Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 5 Hindi Chapter 9 सदाचार Textbook Exercise Questions and Answers.
The questions presented in the RBSE Solutions for Class 5 Hindi are solved in a detailed manner. Get the accurate RBSE Solutions for Class 5 all subjects will help students to have a deeper understanding of the concepts.
उच्चारण के लिए -
सद्गुण, सत्पुरुष, अखंड, संपर्क, विपत्तियाँ, परिस्थितियाँ, सर्वत्र, आदर्श, इज्जत मनुष्य, शक्ति, सामर्थ्यवान।
नोट - छात्र अपने अध्यापक की सहायता से कठिन शब्दों का उच्चारण करने का अभ्यास करें।
सोचें और बताएँ -
प्रश्न 1.
सदाचार किसे कहते हैं?
उत्तर :
अच्छे व्यवहार को सदाचार कहते हैं।
प्रश्न 2.
विपत्ति में क्या करना चाहिए?
उत्तर :
विपत्ति में कभी विचलित नहीं होना चाहिए तथा धैर्य से काम लेना चाहिए।
प्रश्न 3.
सद्गुण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
सद्गुण से तात्पर्य है-सत्य बोलना, ईमानदार होना, परोपकार करना, गुरुजनों का आदर करना, सेवा करना, किसी को कष्ट न पहुँचाना, मधुर बोलना, विनम्र रहना आदि।
लिखें -
प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें -
(अ) मनुष्य एक .................... है। समाज में रहकर - वह कई तरह के काम करता है।
(ब) सदाचारी बनने के लिए ............. होना आवश्यक है।
उत्तर :
(अ) सामाजिक प्राणी
(ब) ईमानदार।
प्रश्न 2.
सही उत्तर का क्रमाक्षर छाँटकर कोष्ठक में लिखें -
(अ) उत्तम व्यक्ति के गुण हैं
(क) गुरुजनों का आदर करना
(ख) मधुर बोलना
(ग) विनम्र रहना
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर :
(घ) उपर्युक्त सभी।
(ब) सत्य बोलना एक प्रकार की तपस्या है -
(क) खंड
(ख) व्यावहारिक
(ग) अखंड
(घ) असत्य।
उत्तर :
(ग) अखंड
प्रश्न 3.
व्यक्ति के सदाचारी होने की पहचान किससे होती -
उत्तर :
व्यक्ति के सदाचारी होने की पहचान उसके अच्छे व्यवहार से होती है।
प्रश्न 4.
सदाचारी व्यक्ति में कौन-कौन से गुण होते हैं?
उत्तर :
सदाचारी व्यक्ति में ईमानदारी, बड़ों का आदर करना आदि गुण होते हैं।
प्रश्न 5.
प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सदाचारी व्यक्ति विचलित क्यों नहीं होता है?
उत्तर :
प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सदाचारी व्यक्ति विचलित नहीं होता क्योंकि उसमें असीम धैर्य और सहनशीलता जैसे महान गुण होते हैं। उसमें विपत्ति का मुकाबला करने की क्षमता होती है।
प्रश्न 6.
सदाचार सफलता का मार्ग है, कैसे?
उत्तर :
सदाचार सफलता का मार्ग है जो व्यक्ति को उसकी मंजिल तक पहुँचाता है। अच्छे व्यवहार के कारण उसके कठिन काम भी दूसरों की सहायता से बन जाते हैं।
प्रश्न 7.
महापुरुष हमारे आदर्श क्यों हैं?
उत्तर :
महापुरुष हमारे आदर्श हैं क्योंकि उनका सद्व्यवहार हमारे लिए अनुकरणीय है। महापुरुष सद् आचरण करते हैं। हम उनके चरित्र से प्रेरणा प्राप्त करते हैं।
भाषा की बात -
शब्दांशों और शब्दों को जोड़कर नए शब्द बनाएँ और अर्थ जानें, जैसे - अनु + शासन = अनुशासन, अनु + प्रेरणा = अनुप्रेरणा, अनु + रूप = अनुरूप आदि।
बे + ईमान = ...........
महा + पुरुष = ...........
पर + उपकार = ...........
उत्तर :
बेईमान, महापुरुष, परोपकार।
इस प्रकार अनु, बे, महा, पर आदि शब्दांश जो किसी अन्य शब्द के आगे लगते हैं वे उपसर्ग कहलाते हैं। ऐसे ही अन्य और उपसर्ग भी जानिए।
उत्तर :
अन्य उपसर्गसम् + मान = सम्मान, अप + मान = अपमान, अनु + कूल = अनुकूल, निर् + भय = निर्भय, अभि + मान = अभिमान, अति + अंत = अत्यंत, अति + आचार = अत्याचार, अप + यश = अपयश, अव + गुण = अवगुण, परि + आवरण = पर्यावरण, परि + पूर्ण = परिपूर्ण।
विपरीत अर्थ वाले शब्द लिखें -
सदाचार, ईमानदार, सम्मान, निर्भय, अनुकूल, सद्गुण।
उत्तर :
सदाचार - दुराचार
ईमानदार - बेईमान
सम्मान - अपमान
निर्भय - भयभीत
अनुकूलए - प्रतिकूल।
सद्गुण - दुर्गुण।
यह भी करें -
सदाचार के महत्व पर पाँच वाक्य लिखें।
उत्तर :
1. सदाचार सद्गुणों का भंडार है।
2. सदाचार का हमारे जीवन में बहुत महत्व है।
3. सदाचार सफलता का मार्ग है जो मनुष्य को लक्ष्य तक पहुँचाता है।
4. सदाचार से मनुष्य में सत्य बोलना, ईमानदारी, विनम्रता आदि गुणों का विकास होता है।
5. सदाचार हमें निर्भय और सहनशील बनाता है।
किन्हीं दो महापुरुषों के चित्रों को संकलित कर मेरा संकलन' में चिपकाएँ और उनके बारे में अपने विचार लिखें और विद्यालय में आयोजित बाल-सभा, उत्सवों के अवसर पर सुनाएँ।
उत्तर :
स्वामी विवेकानंद - ये स्वामी रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे। इन्होंने भारतीय धर्म-संस्कृति से पूरे विश्व को परिचय कराया था। शिकागो में हुए विश्व धर्म सम्मेलन में इन्होंने भाग लिया था। समाज सेवा के कार्य में इनके द्वारा स्थापित मिशन 'रामकृष्ण मिशन' आज भी अनवरत लगा हुआ है।
दयानंद सरस्वती - यह आर्य समाज के संस्थापक थे। इन्होंने हिन्दू धर्म में व्याप्त कुरीतियों पर प्रहार किया। वेदों की और लौटो' इनका नारा था। देश-विदेश भर में आर्य समाज की शाखाएँ धर्म प्रचार का कार्य कर रही हैं।
बहुविकल्पीय प्रश्न -
प्रश्न 1.
सही विकल्प का चयन कीजिए -
(i) सदाचारी बनने के लिए आवश्यक है -
(क) चरित्रहीन होना
(ख) ईमानदार होना
(ग) असत्य बोलना
(घ) कष्ट देना।
उत्तर :
(ख) ईमानदार होना
(ii) परोपकारी का स्वभाव होता है -
(क) झगड़ा करना
(ख) निर्दयी होना
(ग) सेवा करना
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर :
(ग) सेवा करना
रिक्तस्थान पूति -
प्रश्न 2.
दिए गए वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए -
(अखंड तपस्या, सफलता, महापुरुष, परोपकार, सदाचार।)
(i) सत्य बोलना एक प्रकार की .
(ii) सद्व्यवहार ही वास्तव में ................. है।
(iii) सदाचार ......................... का मार्ग है।
(iv) ................ परोपकारी का स्वभाव होता है।
उत्तर :
(i) अखंड तपस्या
(ii) सदाचार
(iii) सफलता
(iv) परोपकार।
सत्य-असत्य -
प्रश्न 3.
नीचे दिए गए वाक्यों के सामने सही होने पर (✓) व तथा गलत होने पर (✗) का निशान लगाएँ -
(i) सदाचार का अर्थ है 'अच्छा व्यवहार'।
(ii) सदाचारी केवल गुरुजनों का सम्मान करते हैं।
(iii) झूठ बोलना अच्छा नहीं माना जाता।
(iv) सदाचारी व्यक्ति निर्भय होता है।
(v) हमें परस्पर सद्व्यवहार नहीं करना चाहिए।
उत्तर :
(i) (✓), (ii) (✗), (iii) (✓), (iv) (✓), (v) (✗)
सार्थक शब्द निर्माण -
प्रश्न 4.
सार्थक शब्दों के समूह से शब्द बनते हैं। आप निम्नांकित वर्ग पहेली में से अक्षरों का प्रयोग करते हुए सार्थक शब्द बनाइए -
उत्तर :
(i) मधुर
(ii) बोलना
(iii) आचार
(iv) मधु
(v) चार
(vi) बोल।
अति लयूत्तरीय प्रश्न -
प्रश्न 5.
परोपकारी व्यक्ति कैसा होता है?
उत्तर :
परोपकारी व्यक्ति सबका भला करने वाला होता है। दूसरों की सेवा तथा उपकार करना उसका स्वभाव होता है।
प्रश्न 6.
मनुष्य महापुरुष कब बन जाता है?
उत्तर :
सदाचार के बल पर असीम शक्ति को प्रकट करने वाला सामर्थ्यवान मनुष्य महापुरुष बन जाता है।
लयु/दीर्य उत्तरीय प्रश्न -
प्रश्न 7.
नियमों के अनुकूल कौन से कार्य होते हैं?
उत्तर :
नियमों के अनुकूल निम्नलिखित कार्य होते हैं -
(क) सत्य बोलना।
(ख) गुरुजनों का आदर करना।
(ग) किसी को कष्ट न पहुँचाना।
(घ) मधुर वचन बोलना और विनम्र रहना।
(ङ) बड़ों की सेवा और आदर करना।
प्रश्न 8.
ईमानदार और बेईमान व्यक्ति में क्या अंतर है?
उत्तर :
ईमानदार व्यक्ति प्रत्येक कार्य में ईमानदारी बरतता है चाहे बात सेवा करने की हो, कर्त्तव्य-पालन की हो, धन कमाने की हो या लेन-देन के व्यवहार की हो। बेईमान व्यक्ति का कोई सिद्धांत नहीं होता। वह न सेवा करता है, न कर्तव्य पालन। वह किसी भी प्रकार से धन कमाना चाहता है।
प्रश्न 9.
सदाचार से क्या लाभ है?
उत्तर :
सदाचार से प्रमुख लाभ यह है कि हमारा जीवन अनुशासित और संयमित हो जाता है। हम समय पर अपना कार्य करते हैं और हमारे अंदर सद्गुणों का विकास होता है। हम जीवन में उन्नति करते जाते हैं।
प्रश्न 10.
सदाचारी व्यक्ति का अपने देश के प्रति क्या कर्तव्य है?
उत्तर :
सदाचारी व्यक्ति का अपने देश के प्रति यह कर्तव्य है कि वह अपने देश की सेवा करे, भ्रष्टाचार का विरोध करे। साफ-सफाई का ध्यान रखें। जल की बचत करें और पर्यावरण को शुद्ध रखे। अपने देश में भाईचारा बनाकर एक-दूसरे का सहयोग करे।
प्रश्न 11.
हम परोपकार कैसे कर सकते हैं?
उत्तर :
परोपकार करने के लिए विशेष स्थान या व्यक्ति की आवश्यकता नहीं होती। हम समाज के प्रत्येक जरूरतमंद की आवश्यकता के अनुसार सहायता करके परोपकार कर सकते हैं। समाज में बड़े-बूढ़ों की सेवा करके, गरीबों की मदद करके, बेरोजगार को रोजगार देकर और अनपढ़ों को पढ़ाकर परोपकार किया जा सकता है।
केवल पढ़ने के लिए -
कामधेनु
मेरे प्रिय पुत्रों/पुत्रियों
हाँ, मैं प्रत्येक मनुष्य को बल, बुद्धि, आयु, आरोग्य, सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य एवं कीर्ति देती हूँ। जो अनुभव करते हैं वो मुझे 'माता' कहते हैं और मैं भी उनको पुत्रवत् प्रेम करती हूँ। पुत्र/पुत्रियों का कर्तव्य है, 'माँ' की सेवा करना, 'माँ' की रक्षा करना और 'माँ' का कर्तव्य है पुत्र/पुत्रियों को जीवन देना। मैं अनादि काल से विश्व का कल्याण करती आ रही हूँ, इसलिए मुझे विश्व की जननी कहते हैं। संसार में, मैं अंत तक अपना कर्तव्य निभाऊँगी। चाहे वह धर्मयुग हो या विज्ञान युग, पुत्र माँ से प्रेम करें या उसे कष्ट दें, मुझे तो मेरे पुत्रों/पुत्रियों से प्रेम करना ही है। मैं दूध, दही, घी के रूप में "अमृत" प्रदान करती हूँ। जिससे मेरे पुत्रों/पुत्रियों को सत्वगुण संपन्न बनाती हूँ। मैं अपने 'मूत्र' और 'गोबर' के रूप में दवाइयाँ, खाद और कीट नियंत्रक भी देती हूँ। मैं अपनी संतान 'बैल' को खेती के लिए साधन स्वरूप देती हूँ। मैं अपने श्वास-प्रश्वास से वायुमंडल को शुद्ध करती हूँ। मेरे चरण स्पर्श से रजकण को शक्तिमान बनाती हूँ। मेरे दूध, दही, घी, मूत्र, गोबर आदि को पंचगव्य कहते हैं। यह एक अद्भुत तथा सर्वशक्तिमान रसायन है। मनुष्य के लिए यह 'प्राण' है। जो मेरी उपयोगिता समझेगा, वही मेरी सेवा करेगा। जिसके भाग्य में होगा वही अमृतमयी आनंद लूटेगा और उनके लिए मैं 'माँ स्वरूपा कामधेनु' हूँ।
तुम्हारी
कामधेनु गौ माता
पाठ-सार - प्रस्तुत पाठ में सदाचार के बारे में बताया गया है। गुरुजनों का आदर करना, सत्य बोलना, सेवा करना, मधुर बोलना, विनम्रता तथा किसी को कष्ट न पहुँचाना ही सदाचारी व्यक्ति के गुण हैं। सदाचार शब्द (सत् + आचार) का अर्थ है-सत्य का आचरण अर्थात् अच्छा व्यवहार। सदाचारी का प्रमुख गुण ईमानदारी होता है। सत्य बोलना अखंड तपस्या है। झूठ बोलना बुरा है। सदाचारी व्यक्ति जीवनभर सत्य का पालन करते हैं। ऐसे व्यक्ति स्वयं भी प्रसन्न रहते हैं तथा दूसरों को भी प्रसन्नता देते हैं। सदाचारी धैर्यशाली और सहनशील होते हैं। वे विपरीत परिस्थिति में भी विचलित नहीं होते। सदाचारी सब जगह पूज्य होते हैं। सदाचार सफलता का मूल मंत्र है। सद्व्यवहार ही वास्तव में सदाचार है।
कठिन शब्दार्थ -
सदाचार महत्त्वपूर्ण गद्यांशों पर आधारित प्रश्नोत्तर :
(अ) सदाचारी बनने के लिए ईमानदार होना आवश्यक है। जो व्यक्ति अपने प्रति ईमानदार होता है, वह सबके प्रति ईमानदारी बरतता है। चाहे सेवा की बात हो या कर्त्तव्य की, धन की बात हो या कमाई की, लेने की बात हो या देने की। सब में उसका व्यवहार ईमानदारीपूर्ण रहता है। ईमानदार व्यक्ति गरीब होते हुए भी धनी होता है, क्योंकि ईमानदारी के कार्यों से उसे सम्मान और आनंद मिलता है। बेईमान व्यक्ति धनी तो हो सकता है, परन्तु वह सम्मान और आनंद प्राप्त नहीं कर सकता।
1. उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
2. सदाचारी व्यक्ति का व्यवहार कैसा होता है ?
3. बेईमान व्यक्ति को क्या प्राप्त नहीं होता है ?
4. 'ईमानदार' शब्द का विलोम शब्द गद्यांश से छाँटकर लिखिए।
उत्तर :
1. सदाचारी व्यक्ति।
2. सदाचारी व्यक्ति सबके प्रति ईमानदारी बरतता है। चाहे सेवा की बात हो या कर्तव्य की। सबमें उसका व्यवहार ईमानदारीपूर्ण होता है।
3. बेईमान व्यक्ति सम्मान व आनंद प्राप्त नहीं कर सकता। समाज उसे इज्जत भी नहीं देता, चाहे वह कितना ही धन-संपन्न क्यों न हो।
4. बेईमान।
(ब) सदाचार सफलता का मार्ग है, जो व्यक्ति को मंजिल तक पहुँचाता है। अच्छे व्यवहार के कारण कठिन काम भी सहजता से बन जाते हैं। इसके द्वारा मनुष्य अपनी असीम शक्ति को प्रकट कर सकता है। सदाचार के बल पर असीम शक्ति को प्रकट करने वाला सामर्थ्यवान मनुष्य संत और महापुरुष के रूप में जाना जाता है। वह अपने महान कार्यों से महापुरुष कहलाता है। ऐसे ही महापुरुष हमारे आदर्श होते हैं। उनका सद्व्यवहार अनुकरणीय होता है। हमें परस्पर सद्व्यवहार करना चाहिए। सद्व्यवहार ही वास्तव में सदाचार है।
1. सदाचारी व्यक्ति किस रूप में जाना जाता है ?
2. हमें किस प्रकार का व्यवहार करना चाहिए?
3. सदाचार सफलता प्राप्त करने का मार्ग क्यों है ?
4. 'सदाचार' का विलोम शब्द लिखिए।
उत्तर :
1. सदाचार के बल पर असीम शक्ति को प्रकट करने वाला सामर्थ्यवान मनुष्य संत और महापुरुष के रूप में जाना जाता है।
2. हमें सद्व्यवहार करना चाहिए। सद्व्यवहार ही वास्तव में सदाचार है।
3. सदाचार सफलता प्राप्त करने का मार्ग है। सदाचारी व्यक्ति अपने व्यवहार से अपनी मंजिल प्राप्त कर लेता है।।
4. दुराचार।