RBSE Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 9 राष्ट्रीय आंदोलन का संघटन : 1870 के दशक से 1947 तक

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 9 राष्ट्रीय आंदोलन का संघटन : 1870 के दशक से 1947 तक Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 8 Social Science Solutions History Chapter 9 राष्ट्रीय आंदोलन का संघटन : 1870 के दशक से 1947 तक

RBSE Class 8 Social Science राष्ट्रीय आंदोलन का संघटन : 1870 के दशक से 1947 तक InText Questions and Answers

गतिविधि (पृष्ठ 111)

प्रश्न 1.
शुरुआत से ही कांग्रेस सभी भारतीय लोगों के हक में और उनकी ओर से बोलने का संकल्प व्यक्त कर रही थी। कांग्रेस ने ऐसा क्यों किया? 
उत्तर:
कांग्रेस ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह अपने को एक अखिल भारतीय संगठन के रूप में स्थापित करना चाहती थी। इस प्रकार वह देश के सभी वर्गों को एक मंच पर ला सकती थी। अन्यथा, वह अपना उद्देश्य पूरा नहीं कर पाती।

गतिविधि (पृष्ठ 112) 

प्रश्न 1.
उपर्युक्त टिप्पणी (स्रोत 2) के आधार पर शुरुआती कांग्रेस के बारे में कौनसी समस्याओं का पता चलता है? 
उत्तर:
उपर्युक्त टिप्पणी के आधार पर.शुरुआती कांग्रेस के बारे में निम्न समस्याओं का पता चलता है-

  • शुरुआती कांग्रेस के नेता धनी थे और प्रायः अपने व्यक्तिगत कार्यों में व्यस्त रहते थे। 
  • वे संगठन में अधिक रुचि नहीं लेते थे और इसके कार्यों के लिए पर्याप्त समय भी नहीं निकालते थे।

गतिविधि (पृष्ठ 114) 

प्रश्न 1.
पता लगाएं कि पहला विश्व युद्ध किन देशों ने लड़ा था? 
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) में 36 देश शामिल थे। इस युद्ध का एक पक्ष मित्र-राष्ट्र की शक्तियाँ थीं जबकि दूसरा पक्ष केन्द्रीय शक्तियाँ थीं। 

  • मित्र-राष्ट्रों का नेतृत्व ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस, रूस एवं इटली कर रहे थे।
  • केन्द्रीय शक्तियों का नेतृत्व जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी एवं ऑटोमन साम्राज्य के हाथों में था।

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गतिविधि (पृष्ठ 116)

प्रश्न 1.
जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड के बारे में जानकारियाँ इकट्ठा करें। जलियाँवाला बाग क्या है?  यहाँ किस तरह के अत्याचार हुए? ये अत्याचार कैसे हुए?
उत्तर:

  • 13 अप्रैल, 1919 के दिन रौलट एक्ट के विरोध में सभा करने हेतु कई लोग अमृतसर नगर के जलियाँवाला बाग में एकत्र हुए। इस बाग में केवल एक ही निकास था। 
  • जनरल डायर ने बिना चेतावनी दिये इन निर्दोष नागरिकों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया। इन नागरिकों में महिलाएँ और बच्चे भी शामिल थे। उनमें से सैकड़ों लोगों की मृत्यु हो गई।
  • नगर में पहले से ही मार्शल लॉ लगा हुआ था। इस कानून का उल्लंघन करने वालों को सबक सिखाने के उद्देश्य से जनरल डायर ने 200 भारतीय तथा 50 अंग्रेज सैनिकों के साथ इस बाग में प्रवेश किया। उन्होंने निकास द्वार को बन्द कर भीड़ पर अंधाधुन्ध गोलियाँ बरसाईं और सैकड़ों लोगों को मार दिया।

गतिविधि ( पृष्ठ 119)

प्रश्न 1.
पाठ्यपुस्तक के स्रोत 4 को पढ़ें। 
इस रिपोर्ट के मुताबिक लोग महात्मा गाँधी को किस तरह देखते थे? आपकी राय में लोग ऐसा क्यों सोचते थे कि गाँधीजी जमींदारों के विरोधी हैं परन्तु सरकार के विरोधी नहीं हैं? आपकी राय में लोग गाँधीजी के अनुयायी क्यों थे? 
उत्तर:
इस रिपोर्ट के अनुसार-

  • लोग महात्मा गाँधी को एक साधु, एक पंडित, इलाहाबाद के एक ब्राह्मण, यहाँ तक कि एक देवता के रूप में देखते थे। 
  • मेरी राय में लोग ऐसा इसलिए सोचते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि उन्होंने ही प्रतापगढ़ में पट्टेदारों की गैरकानूनी बेदखली रुकवा दी थी। 
  • मेरी राय में लोग गाँधीजी के अनुयायी इसलिए थे क्योंकि वे मानते थे कि गाँधीजी उन्हें मुसीबतों और गरीबी से छुटकारा दिला सकते हैं। 

आइए कल्पना करें (पृष्ठ 127) 

प्रश्न 1.
मान लीजिए कि आप भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में सक्रिय हैं। इस अध्याय को पढ़ने के बाद संक्षेप में बताइए कि आप संघर्ष के लिए कौनसे तरीके अपनाते और आप किस तरह का स्वतन्त्र भारत रचते? 
उत्तर:
(1) मैं संघर्ष के लिए अहिंसा, सत्याग्रह, नागरिक अवज्ञा, हड़ताल जैसे शान्तिपूर्ण तरीके अपनाता। इसका कारण है कि इन तरीकों से लोग राष्ट्रीय आन्दोलन में अधिक रचनात्मक भूमिका निभा सकते थे। मैं हिंसा का तरीका नहीं अपनाता। 

(2) मैं ऐसा स्वतन्त्र भारत रचता जिसमें सभी लोग आत्म सम्मान के साथ जीवन-यापन करते। देश में गरीबी का नामोनिशान , नहीं होता। सभी धर्मों के लोग सहिष्णुता से साथ-साथ रहते, जातिगत भेदभाव भी खत्म करता। इसके साथ मेरे स्वतन्त्र भारत में भ्रष्टाचार के लिए भी कोई जगह नहीं होती।

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फिर से याद करें-

प्रश्न 1. 
1870 और 1880 के दशकों में लोग ब्रिटिश शासन से क्यों असन्तुष्ट थे? ।
उत्तर:
1870 से 1880 के दशकों में लोगों की ब्रिटिश शासन से असन्तुष्टि के मुख्य कारण निम्न थे-

  • 1878 में आर्स एक्ट पारित किया गया जिसके जरिए भारतीयों द्वारा अपने पास हथियार रखने का अधिकार छीन लिया गया। 
  • सरकार की आलोचना करने वालों को चुप कराने के उद्देश्य से 1878 में ही वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट भी पारित किया गया। 
  • 1883 में सरकार ने इल्बर्ट बिल लागू करने का प्रयास किया। इस विधेयक में प्रावधान किया गया था कि भारतीय न्यायाधीश भी ब्रिटिश या यूरोपीय व्यक्तियों पर मुकदमे चला सकते हैं। परन्तु जब अंग्रेजों के विरोध की वजह से सरकार ने यह विधेयक वापस ले लिया तो भारतीयों ने इस बात का काफी विरोध किया। 
  • 1870 और 1880 के दशकों में अनेक राजनीतिक संगठन अस्तित्व में आए जिन्होंने कई मुद्दों को उठाकर जनता को उनसे अवगत कराया। 

प्रश्न 2. 
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस किन लोगों के पक्ष में बोल रही थी? 
उत्तर:
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भारत के किसी एक वर्ग या समुदाय के पक्ष में नहीं बल्कि विभिन्न समुदायों के सभी लोगों के पक्ष में बोल रही थी। कांग्रेस गरीबों, काश्तकारों, मजदूरों, सैनिकों, वनवासियों, पेशेवर समूहों जमींदारों तथा उद्योगपतियों सभी के पक्ष में बोल रही थी। 

प्रश्न 3. 
पहले विश्व युद्ध से भारत पर कौनसे आर्थिक असर पड़े? 
उत्तर:
पहले विश्व युद्ध से भारत पर निम्नलिखित आर्थिक असर पड़े-

  • इस युद्ध की वजह से ब्रिटिश भारत सरकार के रक्षा व्यय में भारी वृद्धि हो गई थी। इस खर्चे को निकालने के लिए सरकार ने निजी आय और व्यावसायिक मुनाफे पर कर बढ़ा दिया था। 
  • सैनिक व्यय में वृद्धि तथा युद्धक सामग्री की आपूर्ति की वजह से जरूरी चीजों की कीमतों में भारी उछाल आया और आम लोगों की जिन्दगी मुश्किल होती गई। 
  • इस युद्ध ने औद्योगिक वस्तुओं; जैसे-जूट के बोरे, कपड़े, रेल की पटरियाँ आदि की माँग बढ़ा दी और अन्य देशों से भारत आने वाले आयात में कमी ला दी थी। 
  • व्यावसायिक समूहों ने युद्ध से बेहिसाब मुनाफा कमाया। युद्ध के दौरान भारतीय उद्योगों का विस्तार हुआ और भारतीय व्यावसायिक समूह विकास के लिए अधिक अवसरों की माँग करने लगे। 

प्रश्न 4. 
1940 के मुस्लिम लीग के प्रस्ताव में क्या माँग की गई थी? 
उत्तर:
1940 के मुस्लिम लीग के प्रस्ताव में देश के पश्चिमोत्तर और पूर्वी क्षेत्रों में मुस्लिमों के लिए स्वतन्त्र राज्यों की माँग की गई थी। 

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आइए विचार करें-

प्रश्न 5. 
मध्यमार्गी कौन थे? वे ब्रिटिश शासन के खिलाफ किस तरह का संघर्ष करना चाहते थे? 
उत्तर:
(1) कांग्रेस के वे राजनेता मध्यमार्गी कहलाते थे, जो अपने उद्देश्यों एवं तरीकों में मध्यमार्गी थे। 

(2) वे ब्रिटिश शासन के खिलाफ शान्तिपूर्ण संघर्ष करना चाहते थे। वे प्रतिवेदन देना, निन्दा करना, जनमत बनाना, प्रार्थना-पत्र देना, अखबारों द्वारा सन्देश देना आदि कार्यों द्वारा संघर्ष करना चाहते थे। इसे निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-

  • उन्होंने सरकार और प्रशासन में भारतीयों को और ज्यादा जगह दिए जाने के लिए आवाज उठाई। 
  • उनका आग्रह था कि विधान परिषदों में भारतीयों को ज्यादा जगह दी जाए, परिषदों को ज्यादा अधिकार दिए जाएँ और जिन प्रान्तों में परिषदें नहीं हैं वहाँ उनका गठन किया जाए। 
  • उनकी माँग थी कि सरकार में भारतीयों को भी ऊँचे पद दिए जाएँ। 
  • मध्यमार्गी राजनेता जनता को अन्यायपूर्ण ब्रिटिश शासन के विषय में बतलाना चाहते थे। 
  • वे सरकार को भारतीयों की भावना से अवगत कराना चाहते थे। 

प्रश्न 6. 
कांग्रेस में आमूल परिवर्तनवादी की राजनीति मध्यमार्गी की राजनीति से किस तरह भिन्न थी? 
उत्तर:
कांग्रेस में आमूल परिवर्तनवादी की राजनीति मध्यमार्गी की राजनीति से निम्नलिखित प्रकार से भिन्न थी-

  • आमूल परिवर्तनवादी ज्यादा आमूल परिवर्तनवादी उद्देश्य और पद्धतियों के अनुरूप काम करते थे; जबकि मध्यमार्गी अपने उद्देश्यों एवं तरीकों में मध्यमार्गी थे। 
  • आमूल परिवर्तनवादियों ने 'निवेदन की राजनीति' के लिए नरमपंथियों की आलोचना की और आत्मनिर्भरता तथा रचनात्मक कामों के महत्त्व पर जोर दिया; जबकि मध्यमार्गी निवेदन की राजनीति करते थे। 
  • आमूल परिवर्तनवादियों का मानना था कि लोगों को स्वंराज के लिए अवश्य लड़ाई करनी चाहिए; जबकि मध्यमार्गी सरकार को भारतीयों की भावना से अवगत कराना चाहते थे।
  • आमूल परिवर्तनवादी सरकार के नेक इरादों पर नहीं बल्कि अपनी ताकत पर विश्वास करते थे; जबकि मध्यमार्गियों के विचार में अंग्रेज न्याय एवं स्वतन्त्रता के आदर्शों का सम्मान करते थे। इसलिए वे भारतीयों की उचित माँगों को अवश्य मान जाएँगे। 

प्रश्न 7. 
चर्चा करें कि भारत के विभिन्न भागों में असहयोग आन्दोलन ने किस-किस तरह के रूप ग्रहण किए? लोग गाँधीजी के बारे में क्या समझते थे?
उत्तर:
(1) लोगों ने गाँधीजी के आह्वान का अपने हिसाब से अर्थ निकाला। अतः देश के विभिन्न भागों में असहयोग आन्दोलन ने अलग-अलग रूप ग्रहण किये-

  • खेड़ा, गुजरात में पाटीदार किसानों ने अंग्रेजों की ऊँची भू-राजस्व माँग के विरुद्ध अहिंसक मुहिम चला दी। 
  • तटीय आन्ध्र प्रदेश और तमिलनाडु के भीतरी भागों में शराब की दुकानों की घेराबन्दी की गई। 
  • आन्ध्रप्रदेश के गुंटूर जिले में आदिवासी और गरीब किसानों ने बहुत सारे 'वन सत्याग्रह' किए।
  • सिंध और बंगाल में खिलाफत-असहयोग गठबन्धन ने राष्ट्रीय आन्दोलन को पर्याप्त साम्प्रदायिक एकता और मजबूती प्रदान की। 
  • पंजाब में सिखों के अकाली आन्दोलन ने अपने गुरुद्वारों में अंग्रेजों की सहायता से जमे बैठे भ्रष्ट महंतों को हटाने के लिए आन्दोलन चलाया। 
  • असम में चाय बागान मजदूरों ने अपनी तनख्वाह में इजाफे की माँग शुरू कर दी। 

(2) लोग गाँधीजी को एक तरह का मसीहा, एक ऐसा व्यक्ति मानने लगे थे जो उन्हें मुसीबतों और गरीबी से छुटकारा दिला सकता है। किसानों को लगता था कि गाँधीजी उन्हें जमींदारों के खिलाफ संघर्ष में मदद देंगे। खेतिहर मजदूरों को यकीन था कि वे उन्हें जमीन दिला देंगे। 

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प्रश्न 8. 
गाँधीजी ने नमक कानून तोड़ने का फैसला क्यों लिया?
उत्तर:
गाँधीजी ने नमक कानून तोड़ने का फैसला इसलिए लिया कि उनके विचार में नमक पर टैक्स वसूलना पाप है; क्योंकि यह हमारे भोजन का बुनियादी हिस्सा होता है। इसे अमीर और गरीब समान मात्रा में प्रयोग करते हैं। 

प्रश्न 9. 
1937-47 की उन घटनाओं पर चर्चा करें जिनके फलस्वरूप पाकिस्तान का जन्म हुआ। 
उत्तर:
1937-47 की घटनाएँ जिनके फलस्वरूप पाकिस्तान का जन्म हुआ, निम्न प्रकार हैं-

  • 1930 के दशक में मुस्लिम जनता को अपने साथ लामबंद करने में कांग्रेस की विफलता ने लीग को अपना सामाजिक जनाधार फैलाने में मदद की। 
  • 1940 के दशक के शुरुआती सालों में जिस समय कांग्रेस के ज्यादातर नेता जेल में थे, उस समय लीग ने अपना |प्रभाव फैलाने के लिए तेजी से प्रयास किए।
  • दूसरे विश्व युद्ध के बाद अंग्रेजों ने भारतीय स्वतन्त्रता के लिए कांग्रेस और लीग से बातचीत शुरू कर दी। यह वार्ता असफल रही क्योंकि लीग का कहना था कि उसे भारतीय मुसलमानों का एकमात्र प्रतिनिधि माना जाए कांग्रेस ने इस दावे को मंजूर नहीं किया। 
  • 1946 के प्रान्तीय चुनावों में लीग को मुसलमानों के लिए आरक्षित सीटों पर बेजोड़ सफलता मिली। इससे लीग 'पाकिस्तान' की माँग पर कायम रही। 
  • मार्च, 1946 में ब्रिटिश कैबिनेट मिशन कांग्रेस और मुस्लिम.लीग को प्रस्ताव के कुछ खास प्रावधानों पर सहमत नहीं करा सका। 
  • लीग ने 16 अगस्त, 1946 को 'प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस' मनाने का आह्वान किया। इसी दिन कलकत्ता में दंगे भड़क उठे और मार्च, 1947 तक हिंसा उत्तरी भारत के विभिन्न भागों में फैल गई। 

अन्ततः भारत-विभाजन के फलस्वरूप एक नए देशपाकिस्तान का जन्म हुआ।

admin_rbse
Last Updated on June 1, 2022, 2:43 p.m.
Published May 31, 2022