Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 15 हमारा पर्यावरण Important Questions and Answers.
Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 10 Science in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 10. Students can also read RBSE Class 10 Science Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 10 Science Notes to understand and remember the concepts easily. Browsing through class 10 science chapter 12 question answer in hindi that includes all questions presented in the textbook.
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
एक स्थलीय पारितन्त्र में हरे पौधे की पत्तियों द्वारा प्राप्त होने वाली सौर ऊर्जा का लगभग कितने प्रतिशत भाग खाद्य ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है:
(अ) 1 प्रतिशत
(ब) 2 प्रतिशत
(स) 3 प्रतिशत
(द) 4 प्रतिशत
उत्तर:
(अ) 1. प्रतिशत
प्रश्न 2.
निम्न में से किस सन् से वायुमण्डल में ओजोन की मात्रा में तीव्रता से गिरावट आने लगी:
(अ) 1978
(ब) 1979
(स) 1980
(द) 1981
उत्तर:
(स) 1980
प्रश्न 3.
अपघटकों का कार्य है:
(अ) भोजन का निर्माण करना
(ब) वायु को शुद्ध करना
(स) वायु को अशुद्ध करना
(द) पदार्थों का चक्रीकरण करना
उत्तर:
(द) पदार्थों का चक्रीकरण करना
प्रश्न 4.
जैव आवर्धन उत्पन्न करने वाला पदार्थ है:
(अ) पीड़कनाशी
(ब) डी.डी.टी.
(स) शाकनाशी
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 5.
खाद्य जाल में ऊर्जा का प्रवाह होता है:
(अ) एक - दिशीय
(ब) द्वि - दिशीय
(स) चतुर्दिशीय
(द) त्रि - दिशीय
उत्तर:
(अ) एक - दिशीय
प्रश्न 6.
जैवमण्डल से CO2 निकाल दी जाए तो सर्वप्रथम कौनसे जीवों में ऋणात्मक प्रभाव होगा:
(अ) अपघटक
(ब) प्राथमिक उपभोक्ता
(स) द्वितीयक उपभोक्ता
(द) तृतीयक उपभोक्ता
उत्तर:
(ब) प्राथमिक उपभोक्ता
प्रश्न 7.
ओजोन मंडल के क्षय के ज्ञात कारणों में से सर्वाधिक उत्तरदायी है:
(अ) क्लोरोफ्लोरो कार्बन
(ब) एलनीनो प्रभाव
(स) PAN
(द) ग्रीन हाउस प्रभाव
उत्तर:
(अ) क्लोरोफ्लोरो कार्बन
प्रश्न 8.
यदि किसी पारिस्थितिक तन्त्र में से अपघटकों को पूरी तरह से अलग कर दिया जाए, तो पारिस्थितिक तन्त्र के कार्य करने पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा ऐसा इसलिए कि:
(अ) शाकभक्षियों को सौर ऊर्जा प्राप्त नहीं होगी
(ब) अन्य तत्वों की अपघटन दर बहुत ज्यादा हो जाएगी
(स) खनिज प्रवाह अवरुद्ध हो जाएगा
(द) ऊर्जा प्रवाह रुक जाएगा
उत्तर:
(स) खनिज प्रवाह अवरुद्ध हो जाएगा
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
ओजोन परत सूर्य से आने वाली कौनसी विकिरण से सुरक्षा प्रदान करती है?
उत्तर:
ओजोन परत पराबैंगनी किरणों से हमारी रक्षा करती है।
प्रश्न 2.
'उत्पादक' किसे कहते हैं?
उत्तर:
सभी हरे पौधे एवं नील - हरित शैवाल जो प्रकाश संश्लेषण द्वारा खाद्य पदार्थ बनाते हैं, उत्पादक कहलाते हैं।
प्रश्न 3.
उत्पादक खाद्य पदार्थों का निर्माण किस प्रकार करते हैं?
उत्तर:
उत्पादक सूर्य के प्रकाश एवं क्लोरोफिल की उपस्थिति में अकार्बनिक पदार्थों से कार्बनिक पदार्थ जैसे कि, शर्करा एवं मंड का निर्माण करते हैं।
प्रश्न 4.
UNEP का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme)।
प्रश्न 5.
पर्यावरण के किन्हीं दो अजैव घटकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 6.
जैव निम्नीकरणीय किसे कहते हैं?
उत्तर:
वे पदार्थ जो जैविक प्रक्रम द्वारा अपघटित हो जाते हैं, जैव निम्नीकरणीय कहलाते हैं।
प्रश्न 7.
किसी मानव निर्मित (कृत्रिम) पारितंत्र का उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
बगीचा तथा खेत मानव निर्मित (कृत्रिम) पारितंत्र हैं।
प्रश्न 8.
जीवन निर्वाह के आधार पर जीवों को कितने वर्गों में बाँटा गया है?
उत्तर:
जीवन निर्वाह के आधार पर जीवों को तीन वर्गों में बाँटा गया है, जिन्हें क्रमशः उत्पादक, उपभोक्ता एवं अपघटक कहते हैं।
प्रश्न 9.
चाय पीने के लिए कुल्हड़ (मिट्टी के पात्र) पारितंत्र को किस प्रकार प्रभावित कर सकते हैं?
उत्तर:
बड़ी संख्या में कुल्हड़ बनाने के लिए उर्वरक मिट्टी का उपयोग होगा जिसका प्रभाव पारितंत्र के उत्पादकों की उत्पादकता पर पड़ेगा।
प्रश्न 10.
उपभोक्ता को मुख्यतया किनमें बाँटा गया है?
उत्तर:
उपभोक्ता को मुख्यतया शाकाहारी, मांसाहारी, सर्वाहारी एवं परजीवी में बाँटा गया है।
प्रश्न 11.
स्वपोषी सौर प्रकाश में निहित ऊर्जा को ग्रहण करके कौनसी ऊर्जा में बदल देते हैं?
उत्तर:
स्वपोषी सौर प्रकाश में निहित ऊर्जा को ग्रहण करके रासायनिक ऊर्जा में बदल देते हैं।
प्रश्न 12.
ऑक्सीजन से ओजोन किस प्रकार बनती है?
उत्तर:
वायुमण्डल के उच्चतर स्तर पर पराबैंगनी (UV) विकिरण के प्रभाव से ऑक्सीजन (O2) अणुओं से ओजोन (O3) बनती है।
प्रश्न 13.
अग्निशमन एवं शीतलन के लिए काम में लिए जाने वाले रसायन का नाम लिखिए।
उत्तर:
अग्निशमन एवं शीतलन के लिए काम में लिए जाने वाले रसायन का नाम क्लोरोफ्लुओरो कार्बन (CFCs) है।
प्रश्न 14.
पोषण के आधार पर कीट कैसे जीव हैं?
उत्तर:
पोषण के आधार पर कीट प्राथमिक उपभोक्ता (Primary Consumer) हैं।
प्रश्न 15.
खाद्य श्रृंखला अधिक लम्बी कब होगी?
उत्तर:
जीवों के खाद्य स्वभाव में जितनी विविधता होगी, खाद्य श्रृंखला उतनी ही अधिक लम्बी होगी।
प्रश्न 16.
पारिस्थितिक तन्त्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
वातावरण के जैविक व अजैविक कारकों के समाकलन के फलस्वरूप निर्मित तंत्र को पारिस्थितिक तन्त्र कहते हैं।
प्रश्न 17.
पारिस्थितिक स्तूप किसे कहते हैं?
उत्तर:
पारिस्थितिक तन्त्रों के विभिन्न जैविक घटकों के खाद्य स्तरों के सम्बन्ध को त्रिभुजाकार स्तूप द्वारा प्रदर्शित करते हैं, इन्हें पारिस्थितिक स्तूप कहते हैं।
प्रश्न 18.
जब हम एक पोषी स्तर से दूसरे पोषी स्तर पर जाते हैं तो ऊर्जा का क्या होता है?
उत्तर:
एक पोषी स्तर से दूसरे पोषी स्तर पर जाने पर ऊर्जा का हास होता है।
प्रश्न 19.
किस कार्यक्रम में सर्वानुमति बनी कि CFCs के उत्पादन को 1986 के स्तर पर सीमित रखा जाए?
उत्तर:
1987 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) में यह सर्वानुमति बनी।
प्रश्न 20.
ऊर्जा के पिरामिड की प्रमुख विशेषता लिखिए।
उत्तर:
ऊर्जा के पिरामिड सदैव सीधे होते हैं।
प्रश्न 21.
किन्हीं तीन प्राकृतिक पारितंत्र के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 22.
खाए हुए भोजन की मात्रा का लगभग कितने प्रतिशत भाग जैव मात्रा में बदलता है?
उत्तर:
खाए हुए भोजन की मात्रा का लगभग 10 प्रतिशत भाग ही जैव मात्रा में बदलता है।
प्रश्न 23.
किन तरीकों में बदलाव से अजैव निम्नीकरणीय वस्तुओं के कचरे में पर्याप्त वृद्धि हुई है?
उत्तर:
पैकेजिंग के तरीकों में बदलाव से अजैव निम्नीकरणीय वस्तुओं के कचरे में पर्याप्त वृद्धि हुई है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
डिस्पोजेबल प्लास्टिक कप की अपेक्षा कागज के डिस्पोजेबल कप के इस्तेमाल के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
कागज के डिस्पोजेबल कपों का निस्तारण आसानी से हो जाता है तथा इन्हें पुनः चक्रण कर उपयोग कर सकते हैं। ये पर्यावरण के लिए भी लाभदायक हैं।
प्रश्न 2.
पॉलीथीन की थैलियों के उपयोग पर प्रतिबंध आवश्यक क्यों है?
उत्तर:
पॉलीथीन एक अजैव निम्नीकरण पदार्थ है जिसका अपघटन नहीं हो पाता है। यह उद्योगों में विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थों से तैयार होती है। उपयोग के बाद इन्हें फेंक दिया जाता है, इससे कई गम्भीर समस्याएँ उत्पन्न हो जाती है। जैसे:
प्रश्न 3.
पीड़कनाशी रसायनों का अत्यधिक प्रयोग किस प्रकार 'जैव आवर्धन' की समस्या उत्पन्न कर रहे हैं?
उत्तर:
अविषाणु प्रदूषकों का खाद्य श्रृंखला में प्रवेश करके, इस शृंखला के शीर्षस्थ स्तर पर इसके अधिकतम सान्द्रण को 'जैव आवर्धन' कहा जाता है। चूंकि पीड़कनाशी अजैव निम्नीकरण पदार्थ हैं, जिनका अपघटन नहीं हो पाता है। ये बहकर मिट्टी एवं जल स्रोतों में चले जाते हैं। मिट्टी से इन पदार्थों का पौधों द्वारा जल एवं खनिजों के साथ - साथ अवशोषण हो जाता है तथा जलाशयों से ये जलीय पौधों एवं जन्तुओं में प्रवेश कर जाते हैं।
इस प्रकार से आहार श्रृंखला में प्रवेश कर जाते हैं। अजैव निम्नीकृत होने के कारण प्रत्येक पोषी स्तर पर ये उत्तरोत्तर संग्रहित होते जाते हैं। चूँकि सभी आहार श्रृंखलाओं में मानव शीर्षस्थ है, अतः हमारे शरीर में ये रसायन सर्वाधिक मात्रा में संचित हो जाते हैं, जिससे जैव-आवर्धन की समस्या उत्पन्न हो रही है।
प्रश्न 4.
पारितंत्र में उपभोक्ता कौन होते हैं? इन्हें किन श्रेणियों में बाँटा गया है? प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
वे जीव को उत्पादक द्वारा उत्पादित भोजन पर प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से निर्भर करते हैं उपभोक्ता कहलाते हैं। इन्हें मुख्यतया निम्न चार श्रेणियों में बाँटा गया है:
उपभोक्ता श्रेणी |
उदाहरण |
1. शाकाहारी |
बकरी, खरगोश |
2. मांसाहारी |
साँप, शेर |
3. सर्वाहारी |
मानव, कॉकरोच |
4. परजीवी |
जूँ, अमरबेल |
प्रश्न 5.
निम्न का स्पष्टीकरण देते हुए कारण बताइए:
(i) कोई भी पारितंत्र उसमें CO2 की उपलब्धता के अभाव में चलता नहीं रह सकता।
(ii) पारितंत्र में अपघटकों का होना आवश्यक है।
(iii) पारितंत्र से समस्त उत्पादकों को हटा दिया जाये तो क्या होगा?
उत्तर:
(i) हरे पौधे प्रकाश की मौजूदगी में अपना आहार बनाने में CO2 का इस्तेमाल करते हैं। यदि CO2 नहीं होगी, तो आहार का उत्पादन नहीं होगा।
(ii) ये मृत शरीर के सम्मिश्र यौगिकों का विघटन करके सरलतर यौगिक बनाते हैं जो वापस परिवेश में पहुँचकर पुनः हरे पौधों को उपलब्ध हो जाते हैं ताकि फिर से नया प्रोटोप्लाज्म बन सके।
(iii) चूँकि सभी जीव प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से अपने निर्वाह हेतु उत्पादकों पर निर्भर रहते हैं, इसलिए यदि पारितंत्र के सभी उत्पादकों को हटा दिया जाएगा तो सभी उपभोक्ता मर जाएंगे।
प्रश्न 6.
नीचे कुछ जीवों की सूची दी जा रही है:
घास, बाघ, सांप, मेढक, मक्का, टिड्डा, बिल्ली, चूहा, गिलहरी, मकड़ी, छिपकली, मॉथ, गेहूँ, फल, खरगोश, मोर।
(i) इस सूची में से कोई दो खाद्य शृंखलाएँ बनाइए।
(ii) सभी प्राथमिक उपभोक्ताओं की सूची बनाइए।
(iii) किसी दो तृतीयक उपभोक्ताओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
(i) (अ) घास → टिड्डा → छिपकली
(ब) मक्का → चूहा → सांप → मोर
(ii) मॉथ, गिलहरी, खरगोश, चूहा, टिड्डा।
(iii) बाघ, मोर।
प्रश्न 7.
'अपमार्जक' क्या होते हैं? परितंत्र में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण क्यों है?
उत्तर:
जीवाणु और कवक जैसे सूक्ष्मजीव जो मृतजैव अवशेषों का अपमार्जन करते हैं, अपमार्जक कहलाते हैं। अपमार्जक किसी भी परितंत्र के लिए महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि ये जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल अकार्बनिक पदार्थों में बदल देते हैं जो मृदा में चले जाते हैं तथा उत्पादकों द्वारा पुनः उपयोग में लाए जा सकते हैं।
प्रश्न 8.
किसी पारितंत्र में ऊर्जा प्रवाह की मुख्य विशेषताएँ क्या होती है?
उत्तर:
किसी भी पारितंत्र में ऊर्जा प्रवाह की दो मुख्य विशेषताएँ होती हैं:
1. ऊर्जा का प्रवाह एकदिशिक अथवा एक ही दिशा में होता है। स्वपोषी जीवों द्वारा ग्रहण की गई ऊर्जा पुनः सौर ऊर्जा में परिवर्तित नहीं होती तथा शाकाहारियों को स्थानांतरित की गई ऊर्जा पुनः स्वपोषी जीवों को उपलब्ध नहीं होती है। जैसे यह विभिन्न पोषी स्तरों पर क्रमिक स्थानांतरित होती है अपने से पहले स्तर के लिए उपलब्ध नहीं होती।
2. प्रत्येक स्तर पर ऊर्जा की हानि के कारण प्रत्येक पोषी स्तर पर उपलब्ध ऊर्जा में उत्तरोत्तर ह्यस होता है।
प्रश्न 9.
खाद्य श्रृंखला में एक निचले खाद्य स्तर से उसके ऊपर के स्तर पर जाने में ऊर्जा की हानि क्यों होती है?
अथवा
दस प्रतिशत का नियम क्या है?
उत्तर:
किसी खाद्य श्रृंखला में जब हम एक पोषण स्तर से अगले उच्चतर स्तर पर जाते हैं तब ऊर्जा की हानि होती है। क्योंकि खाए हुए भोजन की मात्रा का लगभग 10% ही जैव मात्रा में बदल पाता है तथा अगले स्तर के उपभोक्ता को उपलब्ध हो पाता है, शेष 90 प्रतिशत विकिरण द्वारा वायुमण्डल में खो जाती है। इसे 10 प्रतिशत का नियम भी कहते हैं। अर्थात् प्रकृति में किसी समष्टि द्वारा प्राप्त की गई कुल ऊर्जा का या प्रत्येक स्तर पर उपलब्ध कार्बनिक पदार्थों की मात्रा का औसतन 10% ही उपभोक्ता के अगले स्तर तक पहुँचता है।
प्रश्न 10.
उत्पादक एवं अपमार्जक में कोई चार अन्तर लिखिए।
उत्तर:
उत्पादक एवं अपमार्जक में अन्तर:
उत्पादक (Producers) |
अपमार्जक (Decomposers) |
1. ये हरे पादप होते हैं। |
ये सूक्ष्म जीव (Microorganisms) होते हैं। |
2. उत्पादकों की प्रकृति स्वपोषी प्रकार की होती है। |
इनकी प्रकृति विषमपोषी प्रकार की होती है। |
3. इन्हें अकार्बनिक पोषकों की आवश्यकता होती है। |
ये अकार्बनिक पोषकों का निर्माण करते हैं। |
4. ये सभी जीवों को भोजन प्रदान करते हैं। |
ये कच्ची सामग्री उत्पन्न करते हैं एवं नई पीढ़ी के लिएजगह उत्पन्न करते हैं। |
5. ये प्रथम पोषी स्तर में स्थित होते हैं। |
ये अन्तिम पोषी स्तर में आते हैं। |
प्रश्न 11.
मानव - निर्मित पदार्थ जैसे कि प्लास्टिक का अपघटन जीवाणु अथवा दूसरे मृतजीवियों द्वारा क्यों नहीं हो सकता?
उत्तर:
जीवों द्वारा खाए गए भोजन का पाचन विभिन्न एंजाइमों द्वारा किया जाता है। एंजाइम अपनी क्रिया में विशिष्ट होते हैं। किसी विशेष प्रकार के पदार्थ के पाचन / अपघटन के लिए विशिष्ट एंजाइम की आवश्यकता होती है। प्राकृतिक खाद्य वस्तुओं के पाचन / अपघटन के लिए तो जीवों में एंजाइम पाए जाते हैं परन्तु मानव निर्मित पदार्थ जैसे कि प्लास्टिक के अपघटन हेतु कोई एंजाइम नहीं पाया जाता है। यही कारण है प्लास्टिक का अपघटन जीवाणु अथवा दूसरे मृतजीवियों द्वारा नहीं हो सकता।
प्रश्न 12.
यदि सूर्य से पौधे को 20,000 जूल ऊर्जा उपलब्ध हो तो निम्नलिखित आहार श्रृंखला में शेर को कितनी ऊर्जा उपलब्ध होगी? गणना कीजिए।
पौधे → हिरण → शेर
उत्तर:
ऊर्जा के प्रवाह के 10% नियम के अनुसार ऊर्जा की केवल 10% मात्रा ही एक पोषी स्तर से दूसरे पोषी स्तर पर स्थानान्तरित होती है। अतः पौधे को प्राप्त ऊर्जा में से हिरण को 200 जूल तथा हिरण से शेर को केवल 20 जूल ऊर्जा ही प्राप्त होगी।
प्रश्न 13.
खाद्य स्तर तथा खाद्य श्रृंखला किसे कहते हैं?
उत्तर:
पारिस्थितिक तंत्र में प्रत्येक जीव भोजन प्राप्ति हेतु अन्य जीवों पर निर्भर रहता है। भोजन प्राप्ति का क्रम निम्न प्रकार से होता है:
उत्पादक → प्राथमिक उपभोक्ता → द्वितीयक उपभोक्ता → तृतीयक उपभोक्ता → सर्वोच्च उपभोक्ता
इस प्रकार खाने व खाये जाने वाले जीवों की श्रृंखला को खाद्य शृंखला कहते हैं तथा इसके प्रत्येक स्तर को खाद्य स्तर कहते हैं।
प्रश्न 14.
वायुमंडल में ओजोन का निर्माण किस प्रकार होता है? समझाइए।
उत्तर:
वायुमंडल के उच्चतर स्तर पर पराबैंगनी (UV) विकिरण के प्रभाव से ऑक्सीजन (O2) अणुओं से ओजोन बनती है। उच्च ऊर्जा वाले पराबैंगनी विकिरण ऑक्सीजन अणुओं (O2) को विघटित कर स्वतंत्र ऑक्सीजन (O) परमाणु बनाते हैं। ऑक्सीजन के ये स्वतंत्र परमाणु संयुक्त होकर ओजोन बनाते हैं जैसा कि समीकरण में दर्शाया गया है:
प्रश्न 15.
जैव निम्नीकरणीय पदार्थों एवं अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जैव निम्नीकरणीय पदार्थों एव अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों में अन्तर:
(Differences between Biodegradable and Non - biodegradable Wastages)
जैव निम्नीकरणीय पदार्थ (Biodegradable Wastage) |
अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ (Non-biodegradable Wastage) |
1. वे पदार्थ जो जैविक प्रक्रम द्वारा अपघटित हो जाते हैं, जैव निम्नीकरणीय कहलाते हैं। |
ऐसे पदार्थ जो जैविक प्रक्रम द्वारा अपघटित नहीं होते हैं, अजैव निम्नीकरणीय कहलाते हैं। |
2. इनकी उत्पत्ति जैविक होती है। |
ये सामान्यतः मानव द्वारा निर्मित होते हैं। |
3. ये पदार्थ प्रकृति में इकट्ठे नहीं होते हैं। |
इनका ढेर लग जाता है एवं प्रकृति में इकट्ठे हो जाते हैं। |
4. जैव निम्नीकरणीय पदार्थ जैव आवर्धन (Biomagnification) प्रदर्शित नहीं करते हैं। |
घुलनशील अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ खाद्य श्रृंखला में प्रवेश करते हैं अर्थात् जैव आवर्धन प्रदर्शित करते हैं। |
5. प्रकृति में इनका पुनः चक्रण सम्भव है। |
प्रकृति में इन पदार्थों का पुनः चक्रण सम्भव नहीं है। |
6. उदाहरण-मलमूत्र, कागज, शाक, फल, कपड़ा आदि। |
उदाहरण-प्लास्टिक, डी.डी.टी., ऐलुमिनियम के डिब्बे आदि। |
प्रश्न 16.
सामान्यतः पारितंत्र में खाद्य श्रृंखलाओं में पोषी स्तर अधिकतम चौथे स्तर तक ही क्यों होते हैं? समझाइए।
उत्तर:
पारितंत्र में खाद्य श्रृंखलाओं के प्रत्येक स्तर पर उपलब्ध कार्बनिक पदार्थों की मात्रा का औसतन 10% ही अगले उपभोक्ता स्तर तक पहुँचता है। क्योंकि उपभोक्ता के अगले स्तर के लिए ऊर्जा की बहुत कम मात्रा उपलब्ध हो पाती है। प्रत्येक चरण पर ऊर्जा का ह्यस इतना अधिक होता है कि चौथे पोषी स्तर के बाद उपयोगी ऊर्जा की मात्रा बहुत कम हो जाती है। इसीलिए सामान्यतः परितंत्र में खाद्य श्रृंखलाओं में पोषी स्तर अधिकतम चौथे स्तर तक ही होते हैं।
प्रश्न 17.
पर्यावरण से क्या तात्पर्य है? समझाइए।
उत्तर:
पर्यावरण (Environment): किसी जीवधारी के आसपास का वातावरण, जो उसे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रभावित करता है, पर्यावरण कहलाता है। जीवन की आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के वास्ते पर्यावरण और जीव के बीच परस्पर क्रिया होती है। जीव अपने पर्यावरण की अनेक चीजों पर निर्भर करते हैं - जैसे ऊर्जा, जल, ऑक्सीजन, आहार, आश्रय तथा अपने संगमियों पर।
वस्तुतः पर्यावरण में दो प्रकार के घटक आते हैं:
1. सजीव अर्थात् जैविक (biotic) घटक जिसमें सभी जीव आते हैं (सूक्ष्मजीव, पौधे तथा प्राणी)
2. निर्जीव अर्थात् अजैविक (abiotic) घटक (इन्हें भौतिक पर्यावरण भी कहा जाता है)। इनमें मृदा, थल अथवा जल, प्रकाश, तापमान, आर्द्रता तथा उस क्षेत्र की वर्षा आदि भी शामिल हैं जिनमें वह जीव रहता है। अतः किसी जीव का पर्यावरण उन तमाम सजीव एवं निर्जीव वस्तुओं का बना होता है जो उसके परिवेश में होती हैं।
प्रश्न 18.
प्राकृतिक पारितंत्रों के उदाहरण देते हुए संक्षिप्त में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्राकृतिक पारितंत्रों के कुछ उदाहरण:
जलीय (Aquatic) पारितंत्र:
1. तालाब एक पारितंत्र है, जिसके भीतर हरे पौधे (बड़े, छोटे और सूक्ष्मदर्शीय भी) उत्पादक होते हैं एवं शाकभक्षी मछलियाँ एवं कीट आदि प्राथमिक उपभोक्ता होते हैं जो पौधों को भोजन बनाते हैं। बड़े आकार की मांसभक्षी मछलियाँ, मेंढक, टोड आदि द्वितीयक उपभोक्ता होते हैं।
2. समुद्र भी एक पारितंत्र है, जिसके भीतर हरे शैवाल ऊपरी परतों में पाए जाते हैं जो प्रथम स्तर पर आहार का उत्पादन करते हैं। शाकभक्षी मछलियाँ, घोंघे एवं अन्य विविध प्राणी प्राथमिक उपभोक्ता होते हैं, बड़ी मछलियाँ द्वितीयक उपभोक्ता होते हैं और इस प्रकार क्रम आगे चलता जाता है।
स्थलीय (Terrestrial) पारितंत्र:
वन एक स्थलीय पारितंत्र होता है जिसके भीतर हरे वृक्ष, हरी झाड़ियाँ तथा हरी घास उत्पादक हैं। हिरण, खरगोश, चूहे और गिलहरियाँ प्राथमिक उपभोक्ता हैं एवं बाघ, भेड़िया, लोमड़ी, उल्लू आदि द्वितीयक उपभोक्ता हैं।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
(क) आहार श्रृंखला से क्या अभिप्राय है?
(ख) घास के मैदान में आहार श्रृंखला को उदाहरण सहित समझाइए।
(ग) एक पारितन्त्र में ऊर्जा प्रवाह को आरेख द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(क) खाद्य श्रृंखला-पारिस्थितिक तंत्र में प्रत्येक जीव भोजन प्राप्ति हेतु अन्य जीवों पर निर्भर रहता है। इनका क्रम निम्न है:
उत्पादक → प्राथमिक उपभोक्ता → द्वितीयक उपभोक्ता → तृतीयक उपभोक्ता → सर्वोच्च उपभोक्ता
इस प्रकार खाने व खाये जाने वाले जीवों की श्रृंखला को खाद्य श्रृंखला कहते हैं।
(ख) घास के मैदान में आहार श्रृंखला - घास के मैदान में आहार श्रृंखला को निम्न उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है:
घास के मैदान में घास उत्पादक के रूप में कार्य करती है जिसे प्राथमिक उपभोक्ता अर्थात् शाकाहारियों द्वारा भोजन के रूप में खाया जाता है। कीट जैसे शाकाहारियों को द्वितीयक उपभोक्ता अथवा प्राथमिक मांसाहारियों जैसे मेंढ़क द्वारा खाया जाता है। मेंढ़क को तृतीयक उपभोक्ता अथवा द्वितीयक मांसाहारियों जैसे साँप द्वारा भोजन के रूप में ग्रहण किया जाता है। साँप को चतुर्थ या सर्वोच्च उपभोक्ता जैसे बाज द्वारा अपना भोजन बनाया जाता है। एक प्रकार घास के मैदान में खाने एवं खाये जाने के क्रम से आहार श्रृंखला का निर्माण होता है।
(ग) पारितंत्र में ऊर्जा प्रवाह: पर्यावरण के विभिन्न घटकों की परस्पर अन्योन्यक्रिया में निकाय के एक घटक से दूसरे में ऊर्जा का प्रवाह होता है | स्वपोषी सौर प्रकाश में निहित ऊर्जा को ग्रहण करके रासायनिक ऊर्जा में बदल देते हैं। यह ऊर्जा संसार के सम्पूर्ण जैव समुदाय की सभी क्रियाओं के संपादन में सहायक है। स्वपोषी से ऊर्जा विषमपोषी एवं अपघटक तक जाती है। ऊर्जा संरक्षण के नियम के आधार पर ऊर्जा का एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तन होता है तो पर्यावरण में ऊर्जा की कुछ मात्रा का अनुपयोगी ऊर्जा के रूप में हास हो जाता है। यह हम अग्रलिखित प्रकार से समझ सकते हैं:
प्रश्न 2.
'पोषी स्तर' से आप क्या समझते हैं? पारितंत्र में पोषी स्तरों को एक अनुपात चित्र द्वारा दर्शाइए।
उत्तर:
पारितंत्र में विभिन्न जैविक स्तरों पर भाग लेने वाले जीव आहार श्रृंखला का निर्माण करते हैं। आहार श्रृंखला का प्रत्येक चरण अथवा कड़ी एक पोषी स्तर बनाते हैं। स्वपोषी अथवा उत्पादक प्रथम पोषी स्तर हैं तथा सौर ऊर्जा का स्थिरीकरण करके उसे विषमपोषियों अथवा उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध कराते हैं। शाकाहारी, अथवा प्राथमिक उपभोक्ता द्वितीय पोषी स्तर, छोटे मांसाहारी अथवा द्वितीय उपभोक्ता तीसरे पोषी स्तर तथा बड़े मांसाहारी अथवा तृतीय उपभोक्ता चौथे पोषी स्तर का निर्माण करते हैं।
प्रश्न 3.
पारितंत्र को परिभाषित कीजिए। इसके विभिन्न घटकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पारितंत्र: वातावरण के सभी जीवित और निर्जीव घटकों के सम्पूर्ण संतुलन के फलस्वरूप बनी इकाई पारितंत्र कहलाती है अर्थात् जीवधारी तथा वातावरण के पारस्परिक सम्बन्धों को पारितंत्र कहते हैं। पारितंत्र में इसके घटक पारस्परिक गतिज संतुलन में बने रहते हैं।
पारितंत्र के घटक: पारितंत्र के मुख्यतः दो घटक होते हैं:
(क) अजैविक / निर्जीव घटक: इसके अन्तर्गत निम्नलिखित को सम्मिलित किया जाता है:
(ख) जैविक घटक - इसके अन्तर्गत निम्नलिखित घटक आते हैं:
1. उत्पादक: यह स्वपोषी अर्थात् हरे पौधे एवं नील हरित शैवाल होते हैं, जो प्रकाश - संश्लेषण द्वारा कार्बनिक भोज्य पदार्थों का निर्माण करते हैं। यह प्रकाश ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदलकर कार्बनिक पदार्थों में संचित कर देते हैं।
2. उपभोक्ता: यह अपने भोजन के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उत्पादकों पर निर्भर रहते हैं। इनको मुख्यतः शाकाहारी, मांसाहारी, सर्वाहारी तथा परजीवी में बाँटा गया है।
सामान्यतः इन्हें निम्न वर्गों में बाँटते हैं:
(अ) प्राथमिक उपभोक्ता: यह अपना भोजन सीधे उत्पादकों से प्राप्त करते हैं। यह शाकाहारी जन्तु होते हैं, जैसे - गाय, खरगोश, चूहा आदि।
(ब) द्वितीयक उपभोक्ता: यह मांसाहारी होते हैं और अपना भोजन शाकाहारी जन्तुओं को बनाते हैं, जैसे - सर्प, मेंढक आदि।
(स) तृतीयक उपभोक्ता: यह भी मांसाहारी होते हैं और अपने भोजन के लिए द्वितीयक उपभोक्ताओं पर निर्भर रहते हैं। इसी प्रकार इनसे उच्च श्रेणी के उपभोक्ता भी हो सकते हैं । अन्त में सर्वाहारी आते हैं, जो अपना भोजन मांसाहारी एवं शाकाहारी, दोनों प्रकार से प्राप्त करते हैं, जैसे - मानव।
3. अपघटक (Decomposers): कवक और कुछ बैक्टीरिया मृत तथा सड़ते गलते पादप अथवा प्राणी शरीरों पर मृतजीवी (saprophytic) तौर पर रहते हैं और उनका सरलतर पदार्थों में विघटन करते हैं। ये पदार्थ फिर से वापस पर्यावरण में पहुँच जाते हैं और एक बार पुनः हरे पौधों को उपलब्ध हो जाते हैं। इन जीवों को अपघटक कहते हैं।
प्रश्न 4.
पारितंत्र किसे कहते हैं? एक कृत्रिम पारितंत्र का चित्र बनाकर वर्णन कीजिए।
अथवा
एक्वेरियम एक संतुलित पारितंत्र होता है। समझाइए।
उत्तर:
पारितंत्र (Ecosystem):
वातावरण के सभी जीवित और निर्जीव घटकों के सम्पूर्ण संतुलन के फलस्वरूप बनी इकाई पारितंत्र कहलाती है अर्थात् जीवधारी तथा वातावरण के पारस्परिक सम्बन्धों को पारितंत्र कहते हैं।
एक कृत्रिम पारितंत्र - जलजीवशाला (एक्वेरियम) जलजीवशाला (एक्वेरियम):
जल से भरा काँच का एक पात्र होता है। इसमें मिट्टी होती है जिसके भीतर कुछ जलीय पौधे लगा दिए जाते हैं, जिससे यह स्व - निर्वाह तंत्र बन जाता है। इसके भीतर कुछ मछलियाँ तैरती रहती है। इसके भीतर खाद्य - शृंखलाएँ स्थापित हो जाती हैं। मछलियों द्वारा छोड़ी गई CO2 पौधों द्वारा भोजन बनाने में इस्तेमाल हो जाती है एवं पौधों द्वारा छोड़ी गई ऑक्सीजन को मछलियाँ श्वसन के लिए उपयोग में ले लेती हैं। मछलियों का मल - मूत्र पौधों के लिए पोषक बन जाता है। कुछ अपघटक (बैक्टीरिया) मिट्टी में मौजूद हो सकते हैं जो मृत जैविक पदार्थ (उदाहरण के लिए टूटी अथवा मृत पत्तियों) को विघटित करते हैं । इस प्रकार एक्वेरियम एक संतुलित पारितंत्र होता है।
प्रश्न 5.
खाद्य श्रृंखला तथा खाद्य जाल का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. खाद्य श्रृंखला (Food Chain):
पारिस्थितिक तंत्र में विभिन्न जैविक स्तरों पर भाग लेने वाले जीवों की श्रृंखला खाद्य या आहार श्रृंखला कहलाती है। इसका प्रत्येक चरण या कड़ी एक पोषी स्तर बनाते हैं। प्रथम पोषी स्तर स्वपोषी अथवा उत्पादकों का होता है, जो सौर ऊर्जा का स्थिरीकरण करके उसे विषमपोषियों अथवा उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध कराते हैं। शाकाहारी (प्राथमिक उपभोक्ता) द्वितीय पोषी स्तर, छोटे मांसाहारी जीव (द्वितीय उपभोक्ता) तीसरे पोषी स्तर तथा बड़े मांसाहारी जीव (तृतीयक उपभोक्ता) चौथे पोषी स्तर का निर्माण करते हैं।
पर्यावरण के विभिन्न घटकों की परस्पर अन्योन्य क्रिया में निकाय के एक घटक से दूसरे घटक में ऊर्जा का प्रवाह होता है। इस प्रकार खाद्य श्रृंखला पारिस्थितिक तंत्र में भोजन तथा ऊर्जा के प्रवाह को प्रदर्शित करती है। आहार श्रृंखला सामान्यतः तीन अथवा चार चरण की होती है। प्रत्येक चरण पर ऊर्जा का ह्रास इतना अधिक होता है कि चौथे पोषी स्तर के बाद उपयोगी ऊर्जा की मात्रा बहुत कम हो जाती है। कुछ आहार श्रृंखलाएँ निम्न प्रकार से हैं:
2. खाद्य जाल (Food Web): विभिन्न आहार श्रृंखलाओं की लम्बाई एवं जटिलता में काफी अन्तर होता है। सामान्यतः प्रत्येक जीव दो अथवा अधिक प्रकार के जीवों द्वारा खाया जाता है, जो स्वयं अनेक प्रकार के जीवों का आहार बनते हैं। अतः एक सीधी आहार श्रृंखला के बजाय जीवों के मध्य आहार सम्बन्ध शाखान्वित होते हैं तथा शाखान्वित श्रृंखलाओं का जाल बनाते हैं, जिसे खाद्य या आहार जाल कहते हैं। इस प्रकार खाद्य जाल बहुत जटिल एवं बड़ा होता है, जिसमें ऊर्जा का प्रवाह बहुमुखी होता है। इसमें, पोषण स्तर पारितंत्र में प्राकृतिक संतुलन को प्रदर्शित करते हैं।
प्रश्न 6.
पर्यावरण के विभिन्न घटकों के बीच ऊर्जा के प्रवाह का विस्तृत अध्ययन करने पर कौनसी प्रमुख बातें ज्ञात होती है?
उत्तर:
पर्यावरण के विभिन्न घटकों के बीच ऊर्जा के प्रवाह का विस्तृत अध्ययन करने पर निम्न बातें ज्ञात होती है:
प्रश्न 7.
वर्तमान समय में प्रदूषण से सम्बन्धित दो प्रमुख चिन्ताजनक घटनाएँ क्या हैं?
उत्तर:
वर्तमान समय में प्रदूषण से सम्बन्धित दो प्रमुख चिन्ताजनक घटनाएँ निम्न हैं:
1. ओजोन परत का अपक्षय:
ओजोन (O3) के अणु ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से बनते हैं। ओजोन एक घातक गैस है परन्तु यह सूर्य से आने वाले पराबैंगनी विकिरणों (UV - विकिरण) से पृथ्वी को सुरक्षा प्रदान करती है। यह पराबैंगनी विकिरण जीवों के लिए अत्यन्त हानिकारक है। उदाहरण के लिए, यह विकिरण मानव में त्वचा कैंसर उत्पन्न करती है। वायुमण्डल के उच्चतर स्तर पर पराबैंगनी विकिरण के प्रभाव से ऑक्सीजन (O2) अणुओं से ओजोन बनती है, जो सुरक्षा आवरण का कार्य करती है।
परन्तु 1980 से वायुमण्डल में ओजोन की मात्रा में तीव्रता से गिरावट आने लगी है। क्लोरो - फ्लोरो कार्बन (CFCs) जैसे मानव संश्लेषित रसायनों को इसका मुख्य कारक माना गया है। इन रसायनों का उपयोग रेफ्रीजरेटर (शीतलन) एवं अग्निशमन के लिए किया जाता है। ओजोन की घटती मात्रा के कारण ही 1987 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) में सर्वानुमति बनी कि CFCs के उत्पादन को 1986 के स्तर पर ही सीमित रखा जाए।
2. कचरा प्रबंधन:
वर्तमान में किसी भी नगर एवं कस्बे में जाने पर चारों तरफ कचरे के ढेर दिखाई देते हैं। हमारी जीवन शैली में हो रहे सुधार के साथ - साथ उत्पादित कचरे की मात्रा भी बहुत अधिक होती जा रही है। हमारी अभिवृत्ति में परिवर्तन भी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निर्वाह करता है। हम प्रयोज्य (निवर्तनीय) वस्तुओं का प्रयोग अधिक करने लग गये हैं। पैकेजिंग के तरीकों में बदलाव से अजैव निम्नीकरण वस्तु के कचरे में पर्याप्त वृद्धि हुई है।
उदाहरण के लिए कुछ वर्षों पूर्व रेलगाड़ियों में चाय काँच के गिलासों में दी जाती थी, जो चाय वाले को वापस कर दिए जाते थे। परन्तु बाद में स्वच्छता एवं स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए डिस्पोजेबल कप एवं गिलास के उपयोग को बढ़ावा दिया गया। उस समय किसी ने भी कल्पना नहीं की थी कि प्रतिदिन लाखों की संख्या में उपयोग किए जाने वाली इन कपों का प्रभाव (impact) क्या होगा। अत्यधिक उपयोग के कारण वर्तमान में इन अजैव निम्नीकरणीय वस्तुओं के कचरे में पर्याप्त वृद्धि हो रही है, जिसका हमारे पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इस प्रकार हमारे द्वारा उत्पादित कचरे का निपटान एक गम्भीर. पर्यावरणीय समस्या बनती जा रही है।