RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव Important Questions and Answers.

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RBSE Class 10 Science Chapter 13 Important Questions विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1. 
एक चालक तार में धारा प्रवाहित करने से उत्पन्न चुम्बकीय बल रेखाओं की दिशा होती है, चालक के:
(अ) लम्बवत् बाहर की ओर
(ब) लम्बवत् अन्दर की ओर 
(स) समानान्तर
(द) चारों ओर वृत्ताकार 
उत्तर:
(द) चारों ओर वृत्ताकार 

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प्रश्न 2. 
चुम्बकीय फ्लक्स का मात्रक है:
(अ) वेबर 
(ब) ऐम्पियर 
(स) वोल्ट
(द) वेबर - मीटर  
उत्तर:
(अ) वेबर 

प्रश्न 3. 
प्रत्यावर्ती धारा जनित्र के आर्मेचर में प्रेरित विद्युत वाहक बल निर्भर करता है:
(अ) केवल आर्मेचर के घूर्णन पर
(ब) केवल आर्मेचर के घेरों की संख्या पर 
(स) केवल आर्मेचर के क्षेत्रफल पर
(द) आर्मेचर के घूर्णन वेग, घेरों की संख्या एवं क्षेत्रफल पर 
उत्तर:
(द) आर्मेचर के घूर्णन वेग, घेरों की संख्या एवं क्षेत्रफल पर

प्रश्न 4. 
चुम्बकीय बल रेखाएँ अथवा चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं से निश्चित होता है:
(अ) चुम्बकीय क्षेत्र का आकार 
(ब) केवल चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा  
(स) केवल चुम्बकीय क्षेत्र की सापेक्ष प्रबलता 
(द) दोनों दिशा तथा चुम्बकीय क्षेत्र की सापेक्ष प्रबलता 
उत्तर:
(द) दोनों दिशा तथा चुम्बकीय क्षेत्र की सापेक्ष प्रबलता

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प्रश्न 5. 
विद्युत तथा चुम्बकत्व के मध्य सम्बन्ध की खोज किसने की? 
(अ) न्यूटन 
(ब) फैराडे
(स) मैक्सवैल 
(द) आर्टेड 
उत्तर:
(द) आर्टेड 

प्रश्न 6.
घरेलू विद्युत परिपथ में विद्युन्मय (live wire) तथा उदासीन तार के मध्य विभान्तर होता है:
(अ) 200 वोल्ट 
(ब) 150 वोल्ट 
(स) 210 वोल्ट 
(द) 220 वोल्ट 
उत्तर:
(द) 220 वोल्ट 

प्रश्न 7. 
दो भिन्न चुम्बकीय ध्रुवों के मध्य आकर्षण बल F है। यदि इन चुम्बकीय ध्रुवों के बीच की दूरी दुगुनी हो जाये तब उनके मध्य आकर्षण बल का परिमाण होगा:
(अ) F 
(ब) \(\frac{F}{2}\)
(स) \(\frac{F}{4} \)
(द) \(\frac{F}{8}\)
उत्तर:
(स) \(\frac{F}{4}\)

प्रश्न 8. 
भारत में घरेलू प्रत्यावर्ती धारा (AC) की आवृत्ति है:
(अ) शून्य 
(ब) 50 Hz. 
(स) 60 Hz.
(द) 100 Hz.
उत्तर:
(ब) 50 Hz. 

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अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता का मात्रक क्या है? 
उत्तर:
चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता का मात्रक ऑस्टैंड' है। 

प्रश्न 2. 
'चुंबकीय क्षेत्र' किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी चुंबक के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें उसके बल का संसूचन किया जा सकता है, उस चुंबक का चुंबकीय क्षेत्र कहलाता है।

प्रश्न 3. 
चुंबकीय क्षेत्र / बल रेखाएँ क्या होती हैं? 
उत्तर:
वे रेखाएँ जो किसी चुंबक के चुंबकीय क्षेत्र का निरूपण करती हैं चुंबकीय क्षेत्र / बल रेखाएँ कहलाती हैं। 

प्रश्न 4. 
किसी चुंबक के भीतर चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा क्या होती है? 
उत्तर:
चुंबक के भीतर चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा उसके दक्षिण ध्रुव से उत्तर ध्रुव की ओर होती है।

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प्रश्न 5. 
किसी क्षैतिज शक्ति संचरण लाइन (पावर लाइन) में पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर विद्युतधारा प्रवाहित हो रही है। इसके ठीक नीचे के किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा क्या होगी?
उत्तर:
उत्तर से दक्षिण ध्रुव की ओर।  

प्रश्न 6. 
एक ही सॉकेट से एक ही समय बहुत से विद्युत साधित्रों को संयोजित करने से क्या होता है? 
उत्तर:
एक ही सॉकेट से बहुत से विद्युत साधित्रों को संयोजित करने से परिपथ में अतिभारण हो जाता है। 

प्रश्न 7. 
किस चुम्दक द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा किसी बिन्दु पर किस तरह से ज्ञात करते हैं?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र के उस बिन्दु पर दिक्सूचक सूई को रखते हैं। इस सूई के उत्तरी ध्रुव की दिशा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को दर्शाती है।

प्रश्न 8. 
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा क्या होती है? 
उत्तर:
चुम्बक के चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा चुम्बक के उत्तरी ध्रुव से दक्षिण ध्रुव की ओर बन्द वक्र के समान होती है। 

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प्रश्न 9. 
यदि हम किसी धारावाही चालक को दिक्सूचक के ऊपर रखते हैं, तो क्या होता है?
उत्तर:
ऐसा करने पर दिक्सूचक सूई की भुजाओं में विचलन होगा। यह दिशा SNOW नियम की सहायता से ज्ञात कर सकते हैं।

प्रश्न 10. 
SNOW नियम क्या है?
उत्तर:
यदि चालक में धारा की दिशा दक्षिण से उत्तरी दिशा की तरफ हो तो दिक्सूचक सूई की दिशा के पश्चिम दिशा में विक्षेपण होगा।

प्रश्न 11. 
यदि किसी धारावाही चालक में धारा की दिशा को विपरीत कर दिया जाये, तो क्या होगा? 
उत्तर:
इस स्थिति में दिकसूचक सूई की भुजाओं में विक्षेपण की दिशा उल्टी हो जाएगी।

प्रश्न 12. 
यदि सीधे तार में प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा को उत्क्रमित कर दिया जाये तो क्या चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा भी उत्क्रमित हो जाएगी?
उत्तर:
हाँ; चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा भी उत्क्रमित हो जाएगी। 

प्रश्न 13. 
संकेन्द्रीय वृत्ताकार रेखाएँ क्या निरूपित करती हैं? 
उत्तर:
ये चुम्बकीय क्षेत्र की रेखाओं को दर्शाती हैं। 

प्रश्न 14. 
वृत्ताकार धारावाही चालक के दो विपरीत बिन्दुओं पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की प्रकृति में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
दोनों ही बिन्दुओं पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा विपरीत होती है। इन दोनों बिन्दुओं पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ संकेन्द्रीय वृत्ताकार होती हैं।

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प्रश्न 15. 
वृत्ताकार धारावाही चालक द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का मान सबसे अधिक कहाँ पर होता है?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र का मान केन्द्र पर अधिक होता है। 

प्रश्न 16. 
जब किसी धारावाही चालक को चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो क्या होता है? 
उत्तर:
जब चुम्बकीय क्षेत्र में धारावाही चालक को रखते हैं, तो उस पर एक बल आरोपित होता है।

प्रश्न 17. 
उस नियम का नाम लिखिए जिसकी मदद से धारावाही चालक पर चुम्बकीय क्षेत्र में लगने वाले बल की दिशा ज्ञात करते हैं।
उत्तर:
फ्लेमिंग का वामहस्त का नियम। 

प्रश्न 18. 
वह कौन - कौनसे कारक हैं जिन पर चालक पर आरोपित बल का मान निर्भर करता है? 
उत्तर:

  1. चुम्बकीय क्षेत्र का मान 
  2. चालक की लम्बाई 
  3. चालक में प्रवाहित धारा का मान। 

प्रश्न 19. 
चुम्बकीय क्षेत्र में रखे चालक में प्रवाहित धारा की दिशा को विपरीत दिशा में प्रवाहित करने पर क्या होता है? 
उत्तर:
चालक पर आरोपित बल की दिशा विपरीत दिशा में हो जाएगी।

प्रश्न 20. 
चुम्बक को कुण्डली की ओर ले जाने पर कुण्डली के परिपथ में विद्युत धारा उत्पन्न होती है, जिसे गैल्वेनोमीटर की सूई के विक्षेप द्वारा अंकित किया जाता है। यदि यह सापेक्ष गति नहीं हो, कुण्डली में प्रेरित धारा का मान कितना होता?
उत्तर:
शून्य। 

प्रश्न 21. 
जब एक धारावाही कुण्डली को दूसरी कुण्डली के पास लाते हैं तो क्या होता है? 
उत्तर:
दूसरी कुण्डली में धारा प्रेरित होती है। 

प्रश्न 22. 
प्राथमिक कुण्डली में स्थिर धारा प्रवाहित होने पर द्वितीय कुण्डली में धारा का मान क्या होगा? 
उत्तर:
शून्य। 

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प्रश्न 23. 
धारावाही कुण्डली एवं प्रेरित धारा कुण्डली का क्या नाम है? 
उत्तर:
धारावाही कुण्डली को प्राथमिक कुण्डली एवं प्रेरित धारा कुण्डली को द्वितीयक कुण्डली कहते हैं । 

प्रश्न 24. 
वह कौनसी कुण्डली है जिसमें चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है? 
उत्तर:
प्राथमिक कुण्डली से चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है क्योंकि यह धारावाही कुण्डली होती है। 

प्रश्न 25. 
द्वितीयक कुण्डली में प्रेरित धारा की प्रबलता को कौनसे कारक प्रभावित करते हैं? 
उत्तर:

  1. प्राथमिक कुण्डली में धारा की प्रबलता। 
  2. प्राथमिक कुण्डली में तार के फेरों की संख्या। 

प्रश्न 26. 
चुम्बकीय फ्लक्स क्या होता है?
उत्तर:
किसी चुम्बकीय क्षेत्र में पृष्ठ के लम्बवत् गुजरने वाली कुल चुम्बकीय बल रेखाओं को चुम्बकीय फ्लक्स कहते हैं। इसका मात्रक वेबर होता है।

प्रश्न 27. 
विद्युत चुम्बकीय प्रेरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब कभी भी किसी विद्युत चालक (कुण्डली) और चुम्बक से सम्बद्ध चुम्बकीय क्षेत्र के मध्य सापेक्ष गति होती है तो कुण्डली में प्रेरण के कारण विद्युत धारा प्रवाहित होती है। इस प्रभाव को विद्युत चुम्बकीय प्रेरण कहते हैं।

प्रश्न 28. 
विद्युत मोटर किस ऊर्जा को किस ऊर्जा में रूपान्तरित करता है? 
उत्तर:
विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में।

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प्रश्न 29. 
n फेरों की कुंडली द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण एकल फेरे की तुलना में कितना होगा? 
उत्तर:
n गुना अधिक प्रबल होगा।

प्रश्न 30. 
परिनालिका (Solenoid) किसे कहते हैं?
उत्तर:
पास - पास लिपटे विद्युतरोधी ताँबे के तार की बेलन की आकृति की अनेक फेरों वाली कुंडली को परिनालिका कहते हैं।

प्रश्न 31. 
चुंबकीय क्षेत्र में किसी विद्युत धारावाही चालक पर बल का विचार किसने प्रस्तुत किया? 
उत्तर:
फ्रांसीसी वैज्ञानिक आंद्रे मैरी ऐम्पियर ने।

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प्रश्न 32. 
मानव शरीर के उन दो भागों का नाम बताइए जिनमें चुंबकीय क्षेत्र का उत्पन्न होना महत्त्वपूर्ण है? 
उत्तर:
हृदय तथा मस्तिष्क। 

प्रश्न 33. 
'MRI' का पूरा नाम बताइए। 
उत्तर:
चुंबकीय अनुनाद प्रतिबिंबन (Magnetic Resonance Imaging) 

प्रश्न 34. 
'दिक्परिवर्तक' किसे कहते हैं? 
उत्तर:
वह युक्ति जो परिपथ में विद्युत धारा के प्रवाह को उत्क्रमित कर देती है, उसे 'दिकपरिवर्तक' कहते हैं। 

प्रश्न 35. 
'वैद्युत चुंबकीय प्रेरण' की खोज किसने की? 
उत्तर:
माइकेल फैराडे ने। 

प्रश्न 36. 
प्रत्यावर्ती धारा जनित्र में प्रेरित विद्युत धारा का मान किन - किन घटकों पर निर्भर करता है?
उत्तर:
कुण्डली में घेरों की संख्या, कुण्डली का क्षेत्रफल, घूर्णन वेग तथा चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता पर निर्भर करता है।

प्रश्न 37. 
विद्युत चुम्बक में क्रोड सामान्यतया किसका बना होता है? 
उत्तर:
कच्चे लोहे का। 

प्रश्न 38. 
'आर्मेचर' से आप क्या समझते हैं? इसकी क्या उपयोगिता है?
उत्तर:
व्यावसायिक मोटरों में कुंडली तथा नर्म लौह क्रोड जिस पर कुंडली को लपेटा जाता है, मिलकर आर्मेचर कहलाते हैं। इससे मोटर की शक्ति में वृद्धि हो जाती है।

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प्रश्न 39. 
विद्युत मोटर व विद्युत जनित्र में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
विद्युत मोटर विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलता है जबकि विद्युत जनित्र यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है।

प्रश्न 40. 
बैटरी चार्जर में कौनसी विद्युत धारा का प्रयोग होता है? 
उत्तर:
दिष्ट धारा का। 

प्रश्न 41. 
फ्यूज तार का अनुमतांक (Rating) 15 A है। इस कथन का क्या अर्थ है?
उत्तर:
इसका अर्थ यह है कि इस परिपथ में अधिक से अधिक 15 A की धारा प्रवाहित हो सकती है। यदि परिपथ में धारा 15 A से बढ़ जाती है तब फ्यूज पिघल जाएगा तथा परिपथ स्वयं बन्द हो जाएगा। 

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लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
वैज्ञानिक हैंस क्रिश्चियन ऑस्टेंड ने वैद्युत चुम्बकत्व को समझने में क्या भूमिका निभाई?
उत्तर:
इनके द्वारा यह खोजा गया था कि किसी धातु के तार में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर पास में रखी दिक्सूची में विक्षेप उत्पन्न होता है। उन्होंने अपने प्रेक्षणों के आधार पर यह प्रमाणित किया कि विद्युत तथा चुम्बकत्व परस्पर सम्बन्धित परिघटनाएँ हैं। इनकी खोजों ने आगे जाकर नई - नई प्रौद्योगिकियों, जैसे - रेडियो, टेलीविजन, तंतु प्रकाशिकी आदि का सृजन किया। इन्हीं के सम्मान में चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का मात्रक ऑर्टेड रखा गया है।

प्रश्न 2. 
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ क्या होती हैं? किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा कैसे निर्धारित की जाती है?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ: किसी चुम्बक के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें उसके बल का संसूचन किया जा सकता है, उस चुम्बक का चुम्बकीय क्षेत्र कहलाता है। वह रेखाएँ जिनके अनुदिश लोह - चूर्ण स्वयं संरेखित होता है, चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं का निरूपण करती है। चुम्बकीय क्षेत्र में परिमाण एवं दिशा दोनों होते हैं। किसी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा वह मानी जाती है, जिसके अनुदिश दिक्सूची का उत्तर ध्रुव उस क्षेत्र के भीतर गमन करता है। इसलिए चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ चुम्बक के उत्तर ध्रुव से प्रकट होती हैं तथा दक्षिण ध्रुव पर विलीन हो जाती हैं।

चुम्बक के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा उसके दक्षिण ध्रुव से उत्तर ध्रुव की ओर होती है। अतः चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ एक बंद वक्र होती हैं। किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा चुम्बकीय सुई की सहायता से निर्धारित की जाती है। जिस दिशा में उत्तरी ध्रुव का निर्देश प्राप्त होता है, वही चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा होती है।

प्रश्न 3. 
"चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक बंद वक्र होती हैं।" समझाइए।
उत्तर:
किसी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा वह मानी जाती है जिसके अनुदिश दिकसूची का उत्तर ध्रुव उस क्षेत्र के भीतर गमन करता है। इसलिए परिपाटी के अनुसार चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ चुंबक के उत्तर ध्रुव से प्रकट होती हैं तथा दक्षिण ध्रुव पर विलीन हो जाती हैं। लेकिन चुंबक के भीतर चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा उसके दक्षिण ध्रुव से उत्तर ध्रुव की ओर होती है। इसलिए चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक बंद वक्र होती हैं।
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प्रश्न 4. 
चुम्बकीय क्षेत्र की रेखाएँ एक छड़ चुम्बक के इर्द - गिर्द चित्र में दिखाई गई हैं। एक छात्र का कथन है कि चुम्बकीय क्षेत्र A पर शक्तिशाली है और B पर कमजोर है। बताइए कि कथन सत्य है या असत्य। व्याख्या भी कीजिए।
उत्तर: 
कथन सत्य है, क्योंकि चुम्बकीय क्षेत्र उस जगह शक्तिशाली होता है, जहाँ चुम्बकीय क्षेत्र की रेखायें आपस में नजदीक होती हैं और जहाँ पर ये रेखाएँ दूर - दूर होती हैं, वहाँ पर चुम्बकीय क्षेत्र कमजोर होता है।
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प्रश्न 5. 
दो चुम्बकों की चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ चित्र (a) तथा (b) में दिखाई गई हैं। इन चित्रों में से कौन - सा चित्र इन रेखाओं को ठीक पैटर्न में दिखाता है? चुम्बकों के उन ध्रुवों के नाम लिखिए जो एक - दूसरे के सामने हैं।
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उत्तर:
दो क्षेत्र रेखाएँ कहीं भी एक-दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करती हैं। अतः चित्र (b) चुम्बकीय क्षेत्र की रेखाओं का ठीक पैटर्न दर्शाता है। चित्र में दोनों चुम्बकों के सिरों पर उत्तरी ध्रुव है जो एक - दूसरे के सामने है, क्योंकि चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ उत्तरी ध्रुव से बाहर आती हैं।

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प्रश्न 6. 
यदि विद्युत धारावाही तार से बनी कुंडली में फेरों की संख्या बढ़ा दे तो उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा? समझाइए।
उत्तर:
किसी विद्युत धारावाही तार के कारण किसी दिए गए बिंदु पर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र प्रवाहित विद्युत धारा पर अनुलोमतः निर्भर करता है। इसलिए यदि n फेरों की कोई कुंडली हो तो उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र परिमाण में एकल फेरे द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की तुलना में n गुना अधिक प्रबल होगा। इसका कारण यह है कि प्रत्येक फेरे में विद्युत धारा के प्रवाह की दिशा समान है, अत: व्यष्टिगत फेरों के चुंबकीय क्षेत्र संयोजित हो जाते हैं।

प्रश्न 7. 
व्यावसायिक मोटरों की विशेषताएँ बताइए। 
उत्तर: 
व्यावसायिक मोटरों में:

  1. स्थायी चुंबकों के स्थान पर विद्युत चुंबक प्रयोग किए जाते हैं। 
  2. विद्युत धारावाही कुंडली में फेरों की संख्या अत्यधिक होती है। 
  3. कुडली नर्म लौह-क्रोड पर लपेटी जाती है। इससे मोटर की शक्ति में वृद्धि हो जाती है।

प्रश्न 8. 
एक बिजली के तार में विद्युत धारा के कारण पैदा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा किसी ऐसे बिन्दु पर जो तार से ऊपर स्थित है और ऐसे बिन्दु पर जो तार से नीचे स्थित है, क्या होगी?
उत्तर:
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दक्षिण हस्त अंगूठे के नियम के अनुसार 

  1. चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा, तार से ऊपर स्थित बिन्दु पर दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर। 
  2. चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा, तार से नीचे स्थित बिन्दु पर उत्तर दिशा से दक्षिण दिशा की ओर।

प्रश्न 9. 
एक धारावाहक बन्द कुण्डली (Coil) को हवा में लटकाया गया है, जैसा चित्र में दिखाया गया है। जब कुण्डली को ऊपर से देखें तो उसमें धारा वामावर्त दिशा में बहती दिखती है, लेकिन जब नीचे की ओर देखें, 'तो धारा दक्षिणावर्त दिशा में बहती दिखती है।
(i) चुम्बकीय क्षेत्र रेखायें खींचिये जो कुण्डली के चुम्बकीय क्षेत्र को दर्शायें। 
(ii) कुण्डली की ऊपरी सतह पर और निचली सतह पर ध्रुवों के नाम लिखिए।
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उत्तर:
(i) चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ नीचे चित्र में दर्शाई गई हैं।
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(ii) कुण्डली की ऊपरी सतह उत्तरी ध्रुव की तरह व्यवहार करती है और निचली सतह दक्षिण ध्रुव की तरह व्यवहार करती है।

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प्रश्न 10. 
चिकित्सा विज्ञान में चुंबकत्व के उपयोग को समझाइए।
उत्तर:
विद्युत धारा सदैव चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है। यहाँ तक कि हमारे शरीर की तंत्रिका कोशिकाओं के अनुदिश गमन करने वाली दुर्बल आयन धाराएँ भी चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती हैं | जब हम किसी वस्तु को स्पर्श करते हैं तो हमारी तंत्रिकाएँ एक विद्युत आवेग का उस पेशी तक वहन करती हैं। यह आवेग एक अस्थायी चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है। ये क्षेत्र अति दुर्बल होते हैं।

मानव शरीर के दो मुख्य भाग हृदय एवं मस्तिष्क महत्त्वपूर्ण हैं जिनमें चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। शरीर के भीतर चुंबकीय क्षेत्र शरीर के विभिन्न भागों के प्रतिबिंब प्राप्त करने का आधार बनता है। ऐसा एक विशेष तकनीक जिसे चुंबकीय अनुनाद प्रतिबिंबन (MRI-Magnetic Resonance Imaging) कहते है, के उपयोग द्वारा किया जाता है। चिकित्सा निदान में इन प्रतिबिंबों का विश्लेषण सहायक होता है। इस प्रकार चिकित्सा विज्ञान में चुंबकत्व के महत्वपूर्ण उपयोग हैं।

प्रश्न 11. 
चुम्बकीय क्षेत्र में रखा हुआ एक विद्युत धारावाहक चालक बल का आभास क्यों करता है? चालक पर लगे बल की दिशा क्या होती है?
उत्तर:
धारावाहक चालक में ऋणात्मक आवेशित कण (यानी इलेक्ट्रॉन) गति में होते हैं। चुम्बकीय क्षेत्र में इन सब इलेक्ट्रॉनों पर बल लगता है। इलेक्ट्रॉनों पर लगा हुआ बल ही चालक पर लगता है। इस कारण चुम्बकीय क्षेत्र में रखा विद्युत धारावाहक चालक को बल का आभास होता है। इस बल की दिशा दोनों चुम्बकीय क्षेत्र तथा चालक में धारा की दिशा से लम्बवत् दिशा में होती है।

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प्रश्न 12. 
एक प्रोटोन, चुम्बकीय क्षेत्र में 90° कोण पर प्रवेश करता है। प्रोटोन पर लगे बल की दिशा क्या होगी?
उत्तर:
फ्लेमिंग वामहस्त नियम से, एक धारावाहक चालक जो चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् रखा है, पर लगा बल धारा की दिशा (जिस दिशा में धनात्मक आवेश गति करता है) और चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा से लम्बवत् होता है। इसलिए प्रोटोन पर लगे बल की दिशा कागज की सतह के लम्बवत् और ऊपर की ओर होती है।
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प्रश्न 13. 
दो वृत्ताकार कुण्डलियाँ A तथा B को परस्पर नजदीक रखा है। यदि कुण्डली A में विद्युत् धारा की मात्रा में बदलाव हो, तो क्या कुण्डली B में प्रेरित धारा बहेगी? व्याख्या 
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उत्तर:
ज़ब कुण्डली A में विद्युत् धारा की मात्रा में बदलाव हो, तो कुण्डली A के चारों ओर स्थित चुम्बकीय क्षेत्र में भी परिवर्तन होता है। इस क्षेत्र की बल रेखाएँ कुण्डली B से गुजरते समय बल रेखाओं की संख्या में परिवर्तन हो जाता है, जिस कारण कुण्डली B में प्रेरित धारा उत्पन्न हो जाती है।

प्रश्न 14. 
गैल्वनोमीटर क्या है? इसकी उपयोगिता बताइए।
उत्तर:
गैल्वनोमीटर एक ऐसा उपकरण है जो किसी परिपथ में विद्युत धारा की उपस्थिति संसूचित करता है। यदि इससे प्रवाहित विद्युत धारा शून्य है तो इसका संकेतक शून्य (पैमाने के मध्य में) पर रहता है। यह अपने शून्य चिहन के या तो बाईं ओर अथवा दाईं ओर विक्षेपित हो सकता है, यह विशेष विद्युत धारा की दिशा पर निर्भर करता है।

प्रश्न 15. 
दिष्ट एवं प्रत्यावर्ती धारा को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
दिष्ट धारा: वह विद्युत धारा जिसमें समय के साथ दिशा में परिवर्तन नहीं होता, दिष्टधारा कहलाती है। इसे प्रतीकानुसार D.C. के द्वारा निरूपित किया जाता है।

प्रत्यावर्ती धारा: वह विद्युत धारा जो समान समय-अंतरालों के पश्चात् अपनी दिशा में परिवर्तन कर लेती है, उसे प्रत्यावर्ती विद्युत धारा कहते हैं। इसे प्रतीकानुसार A.C. के द्वारा निरूपित किया जाता है।

प्रश्न 16. 
धारा अनुमतांक का क्या अर्थ है?
उत्तर: 
धारा अनुमतांक का अर्थ है अधिकतम धारा का प्रमाण जो फ्यूज से प्रवाहित हो सकता है तथा फ्यूज नं पिघले । यदि धारा अनुमतांक 5 A है तब इसका अर्थ है कि जब धारा 5 A से थोड़ी - भी अधिक प्रवाहित होगी तब फ्यूज पिघल जायेगा।

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प्रश्न 17. 
दिष्ट धारा तथा प्रत्यावर्ती धारा में कोई दो अन्तर स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:

दिष्ट धारा

प्रत्यावर्ती धारा

1. दिष्ट धारा का परिमाण बदलता है या नहीं बदलता है, लेकिन यह एक ही दिशा में बहता है।

प्रत्यावर्ती धारा का परिमाण और दिशा नियत अवधि में बदलती है।

2. दिष्ट धारा की आवृत्ति शून्य होती है।

भारत में प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति 50 हर्ट्स होती है।


प्रश्न 18. 
A.C. के D.C. की अपेक्षा लाभ क्या हैं और A.C. की D.C. के सापेक्ष हानियाँ लिखिए। 
उत्तर:
D.C. की तुलना में A.C. के लाभ:

  1. A.C. का उत्पादन मूल्य D.C. के उत्पादन मूल्य से कम होता है। 
  2. A.C. को D.C. में सरलता से बदला जा सकता है। 
  3. A.C. को D.C. की अपेक्षा बिना अधिक विद्युतशक्ति की हानि किये नियंत्रित किया जा सकता है। 
  4. A.C. को D.C. की अपेक्षा दूर स्थित स्थानों पर कम विद्युत हानि पर प्रेषित किया जा सकता है। 

A.C. की D.C. के सापेक्ष हानियाँ:

  1. D.C. की अपेक्षा A.C. अधिक भयानक है। 
  2. A.C. का विद्युत अपघटन में प्रयोग नहीं किया जा सकता जबकि D.C. का इस प्रक्रिया में प्रयोग किया जा सकता है। 

प्रश्न 19. 
अतिभारण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
अतिभारण / अतिभार:
किसी परिपथ में अनुमानित मात्रा से अधिक मात्रा में धारा प्रवाह होना अतिभारण (Overloading) कहलाता है। यह घटना उस समय घटती है जब अधिक शक्ति के विद्युत उपकरण जैसे गीजर, हीटर, रेफ्रीजरेटर, मोटर आदि एक साथ चला दिए जाएं। इससे परिपथ में धारा प्रवाह अधिक मात्रा में होता है। इस अतिभारण से परिपथ में आग लग जाती है। अतिभारण को रोकने के लिए यह आवश्यक है कि एक परिपथ में अधिक उपकरणों को संयोजित नहीं करना चाहिए।

प्रश्न 20. 
प्रत्यावर्ती धारा जनित्र के विभिन्न भागों को लिखिये। 
उत्तर:
एक प्रत्यावर्ती धारा जनित्र के निम्न भाग होते हैं:

  1. आर्मेचर: इसको अपनी अक्ष पर घूर्णन कराया जाता है। 
  2. क्षेत्र चुम्बक: आर्मेचर को क्षेत्र - चुम्बक के बीच में रखते हैं। 
  3. सपीवलय: ये आर्मेचर के साथ ही घूर्णन करते हैं। 
  4. ब्रश: ये धातु अथवा कार्बन के बने होते हैं। इन्हीं से बाह्य परिपथ में धारा प्राप्त होती है।

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प्रश्न 21. 
विद्युत जनित्र में नाल - चुम्बक के ध्रुवों को अवतल बेलनाकार क्यों बनाते हैं ? 
उत्तर:
विद्युत जनित्र में नाल - चुम्बक के ध्रुवों को बेलनाकार बना दिया जाता है। इससे नाल - चुम्बक के ध्रुवों के बीच के स्थान में एक त्रिज्य चुम्बकीय क्षेत्र (radical magnetic field) उत्पन्न हो जाता है। इससे जब भी कुण्डली चुम्बकीय क्षेत्र में घूमती है तो कुण्डली के तल पर लम्ब और चुम्बकीय क्षेत्र में कोण सदैव 90° रहता है।

प्रश्न 22. 
विद्युत चुंबक किसे कहते हैं? इसके निर्माण को चित्र द्वारा दर्शाइए। विद्युत चुम्बक में उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र किन - किन राशियों पर निर्भर करता है?
उत्तर: 
परिनालिका के भीतर उत्पन्न प्रबल चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग किसी चुंबकीय पदार्थ (जैसे- नर्म लोहा) को परिनालिका के भीतर रखकर चुंबक बनाने में किया जाता है। इस प्रकार बने चुंबक को विद्युत चुंबक कहते हैं।
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 विद्युत चुम्बक की निर्भरता: विद्युत चुम्बक की शक्ति धारा के मान तार के घेरों की संख्या एवं धातु जिस पर कुण्डली लपेटी गई है, पर निर्भर करती है।

प्रश्न 23. 
विद्युत चुम्बक द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की शक्ति किन - किन बातों पर निर्भर करती है?
उत्तर:
विद्युत चुम्बक द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की शक्ति उसमें से प्रवाहित विद्युत धारा के मान, तार के घेरों की संख्या तथा क्रोड की धातु पर निर्भर करती है। जितनी अधिक शक्ति की विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, उतना ही प्रबल चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। यदि प्रवाहित धारा का मान समान रहे, तो चुम्बकीय क्षेत्र की शक्ति क्रोड पर तार के घेरों की संख्या पर निर्भर करती है।

घेरों की संख्या जितनी अधिक होगी, चुम्बकीय क्षेत्र उतना ही अधिक प्रबल होगा। यदि उपर्युक्त दोनों ही स्थितियाँ समान रहें, तब चुम्बकीय क्षेत्र की शक्ति क्रोड को बदलकर भी बढ़ाई जा सकती है। नर्म लोहे के क्रोड की शक्ति स्टील क्रोड की अपेक्षा अधिक होती है।

प्रश्न 24. 
शॉर्ट - सर्किट क्या होता है? इससे क्या हानियाँ हो सकती हैं?
उत्तर:
शॉर्ट - सर्किट: किसी विद्युत यंत्र में विद्युन्मय एवं उदासीन तारों के सीधे सम्पर्क में आने के कारण विद्युतधारा के कम प्रतिरोध से होकर प्रवाहित होना, शॉर्ट - सर्किट कहलाता है।

हानियाँ:

  1. प्रतिरोध कम होने के कारण तारें अधिक गर्म हो जाती हैं, जिस कारण उनके ऊपर चढ़ा विद्युतरोधी पदार्थ जल जाता है।
  2. ऊपरी आवरण के हट जाने पर तारें नंगी हो जाती हैं, जिस कारण विद्युत शॉक लग सकता है। 

प्रश्न 25. 
प्रत्यावर्ती धारा जनित्र तथा दिष्ट धारा जनित्र में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
प्रत्यावर्ती धारा जनित्र तथा दिष्ट धारा जनित्र में अन्तर:   

प्रत्यावर्ती धारा जनित्र

दिष्ट धारा जनित्र

1. इस जनित्र में दो सी वलय होते हैं।

इस जनित्र में कम्यूटेटर होते हैं।

2. इस जनित्र से प्रत्यावर्ती विद्युत धारा प्राप्त होती है।

यह जनित्र दिष्ट धारा उत्पन्न करता है।

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प्रश्न 26 
दिष्ट धारा जनित्र तथा विद्युत मोटर में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
दिष्ट धारा जनित्र तथा विद्युत मोटर में अन्तर:

दिष्ट धारा जनित्र

विद्युत मोटर

1. यह यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करने वाली युक्ति है।

यह विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करने वाली युक्ति है।

2. यह विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य करता है।

यह धारा के चुम्बकीय प्रभाव के आधार पर कार्य करती है, जिसके अनुसार चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित धारावाही चालक पर एक बल लगता है।

3. इसमें चुम्बकीय क्षेत्र में कुण्डली को घुमाकर प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न किया जाता है।

इसमें चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित कुण्डली में धारा प्रवाहित करते हैं, जिससे कुण्डली घूमने लगती है।


प्रश्न 27. 
चुम्बकीय क्षेत्र में धारावाही चालक पर बल क्या है? वर्णन करके बताएँ।
उत्तर:
जब किसी चालक में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो विद्युत धारा चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है जो चालक के निकट रखे चुंबक पर बल आरोपित करता है। इसी आधार पर आंद्रे मैरी ऐम्पियर ने यह विचार प्रस्तुत किया कि चुंबक को भी विद्युत धारावाही चालक पर परिमाण में समान परन्तु दिशा में विपरीत बल आरोपित करना चाहिए। विद्युत धारा की दिशा, चुंबकीय क्षेत्र की दिशा तथा चालक पर आरोपित बल की दिशा की व्याख्या फ्लेमिंग के वामहस्त (बायाँ हाथ) नियम द्वारा की जा सकती है। 

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
निम्न घटनाओं को आरेख चित्र द्वारा दर्शाइए
(a) धातु के चालक से विद्युत धारा प्रवाहित कराने पर दिक्सूचक में विक्षेपण 
(b) सीधे चालक से विद्युत धारा प्रवाहित होने के कारण चुंबकीय क्षेत्र 
(c) विद्युत धारावाही पाश के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ 
उत्तर:
(a)
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(b)
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(c)
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प्रश्न 2. 
घरेलू विद्युत परिपथ का व्यवस्था आरेख खींचकर उसकी संयोजन व्यवस्था को समझाइए। विद्युत प्रयोग में रखी जाने वाली सावधानियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
घरेलू विद्युत परिपथ: हम अपने घरों में विद्युत शक्ति की आपूर्ति मुख्य तारों, जिसे मेंस भी कहते हैं, से प्राप्त करते हैं। इन मुख्य तारों में से एक तार को जिस पर प्रायः लाल विद्युतरोधी आवरण होता है, विद्युन्मय तार (अथवा धनात्मक तार) कहते हैं । अन्य तार को जिस पर काला आवरण होता है, उदासीन तार (ऋणात्मक तार) कहते हैं। हमारे देश में इन दोनों तारों के बीच 220V का विभवांतर होता है।

घर में लगे मीटर बोर्ड में ये तार मुख्य फ्यूज से होते हुए एक विद्युत मीटर में प्रवेश करते हैं। इन्हें मुख्य स्विच से होते हुए घर के लाइन तारों से जोड़ते हैं। ये तार घर के पृथक् - पृथक् परिपथों में विद्युत आपूर्ति करते हैं। प्रायः घरों में दो पृथक् परिपथ होते हैं, एक 15 A विद्युत धारा अनुमतांक के लिए, जिसका उपयोग उच्च शक्ति वाले विद्युत साधित्रों जैसे- गीजर, वायु शीतित्र / कूलर आदि के लिए किया जाता है। दूसरा विद्युत परिपथ 5 A विद्युत धारा अनुमतांक के लिए होता है, जिससे बल्ब, पंखे आदि चलाए जाते हैं।

नीचे चित्र में सामान्य घरेलू विद्युत परिपथों में से किसी एक परिपथ का व्यवस्था आरेख चित्र दिखाया गया है। प्रत्येक पृथक् विद्युत परिपथ में विद्युन्मय तथा उदासीन तारों के बीच विभिन्न विद्युत साधित्रों को संयोजित किया जा सकता है। प्रत्येक साधित्र का अपना पृथक् ‘ऑन / ऑफ' स्विच होता है, ताकि इच्छानुसार उनमें विद्युत धारा प्रवाहित कराई जा सके। सभी साधित्रों को समान वोल्टता मिल सके, इसके लिए उन्हें परस्पर पार्यक्रम में संयोजित किया जाता है।
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विद्युत फ्यूज सभी घरेलू परिपथों का एक महत्त्वपूर्ण अवयव होता है। विद्युत परिपथ में लगा फ्यूज परिपथ तथा साधित्र को अतिभारण के कारण होने वाली क्षति से बचाता है। विद्युत प्रयोग में रखी जाने वाली सावधानियाँविद्युत उपयोग में रखी जाने वाली सावधानियाँ निम्नलिखित हैं:

  1. विद्युतीय या फेज (Phase) तार को हमेशा स्विच के नियंत्रण में ही होना चाहिए । नमी आदि होने पर स्विच का उपयोग नहीं करें तथा उसके सूखने का इन्तजार करें।
  2. विद्युत उपकरण के संयोजन में तीनों तार होने चाहिए। मुख्य रूप से प्रेस, गीजर, रेफ्रिजरेटर आदि को टूपिन या दो तारों द्वारा संचालित नहीं किया जाना चाहिए।
  3. जब तक आपको विद्युत उपकरण सम्बन्धित जानकारी नहीं हो विद्युतीय युक्तियों को खोलना या तारों को हाथ नहीं लगाना चाहिए।
  4. स्विचों, प्लगों, सॉकिटों तथा जोड़ों पर सभी संबंध कसे हुए होने चाहिए, तार पर विद्युतरोधी पदार्थ अच्छा होना चाहिए। खराब स्विचों को बदल दें तथा जोड़ों पर विद्युतरोधी टेप लगानी चाहिए।
  5. फ्यूज उपयुक्त क्षमता एवं पदार्थ का होना चाहिए। सामान्य संयोजन तारों को फ्यूज के रूप में उपयोग न करें, इससे लघुपथन या अतिभारण परिपथ में हो सकता है।
  6. परिपथ में यदि कोई कार्य करना है तो मुख्य स्विच को बन्द कर दें। सुरक्षा के लिए रबर के दस्ताने तथा जूते पहनने चाहिए। टेस्टर, पेचकस आदि औजारों पर विद्युतरोधी आवरण होना चाहिए।
  7. भू - संपर्कित तार अच्छा होना चाहिए। 

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प्रश्न 3. 
निम्न को समझाइए
(a) दक्षिण - हस्त अंगुष्ठ नियम 
(b) मैक्सवेल का कॉर्कस्क्रू नियम 
(c) फ्लेमिंग का वामहस्त (बायाँ हाथ) नियम 
(d) फ्लेमिंग का दक्षिण-हस्त नियम
उत्तर:
(a) दक्षिण - हस्त अंगुष्ठ नियम: यह किसी विद्युत धारावाही चालक से संबद्ध चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात करने का नियम है - इसके अनुसार "यदि दाहिना हाथ विद्युत धारावाही चालक को इस प्रकार पकड़े हुए है कि अंगूठा विद्युत धारा की दिशा की ओर संकेत करता है, तो अँगुलियाँ चालक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा में लिपटी होंगी।"

(b) मैक्सवेल का कॉर्कस्क्रू नियम: इसके अनुसार "यदि किसी कॉर्कस्क्रू को विद्युत धारा की दिशा में आगे बढ़ाते हैं तो कॉकस्क्रू के घूर्णन की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा होती है।

(c) फ्लेमिंग का वामहस्त (बायाँ हाथ) नियम: इस नियम के अनुसार-"यदि बाएँ हाथ की तर्जनी, मध्यमा तथा अँगूठे को इस प्रकार फैलाएँ कि ये तीनों एक - दूसरे के परस्पर लंबवत् हो । यदि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा और मध्यमा चालक में प्रवाहित विद्युत धारा की ओर संकेत करती है तो अंगूठा चालक की गति की दिशा अथवा चालक पर आरोपित बल की दिशा की ओर संकेत करेगा।

(d) फ्लेमिंग का दक्षिण - हस्त नियम: इस नियम के अनुसार - “दाहिने हाथ की तर्जनी, मध्यमा तथा अंगूठे को इस प्रकार फैलाते हैं कि ये तीनों एक - दूसरे के परस्पर लंबवत् हों। यदि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा की ओर संकेत करती है तथा अंगूठा चालक की गति की दिशा की ओर संकेत करता है तो मध्यमा चालक में प्रेरित विद्युत धारा की दिशा दर्शाती है।"
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प्रश्न 4. 
घरेलू विद्युत परिपथ में अतिभारण व लघुपथन के कारणों को समझाइए। इनसे होने वाले नुकसान को बताते हुए इनसे बचने के उपाय सुझाइए।
उत्तर:
जब विद्युन्मय तार तथा उदासीन तार दोनों सीधे संपर्क में आते हैं तो अतिभारण हो सकता है। यह तब होता है जब तारों का विद्युतरोधन क्षतिग्रस्त हो जाता है अथवा साधित्र में कोई दोष होता है। ऐसी परिस्थितियों में किसी परिपथ में विद्युत धारा अकस्मात् बहुत अधिक हो जाती है। इसे लघुपथन कहते हैं। आपूर्ति वोल्टता में दुर्घटनावश होने वाली वृद्धि से भी कभी - कभी अतिभारण हो सकता है। कभी - कभी एक सॉकेट से बहुत से विद्युत साधित्रों को संयोजित करने से भी अतिभारण हो जाता है।

अतिभारण व लघुपथन से हानि:

  1. प्रतिरोध कम होने के कारण तारें अधिक गर्म हो जाती हैं, जिस कारण उनके ऊपर चढ़ा विद्युतरोधी पदार्थ जल जाता है। 
  2. ऊपरी आवरण के हट जाने पर तारें नंगी हो जाती हैं, जिस कारण विद्युत शॉक लग सकता है।

बचाव के उपाय: विद्युत परिपथ में लगा फ्यूज परिपथ तथा साधित्र को अतिभारण के कारण होने वाली क्षति से बचाता है। फ्यूजों में होने वाला जूल तापन फ्यूज को पिघला देता है जिससे विद्युत परिपथ टूट जाता है।

Bhagya
Last Updated on May 31, 2022, 10 a.m.
Published May 7, 2022