Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Social Science Civics Chapter 2 धर्मनिरपेक्षता की समझ Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
इस अध्याय की भूमिका को एक बार फिर पढ़िये। आपको ऐसा क्यों लगता है कि बदले की भावना इस .समस्या से निपटने का सही रास्ता नहीं हो सकती? अगर सारे समूह बदले के रास्ते पर चल पड़ें तो क्या होगा?
उत्तर:
इस अध्याय की भूमिका में यह प्रश्न उठाया गया है कि धर्म से संबंधित किसी भी तरह के वर्चस्व को खत्म कैसे किया जाए? यदि किसी देश में बहुसंख्यक धर्मावलम्बी अल्पसंख्यक धर्मावलम्बियों के साथ भेदभाव करते हैं, अत्याचार करते हैं तो इसे रोकने के लिए क्या किया जाये? अध्याय की भूमिका में इस हेतु दो रास्ते दिखाये गये हैं-प्रथम तो यह कि सारे समूह बदले के रास्ते पर चल पड़ें और द्वितीय, संघर्ष का रास्ता चुनते हुए यह आवाज उठायें कि धर्म और आस्था के आधार पर किये जाने वाले भेदभाव का अन्त किया जाये अर्थात् धर्म से संबंधित किसी भी तरह के वर्चस्व को खत्म किया जाये।
इसमें दूसरा रास्ता सही है क्योंकि यह अन्ततः विश्व शांति की ओर ले जाता है। और पहला रास्ता जिसमें बदला लेने की बात कही गयी है, यदि इसे सारे धर्मावलम्बी समूह अपनायेंगे तो इससे विभिन्न समुदायों के बीच परस्पर सहयोग व भाईचारा खत्म होगा एवं हिंसा बढ़ेगी तथा इसमें विश्वयुद्ध का खतरा बना रहेगा।
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प्रश्न 2.
सरकारी स्कूलों में अक्सर कई धर्मों के बच्चे आते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए धर्मनिरपेक्ष राज्य के तीन उद्देश्यों को दोबारा पढ़िये। आप इस बारे में दो वाक्य लिखिए कि सरकारी स्कूलों को किसी एक धर्म को बढ़ावा क्यों नहीं देना चाहिए?
उत्तर:
धर्मनिरपेक्ष राज्य के तीन उद्देश्य ये हैं-
सरकारी स्कूलों को किसी एक धर्म को बढ़ावा नहीं देना चाहिए क्योंकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है। यह सभी धर्मों को समान दृष्टि से देखता है और स्वयं को धर्म से दूर रखता है।
प्रश्न 1.
अपने आस-पड़ोस में प्रचलित धार्मिक क्रियाकलापों की सूची बनाइये। आप विभिन्न प्रकार की प्रार्थनाओं, विभिन्न देवताओं की पूजा, विभिन्न पवित्र स्थानों, विभिन्न प्रकार के धार्मिक संगीत और गायन आदि को देख सकते हैं। क्या इससे धार्मिक क्रियाकलापों की स्वतंत्रता का पता लगता है?
उत्तर:
(नोट-विद्यार्थी अपने आस-पड़ोस में प्रचलित धार्मिक क्रियाकलापों की सूची स्वयं बनाएँ। ये धार्मिक क्रियाकलाप पूजा-पाठ, नमाज, प्रार्थनाओं, अनुष्ठानों, धार्मिक संगीत, गायन, त्यौहारों के रूप में बताये जा सकते हैं।)
भारत में विभिन्न प्रकार की प्रार्थनाओं, विभिन्न देवताओं की पूजा, विभिन्न पवित्र स्थानों, विभिन्न प्रकार के धार्मिक संगीत और गायन आदि को देखने से यह स्पष्ट होता है कि यहाँ धार्मिक क्रियाकलापों की स्वतंत्रता है। सभी धर्मावलम्बी शांतिपूर्वक ढंग से पूजा-अर्चना, इबादत अपने-अपने ढंग से करने के लिए स्वतंत्र हैं। राज्य इनकी गतिविधियों में हस्तक्षेप नहीं करता है। सभी धर्मों को समान दृष्टि से देखता है।
प्रश्न 2.
अगर किसी धर्म के लोग यह कहते हैं कि उनका धर्म नवजात शिशुओं को मारने की छूट देता है तो क्या सरकार किसी तरह का दखल देगी या नहीं? अपने उत्तर के समर्थन में कारण बताइये।
उत्तर:
भारतीय धर्मनिरपेक्षता में राज्य को धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप की भी छूट दी गयी है। धर्म से राज्य का फासला सैद्धान्तिक है। संविधान में दिये गये आदर्शों तथा मूल अधिकारों की रक्षा के आधार पर राज्य किसी भी धर्म के मामले में हस्तक्षेप कर सकता है। यदि कोई धर्म नवजात शिशुओं को मारने की छूट देता है, तो यह व्यक्ति के जीवन के अधिकार का उल्लंघन करता है। ऐसी स्थिति में संविधान के आदर्शों एवं जीवन के अधिकार के उल्लंघन को रोकने के लिए राज्य धर्म के मामले में हस्तक्षेप कर नवजात शिशुओं को मारने को रोकने की कार्यवाही कर सकता है।
प्रश्न 3.
इस तालिका को पूरा कीजिये-
उद्देश्य |
यह महत्वपूर्ण क्यों है? |
इस उद्देश्य के उल्लंघन का एक उदाहरण |
1. एक धार्मिक समुदाय दूसरे समुदाय पर वर्चस्व नहीं रखता। |
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2. राज्य न तो किसी धर्म को थोपता है और न ही लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता छीनता है। |
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3. एक ही धर्म के कुछ लोग अपने ही धर्म के दूसरे लोगों को न दबाएँ। |
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उत्तर:
उद्देश्य |
यह महत्वपूर्ण क्यों है? |
इस उद्देश्य के उल्लंघन का एक उदाहरण |
1. एक धार्मिक समुदाय दूसरे समुदाय पर वर्चस्व नहीं रखता। |
इससे बहुमत की निरंकुशता और उसके कारण मौलिक अधिकारों का हनन नहीं होगा। |
यहूदी धर्म को मानने वाले इजरायल में मुसलमान और ईसाई अल्पसंख्यकों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाना। |
2. राज्य न तो किसी धर्म को थोपता है और न ही लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता छीनता है। |
सभी धर्मों की भावनाओं का सम्मान करना। |
सऊदी अरब में गैर-मुसलमानों को मंदिर या गिरिजाघर बनाने की छूट नहीं है। |
3. एक ही धर्म के कुछ लोग अपने ही धर्म के दूसरे लोगों को न दबाएँ। |
सभी नागरिकों को मौलिक अधिकारों का राज्य द्वारा आश्वासन देना। |
समाज की प्रभुत्वशाली जातियों द्वारा दलितों को दबाना। |
प्रश्न 4.
अपने स्कूल की छुट्टियों के वार्षिक कैलेंडर को देखिये। उनमें से कितनी छुट्टियाँ विभिन्न धर्मों से संबंधित हैं? इससे क्या संकेत मिलता है?
उत्तर:
अपने स्कूल की छुट्टियों के वार्षिक कैलेण्डर में लगभग 30 छुट्टियाँ विभिन्न धर्मों से सम्बन्धित हैं। इससे हमें निम्न संकेत मिलता है-
प्रश्न 5.
एक ही धर्म के भीतर अलग-अलग दृष्टिकोणों के कुछ उदाहरण दें।
उत्तर:
एक ही धर्म के भीतर अलग-अलग दृष्टिकोणों के उदाहरण-
प्रश्न 6.
भारतीय राज्य धर्म से फासला भी रखता है और उसमें हस्तक्षेप भी करता है। यह उलझाने वाला विचार लग सकता है। इस पर कक्षा में एक बार फिर चर्चा कीजिये। चर्चा के लिए इस अध्याय में दिए गए उदाहरणों के अलावा आप अपनी जानकारी के अन्य उदाहरणों का भी सहारा ले सकते हैं।
उत्तर:
भारतीय राज्य धर्म से फासला रखता है-भारतीय राज्य स्वयं को धर्म से दूर रखता है। राज्य न तो किसी खास धर्म को थोपेगा और न ही लोगों की धार्मिक स्वतन्त्रता छीनेगा।
भारतीय राज्य की बागडोर न तो किसी एक धार्मिक समूह के हाथों में है और न ही राज्य किसी एक धर्म को समर्थन देता है। भारत में कचहरी, थाने, सरकारी विद्यालय तथा कार्यालयों जैसे सरकारी संस्थानों में किसी खास धर्म को प्रोत्साहन देने या उसका प्रदर्शन करने की अपेक्षा नहीं की जाती है।
दूसरे, सभी धर्मों की भावनाओं का सम्मान करने और धार्मिक क्रियाकलापों में दखल न देने के लिए, राज्य कुछ धार्मिक समुदायों को कुछ विशेष छूट देता है। उदाहरण के लिए, पगड़ी पहनना सिक्ख धर्म की प्रथाओं के मुताबिक महत्वपूर्ण है। फलतः इस धार्मिक आस्था में दखलंदाजी से बचने के लिए राज्य ने कानून में यह रियायत दे दी है कि सिक्खों को हैलमेट पहनने की जरूरत नहीं है।
भारतीय राज्य धर्म में हस्तक्षेप भी कर सकता है-जब कोई धर्म संविधान में दिये गये आदर्शों ; मूल अधिकारों का उल्लंघन करता है तो मौलिक अधिकारों के उल्लंघन को रोकने तथा नागरिकों को मौलिक अधिकारों की गारण्टी देने के लिए राज्य धर्म में हस्तक्षेप कर मूल अधिकारों के उल्लंघन को रोकता है।
उदाहरण के लिए, भारतीय संविधान ने छुआछूत पर पाबन्दी लगाई है। इसी प्रकार माँ-बाप की सम्पत्ति में बराबर हिस्से के अधिकार का सम्मान करने के लिए राज्य को समुदायों के धर्म पर आधारित 'निजी कानूनों' में ही हस्तक्षेप करना पड़ सकता है। राज्य का हस्तक्षेप सहायता के रूप में भी हो सकता है। जैसे-राज्य भारतीय धार्मिक समुदायों के स्कूलों को सीमित आर्थिक सहायता प्रदान कर सकता है। स्पष्ट है कि संविधान में दिये गये आदर्शों के आधार पर राज्य किसी भी धर्म के मामलों में हस्तक्षेप कर सकता है। ये आदर्श राज्य के हस्तक्षेप की कसौटी हैं।
प्रश्न 7.
पाठ्यपुस्तक में पृष्ठ संख्या 27 पर दिया गया यह पोस्टर 'शान्ति' के महत्व को रेखांकित करता है। इस पोस्टर में कहा गया है कि "शान्ति कभी न खत्म होने वाली प्रक्रिया है........यह हमारी आपसी भिन्नताओं और साझा हितों को नजरअंदाज करके नहीं चल सकती।" ये वाक्य क्या बताते हैं? अपने शब्दों में लिखिए।धार्मिक सहिष्णुता से इसका क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
पोस्टर के वाक्य यह बताते हैं कि शांति तभी स्थापित की जा सकती है जब आपसी भिन्नताओं और साझा हितों को ध्यान में रखें। यदि हम एक-दूसरे के हितों के प्रति सहिष्णुता का बर्ताव करेंगे तो शांति अपने आप स्थापित होने लगेगी और यदि हम एक-दूसरे की भिन्नताओं और हितों को नजरअंदाज करेंगे तो इससे शांति भंग होगी। धार्मिक सहिष्णुता भी शांति स्थापना का एक रास्ता है। इसके अन्तर्गत सभी धर्मावलम्बी एक-दूसरे के धर्मों के प्रति सहिष्णुता का भाव रखते हैं और सर्वधर्म समभाव के दृष्टिकोण का पालन करते हैं। अतः धार्मिक सहिष्णुता का शांति के साथ सकारात्मक सम्बन्ध है।