Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Social Science Civics Chapter 6 हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
आपको ऐसा क्यों लगता है कि पुलिस हिरासत के दौरान अपनी गलती मानते हुए आरोपी द्वारा दिए गए बयानों को उसके खिलाफ सबूत के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता?
उत्तर:
पुलिस हिरासत के दौरान आरोपी को पीटकर, सताकर तथा अन्य प्रकार का दबाव डालकर अपनी बात को मनवाने का प्रयास करती है। ऐसे दबाव में घबराकर आरोपी गलत बात को भी स्वीकार कर सकता है। इसलिए पुलिस हिरासत के दौरान अपनी गलती मानते हुए आरोपी द्वारा दिए गए बयानों को, संविधान के अनुच्छेद 22 के मौलिक अधिकार के तहत, आरोपी के खिलाफ सबूत के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
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प्रश्न 2.
जब चोरी के इल्जाम में शान्ति को गिरफ्तार किया गया, उसी दौरान सब-इन्स्पेक्टर राव ने उसके भाई सशील को भी दो दिन तक पलिस हिरासत में रखा। क्या उसको हिरासत में रखने की कार्यवाही कानूनन सही थी? क्या इससे डी.के. बसु दिशा-निर्देशों का उल्लंघन हुआ है?
उत्तर:
शान्ति के भाई सुशील को भी दो दिन तक पुलिस हिरासत में रखने की कार्यवाही कानूनन सही नहीं थी क्योंकि एफ.आई.आर. में उसके विरुद्ध कोई आरोप नहीं लगाया गया था। सुशील की गिरफ्तारी में डी.के. बसु के इन दिशा-निर्देशों का उल्लंघन हुआ है कि "गिरफ्तारी के समय अरेस्ट मेमो के रूप में गिरफ्तारी सम्बन्धी पूरी जानकारी का कागज तैयार किया जाये। उसमें गिरफ्तारी के समय व तारीख का उल्लेख होना चाहिए। उसके सत्यापन के लिए कम-से-कम एक गवाह होना चाहिए। वह गिरफ्तार सदस्य के परिवार का व्यक्ति भी हो सकता है। अरेस्ट मेमो पर गिरफ्तार होने वाले व्यक्ति के दस्तखत होने चाहिए।"
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प्रश्न 3.
क्या सब-इन्स्पेक्टर राव ने शान्ति को गिरफ्तार करने और उसके खिलाफ मुकदमा दायर करने से पहले गवाहों से पर्याप्त सवाल पूछे और जरूरी सबूत इकट्ठा किये थे? पुलिस की जिम्मेदारियों के हिसाब से आपकी राय में सब-इन्स्पेक्टर राव को जाँच के लिहाज से और क्या-क्या करना चाहिए था?
उत्तर:
नहीं, सब-इन्स्पेक्टर राव ने शान्ति को गिरफ्तार करने और उसके खिलाफ मुकदमा दायर करने से पहले गवाहों से पर्याप्त सवाल नहीं पूछे और जरूरी सबूत इकट्ठा नहीं किये थे। हमारी राय में सब-इन्स्पेक्टर राव को जाँच के लिहाज से यह जानकारी अवश्य हासिल करनी चाहिए थी कि-
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प्रश्न 4.
मान लीजिए कि शान्ति और उसका भाई सशील थाने में जाकर यह शिकायत करते हैं कि शिंदे के 20 वर्षीय बेटे ने उनकी बचत के 15,000 रुपये चुरा लिये हैं। क्या आपको लगता है कि थाने का प्रभारी अधिकारी फौरन उनकी एफ.आई.आर. दर्ज कर लेगा? ऐसे कारक लिखिये जो आपकी राय में एफ.आई.आर. लिखने या न लिखने के पुलिस के फैसले को प्रभावित करते हैं।
उत्तर:
हमारी राय से थाने का प्रभारी अधिकारी शिंदे के बेटे के खिलाफ फौरन शान्ति और उसके भाई सुशील की चोरी की शिकायत को थाने में दर्ज नहीं करेगा। हमारी राय में एफ.आई.आर. लिखने या न लिखने के पुलिस के फैसले को ये कारक प्रभावित करते हैं-
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प्रश्न 5.
शान्ति के मुकदमे के विवरण के आधार पर अपने शब्दों में लिखें कि निम्नलिखित प्रक्रियाओं का आप क्या मतलब समझते हैं-
(i) खुली अदालत
(ii) सबूतों के आधार पर
(iii) अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह।
उत्तर:
(i) खली अदालत-खुली अदालत से यहाँ आशय यह है कि न्यायाधीश के सम्मुख जो आरोप अभियोजन पक्ष के वकील के द्वारा लगाये जाते हैं, वे आरोपी या बचाव पक्ष के सदस्यों तथा उसके वकील के सम्मुख खुले में लगाये जाते हैं अर्थात् मुकदमा आरोपी व उसके वकील की उपस्थिति में चलाया जाता है।
(ii) सबूतों के आधार पर-न्यायाधीश के समक्ष अभियोजन पक्ष तथा बचाव पक्ष के द्वारा जो साक्ष्य प्रस्तुत किये जाते हैं, उन साक्ष्यों (सबूतों) के आधार पर न्यायाधीश अपना फैसला सुनाता है।
(iii) अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह-इसका आशय यह है कि अभियोजन पक्ष ने आरोप के साक्ष्य में जो गवाह प्रस्तुत किये हैं, न्यायाधीश के सम्मुख बचाव पक्ष का वकील उनसे बहस कर उनकी गवाही के आधारों को स्पष्ट करते हुए यह सिद्ध करने का प्रयास करता है कि गवाही का आधार युक्ति-युक्त या मानवीय नहीं है।
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प्रश्न 6.
अपनी कक्षा में चर्चा करें कि अगर शान्ति के मुकदमे में निम्नलिखित प्रक्रियाओं का पालन न किया जाता तो क्या हो सकता था?
(i) अगर उसे अपने बचाव के लिए वकील न मिलता।
(ii) अगर अदालत उसे निर्दोष नहीं मानते हुए मुकदमा चलाती।
उत्तर:
(i) अगर चोरी की आरोपी शान्ति को अपने बचाव के लिए वकील नहीं मिलता तो अभियोजन पक्ष की ओर 'से पेश किये गये गवाहों की गवाही के आधारों की तथ्यहीनता का खुलासा नहीं हो पाता कि "किसी भी गवाह ने शान्ति को चोरी करते हुए नहीं देखा; पिछले तीन साल से, जब से शान्ति ने उस घर में कार्य करना शुरू 'किया, तब से कभी भी चोरी की घटना नहीं हुई तथा शान्ति को प्रतिमाह इतनी पगार मिलती थी कि तीन साल में वह 10,000 रुपये की बचत कर सकती है।" इन तथ्यों के सामने आने से शान्ति पर चोरी का आरोप निराधार हो सका।
(ii) अगर अदालत शान्ति को निर्दोष नहीं मानते हुए मुकदमा चलाती तो न्याय की निष्पक्षता समाप्त हो जाती।
प्रश्न 1.
पीसलैंड नामक शहर में फिएस्ता फुटबॉल टीम के समर्थकों को पता चलता है कि पास के एक शहर में जो वहाँ से लगभग 40 कि.मी. है, जुबली फुटबॉल टीम के समर्थकों ने खेल के मैदान को खोद दिया है। वहीं अगले दिन दोनों टीमों के बीच अन्तिम मुकाबला होने वाला है। फिएस्ता के समर्थकों का एक झुण्ड घातक हथियारों से लैस होकर अपने शहर के जुबली समर्थकों पर धावा बोल देता है। इस हमले में दस लोग मारे जाते हैं, पाँच औरतें बुरी तरह जख्मी होती हैं, बहुत सारे घर नष्ट हो जाते हैं और पचास से ज्यादा लोग घायल होते हैं। कल्पना कीजिए कि आप और आपके सहपाठी आपराधिक न्याय व्यवस्था के अंग हैं। अब अपनी कक्षा को इन चार समूहों में बाँट दीजिए (1) पुलिस, (2) सरकारी वकील, (3) बचाव पक्ष का वकील और (4) न्यायाधीश।
(अ) आगे दी गयी तालिका के दाएँ कॉलम में कछ. जिम्मेदारियां दी गई हैं। इन जिम्मेदारियों को बाईं ओर दिये गये अधिकारियों की भूमिका के साथ मिलाएँ। प्रत्येक टोली को अपने लिए उन कामों का चुनाव करने दीजिए जो फिएस्ता समर्थकों की हिंसा से पीड़ित लोगों को न्याय दिलाने के लिए आवश्यक हैं। ये काम किस क्रम में किए जायेंगे?
(ब) अब यही स्थिति लें और किसी ऐसे विद्यार्थी को उपर्युक्त सारे काम करने के लिए कहें जो फिएस्ता क्लब का समर्थक है। यदि आपराधिक न्याय व्यवस्था के सारे कामों को केवल एक ही व्यक्ति करने लगे तो क्या आपको लगता है कि पीड़ितों को न्याय मिल पाएगा? क्यों नहीं?
(स) आप ऐसा क्यों मानते हैं कि आपराधिक न्याय व्यवस्था में विभिन्न लोगों को अपनी अलग-अलग भूमिका निभानी चाहिए? दो कारण बताएँ।
उत्तर:
(अ) तालिका के दायें कॉलम में दिये हुए काम अग्र क्रम में किये जायेंगे-
(ब) यदि आपराधिक न्याय व्यवस्था के सारे कामों को केवल एक ही व्यक्ति करने लगे तो पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पायेगा क्योंकि न्याय में निष्पक्षता का अभाव रहेगा। आरोपी का निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार समाप्त हो जायेगा।
(स) हमारा मानना है कि आपराधिक न्याय व्यवस्था में विभिन्न लोगों को अपनी अलग-अलग भूमिका निभानी चाहिए-
(1) यदि जाँच एजेंसी (पुलिस और न्यायाधीश) एक ही व्यक्ति होगा तो पुलिस ही न्यायाधीश का काम करेगी। इसमें गिरफ्तार व्यक्ति के अनुच्छेद 22 में दिये गये मौलिक अधिकारों का हनन होगा तथा न्याय की निष्पक्षता के लिए बचाव पक्ष को अपना पक्ष रखने का पूर्ण अवसर नहीं मिलेगा।
(2) यदि सरकारी वकील और बचाव पक्ष का वकील एक ही होंगे तो निष्पक्ष जाँच की समूची प्रक्रिया ही व्यर्थ होगी।
अतः (1) न्याय की निष्पक्षता तथा (2) गिरफ्तार व्यक्ति के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए यह आवश्यक है कि आपराधिक न्याय व्यवस्था में विभिन्न लोगों को अपनी अलग-अलग भूमिका निभानी चाहिए।