Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 6 Hindi Vasant Chapter 15 नौकर Textbook Exercise Questions and Answers.
The questions presented in the RBSE Solutions for Class 6 Hindi are solved in a detailed manner. Get the accurate RBSE Solutions for Class 6 all subjects will help students to have a deeper understanding of the concepts. Here is visheshan worksheet for class 6 to learn grammar effectively and quickly.
निबन्ध से -
प्रश्न 1.
आश्रम में कॉलेज के छात्रों से गाँधीजी ने कौनसा काम करवाया और क्यों?
उत्तर-
आश्रम में आये कॉलेज के छात्रों से गाँधीजी ने गेहूँ बिनवाने का काम करवाया, क्योंकि उन छात्रों को अंग्रेजी ज्ञान पर बड़ा गर्व था और वे गाँधीजी की सेवा करना चाहते थे।
प्रश्न 2.
'आश्रम में गाँधीजी कई ऐसे काम भी करते थे जिन्हें आमतौर पर नौकर-चाकर करते हैं।' पाठ से तीन ऐसे प्रसंगों को अपने शब्दों में लिखो, जो इस बात का प्रमाण हों।
उत्तर-
पाठ में ऐसे कई प्रसंग आये हैं, जिनमें गाँधीजी ऐसे काम भी करते थे, जिन्हें प्राय: नौकर-चाकर करते हैं। ऐसे तीन प्रसंग निम्नलिखित हैं -
(1) एक कार्यकर्ता ने जब कहा कि आश्रम में आटा कम पड़ गया है, तो तब गाँधीजी स्वयं आटा पीसने के लिए आ गये।
(2) कुछ लोग आश्रम में रसोई के बर्तन बारी-बारी से साफ करते थे। एक दिन गाँधीजी ने बड़े-बड़े पतीलों को साफ करने का काम अपने ऊपर लिया।
(3) आश्रम के लिए बाहर बने कुएँ से पानी खींचने का काम भी गाँधीजी रोज करते थे और नवागत मेहमानों के बिस्तर स्वयं उठाकर निर्धारित जगह पर रखते थे।
प्रश्न 3.
लन्दन में भोज पर बुलाए जाने पर गाँधीजी ने क्या किया?
उत्तर-
लन्दन में भोज पर बुलाए जाने पर गाँधीजी खाना बनाने वालों में शामिल हो गये। उन्होंने तस्तरियाँ धोने, सब्जी साफ करने और अन्य छुट-पुट काम करने में उनकी मदद की।
प्रश्न 4.
गाँधीजी ने श्रीमती पोलक के बच्चे का दूध कैसे छुड़वाया?
उत्तर-
गाँधीजी श्रीमती पोलक के बच्चे को अपने बिस्तर पर लिटा लेते थे। वह चारपाई के पास पानी का एक बरतन रख लेते, ताकि बच्चे को जब भी प्यास लगे तो उसे पिला सकें। इस प्रकार एक पखवाड़े तक माँ से अलग सुलाने के बाद बच्चे ने माँ का दूध छोड़ दिया।
प्रश्न 5.
आश्रम में काम करने या करवाने का कौन-सा तरीका गाँधीजी अपनाते थे? इसे पाठ पढ़कर लिखो।
उत्तर-
आश्रम में काम करने या करवाने के लिए वे स्वयं उस काम को करने लगते। वे उस काम को स्वयं करके बताते कि यह काम कैसे किया जाता है। इससे जो काम नहीं करना चाहता था, वह भी काम करने को प्रेरित हो जाता था।
निबन्ध से आगे
प्रश्न 1.
गाँधीजी इतना पैदल क्यों चलते थे ? पैदल चलने के क्या लाभ हैं ? लिखो।
उत्तर-
गाँधीजी शारीरिक श्रम को अधिक महत्त्व देते थे। शरीर में शक्ति और फुर्ती बनी रहे, इसलिए वे रोजाना कई मील पैदल चलते थे। इससे उन्हें हर प्रकार का कार्य करने की अद्भुत क्षमता और शक्ति प्राप्त होती थी। पैदल चलने से शारीरिक व्यायाम होता है तथा शरीर स्वस्थ रहता है।
प्रश्न 2.
अपने घर के किन्हीं दस कामों की सूची बनाकर लिखो और यह भी कि उन कामों को घर के कौन- कौन से सदस्य अक्सर करते हैं ? तुम प्रश्न में बनी तालिका की सहायता ले सकते हो।
उत्तर-
घर के दस कार्यों की सूची
(1) घर का सामान लाना-पिताजी।
(2) घर की सफाई करना - माँ एवं बहन
(3) बिस्तर रखना-मैं स्वयं।
(4) खाना बनाना - माँ एवं बहन।
(5) कपड़े धोना-माँ एवं बहन।
(6) दूध और सब्जियाँ लाना-भाई।
(7) बिजली का बिल जमा कराना-चाचाजी।
(8) छोटे बच्चों की देखभाल करना-दादीजी।
(9) मेरी फीस जमा कराना - पिताजी।
(10) पेड़-पौधों को पानी देना-भाई और चाचाजी।
• अब यह देखो कि कौन सबसे ज्यादा काम करता है और कौन सबसे कम। कार्यों का बराबर बँटवारा हो सके, इसके लिए तुम क्या कर सकते हो? सोचकर कक्षा में बताओ।
उत्तर-
घर के सामान्य कार्यों में प्रायः सभी लोग आपस में मिलकर सहयोग करते हैं। इसलिए यह कहना कि अमुक ज्यादा काम करता है और अमुक कम, यह उचित प्रतीत नहीं होता है। जहाँ तक मेरी क्षमता है, मैं घर के काम में पिता, माँ तथा दादी की सहायता करने का अधिक प्रयास कर सकता हूँ।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1.
गाँधीजी अपने साथियों की जरूरत के मुताबिक हर काम कर देते थे, लेकिन उनका खुद का कोई काम और करे, ये उन्हें पसन्द नहीं था। क्यों ? सोचो और अपनी कक्षा में सुनाओ।
उत्तर-
गाँधीजी अपने काम को खुद करना पसन्द करते थे, जिससे उन्हें दूसरों पर आश्रित नहीं रहना पड़े और हर तरह का कार्य करने की क्षमता एवं शक्ति बनी रहे। अपना काम स्वयं करने में उन्हें संकोच नहीं होता था।
प्रश्न 2.
'नौकरों को हमें वेतनभोगी मजदूर नहीं, अपने भाई के समान मानना चाहिए। इसमें कुछ कठिनाई हो सकती है, फिर भी हमारी कोशिश सर्वथा निष्फल नहीं जाएगी।' गाँधीजी ऐसा क्यों कहते होंगे? तर्क के साथ समझाओ।
उत्तर-
नौकरों को अपने भाई के समान मानने से वे काम को अपना मानकर करेंगे, वे काम में रुचि लेंगे तथा अच्छी तरह से करेंगे। उनमें अपनेपन की भावना आयेगी। इससे वे काम को भार नहीं मानेंगे।
प्रश्न 3.
गाँधीजी की कही-लिखी बातें लगभग सौ से अधिक किताबों में दर्ज हैं। घर के काम, बीमारों की सेवा, आगन्तुकों से बातचीत आदि के ढेरों काम करने के बाद गाँधीजी को लिखने का समय कब मिलता होगा? गाँधीजी का एक दिन कैसे गुजरता होगा, इस पर अपनी कल्पना से लिखो।
उत्तर-
गाँधीजी ने अपने प्रत्येक काम के लिए समयविभाजन कर रखा था। वे प्रायः रात के समय अथवा एकदम प्रातः लिखने-पढ़ने का समय निकालते होंगे, वे अत्यन्त व्यस्त दिनचर्या में रहकर भी अपना हर काम मुस्तैदी से सम्पन्न करते होंगे।
प्रश्न 4.
पाठ में बताया गया है कि गाँधीजी और उनके साथी आश्रम में रहते थे। घर और स्कूल के छात्रावास से गाँधीजी का आश्रम किस तरह अलग था? कुछ वाक्यों में लिखो।
उत्तर-
गाँधीजी का आश्रम समाजसेवा करने वाले सन्तों और कार्यकर्ताओं से भरा रहता था। वह आश्रम घर और स्कूल के छात्रावास से अलग था; क्योंकि वहाँ पर सारे काम सभी कार्यकर्ता करते थे। गाँधीजी भी आश्रम का प्रत्येक काम करने में हाथ बँटाते थे। वे आटा पीसने, सब्जी साफ करने, बरतन धोने आदि अनेक काम करने में सहायकों की मदद करते थे।
गाँधीजी के आश्रम में रहने वाले लोगों को नियमों का पालन करना पड़ता था। स्कूल के छात्रावास में काम करने के लिए कर्मचारी नियुक्त रहते हैं, परन्तु आश्रम में सभी लोग अपना काम स्वयं करते थे।
प्रश्न 5.
ऐसे कामों की सूची बनाओ जिन्हें तुम हर रोज खुद कर सकते हो।
उत्तर-
हम निम्नलिखित काम खुद कर सकते हैं
(1) बिस्तर लगाना व साफ करना,
(2) दूध लाना,
(3) सब्जियाँ खरीद लाना,
(4) अपने कमरे की सफाई करना,
(5) अपने कपड़े धोना,
(6) अपनी किताबों को ठीक जगह पर रखना,
(7) अपने कपड़ों पर इस्वी करना,
(8) अपने जूतों पर पालिश करना,
(9) प्रत्येक चीज सही स्थान पर रखना तथा
(10) अपना गृह-कार्य करना।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
(क) पिसाई' संज्ञा है। पीसना शब्द से 'ना' निकाल देने पर 'पीस' धातु रह जाती है। पीस' धातु में 'आई' प्रत्यय जोड़ने पर पिसाई शब्द बनता है। किसीकिसी क्रिया में प्रत्यय जोड़कर उसे संज्ञा बनाने के बाद उसके रूप में बदलाव आ जाता है, जैसे ढोना से ढलाई, बोना से बुआई। मूल शब्द के अन्त में जुड़कर नया शब्द बनाने वाले शब्दांश को प्रत्यय कहते हैं। नीचे कुछ संज्ञाएँ दी गई हैं। बताओ ये किन क्रियाओं से बनी हैं ?
रोपाई ...... कटाई .......... सिंचाई ........... सिलाई ......... कताई ........... रंगाई ..........
उत्तर-
संज्ञा -- क्रिया
रोपाई -- रोपना
कटाई -- काटाना
सिंचाई -- सींचना
सिलाई -- सिलना
कताई -- कातना
रंगाई -- रंगना
(ख) हर काम-धन्धे के क्षेत्र की अपनी कुछ अलग भाषा और शब्द-भण्डार भी होते हैं। ऊपर लिखे शब्दों का सम्बन्ध दो अलग-अलग कामों से है। पहचानो कि दिये गये शब्दों के सम्बन्ध किन-किन कामों से हैं।
उत्तर-
रोपाई, कटाई, सिंचाई-कृषि क्षेत्र से हैं।
सिलाई, कताई, रंगाई-कपड़ा बनाने से सम्बन्धित हैं।
प्रश्न 2.
(क) तुमने कपड़ों को सिलते हुए देखा होगा। नीचे इस काम से जुड़े कुछ शब्द दिये गए हैं। आसपास के बड़ों से या दरजी से इन शब्दों के बारे में पूछो और इन शब्दों को कुछ वाक्यों में समझाओतुरपाई बखिया कच्ची सिलाई चोर सिलाई।
उत्तर-
शब्द -- वाक्य
तुरपाई - पायजामा के अन्दर से तुरपाई अच्छी नहीं है।
बखिया - कपड़े पर जहाँ निशान है, वहाँ मशीन से बखिया कर दीजिए।
कच्ची सिलाई - कच्ची सिलाई करने के बाद उसकी पक्की सिलाई करो।
चोर सिलाई - कपड़े में चोर सिलाई कर दो जिससे वह बाहर से न दिखे।
(ख) नीचे लिखे गए शब्द पाठ से लिए गए हैं। इन्हें - पाठ में खोज कर बताओ कि ये स्त्रीलिंग हैं या पुल्लिंग?
कालिख
भराई -
चक्की -
रोशनी -
सेवा -
पतीला -
उत्तर-
कालिख - स्त्रीलिंग।
भराई - स्त्रीलिंग।
चक्की - स्त्रीलिंग।
रोशनी - स्त्रीलिंग
सेवा - स्वीलिंग।
पतीला - पुल्लिंग।
पाठ में जो वाक्य आये हैं, उनके अनुसार इनके लिंग का ज्ञान हो जाता है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
एक बार आश्रम में क्या कम पड़ गया ?
(अ) चावल
(ब) आटा
(स) दाल
(द) सब्जियाँ
उत्तर-
(ब) आटा
प्रश्न 2.
आश्रम के नियमानुसार सब लोगों को करना पड़ता था
(अ) अपने बर्तनों की सफाई
(ब) अपने कपड़ों की धुलाई
(स) मेहमानों की सेवा
(द) बगीचे में निराई-गुड़ाई
उत्तर-
(अ) अपने बर्तनों की सफाई
प्रश्न 3.
गाँधीजी दिन में अक्सर पैदल चलते थे
(अ) दस मील
(ब) सात मील
(स) तीस मील
(द) बयालीस मील
उत्तर-
(द) बयालीस मील
प्रश्न 4.
गाँधीजी नौकरों को मानते थे
(अ) सेवक
(ब) मालिक
(स) भाई
(द) दोस्त
उत्तर-
(स) भाई
रिक्त स्थानों की पूर्ति
प्रश्न 5.
उचित शब्द से रिक्त स्थानों की पूर्ति करो
(i) वे रसोईघर में जाकर ........ छोलते थे। (सब्जियाँ/लकड़ियाँ)
(ii) उन्हें भारतीय छात्रों ने ....... में निमन्त्रित किया। (सभा/भोज)
(iii) मैं कभी किसी को अपना ....... नहीं समझता । (सेवक/नौकर)
उत्तर-
रिक्त स्थानों के लिए शब्द-
(i) सब्जियाँ
(ii) भोज
(ii) नौकर।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 6.
गाँधीजी ने किसके बच्चे को दूध छुड़ाया था?
उत्तर-
गाँधीजी ने श्रीमती पोलक के बच्चे को दूध छुड़ाया था।
प्रश्न 7.
अहमदाबाद में गाँधीजी के आश्रम का क्या नाम है?
उत्तर-
अहमदाबाद में गाँधीजी के आश्रम का नाम साबरमती
प्रश्न 8.
गाँधीजी प्रतिदिन सुबह कौन-सा काम करते थे?
उत्तर-
गाँधीजी प्रतिदिन सुबह आटा पीसने का काम करते थे।
प्रश्न 9.
गाँधीजी किस बात का आग्रह करते थे?
उत्तर-
वे जरूरत पड़ने पर अनुसूचित जाति के व्यक्ति को ही सहायक रूप में आश्रम में रखने का आग्रह करते थे।
प्रश्न 10.
गाँधीजी क्या पसन्द नहीं करते थे?
उत्तर-
गाँधीजी अपना काम दूसरों से करवाना पसन्द नहीं करते थे।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 11.
नौकरों के बारे में गाँधीजी क्या विचार रखते थे?
उत्तर-
गाँधीजी किसी को नौकर की भाँति नहीं रखते थे, वे उसे अपना सहयोगी मानते थे और कहते थे कि नौकरों को वेतनभोगी मजदूर नहीं, अपने भाई के समान मानना चाहिए।
प्रश्न 12.
साबरमती आश्रम में गाँधीजी क्या-क्या काम करते थे?
उत्तर-
साबरमती आश्रम में गाँधीजी गेहूँ बीनकर साफ करते थे। प्रतिदिन अपने हाथ से चक्की पर आटा पीसते थे। चकी ठीक करते थे, सब्जियाँ साफ करते थे और अपने, बरतन स्वयं धोते थे।
प्रश्न 13.
गाँधीजी अपने से बड़ों का आदर करते थेएक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
दक्षिण अफ्रीका में गोखले गाँधीजी के साथ ठहरे हुए थे। उस समय गाँधीजी ने उनके दुपट्टे पर इस्त्री की, उन्हें भोजन परोसा और उनके पैर दबाने के लिए भी तैयार रहते थे।
प्रश्न 14.
'नौकर' पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती
उत्तर-
'नौकर' पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपना काम करने में शर्म नहीं करनी चाहिए। नौकरों को भाई के समान मानना चाहिए। नियमित काम करने की आदत डालनी चाहिए।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 15.
गाँधीजी को कौन-सी बात बिल्कुल पसन्द नहीं थी?
उत्तर-
गाँधीजी को शारीरिक श्रम से बचने की बात बिल्कुल पसन्द नहीं थी। वे मानते थे कि जब तक एकदम लाचारी न हो, तब तक शारीरिक श्रम करते रहना चाहिए। यह बात भी उन्हें बिल्कुल पसन्द नहीं थी कि सिर्फ महात्मा या बूढ़ा होने के कारण उन्हें शारीरिक श्रम से बचना पड़े और प्रत्येक काम के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़े।
प्रश्न 16.
'नौकर' पाठ से गाँधीजी के किन गुणों का पता चलता है ? बताइए।
उत्तर-
'नौकर' पाठ से पता चलता है कि गाँधीजी परिश्रमी स्वभाव के थे। वे अपना काम स्वयं करना चाहते थे। वे आश्रम के प्रत्येक काम में सहयोग करते थे और नियमों का पालन करने में जरा भी लापरवाही नहीं करते थे। वे अपने से बड़ों का सम्मान करते थे और नौकरों को भाई के समान मानते थे। वे विनम्र, दयालु, कर्मठ, परिश्रमी, सत्यवादी एवं परोपकारी थे।
गद्यांश पर आधारित प्रश्न -
प्रश्न 17.
निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(1) आश्रम का एक नियम यह था कि सब लोग अपने बरतन खुद साफ करें। रसोई के बरतन बारी-बारी से कुछ लोग दल बाँध कर धोते थे। एक दिन गाँधीजी ने बड़े-बड़े पतीलों को खुद साफ करने का काम अपने ऊपर लिया। इन पतीलों की पेंदी में खूब कालिख लगी थी। राख भरे हाथों से वह एक पतीले को खूब जोरजोर से रगड़ने में लगे हुए थे कि तभी कस्तूरबा वहाँ आ गईं। उन्होंने पतीले को पकड़ लिया और बोली, "यह काम आपका नहीं है। इसे करने को और बहुत से लोग हैं।"
प्रश्न
(क) पाठ का और लेखिका का नाम बताइए।
(ख) आश्रम का क्या नियम था ?
(ग) एक दिन गाँधीजी ने क्या काम अपने ऊपर लिया?
(घ) गाँधीजी का किसने सहयोग किया ?
उत्तर-
(क) पाठ का नाम 'नौकर' तथा लेखिका का नाम अनु बन्योपाध्याय है।
(ख) आश्रम का नियम था कि सब लोग अपने बरतन स्वयं साफ करें।
(ग) एक दिन गाँधीजी ने बड़े-बड़े पतीलों को साफ करने का अर्थात् धोने का काम अपने ऊपर लिया।
(घ) गाँधीजी का सहयोग उनकी पत्नी श्रीमती कस्तूरबा ने किया।
(2) जिस जमाने में वे बैरिस्टरी से हजारों रुपये कमाते थे, उस समय भी वे प्रतिदिन सुबह अपने हाथ से चक्की पर आटा पीसा करते थे। चक्की चलाने में कस्तूरबा और उनके लड़के भी हाथ बँटाते थे। इस प्रकार घर में रोटी बनाने के लिए महीन या मोटा आटा वे खुद पीस लेते थे। साबरमती आश्रम में भी गाँधी ने पिसाई का काम जारी रखा। वह चक्की को ठीक करने में कभी-कभी घंटों मेहनत करते थे। एक बार एक कार्यकर्ता ने कहा कि आश्रम में आटा कम पड़ गया है। आटा पिसवाने में हाथ बँटाने के लिए गाँधी फौरन उठकर खड़े हो गए।
प्रश्न
(क) साबरमती आश्रम में प्रतिदिन आटा कौन पीसता था?
(ख) चक्की चलाने में कौन गाँधीजी का हाथ बँटाते थे?
(ग) गाँधीजी किस काम में घण्टों मेहनत करते थे?
(घ) आटा पीसने से गाँधीजी को क्या लाभ था?
उत्तर-
(क) साबरमती आश्रम में प्रतिदिन गाँधीजी हाथ से चक्की पर आटा पीसते थे।
(ख) चक्की चलाने में कस्तूरबा और उनके लड़के भी गाँधीजी का हाथ बँटाते थे।
(ग) गाँधीजी आटा पीसने के साथ ही चक्की को ठीक करने में भी घण्टों मेहनत करते थे।
(घ) आटा पीसने से गाँधीजी का शारीरिक व्यायाम हो जाता था, पेट की बीमारी नहीं होती थी और स्वास्थ्य ठीक रहता था।
(3) गाँधी को यह बात बिल्कुल पसंद नहीं थी कि महात्मा या बूढ़े होने के कारण उनको अपने हिस्से का दैनिक शारीरिक श्रम न करना पड़े। उनमें हर प्रकार का काम करने की अद्भुत क्षमता और शक्ति थी। वह थकान का नाम भी नहीं जानते थे। दक्षिण अफ्रीका में बोअर युद्ध के दौरान उन्होंने घायलों को स्ट्रेचर पर लादकर एक-एक दिन में पच्चीस-पच्चीस मील तक ढोया था। वह मीलों पैदल चल सकते थे। दक्षिण अफ्रीका में जब वे टॉलस्टॉय बाड़ी में रहते थे, तब पास के शहर में कोई काम होने पर दिन में अक्सर बयालीस मील तक पैदल चलते थे।
प्रश्न
(क) गाँधीजी को कौनसी बात पसन्द नहीं थी?
(ख) 'बोअर-युद्ध के दौरान गाँधीजी ने क्या किया?
(ग) गाँधीजी दक्षिण अफ्रीका में कहाँ रहते थे?
(घ) गाँधीजी थकान का नाम भी क्यों नहीं जानते थे?
उत्तर-
(क) गाँधीजी को यह बात पसन्द नहीं थी कि महात्मा या बूढ़ा होने के कारण उन्हें अपने हिस्से का काम तथा शारीरिक श्रम न करना पड़े।
(ख) 'बोअर-युद्ध' के दौरान गाँधीजी ने घायलों को स्ट्रेचर पर लादकर एक-एक दिन में पच्चीस-पच्चीस मील तक ढोने का काम किया।
(ग) गाँधीजी दक्षिण अफ्रीका में टॉलस्टॉय बाड़ी में रहते
(घ) गाँधीजी के मन में हर प्रकार का काम करने की अद्भुत क्षमता और शक्ति थी, इस कारण वे थकान का नाम भी नहीं जानते थे।
(4) जब गाँधी गाँवों का दौरा कर रहे होते, उस समय रात को यदि लिखते समय लालटेन का तेल खत्म हो जाता तो वे चंद्रमा की रोशनी में ही पत्र पूरा कर लेना ज्यादा पसंद करते थे, लेकिन सोते हुए अपने किसी थके हुए साथी को नहीं जगाते थे। नौआखाली पद-यात्रा के समय गाँधी ने अपने शिविर में केवल दो आदमियों को ही रहने की अनुमति दी। इन दोनों को यह नहीं मालूम था कि खाखरा कैसे बनाया जाता है। इस पर गाँधी स्वयं रसोई में जा बैठे और निपुण रसोइए की तरह उन्होंने खाखरा बनाने की विधि बताई। उस समय गाँधी की अवस्था अठहत्तर वर्ष की थी।
प्रश्न
(क) दौरा करते समय गाँधी कब लिखते थे?
(ख) लालटेन का तेल खत्म होने पर गाँधीजी क्या करते थे?
(ग) गाँधीजी किसी काम के लिए सोते हुए आदमी को क्यों नहीं जगाते थे?
(घ) गाँधीजी ने निपुण रसोइए का परिचय कब दिया?
उत्तर-
(क) दौरा करते समय गाँधीजी रात में ही लिखते थे।
(ख) लालटेन का तेल खत्म होने पर गाँधीजी चन्द्रमा की रोशनी में ही पत्र-लेखन करते थे।
(ग) गांधीजी अपने किसी काम के लिए सोते हुए आदमी को नहीं जगाते थे, क्योंकि वे किसी को भी परेशान नहीं करना चाहते थे।
(घ) नौआखाली शिविर में स्वयं रसोई में जाकर 'खाखरा' बनाया और अपने आदमियों को खाखरा बनाने की विधि भी बताई, इससे उन्होंने निपुण रसोइए का परिचय दिया।
[सप्रसंग व्याख्या/भावार्थ]
कठिन-शब्दार्थ-बैरिस्टरी = वकालत, वकीलों का काम। कार्यकर्ता = काम करने वाला। कौपीनधारी = लंगोटी धारण करने वाला। हैरत - आश्चर्य । ताड़ लेना - पूर्वानुमान कर लेना। आगन्तुक - आने वाला, मेहमान। पौष्टिक शरीर को ताकत देने वाला। नवागत = नया आया हुआ मेहमान। खाखरा = एक गुजराती व्यंजन। हाजमा = पचाने की शक्ति । बेस्वाद - स्वाद-रहित। अनुकरण = नकल करना, पीछे-पीछे चलना। बुहारना - साफ करना। कारकुन - काम करने वाला। पखवाड़ा = पन्द्रह दिन का समय। अधिवेशन - सम्मेलन, बड़ी सभा। प्रतिदान = ली गई वस्तु के बदले में वस्तु देना। सामर्थ्य - ताकत।
पाठ का सार-प्रस्तुत पाठ में महात्मा गाँधी की जीवनचर्या के बारे में लिखा गया है । गाँधीजी किसी काम को छोटा नहीं मानते थे। वे वकालत में हजारों रुपये कमाते थे, परन्तु स्वयं चक्की चलाकर आटा पीसते थे। वे काम करने में शर्म महसूस नहीं करते थे। वे साबरमती आश्रम में सफाई करने, भोजन परोसने, सब्जियाँ छीलने का काम स्वयं करते थे।
वे मेहमानों की सेवा स्वयं करते थे। दक्षिण अफ्रीका में रहते हए के पच्चीस मील पैदल चलते थे और जरूरी सामान भी ढोकर लाते थे। वे वहाँ पर अपने मित्र पोलक के बच्चे की देखभाल भी करते थे। दक्षिण अफ्रीका से भारत आने पर गाँधीजी ने कांग्रेस अधिवेशन में गंदे पाखाने स्वयं साफ किये। वे कोई भी काम करने को तैयार रहते थे। वे अपने आश्रम में नौकरों के साथ भाई जैसा व्यवहार करते थे। किसी को नौकर मानना वे अनुचित समझते थे। वे अपनी सेवा करने वालों को प्रतिदान देना चाहते थे।