Rajasthan Board RBSE Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 2 संघवाद Important Questions and Answers.
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वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
वर्तमान में बेल्जियम में किस प्रकार की सरकार है-
(अ) संघात्मक
(ब) एकात्मक
(स) तानाशाही
(द) राजतंत्रात्मक
उत्तर:
(अ) संघात्मक
प्रश्न 2.
निम्नलिखित में किस देश की सरकार एकात्मक है?
(अ) भारत
(ब) संयुक्त राज्य अमेरिका
(स) श्रीलंका
(द) बेल्जियम
उत्तर:
(स) श्रीलंका
प्रश्न 3.
निम्नलिखित में जो संघ सरकार की विशेषता नहीं है, वह है-
(अ) दो स्तर की सरकारें
(ब) दोनों सरकारों को संविधान द्वारा शक्तियाँ प्राप्त
(स) राज्य सरकार को शक्तियाँ केन्द्र सरकार से प्राप्त
(द) दोनों सरकारों के अपने अलग-अलग अधिकार क्षेत्र
उत्तर:
(स) राज्य सरकार को शक्तियाँ केन्द्र सरकार से प्राप्त
प्रश्न 4.
साथ आकर (Coming together) संघ बनाने का उदाहरण है-
(अ) भारत
(ब) संयुक्त राज्य अमेरिका
(स) बेल्जियम
(द) स्पेन
उत्तर:
(ब) संयुक्त राज्य अमेरिका
प्रश्न 5.
निम्न में से कौनसा राज्य साथ रहकर (Holding together) संघ का उदाहरण नहीं है-
(अ) भारत
(ब) बेल्जियम
(स) स्पेन
(द) स्विट्जरलैंड
उत्तर:
(द) स्विट्जरलैंड
प्रश्न 6.
भारतीय संविधान में मौलिक रूप से कितने स्तरीय शासन व्यवस्था का प्रावधान किया गया था?
(अ) एक-स्तरीय
(ब) दो-स्तरीय
(स) त्रि-स्तरीय
(द) चार-स्तरीय
उत्तर:
(ब) दो-स्तरीय
प्रश्न 7.
संचार विषय किस सूची में शामिल है?
(अ) संघ सूची
(ब) राज्य सूची
(स) समवर्ती सूची
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) संघ सूची
प्रश्न 8.
अनुच्छेद 371 के तहत विशेष शक्तियों का लाभ उठाने वाला राज्य नहीं है-
(अ) असम
(ब) नागालैंड
(स) उत्तराखंड
(द) मिजोरम
उत्तर:
(स) उत्तराखंड
प्रश्न 9.
निम्न में केन्द्रशासित प्रदेश है-
(अ) चंडीगढ़
(ब) दिल्ली
(स) लक्षद्वीप
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 10.
ग्राम पंचायत के अध्यक्ष को क्या कहा जाता है?
(अ) सरपंच
(ब) पंच
(स) जिला प्रमुख
(द) मेयर
उत्तर:
(अ) सरपंच
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
1. ........ व्यवस्था में शासन का एक ही स्तर होता है और बाकी इकाइयाँ उसके अधीन होकर काम करती हैं।
2. जब केन्द्र एवं राज्य सरकारों के कानूनों में टकराव हो तो ............ द्वारा बनाया कानून ही मान्य होता है।
3. संवैधानिक प्रावधानों और कानूनों के क्रियान्वयन की देख-रेख में .......... महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
4. भारत में वास्तविक विकेन्द्रीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम सन् ......... में उठाया गया।
5. कई ग्राम पंचायतों को मिलाकर .......... का गठन होता है।
उत्तरमाला:
1. एकात्मक
2. केन्द्र सरकार
3. न्यायपालिका
4. 1992
5. पंचायत समिति।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
श्रीलंका में व्यावहारिक रूप से कौनसी शासन व्यवस्था है?
उत्तर:
श्रीलंका में व्यावहारिक रूप से अभी भी एकात्मक शासन व्यवस्था है।
प्रश्न 2.
किसी ऐसे एक बड़े देश का नाम लिखिये जिसकी शासन व्यवस्था संघात्मक नहीं है।
उत्तर:
साम्यवादी चीन।
प्रश्न 3.
दुनिया के कितने देशों में संघात्मक शासन व्यवस्था है?
उत्तर:
25 देशों में।
प्रश्न 4.
संघात्मक देशों में दुनिया की कितनी प्रतिशत जनसंख्या रहती है?
उत्तर:
चालीस प्रतिशत।
प्रश्न 5.
भारतीय संविधान की आठवीं सूची में कितनी भाषाओं को रखा गया है?
उत्तर:
22 भाषाओं को।
प्रश्न 6.
भारत में राज्य पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट को कब लागू किया गया था?
उत्तर:
1 नवम्बर, 1956 को।
प्रश्न 7.
भारत में विषयों के बँटवारे के लिए कितनी सूचियाँ बनायी गई हैं?
उत्तर:
तीन सूचियाँ-
प्रश्न 8.
संघवाद से क्या आशय है?
उत्तर:
आधुनिक लोकतंत्र में शासन को विभिन्न स्तरों के बीच सत्ता के ऊर्ध्वाधर बंटवारे को संघवाद कहा जाता है।
प्रश्न 9.
आदर्श संघीय व्यवस्था में कौनसे दो पक्ष अवश्य होते हैं?
उत्तर:
प्रश्न 10.
एकात्मक शासन व्यवस्था से क्या आशय है?
उत्तर:
एकात्मक व्यवस्था में शासन का एक ही स्तर होता है और बाकी इकाइयाँ उसके अधीन होकर काम करती हैं?
प्रश्न 11.
किन्हीं पाँच संघीय व्यवस्था वाले देशों के नाम लिखो।
उत्तर:
प्रश्न 12.
संघीय शासन व्यवस्था के दो उद्देश्य बताइये।
उत्तर:
संघीय शासन व्यवस्था के दो उद्देश्य ये हैं-
प्रश्न 13.
संघीय शासन व्यवस्थाएँ कितने तरीकों से गठित होती हैं?
उत्तर:
दो तरीकों से-
प्रश्न 14.
चार देशों के नाम बताएँ जहाँ एकात्मक प्रकार की सरकार है।
उत्तर:
एकात्मक प्रकार की सरकार वाले प्रमुख देश ये हैंब्रिटेन, इटली, जापान और श्रीलंका।
प्रश्न 15.
साथ आकर संघ बनाने वाले किन्हीं तीन देशों के नाम लिखिये।
उत्तर:
साथ आकर संघ बनाने (Coming together federation) वाले तीन देश ये हैं-
प्रश्न 16.
भारतीय संघ में केन्द्र और राज्यों की सरकारों के बीच सत्ता के बँटवारे हेतु क्या व्यवस्था की गई है?
उत्तर:
भारतीय संघ में तीन सूचियों के माध्यम से संघ तथा राज्यों के बीच सत्ता के बँटवारे की व्यवस्था की गई है।
प्रश्न 17.
संघ सूची क्या है?
उत्तर:
संघ सूची में राष्ट्रीय महत्त्व के 97 विषय रखे गये हैं जिन पर कानून बनाने का अधिकार केन्द्र सरकार को दिया गया है।
प्रश्न 18.
राज्य सूची क्या है?
उत्तर:
राज्य सूची वह सूची है जिसमें उन विषयों को गिनाया गया है जिन पर कानून बनाने का अधिकार राज्य सरकारों को दिया गया है।
प्रश्न 19.
समवर्ती सूची से क्या आशय है?
उत्तर:
समवर्ती सूची में ऐसे विषयों की सूची है जिन पर केन्द्र सरकार और राज्य सरकारें दोनों कानून बना सकती हैं।
प्रश्न 20.
सत्ता के विकेन्द्रीकरण का क्या अर्थ है?
उत्तर:
जब केन्द्र तथा राज्य सरकारों से उनकी कुछ शक्तियाँ लेकर स्थानीय सरकार में बाँट दी जाएँ तो इसे विकेन्द्रीकरण कहा जाता है।
प्रश्न 21.
भारत में पंचायती राज व्यवस्था के तीन स्तर कौन-से हैं?
उत्तर:
भारत में पंचायती राज व्यवस्था के तीन स्तर हैं-
प्रश्न 22.
मेयर कौन होता है?
उत्तर:
बड़े नगरों के नगर-निगमों के राजनीतिक प्रमुख को मेयर कहते हैं। उसे साधारणतया जनता द्वारा सीधे तौर पर चुना जाता है।
प्रश्न 23.
भारतीय संघ में सरकार के कितने स्तर हैं?
की गयी थी।
प्रश्न 24.
समवर्ती सूची के किन्हीं 5 विषयों को गिनाइये।
उत्तर:
समवर्ती सूची के 5 विषय ये हैं-
प्रश्न 25.
राज्य सूची में रखे गये किन्हीं 5 विषयों के नाम लिखिये।
उत्तर:
राज्य सूची के 5 विषय ये हैं-
प्रश्न 26.
संघ सूची में रखे गये किन्हीं 5 विषयों के नाम लिखिये।
उत्तर:
प्रश्न 27.
भारत में केन्द्र-शासित प्रदेश के कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 28.
सरकार चलाने और अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करने के लिए सरकार धन कैसे एकत्रित करती है?
उत्तर:
केन्द्र और राज्य सरकारें कर लगाकर तथा संसाधन जमा करके अपनी सरकार चलाने व अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करती हैं।
प्रश्न 29.
गठबंधन सरकार किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक से ज्यादा राजनीतिक पार्टियों द्वारा मिलकर बनाई गई सरकार को गठबंधन सरकार कहते हैं जो एक साझा कार्यक्रम के आधार पर चलाई जाती है।
प्रश्न 30.
भारत में गाँवों के स्तर पर स्थानीय शासन व्यवस्था को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
पंचायतीराज के नाम से।
लघूत्तरात्मक प्रश्न (Type-I)
प्रश्न 1.
किस प्रकार बेल्जियम की सरकार एकात्मक शासन प्रणाली से संघात्मक शासन में बदली?
उत्तर:
बेल्जियम की केन्द्रीय सरकार ने 1993 में संविधान संशोधन करके प्रांतीय सरकारों को कुछ संवैधानिक अधिकार दिए। इन अधिकारों के लिए प्रांतीय सरकारें अब केन्द्र पर निर्भर नहीं रहीं। इस प्रकार बेल्जियम ने एकात्मक शासन की जगह संघीय शासन प्रणाली अपना ली।
प्रश्न 2.
संघीय शासन व्यवस्था से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
संघीय शासन व्यवस्था-संघीय शासन व्यवस्था में सर्वोच्च सत्ता दो स्तरों-केन्द्रीय सरकार और उसकी विभिन्न आनुषंगिक इकाइयों की सरकार के बीच बँट जाती है। सत्ता के इन दोनों स्तर की सरकारें अपने-अपने स्तर पर स्वतंत्र होकर अपना काम करती हैं। ये दोनों ही सरकारें अपने-अपने स्तर पर लोगों के प्रति जवाबदेह होती हैं।
प्रश्न 3.
भारतीय संघ में विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों के बारे में बताइये।
उत्तर:
भारतीय संघ के सारे राज्यों को बराबर अधिक नहीं हैं। कुछ राज्यों को विशेष दर्जा प्राप्त है, जैसे कि असम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम को। ये अपने विशिष्ट सामाजिक तथा ऐतिहासिक परिस्थितियों के कारण भारत के संविधान के कुछ प्रावधानों (अनुच्छेद 371) के तहत विशेष शक्तियों का लाभ उठाते हैं। ये विशेष शक्तियाँ स्वदेशी लोगों, उनकी संस्कृति और सरकारी सेवाओं में अधिमान्य रोजगार के भूमि अधिकारों के संरक्षण के लिए उपयोगी हैं।
प्रश्न 4.
भारतीय संविधान में सत्ता के बँटवारे का किस प्रकार परिवर्तन किया जा सकता है?
उत्तर:
केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच सत्ता का बँटवारा भारतीय संविधान की बुनियादी बात है। अधिकारों के इस बँटवारे में बदलाव के लिए संविधान संशोधन करना होगा। इसमें पहले संशोधन को संसद के दोनों सदनों में पृथक्पृथक् दो-तिहाई बहुमत से मंजूर किया जाना आवश्यक है। इसके बाद कम से कम आधे राज्यों की विधानसभाओं से उसे मंजूर करवाना होता है।
प्रश्न 5.
भारत की भाषायी विविधता को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
भारत की भाषायी विविधता-भारत में 2011 की जनगणना में 121 प्रमुख भाषाएँ पायी गयी हैं। इनमें से 22 भाषाओं को भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में रखा गया है और इसी कारण इन्हें अनुसूचित भाषाएँ कहा जाता है। शेष को गैर-अनुसूचित भाषा कहते हैं। भाषा की दृष्टि से भारत विश्व का सबसे ज्यादा विविधता वाला देश है।
प्रश्न 6.
73वें संविधान संशोधन, 1992 की प्रमुख दो विशेषताएँ लिखिये।
उत्तर:
1992 में 73वें संविधान संशोधन की दो प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
प्रश्न 7.
भाषायी राज्यों का गठन क्यों हुआ? इसके क्या लाभ हुए?
उत्तर:
भारत में भाषायी राज्यों का गठन यह सुनिश्चित करने के लिए हुआ कि एक भाषा बोलने वाले क्षेत्र एक राज्य में आ जायें।
भाषायी राज्यों से लाभ-
लघूत्तरात्मक प्रश्न (Type-II)
प्रश्न 1.
संघीय शासन गठित करने के दो विभिन्न तरीकों का वर्णन कीजिए।
अथवा
संघ बनाने के अलग-अलग ढंगों का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
संघीय शासन व्यवस्थाएँ आमतौर पर दो तरीकों से गठित होती हैं-
(1) साथ आकर संघ बनाना (Coming together federation)-इसमें दो या अधिक स्वतंत्र राज्य अपनी इच्छा से साथ आकर एक संघ का निर्माण करते हैं। इसमें वे अपनी संप्रभुता तथा अपनी अलग पहचान को भी बनाए रखते हैं और अपनी सुरक्षा और खुशहाली बढ़ाने का रास्ता अख्तियार करते हैं। इसमें प्रायः प्रान्तों को केन्द्र के समान अधिकार होते हैं और वे केन्द्र से ज्यादा शक्तिशाली होते हैं। अमरीका, स्विट्जरलैंड तथा आस्ट्रेलिया ऐसे ही संघ राज्य हैं।
(2) साथ रखने के द्वारा संघ बनाना (Holding together federation)-इसमें बड़े देश पहले राज्यों का गठन करते हैं फिर राज्य और राष्ट्रीय सरकार के बीच सत्ता का बँटवारा कर दिया जाता है। इसमें राज्यों की तुलना में केन्द्र सरकार अधिक शक्तिशाली होती है। भारत, बेल्जियम और स्पेन इसके उदाहरण हैं।
प्रश्न 2.
सरकार के तृतीय स्तर की किन्हीं चार विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सरकार के तृतीय स्तर से आशय स्थानीय स्वशासन की संस्थाओं से है। इसकी चार विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
प्रश्न 3.
संघवाद क्या है? भारत में संघवाद का स्वरूप कैसा है? बताइए।
उत्तर:
संघवाद का अर्थ-संघवाद अर्थात् संघीय शासन व्यवस्था में सर्वोच्च सत्ता केन्द्र और उसकी इकाइयों के बीच विभाजित होती है।
भारत में संघवाद का स्वरूप-
प्रश्न 4.
भारत की भाषा नीति को संक्षेप में बताइये।
उत्तर:
भारत की भाषा नीति हमारे संविधान में किसी एक भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं दिया गया है। हिंदी को राजभाषा माना गया, साथ ही अन्य भाषाओं के संरक्षण के अनेक दूसरे उपाय किये गये। संविधान में हिंदी के अलावा अन्य 21 भाषाओं को अनुसूचित भाषा का दर्जा दिया गया है। केन्द्र सरकार के किसी पद का उम्मीदवार उनमें से किसी भी भाषा में परीक्षा दे सकता है, बशर्ते कि उम्मीदवार इसको विकल्प के रूप में चुने। राज्यों की अपनी राजभाषाएँ हैं। राज्यों का अपना अधिकांश काम अपनी राजभाषा में ही होता है। केन्द्र सरकार ने गैर-हिंदी भाषी राज्यों की माँग पर हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी को राजकीय कामों में प्रयोग की अनुमति दे दी है।
प्रश्न 5.
शक्तियों के विकेन्द्रीकरण के पीछे मूल भावना क्या है?
उत्तर:
शक्तियों के विकेन्द्रीकरण के पीछे मूल भावना यह है कि अनेक मुद्दों और समस्याओं का निपटारा स्थानीय स्तर पर ही बढ़िया ढंग से ही हो सकता है। लोगों को अपने इलाके की समस्याओं की बेहतर समझ होती है। लोगों को इस बात की भी अच्छी जानकारी होती है कि पैसा कहाँ खर्च किया जाये और चीजों का अधिक कुशलता से उपयोग किस तरह किया जाये?
दूसरे, स्थानीय स्तर पर लोगों को फैसलों में सीधे भागीदार बनाना भी संभव हो जाता है। इस प्रकार स्थानीय सरकारों की स्थापना स्वशासन के लोकतांत्रिक सिद्धान्त को वास्तविक बनाने का सबसे अच्छा तरीका है।
प्रश्न 6.
संविधान द्वारा प्रस्तावित संघ सरकार एवं राज्य सरकारों के बीच विधायी शक्तियों के बँटवारे की तीन सूची व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
संविधान द्वारा संघ सरकार एवं राज्य सरकारों के बीच विधायी शक्तियों का बँटवारा निम्नलिखित तीन सूचियों के द्वारा किया गया है-
प्रश्न 7.
संघीय व्यवस्था की महत्त्वपूर्ण विशेषताओं को रेखांकित कीजिए।
अथवा
संघीय व्यवस्था की किन्हीं चार विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
संघीय व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
संघीय शासन व्यवस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
संघीय शासन व्यवस्था की विशेषताएँ
संघीय शासन व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
प्रश्न 2.
संघीय शासन व्यवस्थाएँ कितने तरीकों से गठित होती हैं? वर्णन कीजिये।
उत्तर:
संघीय शासन व्यवस्थाओं के गठन के तरीके
संघीय शासन व्यवस्थाएँ आम तौर पर दो तरीकों से गठित होती हैं। यथा-
(1) साथ आकर संघ बनाना (Coming together federation)-इसके अन्तर्गत दो या अधिक स्वतंत्र राष्ट्रों को साथ लेकर एक बड़ी इकाई (राष्ट्र) का निर्माण किया जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका, स्विट्जरलैण्ड इसके प्रमुख उदाहरण हैं। ऐसी संघीय व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ हैं-
(2) साथ रखकर संघ बनाना (Holding together federation) संघीय व्यवस्था के गठन का दूसरा तरीका है—बड़े देश द्वारा अपनी आंतरिक विविधता को ध्यान में रखते हुए राज्यों का गठन करना और फिर राज्य और राष्ट्रीय सरकार के बीच सत्ता का बँटवारा कर देना । भारत, बेल्जियम और स्पेन इसके उदाहरण हैं।
इस व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
प्रश्न 3.
भारतीय संघीय व्यवस्था की चार प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
भारतीय संघीय व्यवस्था की विशेषताएँ भारतीय संघीय व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
(1) त्रि-स्तरीय सरकारें भारतीय संविधान में मूल रूप से दो स्तर की शासन व्यवस्था का प्रावधान किया था-()i संघ या केन्द्र सरकार और (ii) राज्य सरकारें। बाद में स्थानीय शासन की संस्थाओं के तीसरे स्तर को भी संविधान में मान्यता दे दी गई है।
(2) शक्तियों का विभाजन-संविधान में स्पष्ट रूप से केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच विधायी अधिकारों को तीन सूचियों के द्वारा विभाजन किया गया है। ये हैं-(i) संघ सूची, (ii) राज्य सूची एवं (iii) समवर्ती सूची।
(3) संविधान की सर्वोच्चता-भारत में संविधान की सर्वोच्चता है। यदि कोई सरकार ऐसा कानून बनाती है जो संविधान के प्रावधानों के विपरीत है तो न्यायालय ऐसे कानून को असंवैधानिक घोषित करके रद्द कर सकती है।
(4) न्यायपालिका की सर्वोच्चता-भारतीय संघीय व्यवस्था में न्यायपालिका स्वतंत्र तथा सर्वोच्च है। शक्तियों के बँटवारे के सम्बन्ध में कोई विवाद होने पर उसका फैसला सर्वोच्च न्यायालय में ही होता है।
प्रश्न 4.
भारतीय संघवाद किस प्रकार कार्य करता है?
उत्तर:
भारतीय संघवाद का क्रियान्वयन भारत सरकार ने भारतीय संघवाद को सुचारु रूप से चलाने के लिए कई नीतियों को अपनाया है। यथा-
(1) भाषायी राज्यों का गठन- स्वतंत्रता के बाद 1956 में सरकार ने राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों को लागू कर कई राज्यों का भाषायी आधार पर गठन किया। इसके बाद कुछ अन्य राज्यों का गठन संस्कृति, भूगोल अथवा जातीयताओं की विभिन्नताओं को रेखांकित करने और उन्हें आदर देने के लिए भी किया गया। जैसे-नागालैंड, उत्तराखंड और झारखण्ड आदि। भाषावार राज्य बनाने से देश ज्यादा एकीकृत और मजबूत हुआ।
(2) भाषा नीति- भारत एक बहुभाषायी देश है। भारतीय संविधान में 22 भाषाएँ दी गई हैं । हरेक राज्य अपनी भाषा तथा संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए स्वतंत्र है। हिंदी को राजभाषा माना गया है, लेकिन गैर-हिंदी भाषी प्रदेशों की माँग पर अंग्रेजी का भी प्रयोग जारी रखा गया है।
(3) केन्द्र-राज्य सम्बन्ध- संघवाद के लिए यह आवश्यक है कि केन्द्र और राज्यों के रिश्ते अच्छे रहें। 1990 के बाद केन्द्र में बनी गठबंधन सरकारों से सत्ता में साझेदारी और राज्य सरकारों की स्वायत्तता का आदर करने की नई संस्कृति पनपी है।
उपर्युक्त विवेचन से यह स्पष्ट होता है कि भारत एक संघीय देश है जिसने हमेशा संघवाद के सुचारु रूप से कार्य करने का प्रयास किया है।
प्रश्न 5.
भारत में संविधान संशोधन करके भारतीय लोकतंत्र के स्वशासी निकायों को अधिक शक्तिशाली तथा प्रभावी बनाने हेतु क्या कदम उठाये गये?
अथवा
1992 के संविधान संशोधन द्वारा भारत में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के तीसरे स्तर-स्थानीय शासनको किस प्रकार शक्तिशाली और प्रभावी बनाया गया है?
उत्तर:
1992 के संविधान संशोधन द्वारा स्थानीय शासन को निम्न प्रकार शक्तिशाली और प्रभावी बनाया गया है-
इससे स्पष्ट होता है कि 1992 के संविधान संशोधन के द्वारा भारत में तीसरे स्तर की शासन व्यवस्था को शक्तिशाली तथा प्रभावी बनाकर लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को मजबूत किया गया है।
प्रश्न 6.
भारत में पंचायती राज व्यवस्था के संगठन को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
भारत में पंचायती राज व्यवस्था भारत में गाँवों के स्तर पर विद्यमान स्थानीय शासन व्यवस्था को पंचायती राज के नाम से जाना जाता है। पंचायती राज व्यवस्था त्रि-स्तरीय है। यथा-
(1) ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत-प्रत्येक गाँव या गाँव समूह में एक ग्राम पंचायत होती है जिसमें कई सदस्य और एक अध्यक्ष होता है। सदस्य वार्डों से चुने जाते हैं और उन्हें पंच कहा जाता है। अध्यक्ष को सरपंच कहा जाता है। सरपंच का चुनाव गाँव में रहने वाले सभी वयस्क लोग मतदान के जरिये करते हैं।
यह पूरे पंचायत क्षेत्र के लिए फैसला लेने वाली संस्था है। पंचायतों का काम ग्राम सभा की देखरेख में चलता है। गाँव के सभी मतदाता इसके सदस्य होते हैं।
(2) ब्लॉक स्तर पर पंचायत समिति-कई ग्राम पंचायतों को मिलाकर पंचायत समिति का गठन होता है। इसके सदस्यों का चुनाव इलाके के मतदाताओं द्वारा किया जाता है।
(3) जिला परिषद्-किसी जिले की सभी पंचायत समितियों को मिलाकर जिला परिषद् का गठन होता है। जिला परिषद् के अधिकांश सदस्यों का चुनाव होता है। जिला परिषद् का प्रमुख जिला प्रमुख कहलाता है जो इस परिषद् का राजनीतिक प्रधान होता है।
स्थानीय सरकारों को संवैधानिक दर्जा दिये जाने से लोकतंत्र की जड़ें मजबूत हुई हैं, महिलाओं के आरक्षण से लोकतंत्र में उनकी भागीदारी बढ़ी है।
प्रश्न 7.
भारत में 'भाषायी राज्यों का गठन' के बारे में आप क्या जानते हैं? विस्तार से वर्णन कीजिये।
उत्तर:
भारत में भाषायी राज्यों का गठन-भारत एक बड़ा देश है। यहाँ अनेक भाषाएँ एवं बोलियाँ बोली जाती हैं। संविधान में भी 22 भाषाओं को अनुसूचित भाषा का दर्जा दिया गया है।
भारत में अनेक राज्यों का गठन भाषा के आधार पर किया गया है। आजादी के बाद भाषा के आधार पर प्रांतों का गठन हमारे देश की लोकतांत्रिक राजनीति के लिए पहली और एक कठिन परीक्षा थी। आजादी के वक्त से लेकर अब तक अनेक पुराने प्रांत गायब हो गए और कई नए प्रांत बनाए गए। कई प्रांतों की सीमाएँ, क्षेत्र और नाम बदल गए।
भाषा के आधार पर नए राज्यों को बनाने के लिए 1950 के दशक में भारत के कई पुराने राज्यों की सीमाएँ बदलीं। ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया कि एक भाषा बोलने वाले लोग एक राज्य में आ जाएँ।
इसके बाद कुछ अन्य राज्यों का गठन भाषा के आधार पर नहीं बल्कि संस्कृति, भूगोल अथवा जातीयताओं (एथनीसिटी) की विभिन्नता को रेखांकित करने और उन्हें आदर देने के लिए भी किया गया। इनमें नागालैंड, उत्तराखंड और झारखंड जैसे राज्य शामिल हैं।
भाषा के आधार पर राज्यों के गठन पर कई राष्ट्रीय नेताओं को डर था कि इससे देश टूट जाएगा। केंद्र सरकार ने इसी के चलते राज्यों का पुनर्गठन कुछ समय के लिए टाल दिया था। किन्तु आगे चलकर यह स्पष्ट हुआ कि भाषावार राज्य बनाने से देश ज्यादा एकीकृत और मजबूत हुआ। इससे प्रशासन भी पहले की अपेक्षा कहीं ज्यादा सुविधाजनक हो गया है।
प्रश्न 8.
भारत में केंद्र-राज्य संबंधों में आये बदलावों के मद्देनजर संघीय व्यवस्था में सत्ता की साझेदारी आज ज्यादा प्रभावी है। स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
भारत में केंद्र-राज्य संबंध-भारत में केंद्र-राज्य संबंधों में लगातार आये बदलावों के कारण व्यवहार में संघवाद बहुत मजबूत हुआ है और आज उनके बीच सत्ता की साझेदारी ज्यादा प्रभावी है।
सत्ता की साझेदारी की संवैधानिक व्यवस्था वास्तविकता में कैसा रूप लेगी यह ज्यादातर इस बात पर निर्भर करता है कि शासक दल और नेता किस तरह इस व्यवस्था का अनुसरण करते हैं। काफी समय तक हमारे यहाँ एक ही पार्टी का केंद्र और अधिकांश राज्यों में शासन रहा। इसका व्यावहारिक प्रभाव यह पड़ा कि राज्य सरकारों ने स्वायत्त संघीय इकाई के रूप में अपने अधिकारों का प्रयोग ही नहीं किया। इसके बाद जब केंद्र और राज्य में अलग-अलग दलों की सरकारें बनी तो केंद्र सरकार ने राज्यों के अधिकारों की अनदेखी करने की कोशिश की। उन दिनों में केंद्र सरकार अक्सर संवैधानिक प्रावधानों का दुरुपयोग करके विपक्षी दलों की राज्य सरकारों को भंग कर देती थी। यह संघवाद की भावना के प्रतिकूल काम था।
सन् 1990 के बाद से इस स्थिति. में कुछ सुधार आया। इस अवधि में देश के अनेक राज्यों में क्षेत्रीय दलों का उदय हुआ। इसी दौर में केंद्र में गठबंधन सरकारों की शुरुआत हुई। चूंकि किसी एक दल को लोकसभा में स्पष्ट बहुमत नहीं मिला इसलिए प्रमुख राष्ट्रीय पार्टियों को क्षेत्रीय दलों समेत अनेक पार्टियों का गठबंधन बनाकर सरकार बनानी पड़ी। इससे सत्ता में साझेदारी और राज्य सरकारों की स्वायत्तता का आदर करने की नई संस्कृति पनपी। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट के एक बड़े फैसले से भी इस प्रक्रिया को बल मिला। इस फैसले के कारण राज्य सरकार को मनमाने ढंग से भंग करना केंद्र सरकार के लिए मुश्किल हो गया।
इस प्रकार आज संघीय व्यवस्था के तहत सत्ता की साझेदारी संविधान लागू होने के तत्काल बाद वाले दौर की। तुलना में ज्यादा प्रभावी है।