RBSE Solutions for Class 5 Hindi Chapter 11 नीति के दोहे

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 5 Hindi Chapter 11 नीति के दोहे Textbook Exercise Questions and Answers.

The questions presented in the RBSE Solutions for Class 5 Hindi are solved in a detailed manner. Get the accurate RBSE Solutions for Class 5 all subjects will help students to have a deeper understanding of the concepts.

RBSE Class 5 Hindi Solutions Chapter 11 नीति के दोहे

RBSE Class 5 Hindi नीति के दोहे Textbook Questions and Answers

उच्चारण के लिए -

कृष्ण, संपत्ति, कुटुम, तरुवर, मिताई। 
नोट - छात्र अपने अध्यापक जी की सहायता से इन शब्दों का उच्चारण करें।

सोचें और बताएँ - 

प्रश्न 1. 
गोविंद से बड़ा किसको बताया गया है? 
उत्तर : 
गोविंद से बड़ा गुरु को बताया गया है। 

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प्रश्न 2. 
बड़े लोगों की तुलना किससे की गई है? 
उत्तर : 
बड़े लोगों की तुलना हीरे से की गई है। 

प्रश्न 3. 
कृष्ण ने किसके साथ मित्रता निभाई थी? 
उत्तर : 
कृष्ण ने सुदामा के साथ मित्रता निभाई थी। 

लिखें - 

प्रश्न 1. 
सही उत्तर का क्रमाक्षर छाँटकर कोष्ठक में लिखें - 
(अ) 'बुरा जो देखन मैं चला', बुरा न मिलिया कोय' का आशय है-जब मैं बुरे व्यक्ति को ढूँढ़ने चला तो मुझे 
(क) बुरे ही बुरे मिले 
(ख) कोई बुरा नहीं मिला। 
(ग) कुछ बुरे-कुछ भले मिले 
(घ) सब भले ही भले मिले
उत्तर : 
(ख) कोई बुरा नहीं मिला। 

(ब) बड़े बड़ाई न करे ........... दोहे में हीरा अपना महत्त्व (मूल्य) इसलिए नहीं बताता है, क्योंकि - 
(क) वह बोल नहीं सकता है। 
(ख) उसे अपना मूल्य मालूम नहीं है। 
(ग) न बताना बड़प्पन की निशानी है 
(घ) लाख रुपए का मोल कम है। 
उत्तर : 
(ग) न बताना बड़प्पन की निशानी है 

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प्रश्न 2.
दोहे लिखकर बताएँ - 
(अ) कबीर के किस दोहे में 'प्रेम' का महत्व बताया गया है? 
(ब) गुरु पर न्योछावर होने का भाव किस दोहे में है? 
(स) 'सरोवर स्वयं पानी नहीं पीता है', अर्थ बताने वाला दोहा लिखें। 
उत्तर : 
(अ) रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो छिटकाय।
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ पड़ जाय॥ 
(ब) गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपणे, गोविंद दियो बताय । 
(स) तरुवर फल नहीं खात है, सरवर पिए न पान।
कह रहीम पर काज हित, संपत्ति संचहि सुजान। 

प्रश्न 3.
'मुझसा बुरा न कोय' क्यों कहा गया है? 
उत्तर : 
हम सदैव दूसरों में अवगुण देखने की ताक में रहते हैं, लेकिन यदि स्वयं को समझने की कोशिश करें तो हम पाएँगे कि हमसे बुरा दूसरा कोई नहीं है। अतः स्वयं को समझने के उद्देश्य से यह कथन कहा गया है। 

प्रश्न 4. 
गुरु को गोविंद से भी बड़ा क्यों बताया जाता है? 
उत्तर : 
गोविंद को प्राप्त करने का मार्ग गुरु ही दिखाता है। इसलिए गुरु को गोविंद से बड़ा बताया जाता है। 

प्रश्न 5.
"टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ पड़ जाय।" का क्या आशय है? 
उत्तर : 
प्रेमरूपी धागा एक बार टूट जाता है तो फिर पहले की तरह नहीं जुड़ पाता। यदि उन्हें जोड़ने की कोशिश भी की जाए तो गाँठ पड़ जाती है। अत: इसे टूटने से बचाना चाहिए। 

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प्रश्न 6. 
'बड़े बड़ाई ना करे....' दोहे के अनुसार बड़े आदमी अपनी प्रशंसा स्वयं क्यों नहीं करते? 
उत्तर : 
बड़े आदमी में अहंकार नहीं होता और स्वयं की प्रशंसा नहीं करना बड़प्पन की निशानी है। अतः बड़े आदमी उस हीरे की तरह होते हैं जो कभी भी यह नहीं बताता कि उसका मूल्य लाख रुपये का है। 

प्रश्न 7. 
दोहे की पंक्ति को पूरा करें - 
(अ) बुरा जो देखन मैं चला .............। 
(ब) ................. साधु न भूखा जाय। 
(स) रहिमन धागा प्रेम का, ........... 
(द) ............. पिय न पान। 
उत्तर : 
(अ) बुरा न मिलिया कोय। 
(ब) मैं भी भूखा न रहूँ। 
(स) मत तोड़ो छिटकाय। 
(द) सरवर।

भाषा की बात - 

मोहन ने मीठा दूध पिया। वाक्य में 'दूध' शब्द से पहले मीठा शब्द आया है जो दूध के मीठा होने की विशेषता बता रहा है। विशेषता बताने वाले शब्द विशेषण कहलाते हैं। नीचे कुछ शब्द दिए गए हैं। उनके आगे विशेषण जोड़ेंकच्चा, घना, चमकीला, गहरा, मोटी, भला 
जैसे - भला आदमी .............. गाँठ
.............. तालाब .............. हीरा
............... पेड़ .............. धागा 
उत्तर : 
भला आदमी 
बड़ी गाँठ
गहरा तालाब 
चमकता हीरा 
हरा पेड़
पतला धागा 

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यह भी करें - 

दोहे को याद कर अपनी प्रार्थना सभा में व शनिवारीय बालसभा में गाएँ। 
अपने से बड़ों से दोहे सुनें और समझें। 
नोट - उक्त क्रियाकलाप विद्यार्थी स्वयं करें।

RBSE Class 5 Hindi नीति के दोहे Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न -

प्रश्न 1. 
सही विकल्प का चयन कीजिए - 
(i) कबीर ने बुराई खोजते हुए पाया कि - 
(क) सारा संसार बुरा है 
(ख) कुछ बुराई सर्वत्र है 
(ग) मुझसा बुरा कोई नहीं है
(घ) केवल मैं ही शुद्ध हूँ। 
उत्तर :
(ग) मुझसा बुरा कोई नहीं है

(ii) कवि ने साईं से कितना धन माँगा है?
(क) जिससे परिवार का भरण-पोषण हो सके।
(ख) गाँव में सबसे अमीर हो सके। 
(ग) आने वाली पीढ़ियों को कोई कमी न हो।
(घ) तिजोरी भरी रहे। 
उत्तर :
(क) जिससे परिवार का भरण-पोषण हो सके।

(iii) रहीम ने किस धागे को नहीं तोड़ने की सलाह दी है?
(क) धनरूपी धागे को 
(ख) प्रेमरूपी धागे को
(ग) अहंकाररूपी धागे को 
(घ) उपर्युक्त सभी को 
उत्तर :
(ख) प्रेमरूपी धागे को

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(iv) कौन अपना मूल्य नहीं बताता?
(क) सोना 
(ख) चाँदी 
(ग) ताँबा 
(घ) हीरा 
उत्तर :
(घ) हीरा 

(v) सज्जन व्यक्ति धन का संचय करते हैं?
(क) भविष्य के सुख के लिए 
(ख) परहित-काज के लिए 
(ग) गरीबी के समय उपयोग के लिए 
(घ) अपनी संतान के भविष्य निर्माण के लिए
उत्तर :
(ख) परहित-काज के लिए 

(vi) कृष्ण ने मित्रता का निर्वाह किया था?
(क) अर्जुन के साथ 
(ख) कंस के साथ
(ग) सुदामा के साथ 
(घ) दुर्योधन के साथ 
उत्तर :
(ग) सुदामा के साथ 

रक्तस्थान पूति - 

प्रश्न 2. 
दिए गए वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए - 
(i) जो ........... खोजा आपणा, मुझसा ........... न कोय। 
(ii) मैं भी भूखा ना रहूँ ........... न भूखा जाय। 
(iii) रहिमन धागा ........... का, मत तोड़ो ...........। 
(iv) जो ........... पर हित करै, ते रहीम ...........। 
उत्तर : 
(i) दिल, बुरा 
(ii) साधु 
(iii) प्रेम, छिटकाय 
(iv) गरीब, बड़ लोग।

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सत्य-असत्य - 

प्रश्न 3. 
नीचे दिए गए वाक्यों के सामने सही होने पर (✓) व तथा गलत होने पर (✗) का निशान लगाएँ - 
(i) बड़े लोग अपनी बड़ाई स्वयं नहीं करते हैं। 
(ii) प्रेमरूपी धागा टूटने पर फिर जुड़ता नहीं है। 
(iii) गोविंद गुरु से महान हैं। 
(iv) सुदामा और कृष्ण मित्र थे। 
उत्तर :
(i) असत्य 
(ii) सत्य 
(iii) असत्य 
(iv) सत्य -सुमेलित कीजिए 

प्रश्न 4. 
सही शब्दों के साथ मेल कीजिए -
(i) साईं इतना दीजिए (क) लाख हमारो मोल 
(ii) रहिमन हीरा कब कहे (ख) सरवर पिए न पान 
(iii) तरुवर फल नहीं खात है (ग) कृष्ण मिताई जोग 
(iv) कहा सुदामा बापुरौ (घ) जामैं कुटुम समाय। 
उत्तर : 
(i) (घ) (ii) (क) (iii) (ख) (iv) (ग)

सार्थक शब्द निर्माण -

प्रश्न 5. 
सार्थक शब्दों के समूह से शब्द बनते है। आप निम्नांकित वर्ग पहेली में से अक्षरों का प्रयोग करते हुए सार्थक शब्द बनाइए - 
RBSE Solutions for Class 5 Hindi Chapter 11 नीति के दोहे 1
उत्तर : 
(i) धागा 
(ii) सुजान 
(iii) गात 
(iv) हित 
(v) पान
(vi) जान।

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अति लघूत्तरीय प्रश्न - 

प्रश्न 6. 
गोविंद को प्राप्त करने का मार्ग कौन दिखाता है? 
उत्तर : 
गोविन्द को प्राप्त करने का मार्ग गुरु दिखाता है। 

प्रश्न 7. 
कबीर ने बुरे व्यक्ति को ढूँढ़ना चाहा तो क्या मिला? 
उत्तर : 
कबीर ने बुरे व्यक्ति को ढूँढ़ना चाहा तो उन्हें कोई बुरा व्यक्ति नहीं मिला।

प्रश्न 8. 
टूटा धागा वापस कैसे जुड़ सकता है? 
उत्तर :
टूटा धागा वापस गाँठ लगाकर ही जुड़ सकता है। 

प्रश्न 9. 
रहीम के अनुसार बड़ा व्यक्ति कौन होता है? 
उत्तर :
जो अपनी प्रशंसा अपने मुँह से नहीं करता। 

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प्रश्न 10. 
वृक्ष और सरोवर में क्या समानता है? 
उत्तर : 
ये दोनों अपनी वस्तु का उपयोग स्वयं न कर दूसरों के हित के लिए करते हैं। 

लयु/दीर्घ उत्तरीय प्रश्न - 

प्रश्न 11. 
बड़े आदमी की तुलना हीरे से क्यों की गई है? 
उत्तर :
हीरा कभी अपना मूल्य नहीं बताता अर्थात् अपने मुंह से अपनी प्रशंसा नहीं करता। उसी प्रकार बड़े आदमी भी अपनी विनम्रता का प्रदर्शन करते हैं, वे भी अपनी प्रशंसा अपने मुख से नहीं करते हैं। 

प्रश्न 12. 
'तरुवर फल नहीं खात है, सरवर पिए न पान।' पंक्ति के माध्यम से क्या संदेश दिया गया है? 
उत्तर : 
कवि रहीम के अनसार वृक्ष अपना फल स्वयं नहीं खाते और सरोवर भी अपना जल स्वयं नहीं पीते। उसी प्रकार हमें भी अपनी संपत्ति का उपयोग स्वयं के लिए नहीं बल्कि दूसरों की भलाई के लिए करना चाहिए। 

प्रश्न 13. 
'मुझसा बुरा न कोय' कहकर कवि ने क्या संकेत किया है? 
उत्तर : 
कवि ने संकेत किया है कि हम संसार में दूसरों में अवगुण तलाश करते रहते हैं, लेकिन यदि आप अपने को देखेंगे तो सारे अवगुण स्वयं के भीतर पाएँगे। अत: स्वयं का अवलोकन पहले करना चाहिए। 

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प्रश्न 14. 
गुरु की महानता को प्रदर्शित करने वाला पद लिखिए? 
उत्तर :  
गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपणे, गोविंद दियो बताय॥ 

प्रश्न 15. 
'नीति के दोहे' में आए पदों में रहीम ने क्या संदेश दिया है? अपने शब्दों में लिखिए। 
उत्तर : 
रहीम ने कहा है कि - 
(i) प्रेमरूपी धागे को कभी तोड़ना नहीं चाहिए। यह वापस जुड़ता नहीं है जुड़ता भी है तो जुड़ने पर गाँठ पड़ जाती है, अर्थात कटुता किसी न किसी रूप में बनी ही रहती है।
(ii) हमें अपने मुख से स्वयं की प्रशंसा नहीं करनी चाहिए। 
(iii) सज्जन व्यक्ति दूसरों के हित के लिए धन का संचय करते हैं। 
(iv) गरीबों की भलाई करने वाला ही बड़ा व्यक्ति होता है। 

प्रश्न 16. 
कबीर के पदों में निहित भाव को संक्षेप में लिखिए। 
उत्तर : 
'नीति के दोहे' में कबीर ने बताया है कि - 
(i) दूसरों में अवगुण ढूँढ़ने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि स्वयं की बुराई को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। 
(ii) गुरु सदैव महान होता है। वह ईश्वर से भी बड़ा है, क्योंकि ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग वही दिखाता है। 
(iii) हमें उतना ही धन चाहिए, जितने में परिवार का पालन-पोषण हो सके स्वयं की भूख मिट जाए और घर आए अतिथि का सत्कार हो सके।

नीति के दोहे Summary in Hindi

पाठ-सार - कबीर -     
संकलित अंश में कबीर ने कहा है कि -

संसार में बुराई ढूँढ़ने से पहले स्वयं को देखना चाहिए। 
गुरु और ईश्वर में से गुरु महान है, क्योंकि वही ईश्वर तक पहुँचने का रास्ता दिखाता है। भगवान से प्रार्थना है कि मुझे इतना ही देना जिससे मैं भूखा न रहूँ और मेरे द्वार से कोई अन्य भी भूखा न जाए। रहीमरहीम के अनुसार
प्रेमरूपी धागे को नहीं तोड़ना चाहिए, क्योंकि टूटने पर वह जुड़ता नहीं है, यदि जुड़ता भी है तो गाँठ पड़ जाती है। 
महान व्यक्ति अपनी प्रशंसा नहीं करता, जैसे-हीरा कभी अपना मूल्य नहीं बताता। 
वृक्ष स्वयं का फल नहीं खाता, सरोवर अपना पानी नहीं पीता। परमार्थ ही उनका लक्ष्य है। 
गरीबों की भलाई करने वाला बड़ा होता है, जैसे-गरीब सुदामा से कृष्ण ने मित्रता निभाई।

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नीति के दोहे पद्यांशों के कठिन शब्दार्थ और सरलार्थ :

कबीर - 

RBSE Solutions for Class 5 Hindi Chapter 11 नीति के दोहे 2
1. बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
जो दिल खोजा आपणा, मुझसा बुरा न कोय॥ 

कठिन शब्दार्थ - देखन-देखने के लिए। मिलिया-मिला। आपणा-अपना। सरलार्थ-कबीर कहते हैं कि जब मैं दुनिया में बुरे व्यक्ति को ढूंढ़ने निकला तो मुझे कोई भी बुरा नहीं दिखाई दिया। लेकिन जब अपने ही दिल की तलाश की तो पाया कि खुद से ज्यादा बुरा कोई नहीं है। भाव यह है कि स्वयं की बुराई पहले देखनी चाहिए। 

2. गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपणे, गोविन्द दियो बताय॥ 

कठिन शब्दार्थ - गोविन्द-ईश्वर। दोऊ-दोनों। काकेकिसके। बलिहारी-न्योछावर होना। आपणे-आपने। सरलार्थ-कबीर कहते हैं कि मेरे सामने गुरु और ईश्वर दोनों खड़े हैं। अब मैं सबसे पहले किसके चरणों को प्रणाम करूँ। अर्थात् दोनों में से किसे बड़ा मानूं। फिर मैंने मन में विचार किया कि मुझे अपने गुरु पर बलिहारी होना चाहिए और उनका उपकार मानना चाहिए, जिनके कारण आज मुझे ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग मिला। 

3. साईं इतना दीजिए, जामैं कुटुम समाय।
मैं भी भूखा ना रहूँ, साधु न भूखा जाय॥ 

RBSE Solutions for Class 5 Hindi Chapter 11 नीति के दोहे

कठिन शब्दार्थ - साई-भगवान। कुटुम-परिवार। साधुसज्जन।

सरलार्थ - कबीर भगवान से निवेदन करते हैं कि हे भगवान, आप मुझ पर कृपा कर इतना धन दे दीजिए कि जिससे मेरे परिवार का भरण-पोषण हो जाए। इसके साथ ही मैं भी भूखा नहीं रहूँ और मेरे द्वार पर आए हुए सज्जन का भी सत्कार कर सकूँ। इसके अतिरिक्त मुझे अधिक धन नहीं चाहिए। 

रहीम - 

RBSE Solutions for Class 5 Hindi Chapter 11 नीति के दोहे 3

1. रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो छिटकाय।
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ पड़जाय॥ 

कठिन शब्दार्थ - छिटकाय-झटका देकर। 
सरलार्थ - रहीम कहते हैं कि प्रेमरूपी धागे को कभी भी झटका देकर नहीं तोड़ना चाहिए। जिस प्रकार टूटा हुआ धागा जुड़ता नहीं है और यदि जुड़ता भी है तो गाँठ पड़ जाती है; उसी प्रकार प्रेम का व्यवहार टूटने पर यदि जुड़ेगा तो मन की गाँठ बनी रहेगी। अतः प्रेमरूपी धागे को कभी नहीं तोड़ना चाहिए।

2. बड़े बड़ाई ना करें, बड़े न बोले बोल।
रहिमन हीरा कब कहे, लाख हमारो मोल॥ 

कठिन शब्दार्थ - बड़ाई-प्रशंसा। बोल-कथन। मोलमूल्य। सरलार्थ-रहीम कहते हैं कि बड़ा व्यक्ति कभी भी अपनी प्रशंसा स्वयं नहीं करता तथा वह कभी भी अपने बारे में बढ़ा-चढ़ाकर बातें नहीं कहता। जिस प्रकार हीरा सबसे महँगा रत्न होते हुए भी अपने मुँह से यह नहीं कहता कि मेरा मूल्य लाख रुपये का है उसी प्रकार महान व्यक्ति अपने गुणों को स्वयं नहीं बखानते हैं।

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3. तरुवर फल नहीं खात है, सरवर पिए न पान।
कह रहीम पर काज हित, संपत्ति संचहि सुजान। 

कठिन शब्दार्थ - तरुवर-वृक्ष। खात हैं-खाता है। सरवरसरोवर। पान-पानी। पर काज-दूसरों के काम के लिए। हित-भलाई। संचहि-संचय करते हैं। सुजान-सज्जन। सरलार्थ-कवि रहीम कहते हैं कि वृक्ष कभी भी अपना फल स्वयं नहीं खाते हैं और सरोवर भी अपना जल स्वयं नहीं पीते हैं। वे दूसरों के काम आते हैं। इसी प्रकार सज्जन व्यक्ति भी दूसरों के हित के लिए संपत्ति का संचय करते हैं। अर्थात् उनके लिए दूसरों की भलाई करना ही प्रमुख लक्ष्य होता है। 

4. जे गरीब पर हित करै, ते रहीम बड़ लोग।
कहा सुदामा बापुरी, कृष्ण मिताई जोग। 

कठिन शब्दार्थ - बापुरौ-असहाय, बेचारा। मिताई-मित्रता, दोस्ती। जोग-निभाना, जोड़ना।। सरलार्थ-कवि रहीम के मतानुसार जो व्यक्ति गरीबों का भला करते हैं, उनके दुःख दर्द को समझते हैं वे ही बड़े लोग कहलाते हैं। जिस प्रकार असहाय मित्र सुदामा के साथ कृष्ण ने मित्रता निभाई थी और उनके दुःख-दर्द में साथ दिया था, उसी प्रकार बड़े लोग भी गरीबों का ध्यान रखते है।

Prasanna
Last Updated on Sept. 3, 2022, 9:50 a.m.
Published Sept. 2, 2022