Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 6 बुनकर, लोहा बनाने वाले और फैक्ट्री मालिक Textbook Exercise Questions and Answers.
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गतिविधि (पृष्ठ 69)
प्रश्न 1.
आपकी राय में कैलिको अधिनियम का यह नाम 'कैलिको अधिनियम' क्यों रखा गया? इस नाम से इस बारे में क्या पता चलता है कि कौन से कपड़े पर पाबंदी लगाई जा रही थी?
उत्तर:
गतिविधि (पृष्ठ 72)
प्रश्न 1.
स्रोत 1 और 2 (पाठ्यपुस्तक में ) को देखें। अर्जी भेजने वालों ने अपनी भूखमरी के लिए किन परिस्थितियों को जिम्मेदार बताया है?
उत्तर:
गतिविधि (पृष्ठ 75)
प्रश्न 1.
नवाबों और राजाओं की हार से लौह एवं इस्पात उद्योग कैसे प्रभावित होता था?
उत्तर:
नवाब और राजा लोग तलवारों एवं कवचों का प्रयोग करते थे। ब्रिटिश द्वारा भारत विजय के उपरांत तलवार एवं कवच बनाने वाले उद्योग का पतन हो गया तथा इंग्लैंड से आयात किए जाने वाले लोहे एवं इस्पात ने भारतीय कारीगरों द्वारा बनाए जाने वाले लोहे एवं इस्पात की जगह ले ली।
आइए कल्पना करें-पृष्ठ 79
प्रश्न 1.
कल्पना करें कि आप उन्नीसवीं सदी के आखिर के भारतीय बुनकर हैं। भारतीय फैक्ट्रियों में बने कपड़े बाजार में छाए हुए हैं। ऐसी स्थिति में आप अपनी जिंदगी में क्या बदलाव लाएँगे?
उत्तर:
ऐसी स्थिति में हम अपनी जिन्दगी में निम्न बदलाव लायेंगे-
फिर से याद करें-
प्रश्न 1.
यूरोप में किस तरह के कपड़ों की भारी माँग थी?
उत्तर:
यूरोप में छापेदार भारतीय सूती कपड़े की भारी माँग थी। इन्हें यूरोपीय व्यापारी शिंट्ज, कोसा (या खस्सा) और बंडाना कहते थे।
प्रश्न 2.
जामदानी क्या है?
उत्तर:
जामदानी एक तरह का प्रायः सलेटी और सफेद रंग का बारीक मलमल होता है, जिस पर करघे में सजावटी चिह्न बुने जाते हैं। इसकी बुनाई के लिए आमतौर पर सूती और सोने के धागों का इस्तेमाल किया जाता था।
प्रश्न 3.
बंडाना क्या है?
उत्तर:
बंडाना शब्द का प्रयोग गले या सिर पर पहनने वाले किसी चटक रंग के छापेदार गुलूबन्द के लिए किया जाता है। यह शब्द हिन्दी के 'बाँधना' शब्द से निकला है। इस श्रेणी में चटक रंगों वाले ऐसी बहुत सारी किस्म के कपड़े आते थे जिन्हें बाँधने और रंगसाजी की विधियों से ही बनाया जाता था।
प्रश्न 4.
अगरिया कौन होते हैं?
उत्तर:
अगरिया लोहा बनाने वाले लोगों का एक समुदाय था। ये लोग लोहा गलाने की कला में निपुण थे।
प्रश्न 5.
रिक्त स्थान भरें :
(क) अंग्रेजी का शिंट्ज शब्द हिंदी के .............. शब्द से निकला है।
(ख) टीपू की तलवार ................. स्टील से बनी थी।
(ग) भारत का कपड़ा निर्यात ............... सदी में गिरने लगा।
उत्तर:
(क) छींट,
(ख) वुट्ज,
(ग) उन्नीसवीं।
आइए विचार करें-
प्रश्न 6.
विभिन्न कपड़ों के नामों से उनके इतिहासों के बारे में क्या पता चलता है?
उत्तर:
कपड़ों के नामों में इतिहास छुपा है। विभिन्न कपड़ों के नाम का अलग इतिहास है। यथा-
प्रश्न 7.
इंग्लैंड के ऊन और रेशम उत्पादकों ने अठारहवीं सदी की शुरुआत में भारत से आयात होने वाले कपड़े का विरोध क्यों किया था?
उत्तर:
अठारहवीं सदी की शुरुआत में इंग्लैंड में कपड़ा उद्योग के विकास की शुरुआत ही हुई थी। भारतीय वस्त्रों से प्रतियोगिता में अक्षम होने के कारण ब्रिटिश उत्पादक अपने देश में भारतीय वस्त्रों पर प्रतिबंध लगाकर अपने लिए बाजार सुनिश्चित करना चाहते थे।
अतः आरंभिक अठारहवीं सदी के आते-आते भारतीय वस्त्रों की लोकप्रियता से चिंतित ब्रिटिश ऊन तथा रेशम उत्पादकों ने भारतीय वस्त्रों के आयात का विरोध करना शुरू कर दिया। इसी दबाव में 1720 में ब्रिटिश सरकार ने एक कानून लाकर इंग्लैण्ड में छापेदार सूती वस्त्रों अर्थात् 'शिंट्ज' के उपयोग पर रोक लगा दी। इस अधिनियम को 'कैलिको अधिनियम' के नाम से जाना गया।
प्रश्न 8.
ब्रिटेन में कपास उद्योग के विकास से भारत के कपड़ा उत्पादकों पर किस तरह के प्रभाव पड़े?
उत्तर:
ब्रिटेन में कपास (सूती कपड़ा) उद्योग के विकास से भारत के कपड़ा उत्पादकों पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े-
प्रश्न 9.
उन्नीसवी सदी में भारतीय लौह प्रगलन उद्योग का पतन क्यों हुआ?
उत्तर:
उन्नीसवीं सदी में भारतीय लौह प्रगलन उद्योग के पतन के निम्नलिखित कारण थे-
प्रश्न 10.
भारतीय वस्त्रोद्योग को अपने शुरुआती सालों में किन समस्याओं से जूझना पड़ा?
उत्तर:
शुरुआती सालों में भारतीय वस्त्रोद्योग को निम्न समस्याओं से जूझना पड़ा-
(1) भारतीय वस्त्रोद्योग. के लिए ब्रिटेन से आयात किए जाने वाले सस्ते वस्त्रों से मुकाबला करना कठिन हो गया।
(2) अधिकतर देशों में सरकारों ने आयात पर अधिक-से अधिक सीमा शुल्क लगा कर अपने यहाँ औद्योगीकरण को प्रोत्साहित किया। इससे प्रतियोगिता खत्म हो जाती थी तथा सम्बन्धित देश के नवस्थापित उद्योगों को सुरक्षा मिलती थी। भारत की औपनिवेशिक सरकार ने यहाँ के स्थानीय उद्योगों को इस तरह की सुरक्षा देने से साफ इनकार कर दिया।
प्रश्न 11.
पहले महायुद्ध के दौरान अपना स्टील उत्पादन बढ़ाने में टिस्को को किस बात से मदद मिली?
उत्तर:
पहले महायुद्ध के दौरान अपना स्टील उत्पादन बढ़ाने में टिस्को को निम्न बातों से मदद मिली-