनों पर किसी देश का अधिकार नहीं है। इन संसाधनों को अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं की सहमति के बिना उपयोग नहीं किया जा सकता है। ये अन्तर्राष्ट्रीय संसाधन होते हैं।

प्रश्न 2. 
किसी क्षेत्र के विकास हेतु संसाधनों की उपलब्धता के साथ-साथ प्रौद्योगिकी विकास एवं संस्थागत परिवर्तन भी आवश्यक हैं। स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
इसे निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) किसी क्षेत्र के विकास के लिए संसाधनों की उपलब्धता एक आवश्यक शर्त है परंतु प्रौद्योगिकी और संस्थाओं में तदनुरूपी परिवर्तनों के अभाव में मात्र संसाधनों की उपलब्धता से ही विकास संभव नहीं है।

(2) देश में बहुत से क्षेत्र हैं जो संसाधन समृद्ध होते हुए भी आर्थिक रूप से पिछड़े प्रदेशों की गिनती में आते हैं क्योंकि वहाँ प्रौद्योगिकी तथा तदनुरूप संस्थाओं का अभाव है। इसके विपरीत कुछ ऐसे प्रदेश भी हैं जो संसाधनों की कमी होते हुए भी उन्नत प्रौद्योगिकी विकास के कारण आर्थिक रूप से विकसित हैं।

(3) उपनिवेशन का इतिहास हमें बताता है कि उपनिवेशकारी देशों ने बेहतर प्रौद्योगिकी के सहारे उपनिवेशों के संसाधनों का शोषण किया तथा उन पर अपना आधिपत्य स्थापित किया।

अतः संसाधन किसी प्रदेश के विकास में तभी योगदान दे सकते हैं, जब वहाँ उपयुक्त प्रौद्योगिकी विकास और संस्थागत परिवर्तन किए जाएँ। उपनिवेशन के विभिन्न चरणों में भारत ने भी इन सबका अनुभव किया है। अतः विकास सामान्यतः तथा संसाधन विकास लोगों के मुख्यतः संसाधनों की उपलब्धता पर ही आधारित नहीं होता बल्कि इसमें प्रौद्योगिकी, मानव संसाधन की गुणवत्ता और ऐतिहासिक अनुभव का भी योगदान रहता है।

RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

प्रश्न 3. 
संसाधनों के नियोजन से आप क्या समझते हैं? संसाधनों के संरक्षण करने के उपाय सुझाइए।
उत्तर:
संसाधन नियोजन का अर्थ- संसाधन नियोजन एक ऐसी प्रक्रिया है जो संसाधनों के उपयोग, संरक्षण एवं संवर्धन हेतु अपनाई जाती है। अतः संसाधनों को लम्बे समय तक उपयोग करने, विनिष्टता से बचाने और प्रदूषण रहित रखने और उनके संवर्द्धन हेतु नीति एवं विधि निर्धारित करने की कला संसाधन नियोजन कहलाती है।

संसाधन संरक्षण के उपाय- किसी भी तरह के विकास में संसाधनों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। परन्तु संसाधनों का अविवेकपूर्ण उपयोग तथा अति उपयोग के कारण कई सामाजिक-आर्थिक तथा पर्यावरणीय समस्याएँ पैदा हो सकती हैं। इन समस्याओं से बचने के लिए विभिन्न स्तरों पर संसाधनों का संरक्षण आवश्यक है। संसाधन संरक्षण के प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं-

  • जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण किया जाये, जिससे संसाधनों पर बढ़ता दबाव कम किया जा सके। 
  • संसाधन उपयोग की नवीन प्रौद्योगिकी का उपयोग हो किन्तु शोषणात्मक प्रवृत्ति न हो। 
  • अपशिष्टियों में कमी तथा प्रदूषण पर नियंत्रण किया जाये। 
  • समन्वित पर्यावरण तंत्र प्रबंधन अपनाया जाये। 
  • आम लोगों की संसाधन उपयोग की प्रवृत्ति में परिवर्तन किया जाये। 
  • शिक्षा का विकास, विस्तार एवं प्रचार किया जाये।

प्रश्न 4. 
भारत में पाई जाने वाली मृदाओं का वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिये। 
उत्तर:
मदाओं का वर्गीकरण 
भारत में अनेक प्रकार के उच्चावच, भू-आकृतियाँ, जलवायु और वनस्पतियाँ पाई जाती हैं। इसके परिणामस्वरूप निम्नलिखित मृदाएँ पाई जाती हैं-
(1) जलोढ़ मृदा- यह देश की महत्त्वपूर्ण मृदा है जो कि विस्तृत रूप से फैली हुई है। सम्पूर्ण उत्तरी मैदान जलोढ़ मृदा से बना है। जलोढ़ मृदाएँ हिमालय के तीन महत्त्वपूर्ण नदी तंत्रों यथा-सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों द्वारा लाए गए जमावों से बनी हैं। एक संकरे गलियारे द्वारा ये मृदाएँ राजस्थान और गुजरात तक फैली हैं। पूर्वी तटीय मैदान, विशेषकर महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी नदियों के डेल्टे भी जलोढ़ मृदा से बने हैं। इसके दो प्रकार हैं(i) बांगर और (ii) खादर।

(2) काली मृदा- इन मृदाओं का काला रंग होता है तथा इनको 'रेगर' मृदाओं के नाम से भी जाना जाता है। काली मृदा कपास की खेती के लिए उत्तम होती है तथा इनको 'काली कपास मृदा' के नाम से भी जाना जाता है।
काली मृदाएँ महाराष्ट्र, सौराष्ट्र, मालवा, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के पठार पर पाई जाती हैं तथा दक्षिणी-पूर्वी दिशा में गोदावरी और कृष्णा नदियों की घाटियों तक फैली हैं।

(3) लाल और पीली मृदा- लाल मृदा दक्कन के पठार के पूर्वी और दक्षिणी भागों में रवेदार आग्नेय चट्टानों पर कम वर्षा वाले भागों में विकसित हुई है। लाल और पीली मृदाएँ उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्य गंगा मैदान के दक्षिणी छोर पर और पश्चिमी घाट में पहाड़ी पद पर पाई जाती हैं।

(4) लेटराइट- लेटराइट मृदा उच्च तापमान और अत्यधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में विकसित होती है। यह भारी वर्षा से अत्यधिक निक्षालन का परिणाम है। इस मृदा में ह्यूमस की मात्रा कम पाई जाती है। लेटराइट मृदा पर अधिक मात्रा में खाद और रासायनिक उर्वरक का प्रयोग करके ही खेती की जा सकती है।
लेटराइट मृदाएँ मुख्य रूप से कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, उड़ीसा तथा असम के पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती हैं।

(5) मरुस्थली मृदा- मरुस्थली मृदाओं का रंग लाल और भूरा होता है। ये मृदाएँ आमतौर पर रेतीली और लवणीय होती हैं। कुछ क्षेत्रों में नमक की मात्रा इतनी अधिक होती है कि झीलों से जल वाष्पीकृत करके खाने का नमक भी बनाया जाता है। इस मृदा में ह्यूमस और नमी की मात्रा कम होती है।

(6) वन मृदा-इस प्रकार की मृदाएँ मुख्य रूप से उन पहाड़ी और पर्वतीय क्षेत्रों में पाई जाती हैं, जिन क्षेत्रों में पर्याप्त वर्षा-वन उपलब्ध हैं।

RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

प्रश्न 5. 
लेटराइट मृदा किन क्षेत्रों में पाई जाती है? इनकी प्रमुख विशेषताएँ बतलाइए।
उत्तर:
लेटराइट मृदा के क्षेत्र-लेटराइट मृदा अधिकतर दक्षिणी राज्यों, महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट क्षेत्रों ओडिशा, पश्चिम बंगाल के कुछ भागों तथा उत्तर-पूर्वी प्रदेशों में पाई जाती है।

लेटराइट मृदा की विशेषताएँ-

  • लेटराइट मृदा का निर्माण उष्णकटिबंधीय तथा उपोषण कटिबंधीय जलवायु क्षेत्रों में आर्द्र तथा शुष्क ऋतुओं के एक के बाद एक आने के कारण होता है।
  • यह भारी वर्षा से अत्यधिक निक्षालन (leaching) का परिणाम है। 
  • लेटराइट मृदा अधिकतर गहरी तथा अम्लीय (pH < 6.0) होती है।
  • इसमें सामान्यतः पौधों के पोषक तत्वों की कमी होती है। 
  • जहाँ इस मिट्टी में पर्णपाती और सदाबहार वन मिलते हैं, वहाँ इसमें ह्यूमस पर्याप्त रूप में पाया जाता है, लेकिन विरल वनस्पति और अर्ध शुष्क पर्यावरण में इसमें ह्यूमस की मात्रा कम पाई जाती है।
  • स्थलरूपों पर उनकी स्थिति के अनुसार उनमें अपरदन तथा भूमि-निम्नीकरण की संभावना होती है।
  • मृदा संरक्षण की उचित तकनीक अपना कर इन मृदाओं पर कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में चाय और कॉफी उगाई जाती हैं। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल की लाल लेटराइट मृदाएँ काजू की फसल के लिए अधिक उपयुक्त हैं।

प्रश्न 6. 
भारत में भूमि निम्नीकरण के लिए उत्तरदायी कारक तथा इसे नियंत्रित करने के उपाय बताइये। 
उत्तर:
भूमि निम्नीकरण के लिए उत्तरदायी कारक-भूमि निम्नीकरण के लिए उत्तरदायी कारक निम्नलिखित हैं-

  • खनन-खनन के उपरान्त खदानों वाले स्थानों को गहरी खाइयों और मलबे के साथ खुला छोड़ दिया जाता है; वनों को काटा जाता है जिससे भूमि का अपकर्षण होता है।
  • अति पशुचारण- चरागाहों में पशुओं की निरन्तर चराई के कारण भूमि का ह्रास होता है।
  • अत्यधिक सिंचाई- भूमि की अत्यधिक सिंचाई से जल भराव होता है। अत्यधिक सिंचाई के कारण उत्पन्न जलाक्रान्तता के फलस्वरूप भूमि की लवणता अथवा क्षारीयता बढ़ जाती है जिससे भूमि कृषि के अयोग्य हो जाती है।
  • खनिज प्रक्रियाएँ-सीमेण्ट उद्योग में चूना पत्थर को पीसना तथा मृदा उद्योग में खड़िया मृदा और सेलखड़ी के प्रयोग से बहुत अधिक मात्रा में वायुमण्डल में धूल विसर्जित होती है। जब इसकी परत भूमि पर जम जाती है तो मृदा की जल सोखने की प्रक्रिया अवरुद्ध हो जाती है। इससे भूमि का निम्नीकरण हो रहा है।
  • औद्योगिक अपशिष्ट-विगत कुछ वर्षों से देश के विभिन्न भागों में औद्योगिक जल निकास से बाहर आने वाला अपशिष्ट पदार्थ भूमि और जल प्रदूषण का मुख्य स्रोत है।

भूमि निम्नीकरण को नियंत्रित करने के उपाय-

  • वनारोपण और चरागाहों का उचित प्रबंधन किया जाना। 
  • पेड़ों की रक्षक मेखला, पशुचारण नियंत्रण और रेतीले टीलों को काँटेदार झाड़ियाँ लगाकर स्थिर बनाना। 
  • बंजर भूमि का उचित प्रबंधन किया जाए। 
  • औद्योगिक जल को परिष्करण के उपरान्त विसर्जित करके जल और भूमि प्रदूषण को कम करना। 
  • खनन के क्रियाकलापों को नियंत्रित किया जाए। 

प्रश्न 7. 
मृदा अपरदन और संरक्षण पर एक भौगोलिक लेख लिखिए। 
उत्तर:
मृदा अपरदन का अर्थ- मृदा के कटाव और उसके बहाव की प्रक्रिया को मृदा अपरदन कहा जाता है। मृदा अपरदन के प्रकार-मृदा अपरदन के प्रकार निम्नलिखित हैं-

  • उत्खात भूमि-प्रवाहित जल मृत्तिकायुक्त मृदाओं को काटते हुए गहरी वाहिकाएँ बनाता है जिनको अवनलिकाएँ कहते हैं। इस प्रकार की भूमि जुताई के अयोग्य हो जाती है जिसे उत्खात भूमि के नाम से जाना जाता है।
  • चादर अपरदन-अनेक बार जल विस्तृत क्षेत्र को ढके हुए ढाल के साथ नीचे की तरफ प्रवाहित होता है, जिससे उस क्षेत्र की ऊपरी मृदा घुलकर जल के साथ बह जाती है, इसे चादर अपरदन कहते हैं।
  • पवन अपरदन-पवन द्वारा मैदान अथवा ढालू क्षेत्र से मृदा को उड़ा ले जाने की प्रक्रिया को पवन अपरदन कहा जाता है।
  • कृषि के गलत तरीके अपनाना- कृषि के गलत तरीकों से भी मृदा अपरदन होता है। 

मृदा संरक्षण-मृदा संरक्षण के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाने चाहिए-

  • समोच्च जुताई-ढाल वाली भूमि पर समोच्च रेखाओं के समानान्तर हल चलाने से ढाल के साथ जल बहाव की गति घटती जाती हैं।
  • सीढ़ीदार कृषि-ढाल वाली भूमि पर सोपान बनाए जा सकते हैं। सोपान कृषि अपरदन को नियंत्रित करती है। पश्चिमी और मध्य हिमालय में सोपान अथवा सीढ़ीदार कृषि काफी विकसित है।
  • पट्टी कृषि-बड़े खेतों को पट्टियों में विभाजित किया जाता है। फसलों के बीच में घास की पट्टियाँ उगाई जाती हैं। ये पवनों के द्वारा जनित बल को कमजोर करती हैं। इस तरीके को पट्टी कृषि कहते हैं।
  • पेड़ों को कतारों में लगाना-पेड़ों को कतारों में लगा कर रक्षक मेखला बनाना भी पवनों की गति कम करता है। इन रक्षक पट्टियों का पश्चिमी भारत में रेत के टीलों के स्थायीकरण में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है।

RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

प्रश्न 8. 
विकास के स्तर के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण कीजिए। 
उत्तर:
विकास के स्तर के आधार पर संसाधनों को निम्न प्रकारों में बाँटा जा सकता है
(1) संभावी संसाधन-वे संसाधन जो किसी प्रदेश में विद्यमान होते हैं परन्तु इनका उपयोग नहीं किया गया है, संभावी संसाधन कहलाते हैं। जैसे-भारत के पश्चिमी भाग, विशेषकर राजस्थान और गुजरात में पवन और सौर ऊर्जा संसाधनों की अपार संभावना है, परन्तु इनका अभी तक सही ढंग से उपयोग नहीं हुआ है।

(2) विकसित संसाधन-यह वे संसाधन होते हैं जिनका सर्वेक्षण किया जा चुका है और उनके उपयोग की गुणवत्ता और मात्रा भी निर्धारित की जा चुकी है। विकसित संसाधन प्रौद्योगिकी और उनकी संभाव्यता के स्तर पर निर्भर करते हैं।

(3) भण्डार-पर्यावरण में उपलब्ध वे पदार्थ जो मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते हैं परन्तु उनकी प्राप्ति की कोई उपयुक्त प्रौद्योगिकी अभी उपलब्ध नहीं है, भण्डार में शामिल हैं। जैसे-जल दो ज्वलनशील गैसों, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का यौगिक है तथा यह ऊर्जा का मुख्य स्रोत बन सकता है। परन्तु इस उद्देश्य से, इनका प्रयोग करने के लिए हमारे पास आवश्यक तकनीकी ज्ञान नहीं है।

(4) संचित कोष-भंडार का वह हिस्सा, जिन्हें उपलब्ध तकनीकी ज्ञान की सहायता से प्रयोग में लाया जा सकता है, परन्तु इनका उपयोग अभी आरम्भ नहीं हुआ है, संचित कोष कहलाता है। इनका उपयोग भविष्य में आवश्यकता पूर्ति के लिए किया जा सकता है। नदी जल, बाँधों में जल, वन आदि संचित कोष हैं जिनका भविष्य में अधिकाधिक उपयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 9. 
भारत में भू-संसाधनों का उपयोग किन उद्देश्यों के लिए किया जाता है? समझाइये। 
उत्तर:
भारत में भू-संसाधनों का उपयोग निम्नलिखित उद्देश्यों से किया जाता है-

  • वन।
  • कृषि के लिए अनुपलब्ध भूमि- (i) बंजर तथा कृषि अयोग्य भूमि (ii) गैर-कृषि प्रयोजनों में लगाई गई भूमि-जैसे इमारतें, सड़क, उद्योग इत्यादि।
  • परती भूमि के अतिरिक्त अन्य कृषि अयोग्य भूमि- (i) स्थायी चरागाहें तथा अन्य गोचर भूमि (ii) विविध वृक्षों, वृक्ष फसलों, तथा उपवनों के अधीन भूमि (जो शुद्ध बोए गए क्षेत्र में शामिल नहीं है) (iii) कृषि योग्य बंजर भूमि जहाँ पाँच से अधिक वर्षों से खेती न की गई हो।
  • परती भूमि- (i) वर्तमान परती (जहाँ एक कृषि वर्ष या उससे कम समय से खेती न की गई हो) (ii) वर्तमान परती भूमि के अतिरिक्त अन्य परती भूमि या पुरातन परती (जहाँ 1 से 5 कृषि वर्ष से खेती न की गई हो)।
  • शुद्ध (निवल) बोया गया क्षेत्र- एक कृषि वर्ष के एक बार से अधिक बोए गए क्षेत्र को शुद्ध (निवल) बोए गए क्षेत्र में जोड़ दिया जाए तो वह सकल कृषित क्षेत्र कहलाता है।
admin_rbse
Last Updated on May 9, 2022, 8:45 p.m.
Published May 9, 2022