RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 14 उर्जा के स्रोत

Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 14 उर्जा के स्रोत Important Questions and Answers.

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RBSE Class 10 Science Chapter 14 Important Questions उर्जा के स्रोत

वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1. 
सौर सैलों की रचना की जाती है:
(अ) धातुओं से 
(ब) विद्युतरोधों से 
(स) अर्द्धचालकों से 
(द) इनमें से कोई नहीं 
उत्तर:
(स) अर्द्धचालकों से 

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प्रश्न 2. 
1 MW के जनित्र के लिए पवन फार्म को लगभग कितनी हेक्टेयर भूमि उपलब्ध होनी चाहिए?
(अ) 1 हेक्टेयर 
(ब) 1.5 हेक्टेयर 
(स) 2 हेक्टेयर 
(द) 2.5 हेक्टेयर 
उत्तर:
(स) 2 हेक्टेयर 

प्रश्न 3. 
पवन से विद्युत उत्पादन करने में, विश्व में प्रथम स्थान पर स्थित देश का नाम है:
(अ) भारत 
(ब) अमेरिका  
(स) डेनमार्क
(द) जापान 
उत्तर:
(स) डेनमार्क

प्रश्न 4. 
टरबाइन की आवश्यक चाल को बनाये रखने के लिए पवन की चाल किससे अधिक होनी चाहिए?
(अ) 15 मी/से. 
(ब) 150 किमी./घण्टा 
(स) 15 किमी./घण्टा 
(द) 1500 मी./से. 
उत्तर:
(स) 15 किमी./घण्टा

प्रश्न 5. 
जैव गैस एक उत्तम ईंधन है। इसमें कितने प्रतिशत तक मेथेन गैस होती है? 
(अ) 25% 
(ब) 45% 
(स) 75%
(द) 85% 
उत्तर:
(स) 75%

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प्रश्न 6. 
बायोगैस का मुख्य घटक है:
(अ) मीथेन गैस 
(ब) इथेन गैस 
(स) ब्युटेन गैस 
(द) हाइड्रोजन गैस 
उत्तर:
(अ) मीथेन गैस 

प्रश्न 7. 
नाभिकीय विखण्डन तथा नाभिकीय संलयन क्रिया में विमुक्त ऊर्जा का कारण है:
(अ) विद्युत ऊर्जा का परिवर्तन
(ब) गुरुत्वीय ऊर्जा का परिवर्तन 
(स) रासायनिक क्रिया
(द) द्रव्यमान का ऊर्जा में परिवर्तन 
उत्तर:
(द) द्रव्यमान का ऊर्जा में परिवर्तन 

प्रश्न 8. 
सूर्य के क्रोड पर होने वाली प्रक्रिया है:
(अ) नाभिकीय विखण्डन 
(ब) रासायनिक क्रिया 
(स) नाभिकीय संलयन 
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(स) नाभिकीय संलयन 

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अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
हमारा देश प्रति वर्ष कितनी सौर ऊर्जा प्राप्त करता है? 
उत्तर:
हमारा देश प्रतिवर्ष 5000 ट्रिलियन किलोवाट घंटा सौर ऊर्जा प्राप्त करता है।

प्रश्न 2. 
सौर कुकरों तथा सौर जल तापकों की कार्यविधि में किस गुण का उपयोग किया जाता है?
उत्तर:
सर्वसम परिस्थितियों में परावर्तक पृष्ठ अथवा श्वेत (सफेद) पृष्ठ की तुलना में कृष्ण (काला) पृष्ठ अधिक ऊष्मा अवशोषित करता है। सौर कुकरों तथा. सौर जल तापकों की कार्यविधि में इसी गुण का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 3. 
सौर सेलों कों परस्पर संयोजित करके सौर पैनल बनाने में किस धातु का उपयोग होता है? 
उत्तर:
चाँदी (सिल्वर) का। 

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प्रश्न 4.
OTEC विद्युत संयंत्र का पूरा नाम बताइए। 
उत्तर:
सागरीय तापीय ऊर्जा रूपांतरण विद्युत संयंत्र (Ocean Thermal Energy Conversion Plant) 

प्रश्न 5. 
'तप्त स्थल' किसे कहते हैं? 
उत्तर:
भौमिकीय परिवर्तनों के कारण भूपर्पटी में गहराइयों पर तप्त क्षेत्रों में पिघली चट्टानें ऊपर धकेल दी जाती है जो कुछ क्षेत्रों में एकत्र हो जाती है। इन क्षेत्रों को तप्त स्थल कहते हैं।

प्रश्न 6. 
जीवाश्मी ईंधन ऊर्जा के किस प्रकार के स्रोत हैं? किन्हीं दो जीवाश्मी ईंधन के नाम लिखिए। 
उत्तर:
जीवाश्मी ईंधन ऊर्जा के अनवीकरणीय पारंपरिक स्रोत हैं। दो जीवाश्मी ईंधन हैं:

  1. पेट्रोलियम तथा 
  2. खनिज कोयला। 

प्रश्न 7. 
ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए, जिन्हें आप नवीकरणीय मानते हैं। 
उत्तर:

  1. सौर ऊर्जा 
  2. पवन ऊर्जा। 

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प्रश्न 8. 
ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए, जिन्हें आप समाप्य मानते हैं। 
उत्तर:

  1. कोयला 
  2. पेट्रोलियम। 

प्रश्न 9. 
किस ऊर्जा स्रोत के कारण औद्योगिक क्रांति संभव हुई? 
उत्तर:
ऊर्जा स्रोत के रूप में कोयले के उपयोग ने औद्योगिक क्रांति को संभव बनाया। 

प्रश्न 10. 
तापीय विद्युत संयंत्र कोयले तथा तेल के क्षेत्रों के निकट क्यों स्थापित किए जाते है?
उत्तर:
समान दूरियों तक कोयले तथा पेट्रोलियम के परिवहन की तुलना में विद्युत संचरण अधिक दक्ष होता है। इसलिए बहुत से तापीय विद्युत संयंत्र कोयले तथा तेल के क्षेत्रों के निकट स्थापित किए जाते हैं।

प्रश्न 11. 
किन संयत्रों को तापीय विद्युत संयत्र कहा जाता है?
उत्तर:
ऐसे संयंत्र जिनमें ईंधन के दहन द्वारा ऊष्मीय ऊर्जा उत्पन्न कर विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित किया जाता है, तापीय विद्युत संयंत्र कहलाते हैं।

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प्रश्न 12. 
जैव मात्रा किसे कहते हैं? 
उत्तर:
ईंधन के ऐसे स्रोत जो पादप या जंतु उत्पाद होते हैं, जैव मात्रा कहलाते हैं। 

प्रश्न 13. 
जैव गैस उत्पन्न करने के लिए किन जीवों का उपयोग किया जाता है? 
उत्तर:
अवायवीय श्वसन करने वाले सूक्ष्मजीवों का उपयोग किया जाता है। 

प्रश्न 14. 
'पवनों का देश' किसे कहते हैं?
उत्तर:
'डेनमार्क' को पवनों का देश कहते हैं।  

प्रश्न 15. 
(अ) सौर सेल बनाने में प्रयुक्त धातु का नाम लिखिए। 
(ब) नाभिकीय ऊर्जा के लिए प्रयुक्त किसी भारी परमाणु का नाम लिखिए। 
उत्तर:
(अ) सिलिकॉन धातु। 
(ब) यूरेनियम। 

प्रश्न 16. 
महासागरों में जल का स्तर किस कारण चढ़ता और गिरता है? 
उत्तर:
चन्द्रमा के गुरुत्व खिंचाव के कारण।

प्रश्न 17. 
सौर सैल एक प्रकार की ऊर्जा को दूसरे प्रकार की ऊर्जा में रूपान्तरित करता है। ऊर्जा के ये दो प्रकार कौन - कौन से हैं?
उत्तर:
सौर सैल सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपान्तरित करता है। 

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प्रश्न 18. 
किसी ईंधन का चयन करते समय हमें उसमें क्या देखना चाहिए? 
उत्तर:

  1. यह दहन में कितनी ऊष्मा मुक्त करता है? 
  2. क्या यह अत्यधिक धुआँ उत्पन्न करता है? 
  3. क्या यह आसानी से उपलब्ध है? 

प्रश्न 19. 
सौर पैनल किसे कहते हैं? 
उत्तर:
सौर सैलों का एक समुदाय जिन्हें किसी पैटर्न में परस्पर संयोजित किया जाता है, को सोलर पैनल कहते हैं।

प्रश्न 20. 
तमिलनाडु में कन्याकुमारी के समीप भारत का विशालतम पवन ऊर्जा स्थापित किया गया है। इसका विद्युत उत्पादन कितना है?
उत्तर:
380 MW 

प्रश्न 21. 
वह कौनसी युक्ति है जिसकी सहायता से पवन ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है? 
उत्तर:
पवन चक्की। 

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प्रश्न 22. 
सौर ऊर्जा टावर किसे कहते हैं? 
उत्तर:
सौरभट्टी का प्रयोग जब विद्युत उत्पादन के लिए किया जाता है, तब उसे सौर ऊर्जा टावर कहते हैं। 

प्रश्न 23. 
गरम चश्मा / ऊष्ण स्रोत किसे कहते हैं?
उत्तर:
भूमिगत तप्त जल को पृथ्वी के पृष्ठ से बाहर निकलने का निकास मार्ग गरम चश्मा या ऊष्ण स्रोत कहलाता है।

प्रश्न 24. 
किन देशों में भूतापीय ऊर्जा आधारित विद्युत संयंत्रों का व्यापक उपयोग किया जा रहा है? 
उत्तर:
न्यूजीलैंड तथा संयुक्त राज्य अमेरिका में। 

प्रश्न 25. 
अधिकांश ऊर्जा स्रोत अततः किससे व्युत्पन्न होते हैं? 
उत्तर:
अधिकांश ऊर्जा स्रोत अंततः सूर्य से प्राप्त ऊर्जा से व्युत्पन्न होते हैं। 

प्रश्न 26. 
सोलर पैनल का उपयोग कहाँ - कहाँ पर होता है? 
उत्तर:

  1. इनका प्रयोग दूर स्थित गाँवों अथवा स्थानों पर बल्ब तथा ट्यूब - लाइट जलाने के लिए किया जाता है। 
  2. कृत्रिम उपग्रहों में विद्युत आपूर्ति के लिए इनका प्रयोग किया जाता है। 

प्रश्न 27. 
सागर के जल से ऊर्जा किन - किन रूपों में उपलब्ध होती है? 
उत्तर:

  1. सागर की लहरों से ऊर्जा 
  2. ज्वारीय ऊर्जा 
  3. महासागर तापीय ऊर्जा। 

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प्रश्न 28. 
ताप नाभिकीय अभिक्रिया क्या है?
उत्तर:
नाभिकीय संलयन के लिए अधिक उच्च तापमान की आवश्यकता होती है। इसलिए नाभिकीय संलयन अभिक्रिया को ताप नाभिकीय अभिक्रिया भी कहते हैं।

प्रश्न 29. 
बायोगैस संयंत्र से प्राप्त स्लरी में उपस्थित यौगिक कौन - कौनसे हैं? 
उत्तर:
बायोगैस संयंत्र से प्राप्त स्लरी में नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस के यौगिक प्रचुर मात्रा में होते हैं। 

प्रश्न 30. 
पवन फार्म किसे कहते हैं? 
उत्तर:
वह स्थान जहाँ अधिक संख्या में पवन चक्कियाँ लगी होती हैं, उसे पवन फार्म कहते हैं। 

प्रश्न 31. 
पवन में किस प्रकार की ऊर्जा होती है? 
उत्तर:
गतिज ऊर्जा।

प्रश्न 32. 
नाभिकीय विखण्डन तथा नाभिकीय संलयन में से कौनसी क्रिया अधिक तापमान पर सम्पन्न होती है तथा अधिक ऊर्जा उत्पन्न करती है?
उत्तर:
नाभिकीय संलयन। 

प्रश्न 33. 
हाइड्रोजन बम कौनसी अभिक्रिया पर आधारित होता है? 
उत्तर:
यह ताप नाभिकीय अभिक्रिया पर आधारित होता है।

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लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
भारत में ऊर्जा की आवश्यकताओं के लिए ऊर्जा के प्रमुख स्रोतों को दर्शाने वाला वृत्तारेख बनाइए। 
उत्तर:
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प्रश्न 2. 
(अ) नाभिकीय ऊर्जा प्रदान करने वाले दो तत्वों के नाम बताइए। 
(ब) ज्वार - भाटा किसे कहते हैं? 
उत्तर:
(अ) नाभिकीय ऊर्जा प्रदाने करने वाले तत्व

  1. यूरेनियम 
  2. प्लूटोनियम।

(ब) ज्वार - भाटा: समुद्र में जल का स्तर दिन में किस प्रकार परिवर्तित होता है, इस परिघटना को ज्वार - भाटा कहते हैं। ज्वार - भाटे में जल के स्तर के चढ़ने या गिरने से हमें ज्वारीय ऊर्जा प्राप्त होती है। ज्वार ऊर्जा का दोहन सागर के किसी संकीर्ण क्षेत्र पर बाँध का निर्माण करके किया जाता है। बाँध के द्वार पर स्थापित लगी हुई टरबाइन ज्वारीय ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलती है।

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प्रश्न 3. 
जीवाश्मी ईंधन की कमियाँ / हानियाँ बताते हुए, इन्हें सीमित करने के उपाय बताइए। 
उत्तर:
जीवाश्मी ईंधन की कमियाँ:

  1. जीवाश्मी ईंधन ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत हैं। 
  2. जीवाश्मी ईंधन को जलाने पर वायु प्रदूषण होता है।
  3. जीवाश्मी ईंधन के जलने पर मुक्त होने वाले कार्बन, नाइट्रोजन तथा सल्फर के ऑक्साइड अम्लीय ऑक्साइड होते हैं जो अम्लीय वर्षा करते हैं जिससे जल तथा मृदा संसाधन प्रभावित होते हैं।
  4. जीवाश्मी ईंधन के जलने से मुक्त हुई CO2 जैसी गैसों के कारण ग्रीन हाउस प्रभाव में वृद्धि होती है। 

जीवाश्मी ईंधन की कमियों को सीमित करने के उपाय:

  1. जीवाश्मी ईंधन को जलाने के कारण उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को कुछ सीमाओं तक दहन प्रक्रम की दक्षता में वृद्धि करके कम किया जा सकता है।
  2. दहन के फलस्वरूप निकलने वाली हानिकर गैसों तथा राखों के वातावरण में पलायन को कम करने वाली विविध तकनीकों द्वारा घटाया जा सकता है।

प्रश्न 4. 
उस नाभिकीय अभिक्रिया के प्रारूप का नाम लिखिए, जिसके द्वारा सूर्य अपनी ऊर्जा पैदा करता है। सूर्य के केन्द्र पर पाई जाने वाली दो परिस्थितियाँ बताइए, जिनके कारण यह प्रक्रिया सम्भव होती है।
उत्तर:
नाभिकीय संलयन के द्वारा सूर्य अपनी ऊर्जा पैदा करता है। सूर्य के भीतरी भाग का तापमान लगभग 2 x 107 K. होता है। इस उच्च ताप पर नाभिकों के परस्पर टकराने से इनका संलयन स्वतः होता रहता है तथा अधिक मात्रा में ऊर्जा निकलती रहती है। अतः दो परिस्थितियाँ, जिनके द्वारा सूर्य ऊर्जा पैदा करता है, वे हैं:

  1. सूर्य के केन्द्र में अत्यधिक उच्च तापमान। 
  2. केन्द्र में नाभिकों का संलयन।

प्रश्न 5. 
सौर सेल क्या है? सौर सेल के निर्माण में प्रयुक्त किन्हीं दो तत्वों के नाम लिखिए। 2 सेमी. क्षेत्रफल के एक सौर सेल को धूप में रखने पर कितनी विद्युत ऊर्जा उत्पन्न होती है?
उत्तर:

  1. सौर सेल ऐसी युक्ति है, जो सूर्य से प्राप्त सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में सीधे ही बदल देते हैं।
  2. सिलिकॉन एवं सेलेनियम। 
  3. 2 सेमी. क्षेत्रफल के एक सौर सेल को धूप में रखने पर लगभग 0.7 वाट ऊर्जा उत्पन्न होती है।

प्रश्न 6. 
आप सुबह उठने से पहले रात्रि विश्राम तक जिन ऊर्जाओं का उपयोग करते हैं, उनमें से ऊर्जा के किन्हीं चार रूपों की सूची बनाइए।
उत्तर:
हम निम्नलिखित ऊर्जाओं का उपयोग करते हैं:

  1. खाना पकाने में ऊष्मीय ऊर्जा। 
  2. साइकिल चलाने और बैग ढोने के लिए पेशीय ऊर्जा। 
  3. मित्रों को बुलाने के लिए ध्वनि ऊर्जा। 
  4. घर को प्रकाशित करने के लिए प्रकाशीय ऊर्जा।

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प्रश्न 7. 
नीचे दी गई विभिन्न रूपों की ऊर्जाओं को हम कहाँ से प्राप्त करते हैं - प्रकाशीय ऊर्जा, ध्वनि ऊर्जा, पेशीय ऊर्जा, LPG दहन से ऊष्मीय ऊर्जा ।
उत्तर:

ऊर्जा के प्रकार

ऊर्जा स्रोत

1. प्रकाशीय ऊर्जा

ताप - विद्युत या जल-विद्युत।

2. ध्वनि ऊर्जा

बोलने में (भोजन से प्राप्त ऊर्जा), जल-विद्युत या ताप विद्युत।

3. पेशीय ऊर्जा

भोजन (भोज्य पदार्थ)

4. LPG दहन से ऊष्मीय ऊर्जा

पेट्रोलियम गैस।


प्रश्न 8. 
जैव गैस (गोबर गैस) एक उत्तम ईंधन क्यों है? स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
जैव गैस एक उत्तम ईंधन है क्योंकि:

  1. इसमें 75 प्रतिशत तक मेथेन गैस होती है। 
  2. यह धुआँ उत्पन्न किए बिना जलती है। 
  3. लकड़ी चारकोल तथा कोयले के विपरीत जैव गैस के जलने के पश्चात् राख जैसा कोई अपशिष्ट शेष नहीं बचता। 
  4. इसकी तापन क्षमता उच्च होती है। 
  5. जैव गैस का उपयोग प्रकाश के स्रोत के रूप में भी किया जाता है।
  6. जैव गैस संयंत्र में शेष बची स्लरी में नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस प्रचुर मात्रा में होते हैं, अतः यह एक उत्तम खाद के रूप में काम आती है।

प्रश्न 9. 
ताप विद्युत उत्पादन की प्रक्रिया के मॉडल का आरेख खींचिए और इसे समझाइए।
उत्तर:
विद्युत उत्पन्न करने के लिए यह हमारा टरबाइन है। सरलतम टरबाइनों का गतिशील भाग रोटर - ब्लेड संयोजन है। गतिशील तरल, पंखुड़ियों (ब्लेडों) पर उन्हें घुमाने के लिए क्रिया करता है और रोटर को ऊर्जा प्रदान करता है।
RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 14 उर्जा के स्रोत 2
इस प्रकार से हम देखते हैं कि मूल रूप से हमें रोटर की पंखुड़ियों को एक गति देनी होती है ताकि वह यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपान्तरित करने के लिए डायनेमो के शैफ्ट को घुमा दे। डायनेमो के शैफ्ट को घुमाने के विभिन्न तरीके हो सकते हैं लेकिन जिस ढंग से अपनाया जाये, यह संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर करता है।

प्रश्न 10. 
प्रवाहित जल की ऊर्जा के लाभ बतलाइए। 
उत्तर:
प्रवाहित जल की ऊर्जा के लाभ:

  1. प्रवाहित जल से प्राप्त ऊर्जा प्रदूषण मुक्त होती है। 
  2. प्रवाहित जल से प्राप्त ऊर्जा विश्वसनीय ऊर्जा स्रोत है। 
  3. नदियों में अथाह मात्रा में जल राशि उपलब्ध है। अतः प्रवाहित जल से ऊर्जा मुफ्त प्राप्त होती है। 

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प्रश्न 11. 
पवन ऊर्जा का व्यापारिक उपयोग विद्युत उत्पादन में किस प्रकार संभव है? समझाइए।
उत्तर:
पवन ऊर्जा का उपयोग पवन-चक्कियों में घूर्णी गति उत्पन्न करने में किया जाता है। पवन - चक्की की घूर्णी गति का उपयोग विद्युत उत्पन्न करने के लिए विद्युत जनित्र के टरबाइन को घुमाने के लिए किया जाता है। परन्तु किसी एकल पवन चक्की का निर्गत (अर्थात् उत्पन्न विद्युत) बहुत कम होता है जिसका व्यापारिक उपयोग संभव नहीं होता। अतः किसी विशाल क्षेत्र में बहुत सी पवन चक्कियाँ लगाई जाती हैं। इस क्षेत्र को पवन ऊर्जा फार्म कहते हैं। व्यापारिक स्तर पर विद्युत प्राप्त करने के लिए किसी ऊर्जा फार्म की सभी पवन चक्कियों को परस्पर युग्मित कर लिया जाता है जिसके फलस्वरूप प्राप्त नेट ऊर्जा सभी पवन - चक्कियों द्वारा उत्पन्न विद्युत ऊर्जाओं के योग के बराबर होती है।

प्रश्न 12. 
कारण सहित बताइए कि लकड़ी की अपेक्षा चारकोल ऊर्जा का उत्तम स्रोत है। 
उत्तर:
इसके निम्न कारण हैं;

  1. चारकोल को एक स्थान से  दूसरे स्थान तक सरलता से ले जाया जा सकता है। 
  2. चारकोल कम स्थान घेरता है अतः इसके संग्रहण में कोई समस्या नहीं होती। 
  3. लकड़ी की अपेक्षा चारकोल सरलता से जलता है।
  4. जब चारकोल जलाया जाता है तब यह बिना ज्वाला के जलता है, इससे अपेक्षाकृत कम धुआँ निकलता है और इसकी ऊष्मा उत्पन्न करने की दक्षता भी अधिक होती है।

प्रश्न 13. 
पवन ऊर्जा क्या है? इसके उपयोग लिखिए।
उत्तर:
गतिशील वायु पवन कहलाती है। हम जानते हैं कि गतिमान पिण्ड में गतिज ऊर्जा होती है। पवन की गतिज ऊर्जा को पवन ऊर्जा भी कहते हैं।
पवन ऊर्जा के उपयोग: पवन की गतिज ऊर्जा का उपयोग निम्न स्थिति में किया जा सकता है:

  1. पम्प चलाकर भूमिगत पानी निकाला जा सकता है। 
  2. सागर, झील तथा नदी में इसकी सहायता से नाव चलाई जा सकती है। 
  3. चक्की चलाकर अनाज, जैसे- गेहूँ, मक्का आदि को पीसा जा सकता है। 
  4. विद्युत उत्पादन किया जा सकता है।

प्रश्न 14. 
'जैव गैस' को 'गोबर गैस' क्यों कहा जाता है? 
उत्तर:
गोबर, फसलों के कटने के पश्चात् बचे अवशिष्ट, सब्जियों के अपशिष्ट जैसे विविध पादप तथा वाहित मल जब ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में अपघटित होते हैं तो बायो गैस (जैव गैस) निकलती है। चूँकि इस गैस को बनाने में उपयोग होने वाला आरम्भिक पदार्थ मुख्यतः गोबर है, इसलिए इसका प्रचलित नाम 'गोबर गैस' है।

प्रश्न 15. 
सौर ऊर्जा और सौर स्थिरांक को परिभाषित कीजिए। 
उत्तर:
सौर ऊर्जा: सूर्य द्वारा उत्सर्जित ऊष्मा तथा प्रकाश ऊर्जा को सौर ऊर्जा कहते हैं।
सौर स्थिरांक की परिभाषा: पृथ्वी के वायुमण्डल की परिरेखा पर सूर्य की किरणों के लम्बवत् स्थित खुले क्षेत्र के प्रति एकांक क्षेत्रफल पर प्रति सेकण्ड पहुँचने वाली सौर ऊर्जा को सौर स्थिरांक कहते हैं। मापों के आधार पर यह प्रमाणित किया जा चुका है कि पृथ्वी के वायुमण्डल की ऊपरी परत 1.4 किलो जूल प्रति सेकण्ड प्रति वर्गमीटर की दर से सौर ऊर्जा प्राप्त करती है। इस परिमाण को सौर ऊर्जा स्थिरांक कहते हैं।
अतः सौर स्थिरांक = 1.4 किलो जूल / से.मी.2
चूँकि जूल / से. = वाट (W) 
∴ सौर स्थिरांक = 1.4 किलोवाट / मीटर2

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प्रश्न.16. 
उपग्रह को ऊर्जा देने वाले सोलर सैल पैनलों को हम घरेलू जरूरत की बिजली के लिए उपयोग नहीं कर सकते। व्याख्या कीजिए, क्यों?
उत्तर:
सोलर सैल पैनलों को हम घरेलू जरूरत की बिजली के लिए उपयोग नहीं कर सकते, क्योंकि:

  1. सोलर सैल पैनल बहुत ही महँगे होते हैं।
  2. सोलर सैल के साथ संयोजित बैटरी केवल दिष्टधारा दे सकती है। अतः इसमें बिजली के वे उपकरण ही काम आ सकते हैं जिन्हें दिष्टधारा के साथ चलाया जा सकता है।
  3. सोलर सैल पैनल तब तक ही बिजली दे सकते हैं, जब तक सूर्य चमकता है। यह पैनल उस वक्त काम करना बन्द कर देते हैं जब आकाश में बादल हों, रात हो या वर्षा हो रही हो।

प्रश्न 17. 
एक छात्र बाक्सनुमा सौर कुकर बनाता है। हमें यह पता है कि यह कुकर ठीक ढंग से काम नहीं करता है। यह किस कारण से होता है? इस सौर कुकर की बनावट और काम करने की चार सम्भावित गलतियाँ बताइए। सौर कुकर के अन्दर अधिकतम कितना तापमान हो सकता है?
उत्तर:
छात्र ने सौर कुकर बनाने में निम्नलिखित गलतियाँ की होंगी:

  1. उसने सौर कुकर के अन्दर वाले भाग को काला नहीं किया होगा। 
  2. उसने शीशे के ढक्कन की बजाय प्लास्टिक का ढक्कन लगाया होगा। 
  3. उसने इसे ऊष्मारोधक नहीं बनाया होगा। 
  4. उसने कुकर में रखने के लिए काले बर्तनों का उपयोग नहीं किया होगा। सौर कुकर के अन्दर अधिकतम तापमान 140°C होता है। 

प्रश्न 18. 
सौर सेलों से संबद्ध प्रमुख लाभ बताइए। सौर सेल पैनल कहां स्थापित किए जाते हैं?
उत्तर:
सौर सेलों के साथ संबद्ध प्रमुख लाभ यह है कि इनमें कोई भी गतिमान पुर्जा नहीं होता, इनका रखरखाव सस्ता है तथा ये बिना किसी फोकसन युक्ति के काफी संतोषजनक कार्य करते हैं। इन्हें सुदूर तथा अगभ्य स्थानों में स्थापित किया जा सकता है। इन्हें ऐसे छितरे बसे हुए क्षेत्रों में भी स्थापित किया जा सकता है जहाँ शक्ति संचरण के लिए केवल बिछाना अत्यंत खर्चीला तथा व्यापारिक दृष्टि से व्यावहारिक नहीं होता।

सौर सेल पैनल की स्थापना: सौर सेल पैनल विशिष्ट रूप से डिजाइन की गई आनत छतों पर स्थापित किए जाते हैं ताकि इन पर अधिक से अधिक सौर ऊर्जा आपतित हो।

प्रश्न 19. 
नाभिकीय विखण्डन अभिक्रिया को समझाइए।
उत्तर:
यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें किसी भारी परमाणु जैसे- यूरेनियम, प्लूटोनियम अथवा थोरियम के नाभिक को निम्न ऊर्जा न्यूट्रॉन से बमबारी कराकर हल्के नाभिकों में तोड़ा जा सकता है। ऐसा करने पर विशाल मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है। यह तब होता है, जब मूल नाभिक का द्रव्यमान व्यष्टिगत उत्पादों के द्रव्यमानों के योग से कुछ ही अधिक होता है।

विद्युत उत्पादन के लिए डिजाइन किए जाने वाले नाभिकीय संयंत्रों में इस प्रकार के नाभिकीय ईंधन स्वपोषी विखण्डन शृंखला अभिक्रिया का एक भाग होते हैं, जिनमें नियंत्रित दर पर ऊर्जा मुक्त होती है। इस मुक्त ऊर्जा का उपयोग भाप बनाकर विद्युत उत्पन्न करने में किया जा सकता है। 

RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 14 उर्जा के स्रोत

प्रश्न 20. 
नाभिकीय संलयन को परिभाषित कीजिए और इसे समझाइए।
उत्तर:
नाभिकीय संलयन-वह प्रक्रिया जिसमें दो या दो से अधिक हल्के नाभिक परस्पर संगलित (अथवा संयुक्त) होते हैं, जिसके फलस्वरूप एक भारी नाभिक का निर्माण होता है तथा ऊर्जा उत्सर्जित होती है। इसको नाभिकीय संलयन कहते हैं। उदाहरणार्थ, हाइड्रोजन अथवा हाइड्रोजन समस्थानिकों से हीलियम उत्पन्न की जाती है।
2H + 2H →3He (+ n) 
इसमें भी आइंस्टीन समीकरण (E = mc2) के अनुसार विशाल परिमाण की ऊर्जा निकलती है। ऊर्जा निकलने का कारण यह है कि अभिक्रिया में उत्पन्न उत्पाद का द्रव्यमान, अभिक्रिया में भाग लेने वाले मूल नाभिकों के व्यष्टिगत द्रव्यमानों के योग से कुछ कम होता है। इस प्रकार की नाभिकीय संलयन अभिक्रियाएँ सूर्य तथा अन्य तारों की विशाल ऊर्जा का स्रोत हैं। नाभिकीय संलयन अभिक्रियाओं में नाभिकों को परस्पर संलयित होने को बाध्य करने के लिए अत्यधिक ऊर्जा चाहिए। नाभिकीय संलयन प्रक्रिया के होने के लिए आवश्यक शर्ते हैं-मिलियन कोटि केल्विन ताप मिलियन कोटि पास्कल दाब।

प्रश्न 21. 
'चारकोल' किसे कहते हैं? इसकी विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
जब लकड़ी को वायु की सीमित आपूर्ति में जलाते हैं तो उसमें उपस्थित जल तथा वाष्पशील पदार्थ बाहर निकल जाते हैं तो शेष बचा पदार्थ चारकोल कहलाता है।
चारकोल की विशेषताएँ:

  1. चारकोल बिना ज्वाला के जलता है। 
  2. इससे अपेक्षाकृत कम धुआँ निकलता है। 
  3. इसकी ऊष्मा उत्पन्न करने की दक्षता भी अधिक होती है। 

प्रश्न 22. 
हाइड्रोजन बम के विषय में लिखिए।
उत्तर:
हाइड्रोजन बम:
यह ताप नाभिकीय अभिक्रिया पर आधारित होता है। इसके क्रोड में यूरेनियम अथवा प्लूटोनियम के विखण्डन पर आधारित किसी नाभिकीय बम को रख देते हैं। यह नाभिकीय बम ऐसे पदार्थ में अंतःस्थापित किया जाता है, जिसमें ड्यूटीरियम तथा लीथियम होते हैं। विखण्डन पर आधारित इस नाभिकीय बम को जब अधिविस्फोटित करते हैं, तब इस पदार्थ का ताप कुछ ही माइक्रोसेकण्ड में 107 K तक बढ़ जाता है। यह अति उच्च ताप हल्के नाभिकों को संलयित होने के लिए पर्याप्त ऊर्जा उत्पन्न कर देता है, जिसके फलस्वरूप अति विशाल परिमाण की ऊर्जा मुक्त होती है।

प्रश्न 23. 
उन कारणों को समझाइए जिनकी वजह से नाभिकीय विद्युत शक्ति संयंत्रों का वर्तमान में व्यापक उपयोग नहीं हो पा रहा है?
उत्तर:
नाभिकीय विद्युत शक्ति संयंत्रों का प्रमुख संकट पूर्णतः उपयोग होने के पश्चात् शेष बचे नाभिकीय ईंधन का भण्डारण तथा निपटारा करना है क्योंकि शेष बचे ईंधन का यूरेनियम घातक विकिरणों में क्षयित होता है। यदि नाभिकीय अपशिष्टों का भण्डारण तथा निपटारा उचित प्रकार से नहीं होता तो इससे पर्यावरण संदूषित हो सकता है। नाभिकीय विकिरणों के आकस्मिक रिसाव का खतरा भी बना रहता है। नाभिकीय विद्युत शक्ति संयंत्रों के प्रतिष्ठापन की अत्यधिक लागत, पर्यावरणीय संदूषण का प्रबल खतरा तथा यूरेनियम की सीमित उपलब्धता वृहत स्तर पर नाभिकीय ऊर्जा के उपयोग को निषेधक बना देते हैं।

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प्रश्न 24. 
बड़े बाँधों के निर्माण से उत्पन्न समस्याओं का वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
बाँधों के निर्माण से निम्न समस्याएँ उत्पन्न होती हैं:

  1. बाँध की जगह पर उपजाऊ भूमि का एक बड़ा भाग पानी में डूब जाता है, जिससे काफी नुकसान होता है।
  2. बाँध की जगह पर बसे बहुत से लोगों को वहाँ से हटा दिया जाता है, जिससे विस्थापित जनता के पुनर्वास के लिए अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं।
  3. बाँध के क्षेत्र का बहुत बड़ा भाग पानी में डूब जाता है, जिससे वहाँ की वनस्पति तथा जीव - जन्तु नष्ट हो जाते हैं। अतः वनस्पति तथा जीव - जन्तुओं की अनेक किस्में नष्ट हो जाती हैं।
  4. बाँधों का केवल कुछ सीमित क्षेत्रों में ही निर्माण किया जा सकता है। इनके लिए सामान्यतः पर्वतीय क्षेत्र अच्छे माने जाते हैं। 

प्रश्न 25. 
सौर सेल बनाने में क्या बाधाएँ आती हैं? इनका उपयोग भी बिन्दुवार बताइए।
उत्तर:
सौर सेल बनाने के लिए सिलिकॉन का उपयोग किया जाता है, जो प्रकृति में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। परन्तु सौर सेंलों को बनाने में उपयोग होने वाले विशिष्ट श्रेणी के सिलिकॉन की उपलब्धता सीमित है। सौर सेलों के उत्पादन की समस्त प्रक्रिया अभी भी बहुत महँगी है। सौर सेलों को परस्पर संयोजित करके सौर पैनल बनाने में सिल्वर (चाँदी) का उपयोग होता है, जिसके कारण लागत में और वृद्धि हो जाती है।
सौर सेल के उपयोग:

  1. इनका प्रयोग हाथ की घड़ियों तथा कैलकुलेटरों में होता है।
  2. बहुत से वैज्ञानिक तथा प्रौद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए इनका उपयोग किया जाता है। मानव निर्मित उपग्रहों तथा अंतरिक्ष अन्वेषक युक्तियों जैसे मार्स आर्बिटरों में सौर सेलों का उपयोग प्रमुख ऊर्जा स्रोत के रूप में किया जाता है।
  3. रेडियो अथवा बेतार संचार तंत्रों अथवा सुदूर क्षेत्रों के टी.वी. रिले केन्द्रों में सौर सेल पैनल उपयोग किए जाते हैं। 
  4. ट्रैफिक सिग्नलों, परिकलकों तथा बहुत से खिलौनों में भी सौर सेल लगे होते हैं। 

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प्रश्न 26. 
भारत में किन स्थानों पर नाभिकीय विद्युत संयंत्र प्रतिष्ठापित किये गए हैं? 
उत्तर: 
भारत में निम्न स्थानों पर नाभिकीय विद्युत संयंत्र प्रतिष्ठापित किये गए हैं:

स्थान का नाम

राज्य

1. तारापुर

महाराष्ट्र

2. तारापुर

राजस्थान

3. कलपक्कम

तमिलनाडु

4. नरौरा

उत्तर प्रदेश

5. काकरापार

गुजरात

6. कैगा

कर्नाटक


निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
जल विद्युत संयंत्र का व्यवस्था आरेख खींचिये और इसे समझाइए।
उत्तर:
जल विद्युत संयंत्र:
जल विद्युत संयंत्रों में गिरते जल की स्थितिज ऊर्जा को विद्युत में रूपान्तरित किया जाता है। चूंकि ऐसे जल-प्रपातों की संख्या बहुत कम है, जिनका उपयोग स्थितिज ऊर्जा के स्रोत के रूप में किया जा सके, अतः जल विद्युत संयंत्रों को बाँधों से सम्बद्ध किया गया है। जल विद्युत उत्पन्न करने के लिए नदियों के बहाव को रोककर बड़े जलाशयों में जल एकत्र करने के लिए ऊँचे - ऊँचे बाँध बनाये जाते हैं। इन जलाशयों में जल संचित होता रहता है जिसके फलस्वरूप इनमें भरे जल का तल ऊँचा हो जाता है। बाँध के ऊपरी भाग से पाइपों द्वारा जल बाँध के आधार के पास स्थापित टरबाइन के ब्लेडों पर मुक्त रूप से गिरता है, जिससे टरबाइन के ब्लेड घूर्णन गति करते हैं और जनित्र द्वारा विद्युत उत्पादन होता है।
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प्रश्न 2. 
बायोगैस क्या है? बायोगैस के संयंत्र का आरेख खींचकर उसमें उत्पन्न गैस को समझाइए और इसके लाभ भी लिखिए।
उत्तर:
बायोगैस: बायोगैस अनेक गैसों का मिश्रण है। गोबर, फसलों के कटने के पश्चात् बचे अवशिष्ट, सब्जियों के अपशिष्ट जैसे विविध पादप व वाहित मल जब ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में अपघटित होते हैं, तब बायोगैस (जैव गैस) निकलती है।

बायोगैस संयंत्र: जैव गैस को एक संयंत्र में उत्पन्न किया जाता है। इस संयंत्र में ईंटों से बनी गुम्बद जैसी संरचना होती है। जैव गैस बनाने के लिए मिश्रण टंकी में गोबर तथा जल का एक गाढ़ा घोल, जिसे कर्दम (slurry) कहते हैं, बनाया जाता है जहाँ से इसे संपाचित्र (digester) में डाल देते हैं। संपाचित्र चारों ओर से बंद एक कक्ष होता है, जिसमें ऑक्सीजन नहीं होती। अवायवीय सूक्ष्मजीव जिन्हें जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं होती, गोबर की स्लरी के जटिल यौगिकों का अपघटन कर देते हैं।

अपघटन - प्रक्रम पूरा होने तथा इसके फलस्वरूप मेथैन, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन तथा हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी गैसें उत्पन्न होने में कुछ दिन लगते हैं | जैव गैस को संपाचित्र के ऊपर बनी गैस टंकी में संचित किया जाता है। जैव गैस को गैस टंकी से उपयोग के लिए पाइपों द्वारा बाहर निकाल लिया जाता है।
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बायोगैस के प्रयोग के लाभ:

  1. बायोगैस का प्रयोग भोजन बनाने तथा पानी गर्म करने में किया जाता है। यह ऊर्जा का एक अच्छा एवं सस्ता स्रोत है। 
  2. बायोगैस को जलाने पर धुआँ उत्पन्न नहीं होता है अतः इससे प्रदूषण नहीं होता। 
  3. यह जलने के बाद कोई भी अपशिष्ट पदार्थ शेष नहीं छोड़ती है। 
  4. इसकी तापन क्षमता उच्च होती है। इसका उपयोग प्रकाश के स्रोत के रूप में भी किया जाता है। 
  5. जैव मात्रा ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत है। 
  6. बायोगैस संयंत्र में बची स्लरी उत्तम खाद के रूप में काम आती है। 

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प्रश्न 3. 
सौर - कुकर का नामांकित चित्र बनाते हुए इसकी रचना को समझाइए। 
उत्तर:
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सर्वसम परिस्थितियों में परावर्तक पृष्ठ अथवा श्वेत (सफेद) पृष्ठ की तुलना में कृष्ण (काला) पृष्ठ अधिक ऊष्मा अवशोषित करता है। सौर कुकरों तथा सौर जल तापकों की कार्यविधि में इसी गुण का उपयोग किया जाता है। कुछ सौर कुकरों में सूर्य की किरणों को फोकसित करने के लिए दर्पणों का उपयोग किया जाता है जिससे इनका ताप और उच्च हो जाता है। सौर कुकरों में काँच की शीट का ढक्कन होता है। इससे सौर कुकर के अन्दर पौधधर प्रभाव उत्पन्न होता है जिससे तापमान में और वृद्धि हो जाती है। इससे भोजन पकाना आसान हो जाता है।  

प्रश्न 4. 
पवन - चक्की क्या है? इसकी रचना और उपयोग लिखिए।
उत्तर:
पवन - चक्की: वह युक्ति (या मशीन) जिसकी सहायता से पवन ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है, उसे पवन - चक्की कहते हैं।

रचना: पवन - चक्की की संरचना वस्तुतः किसी ऐसे विशाल विद्युत पंखे के समान होती है जिसे किसी दृढ़ आधार पर कुछ ऊँचाई पर खड़ा कर दिया जाता है।

उपयोग: पवनों की गतिज ऊर्जा का उपयोग कार्यों को करने में किया जा सकता है। पवन ऊर्जा का उपयोग शताब्दियों से पवन - चक्कियों द्वारा यांत्रिक कार्यों को करने में होता रहा है। पवन - चक्की की पंखुड़ियों की घूर्णी गति का उपयोग कुओं से जल खींचने के लिए होता है। आजकल पवन ऊर्जा का उपयोग विद्युत उत्पन्न करने में भी किया जा रहा है।

पवन - चक्की की घूर्णी गति का उपयोग विद्युत उत्पन्न करने के लिए विद्युत जनित्र के टरबाइन को घुमाने के लिए किया जाता है। किसी एकल पवन - चक्की से उत्पन्न विद्युत बहुत कम होती है, जिसका व्यापारिक उपयोग सम्भव नहीं होता। इसलिए विद्युत के अधिक मात्रा में उत्पादन के लिए उच्च पवन क्षेत्र में अधिक संख्या में पवन - चक्कियाँ लगाई जाती हैं।

उनको आपस में परस्पर युग्मित कर लिया जाता है, जिसके फलस्वरूप प्राप्त नेट ऊर्जा सभी पवनचक्कियों द्वारा उत्पन्न विद्युत ऊर्जाओं के योग के बराबर होती है। इस प्रकार पवन ऊर्जा द्वारा विद्युत उत्पादन के लिए बार-बार धन खर्च करने की आवश्यकता नहीं होती है। इस कारण पवन ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा का एक पर्यावरणीय-हितैषी एवं दक्ष स्रोत है।

प्रश्न 5. 
सौर पैनल किसे कहते हैं? इनकी सीमाएँ तथा उपयोग लिखिए।
उत्तर:
सौर पैनल: जब बहुत अधिक संख्या में सौर सेलों को संयोजित करते हैं, तो यह व्यवस्था सौर पैनल कहलाती है। इनसे व्यापारिक उपयोग के लिए पर्याप्त विद्युत प्राप्त हो जाती है।

सौर सेल सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपान्तरित करते हैं। धूप में रखे जाने पर किसी प्ररूपी सौर सेल से 0.5 से 1.0 V तक वोल्टता विकसित होती है तथा लगभग 0.7 W विद्युत उत्पन्न कर सकते हैं। सौर पैनल की क्षमता सौर सैल से अधिक होती है। यह सूर्य के प्रकाश को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है, जो कि एक सम्बद्ध बैटरी में संग्रहित हो जाती है। जैसे ही पैनल पर सूर्य का प्रकाश पड़ना बन्द हो जाता है, तब बैटरी परिपथ में संयोजित उपकरणों को विद्युत आपूर्ति प्रारम्भ कर देती है।

सीमाएँ: 

1. सौर पैनल से सम्बद्ध बैटरी केवल दिष्टधारा की आपूर्ति कर सकती है। सौर पैनल से वे उपकरण ही काम कर सकते हैं जिनको दिष्टधारा की आवश्यकता होती है। अतः वे उपकरण जो प्रत्यावर्ती - धारा A.C. पर कार्य कर सकते हैं, इस पैनल पर प्रयोग नहीं किये जा सकते हैं।
2. एक सौर पैनल की रचना का मूल्य पर्याप्त रूप से अधिक होता है। सौर सेलों को परस्पर संयोजित करके सौर पैनल बनाने में सिल्वर (चाँदी) का उपयोग होता है, जिसके कारण लागत में और वृद्धि हो जाती है।

उपयोग:

  • सौर पैनल का प्रयोग दूर स्थित गाँवों अथवा स्थानों पर बल्ब तथा ट्यूबलाइट जलाने के लिए किया जाता है। 
  • कृत्रिम उपग्रहों में विद्युत आपूर्ति के लिए इनका प्रयोग किया जाता है। 

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प्रश्न 6. 
ऊर्जा के पारम्परिक स्रोतों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ऊर्जा के पारम्परिक स्रोत-ऊर्जा के वे स्रोत जो सीमित हैं (अर्थात् जो किसी दिन समाप्त हो जायेंगे) तथा जिनका प्रकृति में उत्पादन वर्षों पूर्व हुआ हो, पारंपरिक ऊर्जा स्रोत कहलाते हैं या अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत कहलाते हैं। ऊर्जा के पारम्परिक स्रोत निम्न प्रकार से हैं:
1. जीवाश्मी ईंधन: दाह्य पदार्थ जो पशुओं तथा पेड़-पौधों के अवशेषों से लाखों वर्ष पूर्व भूमि में दब गए थे, से प्राप्त ऊर्जा स्रोत जीवाश्म स्रोत कहलाते हैं। आज हमें ऊर्जा का बहुत बड़ा भाग जीवाश्म स्रोतों से प्राप्त होता है। जीवाश्म ईंधन के उदाहरण: कोयला,

पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस:

  • कोयला: कोयला जीवाश्म ईंधन है तथा यह ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत है। यह काले रंग का पदार्थ है, जो कार्बन तथा कार्बन के यौगिकों का मिश्रण है, जिनमें ऑक्सीजन, नाइट्रोजन तथा गंधक होता है।
  • पेट्रोलियम: सामान्यतया हाइड्रोकार्बन के द्रवीय रूप को पेट्रोलियम कहते हैं। यह काले तथा स्लेटी रंग का लिसलिसा द्रव होता है।
  • प्राकृतिक गैस: इस गैस में मुख्य रूप से मीथेन (लगभग 97%) होती है तथा बहुत अल्प मात्रा में ईथेन तथा प्रोपेन होती है।
  • प्राप्ति: प्राकृतिक गैसें पृथ्वी के अन्दर बहुत गहराई पर या तो अकेली प्राप्त होती हैं या पेट्रोलियम भण्डार के साथ में प्राप्त होती हैं। अधिक दाब आरोपित करने पर प्राकृतिक गैस द्रव रूप में परिवर्तित हो जाती है, तब इस गैस को सम्पीडित प्राकृतिक गैस (CNG) के नाम से पुकारा जाता है।

2. तापीय विद्युत संयंत्र: विद्युत संयंत्रों में प्रतिदिन विशाल मात्रा में जीवाश्मी ईंधन का दहन करके जल उबालकर भाप बनाई जाती है, जो टरबाइनों को घुमाकर विद्युत उत्पन्न करती है। इन संयंत्रों में ईंधन के दहन द्वारा ऊष्मीय ऊर्जा उत्पन्न की जाती है, जिसे विद्युत ऊर्जा में रूपान्तरित किया जाता है।

3. जल विद्युत संयंत्र: ऊर्जा का एक अन्य पारंपरिक स्रोत बहते जल की गतिज ऊर्जा अथवा किसी ऊँचाई पर स्थित जल की स्थितिज ऊर्जा है। जल विद्युत संयंत्रों में गिरते जल की स्थितिज ऊर्जा को विद्युत में रूपान्तरित किया जाता है। इसमें ऊँचे-ऊँचे बाँध बनाये जाते हैं। इन जलाशयों में जल संचित होता रहता है, जिसके फलस्वरूप इनमें भरे जल का तल ऊँचा हो जाता है। बाँध के ऊपरी भाग से पाइपों द्वारा जल, बाँध के आधार के पास स्थापित टरबाइन के ब्लेडों पर मुक्त रूप से गिरता है फलस्वरूप टरबाइन के ब्लेड घूर्णन गति करते हैं और जनित्र द्वारा विद्युत उत्पादन होता है।

चूँकि हर बार जब भी वर्षा होती है, जलाशय पुनः जल से भर जाते हैं, इसीलिए जल विद्युत ऊर्जा एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। अतः हमें जीवाश्मी ईंधन की तरह, जो किसी न किसी दिन अवश्य समाप्त हो जायेंगे, जल विद्युत स्रोतों के समाप्त होने की कोई चिन्ता नहीं होती है। 

प्रश्न 7. 
ऊर्जा के वैकल्पिक अथवा गैर-परंपरागत स्रोतों का वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
ऊर्जा के वैकल्पिक अथवा गैर-परंपरागत स्रोत निम्न हैं:
(1) सौर ऊर्जा: सूर्य द्वारा उत्सर्जित ऊष्मा तथा प्रकाश ऊर्जा को सौर ऊर्जा कहते हैं।
सौर ऊर्जा युक्तियाँ: सौर ऊर्जा को प्रत्यक्ष रूप में प्रयोग करने के लिए अनेक प्रकार की युक्तियों का विकास किया गया है। यह युक्तियाँ - सौर कुकर, सौर - भट्टियाँ, सौर जल ऊष्मक, सौर ऊर्जा संयंत्र तथा सौर - सेल इत्यादि हैं।

(2) समुद्रों से ऊर्जा: 
(i) ज्वारीय ऊर्जा: समुद्र में जल का स्तर दिन में किस प्रकार परिवर्तित होता है, इस परिघटना को ज्वार - भाटा ' कहते हैं। ज्वार - भाटे में जल के स्तर के चढ़ने या गिरने से हमें ज्वारीय ऊर्जा प्राप्त होती है। ज्वार ऊर्जा का दोहन सागर के किसी संकीर्ण क्षेत्र पर बाँध का निर्माण करके किया जाता है । बाँध के द्वार पर स्थापित लगी हुई टरबाइन ज्वारीय ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलती है।

RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 14 उर्जा के स्रोत

(ii) तरंग ऊर्जा: समुद्र-तट के निकट विशाल तरंगों की गतिज ऊर्जा को भी विद्युत उत्पन्न करने के लिए ट्रेप किया जा सकता है। महासागरों के पृष्ठ पर आर पार बहने वाली प्रबल पवन, तरंगें उत्पन्न करती है। तरंग ऊर्जा का वहीं पर व्यावहारिक उपयोग हो सकता है जहाँ पर तरंगें अत्यन्त प्रबल हों। तरंग ऊर्जा को ट्रेप करने के लिए विविध युक्तियाँ विकसित की गई हैं ताकि टरबाइन को घुमाकर विद्युत उत्पन्न करने के लिए इसका उपयोग किया जा सके।

(iii) महासागरीय तापीय ऊर्जा: समुद्रों अथवा महासागरों के पृष्ठ का जल सूर्य द्वारा तप्त हो जाता है, जबकि इनके गहराई वाले भाग का जल अपेक्षाकृत ठण्डा होता है। ताप में इस अन्तर का उपयोग सागरीय तापीय ऊर्जा रूपान्तरण विद्युत संयंत्र (OTEC) में ऊर्जा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। OTEC विद्युत संयंत्र केवल तभी प्रचालित होते हैं जब महासागर के पृष्ठ पर जल का ताप तथा 2 km तक की गहराई पर जल के ताप में 20°C का अन्तर हो।
उपयोग: पृष्ठ के तप्त जल का उपयोग अमोनिया जैसे वाष्पशील द्रवों को उबालने में किया जाता है। इस प्रकार बनी द्रवों की वाष्प फिर जनित्र के टरबाइन को घुमाती है।

(3) भू - तापीय ऊर्जा: पृथ्वी के क्रस्ट के गर्म स्थलों में संग्रहित ऊष्मा ऊर्जा को भू - तापीय ऊर्जा कहते हैं। यह ऊर्जा भू - गर्भीय जल को गर्म करती है। भूमिगत जल की भाप को पृथ्वी के क्रस्ट पर पाइप गाड़कर बाहर निकाला जाता है। उच्च दाब पर निकली यह भाप विद्युत जनित्र की टरबाइन को घुमाती है, जिससे विद्युत उत्पादन करते हैं। इसके द्वारा विद्युत उत्पादन की लागत अधिक नहीं है, परन्तु ऐसे बहुत कम क्षेत्र हैं, जहाँ व्यापारिक दृष्टिकोण से इस ऊर्जा का दोहन करना व्यावहारिक है।

(4) नाभिकीय ऊर्जा: नाभिकीय विखंडन अभिक्रिया एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी भारी परमाणु (जैसे यूरेनियम, प्लूटोनियम अथवा थोरियम) के नाभिक को निम्न ऊर्जा न्यूट्रॉन से बमबारी कराकर हल्के नाभिकों में तोड़ा जा सकता है। जब ऐसा किया जाता है तो विशाल मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है। विद्युत उत्पादन के लिए डिजाइन किए जाने वाले नाभिकीय संयंत्रों में इस प्रकार के नाभिकीय ईंधन स्वपोषी विखंडन श्रृंखला अभिक्रिया का एक भाग होते हैं जिनमें नियंत्रित दर पर ऊर्जा मुक्त होती है। इस मुक्त ऊर्जा का उपयोग भाप बनाकर विद्युत उत्पन्न करने में किया जा सकता है।

Bhagya
Last Updated on May 28, 2022, 3:32 p.m.
Published May 7, 2022