Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Social Science Civics Chapter 9 जनसुविधाएँ Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
(i) क्या चेन्नई में सभी के लिए पानी का संकट है?
(ii) क्या आप बता सकते हैं कि अलग-अलग लोगों को अलग-अलग मात्रा में पानी क्यों मिलता है? दो कारण बताएँ।
उत्तर:
(i) नहीं, चेन्नई में सभी के लिए पानी का संकट नहीं है। कुछ प्रभावशाली लोगों को आवश्यकता से अधिक जल उपलब्ध है।
(ii) अलग-अलग लोगों को अलग-अलग मात्रा में पानी मिलने के दो कारण ये हैं-
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प्रश्न 2.
जनसुविधाएँ क्या होती हैं? जनसुविधाएं मुहैया कराने की जिम्मेदारी सरकार पर क्यों होनी चाहिए?
उत्तर:
जनसुविधाएँ-ऐसी सुविधाएँ जिनका सम्बन्ध व्यक्ति की मूलभूत सुविधाओं से होता है, जनसुविधाएँ कहलाती हैं। जैसे-पानी, स्वच्छता, बिजली, सार्वजनिक परिवहन, अस्पताल, विद्यालय, कॉलेज आदि।
जनसुविधाएं मुहैया कराने की जिम्मेदारी सरकार पर ही होनी चाहिए क्योंकि हमारे संविधान में जीवन के अधिकार का भी आश्वासन दिया गया है जो देश के सभी लोगों को प्राप्त है। अतः इसकी जिम्मेदारी सरकार पर ही है।
प्रश्न 3.
आपको ऐसा क्यों लगता है कि जनसुविधाओं की जिम्मेदारी सरकार के ऊपर ही होनी चाहिए जबकि वह इन कामों को निजी कंपनियों के जरिये भी करवा सकती है?
उत्तर:
जनसुविधाओं की जिम्मेदारी सरकार के ऊपर ही होनी चाहिए। सरकार को इसे निजी कंपनियों के द्वारा नहीं करवाना चाहिए क्योंकि निजी कंपनियाँ सुविधाएँ तो मुहैया कराती हैं, लेकिन उनकी कीमत इतनी ज्यादा होती है कि चंद लोग ही उसका खर्च उठा पाते हैं। जो लोग इन सुविधाओं के एवज में खर्च नहीं कर पाएँगे वे सम्मानजनक जीवन जीने से वंचित रह जायेंगे। लेकिन ये लोगों की मूलभूत आवश्यकताएँ होती हैं जिनका पूरा होना समाज के सभी लोगों के लिए आवश्यक है।
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प्रश्न 4.
(अ) अगर सरकार जलापूर्ति की जिम्मेदारी से हाथ खींच ले तो क्या होगा?
(ब) क्या आपको लगता है कि यह सही कदम होगा?
उत्तर:
(अ) यदि सरकार जलापूर्ति की जिम्मेदारी से हाथ खींच ले तो निजी कंपनियाँ जलापूर्ति के क्षेत्र में आगे आयेंगी लेकिन पानी के इस्तेमाल में जबरदस्त असमानता बढ़ जायेगी तथा पानी की दर अत्यधिक बढ़ जायेगी। बहुत सारे लोग पानी का खर्च उठाने में अक्षम हो जायेंगे तथा लोग पानी के लिए आंदोलनरत हो जायेंगे।
(ब) सरकार द्वारा जलापूर्ति की जिम्मेदारी से हाथ खींचना सही कदम नहीं होगा।
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प्रश्न 5.
जलापूर्ति में सुधार के लिए आपकी राय में क्या किया जा सकता है?
उत्तर:
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प्रश्न 6.
क्या आपको लगता है कि समुचित स्वच्छता सुविधाओं के अभाव से लोगों का जीवन प्रभावित होता है? कैसे?
उत्तर:
समुचित स्वच्छता सुविधाओं के अभाव से लोगों में बीमारियाँ फैलती हैं और बीमारियों से उनका स्वास्थ्य कमजोर होता है। स्वास्थ्य के लिए उनका खर्चा बढ़ जाता है, जिससे उन्हें पोषण के मद में कमी करनी पड़ती है। इस सबका प्रभाव यह होता है कि लोगों की कार्यक्षमता घट जाती है, वे कुपोषण के शिकार हो जाते हैं।
प्रश्न 1.
आपको ऐसा क्यों लगता है कि दुनिया में निजी जलापूर्ति के उदाहरण कम हैं?
उत्तर:
दुनिया में निजी जलापूर्ति के उदाहरण कम हैं क्योंकि निजी कंपनियां मुनाफे के लिए चलती हैं। कई जगह निजी कंपनियाँ टैंकरों या सीलबन्द बोतलों के जरिये पानी की आपूर्ति करती हैं, लेकिन उनकी. कीमत इतनी ज्यादा होती है कि चंद लोग ही उसका खर्च उठा पाते हैं। यह सुविधा सस्ती दर पर सभी लोगों के लिए उपलब्ध नहीं होती; जितना खर्च करेंगे, उसके मुताबिक ही सुविधा पायेंगे। इसका नतीजा यह होगा कि जो इन सुविधाओं के एवज में खर्च नहीं कर पायेंगे वे सम्मानजनक जीवन जीने से वंचित रह जायेंगे। इससे हमको ऐसा लगता है कि दुनिया में निजी जलापूर्ति के उदाहरण कम हैं।
प्रश्न 2.
क्या आपको लगता है कि चेन्नई में सबको पानी की सुविधा उपलब्ध है और वे पानी का खर्च उठा सकते हैं? चर्चा करें।
उत्तर:
चेन्नई में सबको पानी की सुविधा उपलब्ध नहीं है। नगरपालिका की आपूर्ति से शहर की लगभग आधी जरूरत ही पूरी हो पाती है। कुछ इलाकों में नियमित रूप से पानी आता है, कुछ इलाकों में बहुत कम पानी आता है। जलापर्ति में कमी का बोझ ज्यादातर गरीबों पर पड़ता है। जब मध्यम वर्ग के लोगों के सामने पानी की किल्लत पैदा हो जाती है तो इस वर्ग के लोग बोरवेल खोद कर, टैंकरों से पानी खरीद कर या बोतलबंद पानी खरीद कर अपना काम चला लेते हैं। पानी की उपलब्धता के अलावा कुछ ही लोगों की सुरक्षित पेयजल तक पहुँच है। सम्पन्न तबके के लोग अधिक खर्च करके बोतलबंद पानी या जलशोधक उपकरणों के सहारे साफ पानी का इंतजाम कर सकते हैं। परन्तु गरीब इस सुविधा से वंचित रह जाते हैं। ऐसा लगता है कि जिन लोगों के पास पैसा है, उन्हीं के पास पानी का अधिकार है। यह स्थिति सबको पर्याप्त तथा स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लक्ष्य से बहुत दूर है।
प्रश्न 3.
किसानों द्वारा चेन्नई के जल व्यापारियों को पानी बेचने से स्थानीय लोगों पर क्या असर पड़ रहा है? क्या आपको लगता है कि स्थानीय लोग भूमिगत पानी के इस दोहन का विरोध कर सकते हैं? क्या सरकार इस बारे में कुछ कर सकती है?
उत्तर:
किसानों द्वारा चेन्नई के जल व्यापारियों को पानी बेचने से न केवल खेती का पानी छिन जाता है, बल्कि गाँव के लोगों के लिए पीने के पानी की आपूर्ति भी कम पड़ने लगती है। फलस्वरूप सारे कस्बों और गांवों में भूमिगत जल स्तर बुरी तरह गिर चुका है। स्थानीय लोग भूमिगत पानी के इस दोहन का विरोध कर सकते हैं। सरकार को भी चाहिए कि ऐसे अवांछित भूमिगत पानी के दोहन को रोका जाये और सार्वजनिक जल वितरण प्रणाली का विस्तार किया जाये।
प्रश्न 4.
ऐसा क्यों है कि ज्यादातर निजी अस्पताल और निजी स्कूल कस्बों या ग्रामीण इलाकों की बजाय बड़े शहरों में ही हैं?
उत्तर:
ज्यादातर निजी अस्पताल और निजी स्कूल कस्बों या ग्रामीण इलाकों की बजाय बड़े शहरों में इसलिए हैं कि इन. शहरों में कस्बों तथा गांवों की तुलना में जन- सुविधाएँ अधिक मात्रा में उपलब्ध हैं। जनसुविधाओं के अभाव में निजी स्कूल व निजी अस्पताल गांवों या कस्बों में नहीं खोले जा रहे हैं। दूसरे, निजी स्कूलों और निजी अस्पतालों की सेवाएँ महँगी होती हैं। इन महँगी सेवाओं पर सम्पन्न वर्ग ही खर्च कर सकता है। गांवों तथा कस्बों में शहरों की तुलना में सम्पन्नता का अभाव है। इन कारणों से वहां निजी स्कूल व निजी अस्पताल नहीं खुल पा रहे हैं।
प्रश्न 5.
क्या आपको लगता है कि हमारे देश में जनसुविधाओं का वितरण पर्याप्त और निष्पक्ष है? अपनी बात के समर्थन में एक उदाहरण दें।
उत्तर:
नहीं, हमें यह नहीं लगता है कि हमारे देश में जनसुविधाओं का वितरण पर्याप्त और निष्पक्ष है। उदाहरण के लिए, चेन्नई में पानी की भारी कमी है। नगरपालिका की आपूर्ति से शहर की लगभग आधी जरूरत ही पूरी हो पाती है। कुछ इलाकों में नियमित रूप से पानी आता है; कुछ इलाकों में बहुत कम पानी आता है। यथा-
(1) अन्नानगर क्षेत्र- चेन्नई के अन्नानगर जैसे उच्चवर्गीय इलाके के नलों में 24 घंटे पानी रहता है। जब पानी की आपूर्ति कम होती है तो वहाँ के रामगोपाल जैसे निवासी नगर जल निगम में परिचित एक बड़े अफसर से बात करते हैं और फौरन उनके लिए पानी के टैंकर का इंतजाम हो जाता है।
(2) मैलापुर जैसे क्षेत्र- शहर के ज्यादातर इलाकों की तरह मैलापुर में पानी की कमी है। यहाँ नगरपालिका दो दिन में एक बार पानी उपलब्ध कराती है। कुछ लोगों की जरूरतें निजी बोरवेल से पूरी हो जाती हैं। लेकिन बोरवेल का पानी खारा है। लोग उसे शौचालय और साफ-सफाई के लिए ही इस्तेमाल करते हैं। दूसरे कामों के लिए टैंकरों का पानी खरीदना पड़ता है। पानी खरीदने के लिए प्रति माह 500-600 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। पीने के पानी को साफ करने के लिए लोगों ने घरों में ही जल शोधन उपकरण लगवाये हुए हैं।
(3) मडीपाक्कम जैसे इलाके- मडीपाक्कम जैसे इलाकों में चार दिन में एक बार पानी मिलता है। पानी की कमी के कारण वे लोग परिवार को भी अपने साथ में नहीं रख पा रहे हैं। पीने के लिए पानी की बोतलें खरीदनी पड़ती हैं।
(4) सैदापेट के पास झुग्गी बस्ती- 30 झुग्गियों के लिए कोने में एक ही नल है। नल में रोज 20 मिनट के लिए एक बोरवेल से पानी आता है। इस दौरान एक परिवार को ज्यादा से ज्यादा 3 बाल्टियाँ भरने का मौका मिलता है। इसी पानी को लोग नहाने, धोने और पीने के लिए इस्तेमाल करते हैं। गर्मियों में पानी और भी कम मिलता है। उन्हें टैंकरों का घंटों इंतजार करना पड़ता है। इस उदाहरण से स्पष्ट है कि हमारे देश में जनसुविधाओं का न तो पर्याप्त वितरण है और न ही यह वितरण निष्पक्ष है।
प्रश्न 6.
अपने इलाके की पानी, बिजली आदि कुछ जनसुविधाओं को देखें। क्या उनमें सुधार की कोई गुंजाइश है? आपकी राय में क्या किया जाना चाहिए?
उत्तर:
अपने क्षेत्र की स्थिति के आधार पर यह प्रोजेक्ट कार्य विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 7.
क्या आपके इलाके के सभी लोग उपर्युक्त जनसुविधाओं का समान रूप से इस्तेमाल करते हैं? विस्तार से बताएँ।
उत्तर:
नहीं, हमारे इलाके के सभी लोग उपर्युक्त जनसुविधाओं का समान रूप से इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। हमारे इलाके में सभी वर्गों के लोग रहते हैं। इनमें आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न लोग सरकारी जनसुविधाओं के साथ-साथ निजी कम्पनियों द्वारा प्रदत्त जनसुविधाओं का भी इस्तेमाल करते हैं। जबकि गरीब लोग केवल सरकारी जनसुविधाओं पर आश्रित हैं।
सरकारी जनसुविधाओं पर अत्यधिक भार होने के कारण उनकी प्राप्ति हेतु गरीब लोगों को घंटों इन्तजार करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त उन्हें पानी, बिजली जैसी सुविधाएँ भी कम मात्रा में प्राप्त होती हैं।
प्रश्न 8.
जनगणना के साथ-साथ कुछ जन-सुविधाओं के बारे में भी आंकड़े इकट्ठा किये जाते हैं। अपने शिक्षक के साथ चर्चा करें कि जनगणना का काम कब और किस तरह किया जाता है?
उत्तर:
हमारे देश में जनगणना का कार्य प्रत्येक दस वर्ष बाद किया जाता है। उदाहरण के लिए, अभी हाल ही में सन् 2011 में जनगणना हुई है। अब अगली जनगणना 2021 में होगी। जनगणना का कार्य जनगणना विभाग द्वारा किया जाता है। प्रत्येक राज्य में जनगणना विभाग अन्य राज्य कर्मचारियों से, विशेषकर शिक्षकों से, इस कार्य में सहायता लेता है। वह सरकार द्वारा निर्धारित बिन्दुओं के आधार परं जनगणना का कार्य करता है । गणक प्रत्येक घर जाकर परिवार के मुखिया से घर के सदस्यों की संख्या, उनके नाम आदि का विवरण लेते हैं। इसके साथ ही धर्म, जाति (यदि पूछी जाये), व्यवसाय, जन-सुविधाओं की उपलब्धता सम्बन्धी आंकड़े लेते हैं। इन समस्त आंकड़ों का जनगणना विभाग वर्गीकरण, सारणीयन तथा विश्लेषण कर सामान्य निष्कर्ष निकालता है तथा उन निष्कर्षों को प्रकाशित करता है।
प्रश्न 9.
हमारे देश में निजी शैक्षणिक संस्थान-स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, तकनीकी और व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थान बड़े पैमाने पर खुलते जा रहे हैं। दूसरी तरफ सरकारी शिक्षा संस्थानों का महत्त्व कम होता जा रहा है। आपकी राय में इसका क्या असर हो सकता है? चर्चा कीजिये।
उत्तर:
निजी शैक्षणिक संस्थानों ने समय की मांग के अनुसार अपने को ढाला है जबकि सरकारी शिक्षा संस्थानों ने समय की मांग के अनुरूप तकनीकी ढंग से अपने आप को परिवर्तित नहीं किया है, इसके कारण इनकी तुलना में निजी शिक्षा संस्थानों का महत्त्व बढ़ता जा रहा है। हमारी राय में इसका निम्न असर हो सकता है-