Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 6 Hindi Vasant Chapter 10 झाँसी की रानी Textbook Exercise Questions and Answers.
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कविता से
प्रश्न 1.
'किन्तु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई'
(क) इस पंक्ति में किस घटना की ओर संकेत है?
(ख) काली घटा घिरने की बात क्यों कही गई है?
उत्तर-
(क) इस पंक्ति में झाँसी के राजा गंगाधर राव की मृत्यु होने तथा रानी के विधवा होने से सारी खुशियाँ समाप्त होकर वहाँ शोक छा जाने की घटना की ओर संकेत है।
(ख) जिस प्रकार काली घटा घिरने से सूर्य ओझल हो जाता है, कुछ-कुछ अंधेरा छा जाता है, उसी प्रकार राजा की मृत्यु से झाँसी के लोगों की खुशियाँ समाप्त हो गई और वहाँ दु:ख-निराशा की काली घटा छाने लगी।
प्रश्न 2.
कविता की दूसरी पंक्ति में भारत को 'बूढा' कहकर और उसमें 'नयी जवानी' आने की बात कहकर सुभद्राकुमारी चौहान क्या बताना चाहती हैं?
उत्तर-
भारत को 'बूढ़ा' कहकर कवयित्री यह बताना चाहती है कि उस समय भारत की दशा बूढ़े व्यक्ति के समान शिथिल, जर्जर और कमजोर थी; क्योंकि भारत लम्बे समय से अंग्रेजों की गुलामी झेलकर हर तरह से कमजोर हो गया था। 'नयी जवानी' आने की बात कहकर कवयित्री यह बताना चाहती है कि देश की आजादी और अपने स्वाभिमान को प्राप्त करने के लिए भारतीयों में नया जोश आ गया था।
प्रश्न 3.
झाँसी की रानी के जीवन की कहानी अपने शब्दों में लिखो और यह भी बताओ कि उसका बचपन तुम्हारे बचपन से कैसे अलग था? ।
उत्तर-
लक्ष्मीबाई के बचपन का नाम छबीली था। वह अपने माता-पिता की इकलौती सन्तान थी। वह कानपुर के नाना की मुंहबोली बहन थी। लक्ष्मीबाई बचपन से ही हथियारों से खेलती थी। उसका विवाह झाँसी के राजा गंगाधर राव के साथ हुआ, लेकिन कुछ समय बाद ही राजा की मृत्यु हो गई। राजा नि:संतान मरे थे। वह विधवा हो गई। अंग्रेज सेना ने झाँसी को हड़पने के लिए धावा बोल दिया। रानी और लेफ्टिनेंट वॉकर में युद्ध हुआ, जिसमें वॉकर पराजित हुआ।
रानी ने कालपी और ग्वालियर पर अधिकार कर लिया। लेकिन वहाँ के शासक सिंधिया की मदद से अंग्रेज सेना आ गई। पीछे से हयूरोज भी आ गया। रानी घिर गई । सामने नाला आ गया और नया घोड़ा अड़ गया। घमासान युद्ध हुआ जिसमें रानी वीरगति को प्राप्त हो गई। लेकिन उनका नाम इतिहास में सदा के लिए अमर हो गया। रानी लक्ष्मीबाई का बचपन-लक्ष्मीबाई को हथियार प्रिय थे। बरछी, ढाल, कृपाण जैसे हथियार ही उनकी सहेली थे। उन्हें शिवाजी की वीरता की कहानियाँ याद थीं।
हमारा बचपन-हम बचपन में हथियारों से नहीं खेलते हैं। हम वीडियो गेम्स, कम्प्यूटर, बिजली वाले खिलौने से खेलते हैं। हम क्रिकेट, बैडमिंटन आदि खेलों में रुचि रखते हैं और राष्ट्रीय पर्यों में भाग लेकर खुश रहते हैं।
प्रश्न 4.
वीर महिला की इस कहानी में कौन-कौन से पुरुषों के नाम आए हैं? इतिहास की कुछ अन्य वीर स्त्रियों की कहानियाँ खोजो। उत्तर-
वीर महिला की इस कहानी में शिवाजी, अर्जुन, शिवजी, डलहौजी, पेशवा, वॉकर, सिंधिया, जनरल स्मिथ, यूरोज, नाना धुंधूपंत, ताँतियाँ, अजीमुल्ला, अहमद शाह मौलवी और ठाकुर कुँवर सिंह के नाम आए हैं। दुर्गावती, कर्मवती, अहल्याबाई, सुल्ताना बेगम आदि वीर स्त्रियों की कहानियाँ छात्र पुस्तकालय में पढ़ें और खोजें।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1.
कविता में किस दौर की बात है? कविता से उस समय के माहौल के बारे में क्या पता चलता है?
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम की घटना वर्णित है। सन् 1857 में जो क्रान्ति हुई थी, उसे सन् सत्तावन का स्वतन्त्रता संग्राम कहा जाता है। उस समय भारत में अंग्रेजों का शासन काफी विस्तृत हो गया था। अंग्रेज छोटी-बड़ी सभी रियासतों (देशी राज्यों) पर कब्जा कर उनकी कीमती सम्पत्ति लूट लेते थे। रानियों के कीमती वस्त्र-आभूषण बाजारों में नीलाम होते थे। अंग्रेजों के शोषण और दमन की नीति से जनता परेशान थी। इस कारण आजादी पाने की लालसा के कारण जनता संगठित होने लगी थी।
प्रश्न 2.
सुभद्राकुमारी चौहान लक्ष्मीबाई को 'मर्दानी' क्यों कहती हैं?
उत्तर-
रानी लक्ष्मीबाई ने वीर मर्दो अर्थात् योद्धाओं की तरह अंग्रेजों से युद्ध किया, अत्यधिक वीरता दिखाकर झाँसी की रक्षा करने का प्रयास किया। इसीलिए कवयित्री ने उसे 'मर्दानी' कहा है।
खोजबीन -
प्रश्न 1.
'बरछी', 'कृपाण', 'कटारी' उस जमाने के हथियार थे। आजकल के हथियारों के नाम पता करो।
उत्तर-
आजकल के हथियार हैं-बन्दूक, पिस्तौल, तोपगोला, बम, मिसाइलें, रॉकेट आदि।
प्रश्न 2.
लक्ष्मीबाई के समय में ज्यादा लड़कियाँ 'वीरांगना' नहीं हुईं, क्योंकि लड़ना उनका काम नहीं माना जाता था। भारतीय सेनाओं में अब क्या स्थिति है? पता करो।
उत्तर-
भारतीय सेनाओं की कुछ शाखाओं में अब लड़कियों की संख्या बढ़ रही है। लड़कियाँ आज थलसेना, वायुसेना तथा नौसेना में भर्ती होकर वीरतापूर्वक देश की सेवा कर रही हैं। इस तरह वे वीरांगना कहलाती हैं।
भाषा की बात -
प्रश्न - नीचे लिखे वाक्यांशों (वाक्य के हिस्सों) को पढ़ो : झाँसी की रानी मिट्टी का घरौंदा प्रेमचंद की कहानी पेड़ की छाया ढाक के तीन पात नहाने का साबुन मील का पत्थर रेशमा के बच्चे बनारस के आम
• का, के और की दो संज्ञाओं का संबंध बताते हैं। ऊपर दिए गए वाक्यांशों में अलग-अलग जगह इन तीनों का प्रयोग हुआ है। ध्यान से पढ़ो और कक्षा में बताओ कि का, के और की का प्रयोग कहाँ और क्यों हो रहा है?
उत्तर-
इन वाक्यांशों में 'का' का प्रयोग एकवचन संज्ञा में, 'के' का प्रयोग बहुवचन संज्ञा शब्दों के साथ तथा 'की' का प्रयोग स्त्रीलिंग संज्ञा-सूचक शब्दों के साथ हुआ है। उनसे दो संज्ञाओं का परस्पर सम्बन्ध बताया गया है।
प्रश्न
1. बचपन में लक्ष्मीबाई किसके साथ खेलती थी?
(अ) भाई के
(ब) मित्रों के
(स) नाना के
(द) पिता के
उत्तर-
(स) नाना के
प्रश्न 2.
लक्ष्मीबाई की आराध्या देवी थी
(अ) लक्ष्मी
(ब) भवानी
(स) सरस्वती
(द) पार्वती
उत्तर-
(ब) भवानी
प्रश्न 3.
व्यापारी बनकर भारत में आये थे
(अ) अंग्रेज
(ब) रूसी
(स) चीनी
(द) मुस्लिम
उत्तर-
(अ) अंग्रेज
प्रश्न 4.
बुन्देले हरबोलों के मुँह किस की कहानी सुनी थी
(अ) शिवाजी की
(ब) राणाजी की
(स) पेशवाजी की
(द) लक्ष्मीबाई की
उत्तर-
(द) लक्ष्मीबाई की
रिक्त-स्थानों की पूर्ति
प्रश्न 5.
रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित शब्द से कीजिए
(i) ब्याह हुआ रानी बन आई लक्ष्मीबाई ......... में।। (ग्वालिय/झाँसी)
(ii) कुटियों में थी विषम ...........। (वेदना/अपमान)
(iii) चिता अब उसकी .......... सवारी थी। (भव्य/दिव्य)
उत्तर-
रिक्त स्थानों के लिए शब्द-
(i) झाँसी,
(ii) वेदना,
(iii) दिव्य।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 6.
लक्ष्मीबाई का बचपन का नाम क्या था?
उत्तर-
लक्ष्मीबाई के बचपन का नाम छबीली था।
प्रश्न 7.
झाँसी का दीपक कब बुझ गया था?
उत्तर-
जब निःसन्तान राजा गंगाधर राव की मृत्यु हो गई तो झाँसी का दीपक बुझ गया था।
प्रश्न 8.
डलहौजी को राज्य हड़पने का अवसर कब मिला?
उत्तर-
राजा गंगाधर राव की नि:सन्तान मृत्यु होने पर डलहौजी को राज्य हड़पने का अवसर मिला।
प्रश्न 9.
युद्ध में रानी के साथ उसकी कौन सखियाँ थीं?
उत्तर-
युद्ध में रानी के साथ उसकी काना और मन्दरा सखियाँ थीं।
प्रश्न 10.
भारतीयों के मन में अंग्रेजों के प्रति गहरा रोष क्यों था?
उत्तर-
अंग्रेज भारतीय जनता के साथ अन्याय, शीषण और दमन करके शासन चला रहे थे, इस कारण गहरा रोष था।
प्रश्न 11.
रानी लक्ष्मीबाई ने हमें कौन-सा पथ दिखलाया?
उत्तर-
रानी लक्ष्मीबाई ने हमें स्वतन्त्रता प्राप्त करने का तथा बलिदानी भावना रखने का पथ दिखलाया।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 12.
बुन्देलखण्ड के हरबोलों ने हमें क्या बताया?
उत्तर-
बुन्देलाखण्ड के हरबोलों ने बताया कि सन् 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों का मुकाबला किया और वीर-योद्धाओं की भाँति लड़ी थी।
प्रश्न 13.
प्रथम स्वतन्त्रता-संग्राम में जिन वीरों को वीरगति मिली, उनके नाम लिखिए।
उत्तर-
प्रथम स्वतन्त्रता-संग्राम में इन वीरों को वीरगति मिली-नाना धुंधूपंत, तांतिया टोपे, अजीमुल्ला, अहमद शाह मौलवी, ठाकुर कुंवर सिंह आदि।
प्रश्न 14.
रानी लक्ष्मीबाई का युद्ध किन अंग्रेज सेनापतियों से हुआ?.
उत्तर-
रानी लक्ष्मीबाई ने लेफ्टिनेंट वॉकर, जनरल स्मिथ और यूरोज आदि अंग्रेज सेनापतियों से युद्ध किया था।
प्रश्न 15.
प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम किन-किन स्थानों पर शुरू हुआ था?
उत्तर-
प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम झाँसी, बिठूर, कानपुर, नागपुर, दिल्ली, मेरठ, लखनऊ, पटना, जबलपुर, कोल्हापुर, रुड़की, नसीराबाद आदि स्थानों पर शुरू हुआ था।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 16.
'झाँसी की रानी' कविता से क्या सन्देश दिया गया है?
उत्तर-
'झाँसी की रानी' कविता से यह सन्देश दिया गया है कि अंग्रेजों की गुलामी से देश को आजादी दिलाने में अनेक देशभक्त वीर एवं वीरांगनाएँ शहीद हुईं। आजादी के प्रथम युद्ध में रानी लक्ष्मीबाई ने देशवासियों में त्यागबलिदान की जो भावना जगाई हमें उसका सम्मान करना चाहिए और देश की स्वतन्त्रता की खातिर बड़ा-से-बड़ा त्याग करना चाहिए। हर हालत में देश के गौरव की रक्षा करनी चाहिए।
प्रश्न 17.
'झाँसी की रानी' कविता के आधार पर रानी लक्ष्मीबाई की विशेषताएँ बताइये।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में बताया गया है कि रानी लक्ष्मीबाई ऐसी वीरांगना थी, जिसे उस समय के सारे अस्त्र-शस्त्र चलाने आते थे। वह शत्रुओं से वीर-योद्धाओं की तरह लड़ती थी। वह घुड़सवारी में चतुर थी और अत्यधिक साहसी थी। रानी में अपने राज्य और देश के प्रति स्वाभिमान था और उसकी खातिर कुर्बानी देना अपना फर्ज मानती थी। वह निडर, पराक्रमी और बलिदानी भावना रखने वाली थी।
सप्रसंग व्याख्या/भावार्थ
1.सिंहासन हिल .................. रानी थी।
कठिन-शब्दार्थ-भृकुटी तानी = क्रोध किया। गुमी हुई = खोयी हुई। फिरंगी = अंग्रेज । मर्दानी = मर्दो के समान वीर-योद्धा।
प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश पाठ्य-पुस्तक में संकलित सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्ध कविता 'झाँसी की रानी' से लिया गया है। इसमें सन् 1857 के स्वाधीनता संग्राम में रानी लक्ष्मीबाई के शौर्य का वर्णन किया गया है।
व्याख्या/भावार्थ-भारत में जब स्वतंत्रता की पहली लड़ाई शुरू हुई, तो यहाँ के सभी राजाओं के सिंहासन हिल उठे, उनमें हलचल हई। राज-परिवारों ने अंग्रेज सरकार पर अपना क्रोध प्रकट किया। गलामी के कारण जर्जर या
कमजोर हुए भारत में नया जोश पैदा हो गया था और सब लोग अपनी खोयी हुई आजादी का मूल्य समझने लगे थे। स्वतन्त्रता-प्राप्ति के लिए उन्होंने अंग्रेज शासकों को भारत से भगाने का निश्चय कर लिया था। भारत की पुरानी तलवार सन् 1857 में चमक उठी, अर्थात् भारत का पुराना पराक्रम प्रकट होने लगा। इस युद्ध में झाँसी की रानी वीर पुरुषों की भाँति लड़ी। उसकी यह वीरतापूर्ण कहानी हमने बुन्देलखण्ड के हरबोलों के मुख से सुनी थी।
2. कानपुर के नाना ......................... रानी थी।
कठिन-शब्दार्थ-छबीली = सुन्दर, चंचल। गाथाएँ = कहानियाँ । कृपाण = तलवार।
प्रसंग-यह पद्यांश सुभद्राकुमारी चौहान द्वारा रचित 'झाँसी की रानी' कविता से लिया गया है। इसमें लक्ष्मीबाई के बचपन और शौर्य का वर्णन किया गया है।
व्याख्या/भावार्थ-लक्ष्मीबाई कानपुर के नाना साहब की मुंहबोली बहिन थी, जिसका बचपन का नाम 'छबीली' था। लक्ष्मीबाई अपने पिता की अकेली सन्तान थी। वह बचपन से ही नाना के साथ पढ़ती थी और उन्हीं के साथ खेलती थी। बी, ढाल, कृपाण या कटारी उसके प्रिय हथियार थे और उन्हें सहेली मानती थी। लक्ष्मीबाई को बचपन में शिवाजी की वीरता की कहानियाँ याद थीं। बुन्देले हरबोलों के मुँह से हमने यह कहानी सुनी कि झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों से वीर पुरुषों की भांति बहादुरी से लड़ी थी।
3. लक्ष्मी थी या ........... रानी थी।
कठिन-शब्दार्थ-पुलकित-प्रसन्न। वार-चोट, हमला। व्यूह-घेराबन्दी। सैन्य-सेना। खिलवार-खेल। आराध्य आराधना योग्य। भवानी-पार्वती, दुर्गा।
प्रसंग-यह पद्यांश 'झाँसी की रानी' पाठ से लिया गया है। इसमें सुभद्राकुमारी चौहान ने लक्ष्मीबाई की वीरता का गुणगान किया है।
व्याख्या/भावार्थ-लक्ष्मीबाई वीरता की साक्षात अवतार थी. लगता था कि वह या तो लक्ष्मी है या दर्गा । उसकी तलवारों के प्रहार देखकर मराठे प्रसन्न होते थे। उसके प्रिय खेल थे-नकली युद्ध करना, घेराबन्दी करना, शत्रु-सेना. को घेरना, शत्रु के किले तोड़ना और खूब शिकार खेलना। मराठों की कुलदेवी भवानी (दुर्गा) ही उसकी आराध्या थी। हमने रानी लक्ष्मीबाई की यह कहानी बुन्देले हरबोलों के मुख से सुनी है कि वह युद्ध-क्षेत्र में वीर-पुरुषों के समान खूब लड़ी थी।
4. हुई वीरता की ............. रानी थी।
कठिन-शब्दार्थ-वैभव-धन-दौलत । सुभट-अच्छे वीर। विरुदावलि-यश की कहानी।
प्रसंग-यह पद्यांश सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित 'झाँसी की रानी' कविता से लिया गया है। इसमें लक्ष्मीबाई के विवाह होने तथा झाँसी की रानी बनने का वर्णन है।
व्याख्या/भावार्थ-वीरता की मूर्ति लक्ष्मीबाई की धन-दौलत से सम्पन्न झाँसी के राजा से सगाई हुई और वह विवाह के बाद झाँसी के राजा (गंगाधर राव) की रानी बनकर आयी। उसके विवाह के अवसर पर झाँसी के राजमहलों में बधाइयाँ बजी और खुशियाँ छा गईं। रानी लक्ष्मीबाई बुन्देलखण्ड के वीरों की यशोगाथा के समान झाँसी में आयीं। उस समय ऐसा लगा कि जैसे चित्रा से अर्जुन तथा शिव से भवानी (पार्वती) की जोड़ी मिल गयी हो। हमने बुन्देले हरबोलों के मुँह से यह कहानी सुनी कि रानी लक्ष्मीबाई वीर योद्धाओं के समान वीरता से लड़ी थी।
5. उदित हआ सौभाग्य .................................. रानी थी।
कठिन-शब्दार्थ-उदित हुआ-उगा, जगा । मुदित-प्रसन्न। काली घटा-मुसीबतें । कर-हाथ। भाई-अच्छी लगीं। विधि-विधाता, ईश्वर। निःसन्तान-सन्तानरहित। शोक-समानी-शोक में डूबी।
प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश सुभद्राकुमारी चौहान द्वारा रचित 'झाँसी की रानी' कविता से लिया गया है। इसमें लक्ष्मीबाई के सौभाग्य और दुर्भाग्य का वर्णन किया गया है।
व्याख्या/भावार्थ-रानी के विवाह के बाद झाँसी का सौभाग्य जगा और महलों में प्रसन्नता का प्रकाश फैल गया। किन्तु समय की गति धीरे-धीरे वहाँ से मुसीबतों के बादल घेर लायी। दुर्भाग्य को तीर चलाने वाले रानी के हाथों में चूड़ियाँ अच्छी नहीं लगी और लक्ष्मीबाई अचानक ही विधवा हो गई। हाय! ईश्वर को भी उस पर दया नहीं आयी।
राजा गंगाधर राव निःसन्तान मर गए। रानी शोक में डूब गई। हमने रानी लक्ष्मीबाई की वीरता की कहानी संजीव आल इन वन बुन्देले हरबोलों के मुँह से सुनी है कि वह वीर योद्धाओं के समान बहादुरी से लड़ी थी।
6. बझा दीप झाँसी ............... रानी थी।
कठिन-शब्दार्थ-दीप-बुझना मर जाना, वंश-वृद्धि बन्द होना। हरषाया-प्रसन्न हुआ। लावारिस = जिसका कोई उत्तराधिकारी न हो। बिरानी-उजाड़, परायी।
प्रसंग-यह पद्यांश सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित 'झाँसी की रानी' कविता से लिया गया है। इसमें गंगाधर राव के निःसन्तान मरने पर अंग्रेजों की कुटिल चाल का वर्णन किया गया है।
व्याख्या/भावार्थ-गंगाधर राव के निःसन्तान मर जाने से झाँसी का कुल-दीपक बुझ गया। इससे अंग्रेज शासक लार्ड डलहौजी मन-ही-मन प्रसन्न हुआ। उसे लगा कि झाँसी को हडपकर अंग्रेज सत्ता में मिलाने का यही अच्छा अवसर है। उसने तुरंत अपनी फौजें भेजकर झाँसी के किले पर अपना झंडा फहरा दिया।
इस तरह ब्रिटिश राज्य लावारिस झाँसी का उत्तराधिकारी या स्वामी बनकर वहाँ आ गया। रानी ने आँसुओं से भरे नेत्रों से देखा कि उनकी झाँसी परायी हो गयी, उजड़ गयी। हमने यह कहानी बुन्देले हरबोलों के मुँह से सुनी कि रानी लक्ष्मीबाई शत्रुओं से वीर-पुरुषों के समान लड़ी थी।
7. अनुनय-विनय नहीं ............. रानी थी।
कठिन-शब्दार्थ-अनुनय-विनय-प्रार्थना, निवेदन। विकट-कठिन। पैर पसारे विस्तार किया। काया शरीर, स्वरूप। दासी-सेविका।
प्रसंग-यह पद्यांश सुभद्राकमारी चौहान द्वारा रचित 'झाँसी की रानी' कविता से लिया गया है। इसमें अंग्रेजों की कटिल नीति और भारत में राज्य-प्रसार की कुचाल का वर्णन हुआ है।
व्याख्या/भावार्थ-रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेज-शासकों से अनेक तरह से प्रार्थना की, परन्तु अंग्रेजों ने उनकी एक भी नहीं सुनी। यह अंग्रेजों की कुटिल माया ही थी कि जब वे व्यापारी बनकर भारत आये थे तो तब यहाँ के राजाओं से दया चाहते थे। ब्रिटिश शासक डलहौजी ने धीरे-धीरे अंग्रेज राज्य का विस्तार किया और अब तो सारी परिस्थितियाँ ही बदल गई थीं।
जिन राजाओं और नवाबों से वे तब दया माँगते थे, उन्हें ही अब अंग्रेज पैरों से ठुकराने लगे थे, अर्थात् तब अंग्रेज व्यापारी यहाँ के शासक बनकर सभी को अपना शासन मानने को मजबूर करने लगे थे। तब जो यहाँ की रानी थी, वह सेविका बन गयी अर्थात् यहाँ की जनता गुलाम हो गयी थी और जो सेवक थे वे अंग्रेज शासक बन गये थे। हमने यह कहानी बुन्देलखण्ड के हरबोलों के मुँह से सुनी कि झाँसी की रानी वीर पुरुषों के समान शत्रुओं से खूब लड़ी थी।
8. छिनी राजधानी .................... रानी थी।
कठिन-शब्दार्थ-बातों-बात-आसानी से। घात-आक्रमण, प्रहार। बिसात=क्षमता, औकात। वज्र-निपात करारी चोट होना।
प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश सुभद्राकुमारी चौहान द्वारा रचित 'झाँसी की रानी' कविता से लिया गया है। इसमें अंग्रेजों की बुरी नियत का वर्णन किया गया है।
व्याख्या/भावार्थ-कवयित्री वर्णन करती है कि अंग्रेजों ने अपने राज्य का विस्तार करते हुए दिल्ली की राजधानी छीन ली और लखनऊ पर भी आसानी से अधिकार कर लिया। उन्होंने बिठूर के पेशवा को कैद कर लिया और नागपुर पर भी आक्रमण किया। उनकी ताकत के सामने उदयपुर, तंजौर, सतारा, कर्नाटक आदि रियासतों की भी क्या औकात थी, उन्हें भी अंग्रेजों ने जीत लिया।
उधर सिन्ध, पंजाब और बर्मा (म्यांमार) आदि राज्यों पर भी करारा प्रहार हुआ था । बंगाल, मद्रास आदि राज्यों की कहानी भी ऐसी ही थी, वे सब अंग्रेजों के अधिकार में आ गये थे। हमने बुन्देले हरबोलों के मुँह से सुना कि झाँसी की रानी ऐसी वीरांगना थी जिसने शत्रुओं से बहादुरी से युद्ध किया था।
9. रानी रोईं रनिवासों ............रानी थी।
कठिन-शब्दार्थ-रनिवास-रानियों के महल। बेजार-परेशान। सरे-आम-सबके सामने। नौलख-नौ लाख का, बहुमूल्य। बिकानी-बिक जाना।
प्रसंग-यह पद्यांश 'झाँसी की रानी' कविता से लिया गया है। इससे कवयित्री सुभद्राकुमारी चौहान ने अंग्रेजों के बुरे आचरण का वर्णन किया है।
व्याख्या/भावार्थ-झाँसी पर अंग्रेजों का कब्जा हो जाने से रानी अपने रनिवास में दुःखी थीं और दूसरी रियासतों की रानियाँ एवं नवाबों की बेगमें भी दुःख से परेशान थीं। उनके कीमती कपड़े और गहने कलकत्ता के बाजारों में बिका करते थे। अंग्रेजों के अखबार खुले-आम नीलामी की खबरें छापते थे कि 'नागपुर के जेवर ले लो, लखनऊ के नौलखा हार ले लो।' इस तरह अंग्रेजों के शासन से यहाँ की रानियों और बेगमों की इज्जत (उनके कीमती वस्त्र एवं गहने) दूसरों के (अंग्रेजों के) हाथों बिक रहे थे। यह कहानी हमने बुन्देलखण्ड के हरबोलों के मुँह से सुनी कि झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई युद्ध-क्षेत्र में मर्दो की तरह लड़ी थी।
10. कटियों में थी ........... रानी थी।
कठिन-शब्दार्थ-विषम-कठिन। वेदना-पीड़ा। आहत घायल। अभिमान गौरव, बड़प्पन। रणचण्डी-युद्ध की देवी दुर्गा । आह्वान-बुलाना, पुकारना। ज्योति प्रकाश पुंज।।
प्रसंग-यह पद्यांश सुभद्राकुमारी चौहान द्वारा रचित 'झाँसी की रानी' कविता से लिया गया है। इसमें अंग्रेजों के कुशासन का और उसका विरोध प्रारंभ होने का वर्णन किया गया है।
व्याख्या/भावार्थ-अंग्रेजों के शासन में एक ओर गरीब लोग कठिन मुसीबतों से दिन बिता रहे थे, वहीं दूसरी ओर महलों का अपमान होने से वे भी घायल थे। उधर भारतीय वीर सैनिकों के मन में अपने पूर्वजों का गौरव कट कूटकर भरा हुआ था या उभर रहा था। नाना धुंधूपन्त पेशवा अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध करने के लिए आवश्यक सामान जुटा रहे थे। इधर छबीली (रानी लक्ष्मीबाई) ने भी युद्ध की देवी अर्थात् दुर्गा का आह्वान कर दिया था।
इस प्रकार स्वतंत्रता प्राप्ति की खातिर युद्ध रूपी यज्ञ प्रारंभ हो गया था। लक्ष्मीबाई आदि को तो जनता में स्वतन्त्रता की प्रबल भावना जगाने का प्रयास करना ही था, अर्थात् स्वतन्त्रता की सोयी हुई ज्योति जगानी थी। हमने यह कहानी बुन्देलखण्ड के हरबोलों के मुँह. से सुनी कि झाँसी की रानी अंग्रेजों के खिलाफ वीर मर्दो की तरह लड़ी थी।
11. महलों ने दी आग ................... रानी थी।
कठिन-शब्दार्थ- अन्तरतम-हृदय। चेती-जागृत हुई। लपटें छाई-प्रचण्ड रूप में फैल गई। उकसाना-प्रेरणा देना।
प्रसंग- यह पद्यांश 'झाँसी की रानी' पाठ से लिया गया है। इसे कवयित्री सुभद्राकुमारी चौहान ने रचा है। इसमें देश में स्वतन्त्रता की चिनगारी फैलने का वर्णन है।
व्याख्या/भावार्थ- स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए महलों ने आग दी, अर्थात् ओज-शौर्य की भावना को आग की तरह फैलाया, तो समाज के गरीब लोगों ने अंग्रेजों के प्रति अपना क्रोध फैलाया। उस समय उन सभी के हृदय से आजादी प्राप्त करने का जोश चिनगारी बनकर उभर रहा था। उस जोश से झाँसी और दिल्ली जाग चुकी थीं, तो लखनऊ में भी वह जोश आग की लपटों की तरह फैल गया था।
मेरठ, कानपुर, पटना आदि स्थानों पर स्वतन्त्रता संग्राम की धूम मच गयी थी, सभी उस युद्ध में सम्मिलित हो गये थे। जबलपुर और कोल्हापुर के लोगों में भी यह भावना भरनी थी, अर्थात् उन्हें भी स्वाधीनता संग्राम की प्रेरणा देनी थी। हमने यह कहानी बुन्देले हरबोलों के मुँह से सुनी कि झाँसी की रानी अंग्रेजों के खिलाफ मर्दो के समान लड़ी थी।
12. इस स्वतन्त्रता महायज्ञ ................. रानी थी।
कठिन-शब्दार्थ- काम आना-शहीद होना, वीरगति पाना। अभिराम-सुन्दर। गगन आकाश। सरनाम-प्रसिद्ध। जुर्म-अपराध। प्रसंग-यह पद्यांश सुभद्राकुमारी चौहान द्वारा रचित 'झाँसी की रानी' कविता से लिया गया है। इसमें स्वतन्त्रता संग्राम में वीर देशभक्तों के बलिदान का वर्णन किया गया है।
व्याख्या/भावार्थ- स्वतन्त्रता-संग्राम रूपी इस महायज्ञ में कई श्रेष्ठ वीर शहीद हुए। इनमें नाना धुंधूपंतं, ताँतिया, अजीमुल्ला, अहमद शाह मौलवी, ठाकुर कुँवर सिंह जैसे प्रसिद्ध वीर सैनिक थे। भारत की स्वतन्त्रता के इतिहास रूपी आकाश में इनके नाम हमेशा अमर रहेंगे। उनकी इस कुर्बानी, त्याग और बलिदान को अंग्रेज जुर्म अर्थात् अपराध कहते थे। यह कहानी हमने बुन्देलखण्ड के हरबोलों के मुँह से सुनी कि झाँसी वाली रानी ने अंग्रेजों से मर्दो की भाँति लोहा लिया था।
13. इनकी गाथा छोड़ .................... रानी थी।
कठिन-शब्दार्थ-गाथा-कहानी। द्वन्द्व-दो वीरों में युद्ध । असमानों जो समान न हों। अजब-अजीब, विचित्र।
प्रसंग-यह पद्यांश सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित 'झाँसी की रानी' कविता से लिया गया है। इसमें अंग्रेज सेना से रानी लक्ष्मीबाई के युद्ध का वर्णन हुआ है।
व्याख्या/भावार्थ-कवयित्री कहती है कि अन्य स्वतन्त्रता सेनानियों की कहानी को हम छोड़ दें और झाँसी के युद्ध-क्षेत्रों का दृश्य देखें, जहाँ पर रानी लक्ष्मीबाई वीर-पुरुषों के साथ मर्द अर्थात् वीर-योद्धा बनकर खड़ी है। जब अपने सैनिकों के साथ अंग्रेज लेफ्टिनेंट वॉकर आ पहुँचा, अर्थात् युद्ध के लिए आगे बढ़ा, तो रानी ने उससे लड़ने के लिए अपनी तलवार खींच ली।
उसके बाद दो असमान योद्धाओं के बीच युद्ध हुआ, जिसमें लेफ्टिनेंट वॉकर घायल होकर भागा। उसे अजीब हैरानी हो रही थी कि वह एक स्त्री-योद्धा से कैसे हार गया? रानी की वीरता की यह कहानी हमने बुन्देले हरबोलों के मुँह से सुनी कि रानी अंग्रेजों के खिलाफ वीर-पुरुषों की तरह लड़ी थी।
14. रानी बढी कालपी ................. रानी थी।
कठिन-शब्दार्थ- निरन्तर-लगातार। तत्काल-उसी समय, तुरंत। स्वर्ग सिधार-मर गया।
प्रसंग- यह पद्यांश 'झाँसी की रानी' कविता से लिया गया है। इसमें कवयित्री ने रानी लक्ष्मीबाई द्वारा अंग्रेज सेना को परास्त करने का वर्णन किया है।
व्याख्या/भावार्थ- रानी लक्ष्मीबाई झाँसी से आगे बढ़ती रही और सौ मील का रास्ता पार करके कालपी पहुंची। उसका घोड़ा थककर जमीन पर गिर पड़ा और तुरन्त मर गया। यमुना के किनारे पर युद्ध में अंग्रेजों को रानी के हाथों हार खानी पड़ी, तब रानी विजयी बनकर आगे बढ़ी और ग्वालियर को भी जीत लिया।
ग्वालियर का राजा सिन्धिया अंग्रेजों का मित्र था, उसने रानी से डर कर अपनी राजधानी ही छोड़ दी और भाग गया था। रानी लक्ष्मीबाई की वीरता की यह कहानी हमने बुन्देले हरबोलों के मुख से सुनी कि वह शत्रुओं से मर्दो की तरह लड़ी थी।
15. विजय मिली, पर ....... रानी थी।
कठिन-शब्दार्थ-सम्मुख-सामने । मुँह की खाई-हार गया।
प्रसंग-यह पद्यांश सुभद्राकुमारी चौहान द्वारा रची गई 'झाँसी की रानी' कविता से लिया गया है। इसमें युद्ध की स्थिति का वर्णन है।
व्याख्या/भावार्थ-रानी की जीत तो हुई, पर दुबारा अंग्रेजों की सेना रानी को घेरती हुई आ पहुँची। इस बार सामने से आ रही सेना का नेतृत्व जनरल स्मिथ कर रहा था। वह एक बार रानी से हार चुका था।
उधर रानी के साथ उसकी दो सहेलियाँ काना और मंदरा भी आयी थीं और उन दोनों ने लड़ाई के मैदान में भारी मारकाट मचाई थी। परन्तु पीछे से यूरोज अपनी सेना के साथ आ पहुँचा। हाय, रानी लक्ष्मीबाई स्मिथ और यूरोज के बीच घिर गई। हमने हरबोलों के मुख से सुना कि युद्ध में रानी लक्ष्मीबाई मर्तों के समान लड़ी थी।
16. तो भी रानी मार .......................... रानी थी।
कठिन-शब्दार्थ-सैन्य सेना। विमष टेढ़ा, भयानक। अपार-जिसे पार न किया जा सके। वीरगति पाना-वीरता से शहीद होना।
प्रसंग-यह पद्यांश सुभद्रा कुमारी चौहान की 'झाँसी की रानी' कविता से लिया गया है। इसमें रानी लक्ष्मीबाई के पराक्रम तथा वीरगति पाने का वर्णन किया गया है।
व्याख्या/भावार्थ-उस समय रानी यूरोज और जनरल स्मिथ की सेनाओं से घिर गई थी, फिर भी वह सामने की सेना को चीरती हुई, मारकाट मचाती हई उससे पार पहँच गई, किन्तु आगे बढ़ने पर एक कठिन गहरा-बड़ा नाला आया, रानी का नया घोड़ा उसे पार न करने के लिए अड़ गया।
इतने में पीछे से अंग्रेज सैनिक आ गये और दोनों ओर से वार पर वार होने लगे। शेरनी-सी रानी घायल होकर गिर गई और वहीं पर उसने वीरगति प्राप्त की। रानी की यह वीरतापूर्ण कहानी हमने बुन्देले हरबोलों के मुँह से सुनी थी।
17. रानी गई सिधार .................... रानी थी।
कठिन-शब्दार्थ-सिधार गई-चली गई, मर गई। दिव्य-देवताओं जैसी, स्वर्ग की। अवतारी-अवतार। मनुज-मनुष्य। पथ-रास्ता।
प्रसंग- यह पद्यांश सुभद्राकुमारी चौहान द्वारा रचित 'झाँसी की रानी' कविता से लिया गया है। इसमें कवयित्री ने रानी लक्ष्मीबाई की अन्तिम यात्रा का वर्णन किया है।
व्याख्या/भावार्थ- शत्रओं का वीरता से सामना करती हई रानी लक्ष्मीबाई को वीरगति प्राप्त हई. वह स्वर्गवासी हो गई। अब चिता ही उसकी दिव्य सवारी थी, अर्थात् उसे चिता पर रख दिया गया। उसका तेज आग के तेज या ईश्वरीय तेज से मिल गया, क्योंकि वह तेज की सच्ची अधिकारी थी।
अभी उसकी उम्र कुल तेईस वर्ष की थी और इतनी कम अवस्था में उन्होंने जो वीरता दिखाई, उससे लगता था कि वह मनुष्य नहीं, अपितु वीरता की अवतार थीं। वह स्वतन्त्रता की देवी बनकर हमें जीवित करने अर्थात् स्वाभिमानी जीवन जीने की प्रेरणा देने आयी थीं। वह हमें बलिदान का मार्ग दिखा गईं और जो सीख देनी थी वह दे गईं। हमने बुन्देले हरबोलों के मुँह से झाँसी की रानी की यह कहानी सुनी कि वह युद्ध-क्षेत्र में वीर योद्धाओं की तरह लड़ी थी।
18. जाओ, रानी याद .......... रानी थी।
कठिन - शब्दार्थ-कृतज्ञ-उपकार को मानने वाला। अविनाशी-कभी नष्ट न होने वाला। मदमाती-मस्त करने वाली। स्मारक-यादगार। अमिट न मिटने वाला।
प्रसंग - यह पद्यांश सुभद्रा कुमारी की प्रसिद्ध कविता 'झाँसी की रानी' से लिया गया है। इसमें रानी लक्ष्मीबाई का बलिदान देशवासियों के लिए नयी प्रेरणा देने वाला बताया गया है।
व्याख्या/भावार्थ - अन्त में कवयित्री कहती है कि हे रानी! तुम स्वर्ग सिधार जाओ, परंतु हम सब भारतवासी तुम्हारा उपकार मानते हैं। तुम्हारा यह बलिदान हमें कभी नष्ट न होने वाली स्वतन्त्रता के प्रति सचेत करता रहेगा, प्रेरणा देता रहेगा। इतिहास चाहे कुछ भी न कहे और चाहे सच्चाई का गला घोंट दिया जावे, अंग्रेजों को चाहे विजय मिले और वे गोलों से झाँसी को नष्ट कर दें, फिर भी भारतवासी तुम्हारा यह बलिदान नहीं भूल पायेंगे।
हे रानी! तुम्हारा स्मारक स्वयं तुम ही होगी, अर्थात् तुम्हें याद करने के लिए किसी स्मारक की जरूरत नहीं है, तुम स्वयं ही अपनी कभी न मिटने वाली अर्थात् अमर निशानी हो । अर्थात् तुम्हारा नाम और बलिदान अमर रहेगा। यह कहानी हमने बुन्देलखण्ड के हरबोलों के मुंह से सुनी कि झाँसी की रानी युद्ध में शत्रुओं से मर्दो के समान अर्थात् वीरता से लड़ी थी।