Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 6 Our Rajasthan Chapter 10 लोक संस्कृति एवं कला Textbook Exercise Questions and Answers.
The questions presented in the RBSE Solutions for Class 6 Our Rajasthan are solved in a detailed manner. Get the accurate RBSE Solutions for Class 6 all subjects will help students to have a deeper understanding of the concepts.
I. निम्नलिखित प्रश्नों के सही उत्तर के विकल्प को कोष्ठक में लिखिए
1. चूहों के कारण किस मंदिर को जाना जाता है
(अ) ब्रह्मा का मंदिर
(ब) करणी माता का मंदिर
(स) श्री महावीर जी का मंदिर
(द) शिवजी का मंदिर
उत्तर:
(स) श्री महावीर जी का मंदिर
2. ऊंटों के देवता के रूप में किसे पूजा जाता है
(अ) रामदेवजी
(ब) तेजाजी
(स) पाबूजी
(द) जसनाथजी
उत्तर:
(ब) तेजाजी
II. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. चीनी मिट्टी के सफेद बर्तनों पर ......... रंग के अंकन से ब्लूपॉटरी का निर्माण होता है।
2. तेजाजी ने ........ के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा दी।
उत्तर:
1. नीले
2. गौधन की रक्षा।
III. अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
गणगौर के अवसर पर किसकी पूजा की जाती है?
उत्तर:
गणगौर के अवसर पर मुख्य रूप से शिव व पार्वती की पूजा की जाती है।
प्रश्न 2.
पश्चिमी राजस्थान की कितनी बोलियाँ हैं? नाम लिखिए।
उत्तर:
चार बोलियाँ
(1) मारवाड़ी
(2) मेवाड़ी
(3) वागड़ी
(4) शेखावाटी।
IV. लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
रामदेवजी को सांप्रदायिक सौहार्द के प्रेरक के रूप में क्यों जाना जाता है?
उत्तर:
रामदेवजी को साम्प्रदायिक सौहार्द के प्रेरक के रूप में जाना जाता है। वे राजस्थान के लोकदेवताओं में सबसे प्रमुख एवं अवतारी पुरुष थे। उनमें सभी वर्गों व धर्मों के लोगों की आस्था है। मुस्लिम समाज भी उनको 'राम-सा' पीर के रूप में मानता है। रामदेव जी के मेले में सभी धर्मों के लोग बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं।
प्रश्न 2.
राजस्थान में मनाए जाने वाले विशिष्ट त्यौहारों की जानकारी दीजिए।
उत्तर:
राजस्थान में अनेक त्यौहार मनाये जाते हैं। कुछ त्यौहार यहाँ मनाये जाने वाले विशिष्ट त्यौहार हैं। इनमें निम्न प्रमुख हैं
(1) गणगौर: गणगौर राजस्थान में मनाया जाने वाला एक विशिष्ट त्यौहार है। यह चैत्र शुक्ल तृतीया से आरम्भ होता है। गणगौर पर मुख्य रूप से शिव पार्वती की पूजा की जाती है।
(2) तीज: तीज का त्यौहार श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इस अवसर पर नवविवाहिताएँ। पेड़ों पर झूले डालकर झूलती हैं। भादो की कृष्ण पक्ष की तीज को 'कजली तीज' और 'सातूड़ी तीज' के नाम से मनाया जाता है।
(3) शीतलाष्टमी: चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शीतलाष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन शीतला देवी की पूजा करते हैं तथा बासोड़ा भोजन किया जाता है।
(4) अक्षय तृतीया: यह बहुत मांगलिक दिन होता है। इसे आखा तीज भी कहते हैं। इस दिन बिना मुहूर्त निकलवाए, सभी मांगलिक कार्य किये जाते हैं। इस दिन गेहूँ, बाजरा, तिल, जौ आदि की पूजा की जाती है। इस दिन गेहूँ व बाजरे का खीच भी बनाया जाता है।
बहुचयनात्मक प्रश्न
1. निम्न में से पूर्वी राजस्थानी भाषा की प्रतिनिधि बोली नहीं है
(अ) वागड़ी
(ब) ढूंढाड़ी
(स) अहीरवाटी
(द) हाड़ौती
उत्तर:
(अ) वागड़ी
2. किस त्यौहार पर बासोड़ा भोजन किया जाता है?
(अ) गणगौर
(ब) सातूड़ी तीज
(स) शीतलाष्टमी
(द) आखा तीज
उत्तर:
(स) शीतलाष्टमी
3. ब्रह्माजी का सुप्रसिद्ध मंदिर कहाँ स्थित है?
(अ) कोटा
(ब) उदयपुर
(स) सीकर
(द) पुष्कर
उत्तर:
(द) पुष्कर
4. जीणमाता का मेला किस जिले में लगता है?
(अ) सीकर
(ब) अजमेर
(स) डूंगरपुर
(द) अलवर
उत्तर:
(अ) सीकर
5. विश्नोई संप्रदाय के प्रवर्तक कौन थे?
(अ) दादू दयाल
(ब) जाम्भोजी
(स) जसनाथ जी
(द) गोगाजी
उत्तर:
(ब) जाम्भोजी
6. बस्सी (चित्तौड़गढ़) किस कला का प्रधान केन्द्र है?
(अ) मूर्तिकला
(ब) टेराकोटा
(स) गोटाकारी
(द) कास्तकला
उत्तर:
(द) कास्तकला
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. राजस्थान की मातृभाषा ..... है।
2. .......... को आखा तीज भी कहा जाता है।
3. .......... मेले की शुरुआत महाराणा फतेहसिंह ने की थी।
4. ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती ......... से भारत आये थे।
5. काँच पर बारीक सोने की नक्काशी का काम ..... कहलाती है।
उत्तर:
1. राजस्थानी
2. अक्षय तृतीया
3. हरियाली अमावस्या
4. ईरान
5. थेवा कला
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
दक्षिण राजस्थान में रहने वाले प्रमुख आदिवासी कौन हैं?
उत्तर:
दक्षिण राजस्थान में रहने वाले आदिवासियों में भील, मीणा, सहरिया, गरासिया, डामोर आदि प्रमुख हैं।
प्रश्न 2.
पूर्वी राजस्थानी भाषा की प्रतिनिधि बोलियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
(1) दूढ़ाड़ी (जयपुरी)
(2) हाड़ौती
(3) मेवाती
(4) अहीरवाटी।
प्रश्न 3.
ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों द्वारा खेले जाने वाले कोई दो खेलों के नाम लिखिये।
उत्तर:
(1) गिल्ली डंडा
(2) सितोलिया
प्रश्न 4.
राजस्थान में प्रचलित लोक नाट्य शैली के कोई दो रूप लिखिये।
उत्तर:
(1) ख्याल
(2) हेला।
प्रश्न 5.
भादो की कृष्ण पक्ष की तीज को किस नाम से मनाया जाता है?
उत्तर:
भादो की कृष्ण पक्ष की तीज को 'कजली तीज' और 'सातूड़ी तीज' के नाम से मनाया जाता है।
प्रश्न 6.
पुष्कर मेला कब आयोजित होता है?
उत्तर:
पुष्कर मेला कार्तिक मास की पूर्णिमा पर आयोजित होता है।
प्रश्न 7.
राजस्थान के कोई दो प्रमुख मेलों के नाम लिखिये।
उत्तर:
(1) पुष्कर मेला
(2) कैलादेवी का मेला।
प्रश्न 8.
गरीब नवाज के नाम से किसे जाना जाता है?
उत्तर:
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती को गरीब नवाज के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 9.
भर्तृहरि मेला किस जिले में लगता है?
उत्तर:
भर्तृहरि मेला अलवर जिले में लगता है।
प्रश्न 10.
राजस्थान के पाँच प्रमुख पीरों के नाम बताइये।
उत्तर:
(1) रामदेवजी
(2) पाबूजी
(3) मेहाजी
(4) हड़बूजी
(5) गोगाजी
प्रश्न 11.
मीरा बाई का जन्म कहाँ हुआ था?
उत्तर:
मीरां बाई का जन्म मेड़तिया राठौड़ वंश में कुड़की ग्राम (मेड़ता) में हुआ था।
प्रश्न 12.
राजस्थान में कपड़े पर छपाई के लिए प्रसिद्ध किन्हीं चार स्थानों के नाम लिखिये।
उत्तर:
(1) बगरु
(2) सांगानेर
(3) आकोला
(4) बाड़मेर।
प्रश्न 13.
राजस्थान को रंगीला राजस्थान क्यों कहा जाता
उत्तर:
राजस्थान के पारंपरिक पर्व-त्यौहार, मेले, रीति-रिवाज आदि आकर्षक एवं मनमोहक हैं, इसीलिए राजस्थान को रंगीला राजस्थान कहा जाता है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
राजस्थानी भाषा को मुख्यतः किन रूपों में जाना जाता है? वर्णन कीजिये।
उत्तर:
राजस्थानी भाषा को मुख्यतः दो रूपों में जाना जाता है
(1) पूर्वी राजस्थानी भाषा-पूर्वी राजस्थानी भाषा की प्रतिनिधि चार बोलियाँ हैं-
(1) ढूंढाड़ी (जयपुरी),
(2) हाड़ौती,
(3) मेवाती व
(4) अहीरवाटी
(2) पश्चिमी राजस्थानी भाषा-पश्चिमी राजस्थानी भाषा की प्रतिनिधि चार बोलियाँ हैं-
(1) मारवाड़ी
(2) मेवाड़ी,
(3) वागड़ी,
(4) शेखावाटी
प्रश्न 2.
राजस्थानी वेशभूषा का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
राजस्थानी वेशभूषा-
(1) राजस्थानी वेशभूषा में चटक रंगों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
(2) पारंपरिक राजस्थानी परिधान काफी सुन्दर और आरामदायक होते हैं।
(3) महिलाएँ, घाघरा, चोली और रंग-बिरंगी गोटा लगी ओढ़नी पहनती हैं।
(4) पुरुषों का पारंपरिक परिधान धोती-कुर्ता और कुर्ता पायजामा है।
(5) पुरुष पगड़ी भी पहनते हैं जो स्वाभिमान व सम्मान का प्रतीक मानी जाती है। राजस्थानी पगड़ी बहुत आकर्षक होती है।
(6) वर्तमान में यहाँ पश्चिमी वेशभूषा का प्रभाव बढ़ता जा रहा है, फिर भी राजस्थान की बहुरंगी वेशभूषा देखने लायक होती है।
प्रश्न 3.
गणगौर के त्यौहार के बारे में आप क्या जानते है?
उत्तर:
गणगीर-गणगौर राजस्थान में मनाया जाने वाला एक विशिष्ट त्यौहार है। गणगौर चैत्र माह की शुक्ल तृतीया से आरम्भ होता है। इसमें 'गण' और 'गौर' शब्द शिव व पार्वती के प्रतीक हैं। गणगौर पर मुख्य रूप से शिव व पार्वती की पूजा की जाती है। गणगौर के अवसर पर, राजस्थान में कहीं तीन दिन तो कहीं चार दिन का उत्सव होता है। अनेक स्थानों पर गणगौर की सवारी भी निकाली जाती है। राजस्थान के समस्त जिलों में यह त्यौहार अत्यंत धूमधाम से मनाया जाता है।
प्रश्न 4.
शीतलाष्टमी का त्यौहार कब मनाया जाता है? वर्णन कीजिये।
उत्तर:
शीतलाष्टी-शीतलाष्टमी का त्यौहार होली के आठवें दिन चैत्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस दिन शीतला माता की पूजा की जाती है। इस दिन बासोड़ा भोजन (एक दिन पहले बनाया गया) किया जाता है। जयपुर के पास चाकसू की शील की डूंगरी और उदयपुर के वल्लभनगर कस्बे में स्थित शीतला माता के मंदिर में मेले आयोजित होते हैं । लगभग हर शहर-गाँव, कस्बे में शीतला माता की पूजा-अर्चना की जाती है।
प्रश्न 5.
राजस्थान के प्रमुख मेलों के नाम बताइये।
उत्तर:
राजस्थान के प्रमुख मेले:
(1) पुष्कर मेला (अजमेर जिला)
(2) कैलादेवी का मेला (सवाई माधोपुर जिला)
(3) महावीर जी का मेला (सवाई माधोपुर जिला)
(4) कोटा दशहरा मेला (कोटा जिला)
(5) हरियाली अमावस्या मेला (उदयपुर जिला)
(6) ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती का उर्स (अजमेर जिला)
(7) बेणेश्वर मेला (डूंगरपुर जिला)
(8) करणीमाता का मेला (बीकानेर जिला)
(9) खाटू श्याम जी का मेला (सीकर जिला)
(10) बाबा रामदेव का मेला (जैसलमेर जिला)
(11) गलियाकोट का उर्स (डूंगरपुर जिला)
(12) जीणमाता मेला (सीकर जिला)
(13) भर्तृहरि मेला (अलवर जिला)
(14) डिग्गी कल्याण जी का मेला (जयपुर जिला)
(15) तेजाजी का मेला (परबतसर, नागौर जिला)
(16) गोगाजी का मेला (बाड़मेर) आदि।
प्रश्न 6.
कैलादेवी तथा महावीर जी के मेलों का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
उत्तर:
(1) कैलादेवी का मेला-कैलादेवी का विशाल मेला सवाई माधोपुर में, कैलामाता के मंदिर में चैत्र शुक्ल अष्टमी को लगता है। इसे लक्खी मेला भी कहते हैं। चैत्र कृष्ण द्वादशी से चैत्र शुक्ल द्वादशी तक चलने वाले इस मेले में दूर-दूर से भक्त आते हैं।
(2) महावीर जी का मेला-सवाई माधोपुर जिले में श्री महावीरजी का मंदिर स्थित है, जहाँ चैत्र शुक्ल एकादशी से बैसाख कृष्णा द्वितीया तक मेला लगता है। यहाँ चौबीसवें जैन तीर्थकर महावीर स्वामी की लाल रंग की भव्य प्रतिमा है। पूरे देश से लोग इस मेले में शामिल होते हैं।
प्रश्न 7.
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का उर्स कहाँ मनाया जाता है? इसकी मुख्य बातें बताइये।
उत्तर:
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का उर्स-ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का उर्स इस्लामिक कैलेण्डर के रजब माह की पहली से छठी तारीख तक अजमेर में मनाया जाता है। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती ईरान से भारत आए थे। इनको गरीब नवाज के नाम से भी जाना जाता है। अजमेर में उनकी दरगाह, पूरे देश के लोगों की आस्था का केन्द्र है। इनका उर्स सर्वधर्म समभाव की अनूठी मिसाल माना जाता।
प्रश्न 8.
निम्नांकित मेलों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए
(1) बाबा रामदेव का मेला
(2) गलियाकोट का उर्स।
उत्तर:
(1) बाबा रामदेव का मेला-बाबा रामदेव का मेला जैसलमेर जिले में, पोकरण कस्बे के पास रूणीचा नामक स्थान पर भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की, द्वितीया से एकादशी तक आयोजित होता है। बाबा रामदेव, राजस्थान के जाने-माने लोकदेवता हैं, जिनमें सभी वर्गों व धर्मों के लोगों की आस्था है।
(2) गलियाकोट का उर्स-डूंगरपुर जिले के, सागवाड़ा तहसील के गलियाकोट कस्बे में, फखरुद्दीन मौला की मजार है। जिसे 'मजार-ए-फकरी' के नाम से जाना जाता है। यहाँ गलियाकोट का उर्स आयोजित किया जाता है। यह दाउदी बोहरा समाज की आस्था का बहुत बड़ा केन्द्र है। यहाँ के उर्स में सभी वर्गों के लोग बड़ी संख्या में उत्साह से भाग लेते हैं।
प्रश्न 9.
राजस्थान के प्रमुख लोक देवता एवं संतों के नाम बताइये।
उत्तर:
राजस्थान के प्रमुख लोक देवता:
(1) गोगाजी
(2) तेजाजी
(3) पाबूजी
(4) रामदेवजी
(5) मेहाजी
(6) हड़बूजी
(7) मल्लीनाथ
(8) देवनारायण
(9) हरभूजी आदि
राजस्थान के प्रमुख संत:
(1) मीरा बाई
(2) दादू
(3) जाम्भोजी
(4) जसनाथ जी
(5) श्रद्धानाथ जी आदि।
प्रश्न 10.
संत जाम्भोजी और संत जसनाथ जी के बारे में आप क्या जानते हैं? लिखिये।
उत्तर:
(1) संत जाम्भोजी-जाम्भोजी महाराज विश्नोई संप्रदाय के प्रवर्तक थे। इनका जन्म वि. स. 1508 की भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को, पीपासर (नागौर) नामक गाँव में हुआ था। जाम्भोजी के उपदेश बहुत सरल थे। इस पर चलते हुए, विश्नोई समाज निरन्तर पर्यावरण की रक्षा व जीव हत्या के विरोध में प्रयासरत है, जो अनुकरणीय है।
(2) संत जसनाथ जी-संत जसनाथजी का जन्म बीकानेर के कतरियासर नामक स्थान पर हुआ। इन्होंने गोरखनाथ से प्रभावित होकर तपस्या की व चमत्कारी योगी हो गए।
प्रश्न 11.
टेराकोटा क्या है? इस कला का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
टेराकोटा: मिट्टी से मूर्तियाँ तथा विभिन्न सजावटी व उपयोगी वस्तुएँ तैयार कर पकाना, टेराकोटा के नाम से जाना जाता है। नाथद्वारा के समीप मोलेला इस काम हेतु प्रसिद्ध है। अलवर व बाड़मेर में भी टेराकोटा की वस्तुएँ निर्मित की जाती हैं।
प्रश्न 12.
ब्लूपॉटरी किसे कहते हैं? इस कला के बारे में बताइये।
उत्तर:
ब्लूपॉटरी: चीनी मिटटी के सफेद बर्तनों पर किए गए नीले रंग के अंकन को ब्लूपॉटरी कहा जाता है। इसके अतिरिक्त इसी आधार पर ब्लेकपॉटरी, सुनहरी पॉटरी आदि भी प्रसिद्ध हैं। इसके द्वारा डिजाइनर कप-प्लेट, अन्य बर्तन और खिलौने व सजावटी सामान जैसे फूलदान आदि बनाए जाते हैं।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित कलाओं का संक्षिपत वर्णन कीजए
(1) लाख का काम
(2) आभूषण निर्माण।
उत्तर:
(1)लाख का काम-राजस्थान में जयपुर एवं जोधपुर। में लाख के आभूषण बहुतायत से बनाये जाते हैं। लाख के काम में चपड़ी को पिघलाकर उसमें चाक मिट्टी, बिरोजा आदि मिलाकर गूंथ लिया जाता है। उसी से विभिन्न चीजें तैयार की जाती हैं। सजावट के लिए कांच एवं मोती लगाए जाते हैं।
(2) आभूषण निर्माण-जड़ाऊ आभूषणों के लिए राजस्थान में जयपुर, जोधपुर, बीकानेर एवं उदयपुर विख्यात हैं। मूल्यवान पत्थरों को तराशने का काम जयपुर में होता है। काँच पर बारीक सोने की नक्काशी का काम थेवा कला कहलाती है, जिसके लिए प्रतापगढ़ प्रसिद्ध है। प्रतापगढ़ की जनजातियाँ पीतल और चांदी के आभूषण निर्माण के लिए विख्यात हैं।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
राजस्थान सांस्कृतिक दृष्टि से विविधतापूर्ण है। स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
राजस्थान की सांस्कृतिक विविधता-राजस्थान सांस्कृतिक दृष्टि से विविधतापूर्ण है। इसे निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है
(1) राजस्थान में अनेक धर्म व सम्प्रदाय के लोग निवास करते हैं, जैसे—हिन्दू, मुस्लिम, जैन, बौद्ध, सिक्ख, ईसाई आदि।
(2) दक्षिण राजस्थान में एक बड़ी संख्या आदिवासियों की है, जिनमें भील, मीणा, सहरिया, गरासिया, डामोर आदि प्रमुख हैं।
(3) राज्य में भाषा, वेशभूषा, रहन-सहन, खानपान, रीतिरिवाज आदि में भी विविधता दिखाई देती है।
(4) राजस्थान की मातृभाषा राजस्थानी है। राजस्थान के विभिन्न अंचलों में अनेक प्रकार की भाषाएँ बोली जाती हैं, परन्तु मुख्य रूप से राजस्थानी भाषा को दो रूपों में जाना जाता है
(i) पूर्वी राजस्थानी भाषा
(ii) पश्चिमी राजस्थानी भाषा।
(5) रजास्थान में अनेक पर्व व त्यौहार, हर्ष एवं उल्लास के साथ मनाये जाते हैं। जैसे होली, दीपावली, रक्षाबंधन, ईद, महावीर जयंती, गुरु नानक जयंती, क्रिसमस आदि। साथ ही यहाँ गणगौर, तीज, अष्टमी, अक्षय तृतीया आदि पर्व एवं अनेकानेक मेले और गवरी, गैर, रम्मत नृत्य एवं लोक गीत हमारी परंपराओं को दर्शाते हैं। इस प्रकार राजस्थान सांस्कृतिक दृष्टि से विविधतापूर्ण है।
प्रश्न 2.
राजस्थान में मनोरंजन के पारम्परिक साधनों का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
राजस्थान में मनोरंजन के पारम्परिक साधन: राजस्थान के विभिन्न अचलों में स्थानीय एवं सहजता से उपलब्ध पारंपरिक साधनों द्वारा मनोरंजन किया जाता है। राजस्थान के ग्रामीण निवासी, स्थानीय एवं सहजता से उपलब्ध साधनों द्वारा मनोरंजन करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों द्वारा खेले जाने वाले मुख्य खेल हैं—गिल्ली डंडा, सितोलिया, लुका-छिपी (आँख-मिचौनी), घोड़ा-दड़ी, मारदड़ी, लटू चकर, कंचे का खेल आदि। चौपड़-चौसर के खेल कपड़े पर बनी बिसात पर खेले जाते हैं। चर-भर, नर-छारी आदि जमीन पर बनाकर खेलते हैं।अन्य जन समुदाय के मनोरंजन के लिए सपेरे, कालबेलिये, मदारी, जादूगर, पतंगबाजी और कठपुतली आदि के खेल प्रचलित हैं। लोक नाट्य शैली में ख्याल, हेला, गवरी, तमाशा, तुर्रा कलंगी, रासधानी, रामलीला, दंगल, स्वांग, नौटंकी, भवई आदि भी मनोरंजन के साधन हैं। इन पारंपरिक खेलों के साथ-साथ आधुनिक खेल एवं मनोरंजन के साधन भी यहाँ की जीवनशैली में देखने को मिलते हैं।
प्रश्न 3.
तीज के त्यौहार के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
तीज का त्यौहार-तीज का त्यौहार राजस्थान का एक विशिष्ट त्यौहार है। यह त्यौहार प्रकृति और मनुष्य की निकटता का अनुपम उदाहरण है। राजस्थान के अनेक शहरों में इस दिन तीज माता की सवारी भी निकाली जाती है। तीज का त्यौहार, श्रावण के महीने में मनाया जाता है। शुष्क राजस्थान में, जब काली घटाएँ छा जाती हैं, तो यह किसी उत्सव से कम नहीं होता है। श्रावण के महीने में, शुक्ल पक्ष की तृतीया, को नवविवाहिताएँ पेड़ों पर झूले डालकर झूलती हैं। भादो की कृष्ण पक्ष की तीज को कजली तीज'और 'सातूड़ी तीज' के नाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर महिलाओं द्वारा मेंहदी लगाई जाती है। पार्वती की पूजा की जाती है और उनसे महिलाएं अपने सुहाग के दीर्घायु होने की कामना करती हैं।
प्रश्न 4.
निम्नांकित मेलों का संक्षिप्त वर्णन कीजिये
(1) पुष्कर मेला
(2) कोटा दशहरा मेला
(3) हरियाली अमावस्या मेला।
उत्तर:
(1) पुष्कर मेला: पुष्कर मेला अजमेर जिले के पुष्कर में कार्तिक पूर्णिमा पर आयोजित होता है। इस अवसर पर यहाँ विशाल बाजार लगता है और देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। यहाँ अनेक प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है, जिसमें मेलार्थी उत्साह से भाग लेते हैं। पुष्कर में सुप्रसिद्ध ब्रह्माजी का मंदिर और झील भी मेले के आकर्षण का प्रमुख केन्द्र है। सायंकाल यहाँ दीपदान होता है।
(2) कोटा दशहरा मेला: कोटा के महाराव दुर्जनशाल सिंह के शासनकाल में दशहरा पर्व पर विभिन्न राजसी सवारियों, दरीखाना और पूजा-अर्चना की जाती थी। महाराव उम्मेदसिंह द्वितीय के शासन काल 1889 से 1940 में, दशहरा पर्व को अत्यधिक आकर्षक बनाने का सिलसिला शुरू हुआ और मेले का आयोजन किया जाने लगा। वर्तमान में कोटा दशहरा मेला अपने वैभव एवं विशालता को लेकर प्रसिद्ध है।
(3) हरियाली अमावस्या मेला: यह मेला उदयपुर में आयोजित किया जाता है। इस मेले की शुरुआत महाराणा फतेहसिंह ने 1899 ई. में की थी। यहाँ प्रतिवर्ष हरियाली अमावस्या को भव्य मेला आयोजित किया जाता है। हिन्दू सभ्यता में लोग इसे 'सावन' की शुरुआत के तौर पर मनाते। हैं। श्रावण माह के कृष्ण पक्ष में लगने वाला यह मेला सावन और उससे मिलने वाली खुशी का संचार करता है।
प्रश्न 5.
बेणेश्वर मेला, करणीमाता का मेला तथा खाटू श्यामजी का मेला के बारे में आप क्या जानते हैं? वर्णन कीजिये।
उत्तर:
(1) बेणेश्वर मेला-यह मेला राजस्थान के आदिवासी समाज का सबसे बड़ा मेला है। माघ पूर्णिमा के अवसर पर, डूंगरपुर जिले में माही, जाखम और सोम नदियों के संगम स्थल पर यह मेला लगता है। इसमें लोग अपने दिवंगतों की अस्थियाँ भी प्रवाहित करते हैं।
(2) करणीमाता का मेला-करणीमाता का मेला बीकानेर जिले में देशनोक के करणीमाता मंदिर में आयोजित होता है। करणीमाता बीकानेर शासकों की अधिष्ठात्री देवी हैं। इस मन्दिर की विशेषता यह है कि, यहाँ काले और सफेद चूहे अत्यधिक संख्या में विचरण करते हैं। चूहों के कारण भी इस मन्दिर को विशेष प्रसिद्धि मिली है।
(3) खाटू श्यामजी का मेला-सीकर जिले का खाटू श्यामजी का मन्दिर एक प्रसिद्ध स्थल है। यहाँ फाल्गुन के शुक्ल पक्ष की दशमी से द्वादशी तक मेला आयोजित होता है। इसमें दूर-दूर से लोग आते हैं।
प्रश्न 6.
राजस्थान के चार प्रमुख लोकदेवताओं का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
उत्तर:
राजस्थान में अनेक लोकदेवता हुए हैं। चार प्रमुख लोकदेवताओं का वर्णन निम्न प्रकार है
(1) गोगाजी: गोगाजी राजस्थान के प्रमुख लोकदेवताओं में से एक हैं। गोगाजी, चौहान शासक और गोरखनाथ से प्रभावित थे। भाद्रपद कृष्ण नवमी को 'गोगानवमी' के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गोगाजी की पूजा-अर्चना की जाती है। गोगामेढ़ी (हनुमानगढ़) में महीने भर तक चलने वाला मेला लगता है।
(2) तेजाजी: तेजाजी भी राजस्थान के प्रमुख लोकदेवताओं में आते हैं। तेजाजी ने गौधन की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा दी थी। भाद्रपद शुक्ल दशमी को परबतसर में तेजाजी की स्मृति में विशाल पशु मेला आयोजित होता है। तेजाजी की गाथा और गीत बहुत प्रसिद्ध हैं।
(3) पाबूजी: पाबूजी राठौड़ को 'ऊँटों के देवता' के रूप में पूजा जाता है। पाबू मंड उनका मुख्य स्थान है। फड़ चित्रण में पाबूजी का जीवन चरित्र दिखाया जाता है।
(4) रामदेवजी: रामदेवजी, लोक देवताओं में सबसे प्रमुख एवं अवतारी पुरुष थे। वे साम्प्रदायिक सौहार्द के प्रेरक थे। मुस्लिम समाज भी उनको 'राम-सा' पीर के रूप में मानते हैं। रामदेवरा में भाद्रपद माह में विशाल मेला आयोजित होता है। जिसमें लाखों लोग भाग लेते हैं।
प्रश्न 7.
मीरां बाई एवं दादू दयाल के बारे में आप क्या जानते हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(1) मीरा बाई: मीरां बाई राजस्थान की एक प्रमुख । संत हैं। इनका जन्म मेड़ता स्थित कुड़की ग्राम में मेड़तिया राठौड़ वंश में हुआ। मीरां बाई का विवाह मेवाड़ के सिसोदिया वंश के महाराणा कुमार भोजराज के साथ हुआ। मीरां का मन बचपन से ही, कृष्ण भक्ति में रम गया था। मीरां बाई के विवाह के कुछ समय पश्चात् उन्हें वैधव्य का दु:ख झेलना पड़ा। वे संसार से विरक्त हो गई और अपना पूरा ध्यान कृष्ण भक्ति पर केन्द्रित कर लिया। मीरा बाई बहुत सरल व सहज भक्त थीं। उनकी यह विशेषता उनके पदों में भी झलकती है।
(2) दादू दयाल: दादु भी राजस्थान के एक प्रमुख संत थे। दादू दयाल के जन्म स्थान को लेकर विद्वानों में एक राय नहीं है। 1885 ई. में फतेहपुर सीकरी में इन्होंने अकबर से भेंट की और फिर राजस्थान में आकर भक्ति का प्रसार करते रहे। 1603 ई. में आमेर के पास नरायण गाँव में इन्होंने देह त्याग दी। इनके अनेक अनुयायी आज भी इनके उपदेशों का पालन करते हैं।
प्रश्न 8.
राजस्थान की काष्ठकला एवं मूर्तिकला का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(1) काष्ठकला: काष्ठकला राजस्थान की एक प्रसिद्ध हस्तकला है। इस कला में लकड़ी से विविध प्रकार की कलात्मक वस्तुएँ बनाई जाती हैं। इस कला का प्रधान केन्द्र बस्सी (चित्तौड़गढ़) है। यहाँ पर लकड़ी के बेवाण, कावड़ तथा रंगाई-छपाई के ठप्पे तैयार किये जाते हैं। लकड़ी से निर्मित खिलौनों एवं कठपुतली निर्माण के लिए उदयपुर प्रसिद्ध है। जेठाना (डूंगरपुर) लकड़ी की मूर्तियों के लिए, शेखावटी व बीकानेर फर्नीचर के लिए प्रसिद्ध हैं।
(2) मूर्तिकला: राजस्थान में संगमरमर बहुतायत से पाया जाता है। इसके अलावा विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग प्रकार के पत्थर पाए जाते हैं। इसी कारण यहाँ पर मूर्तियाँ एवं पत्थरों पर बारीक नक्काशी का कलात्मक काम किया जाता है।
प्रश्न 9.
राजस्थान में 'कपड़े की छपाई' तथा 'कशीदाकारी एवं गोटाकारी' की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
I. कपड़े पर छपाई
राजस्थान में कपड़े पर छपाई की प्रमुख विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं:
(1) राजस्थान में कपड़ों पर अनेक किस्म की छपाई का काम होता है।
(2) बगरू, सांगानेर, आकोला, बाड़मेर, कालाडेरा, पाली और बस्सी इन कामों के लिए विशेष प्रसिद्ध हैं।
(3) गोबर, तिल्ली का तेल, बकरी की मेंगनी और सोड़े के मिश्रण से एक घोल बनाया जाता है। इसमें कपड़े को पूरी रात भिगोने के बाद सुखाया जाता है। सूखने के बाद उसे फिर से हरड़ के घोल में डुबाया जाता है। फिर लकड़ी के छापों (ब्लॉक्स) से उन पर छपाई की जाती
(4) छपाई के लिए पहले सीमित और प्राकृतिक रंगों का उपयोग होता था। अब सिन्थेटिक (अप्राकृतिक) रंग का भी उपयोग होता है।
II. कशीदाकारी एवं गोटाकारी
राजस्थान के अनेक स्थानों पर कपड़ों पर कशीदाकारी एवं गोटाकारी भी की जाती है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ हैं:
(1) कशीदों में मुख्यतः पशुओं के चित्र उकेरे जाते हैं।
(2) कई जगहों पर कपड़ों को तरह-तरह से काटकर, कपड़ों पर सिल दिया जाता है, जिसे. पेचवर्क कहा जाता है।
(3) गोटे, किनारी और आरी-तारी का काम भी राजस्थान की विशेषता है।