Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 6 Our Rajasthan Chapter 2 राजस्थान का इतिहास Textbook Exercise Questions and Answers.
I. निम्नलिखित प्रश्नों के सही उत्तर के विक"प को कोष्ठक में लिखिए
1. मत्स्य जनपद की राजधानी थी
(अ) मथुरा
(ब) अहिछत्रपुर
(स) विराटनगर
(द) बागोर
उत्तर:
(स) विराटनगर
2. कोटा-बूंदी वाला क्षेत्र कहलाता है
(अ) हाड़ौती
(ब) जांगल
(स) मरु
(द) मेवात
उत्तर:
(अ) हाड़ौती
II. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. ब्यावर-अजमेर का क्षेत्र ........ के नाम से जाना जाता है।
2. जयपुर एवं उसके आस-पास के क्षेत्र की भाषा ....... कहलाती है।
उत्तर:
1. मेरवाड़ा
2. ढूंढाड़ी।
III. अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
महाभारत कालीन किन्हीं दो जनपदों के नाम बताइए।
उत्तर:
(1) मत्स्य
(2) जांगल
प्रश्न 2.
शेखावाटी में कौन-कौन से जिले आते हैं?
उत्तर:
शेखावाटी में चुरू, झुंझुनूं तथा सीकर जिले आते हैं।
प्रश्न 3.
हसन खान मेवाती कौन था?
उत्तर:
हसन खान मेवाती मेवातियों का प्रसिद्ध नायक था जो खानवा के युद्ध में राणा सांगा की ओर से बाबर के विरुद्ध लड़ता हुआ मारा गया।
IV. लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
पाँचवीं सदी के बाद राजस्थान के गणतंत्रीय जनपदों की व्यवस्था समाप्त क्यों हो गई?
उत्तर:
पाँचवीं सदी के बाद राजस्थान के गणतंत्रीय जनपदों पर हूण आक्रमण हुए। इन हूण आक्रमणों ने यहाँ के गणतंत्रीय जनपदों की व्यवस्था को समाप्त कर दिया। वृहदसंहिता नामक ग्रंथ में इनके पतन की चर्चा है।
प्रश्न 2.
किन्हीं तीन जनपदों या अंचलों के बारे में लिखिए।
उत्तर:
(1) जांगल-इस जनपद में वर्तमान बीकानेर, नागौर एवं जोधपुर का कुछ भाग आता था। इसकी राजधानी अहिछत्रपुर थी। जो कि वर्तमान नागौर प्रतीत होता है। पौराणिक आख्यानों के अनुसार यादव वंश के बलराम एवं श्रीकृष्ण द्वारिका जाते समय इसी क्षेत्र से गुजरे थे।
(2) मत्स्य-इस जनपद का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है। महाभारत में मत्स्य जनपद की राजधानी विराटनगर (बैराठ) थी। यह जनपद अलवर एवं जयपुर के मध्य स्थित था। इस स्थान का वर्णन चीनी यात्री युवानच्यांग ने भी किया है।
(3) मारवाड़-प्राचीन मरु प्रदेश ही कालांतर में मारवाड़ कहलाया। सातवीं सदी में इसके मंडोर (जोधपुर) क्षेत्र पर गुर्जर-प्रतिहारों ने शासन किया। बाद में इस क्षेत्र पर राठौड़ वंश का आधिपत्य स्थापित हो गया।
बहुचयनात्मक प्रश्न
प्रश्न1.
जांगल जनपद की राजधानी का क्या नाम था?
(अ) अहिछत्रपुर
(ब) बैराठ
(स) मधुरा
(द) चावंड
उत्तर:
(अ) अहिछत्रपुर
2. मालवों की दिग्विजय का यूप अभिलेख कहाँ लगा है?
(अ) जयपुर
(ब) नांदसा (भीलवाड़ा)
(स) मेदपाट (मेवाड़)
(द) मंडोर (जोधपुर)
उत्तर:
(ब) नांदसा (भीलवाड़ा)
3. जोधपुर का दक्षिण भाग किस नाम से जाना जाता है?
(अ) माड
(ब) शेखावाटी
(स) गुर्जरत्रा
(द) मेवात
उत्तर:
(स) गुर्जरत्रा
4. किस जनपद वाले क्षेत्र को मेदपाट (मेवाड़) तथा प्राग्वाट भी कहा जाता था?
(अ) मालव
(ब) शूरसेन
(स) यौधेय
(द) शिबि
उत्तर:
(द) शिबि
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. मत्स्य जनपद के स्थान का वर्णन चीनी यात्री ने ............ भी किया है।
2. शूरसेन जनपद की राजधानी ........ थी।
3. प्राचीन मरु प्रदेश ही कालांतर में ........ कहलाया।
4. प्रतापगढ़ को ............ के नाम से जाना जाता है।
उत्तर:
1. युवानच्यांग
2. मथुरा
3. मारवाड़
4. कांठल
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
प्राचीन भारत में जनपदों का निर्माण किस प्रकार आरम्भ हुआ?
उत्तर:
प्राचीन भारत में आर्यों ने छोटी-छोटी बस्तियों को मिलाकर जनपदों का निर्माण आरम्भ किया।
प्रश्न 2.
शिबि जनपद की राजधानी का नाम क्या था?
उत्तर:
शिबि जनपद की राजधानी का नाम मज्झमिका या माध्यमिका था।
प्रश्न 3.
यौधेय राजस्थान के किस भाग में स्थित था?
उत्तर:
यौधेय राजस्थान के उत्तरी भाग में स्थित था।
प्रश्न 4.
उत्तरी राजस्थान से कुषाण शक्ति को किसने नष्ट किया?
उत्तर:
उत्तरी राजस्थान से कुषाण शक्ति को यौधेयों ने नष्ट किया।
प्रश्न 5.
किस काल तक गणतंत्रीय व्यवस्थाएँ अपने-अपने क्षेत्र में बनी रहीं?
उत्तर:
गुप्त काल तक गणतंत्रीय व्यवस्थाएँ अपने-अपने क्षेत्र में बनी रहीं।
प्रश्न 6.
गणतंत्रीय व्यवस्थाओं के पतन की चर्चा किस ग्रंथ में मिलती है?
उत्तर:
वृहदसंहिता नामक ग्रंथ में गणतंत्रीय व्यवस्थाओं के पतन की चर्चा मिलती है।
प्रश्न 7.
प्राचीन शिबि जनपद वाले क्षेत्र को क्या कहा गया?
उत्तर:
प्राचीन शिबि जनपद वाले क्षेत्र को मेवाड़ कहा गया।
प्रश्न 8.
कौनसा क्षेत्र मेवात कहलाता है?
उत्तर:
अलवर-भरतपुर का वह क्षेत्र जहाँ मेव जाति की अधिकता रही, मेवात कहलाता है।
प्रश्न 9.
जैसलमेर क्षेत्र क्या कहलाता है?
उत्तर:
जैलसलमेर क्षेत्र को माड या वल्ल कहा जाता है।
प्रश्न 10.
राजस्थान के किन्हीं दो अंचलों के नाम लिखिए।
उत्तर:
(1) हाड़ौती
(2) शेखावाटी।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
प्राचीन काल में राजस्थान किन राजनीतिक इकाइयों में बँटा था?
उत्तर:
प्राचीन काल में राजस्थान विभिन्न जनपदों एवं अंचलों में विभक्त था। ये जनपद एवं अंचल भौगोलिक स्थान अथवा वहाँ रहने वाली जाति के नाम से जाने जाते थे, जैसे—जांगल, मरु, अर्जुनायन, शिबि, मेवात, हाड़ौती आदि।
प्रश्न 2.
कौनसा क्षेत्र शिबि जनपद के नाम से जाना जाता था? इसके बारे में बताइये।
उत्तर:
शिबि जनपद-आधुनिक उदयपुर के पूर्व, पश्चिम तथा उत्तर के संभागीय प्रदेश में शिबि जाति ने आधिपत्य स्थापित किया। इसलिए यह शिबि जनपद के नाम से जाना जाता था। इसकी राजधानी मज्झमिका या माध्यमिका थी, जिसके अवशेष चित्तौड़गढ़ के पास, नगरी नामक गाँव में मिलते हैं। इस भूभाग को मेदपाट (मेवाड़) तथा प्राग्वाट भी कहा जाता था।
प्रश्न 3.
अर्जुनायन के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
अर्जुनायन-भरतपुर-अलवर प्रान्त के अर्जुनायन अपनी विजयों के लिए प्रसिद्ध थे। अर्जुनायनों ने मालवों के साथ मिलकर विदेशी क्षत्रपों को परास्त किया था।
प्रश्न 4.
मालव जनपद के बारे में लिखिए।
उत्तर:
मालव-मालवों की शक्ति का केन्द्र जयपुर के निकट नगर था। (यह वर्तमान में टोंक जिले में स्थित है) कालांतर में ये अजमेर, टोंक एवं मेवाड़ क्षेत्र तक फैल गए। टोंक प्रतापगढ़ एवं झालावाड़ का क्षेत्र मालव देश के अन्तर्गत आता था। मालवों की दिग्विजय का यूप अभिलेख नांदसा (भीलवाड़ा) में लगा है।
प्रश्न 5.
राजस्थान का कौनसा क्षेत्र वागड़ के नाम से जाना जाता था? इसके बारे में लिखिए।
उत्तर:
वागड़-राजस्थान में दो क्षेत्र वागड़ के नाम से जाने जाते थे-एक डूंगरपुर, बांसवाड़ा व दूसरा पिलानी के पास नरहड़, भादरा, नोहर तथा कनणा का क्षेत्र । किन्तु अधिकतर दक्षिणी राजस्थान के डूंगरपुर, बांसवाड़ा के भूभाग को ही वागट् या वागड़ कहा गया तथा इसकी बोली को वागड़ी कहा गया।
प्रश्न 6.
हाड़ौती अंचल का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हाड़ौती-बूंदी एवं कोटा का क्षेत्र हाड़ौती कहलाता है। प्राचीनकाल में इस भू-भाग पर मीणा जनजाति का आधिपत्य था। मीणा वंश के बूंदा के नाम पर ही बूंदी का नामकरण हुआ। कालांतर में चौहान वंश की हाड़ा शाखा ने इस क्षेत्र पर अधिकार कर लिया। तभी से इस भूभाग को एवं यहाँ की बोली को हाड़ौती कहा जाने लगा।
प्रश्न 7.
ढूंढाड़ के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
ढूंढाड़-जयपुर एवं उसके आस-पास के क्षेत्र को ढूंढाड़ के नाम से जाना जाता था। बारहवीं सदी में कछवाह राजपूतों ने यहाँ की स्थानीय जनजाति के मीणों और बड़गुर्जरों को परास्त कर अपने राजवंश की नींव डाली। यहाँ की भाषा ढूंढाड़ी कहलाती है।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मरु प्रदेश के बारे में विस्तार से लिखिए।
उत्तर:
मरु प्रदेश: प्राचीन ग्रन्थों, ऋग्वेद, पौराणिक ग्रन्थों, रामायण, चरक संहिता, महाभारत एवं वृहत् संहिता में मरु प्रदेश का वर्णन आता है। मरु प्रदेश आर्यों का प्रारंभिक जनतंत्र था, जिसमें वर्तमान के बीकानेर, नागौर, चुरू, श्रीगंगानगर, जैसलमेर एवं बाड़मेर के कुछ भाग सम्मिलित थे। कालांतर में इस क्षेत्र में कुछ विस्तार हुआ और कुरू, मद्र तथा जांगल नामक जनपदों का निर्माण हुआ।
प्रश्न 2.
शूरसेन जनपद से सम्बन्धित प्रमुख बातें लिखिये।
उत्तर:
शूरसेन-
(1) राजस्थान के भरतपुर, धौलपुर तथा करौली के अधिकतर भू-भाग प्राचीन शूरसेन जनपद में सम्मिलित थे।
(2) शूरसेन जनपद की राजधानी मथुरा थी।
(3) चौथी शताब्दी ई. पू. के यूनानी लेखकों ने सिकंदर के समय में शूरसेन या सौरसेन का उल्लेख किया है।
(4) बयाना प्रशस्ति में भी शूरसेन नामक राजवंश का वर्णन मिलता है।
(5) सिकंदर के आक्रमण के पश्चात् अपनी स्वतंत्रता को सुरक्षित रखने को उत्सुक पंजाब और टक्क की कुछ जतियाँ राजस्थान में आकर बस गई।
(6) इनमें मालव, शिबि, अर्जुनायन आदि जातियाँ प्रमुख थीं जिन्होंने अपने नाम से नये जनपदों की स्थापना की।
प्रश्न 3.
मेवाड़ अंचल में कौनसे क्षेत्र शामिल थे? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मेवाइ: प्राचीन शिबि जनपद वाला क्षेत्र कालांतर में मेवाड़ कहलाया। मेवाड़ अंचल में आधुनिक उदयपुर, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा आदि क्षेत्र शामिल रहे थे। इस क्षेत्र पर सातवीं शताब्दी से आधुनिक राजस्थान के निर्माण तक गुहिल-सिसोदिया वंश का राज्य रहा। नागदा, आहाड़, कल्याणपुर, चित्तौड़गढ़, कुम्भलगढ़, चावंड, उदयपुर आदि समय-समय पर इसकी राजधानी रही। यहाँ की बोली मेवाड़ी है।