Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार Important Questions and Answers.
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वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
'खतरे' के संकेत (सिग्नल) के लिए किस रंग का प्रकाश प्रयुक्त होता है?
(अ) बैंगनी
(ब) नीला
(स) लाल
(द) हरा
उत्तर:
(स) लाल
प्रश्न 2.
मानव आँख विभिन्न स्थितियों में स्थित वस्तुओं का स्पष्ट प्रतिबिम्ब बनाने में सक्षम है। इसका कारण है:
(अ) अबिन्दुकता
(ब) समंजन क्षमता
(स) जरा - दूरदर्शिता
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) समंजन क्षमता
प्रश्न 3.
रेटिना पर किसी वस्तु का प्रतिबिंब बनता है:
(अ) सीधा एवं वास्तविक
(ब) सीधा एवं आभासी
(स) उल्टा एवं आभासी
(द) उल्टा एवं वास्तविक
उत्तर:
(द) उल्टा एवं वास्तविक
प्रश्न 4.
नेत्र लैंस की फोकस दूरी निकट तथा दूर स्थित वस्तु को स्पष्ट रूप से देखने के लिये परिवर्तित होती है। यह प्रक्रिया सम्पन्न होती है:
(अ) रैटिना द्वारा
(ब) आयरिस द्वारा
(स) दृक तंत्रिका द्वारा
(द) पक्ष्माभी पेशियों द्वारा
उत्तर:
(द) पक्ष्माभी पेशियों द्वारा
प्रश्न 5.
एक साधारण माइक्रोस्कोप में प्रयोग किया जाता है:
(अ) उत्तल लैंस जिसकी फोकस दूरी अधिक हो
(ब) कम फोकस दूरी का उत्तल लैंस
(स) अधिक फोकस दूरी का अवतल लैंस
(द) कम फोकस दूरी का अवतल लैंस
उत्तर:
(ब) कम फोकस दूरी का उत्तल लैंस
प्रश्न 6.
आकाश का नीला रंग होने का कारण है:
(अ) प्रकाश का परावर्तन
(ब) प्रकाश का अपवर्तन
(स) प्रकाश का प्रकीर्णन
(द) प्रकाश का परिक्षेपण
उत्तर:
(स) प्रकाश का प्रकीर्णन
प्रश्न 7.
जब प्रकाश प्रिज्म में से होकर गुजरता है तब सबसे अधिक विचलन होता है:
(अ) पीले रंग में
(ब) लाल रंग में
(स) बैंगनी रंग में
(द) नारंगी रंग में
उत्तर:
(स) बैंगनी रंग में
प्रश्न 8.
इन्द्रधनुष के बनने का कारण है:
(अ) केवल प्रकाश का विचलन
(ब) केवल प्रकाश का अपवर्तन
(स) पानी की बूंद से प्रकाश का परावर्तन तथा विचलन
(द) पानी की बूंद में प्रकाश का परावर्तन, अपवर्तन तथा प्रकाश का विचलन
उत्तर:
(द) पानी की बूंद में प्रकाश का परावर्तन, अपवर्तन तथा प्रकाश का विचलन
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मानव नेत्र के उस भाग का नाम लिखें, जो मानव नेत्र में प्रवेश होने वाली प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करता है।
उत्तर:
पुतली।
प्रश्न 2.
आँख की पुतली के आकार को कौन नियंत्रित करता है?
उत्तर:
परितारिका गहरा पेशीय डायफ्राम होता है जो पुतली के साइज को नियंत्रित करता है।
प्रश्न 3.
मोतियाबिन्द की शल्य चिकित्सा के बाद आँख में प्रयुक्त लैंस का नाम लिखिए।
उत्तर:
इण्ट्राऑक्यूलर लैंस (IOL)
प्रश्न 4.
मोतियाबिंद (Cataract) क्या होता है?
उत्तर:
कभी - कभी अधिक आयु के कुछ व्यक्तियों के नेत्र का क्रिस्टलीय लेंस दूधिया तथा धुंधला हो जाता है। इस स्थिति को मोतियाबिंद कहते हैं।
प्रश्न 5.
जरा दृष्टि दोष का निवारण के लिए किस प्रकार का चश्मा उपयोग में लाया जाता है?
उत्तर:
द्विफोकसी लैंस युक्त चश्मे का।
प्रश्न 6.
लैंस की क्षमता का मात्रक लिखिए।
उत्तर:
लैंस की क्षमता का मात्रक डायोप्टर है।
लैंस' की क्षमता P = \(\frac{1}{f}\) डायोप्टर
f लैंस की फोकस दूरी है, जिसे मीटर में मापते हैं।
प्रश्न 7.
कॉर्निया या स्वच्छ मंडल किसे कहते हैं?
उत्तर:
मानव नेत्र में प्रकाश एक पतली झिल्ली से होकर प्रवेश करता है। इस झिल्ली को कॉर्निया या स्वच्छ मंडल कहते हैं।
प्रश्न 8.
आयरिस क्या है?
उत्तर:
आयरिस एक वृत्ताकार डायफ्राम होता है, जिसके केन्द्र में एक छिद्र (सुराख) होता है। इस छिद्र को तारा (अथवा पुतली) कहते हैं।
प्रश्न 9.
समंजन किसे कहते हैं?
उत्तर:
अभिनेत्र लैंस की वह क्षमता जिसके कारण वह अपनी फोकस दूरी को समायोजित कर लेता है, समंजन कहलाती है।
प्रश्न 10.
निकट बिन्दु से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
वह न्यूनतम दूरी जिस पर रखी कोई वस्तु बिना किसी तनाव के अत्यधिक स्पष्ट देखी जा सकती है उसे नेत्र का निकट - बिंदु कहते हैं।
प्रश्न 11.
अभिनेत्र लेंस किससे बना होता है?
उत्तर:
अभिनेत्र लेंस रेशेदार जेलीवत पदार्थ का बना होता है।
प्रश्न 12.
न्यूनतम दूरी किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक सामान्य आँख के लिये निकट बिन्दु की आँख से दूरी 25 सेमी. होती है। इस दूरी को स्पष्ट दृष्टि के लिये न्यूनतम दूरी कहते हैं।
प्रश्न 13.
दृष्टि परिसर किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी आँख के निकट बिन्दु तथा दूर बिन्दु (far point) के बीच की दूरी को दृष्टि परिसर कहते हैं। सामान्य आँख के लिये यह 25 सेमी. से अनन्त तक है।
प्रश्न 14.
हमारी आँख की पक्ष्माभी पेशियाँ -
(i) सबसे अधिक शिथिल अवस्था में होती हैं,
(ii) सब से अधिक सिकुड़ जाती हैं। हमारी आँख के लैंस की फोकस दूरी इन दोनों अवस्थाओं में से किस अवस्था में अधिक होती है?
उत्तर:
हमारी आँख के लैंस की फोकस दूरी सबसे अधिक तब होती है जब पक्ष्माभी पेशियाँ शिथिल अवस्था में होती हैं।
प्रश्न 15.
आँख द्वारा किसी वस्तु का छोटा या बड़ा दिखाई देना किस पर निर्भर करता है?
उत्तर:
वस्तु द्वारा आँख पर बना कोण।
प्रश्न 16.
खतरे के संकेत (सिग्नल) का प्रकाश लाल रंग का क्यों होता है?
उत्तर:
क्योंकि लाल रंग कुहरे या धुएँ से सबसे कम प्रकीर्ण होता है, इसलिए दूर से देखने पर भी यह लाल रंग का ही दिखाई देता है।
प्रश्न 17.
दूर दृष्टि दोष किस कारण उत्पन्न होता है?
उत्तर:
प्रश्न 18.
दूर दृष्टि दोष किससे दूर किया जाता है?
उत्तर:
उत्तल (अभिसारी) लैंस के प्रयोग से दूर किया जाता है।
प्रश्न 19.
निकट - दृष्टि दोष किस कारण उत्पन्न होता है?
उत्तर:
प्रश्न 20.
जरा - दूरदृष्टिता दोष का क्या कारण है?
उत्तर:
यह पक्ष्माभी पेशियों के धीरे - धीरे दुर्बल होने तथा क्रिस्टलीय लेंस के लचीलेपन में कमी आने के कारण उत्पन्न होता है।
प्रश्न 21.
आजकल दृष्टि दोषों का संशोधन किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
आजकल संस्पर्श लेंस (contact lens) अथवा शल्य हस्तक्षेप द्वारा दृष्टि दोषों का संशोधन संभव है।
प्रश्न 22.
नेत्रों का एक युगल, कॉर्निया अंधता से पीड़ितकितने व्यक्तियों को दृष्टि प्रदान कर सकता है?
उत्तर:
नेत्रों का एक युगल, कॉर्निया अंधता से पीड़ित चार व्यक्तियों तक को दृष्टि प्रदान कर सकता है।
प्रश्न 23.
विचलन कोण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
किसी प्रकाश की किरण का विचलन कोण आपतित किरण तथा निर्गमित किरणों के बीच के कोण के पदों में परिभाषित किया जाता है।
प्रश्न 24.
वह कौनसा रंग है जिसके लिये प्रकाश का विचलन कोण न्यूनतम तथा अधिकतम होता है?
उत्तर:
लाल रंग के प्रकाश का विचलन कोण न्यूनतम तथा बैंगनी रंग के प्रकाश का विचलन कोण महत्तम होता है।
प्रश्न 25.
स्पेक्ट्रम किसे कहते हैं?
उत्तर:
सफेद रंग के प्रकाश से प्राप्त सात रंगों की पट्टी को स्पेक्ट्रम कहते हैं।
प्रश्न 26.
परिक्षेपण या विक्षेपण क्या है?
उत्तर:
श्वेत प्रकाश का इसके अवयवी वर्गों में विभाजन विक्षेपण कहलाता है।
प्रश्न 27.
प्रकाश का सात रंगों में बदल जाने का पता सबसे पहले कौन से वैज्ञानिक ने लगाया था?
उत्तर:
सर आइजिक न्यूटन ने।
प्रश्न 28.
आकाश में इन्द्रधनुष किसके कारण से बनता है?
उत्तर:
आकाश में इन्द्रधनुष वायुमण्डल में उपस्थित जल की सूक्ष्म बूंदों द्वारा सूर्य के प्रकाश के परिक्षेपण के कारण बनता है।
प्रश्न 29.
प्रकीर्णक किसे कहते हैं?
उत्तर:
परमाणु अथवा कण जो प्रकाश का प्रकीर्णन करते हैं, प्रकीर्णक कहलाते हैं।
प्रश्न 30.
लाल रंग के प्रकाश की प्रकीर्णन तीव्रता नीले अथवा बैंगनी रंग के प्रकाशों की प्रकीर्णन तीव्रता से कम क्यों होती है?
उत्तर:
इसका कारण यह है कि लाल रंग के प्रकाश की तरंगदैर्घ्य नीले अथवा बैंगनी रंग के प्रकाश की तरंगदैर्घ्य से अधिक होती है।
प्रश्न 31.
बादल सफेद रंग के क्यों दिखाई देते हैं?
उत्तर:
क्योंकि सभी प्रकार के रंगों का प्रकीर्णन बादल में ही होता है। परिणामतः हमें बादल सफेद रंग में दिखाई देता है।
प्रश्न 32.
पृथ्वी के पर्यावरण में नीले तथा लाल प्रकाश में से किसका प्रकीर्णन अधिक होता है?
उत्तर:
नीले प्रकाश का प्रकीर्णन अधिक होता है।
प्रश्न 33.
प्रसिद्ध परिवर्णी शब्द 'VIBGYOR' क्या दर्शाता है?
उत्तर:
VIBGYOR शब्द प्रकाश के अवयवी वर्गों को संक्षेप में दर्शाता है। यह बैंगनी (Violet), जामुनी (Indigo), नीला (Blue), हरा (Green), पीला (Yellow), नारंगी (Orange), तथा लाल (Red) को मिलाकर बना है।
प्रश्न 34.
एक प्राकृतिक स्पेक्ट्रम का उदाहरण दीजिए?
उत्तर:
इंद्रधनुष वर्षा के पश्चात् आकाश में जल के सूक्ष्म कणों में दिखाई देने वाला प्राकृतिक स्पेक्ट्रम है।
प्रश्न 35.
इंद्रधनुष सदैव किस दिशा में बनता है?
उत्तर:
इंद्रधनुष सदैव सूर्य के विपरीत दिशा में बनता है।
प्रश्न 36.
वास्तविक सूर्यास्त तथा आभासी सूर्यास्त के बीच कितने समय का अंतर होता है?
उत्तर:
वास्तविक सूर्यास्त तथा आभासी सूर्यास्त के बीच समय का अंतर लगभग 2 मिनट है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
ड्राइवर को रात्रि में किस प्रकार के प्रकाश पुंज का प्रयोग करना चाहिए एवं क्यों? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ड्राइवर को रात्रि में मंद प्रकाश पुंज (Lowbeam of Light) का उपयोग करना चाहिए जिससे सामने आने वाले वाहनों के ड्राइवर की आँखों में तेज प्रकाश पुंज नहीं पड़े। तेज प्रकाश पुंज के कारण सामने आने वाले वाहन के ड्राइवर की आँखें चौंधियाँ जाती हैं, जिसके कारण दुर्घटना की सम्भावना रहती है।
प्रश्न 2.
दृष्टि के लिए हमारे दो नेत्र क्यों हैं, केवल एक क्यों नहीं? इस तथ्य को निम्न आधारों पर स्पष्ट कीजिए
(अ) दृष्टि - क्षेत्र
(ब) विमीय आधार पर।
उत्तर:
दो आँखें, एक आँख से बेहतर होती हैं। इसके निम्न लाभ हैं:
प्रश्न 3.
प्रिज्म से प्रकाश अपवर्तन का किरण चित्र बनाइए तथा श्वेत प्रकाश विक्षेपण की परिघटना को समझाइए।
उत्तर:
श्वेत प्रकाश की कोई किरण जब किसी प्रिज्म में से अपवर्तित होती है तब प्रत्येक रंग विभिन्न प्रभावों में अपवर्तित हो जाता है। इसी कारण श्वेत प्रकाश की कोई किरण जब किसी प्रिज्म में से होकर गुजरती है तब उसके विभिन्न घटक रंग विभिन्न कोणों में प्रिज्म से बाहर निकलते हैं। इसी कारण श्वेत रंग का परिक्षेपण होता है।
प्रश्न 4.
दृष्टि तंत्र के किसी भाग के क्षतिग्रस्त होने पर क्या होता है? समझाइए।
उत्तर:
दृष्टि तंत्र के किसी भी भाग के क्षतिग्रस्त होने अथवा कुसंक्रियाओं से दृष्टि प्रकार्यों में सार्थक क्षति हो सकती है। उदाहरण के लिए, प्रकाश संचरण में सम्मिलित कोई भी संरचना जैसे कॉर्निया, पुतली, अभिनेत्र लेंस, नेत्रोद तथा काचाभ द्रव अथवा रेटिना जैसी संरचना जो प्रकाश को विद्युत सिग्नल में परिवर्तित करती है या दृक् तंत्रिका जो इन सिग्नलों को मस्तिष्क तक पहुँचाती है, भी क्षतिग्रस्त होने पर चाक्षुष - विकृति उत्पन्न करती है।
प्रश्न 5.
0.5 मीटर फोकस दूरी पर लैंस की क्षमता ज्ञात करो।
उत्तर:
लैंस की क्षमता:
P = \(\frac{1}{f}\) डायोप्टर
जहाँ
f = 0.5 मीटर
P =\( \frac{1}{0.5}\)=\(\frac{10}{5}\)=2
P = 2 डायोप्टर
प्रश्न 6.
एक 14 वर्षीय छात्र, उससे 5 मीटर दूर रखे श्यामपट्ट पर लिखे प्रश्न को स्पष्ट नहीं देख पाता:
(क) दृष्टि दोष का नाम बताइए जिससे वह प्रभावित है।
(ख) नामांकित रेखाचित्र की सहायता से प्रदर्शित कीजिए कि कैसे इस दोष का निवारण हो सकता है?
उत्तर:
(क) छात्र 5 मीटर दूर रखे श्यामपट्ट को स्पष्ट नहीं देख पाता है, अतः छात्र निकट दृष्टि दोष (मायोपिया) से पीड़ित है।
(ख) निकट दृष्टि दोष का निवारण अवतल (अपसारी) लैंस के चश्मे के उपयोग से हो सकता है, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है:
दूर से आने वाली किरणें
व्याख्या: दूर से आने वाली किरणें अवतल लैंस से अपवर्तन के पश्चात् बिन्दु F से आती हुई प्रतीत होती हैं। इससे ये किरणें नेत्र द्वारा अपवर्तित होकर रेटिना R पर वस्तु का प्रतिबिम्ब बनाती हैं और वस्तु को नेत्र स्पष्ट देख पाते हैं।
प्रश्न 7.
अभिनेत्र लेंस क्या है? इसके आकार में परिवर्तन से देखने की क्षमता पर क्या प्रभाव पड़ता है? समझाइए।
उत्तर:
भिनेत्र लेंस, नेत्र में पाया जाने वाला लेंस है जो रेशेदार जेलीवत पदार्थ का बना होता है। यह रेटिना पर किसी वस्तु का उल्टा तथा वास्तविक प्रतिबिंब बनाता है। अभिनेत्र लेंस की वक्रता में कुछ सीमाओं तक पक्ष्माभी पेशियों द्वारा रूपान्तरण किया जा सकता है। अभिनेत्र लेंस की वक्रता में परिवर्तन होने पर इसकी फोकस दूरी भी परिवर्तित हो जाती है। जब पेशियाँ शिथिल होती है तो अभिनेत्र लेंस पतला हो जाता है।
इस प्रकार इसकी फोकस दूरी बढ़ जाती है। इस स्थिति में हम दूरी रखी वस्तुओं को स्पष्ट देख पाने में समर्थ होते हैं। जब आप आँख के निकट की वस्तुओं को देखते हैं तब पक्ष्माभी पेशियाँ सिकुड़ जाती है। इससे अभिनेत्र लेंस की वक्रता बढ़ जाती है। अभिनेत्र लेंस अब मोटा हो जाता है। परिणामस्वरूप, अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी घट जाती है। इससे हम निकट रखी वस्तुओं को स्पष्ट देख सकते है।
प्रश्न 8.
सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य की चक्रिका चपटी क्यों दिखाई देती है?
उत्तर:
वायुमण्डलीय अपवर्तन के कारण सूर्य हमें वास्तविक सूर्योदय से लगभग 2 मिनट पहले दिखाई देने लगता है तथा वास्तविक सूर्यास्त के लगभग 2 मिनट बाद तक दिखाई देता है। वास्तविक सूर्योदय से अर्थ है - सूर्य द्वारा वास्तव में क्षितिज को पार करना। वास्तविक सूर्यास्त और आभासी सूर्यास्त के बीच समय का अन्तर लगभग 2 मिनट होता है। इसी परिघटना के कारण ही सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सूर्य की चक्रिका चपटी प्रतीत होती है।
प्रश्न 9.
(अ) टिंडल प्रभाव क्या है?
(ब) स्वच्छ आकाश का रंग नीला क्यों होता है?
उत्तर:
(अ) पृथ्वी का वायुमण्डल सूक्ष्म कणों का एक विषमांगी मिश्रण है। इन कणों में धुआँ, जल की सूक्ष्म बूंदें, धूल के निलंबित कण तथा वायु के अणु सम्मिलित होते हैं। जब कोई प्रकाश किरण पुंज ऐसे महीन कणों से टकराता है तो उस किरण पुंज का मार्ग दिखाई देने लगता है। इन कणों से विसरित प्रकाश परावर्तित होकर हमारे पास तक पहुंचता है। कोलॉइडी कणों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन को टिण्डल प्रभाव कहते हैं।
उदाहरण:
(ब) वायुमण्डल में वायु के अणु तथा अन्य सूक्ष्म कणों का साइज दृश्य प्रकाश की तरंगदैर्घ्य के प्रकाश की अपेक्षा नीले रंग की ओर कम तरंगदैर्घ्य के प्रकाश को प्रकीर्णित करने में अधिक प्रभावी है। लाल रंग के प्रकाश की तरंगदैर्घ्य नीले प्रकाश की अपेक्षा लगभग 1.8 गुनी है।
अतः जब सूर्य का प्रकाश वायुमण्डल से गुजरता है, वायु के सूक्ष्म कण लाल रंग की अपेक्षा नीले रंग (छोटी तरंगदैर्घ्य) को अधिक प्रबलता से प्रकीर्ण करते हैं। प्रकीर्णित हुआ यह नीला प्रकाश हमारे नेत्रों में प्रवेश करता है, इसलिए स्वच्छ आकाश का रंग नीला दिखाई देता है।
प्रश्न 10.
प्रकाश की एक किरण प्रिज्म से होकर गुजरती है और पर्दे पर एक स्पेक्ट्रम प्राप्त होता है:
(क) एक चित्र बनाइए जो सफेद प्रकाश का स्पेक्ट्रम प्रदर्शित करता है।
(ख) स्पेक्ट्रम के सात रंगों का क्रम से नाम बताइए।
(ग) स्पेक्ट्रम के किस रंग का विचलन सबसे अधिक व किसका सबसे कम होता है?
उत्तर:
(क) एक चित्र बनाइए जो सफेद प्रकाश का स्पेक्ट्रम प्रदर्शित करता है:
(ख) स्पेक्ट्रम के सात रंगों का क्रम: (ऊपर से नीचे की ओर) लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, जामुनी और बैंगनी।
(ग) सबसे अधिक विचलन बैंगनी (Violet) रंग का एवं सबसे कम विचलन लाल (Red) रंग का होता है।
प्रश्न 11.
'मोतियाबिंद' (cataract) से आप क्या समझते है? क्या इसका उपचार संभव है?
उत्तर:
कभी - कभी अधिक आयु के कुछ व्यक्तियों के नेत्र का क्रिस्टलीय लेंस दूधिया तथा धुंधला हो जाता है। इस स्थिति को मोतियाबिंद कहते हैं। इसके कारण नेत्र की दृष्टि में कमी या पूर्ण रूप से दृष्टि क्षय हो जाता है। मोतियाबिंद की शल्य चिकित्सा के पश्चात् दृष्टि का वापस लौटना संभव है।
प्रश्न 12.
'रेटिना' क्या है? इसका कार्य समझाइए।
उत्तर:
रेटिना नेत्र में पायी जाने वाली एक कोमल सूक्ष्म झिल्ली होती है जिस पर देखे जाने वाली वस्तु का प्रतिबिंब बनता है। इस झिल्ली में वृहत संख्या में प्रकाश - सुग्राही कोशिकाएँ होती है। प्रदीप्ति होने पर प्रकाश - सुग्राही कोशिकाएँ सक्रिय हो जाती है तथा विद्युत सिग्नल उत्पन्न करती है। ये सिग्नल दृक् तंत्रिकाओं द्वारा मस्तिष्क तक पहुंचा दिए जाते हैं। मस्तिष्क इन सिग्नलों की व्याख्या करता है तथा अंततः इस सूचना को संसाधित करता है जिससे कि हम किसी वस्तु को जैसा है, वैसा ही देख लेते हैं।
प्रश्न 13.
निकट - दृष्टि तथा दीर्घ - दृष्टि दोषयुक्त नेत्र का किरण चित्र बनाइए। सुस्पष्ट दर्शन की न्यूनतम दूरी का मान लिखिए।
उत्त:
(i)
(ii) सुस्पष्ट दर्शन की न्यूनतम दूरी का मान एक स्वस्थ मनुष्य में 25 cm होता है।
प्रश्न 14.
द्विफोकसी लेंस (Bi-focal lens) क्या होते हैं? इनकी क्या उपयोगिता है?
उत्तर:
सामान्य प्रकार के द्विफोकसी लेंसों में अवतल तथा उत्तल दोनों लेंस होते हैं। ऊपरी भाग अवतल लेंस होता है। यह दूर की वस्तुओं को सुस्पष्ट देखने में सहायता करता है। निचला भाग उत्तल लेंस होता है। यह पास की वस्तुओं को सुस्पष्ट देखने में सहायक होता है। इन लेंसों का उपयोग उन व्यक्तियों के लिए करते हैं जिन्हें निकट दृष्टि तथा दूर - दृष्टि दोनों ही प्रकार के दोष होते हैं।
प्रश्न 15.
इन्ट्रा - ऑक्यूलर लैंस के बारे में आप क्या जानते हैं? समझाइये।
उत्तर:
कभी - कभी अधिक आयु के कुछ व्यक्तियों में नेत्र का क्रिस्टलीय लैंस दूधिया तथा धुंधला हो जाता है। इस स्थिति को मोतियाबिन्द कहते हैं। मोतियाबिन्द लक्षण को दूर करने के लिए मरीज की आँख में इन्ट्रा - ऑक्यूलर लैंस (कृत्रिम लैंस) लगाया जाता है। इस विधि में मोतियाबिन्द को हटाकर पीछे वाली पतली झिल्ली के आगे कृत्रिम लैंस प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। इस विधि में आँख में चीरा कम आता है तथा मोटे चश्मे की आवश्यकता भी नहीं होती है और देखने का क्षेत्र पूरा होता है।
प्रश्न 16.
जब हम तीव्र रोशनी से एक बहुत कम रोशनी वाले कमरे में प्रवेश करते हैं तब हम कमरे में रखी वस्तुओं को कुछ समय के लिये नहीं देख पाते हैं। व्याख्या कीजिये, क्यों?
उत्तर:
जब प्रकाश अत्यधिक चमकीला होता है, तो परितारिका सिकुड़ कर पुतली को छोटा बना देती है, जिससे आँख में कम प्रकाश प्रवेश कर सके। जब हम तीव्र प्रकाश से किसी मंद प्रकाश वाले कमरे में प्रवेश करते हैं, तब आरम्भ में कुछ देर तक हम कमरे में रखी वस्तुओं को नहीं देख पाते हैं क्योंकि आँख की पुतली को पुन: फैलने में कुछ समय लगता है। मंद प्रकाश में परितारिका फैलकर पुतली को बड़ा बना देती है, जिससे आँख में अधिक प्रकाश प्रवेश कर सके । इस प्रकार मंद प्रकाश में परितारिका की शिथिलता से पुतली पूर्ण रूप से खुल जाती है और हम वस्तुओं को देख पाते हैं।
प्रश्न 17.
'नेत्र बैंक' (Eye Bank) क्या है?
उत्तर:
नेत्र बैंक दान किए गए नेत्रों को एकत्रित करता है, उनका मूल्यांकन करता है, तथा उन्हें वितरित करता है। सभी दान किए गए नेत्रों का चिकित्सा के उच्च मानदंडों द्वारा मूल्यांकन किया जाता है। प्रत्यारोपण के मानकों पर खरे न उतरने वाले नेत्रों को महत्वपूर्ण अनुसंधान एवं चिकित्सा शिक्षा के लिए प्रयोग किया जाता है। दानकर्ता तथा नेत्र लेने वाले दोनों की पहचान को गुप्त रखा जाता है।
प्रश्न 18.
दूर दृष्टि दोष को दूर करने वाले उत्तल लैंस की फोकस दूरी और उसकी क्षमता को कैसे ज्ञात करते हैं? बताइये।
उत्तर:
माना दूर दृष्टि के रोगी द्वारा देखी जाने वाली वस्तु O पर है, जिसकी नेत्र से दूरी 25 सेमी है। (जो कि स्पष्ट दृष्टि के लिये न्यूनतम दूरी है।) ऐनक में प्रयोग किया जाने वाला उत्तल (अभिसारी) लैंस इस बिन्दु का प्रतिबिम्ब O' पर बनाता है। (यह दोषयुक्त आँख का निकट बिन्दु है।) अतः u = – 25 सेमी.
और
v = -d
लैंस सूत्र से:
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\)
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{-d}-\left(\frac{1}{-25}\right)=\frac{1}{-d}+\frac{1}{25}\)
हम ऐनक में प्रयुक्त उत्तल लैंस की फोकस दूरी उपर्युक्त सूत्र से ज्ञात कर सकते हैं।
लैंस की क्षमता सूत्र:
P = में से प्राप्त होती है।
प्रश्न 19.
जब श्वेत प्रकाश प्रिज्म से गुजरता है तो इसके सात अवयवी वर्ण क्यों प्राप्त होते हैं?
उत्तर:
जब श्वेत प्रकाश प्रिज्म से गुजरता है तो यह प्रिज्म द्वारा इसके सात अवयवी वर्गों में विक्षेपित हो जाता है। इसका कारण यह है कि किसी प्रिज्म से गुजरने के पश्चात्, प्रकाश के विभिन्न वर्ण, आपतित किरण के सापेक्ष अलग - अलग कोणों पर झुकते (मुड़ते) हैं। लाल प्रकाश सबसे कम झुकता है जबकि बैंगनी सबसे अधिक झुकता है। इसलिए प्रत्येक वर्ण की किरणें अलग - अलग पथों के अनुदिश निर्गत होती हैं तथा सुस्पष्ट दिखाई देती हैं।
प्रश्न 20.
निकट दृष्टि दोष को दूर करने के लिये प्रयुक्त अवतल लैंस की फोकस दूरी और उसकी क्षमता को किस प्रकार से ज्ञात कर सकते हैं? बताइये।
उत्तर:
निकट दृष्टि दोष को दूर करने के लिये प्रयुक्त अवतल लैंस की फोकस दूरी तथा क्षमता - निकट दृष्टि दोष के निवारण में प्रयुक्त अवतल लैंस अनन्त पर स्थित वस्तु से आने वाली तथा आँख में प्रवेश करने वाली किरणों का अपसरण करता है। माना यह लैंस दोषयुक्त आँख में प्रकाश की किरणों का (O) से आने का आभास देता है। माना इस दूर बिन्दु की आँख से दूरी ('d') है। प्रतिबिम्ब अनन्त (∝) पर स्थित है तथा प्रतिबिम्ब d दूरी पर बनता है अर्थात्
u = ∝ तथा v = -d
लैंस सूत्र से:
\(\begin{aligned} &\frac{1}{f}=-\frac{1}{u}+\frac{1}{v} \\ &\frac{1}{f}=-\frac{1}{\infty}+\frac{1}{(-d)} \end{aligned}\)
या
\(\frac{1}{f}=-\frac{1}{d}\) .....(i)
अतः समीकरण (i) का प्रयोग करके हम निकट दृष्टि दोष के निवारण में प्रयुक्त अवतल लैंस की फोकस दूरी ज्ञात कर सकते हैं।
लैंस की क्षमता,
P = से ज्ञात कर सकते हैं।
प्रश्न 21.
प्रकीर्णित प्रकाश का वर्ण किस पर निर्भर करता है?
उत्तर:
प्रकीर्णित प्रकाश का वर्ण, प्रकीर्णन करने वाले कणों के साइज पर निर्भर करता है। अत्यंत सूक्ष्म कण मुख्य रूप से नीले प्रकाश को प्रकीर्ण करते हैं जबकि बड़े साइज के कण अधिक तरंगदैर्ध्य के प्रकाश को प्रकीर्ण करते हैं। यदि प्रकीर्णन करने वाले कणों का साइज बहुत अधिक है तो प्रकीर्णित प्रकाश श्वेत भी प्रतीत हो सकता है।
प्रश्न 22.
आपतित किरण, अपवर्तित किरण, निर्गत किरण तथा विचलन कोण को दर्शाने के लिये एक चित्र आरेख बनाइये।
अथवा
काँच के त्रिभुज प्रिज्म से प्रकाश का अपवर्तन का चित्र आरेख खींचिये।
उत्तर:
चित्र में दर्शाए अनुसार आपतन कोण (∠i), अपवर्तन कोण (∠r) तथा निर्गत कोण (∠e) को चिन्हित किया गया है।
PE - आपतित किरण , ∠i - आपतन कोण
EF - अपवर्तित किरण , ∠r - अपवर्तन कोण
FS - निर्गत किरण , ∠e- निर्गत कोण
∠A - प्रिज्म कोण
∠D - विचलन कोण
प्रश्न 23.
एक प्रकाश की किरण प्रिज्म में कितनी बार अपवर्तित होती है और प्रत्येक बार अपवर्तित किरण की दिशा क्या होगी?
उत्तर:
जब प्रकाश की किरण प्रिज्म से गुजरती है तो यह दो बार अपवर्तित होती है - एक बार तब, जब यह हवा से काँच में प्रवेश करती है तथा दूसरी बार तब, जब यह काँच से हवा में प्रवेश करती है। प्रत्येक बार यह प्रिज्म के आधार की तरफ मुड़ती है।
प्रश्न 24.
आग या भट्टी के ऊपर झिलमिलाहट क्यों दिखाई देती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आग या भट्टी अथवा किसी ऊष्मीय विकिरक के ऊपर उठती गरम वायु के विक्षुब्ध प्रवाह में धूल के कणों की आभासी, अनियमित, अस्थिर गति अथवा झिलमिलाहट दिखाई देती है। आग के तुरंत ऊपर की वायु अपने ऊपर की वायु की तुलना में अधिक गरम हो जाती है।
गरम वायु अपने ऊपर की ठंडी वायु की तुलना में हल्की (कम सघन) होती है तथा इसका अपवर्तनांक ठंडी वायु की अपेक्षा थोड़ा कम होता है। क्योंकि अपवर्तक माध्यम (वायु) की भौतिक अवस्थाएँ स्थिर नहीं है, इसलिए गरम वायु में से होकर देखने पर वस्तु की आभासी स्थिति परिवर्तित होती रहती है जिससे झिलमिलाहट दिखाई देती है।
प्रश्न 25.
प्रकाश का वर्ण विक्षेपण किसे कहते हैं ?
उत्तर:
प्रकाश का वर्ण विक्षेपण-सूर्य का प्रकाश जब काँच के प्रिज्म में से होकर गुजरता है तो उसके दूसरी ओर स्थापित एक पर्दे पर सप्तवर्ण प्रतिरूप प्राप्त होता है। इस वर्ण - प्रतिरूप को स्पेक्ट्रम कहते हैं। सूर्य के स्पेक्ट्रम में विभिन्न वर्णों का क्रम इस प्रकार होता है: लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, जामुनी तथा बैंगनी।
“विविध वर्गों में श्वेत प्रकाश के वियोजन अर्थात् पृथक्कन को वर्ण - विक्षेपण कहते हैं।"
प्रश्न 26.
किसी प्रिज्म से होकर जाने वाली प्रकाश की किरण का विचलन कोण को किस प्रकार से । परिभाषित करते हैं? समझाइये।
उत्तर:
जब प्रकाश कि किरण किसी प्रिज्म में से गुजरती है तो प्रिज्म की विशेष आकृति के कारण निर्गत किरण आपतित किरण की दिशा से एक कोण बनाती है जिसे विचलन कोण कहते हैं।
विशेषताएँ:
प्रश्न 27.
सफेद प्रकाश का पुंज एक प्रिज्म पर गिरने के पश्चात् सात रंगों में विभाजित हो जाता है। इन रंगों को 1 से 7 तक अंकित किया गया है, जैसा चित्र में दर्शाया गया है। एक छात्र परदे पर बने वर्ण क्रम (स्पैक्ट्रम) को देखकर निम्नलिखित बयान देता है:
(a) कौनसी दो स्थितियों के रंग
(i) पोटैशियम परमैंगनेट के घोल के रंग
(ii) खतरे के निशान के रंग के समान होते हैं?
उत्तर:
1 से 7 तक अंकित रंगों के नाम क्रमशः निम्न हैं:
(i) नम्बर 6 पर जामुनी रंग है, जो पोटैशियम परमैंगनेट के घोल का रंग होता है।
(ii) नम्बर 1 पर लाल रंग है, जो खतरे के निशान का रंग होता है।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मानव के नेत्र का नामांकित चित्र बनाकर इसकी संरचना एवं देखने की क्रियाविधि को समझाइए।
उत्तर:
मानव नेत्र की संरचना:
मानव नेत्र एक कैमरे की भाँति है। इसका लेंस निकाय एक प्रकाश - सुग्राही परदे, जिसे रेटिना या दृष्टिपटल कहते हैं, पर प्रतिबिंब बनाता है। प्रकाश एक पतली झिल्ली से होकर नेत्र में प्रवेश करता है। इस झिल्ली को कॉर्निया या स्वच्छ मंडल कहते हैं। यह झिल्ली नेत्र गोलक के अग्र पृष्ठ पर एक पारदर्शी उभार बनाती है। नेत्र गोलक की आकृति लगभग गोलाकार होती है तथा इसका व्यास लगभग 2.3 सेमी. होता है। नेत्र में प्रवेश करने वाली प्रकाश किरणों का अधिकांश अपवर्तन कॉर्निया के बाहरी पृष्ठ पर होता है।
क्रिस्टलीय लेंस केवल विभिन्न दूरियों पर रखी वस्तुओं को रेटिना पर फोकसित करने के लिए आवश्यक फोकस दूरी में सूक्ष्म समायोजन करता है। कॉर्निया के पीछे एक संरचना होती है जिसे परितारिका कहते हैं। परितारिका गहरा पेशीय डायफ्राम होता है जो पुतली के साइज को नियंत्रित करता है। पुतली नेत्र में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करती है। अभिनेत्र लेंस रेटिना पर किसी वस्तु का उल्टा तथा वास्तविक प्रतिबिंब बनाता है।
नेत्र द्वारा देखने की क्रियाविधि - रेटिना एक कोमल सक्ष्म झिल्ली होती है जिसमें वृहत संख्या में प्रकाश - सुग्राही कोशिकाएँ होती है। प्रदीप्ति होने पर प्रकाश सुग्राही कोशिकाएँ सक्रिय हो जाती है तथा विद्युत सिग्नल उत्पन्न करती है। ये सिग्नल दृक् तंत्रिकाओं द्वारा मस्तिष्क तक पहुँचा दिए जाते हैं। मस्तिष्क इन सिग्नलों की व्याख्या करता है तथा अंततः इस सूचना को संसाधित करता है जिससे कि हम किसी वस्तु को जैसा है, वैसा ही देख लेते हैं |
प्रश्न 2.
आँख के प्रमुख दोषों का वर्णन कीजिये तथा उसका निवारण समझाइये।
उत्तर:
दृष्टि दोष तथा उनका निवारण:
जब किसी नेत्र की दृष्टि परास अर्थात् समंजन सीमाएँ 0.25 मीटर से अनन्त तक नहीं होती हैं तो उस नेत्र को दोषयुक्त नेत्र कहते हैं।
नेत्र में दृष्टि सम्बन्धी अग्र प्रकार के दोष होते हैं:
1. निकट दृष्टि दोष (Myopia or short-sightedness):
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति की आँख निकट की वस्तु को साफ देख सकती है, लेकिन दूर की वस्तु को स्पष्ट नहीं देख सकती है। इस दोष से पीड़ित आँख में बिम्ब दृष्टिपटल के पूर्व ही बन जाता है। इस दोष के उत्पन्न होने के कारण हैं:
इस दोष को किसी उपयुक्त क्षमता के अवतल (अपसारी) लैंस के उपयोग द्वारा संशोधित किया जा सकता है। उपयुक्त क्षमता का अवतल लैंस वस्तु के प्रतिबिम्ब को वापस दृष्टिपटल (रेटिना) पर ले आता है। इस प्रकार इस दोष का संशोधन हो जाता है।
(2) दूर दृष्टि दोष (Hypermetropia or long-sightedness):
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति की आँख दूर की वस्तु को स्पष्ट देख सकती है लेकिन निकट की वस्तु को साफ नहीं देख सकती है। इसमें वस्तु का बिम्ब दृष्टि पटल के पीछे बनता है। इस दोष के उत्पन्न होने के कारण हैं:
(3) जरा दृष्टि दोष (Presbyopia):
आयु में वृद्धि के साथ नेत्र के लैंस का लचीलापन कम हो जाता है तथा नेत्र की समंजन क्षमता भी घटती जाती है। इस कारण से दूर एवं पास दोनों ही वस्तुएँ स्पष्ट नहीं दिखाई देती हैं। इस दोष को जरा दृष्टि दोष कहते हैं। नेत्र के इस दोष को दूर करने के लिए द्विफोकसी लैंस (bifocal lens) प्रयुक्त किए जाते हैं। सामान्य प्रकार के द्विफोकसी लैंसों में नीचे का भाग उत्तल लैंस (पास की वस्तुओं को देखने के लिए) एवं ऊपरी भाग अवतल लैंस (दूर की वस्तुओं को देखने के लिए) होता है।
प्रश्न 3.
नेत्रदान के महत्त्व को समझाते हुए बताइये कि नेत्रदान करते समय हमें किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए।
उत्तर:
हमारे नेत्र हमारी मृत्यु के पश्चात् भी कुछ समय के लिए जीवित रहते हैं। अपनी मृत्यु के पश्चात् नेत्रदान करके हम किसी नेत्रहीन व्यक्ति के जीवन को प्रकाश से भर सकते हैं। विकासशील देशों के लगभग 3.5 करोड़ व्यक्ति दष्टिहीन हैं तथा उनमें से अधिकाँश की दृष्टि ठीक की जा सकती है। कॉर्निया अंधता से पीड़ित लगभग 45 लाख व्यक्तियों को नेत्रदान द्वारा प्राप्त कॉर्निया के प्रत्यारोपण से ठीक किया जा सकता है। इन 45 लाख व्यक्तियों में 60% बच्चे 12 वर्ष से कम आयु के हैं। अतः हम नेत्रदान करके जाएँ जिससे उनको दृष्टि का वरदान प्राप्त हो जिनके पास दृष्टि नहीं है।
नेत्रदान करते समय हमें निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए:
प्रश्न 4.
वायुमण्डलीय अपवर्तन किसे कहते हैं? वायुमण्डलीय अपवर्तन अनेक प्रकाशिक घटनाओं का कारण बनता है। उन घटनाओं की विवेचना कीजिये।
उत्तर:
वायुमण्डलीय अपवर्तन:
जब सूर्य का प्रकाश पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करता है तब यह सतत रूप में विरल माध्यम से सघन माध्यम की ओर बढ़ता जाता है। फलतः उससे अपवर्तन की क्रिया होती है। वातावरण में होने वाली अपवर्तन की प्रक्रिया को वायुमण्डलीय अपवर्तन कहते हैं। वायुमण्डलीय अपवर्तन अनेक प्रकाशिक घटनाओं का कारण बनता है। उन घटनाओं में से कुछ की विवेचना निम्न प्रकार से है:
1. तारों का टिमटिमाना:
वातावरण की विभिन्न परतें गतिमान हैं तथा उनका तापमान तथा घनत्व बदलता रहता है। परिणामतः तारे की आभासी स्थिति में निरन्तर परिवर्तन होता रहता है। तारे की आभासी स्थिति के निरन्तर परिवर्तन के कारण तारे से आने वाले प्रकाश की तीव्रता भी बदलती रहती है। प्रकाश की तीव्रता में परिवर्तन जो कि तारे की आभासी स्थिति में निरन्तर परिवर्तन के कारण होता है, हमारी आँख में प्रवेश करता है, जिससे हमें तारे टिमटिमाते दिखाई देते हैं।
2. अग्रिम सूर्योदय तथा विलंबित सूर्यास्त:
वायुमण्डलीय अपवर्तन के कारण सूर्य हमें वास्तविक सूर्योदय से लगभग 2 मिनट पूर्व दिखाई देने लगता है तथा वास्तविक सूर्यास्त के लगभग 2 मिनट पश्चात् तक दिखाई देता रहता है। वास्तविक सूर्योदय से अर्थ है, सूर्य द्वारा वास्तव में क्षितिज को पार करना। चित्र में सूर्य की क्षितिज के सापेक्ष वास्तविक तथा आभासी स्थितियाँ दर्शायी गयी हैं। वास्तविक सूर्यास्त तथा आभासी सूर्यास्त के बीच समय का अंतर लगभग 2 मिनट है।
3. सूर्य उदय अथवा अस्त होते समय अंडाकार दिखाई देता है जबकि मध्यान्ह (दोपहर) के समय वह गोलाकार दिखाई देता है:
सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सूर्य क्षितिज के निकट होता है। उस समय उसके ऊपरी तथा नीचे के छोर से चलने वाली प्रकाश की किरणें वातावरण में गति करते समय असमान रूप से मुड़ती हैं। इस घटना के फलस्वरूप सूर्य अंडाकार अथवा फैला हुआ दिखाई देता है। मध्यान्ह के समय सूर्य सिर पर होता है। सूर्य से चलने वाली प्रकाश की किरणें वातावरण में लम्बवत् प्रवेश करती हैं जिससे वे वातावरण में गति करते समय बिल्कुल भी मुड़ती नहीं हैं। यही कारण है कि मध्यान्ह के समय सूर्य गोलाकार 'दिखाई देता है।
प्रश्न 5.
प्रिज्म के लिए प्रिज्म कोण एवं विचलन कोण को परिभाषित कीजिए। श्वेत प्रकाश को प्रिज्म से गुजारने पर प्राप्त स्पेक्ट्रम में वर्गों का क्रम लिखिए। इन्द्रधनुष के बनने की प्रक्रिया को समझाइए।
उत्तर:
1. प्रिज्म कोण: काँच के त्रिभुजाकार आधार तथा तीन आयताकार पार्श्व पृष्ठ से घिरा क्षेत्र प्रिज्म कहलाता है। आयताकार पृष्ठ एक-दूसरे पर झुके होते हैं। इस प्रकार के प्रिज्म के दो पार्श्व फलकों के बीच के कोण को प्रिज्म कोण कहते हैं।
2. विचलन कोण: प्रिज्म की विशेष आकृति के कारण निर्गत किरण आपतित किरण की दिशा से एक कोण बनाती है। इस कोण को विचलन कोण कहते हैं। श्वेत प्रकाश को प्रिज्म से गुजारने पर प्राप्त में वर्णों का क्रम निम्न प्रकार है, इसे संक्षिप्त रूप में VIBGYOR कहते हैं जैसे:
3. इन्द्रधनुष बनने की प्रक्रिया:
इन्द्रधनुष वर्षा के पश्चात् आकाश में जल के सूक्ष्म कणों में दिखाई देने वाला प्राकृतिक स्पेक्ट्रम है। यह वायुमण्डल में उपस्थित जल की सूक्ष्म बूंदों द्वारा सूर्य के प्रकाश में परिक्षेपण के कारण प्राप्त होता है। इन्द्रधनुष सदैव सूर्य के विपरीत दिशा में बनता है जबकि छोटी बूंदें प्रिज्म की भाँति कार्य करती हैं।
सूर्य के आपतित प्रकाश को ये बूँदें अपवर्तित तथा विक्षेपित करती हैं। तत्पश्चात् इसे आंतरिक परावर्तित करती हैं अंततः जल की बूंद से बाहर निकलते समय प्रकाश को पुनः अपवर्तित करती हैं। प्रकाश के परिक्षेपण तथा आंतरिक परावर्तन के कारण विभिन्न वर्ण हमारे नेत्रों तक पहुँचते हैं जो हमें इन्द्रधनुष के रूप में दिखाई देते हैं।
प्रश्न 6.
यह किस प्रकार दर्शा सकते हैं कि सूर्य का प्रकाश सात वर्गों से मिलकर बना है?
उत्तर:
जब सूर्य के श्वेत प्रकाश को किसी प्रिज्म से गुजारा जाता है तो श्वेत प्रकाश प्रिज्म द्वारा इसके सात अवयवी वर्गों में विक्षेपित हो जाता है जो सुस्पष्ट वर्गों के बैंड या स्पेक्ट्रम के रूप में दिखाई देता है। अब यदि एक दूसरा सर्व सम प्रिज्म पहले प्रिज्म के सापेक्ष उल्टी स्थिति में रखा जाए तो इससे स्पेक्ट्रम के सभी वर्ण दूसरे प्रिज्म से होकर गुजरेंगे। अब हम देखते हैं कि दूसरे प्रिज्म से श्वेत प्रकाश का किरण पुंज निर्गत हो रहा है। इस प्रेक्षण से सिद्ध होता है कि सूर्य का प्रकाश सात वर्गों से मिलकर बना है।