Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 6 Hindi Vasant Chapter 11 जो देखकर भी नहीं देखते Textbook Exercise Questions and Answers.
The questions presented in the RBSE Solutions for Class 6 Hindi are solved in a detailed manner. Get the accurate RBSE Solutions for Class 6 all subjects will help students to have a deeper understanding of the concepts. Here is visheshan worksheet for class 6 to learn grammar effectively and quickly.
निबन्ध से
प्रश्न 1.
जिन लोगों के पास आँखें हैं, वे सचमुच बहुत कम देखते हैं'-हेलेन केलर को ऐसा क्यों लगता था ?
उत्तर-
जब प्रकृति की वस्तुओं का स्पर्श करने से दृष्टिहीन व्यक्ति को इतना आनन्द मिलता है, तो उन्हें आँखों से स्पष्ट देखने से तो मन मुग्ध हो जाना चाहिए। परन्तु आँखों वाले लोग दुनिया की रंग-बिरंगी वस्तुओं के प्रति वैसी संवेदना नहीं रखते हैं।
प्रश्न 2.
'प्रकृति का जादू' किसे कहा गया है?
उत्तर-
तरह-तरह के पेड़-पौधों की बनावट, वस्तुओं का परिवर्तन, बसन्त में फूलों का खिलना, पंखुड़ियों की मखमली सतह, बागों में गाते हुए पक्षी, कलकल करते बहते झरने, चीड़ की पत्तियों या घास से ढके हुए मैदान आदि सब को "प्रकृति का जादू' कहा गया है।
प्रश्न 3.
"कुछ खास तो नहीं"- हेलेन की मित्र ने यह जवाब किस मौके पर दिया और यह सुनकर हेलेन को आश्चर्य क्यों नहीं हुआ?
उत्तर-
हेलेन की मित्र जब जंगल की सैर से लौटी, तब पूछने पर उसने जवाब दिया कि "कुछ खास तो नहीं।" उसके जवाब को सुनकर हेलेन को आश्चर्य इसलिए नहीं हुआ कि वह इस तरह उत्तरों को सुनने की आदी हो चुकी थी।
प्रश्न 4.
हेलेन केलर प्रकृति की किन चीजों को छूकर और सुनकर पहचान लेती थी? पाठ के आधार पर इसका उत्तर लिखो।
उत्तर-
हेलेन केलर भोजपत्र की चिकनी छाल, चीड़ की खुरदरी छाल, कलियों और फूलों की पंखुड़ियों की मखमली सतह को छूकर तथा पक्षियों के गीतों को सुनकर पहचान लेती थी।
प्रश्न 5.
जबकि इस नियामत से जिंदगी को खुशियों के इन्द्रधनुषी रंगों से हरा-भरा किया जा सकता है।'-' तुम्हारी नजर में इसका क्या अर्थ हो सकता है?
उत्तर-
इस वाक्य का अर्थ है - दृष्टि या देखने योग्य आँखें ईश्वर की विशेष देन हैं। इनसे प्रकृति की अनेक सुन्दर वस्तुओं को स्पष्ट देखा जा सकता है तथा आनन्दित होकर अपने सारे दु:खों को भुलाया जा सकता है।
निबंध से आगे
प्रश्न 1.
आज तुमने अपने घर से आते हुए बारीकी से क्या क्या देखा-सुना ? मित्रों के साथ सामूहिक चर्चा करो।
उत्तर-
छात्र स्वयं चर्चा करें।
प्रश्न 2.
कान से न सुन पाने पर आसपास की दुनिया कैसी लगती होगी? इस पर टिप्पणी लिखो और कक्षा में पढ़कर सुनाओ।
उत्तर-
कान बंद करने पर हमें कुछ सुनाई नहीं देता है। प्रकृति की आनंददायी आवाज को न सुन पाने पर एक अजीब सी स्थिति होती है। मन तुरंत कहता है कि कान खोलकर इन ध्वनियों का आनंद लिया जाए। बंद कान में एक साँय-सांय की आवाज परेशान कर देती है। मनुष्य एवं प्रकृति के क्रियाकलापों को बंद कान से हम मूक फिल्मों की तरह देखते हैं।
प्रश्न 3.
तुम्हें किसी ऐसे व्यक्ति से मिलने का मौका मिले जिसे दिखाई न देता हो तो तुम उससे सुनकर, सूंघकर, चखकर, छूकर अनुभव की जाने वाली चीजों के संसार के विषय में क्या-क्या प्रश्न कर सकते हो? लिखो।
उत्तर-
यदि हमें किसी ऐसे व्यक्ति से मिलने का मौका मिले जिसे दिखाई न देता हो, तो उससे हम उक्त चीजों के विषय में इस तरह पूछेगे --
प्रश्न-आपको पक्षियों की आवाज कैसी लगती है ?
उत्तर-मुझे पक्षियों की आवाज मधुर लगती है।
प्रश्न- इस आवाज को सुनकर कैसा महसूस होता है ?
उत्तर-इस आवाज को सुनकर आनंद का अनुभव होता है।
प्रश्न-कोई फल.चखकर या फूल की खुशबू सूंघकर आपको कैसा लगता है ?
उत्तर-अत्यन्त मनमोहक लगता है।
प्रश्न-फूल की कलियों को छूकर आप उसका नाम बताइये।
उत्तर-इस फूल का नाम गुलाब है।
प्रश्न 4.
हम अपनी पाँचों इन्द्रियों में से आँखों का इस्तेमाल सबसे ज्यादा करते हैं। ऐसी चीजों के अहसासों की तालिका बनाओ जो तुम बाक़ी चार इन्द्रियों से महसूस करते हो
सुनकर, चखकर, सूंघकर, छूकर।
उत्तर
भाषा की बात
प्रश्न 1.
पाठ में स्पर्श से सम्बन्धित कई शब्द आए हैं। नीचे ऐसे कुछ और शब्द दिए गए हैं। बताओ कि किन चीजों का स्पर्श ऐसा होता है
चिकना ...............
चिपचिपा ..................
मुलायम ..................
खुरदरा ..................
सख्त ..................
भुरभुरा ..................
उत्तर-
चिकना - भोजपत्र
चिपचिपा - गोंद
मुलायम - पंखुड़ी
खुरदुरा - पेड़ का तना
सख्त - चट्टान
भुरभुरा - आटा
प्रश्न 2.
अगर मुझे इन चीजों को छूने भर से इतनी खुशी मिलती है, तो उनकी सुंदरता देखकर तो मेरा मन मुग्ध ही हो जाएगा।
• ऊपर रेखांकित संज्ञाएँ क्रमशः किसी भाव और किसी की विशेषता के बारे में बता रही हैं। ऐसी संज्ञाएँ भाववाचक कहलाती हैं। गुण और भाव के अलावा भाववाचक संज्ञाओं का संबंध किसी की दशा और किसी कार्य से भी होता है। भाववाचक संज्ञा की पहचान यह है कि इससे जुड़े शब्दों को हम सिर्फ महसूस कर सकते हैं, देख या छू नहीं सकते। नीचे लिखी भाववाचक संज्ञाओं को पढ़ो और समझो। इनमें से कुछ शब्द संज्ञा और कुछ क्रिया से बने हैं। उन्हें पहचान कर लिखो।
उत्तर-
प्रश्न 3.
मैं अब उस तरह के उत्तरों की आदी हो चुकी हूँ। उस बगीचे में आम, अमलतास, सेमल आदि तरह-तरह के पेड़ हैं।
ऊपर दिये गये दोनों वाक्यों में रेखांकित शब्द देखने में मिलते-जुलते हैं, पर उनके अर्थ भिन्न हैं। नीचे ऐसे कुछ और शब्द दिये गये हैं। वाक्य बनाकर उनका अर्थ स्पष्ट करो।
उत्तर-
अवधि - पाण्डवों के वनवास की अवधि तेरह
वर्ष थी। - अवधी - रामचरितमानस अवधी भाषा में रचा गया है।
ओर - बगीचे की ओर देखते रहो।
और - राम और श्याम दोनों भाई हैं।
में - घर में खुशी छा गई।
मैं - मैं घर पर ही रहा।
दिन - सप्ताह में सात दिन होते हैं।
दीन - दीन व्यक्ति पर दया करो।
मेल - सभी को मेल-मिलाप से रहना चाहिए।
मैल - कपड़ों पर मैल जमी है।
सिल - इस जड़ी को सिल पर पीस लो।
सील - दवा की शीशी की सील टूटी है।
अनुभव और कल्पना
प्रश्न 1.
पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ संख्या 84 पर दी गई तस्वीर में तुम्हारी पहली नजर कहाँ जाती है?
उत्तर-
इस तस्वीर में हमारी पहली नजर गली में खड़े वाहनों तथा लोगों पर जाती है।
प्रश्न 2.
गली में क्या-क्या चीजें हैं ?
उत्तर-
गली में मकान, वाहन, साइकिल और स्कूटर वाला, बिजली के खम्भे तथा तार आदि हैं।
प्रश्न 3.
इस गली में हमें कौन-कौन-सी आवाजें सुनाई देती होंगी?
उत्तर-
सुबह के वक्त - वाहनों की, फेरी वाले तथा अन्य लोगों की अवाजें सुनाई देती होंगी।
दोपहर के वक्त - वाहनों की तथा लोगों की बातचीत की आवाजें सुनाई देती होंगी।
शाम के वक्त - बच्चों के खेलने की और वाहनों की आवाजें आती होंगी।
रांत के वक्त - चौकीदारों एवं सुरक्षा गार्डों के साथ ही कुछ जानवरों की आवाजें सुनाई देती होंगी।
प्रश्न 4.
अलग-अलग समय में ये गली कैसे बदलती होगी?
उत्तर-
अलग-अलग समय में इस गली में कभी भीड़भाड़ रहती होगी, अनेक वाहन चलते होंगे, परन्तु कभी एकदम खाली और शान्त रहती होगी।
प्रश्न 5.
ये तारें गली को कहाँ-कहाँ से जोड़ती होंगी?
उत्तर-
ये तारें गली को बिजली के खम्भों से गलियों से सड़क तक सब घरों को जोड़ती होंगी।
प्रश्न 6.
साइकिल वाला कहाँ से आकर कहाँ जा रहा होगा?
उत्तर-
साइकिल वाला बाजार या दफ्तर से आकर अपने घर जा रहा होगा।
प्रश्न 1.
हेलेन केलर का जन्म हुआ था
(अ) भारत में
(ब) अमेरिका में
(स) जर्मनी में
(द) कनाडा में
उत्तर-
(ब) अमेरिका में
प्रश्न 2.
लेखिका के अनुसार कौन लोग बहुत कम देखते
(अ) जिनकी आँखें हैं।
(ब) जो अन्धे हैं।
(स) जिनकी आँखें खराब हैं।
(द) जो बहरे हैं।
उत्तर-
(अ) जिनकी आँखें हैं।
प्रश्न 3.
आदमी के जीवन में नियामत है
(अ) हाथ-पैर
(ब) वाणी
(स) जीभ
(द) दृष्टि
उत्तर-
(द) दृष्टि
रिक्त स्थानों की पूर्ति
प्रश्न 4.
उचित शब्द से रिक्त स्थानों की पूर्ति करो
(i) भोजपत्र के पेड़ की ...... छाल होती है। (खुरदरी/चिकनी)
(ii) मुझे प्रकृति के जादू का ...... होता है। (अहसास/विश्वास)
(iii) दृष्टि के आशीर्वाद को लोग ..... चीज समझते हैं। (विशिष्टसाधारण)
उत्तर-
रिक्त स्थानों के लिए शब्द-
(i) चिकनी
(ii) अहसास
(iii) साधारण।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 5.
लेखिका को किसी भी महँगे कालीन से अधिक प्रिय क्या लगते हैं?
उत्तर-
लेखिका को घास के मैदान महँगे कालीन से अधिक प्रि लगते हैं।
प्रश्न 6.
आदमी के लिए क्या चीज नियामत है ?
उत्तर-
आदमी के लिए दृष्टि नियामत है।
प्रश्न 7.
लेखिका का क्या विश्वास है ?
उत्तर-
लेखिका का विश्वास है कि जिन लोगों की आँखें होती हैं वे बहुत कम देखते हैं।
प्रश्न 8.
मनुष्य किसकी कदर नहीं करता है?
उत्तर-
मनुष्य अपनी क्षमताओं की कदर नहीं करता है।
प्रश्न 9.
मनुष्य हमेशा किसकी आस लगाए रहता है?
उत्तर-
मनुष्य हमेशा उस चीज की आस लगाए रहता है जो उसके पास नहीं है।
प्रश्न 10.
लेखिका अपने मित्रों की परीक्षा क्यों लेती
उत्तर-
लेखिका जानना चाहती है कि उसके मित्रों ने अपनी आँखों से क्या-क्या देखा और क्या अनुभव किया?
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 11.
लेखिका का दिल किसके लिए और क्यों मचलता है ?
उत्तर-
लेखिका का दिल संसार की सब चीजों को देखने के लिए मचलता है, क्योंकि लेखिका दृष्टिहीन है, इसलिए वह उन्हें साक्षात देख नहीं पाती है।
प्रश्न 12.
लेखिका ने किसे दुःख की बात बतायी और क्यों ?
उत्तर-
लेखिका ने दुःख की बात यह बतायी है कि लोग ईश्वर के आशीर्वाद से प्राप्त दृष्टि को साधारण-सी चीज समझते हैं, क्योंकि दृष्टि होने पर भी वे दुनिया की सभी चीजों से संवेदना नहीं रखते हैं।
प्रश्न 13.
लेखिका को आनंद कब मिलता है ?
उत्तर-
लेखिका को फूलों की पंखुड़ियों की मखमली सतह छूने और उनकी घुमावदार बनावट महसूस करने में अपार आनंद मिलता है। इसी प्रकार अंगुलियों के बीच झरने के पानी के बहने का अनुभव करने से आनंद मिलता है।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 14.
हेलेन केलर के अनुसार दृष्टि होने पर भी मनुष्य बहुत कम क्यों देखता है ?
उत्तर-
मनुष्य को ईश्वर ने आँखें दी हैं ताकि वह दुनिया की सुंदर चीजों को देख सके और अपने जीवन को इन्द्रधनुषी रंगों से हरा-भरा कर सके। परन्तु मनुष्य दृष्टि होने पर भी अपनी क्षमताओं का उपयोग नहीं करता है, सुन्दर-सेसुन्दर चीजों के प्रति अपनी संवेदना नहीं रखता है। वह हमेशा उस चीज की आस लगाये रहता है, जो उसके पास नहीं है। इसी कारण वह दृष्टि होने पर भी बहुत कम देखता है।
प्रश्न 15.
'जो देखकर भी नहीं देखते' पाठ से क्या शिक्षा दी गई है?
उत्तर-
प्रस्तुत पाठ से यह शिक्षा दी गई है कि जिसकी आँखें हैं अर्थात् जो अन्धा नहीं है, वह इस संसार की सुन्दर-से-सुन्दर चीजों को देखकर आनंद का अनुभव करे और अपने जीवन को खुशहाल रखे। मनुष्य संसार की सभी वस्तुओं एवं दृश्यों के प्रति आत्मीय भावना रखे और अपनी दृष्टि का भरपूर उपयोग करता रहे।
गद्यांश पर आधारित प्रश्न
प्रश्न 16.
निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए
(1) कभी-कभी मैं अपने मित्रों की परीक्षा लेती हूँ, यह परखने के लिए कि वह क्या देखते हैं। हाल ही में मेरी एक प्रिय मित्र जंगल की सैर करने के बाद वापस लौटीं। मैंने उनसे पूछा, "आपने क्या-क्या देखा?" "कुछ खास तो नहीं," उनका जवाब था। मुझे बहुत अचरज नहीं हुआ, क्योंकि मैं अब इस तरह के उत्तरों की आदी हो चुकी हूँ। मेरा विश्वास है कि जिन लोगों की आँखें होती हैं, वे बहुत कम देखते हैं।
प्रश्न
(क) यह गद्यांश किस पाठ से लिया गया है?
(ख) कौन अपने मित्रों की परीक्षा लेती है और क्यों?
(ग) मित्र कहाँ की सैर करके लौटी थीं?
(घ) लेखिका को क्या विश्वास है?
उत्तर-
(क) पाठ का नाम-जो देखकर भी नहीं देखते।
(ख) लेखिका अपने मित्रों की परीक्षा लेती है, क्योंकि वह विशेष स्थान पर जाकर लौटे मित्र से वास्तविकता जानना चाहती है।
(ग) लेखिका की मित्र जंगल की सैर करके लौटी थीं।
(घ) लेखिका को विश्वास है कि जिन लोगों की आँखें होती हैं, वे देखकर भी नहीं देखते हैं।
(2) क्या यह संभव है कि भला कोई जंगल में घंटाभर घूमे और फिर भी कोई विशेष चीज न देखे? मुझेजिसे कुछ भी दिखाई नहीं देता-सैकड़ों रोचक चीजें मिलती हैं, जिन्हें मैं छूकर पहचान लेती हूँ। मैं भोजपत्र के पेड़ की चिकनी छाल और चीड़ की खुरदरी छाल को स्पर्श से पहचान लेती हूँ। वसंत के दौरान मैं टहनियों में नयी कलियाँ खोजती हूँ। मुझे फूलों की पंखुड़ियों की मखमली सतह छूने और उनकी घुमावदार बनावट महसूस करने में अपार आनंद मिलता है। इस दौरान मुझे प्रकृति के जादू का कुछ अहसास होता है।
प्रश्न
(क) किसे सैकड़ों रोचक चीजें मिलती हैं?
(ख) लेखिका की आँखें न होने पर भी वह चीजों को कैसे पहचान लेती है?
(ग) प्रकृति के जादू का अहसास किसे होता है?
(घ) गद्यांश से लेखिका के स्वभाव की क्या विशेषता व्यक्त होती है?
उत्तर-
(क) जिसकी आँखें नहीं होती हैं, उन्हें भी सैकड़ों रोचक चीजें छूकर पहचानने को मिलती हैं।
(ख) आँखें न होने पर भी लेखिका छूकर चीजों को पहचान लेती है।
(ग) प्रकृति की मनोरम चीजों का स्पर्श करने से लेखिका को उसके जादू का अहसास होता है।
(घ) गद्यांश से लेखिका के प्रकृति-प्रेमी स्वभाव की विशेषता व्यक्त होती है।
(3) कभी-कभी मेरा दिल इन सब चीजों को देखने के लिए मचल उठता है। अगर मुझे इन चीजों को सिर्फ छूने भर से इतनी खुशी मिलती है, तो उनकी सुंदरता देखकर तो मेरा मन मुग्ध ही हो जाएगा। परंतु, जिन लोगों की आँखें हैं, वे सचमुच बहुत कम देखते हैं। इस दुनिया के अलग-अलग सुंदर रंग उनकी संवेदना को नहीं छूते। मनुष्य अपनी क्षमताओं की कभी कदर नहीं करता। वह हमेशा उस चीज़ की आस लगाए रहता है जो उसके पास नहीं है।
प्रश्न
(क) लेखिका के अनुसार कौन लोग बहुत कम देखते हैं?
(ख) लेखिका का मन क्यों मचल जाता है?
(ग) आँख होते हुए भी मनुष्य कम क्यों देखते हैं?
(घ) मनुष्य किसकी आस लगाये रहता है?
उत्तर-
(क) लेखिका के अनुसार वे लोग बहुत कम देखते हैं, जिनकी आँखें होती हैं।
(ख) लेखिका का मन उन सब चीजों को देखने के लिए मचल जाता है, जिन्हें छूने भर से इतनी खुशी मिलती है।
(ग) आँख होते हुए भी मनुष्य पूरी संवेदना न रखने से सचमुच कम देखते हैं।
(घ) मनुष्य अपनी क्षमताओं की कदर नहीं करता है। वह उसकी आस लगाये रहता है जो उसके पास नहीं है।
[सप्रसंग व्याख्या/भावार्थ]
कठिन-शब्दार्थ-परखना = जाँचना । सैर = घूमना। आदी - अभ्यस्त । अपार = जिसका अन्त न हो, असीमित। रोचक = अच्छा लगने वाला। खुशनसीब = अच्छी किस्मत वाला। समाँ = माहौल। मुग्ध = मोहित, अति प्रसन्न। संवेदना = दूसरों का दु:ख-सुख महसूस करना। कदर = इज्जत। आस = आशा। नियामत = ईश्वर की देन।
पाठ का सार-इस पाठ की लेखिका हेलेन केलर दृष्टिहीन थीं। उन्होंने एक बार कुछ जानने के लिए अपनी एक मित्र से पूछा कि "आपने क्या-क्या देखा?" उस सहेली ने उत्तर दिया कि "कुछ खास नहीं।" केलर को अक्सर ऐसे ही जवाब सुनने को मिलते थे। इसलिए वह सोचती थी कि जिनकी आँखें होती हैं, वे देखी हुई चीजों को लेकर बहुत कम सोचते हैं, जबकि जिनकी आँखें नहीं होती हैं अर्थात् जो दृष्टिहीन होते हैं, वे अपनी संवेदना के आधार पर सभी चीजों को छूकर देख-समझ सकते हैं। दृष्टि ईश्वर की देन है, इससे जीवन को खुशियों के इन्द्रधनुषी रंगों से भरा जा सकता है।