RBSE Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 8 लोकतंत्र की चुनौतियाँ

Rajasthan Board RBSE Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 8 लोकतंत्र की चुनौतियाँ Important Questions and Answers. 

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RBSE Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 8 लोकतंत्र की चुनौतियाँ

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1. 
किसी लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था द्वारा सामना की जाने वाली समस्या को कहते हैं-
(अ) लोकतंत्र की चुनौतियाँ
(ब) प्रतिनिधियों की चुनौतियाँ 
(स) जनता की चुनौतियाँ
(द) तानाशाही की चुनौतियाँ 
उत्तर:
(अ) लोकतंत्र की चुनौतियाँ

प्रश्न 2. 
लोकतंत्र की स्थापना की चुनौती है-
(अ) लोकतांत्रिक संस्थाओं के कामकाज में सुधार करना 
(ब) लोकतंत्र को स्थानीय शासन की संस्थाओं में कार्यान्वित करना 
(स) महिलाओं के प्रतिनिधित्व के विस्तार के प्रयत्न करना
(द) अलोकतांत्रिक शासन को उखाड़ना। 
उत्तर:
(द) अलोकतांत्रिक शासन को उखाड़ना। 

प्रश्न 3. 
निम्न में से कौनसी लोकतंत्र में विस्तार की चुनौती नहीं है-
(अ) सेना को सरकार पर नियंत्रण रखने से दूर रखना 
(ब) स्थानीय सरकार को अधिक शक्तियाँ देना। 
(स) निर्णय प्रक्रियाओं में महिलाओं और अल्पसंख्यकों को शामिल करना
(द) लोकतांत्रिक शासन के मूल सिद्धान्तों को सभी इलाकों में लागू करना। 
उत्तर:
(अ) सेना को सरकार पर नियंत्रण रखने से दूर रखना 

प्रश्न 4. 
निम्न में से जो लोकतंत्र को मजबूत करने की चुनौती है, वह है-
(अ) मौजूदा गैर-लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को गिराना 
(ब) स्थानीय सरकारों को अधिक अधिकार सम्पन्न बनाना 
(स) लोकतांत्रिक संस्थाओं की कार्यपद्धति सुधारना
(द) संघ के सिद्धान्तों को उसकी इकाइयों में व्यावहारिक स्तर पर लागू करना। 
उत्तर:
(स) लोकतांत्रिक संस्थाओं की कार्यपद्धति सुधारना

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प्रश्न 5. 
लोकतंत्र की विभिन्न चुनौतियों के बारे में सभी सुझाव या प्रस्ताव कहे जाते हैं-
(अ) सामाजिक सुधार 
(ब) आर्थिक सुधार 
(स) राजनीतिक सुधार 
(द) सांस्कृतिक सुधार 
उत्तर:
(स) राजनीतिक सुधार 

प्रश्न 6. 
समकालीन विश्व में शासन का सबसे प्रमुख रूप कौनसा है? 
(अ) राजतंत्र
(ब) अधिनायकवाद 
(स) लोकतंत्र 
(द) इनमें से कोई नहीं 
उत्तर:
(स) लोकतंत्र 

प्रश्न 7. 
निम्न में से लोकतंत्र के लिए मुश्किल चुनौती है-
(अ) लोकतंत्र हेतु बुनियादी आधार बनाने की चुनौती 
(ब) लोकतंत्र के विस्तार की चुनौती 
(स) लोकतंत्र को मजबूत करने की चुनौती 
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 8. 
राजनीतिक सुधारों का काम मुख्यतः कर सकते हैं-
(अ) राजनीतिक कार्यकर्ता 
(ब) राजनीतिक दल 
(स) आंदोलन 
(द) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी 

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प्रश्न 9. 
सूचना का अधिकार कानून का गुण है-
(अ) यह भ्रष्टाचार को बढ़ाता है 
(ब) यह लोगों को लोकतंत्र को रखवाले के तौर पर सक्रिय करता है 
(स) यह सूचनाएँ छिपाने में मदद करता है
(द) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:
(ब) यह लोगों को लोकतंत्र को रखवाले के तौर पर सक्रिय करता है 

प्रश्न 10. 
निम्न में से सही कथन कौनसा है?
(अ) लोकतंत्र बहुमत की तानाशाही या क्रूर शासन व्यवस्था नहीं हो सकता 
(ब) लोकतंत्र को अल्पसंख्यक आवाजों का आदर करना आवश्यक है 
(स) लोकतंत्र को भेदभाव को समाप्त करना चाहिए 
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

1. दुनिया भर में लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के सामने गंभीर ......... हैं। 
2. दुनिया के .......... हिस्से में अभी भी लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था नहीं है। 
3. सावधानी से बनाये गये .......... गलत राजनीतिक आचरणों को हतोत्सहित और अच्छे काम काज को प्रोत्साहित करेंगे। 
4. आम तौर पर किसी चीज की ......... करने वाले कानून राजनीति में ज्यादा सफल नहीं होते। 
5. .......... कानून लोगों को जानकार बनाने और लोकतंत्र के रखवाले के तौर पर सक्रिय करने का अच्छा उदाहरण है।
उत्तरमाला:
1. चुनौतियाँ 
2. एक-चौथाई 
3. कानून 
4. मनाही 
5. सूचना का अधिकार। 

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अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
लोकतंत्र की स्थापना की चुनौती से क्या आशय है? 
उत्तर:
लोकतंत्र की स्थापना की चुनौती से आशय है-अलोकतांत्रिक शासन को उखाड़ना। 

प्रश्न 2. 
लोकतांत्रिक सुधार किसे कहा जाता है?
अथवा 
राजनैतिक सुधार से क्या आशय है? 
उत्तर:
लोकतंत्र की चुनौतियों के बारे में सभी सुझाव राजनैतिक सुधार या लोकतांत्रिक सुधार कहे जाते हैं। 

प्रश्न 3. 
लोकतांत्रिक सुधारों को किस प्रकार लागू किया जा सकता है?
उत्तर:
लोकतांत्रिक सुधारों को कानूनों द्वारा लोगों के सहयोग, लोकतांत्रिक आंदोलनों तथा मीडिया आदि से लागू किया जा सकता है।

प्रश्न 4. 
अच्छा लोकतंत्र कौनसा है? 
उत्तर:
अच्छा लोकतंत्र वही है जैसा उसे हम सोचते हैं और जिसे बनाने की आकांक्षा रखते हैं। 

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प्रश्न 5. 
लोकतंत्र का कोई एक महत्वपूर्ण काम बताइये। 
उत्तर:
भेदभाव को समाप्त करना लोकतंत्र का महत्वपूर्ण काम है। 

प्रश्न 6. 
लोकतंत्र के लिए कोई एक बहुत आवश्यक बात बताइये। 
उत्तर:
अल्पसंख्यक आवाजों का आदर करना लोकतंत्र के लिए बहुत आवश्यक है। 

प्रश्न 7. 
लोकतंत्र शासन का कौनसा स्वरूप है? 
उत्तर:
लोकतंत्र शासन का वह स्वरूप है जिसमें लोग अपने शासकों का चुनाव स्वयं करते हैं।

प्रश्न 8. 
लोकतंत्र को मजबूत करने की चुनौती में क्या शामिल है? 
उत्तर:
इसमें लोकतांत्रिक संस्थाओं और बरतावों को मजबूत बनाना शामिल है। 

प्रश्न 9. 
चुनौती से क्या आशय है?
उत्तर:
अगर किसी मुश्किल के भीतर ऐसी संभावना है कि उस मुश्किल से छुटकारा मिल सके तो उसे हम चुनौती कहते हैं।

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प्रश्न 10. 
विस्तार की चुनौती से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
विस्तार की चुनौती से अभिप्राय है-लोकतांत्रिक शासन के मूल सिद्धान्तों को राष्ट्र के सभी क्षेत्रों, सामाजिक समूहों तथा संस्थाओं में लागू करना।

प्रश्न 11. 
शासन के एक प्रमुख रूप में किस प्रकार के शासन को कोई चुनौती नहीं है?
उत्तर:
शासन के एक प्रमुख रूप में लोकतांत्रिक शासन को कोई गंभीर चुनौती नहीं है और न कोई दूसरी शासन प्रणाली इसकी प्रतिद्वन्द्वी है।

प्रश्न 12. 
वर्तमान में भारतीय लोकतंत्र को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है?
उत्तर:
वर्तमान में भारतीय लोकतंत्र को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें प्रमुख हैं-जातिवाद, साम्प्रदायिकता, राजनीति का अपराधीकरण, क्षेत्रवाद की चुनौतियाँ ।

प्रश्न 13. 
क्षेत्रीयतावाद की भावना को दूर करने के कोई दो उपाय बताइए। 
उत्तर:

  • देश के सभी क्षेत्रों का आर्थिक विकास किया जाये। 
  • क्षेत्रीयवाद की भावना के विरुद्ध लोगों को शिक्षित किया जाये। 

प्रश्न 14. 
लोकतंत्र को मजबूत करने की चुनौती से क्या आशय है?
उत्तर:
लोकतंत्र को मजबूत करने की चुनौती से आशय लोकतांत्रिक संस्थाओं और लोकतांत्रिक व्यवहारों को मजबूत करने से है।

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प्रश्न 15. 
सुधारों के मामलों में कानून की भूमिका को बताइये।
उत्तर:
सावधानी से बनाए गए कानून गलत राजनीतिक आचरणों को हतोत्साहित और अच्छे कामकाज को प्रोत्साहित करेंगे। 

प्रश्न 16. 
लोकतांत्रिक सुधारों का कार्य कौन करता है?
अथवा 
राजनीतिक सुधारों का काम किनके द्वारा ही हो सकता है?
उत्तर:
राजनीतिक सुधारों का काम मुख्यतः राजनीतिक कार्यकर्ता, दल, आंदोलन और राजनीतिक रूप से सचेत नागरिकों के द्वारा ही हो सकता है।

प्रश्न 17. 
किस प्रकार के कानूनों की सफल होने की संभावना अधिक होती है?
उत्तर:
राजनीतिक कार्यकर्ता को अच्छे काम करने के लिए बढ़ावा देने वाले या लाभ पहुँचाने वाले कानूनों के सफल होने की संभावना ज्यादा होती है।

प्रश्न 18. 
सबसे बढ़िया कानून कौनसे होते हैं?
उत्तर:
सबसे बढ़िया कानून वे होते हैं जो लोगों को लोकतांत्रिक सुधार की ताकत देते हैं, जैसे—सूचना का अधिकार कानून।

प्रश्न 19. 
साक्षरता दर शब्द की परिभाषा दीजिए। 
उत्तर:
7 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों में साक्षर जनता का अनुपात साक्षरता दर कहलाता है। 

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प्रश्न 20. 
सूचना के अधिकार कानून की दो विशेषताएँ लिखिये।
उत्तर:

  • सूचना के अधिकार का कानून लोगों को जानकार बनाने और लोकतंत्र के रक्षक के तौर पर सक्रिय करता है। 
  • यह भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाता है।

प्रश्न 21. 
लोकतांत्रिक सुधारों में मुख्य चिन्ता किस बात की होनी चाहिए? 
उत्तर:
आम नागरिक की राजनीतिक भागीदारी के स्तर और गुणवत्ता में सुधार हो। 

प्रश्न 22. 
भारत में वास्तविक लोकतंत्र लाने के लिए राजनेताओं में किस प्रकार का सुधार होना आवश्यक है? 
उत्तर:
भारत में जब तक नेता जाति-धर्म की सीमाओं से ऊपर नहीं उठेंगे तब तक वास्तविक लोकतंत्र नहीं आएगा।

लघूत्तरात्मक प्रश्न (Type-I)

प्रश्न 1. 
आजकल लोकतंत्र को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है? 
उत्तर:
आजकल लोकतंत्र को निम्नलिखित तीन प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है-

  • लोकतंत्र स्थापित करने की चुनौती-लोकतंत्र की पहली चुनौती उन देशों में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्थाएँ स्थापित करने की है, जहाँ लोकतंत्र नहीं है।
  • लोकतंत्र के विस्तार की चुनौती-लोकतंत्र की दूसरी चुनौती लोकतंत्र के विस्तार की है। इसमें लोकतंत्र की प्रक्रिया में सभी समूहों के प्रतिनिधित्व को बढ़ाना तथा सभी क्षेत्रों की राजनीतिक संस्थाओं का लोकतंत्रीकरण करना शामिल है।
  • लोकतंत्र को मजबूत करने की चुनौती इसमें लोकतांत्रिक संस्थाओं के कामकाज में सुधार करना शामिल है। 

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प्रश्न 2. 
लोकतंत्र की आधारभूत चुनौती क्या है?
उत्तर:
दुनिया के एक-चौथाई हिस्से में अभी भी लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था नहीं है। इन इलाकों में लोकतंत्र की स्थापना हेतु बुनियादी आधार बनाने की चुनौती है। इनमें मौजूदा गैर-लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को गिराने, सत्ता पर सेना के नियंत्रण को समाप्त करने की चुनौती है। 

प्रश्न 3. 
लोकतंत्र के विस्तार सम्बन्धी चुनौती से क्या तात्पर्य है?
अथवा 
लोकतंत्रों द्वारा सामना की जाने वाली विस्तार की चुनौती क्या है?
उत्तर:
लोकतंत्रों द्वारा सामना की जाने वाली विस्तार की चनौती में लोकतांत्रिक शासन के बनियादी सिद्धान्तों को सभी क्षेत्रों, सभी सामाजिक समूहों और विभिन्न संस्थाओं में लागू करना शामिल है। जैसे- स्थानीय सरकारों को अधिक अधिकार-सम्पन्न बनाना, महिलाओं और अल्पसंख्यक समूहों की उचित भागीदारी सुनिश्चित करना आदि।

प्रश्न 4. 
लोकतांत्रिक शासनों में लोकतंत्र को मजबूत बनाने की चुनौती क्या है?
उत्तर:
लोकतांत्रिक शासनों में लोकतंत्र को मजबूत करने की चुनौती में लोकतांत्रिक संस्थाओं और व्यवहारों को मजबूत बनाना शामिल है। इसका अभिप्राय संस्थाओं की कार्यपद्धति को सुधारना और मजबूत करना होता है ताकि लोगों की भागीदारी और नियंत्रण में वृद्धि हो।

प्रश्न 5. 
एक लोकतंत्र के लिए आवश्यक किन्हीं चार महत्त्वपूर्ण योग्यताओं का उल्लेख कीजिए। 
उत्तर:
लोकतंत्र के लिए आवश्यक योग्यताएँ-

  • जनता द्वारा चुने गए शासकों को ही समस्त प्रमुख फैसले लेने चाहिए। 
  • चुनाव द्वारा जनता को अपने निर्वाचित शासकों को बदलने का विकल्प या अवसर उपलब्ध कराया जाना चाहिए। 
  • ये विकल्प व अवसर सभी नागरिकों को समान रूप से मिलने चाहिए।
  • निर्वाचित सरकार ऐसी हो जो संविधान के बुनियादी नियमों एवं नागरिकों के अधिकारों को मानते हुए कार्य करे। 

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लघूत्तरात्मक प्रश्न (Type-II)

प्रश्न 1. 
भारतीय लोकतन्त्र के सम्मुख तीन प्रमुख चुनौतियों की विवेचना कीजिए। 
उत्तर:
भारतीय लोकतन्त्र के सम्मुख तीन प्रमुख चुनौतियाँ निम्न प्रकार हैं-

  • दल में आंतरिक लोकतंत्र की चनौती-राजनैतिक दलों की सारी ताकत एक या कुछ नेताओं के हाथ सिमट गई है। दलों के पास न तो सदस्यों की खुली सूची होती है और न इनके आंतरिक चुनाव होते हैं। इससे राजनीतिक दलों और सरकार में पार्टी के सिद्धान्तों और नीतियों के प्रति निष्ठा नेता के प्रति निष्ठा में बदल जाती है।
  • लोकतंत्र के विस्तार की चुनौती-विधायिकाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व नगण्य है: लोकतंत्र के विस्तार के लिए महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाया जाना आवश्यक है। अत: विधायिकाओं में महिलाओं के लिए स्थान आरक्षित किए जाएँ।
  • लोकतंत्र को मजबूत करने की चुनौती-राजनीतिक दलों तथा सरकार में धन तथा बल के बढ़ते प्रभाव के कारण राजनीति में धन और अपराधीकरण का गठजोड़ बन रहा है। इस कारण राजनीतिक संस्थाएँ अपना कार्य जनहित में नहीं कर पा रही हैं।

प्रश्न 2. 
भारतीय चुनाव व्यवस्था में सुधार के सुझाव दीजिए। 
उत्तर:
भारतीय चुनाव व्यवस्था में सुधार के सुझाव निम्नलिखित हैं-

  • प्रत्येक राजनीतिक दल के वित्तीय लेखा-जोखा को सार्वजनिक कर दिया जाना चाहिए। इसका लेखा सरकारी ऑडिटरों से कराया जाना चाहिए।
  • चुनाव का खर्च सरकार को उठाना चाहिए। पार्टियों को चुनावी खर्चे के लिए सरकार कुछ रकम दे। नागरिकों को भी दलों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को चंदा देने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। ऐसे चंदों पर आयकर में छूट मिलनी चाहिए।
  • राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र की स्थापना हो। प्रत्येक दल में एक निश्चित अन्तराल में पारदर्शी निर्वाचन की व्यवस्था होनी चाहिए।

प्रश्न 3. 
विश्व में लोकतन्त्र की प्रमुख तीन चुनौतियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(1) लोकतन्त्र की आधारभूत चुनौती-दुनिया के एक-चौथाई हिस्से में अभी भी लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था नहीं है। इन इलाकों में लोकतन्त्र की स्थापना हेतु बुनियादी आधार बनाने की चुनौती है। इनमें मौजूदा गैरलोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था को गिराने, सत्ता पर सेना के नियन्त्रण को समाप्त करने की चुनौती है।

(2) लोकतन्त्र के विस्तार सम्बन्धी चुनौती-इसमें लोकतान्त्रिक शासन के बुनियादी सिद्धान्तों को सभी क्षेत्रों, सभी सामाजिक समूहों और विभिन्न संस्थाओं में लागू करना शामिल है। जैसे-स्थानीय सरकारों को अधिक अधिकारसम्पन्न बनाना, महिलाओं और अल्पसंख्यक समूहों की उचित भागीदारी सुनिश्चित करना आदि।

(3) लोकतन्त्र को मजबूत बनाने की चुनौती-इसमें लोकतान्त्रिक संस्थाओं और व्यवहारों को मजबूत बनाना शामिल है। इसका अभिप्राय संस्थाओं की कार्य-पद्धति को सुधारना और मजबूत करना होता है ताकि लोगों की भागीदारी और नियन्त्रण में वृद्धि हो। 

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निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
आपके मतानुसार लोकतंत्र को पुनर्परिभाषित करने में किन बातों को जोड़ा जा सकता है? 
उत्तर:
हमारे मतानुसार लोकतंत्र को पुनर्परिभाषित करने में निम्न बातों को जोड़ा जा सकता है-

  • जनता द्वारा चुने गये शासकों द्वारा ही प्रमुख फैसले लेना।
  • चुनाव में लोगों को वर्तमान शासकों को बदलने तथा अपनी पसंद जाहिर करने का पर्याप्त अवसर एवं विकल्प मिलना।
  • ऐसी सरकार का गठन होना जो संविधान के बुनियादी नियमों तथा नागरिकों के अधिकारों को मानते हुए कार्य करे।
  • नागरिकों को राजनीतिक अधिकारों के साथ-साथ सामाजिक एवं आर्थिक अधिकार देना। 
  • सरकारों एवं सामाजिक समूहों के बीच सत्ता की साझेदारी होना। 
  • अल्पसंख्यक आवाजों का भी आदर करना। 
  • सभी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करना। 
  • लोकतांत्रिक व्यवस्था द्वारा कुछ न्यूनतम नतीजे अवश्य देना। 
  • भ्रष्टाचार का खात्मा करना। 
  • लोगों के लिए सुलभ न्याय की व्यवस्था करना। 
  • धनबल, बाहुबल आदि से परे निष्पक्ष चुनाव करवाना। 

प्रश्न 2. 
राजनीतिक सुधारों में कानूनों की भूमिका का वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
राजनीतिक सुधारों में कानूनों की भूमिका राजनीतिक सुधारों में कानूनों की एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है। यथा-
(1) सावधानी से बनाए गए कानून गलत राजनीतिक आचरणों को हतोत्साहित और अच्छे काम-काज को प्रोत्साहित करेंगे। लेकिन कानूनों द्वारा राजनैतिक सुधारों का काम भी मुख्यतः राजनीतिक कार्यकर्ता, राजनीतिक दल तथा सचेत नागरिकों के द्वारा ही हो सकता है।

(2) कानूनी बदलाव करते समय इस बात पर गम्भीरता से विचार करना होगा कि राजनीति पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा। कई बार परिणाम एकदम उल्टे निकलते हैं, जैसे कई राज्यों ने दो से ज्यादा बच्चों वाले लोगों के पंचायत चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है। इसके चलते अनेक गरीब लोग और महिलाएँ लोकतांत्रिक अवसर से वंचित हुईं जबकि ऐसा करने के पीछे यह मंशा नहीं थी।

(3) प्रायः किसी चीज की मनाही करने वाले कानून राजनीतिक सुधारों में ज्यादा सफल नहीं होते। राजनीतिक कार्यकर्ता को अच्छे काम के लिए बढ़ावा देने वाले या लाभ पहुँचाने वाले कानूनों के सफल होने की सम्भावना ज्यादा होती है। सबसे बढ़िया कानून वे हैं जो लोगों को लोकतांत्रिक सुधार करने की ताकत देते हैं। सूचना का अधिकारकानून लोगों को जानकार बनाने और लोकतंत्र के रखवाले के तौर पर सक्रिय करने का अच्छा उदाहरण है। ऐसा कानून भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाता है तथा भ्रष्टाचार विरोधी मौजूदा कानूनों की मदद करता है।

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प्रश्न 3. 
नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों का वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकार 
नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों का वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया गया है-
1. राजनैतिक अधिकार- लोकतांत्रिक शासनों में नागरिकों को मत देने, चुनाव लड़ने तथा राजनैतिक संगठन बनाने का अधिकार होता है। लोगों को अपने शासक चुनने का अधिकार और शासकों पर नियंत्रण बरकरार रखने का अधिकार होता है अर्थात् एक नियमित अन्तराल के बाद निर्वाचन की व्यवस्था होती है।

लोकतांत्रिक शासनों में नागरिकों को निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी का अधिकार होना चाहिए ताकि सरकार लोगों के प्रति उत्तरदायी बनी रहे तथा लोगों की जरूरतों और उम्मीदों पर ध्यान दे।

2. सूचना पाने का अधिकार- लोकतंत्र में नागरिकों को शासन के कामकाज के प्रति सूचना प्राप्त करने का अधिकार होता है। अगर कोई नागरिक यह जानना चाहे कि फैसले लेने में नियमों का पालन हुआ है या नहीं, तो वह इसका पता कर सकता है।

3. अल्पसंख्यकों की शासन में भागीदारी का अधिकार-लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक को किसी न किसी अवसर पर बहुमत का हिस्सा बनने का अवसर होता है। यहाँ अल्पसंख्यकों को समान रूप से शासन में भागीदारी का अधिकार होता है।

4. गरिमा और स्वतंत्रता का अधिकार-लोकतांत्रिक सरकारें नागरिकों को गरिमा और स्वतंत्रता का अधिकार भी प्रदान करती हैं।

प्रश्न 4. 
लोकतंत्र की परिभाषा दीजिए। वर्तमान में इसको पुनर्परिभाषित करने की आवश्यकता बताइए।
उत्तर:
लोकतंत्र का अर्थ लोकतंत्र से आशय है-जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों का शासन। अब्राहम लिंकन ने लोकतंत्र को परिभाषित करते हुए लिखा है कि "लोकतंत्र जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा शासन है।"

लेकिन आज लोकतंत्र की यह परिभाषा पूर्ण नहीं मानी जा रही है क्योंकि इसमें चुनावों में प्रतिनिधियों के निर्वाचित होने से लेकर निर्णय लेने की प्रक्रिया में धनी और प्रभावशाली लोगों का ही नियंत्रण बना रहता है। इसलिए लोकतंत्र में धन बल, भुजबल, वंशवाद, साम्प्रदायिकता आदि की घुसपैठ हो गई है।

इसलिए वर्तमान में लोकतंत्र को पुनर्परिभाषित करने की आवश्यकता है ताकि प्रतिनिधियों के चुनाव तथा निर्णय लेने की प्रक्रिया में आम जनता का नियंत्रण बना रहे। इस दृष्टि से लोकतंत्र को इस प्रकार पुनः परिभाषित किया जा सकता है-
"लोकतंत्र शासन का वह स्वरूप है जिसमें लोग अपने शासकों को स्वयं चुनते हैं, लोगों को चुनाव में प्रतिनिधियों को चुनने में पर्याप्त विकल्प मिलते हैं। ये निर्वाचित प्रतिनिधि ही शासन के सारे निर्णय लेते हैं तथा वे संविधान के मूलभूत नियमों और नागरिकों के अधिकारों को मानते हुए शासन करते हैं।"

प्रश्न 5. 
लोकतंत्र को किस प्रकार राजनीतिक तौर पर सुधारा जा सकता है?
उत्तर:
लोकतंत्र को राजनीतिक तौर पर सुधारने के कोई विशेष नियम नहीं हैं परन्तु मार्गदर्शक नियम हैं जिनको राजनीतिक सुधार करते समय ध्यान में रखना चाहिए। यथा-
(1) कानूनों का निर्माण- कानून बनाते समय निम्न बातों पर ध्यान रखा जाना चाहिए-

  • कानूनों में बदलाव लाने में राजनीतिक कार्यकर्ता, राजनीतिक दल, राजनीतिक आंदोलन और राजनैतिक रूप सचेत नागरिकों का योगदान होना चाहिए।
  • राजनीतिक कार्यकर्ता को अच्छे काम करने के लिए बढ़ावा देने वाले या लाभ पहुंचाने वाले कानूनों के सफल होने की ज्यादा संभावना होती है।
  • सबसे बढ़िया कानून वे होते हैं जो लोगों को लोकतांत्रिक सुधार करने की ताकत देते हैं । जैसे-सूचना का अधिकार-कानून।

(2) राजनीतिक दलों में सुधार-राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र की स्थापना की जाए।
(3) राजनीतिक सुधारों को लागू करने की उचित व्यवस्था राजनीतिक सुधार के प्रस्ताव में अच्छे समाधान होने के साथ-साथ उन्हें लागू करने वाली मशीनरी में भी सुधार करना आवश्यक है।

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प्रश्न 6. 
विश्व में लोकतंत्र की दो चनौतियाँ और उनके समाधान बताइए। 
उत्तर:
विश्व में लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियाँ 
विश्व में लोकतंत्र के समक्ष दो चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं-
(1) लोकतंत्र के विस्तार की चुनौती-आजकल विश्व में लोकतंत्रों को विस्तार की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। इसमें लोकतांत्रिक शासन के बुनियादी सिद्धान्तों को सभी क्षेत्रों, सभी सामाजिक समूहों और विभिन्न संस्थाओं में लागू करना शामिल है।

विस्तार की चुनौती का समाधान- लोकतंत्र के विस्तार की चुनौती का समाधान करने के लिए यह आवश्यक है कि 

  • स्थानीय सरकारों को अधिक अधिकार सम्पन्न बनाया जाये; 
  • संघ की सभी इकाइयों के लिए संघ के सिद्धान्तों को व्यावहारिक स्तर पर लागू किया जाये तथा 
  • स्त्रियों, अल्पसंख्यकों तथा पिछड़े वर्गों को निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल किया जाये।

(2) लोकतंत्र को मजबूत करने की चुनौती- आज लोकतांत्रिक शासनों में लोकतंत्र को मजबूत करने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। इसके अन्तर्गत लोकतांत्रिक संस्थाओं और व्यवहारों को मजबूत करने की चुनौती है।

समाधान-लोकतांत्रिक संस्थाओं और लोकतांत्रिक व्यवहारों को मजबूत करने की चुनौती का समाधान करने के लिए हमें लोकतांत्रिक संस्थाओं की कार्यपद्धति को इस तरह सुधारा जाना चाहिए कि लोगों की भागीदारी और नियंत्रण में वृद्धि हो। इसके लिए यह आवश्यक है कि निर्णय लेने की प्रक्रिया पर अमीर और प्रभावशाली लोगों के नियंत्रण को कम किया जाये।

प्रश्न 7. 
21वीं सदी के भारतीय लोकतंत्र को सफल बनाने हेतु सुझाव दीजिए। 
उत्तर:
भारतीय लोकतंत्र को सफल बनाने हेतु सुझाव 21वीं सदी के भारतीय लोकतंत्र को सफल बनाने हेतु निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं

  • स्थानीय सरकारों को अधिक अधिकार दिए जाएं-भारतीय लोकतंत्र को सफल बनाने के लिए आवश्यक है कि स्थानीय सरकारों को अधिक अधिकार सम्पन्न बनाया जाये।
  • संघ के सिद्धान्तों को व्यावहारिक बनाया जाए-संघ की सभी इकाइयों के लिए संघ के सिद्धान्तों को व्यावहारिक बनाया जाये।
  • निर्वाचित राजनीतिक संस्थाओं में स्त्रियों का प्रतिनिधित्व बढ़ाया जाये-स्त्रियों, अल्पसंख्यकों तथा पिछड़े वर्गों को निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल किया जाये अर्थात् लोकसभा तथा विधानसभा में स्त्रियों को एकतिहाई आरक्षण प्रदान किया जाये।
  • लोगों की भागीदारी तथा नियंत्रण में वृद्धि हो-भारत में लोकतांत्रिक संस्थाओं की कार्यपद्धति को इस तरह सुधारा जाना चाहिए कि लोगों की भागीदारी और नियंत्रण में वृद्धि हो तथा निर्णय लेने की प्रक्रिया पर अमीर और प्रभावशाली लोगों के नियंत्रण को कम किया जाए।
  • दलों में आंतरिक लोकतंत्र की स्थापना हो-राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र की स्थापना की जाए।
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Last Updated on May 16, 2022, 8:11 p.m.
Published May 16, 2022