Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 9 Science Chapter 12 ध्वनि Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
किसी माध्यम में ध्वनि द्वारा उत्पन्न विक्षोभ आपके कानों तक कैसे पहुंचता है?
उत्तर:
जब कोई वस्तु कम्पन करती है, तो यह अपने चारों ओर विद्यमान माध्यम के कणों को कम्पायमान कर देती है। ये कण कम्पायमान वस्तु से हमारे कानों तक स्वयं गति कर नहीं पहुंचते। सबसे पहले कम्पायमान वस्तु के सम्पर्क में रहने वाले माध्यम के कण अपनी संतुलित अवस्था से विस्थापित होते हैं। फिर ये अपने समीप के कणों पर एक बल लगाते हैं, जिसके फलस्वरूप निकटवर्ती कण अपनी विरामावस्था से विस्थापित हो जाते हैं। निकटवर्ती कणों को विस्थापित करने के पश्चात् प्रारम्भिक कण अपनी मूल अवस्थाओं में वापस लौट आते हैं। माध्यम में यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है, जब तक कि ध्वनि हमारे कानों तक नहीं पहुँच जाती है। माध्यम में ध्वनि द्वारा उत्पन्न विक्षोभ माध्यम से होता हुआ संचरित होता है।
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प्रश्न 1.
आपके विद्यालय की घंटी, ध्वनि कैसे उत्पन्न करती है?
उत्तर:
जब घंटी पर हथौड़े से चोट करते हैं, तब घंटी कम्पित हो उठती है। घंटी के कंपित होने से ध्वनि तरंग उत्पन्न होती है। तरंग एक विक्षोभ है जो कि वायु के माध्यम में गति करती है और माध्यम के कण अपने पास वाले कणों में गति उत्पन्न कर देते हैं। ये कण इसी प्रकार की गति अन्य कणों में उत्पन्न करते हैं । माध्यम के कण स्वयं तो आगे नहीं बढ़ते, लेकिन विक्षोभ आगे बढ़ता है। इस कारण से ध्वनि उत्पन्न हो जाती है।
प्रश्न 2.
ध्वनि तरंगों को यांत्रिक तरंगें क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
ध्वनि तरंगें माध्यम के कणों की गति द्वारा अभिलक्षित की जाती हैं अर्थात् इनके संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है, इसलिए ध्वनि तरंगें यांत्रिक तरंगें कहलाती हैं।
प्रश्न 3.
मान लीजिए आप अपने मित्र के साथ चंद्रमा पर गए हुए हैं। क्या आप अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को सुन पायेंगे?
उत्तर:
हम अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को नहीं सुन पायेंगे क्योंकि चंद्रमा पर वायुमण्डल नहीं है और ध्वनि के संचरण के लिए किसी न किसी माध्यम की आवश्यकता अवश्य होती है। यह निर्वात में नहीं चल सकती है।
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प्रश्न 1.
तरंग का कौन - सा गुण निम्नलिखित को निर्धारित करता है?
(a) प्रबलता
(b) तारत्व।
उत्तर:
(a) प्रबलता: ध्वनि की प्रबलता अथवा मृदुता मूलतः तरंग के आयाम से ज्ञात की जाती है। बड़े आयाम की ध्वनि प्रबल तथा छोटे आयाम की ध्वनि मृदु होती है।
तरंग की प्रबलता अधिक ऊर्जा से सम्बद्ध होती है। अधिक ऊर्जा से उत्पादित ध्वनि तरंग प्रबल होती है और दूर तक जाती है।
(b) तारत्व: ध्वनि का तारत्व, उसकी आवृत्ति द्वारा निर्धारित होता है। उच्च आवृत्ति की ध्वनि का तारत्व अधिक एवं निम्न आवृत्ति की ध्वनि का तारत्व कम होता है।
प्रश्न 2.
अनुमान लगाइए कि निम्न में से किस ध्वनि का तारत्व अधिक है।
(a) गिटार
(b) कार का हॉर्न।
उत्तर:
(a) गिटार।
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प्रश्न 1.
किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्घ्य, आवृत्ति, आवर्तकाल तथा आयाम से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
(i) ध्वनि तरंग की तरंगदैर्घ्य-न्यूनतम दूरी जिसमें ध्वनि तरंग अपनी पुनरावृत्ति करती है,उसकी तरंगदैर्घ्य (Wavelength) कहलाती है। अर्थात् दो क्रमागत संपीडनों या विरलनों (अनुदैर्घ्य तरंग के लिए) अथवा दो क्रमागत शृंगों या गर्तों (अनुप्रस्थ तरंग के लिए) के बीच की दूरी को तरंगदैर्घ्य कहते हैं।
इस प्रकार तरंगदैर्घ्य एक तरंग की लम्बाई होती है। इसे साधारणतः (लैम्डा) से प्रदर्शित करते हैं। इसका SI मात्रक, मीटर (m) होता है।
चित्र में संपीडन तथा समीपवर्ती विरलन के केन्द्रों के बीच की दूरी आधी तरंगदैर्घ्य (A) के बराबर है।
(ii) आवृत्ति: किसी माध्यम में तरंग संचरण के कारण माध्यम के किसी कण द्वारा एकांक समय में किए गए कम्पनों की कुल संख्या, उस तरंग की आवृत्ति कहलाती है। आवृत्ति का SI मात्रक ह (Hz) होता है। इसे v (न्यू) से प्रदर्शित करते हैं । v (न्यू) = 1 होता है। इस प्रकार से तरंग की आवृत्ति उसके आवर्तकाल के व्युत्क्रम होती है।
(iii) आवर्तकाल: दो क्रमागत संपीडनों या दो क्रमागत विरलनों को किसी निश्चित बिन्दु से गुजरने में लगे समय को तरंग का आवर्तकाल कहते हैं। इसे 'T' से प्रदर्शित करते हैं एवं इसका मात्रक 'सेकण्ड' होता है।
(iv) आयाम: किसी माध्यम में तरंग संचरण के कारण किसी कण का मूल स्थिति के दोनों ओर अधिकतम विक्षोभ तरंग का आयाम कहलाता है। इसे साधारणतः 'A' से निरूपित करते हैं। ध्वनि तरंगों के लिए आयाम का मात्रक दाब अथवा घनत्व का मात्रक होता है। उपरोक्त चित्र में PB तरंग का आयाम है।
प्रश्न 2.
किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्घ्य तथा आवृत्ति उसके वेग से किस प्रकार संबंधित है?
उत्तर:
चूँकि
माना T समय में एक तरंगदैर्घ्य दूरी λ (जो कि तरंगदैर्घ्य है) तय करती है, तो
\(\mathrm{V}=\frac{\lambda}{\mathrm{T}}=\lambda \times \frac{1}{\mathrm{~T}}\)
यहाँ पर T एक तरंग द्वारा लिया गया समय है। हम जानते हैं कि \(\frac{1}{\mathrm{~T}}\) तरंगों की संख्या प्रति सेकण्ड होती है और यह
तरंग की आवृत्ति v (न्यू) कहलाती है। इसलिए उपर्युक्त सम्बन्ध में हम \(\frac{1}{\mathrm{~T}}\) के स्थान पर v (न्यू) लिख सकते हैं। अतः
\(\mathrm{V}=\lambda \times v\)
या \(\mathrm{V}=v \lambda\)
जहाँ पर V = तरंग का वेग
v = तरंग की आवृत्ति
और λ = तरंगदैर्घ्य
अर्थात् तरंग का वेग = आवृत्ति x तरंगदैर्घ्य
अतः माध्यम में तरंग का वेग (या चाल) उसकी आवृत्ति और तरंगदैर्घ्य के गुणनफल के बराबर होता है। समीकरण \(\mathrm{V}=v \lambda\) तरंग समीकरण कहलाता है।
प्रश्न 3.
किसी दिए हुए माध्यम में एक ध्वनि तरंग की आवृत्ति 220 Hz तथा वेग 440 m/s है। इस तरंग की तरंगदैर्घ्य की गणना कीजिए।
उत्तर:
हल: दिया गया है।
तरंग वेग = 440 m/s
तरंग की आवृत्ति = 220 Hz,
तरंगदैर्घ्य = ?
∵ वेग (v) = तरंगदैर्घ्य ( λ ) x आवृत्ति (v)
अतः इस तरंग की तरंगदैर्घ्य 2m होगी।
प्रश्न 4.
किसी ध्वनिस्रोत से 450 m दूरी पर बैठा हुआ कोई मनुष्य 500 Hz की ध्वनि सुनता है। स्रोत से मनुष्य के पास तक पहुंचने वाले दो क्रमागत संपीडनों में कितना समय अंतराल होगा?
उत्तर:
हल: दिया गया है।
ध्वनि की आवृत्ति (v) = 500 Hz
आवर्तकाल (T) = ?
हम जानते हैं कि:
या
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प्रश्न 1.
ध्वनि की प्रबलता तथा तीव्रता में अन्तर बताइए।
उत्तर:
ध्वनि की प्रबलता तथा तीव्रता में अन्तरप्रबलता:
प्रबलता |
तीव्रता |
1. कानों की संवेदनशीलता की माप को ध्वनि की प्रबलता कहते हैं। |
1. इकाई क्षेत्रफल से, एक सेकण्ड में गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा को ध्वनि की तीव्रता कहते हैं। |
2. ध्वनि की प्रबलता को मापा नहीं जा सकता। |
2. ध्वनि की तीव्रता मापी जा सकती है। |
3. ध्वनि की प्रबलता, तरंग की ऊर्जा की तुलना में, हमारे कानों की संवेदनशीलता पर अधिक निर्भर करती है। |
3. ध्वनि की तीव्रता का सम्बन्ध उसकी ऊर्जा से होता है। |
पृष्ठ 188.
प्रश्न 1.
वायु, जल या लोहे में से किस माध्यम में ध्वनि सबसे तेज चलती है ?
उत्तर:
लोहे में से ध्वनि वायु और जल की अपेक्षा तेज चलती है।
पृष्ठ 189.
प्रश्न 1.
कोई प्रतिध्वनि 3s पश्चात् सुनाई देती है। यदि ध्वनि की चाल 342 ms-1 हो तो स्रोत तथा परावर्तक सतह के बीच कितनी दूरी होगी?
उत्तर:
हल: ध्वनि की चाल (v) = 342m/s
प्रतिध्वनि सुनने में लिया गया समय (t) = 3s
ध्वनि द्वारा तय की गई दूरी =v x t
= 342 m/s x 3s
= 1026 m
3s में प्रतिध्वनि सुनाई देती है।
अतः 3 s में ध्वनि ने स्रोत तथा परावर्तक के बीच की दुगुनी दूरी तय की। अतः उन दोनों के बीच की दूरी = 1026 = 513 m.
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प्रश्न 1.
कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार क्यों होती हैं ?
उत्तर:
कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार इसलिए बनाई जाती हैं जिससे कि परावर्तन के पश्चात् ध्वनि हॉल के सभी भागों में पहुँच जाए। कभी - कभी वक्राकार ध्वनि पट्टों को मंच के पीछे रख दिया जाता है, जिससे कि ध्वनि, ध्वनिपट्ट से परावर्तन के पश्चात् समान रूप से पूरे हॉल में फैल जाये।
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प्रश्न 1.
सामान्य मनुष्य के कानों के लिए श्रव्यता परास क्या है?
उत्तर:
मनुष्यों में ध्वनि की श्रव्यता का परास लगभग 20 Hz से 20,000 Hz तक होता है।
प्रश्न 2.
निम्न से संबंधित आवृत्तियों का परास क्या है?
(a) अवश्रव्य ध्वनि
(b) पराध्वनि।
उत्तर:
(a) अवश्रव्य ध्वनि: 20 Hz से कम आवृत्ति की ध्वनियों को अवश्रव्य ध्वनि कहते हैं, जिन्हें सामान्य व्यक्ति सुन नहीं सकता।
(b) पराध्वनि: 20 KHz से अधिक की ध्वनियों को पराध्वनि या पराश्रव्य ध्वनि कहते हैं । इनको भी हम सुन नहीं सकते। डॉलफिन, चमगादड़, पॉरपॉइज पराध्वनि उत्पन्न करते हैं ।
पृष्ठ 193.
प्रश्न 1.
एक पनडुब्बी सोनार स्पंद उत्सर्जित करती है, जो पानी के अंदर एक खड़ी चट्टान से टकराकर 1.02 s के पश्चात् वापस लौटता है। यदि खारे पानी में ध्वनि की चाल 1531 m/s हो, तो चट्टान की दूरी ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
हल: प्रेषण तथा संसूचन के बीच लगा समय (t) = 1.02 s
खारे पानी में ध्वनि की चाल (v) = 1531 m/s
चट्टान और पनडुब्बी के बीच की दूरी = d
∴ पराध्वनि द्वारा चली गई दूरी = 2d
जहाँ पर d = समुद्र की गहराई है।
2d = ध्वनि की चाल x समय
2d = vt
या 2d = 1531 x 1.02
2d = 1561.62
∴ \(d=\frac{1561.62}{2}=780.81 \mathrm{~m}\)
अतः पनडुब्बी से चट्टान की दूरी 780.81 m है।
प्रश्न 1.
ध्वनि क्या है और यह कैसे उत्पन्न होती है?
उत्तर:
ध्वनि एक प्रकार की ऊर्जा है, जो हमारे कान में श्रवण संवेदना उत्पन्न करती है। अतः ध्वनि ऊर्जा का वह रूप है, जिससे हमें सुनाई देता है। हम अपने दैनिक जीवन में अपने चारों ओर अनेक ध्वनियाँ सुनते हैं। हम विभिन्न वस्तुओं में घर्षण द्वारा, खुरच कर, वायु फूंक कर या उनको हिलाकर ध्वनि उत्पन्न कर सकते हैं। हम वस्तु को कंपमान करते हैं और ध्वनि उत्पन्न करते हैं। मनुष्यों में वाध्वनि उनके वाक्-तंतुओं के कंपित होने के कारण उत्पन्न होती है। जब कोई पक्षी पंख को फड़फड़ाता है, तो ध्वनि उत्पन्न होती है। मक्खी के भिनभिनाने से ध्वनि उत्पन्न होती है। एक खींचे हुए रबड़ के छल्ले को बीच में से खींचकर छोड़ने पर यह कंपन करता है और ध्वनि उत्पन्न होती है। इस प्रकार ध्वनि कंपन करती हुई वस्तुओं द्वारा उत्पन्न होती है।
प्रश्न 2.
एक चित्र की सहायता से वर्णन कीजिए कि ध्वनि के स्त्रोत के निकट वायु में संपीडन तथा विरलन कैसे उत्पन्न होते हैं ?
उत्तर:
ध्वनि का संचरण:
ध्वनि के संचरण के लिए वायु सबसे अधिक सामान्य माध्यम है। जब कोई कम्पन करने वाली वस्तु आगे की ओर कम्पन करती है, तो वह अपने सामने की वायु को धक्का देकर संपीडित करती है, जिससे कि उच्च दबाव का क्षेत्र बनता है। यह क्षेत्र 'संपीडन' (C) कहलाता है। यह क्षेत्र कंपित वस्तु से दूर आगे की ओर गति करता है। जब कंपित वस्तु पीछे की ओर कंपन करती है, तो उससे एक निम्न दाब का क्षेत्र बनता है, जिसे 'विरलन' (R) कहते हैं। जैसे-जैसे वस्तु कंपन करती है, वैसे - वैसे हवा में संपीडनों और विरलनों की एक श्रेणी बन जाती है। यही संपीडन और विरलन ध्वनि तरंग बनाते हैं, जिसका हवा में संचरण होता है।
कंपमान वस्तु किसी माध्यम में संपीडन (C) तथा विरलन (R) की श्रेणी उत्पन्न करते हुए
प्रश्न 3.
किस प्रयोग से यह दर्शाया जा सकता है कि ध्वनि संचरण के लिए एक द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
ध्वनि संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता-ध्वनि एक यांत्रिक तरंग है और इसके संचरण के लिए किसी माध्यम जैसे-वायु, जल, स्टील आदि की आवश्यकता होती है। यह निर्वात में होकर नहीं चल सकती। इसे निम्न प्रयोग द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है
प्रयोग-एक विद्युत घण्टी और एक काँच का वायुरुद्ध बेलजार लेते हैं। विद्युत घण्टी को बेलजार में कॉर्क की सहायता से लटकाते हैं और बेलजार को एक निर्वात पम्प से जोड़ते हैं । अब घण्टी के स्विच को दबाने पर हमें घण्टी की आवाज सुनाई देती है। इसके बाद निर्वात पम्प को चलाते हैं। जैसे-जैसे बेलजार से धीरे-धीरे हवा बाहर निकलती है, घण्टी की आवाज धीमी होती जाती है; यद्यपि अभी भी उसमें उतनी ही विद्युत प्रवाहित हो रही है। बेलजार में थोड़ी-सी हवा बचने पर हमें घंटी की बहुत धीमी आवाज सुनाई देती है। बेलजार से हवा पूरी तरह निकल जाने पर घंटी की आवाज सुनाई देना बन्द हो जाती है। अत: इस प्रयोग से सिद्ध होता है कि ध्वनि को संचरण के लिए एक माध्यम की आवश्यकता होती है।
निर्वात में ध्वनि का संचरण नहीं हो सकता यह दर्शाने के लिए बेलजार का प्रयोग
प्रश्न 4.
ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्घ्य क्यों है?
उत्तर:
किसी माध्यम में ध्वनि संपीडनों तथा विरलनों के रूप में संचरित होती है। जब ध्वनि तरंगें संचरित होती हैं, तब हवा के कण तरंग की गति की दिशा के अनुदिश अर्थात् समानान्तर गति करते हैं। इसलिए ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्घ्य होती है।
प्रश्न 5.
ध्वनि का कौन - सा अभिलक्षण किसी अन्य अंधेरे कमरे में बैठे आपके मित्र की आवाज पहचानने में आपकी सहायता करता है?
उत्तर:
हवा में लिया गया समय (t1) = \(\frac{l}{346}\)सेकण्ड
इसी प्रकार से ऐलुमिनियम में लिया गया समय
(t2) = \(\frac{l}{6420}\)सेकण्ड
अनुपात लेने पर
\(\begin{aligned} &\frac{t_{1}}{t_{2}}=\frac{l}{346} \div \frac{l}{6420} \\ &\frac{t_{1}}{t_{2}}=\frac{l}{346} \times \frac{6420}{l}=\frac{6420}{346} \\ &\frac{t_{1}}{t_{2}}=18.55: 1 \end{aligned}\)
= 18.55 : 1
अतः समय का अनुपात होगा = 18.55 : 1
प्रश्न 6.
तड़ित की चमक तथा गर्जन साथ-साथ उत्पन्न होते हैं। लेकिन चमक दिखाई देने के कुछ सेकण्ड पश्चात् गर्जन सुनाई देती है। ऐसा क्यों होता है?
उत्तर:
तड़ित की चमक व गर्जन साथ-साथ उत्पन्न होते हैं लेकिन पहले चमक दिखाई देती है, गर्जन की आवाज बाद में सुनाई देती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वायु में प्रकाश की गति बहुत तीव्र होती है जबकि ध्वनि की गति अपेक्षाकृत कम है। अत: ध्वनि कुछ सेकण्ड बाद सुनाई देती है।
प्रश्न 7.
किसी व्यक्ति का औसत श्रव्य परिसर 20 Hz से 20 KHz है। इन दो आवृत्तियों के लिए ध्वनि तरंगों की तरंगदैर्घ्य ज्ञात कीजिए। वायु में ध्वनि का वेग 344 m/s लीजिए।
उत्तर:
हल: दिया गया है(I) आवृत्ति । (न्यू) = 20 Hz
वायु में ध्वनि का वेग v = 344 m/s
तरंगदैर्घ्य ( λ) = ?
वेग = तरंगदैर्घ्य x आवृत्ति v = λ x v
\(\lambda=\frac{344}{20}=\frac{172}{10}=17.2 \mathrm{~m}\)
अतः तरंगदैर्घ्य (λ ) = 17.2 m
(II) आवृत्ति (v) = 20 KHz.
= 20 x 1000 Hz
= 20000 Hz
वायु में ध्वनि का वेग (v)= 344 m/s
तरंगदैर्घ्य (λ ) = ?
वेग = तरंगदैर्घ्य x आवृत्ति v = λ x v
\(\lambda=\frac{344}{20,000}=0.0712 \mathrm{~m}\)
इस प्रकार, 20 Hz और 20 KHz के अनुरूप तरंगदैर्घ्य है क्रमशः 17.2 m और 0.0172 m
प्रश्न 8.
दो बालक किसी ऐलुमिनियम पाइप के दो सिरों पर हैं। एक बालक पाइप के एक सिरे पर पत्थर से आघात करता है। दूसरे सिरे पर स्थित बालक तक वायु तथा ऐलुमिनियम से होकर जाने वाली ध्वनि तरंगों द्वारा लिए गए समय का अनुपात ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
हल: हवा में ध्वनि का वेग = V1 = 346 m/s
ऐलुमिनियम में ध्वनि का वेग = V2 = 6420 m/s
माना ऐलुमिनियम रॉड की लम्बाई = l मीटर है।
हवा में लिया गया समय (t1) = \(\frac{l}{346}\)सेकण्ड
इसी प्रकार से ऐलुमिनियम में लिया गया समय
(t2) = \(\frac{l}{6420}\)सेकण्ड
अनुपात लेने पर
\(\begin{aligned} &\frac{t_{1}}{t_{2}}=\frac{l}{346} \div \frac{l}{6420} \\ &\frac{t_{1}}{t_{2}}=\frac{l}{346} \times \frac{6420}{l}=\frac{6420}{346} \\ &\frac{t_{1}}{t_{2}}=18.55: 1 \end{aligned}\)
11 = 18.55 : 1
अतः समय का अनुपात होगा = 18.55 : 1
प्रश्न 9.
किसी ध्वनि स्रोत की आवृत्ति 100 Hz है। एक मिनट में यह कितनी बार कम्पन करेगा?
उत्तर:
हल: आवृत्ति (v) = 100 Hz
समय = 1 मिनट = 60 सेकण्ड
कंपनों की संख्या = आवृत्ति x समय
= 100 x 60 = 6000 कम्पन
प्रश्न 10.
क्या ध्वनि परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका कि प्रकाश की तरंगें करती हैं ? इन नियमों को बताइए।
उत्तर:
हाँ, ध्वनि भी परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है, जिनका प्रकाश की तरंगें करती हैं। ये नियम इस प्रकार से हैं।
प्रश्न 11.
ध्वनि का एक स्रोत किसी परावर्तक सतह के सामने रखने पर उसके द्वारा प्रदत्त ध्वनि तरंग की प्रतिध्वनि सुनाई देती है। यदि स्रोत तथा परावर्तक सतह की दूरी स्थिर रहे तो किस दिन प्रतिध्वनि अधिक शीघ्र सुनाई देगी:
(i) जिस दिन तापमान अधिक हो?
(ii) जिस दिन तापमान कम हो?
उत्तर:
चूँकि समय = ग अर्थात् समय और वेग में प्रतिलोम अनुपात होता है।
किसी भी माध्यम का ताप बढ़ाने से उसमें ध्वनि का वेग बढ़ जाता है इसलिए गर्म दिन में अधिक तापमान के कारण ध्वनि का वेग बढ़ जाएगा और हमें प्रतिध्वनि ठंडे दिन की अपेक्षा शीघ्र सुनाई देगी।
प्रश्न 12.
ध्वनि तरंगों के परावर्तन के दो व्यावहारिक उपयोग लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 13.
500 मीटर ऊँची किसी मीनार की चोटी से एक पत्थर मीनार के आधार पर स्थित एक पानी के . तालाब में गिराया जाता है। पानी में इसके गिरने की ध्वनि चोटी पर कब सुनाई देगी?
(g = 10 m/s2 तथा ध्वनि की चाल = 340 m/s)
उत्तर:
हल: मीनार की ऊँचाई = 500 मीटर
ध्वनि की चाल = 340 m/s
g = 10 m/s2
ध्वनि द्वारा तालाब से मीनार की चोटी पर पहुँचने में लगा समय
\(t=\frac{500}{340}=\frac{50}{34}=\frac{25}{17}\)
t = 1.47 सेकण्ड (लगभग)
पत्थर द्वारा चोटी से तालाब तक पहुँचने में लगा समय
\(s=u t+\frac{1}{2} g t^{2}\) से
\(500=0 \times t+\frac{1}{2} \times 10 \times t^{2}\) ∵ पत्थर विरामावस्था में था ∴ u = 0
⇒ \(500=0+5 t^{2}\)
⇒ 500 = 5t2
∴ \(\begin{aligned} t^{2} &=\frac{500}{5} \\ t^{2} &=100 \end{aligned}\)
∴ \(t=\sqrt{100}=10\) सेकंड
अत: ध्वनि को मीनार की चोटी तक पहुँचने में लगा कुल समय
= 1.47 सेकण्ड + 10 सेकण्ड
= 11.47 सेकण्ड उत्तर
प्रश्न 14.
एक ध्वनि तरंग 339 m/s की चाल से चलती है। यदि इसकी तरंगदैर्घ्य 1.5 cm हो, तो तरंग की आवृत्ति कितनी होगी? क्या यह श्रव्य होगी?
उत्तर:
हल: ध्वनि की चाल (v) = 339 m/s
तरंगदैर्घ्य (λ ) = 1.5 सेमी
\(=\frac{15}{100}\)मीटर
= 0.015 मीटर
अतः यह श्रव्य नहीं है।
प्रश्न 15.
अनुरणन क्या है ? इसे कैसे कम किया जा सकता है?
उत्तर:
अनुरणन: किसी बड़े हॉल में उत्पन्न होने वाली ध्वनि दीवारों से बारंबार परावर्तन के कारण काफी समय तक बनी रहती है। जब तक कि यह इतनी कम न हो जाये, कि यह सुनाई ही न पड़े। यह बारंबार परावर्तन, जिसके कारण ध्वनि - निर्बंध होता है, अनुरणन कहलाता है। अनुरणन को कम करने के लिए सभा भवन की छतों तथा दीवारों पर ध्वनि अवशोषक पदार्थों जैसे संपीडित फाइबर बोर्ड, खुरदरे प्लास्टर अथवा पर्दै लगा देते हैं।
प्रश्न 16.
ध्वनि की प्रबलता से क्या अभिप्राय है? यह किन कारकों पर निर्भर करती है ?
उत्तर:
किसी ध्वनि की प्रबलता उसकी तीव्रता है। ध्वनि की प्रबलता ध्वनि के आयाम पर निर्भर करती है। ऐसी ध्वनि को जिसमें अधिक ऊर्जा होती है, उसकी प्रबलता कहते हैं अर्थात् इकाई क्षेत्र से 1 सेकण्ड में गुजरने वाली ध्वनि को प्रबलता कहते हैं।
कारक: यह निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करती है।
प्रश्न 17.
चमगादड़ अपना शिकार पकड़ने के लिए पराध्वनि का उपयोग किस प्रकार करता है? वर्णन
कीजिए।
उत्तर:
चमगादड़ गहन अंधकार में अपने भोजन को खोजने के लिए उड़ते समय पराध्वनि तरंगें उत्सर्जित करता है तथा परावर्तन के पश्चात् इनका संसूचन करता है। चमगादड़ द्वारा उत्पन्न उच्च तारत्व के पराध्वनि स्पंद अवरोधों या कीटों से परावर्तित होकर चमगादड़ के कानों तक पहुँचते हैं। जैसा चित्र में दिखाया गया है। इन परावर्तित स्पंदों की प्रकृति से चमगादड़ को पता चलता है कि अवरोध या कीट कहाँ पर है और यह किस प्रकार का है। इस प्रकार वह उन्हें पकड़ लेता है।
प्रश्न 18.
वस्तुओं को साफ करने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे करते हैं?
उत्तर:
पराध्वनि वस्तुओं के प्रायः उन भागों को साफ करने में उपयोग की जाती है जिन तक पहुँचना कठिन होता है। जैसे-सर्पिलाकार नली, विषम आकार के पुर्जे, इलेक्ट्रॉनिक अवयव आदि। जिन वस्तुओं को साफ करना कठिन होता है, उन्हें साफ करने वाले मार्जन विलयन में रखते हैं और इस विलयन में पराध्वनि तरंगें भेजी जाती हैं। उच्च आवृत्ति के कारण धूल, चिकनाई तथा गंदगी के कण अलग होकर नीचे गिर जाते हैं। इस प्रकार वस्तु पूर्णतया साफ हो जाती है।
प्रश्न .19.
सोनार की कार्यविधि तथा उसके उपयोगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सोनार: सोनार एक ऐसी युक्ति है जिसमें जल में स्थित पिण्डों की दूरी, दिशा तथा चाल मापने के लिए पराध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है। सोनार में एक प्रेषित्र तथा एक संसूचक होता है और इसको किसी नाव या जहाज में चित्र में दर्शाये अनुसार लगाते हैं।
प्रेषित्र पराध्वनि तरंगें उत्पन्न तथा प्रेषित करता है। ये तरंगें जल में चलती हैं तथा समुद्र तल में पिण्ड से टकराने के पश्चात् परावर्तित होकर संसूचक द्वारा ग्रहण कर ली जाती हैं। संसूचक पराध्वनि तरंगों को विद्युत संकेतों में बदल देता है। जिनकी उचित रूप से व्याख्या कर ली जाती है। जल में ध्वनि की चाल और पराध्वनि के प्रेषण व अभिग्रहण के समय अंतराल को ज्ञात करके उस पिण्ड की दूरी की गणना कर ली जाती है, जिससे ध्वनि तरंग परावर्तित हुई है।
माना पराध्वनि संकेत के प्रेषण तथा अभिग्रहण का समय अन्तराल 1 है तथा समुद्री जल में ध्वनि की चाल v है। तब सतह से पिण्ड की दूरी 2d होगी।
2d = v x t इस विधि को प्रतिध्वनिक-परास कहते हैं।
उपयोग:
प्रश्न 20.
एक पनडुब्बी पर लगी एक सोनार युक्ति, संकेत भेजती है और उनकी प्रतिध्वनि 5 सेकण्ड पश्चात् ग्रहण करती है। यदि पनडुब्बी से वस्तु की दूरी 3625 m हो तो ध्वनि की चाल की गणना कीजिए।
उत्तर:
हल: पनडुब्बी से वस्तु की दूरी = 3625 m
समय = 5 सेकण्ड
ध्वनि की चाल = ?
चूँकि 2d = v x t
2 x दूरी = चाल x समय
⇒ 2 x 3625 = y x 5
⇒ 7250 = 5 v
⇒ या \(v=\frac{7250}{5}=1450 \mathrm{~m} / \mathrm{s}\)
अत: ध्वनि की चाल = 1450 m/s
प्रश्न 21.
किसी धातु के ब्लॉक में दोषों का पता लगाने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे किया जाता है? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पराध्वनि का उपयोग धातुओं से बने ब्लॉकों (पिण्डों) में दरारों तथा अन्य दोषों का पता लगाने के लिए किया जाता है। धातु के ब्लॉकों में विद्यमान दरार या छिद्र जो बाहर से दिखाई नहीं देते, भवन या पुलं की संरचना की मजबूती को कम कर देते हैं । पराध्वनि तरंगें धातु के ब्लॉक से गुजारी (प्रेषित की) जाती हैं और प्रेषित तरंगों का पता लगाने के लिए संसूचकों का उपयोग किया जाता है। यदि थोड़ा-सा भी दोष होता है, तो पराध्वनि तरंगें परावर्तित हो जाती हैं, जो दोष की उपस्थिति को दर्शाती हैं।
प्रश्न 22.
मनुष्य का कान किस प्रकार कार्य करता है ? विवेचना कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य का कान, एक अतिसंवेदी युक्ति होता है, जिसकी सहायता से मनुष्य ध्वनि सुन पाते हैं। यह श्रवणीय आवृत्तियों द्वारा वायु में होने वाले दाब परिवर्तनों को विद्युत संकेतों में बदलता है, जो श्रवण तंत्रिका से होते हुए मस्तिष्क तक पहुंचते हैं।
मानव के कान द्वारा सुनने की प्रक्रिया:
मानव कान के तीन भाग होते हैं:
(1) बाह्य कर्ण (External Ear)
(2) मध्य कर्ण (Middle Ear)
(3) आंतरिक कर्ण (Inner Ear)
(1) बाहरी कान 'कर्ण पल्लव' कहलाता है। यह परिवेश से ध्वनि को एकत्रित करता है। एकत्रित ध्वनि श्रवण नलिका से गुजरती है। श्रवण नलिका के सिरे पर एक पतली झिल्ली होती है, जिसे 'कर्ण पटह या कर्ण पटह झिल्ली' कहते हैं । जब माध्यम के संपीडन कर्ण पटह तक पहुँचते हैं तो झिल्ली के बाहर की ओर लगने वाला दाब बढ़ जाता है और यह कर्ण पटह को अन्दर की ओर दबाता है। इसी प्रकार, विरलन के पहुंचने पर कर्ण पटह बाहर की ओर गति करता है। इस प्रकार से कर्ण पटह कम्पन करता है।
(2) मध्य कर्ण में विद्यमान तीन हड्डियाँ [मुग्दरक, निहाई तथा वलयक (स्टिरप)] इन कम्पनों को कई गुना बढ़ा देती हैं। मध्य कर्ण ध्वनि तरंगों से मिलने वाले इन दाब परिवर्तनों को आंतरिक कर्ण:तक.संचरित कर देता है।
(3) आंतरिक कर्ण में कर्णावर्त (Cochlea) द्वारा दाब परिवर्तनों को विद्युत संकेतों में परिवर्तित कर दिया जाता है। इन विद्युत संकेतों को श्रवण तंत्रिका द्वारा मस्तिष्क तक भेज दिया जाता है और मस्तिष्क इनकी ध्वनि के रूप में व्याख्या करता है।