RBSE Solutions for Class 12 Political Science Chapter 9 वैश्वीकरण

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Political Science Chapter 9 वैश्वीकरण Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 12 Political Science Solutions Chapter 9 वैश्वीकरण

RBSE Class 12 Political Science वैश्वीकरण InText Questions and Answers

क्रियाकलाप सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर:

(पृष्ठ संख्या - 136)

प्रश्न 1. 
बहुत - से नेपाली मजदूर काम करने के लिए भारत आते हैं? क्या यह वैश्वीकरण है?
उत्तर:
हाँ, श्रम का प्रवाह भी वैश्वीकरण का ही एक हिस्सा है। इसलिए नेपाल से मजदूरों का मजदूरी हेतु भारत आना वैश्वीकरण ही है।

(पृष्ठ संख्या -137)

प्रश्न 2. 
भारत में बिकने वाली चीन की बनी बहुत-सी चीजें तस्करी की होती हैं। क्या वैश्वीकरण के चलते तस्करी होती है?
उत्तर:
वैश्वीकरण के कारण सम्पूर्ण विश्व में वस्तुओं के व्यापार में वृद्धि हुई है, लेकिन वैश्वीकरण के कारण आयात प्रतिबन्धों में कमी के कारण तस्करी में कमी हुई है, न कि वृद्धि। तस्करी के अन्य कारण हो सकते हैं, जिनमें विक्रय कर व आयकर आदि प्रमुख हैं।

(पृष्ठ संख्या - 138)

प्रश्न 3. 
क्या साम्राज्यवाद का ही नया नाम वैश्वीकरण नहीं है? हमें नये नाम की जरूरत क्यों है?
उत्तर:
साम्राज्यवाद का नया नाम वैश्वीकरण नहीं है। साम्राज्यवाद में राजनीतिक प्रभाव मुख्य रहता है। साम्राज्यवाद में एक शक्तिशाली देश दूसरे देश पर अधिकार करके उसके प्राकृतिक संसाधनों का अपने हित में शोषण करता है, जबकि वैश्वीकरण एक बहुआयामी अवधारणा है। इसके राजनीतिक, आर्थिक व सांस्कृतिक आयाम हैं, जिसमें विचारों, पूँजी, सेवाओं का प्रवाह होता है। इन प्रवाहों की निरन्तरता से सम्पूर्ण विश्व में पारस्परिक जुड़ाव बढ़ रहा है। इस प्रकार वैश्वीकरण के साम्राज्यवाद से पूर्णतः भिन्न होने के कारण हमें नये नाम की जरूरत पड़ी है। 

(पृष्ठ संख्या - 142)

प्रश्न 4. 
आप या आपका परिवार बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के जिन उत्पादों का इस्तेमाल करता है उसकी एक सूची तैयार करें।
उत्तर:
मैं या मेरा परिवार बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के निम्नलिखित उत्पादों का इस्तेमाल करता है।

  1. टी. वी., 
  2. वाशिंग मशीन, 
  3.  साबुन, 
  4. टूथपेस्ट, 
  5. रेफ्रिजरेटर, 
  6. दवाइयाँ, 
  7.  शैम्पू, 
  8. वस्त्र, 
  9. कलाई घड़ी, 
  10. फर्नीचर, 
  11. बॉलपैन, 
  12. रोशनी के बल्व, 
  13. खिलौने आदि।

RBSE Solutions for Class 12 Political Science Chapter 9 वैश्वीकरण 

प्रश्न 5. 
जब हम सामाजिक सुरक्षा कवच की बात करते हैं तो इसका सीधा - सादा मतलब होता है कि कुछ लोग तो वैश्वीकरण के चलते बदहाल होंगे ही! तभी तो सामाजिक सुरक्षा कवच की बात की जाती है। है?
उत्तर:
हाँ, यह सत्य है कि कुछ लोग वैश्वीकरण के चलते बदहाल होंगे ही। सामाजिक न्याय के पक्षधर वैश्वीकरण के कारण चिन्तित हैं। उनका मत है कि आर्थिक वैश्वीकरण से जनसंख्या के एक बड़े भाग को तो लाभ होगा जबकि नौकरी और जनकल्याण कार्यों; जैसे - शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता आदि के लिए सरकार पर निर्भर रहने वाले लोगों की स्थिति खराब हो जायेगी क्योंकि सरकार वैश्वीकरण के कारण सामाजिक न्याय सम्बन्धी अपनी जिम्मेदारियों से अपने हाथ खींचती है। अतः कुछ संस्थानिक उपाय किये जाने चाहिए अर्थात् सामाजिक सुरक्षा कवच तैयार किया जाना चाहिए ताकि जो लोग आर्थिक रूप से कमजोर हैं उन पर वैश्वीकरण के दुष्प्रभावों को कम किया जा सके। 

(पृष्ठ संख्या - 143)

प्रश्न 6. 
हम पश्चिमी संस्कृति से क्यों डरते हैं? क्या हमें अपनी संस्कृति पर विश्वास नहीं है?
उत्तर:
हमारा पश्चिमी संस्कृति से डरने का प्रमुख कारण यह है कि वैश्वीकरण का एक पक्ष सांस्कृतिक समरूपता है जिसके तहत विश्व संस्कृति के नाम पर ताकतवर शक्तियों द्वारा शेष विश्व पर पश्चिमी संस्कृति थोपी जा रही है। इससे सम्पूर्ण विश्व की सांस्कृतिक विरासत धीरे-धीरे समाप्त हो जायेगी। नहीं, ऐसी बात नहीं है। हमें अपनी संस्कृति पर पूर्ण विश्वास है। लेकिन हमें केवल अपने ऊपर पश्चिमी संस्कृति के थोपे जाने से डर लगता है।

(पृष्ठ संख्या -144)

प्रश्न 7. 
यह बात तो सही है कि कभी-कभी मुझे नए गीत अच्छे लगते हैं। क्या हम सबको थोड़ा नृत्य करना अच्छा नहीं लगता भले ही बजायी जा रही धुन पर पश्चिमी संगीत का असर हो?
उत्तर:
हाँ, हम सबको पश्चिमी संगीत की धुन पर नृत्य करना अच्छा लगेगा क्योंकि हमें विश्व के विभिन्न भागों की संस्कृतियों की अच्छाइयों को ग्रहण करना चाहिए। इसमें राष्ट्र की सीमाएँ बाधक नहीं बननी चाहिए।

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प्रश्न 8. 
'उफ ! फिर से एक हिन्दुस्तानी' वाक्य का आशय स्पष्ट करो।
उत्तर:
उक्त वाक्य किसी भी पाश्चात्य देश में कॉल करने वाले उस व्यक्ति के दृष्टिकोण को अभिव्यक्त करता है, तो वहीं दूसरी तरफ कॉल अटैण्ड करने वाले व्यक्ति के रवैये को दर्शाता है। उक्त वाक्य भारतीयों को हीन समझने वाला वाक्य है।

प्रश्न 9. 
कॉल सेन्टर में कार्य करना स्वयं में आँख खोल देने वाला क्यों माना जाता है ?
उत्तर:
कॉल सेन्टर में कार्य करना अत्यधिक कठिन है। जब हमारे देश में दिन होता है तब अनेक पाश्चात्य देशों में रात्रि का समय हो रहा होता है। इसी प्रकार जब पाश्चात्य देशों में रात होती है तब भारत में दिन का समय होता है। कॉल सेन्टर में अनेक घण्टों तक लगातार तनाव में बैठना पड़ता है। कॉल करने वाला यह आशा करता है कि सुनने वाला सिर्फ उसी की भाषा में उत्तर दे। वह उसी मानक की भाषा प्रयुक्त करे जैसी वह स्वयं बोल रहा है। कॉल सेन्टर में कार्यरत व्यक्ति को बड़ी नम्र भाषा में उत्तर देना होता है।

प्रश्न 10. 
कॉल भारत में अटैण्ड की जा रही है। यह तथ्य जानकर फोन करने वाले का अंदाज कभी-कभी घृणा से क्यों भर उठता है ?
उत्तर:
कॉल भारत में अटैण्ड की जा रही है, यह जानकर फोन करने वाले व्यक्ति का अंदाज अर्थात् लहजा कभी-कभी घृणा से भर उठता है। इस परिस्थिति से निबटना कॉल सेन्टर पर कार्यरत व्यक्ति के लिए अत्यधिक तनावपूर्ण कार्य होता है। अमेरिकी प्रत्येक भारतीय को इस रूप में देखने लगे हैं मानो वह उसकी नौकरी अर्थात् सेवा छीनने वाला हो।

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प्रश्न 11. 
'पहले दक्षिण अफ्रीकी और अब हिन्दुस्तानी' उसे आप रंगभेद के समर्थक पिछड़े दृष्टिकोण से कैसे देख सकते हैं ?
उत्तर:
उक्त का तात्पर्य यह है कि फोन अटैण्ड करने वाला वर्तमान समय में भी अफ्रीकियों तथा हिन्दुस्तानियों को अपने रंगभेदपूर्ण संकीर्ण दृष्टिकोण और भाषाई उच्चारण की वजह से स्वयं को परेशान मानता है। वे अफ्रीकियों तथा भारतीयों को निम्न कोटि का समझते हैं।

RBSE Class 12 Political Science वैश्वीकरण Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. 
वैश्वीकरण के बारे में कौन-सा कथन सही है? 
(क) वैश्वीकरण सिर्फ आर्थिक परिघटना है। 
(ख) वैश्वीकरण की शुरुआत सन् 1991 में हुई। 
(ग) वैश्वीकरण व पश्चिमीकरण समान है। 
(घ) वैश्वीकरण एक बहुआयामी परिघटना है। 
उत्तर:
(घ) वैश्वीकरण एक बहुआयामी परिघटना है। 

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प्रश्न 2. 
वैश्वीकरण के प्रभाव के बारे में कौन-सा कथन सही है?
(क) विभिन्न देशों व समाजों पर वैश्वीकरण का प्रभाव विषम रहा है। 
(ख) सभी देशों व समाजों पर वैश्वीकरण का प्रभाव समान रहा है। 
(ग) वैश्वीकरण का प्रभाव सिर्फ राजनीतिक दायरे तक सीमित है। 
(घ) वैश्वीकरण से अनिवार्यतया सांस्कृतिक समरूपता आती है। 
उत्तर:
(क) विभिन्न देशों व समाजों पर वैश्वीकरण का प्रभाव विषम रहा है। 

प्रश्न 3. 
वैश्वीकरण के कारणों के बारे में कौन - सा कथन सही है? 
(क) वैश्वीकरण का एक महत्त्वपूर्ण कारण प्रौद्योगिकी है। 
(ख) जनता का एक खास समुदाय वैश्वीकरण का कारण है। 
(ग) वैश्वीकरण का जन्म संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ। 
(घ) वैश्वीकरण का एकमात्र कारण आर्थिक धरातल पर पारस्परिक निर्भरता है। 
उत्तर:
(क) वैश्वीकरण का एक महत्त्वपूर्ण कारण प्रौद्योगिकी है। 

प्रश्न 4. 
वैश्वीकरण के बारे में कौन - सा कथन सही है? 
(क) वैश्वीकरण का सम्बन्ध सिर्फ वस्तुओं की आवाजाही से है। 
(ख) वैश्वीकरण में मूल्यों का संघर्ष नहीं होता। 
(ग) वैश्वीकरण के अंग के रूप में सेवाओं का महत्व गौण है। 
(घ) वैश्वीकरण का सम्बन्ध विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव से है। 
उत्तर:
(घ) वैश्वीकरण का सम्बन्ध विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव से है। 

प्रश्न 5. 
वैश्वीकरण के बारे में कौन-सा कथन गलत है? 
(क) वैश्वीकरण के समर्थकों का तर्क है कि इससे आर्थिक समृद्धि बढ़ेगी। 
(ख) वैश्वीकरण के आलोचकों का तर्क है कि इससे आर्थिक असमानता और ज्यादा बढ़ेगी।
(ग) वैश्वीकरण के पैरोकारों का तर्क है कि इससे सांस्कृतिक समरूपता आएगी। 
(घ) वैश्वीकरण के आलोचकों का तर्क है कि इससे सांस्कृतिक समरूपता आएगी। 
उत्तर:
(घ) वैश्वीकरण के आलोचकों का तर्क है कि इससे सांस्कृतिक समरूपता आएगी। 

प्रश्न 6. 
विश्वव्यापी 'पारस्परिक जुड़ाव' क्या है? इसके कौन-कौन से घटक हैं?
उत्तर:
विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव वैश्वीकरण की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता है। वस्तुत: वैश्वीकरण के अन्तर्गत देशों व क्षेत्रों के मध्य विश्व स्तर पर विचारों, पूँजी, वस्तु तथा व्यक्तियों का प्रवाह बढ़ जाता है। वैश्वीकरण में इस प्रवाह की गति तीव्र तथा इसके प्रसार का धरातल विस्तृत होता है। यही वैश्वीकरण की पहचान है। जब इस प्रकार से विश्वव्यापी प्रभाव निरन्तर चलता रहता है तो देशों व समूहों के मध्य विश्व-व्यापी पारस्परिक जुड़ाव की स्थिति उत्पन्न होती है। दूसरे शब्दों में, विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव राष्ट्रों के मध्य उक्त प्रवाहों की निरन्तरता से पैदा हुआ है और आज भी कायम है।

विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव के निम्नांकित चार घटक हैं जिनसे मिलकर जुड़ाव की स्थिति उत्पन्न होती है।

  1. विश्व के एक हिस्से के विचारों व धारणाओं को दूसरे हिस्से में पहुँचना।
  2. पूँजी का विश्व के एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचना, जो मुख्यतः निवेश के रूप में होती है। 
  3. वस्तुओं का एक देश से दूसरे देशों में पहुँचना तथा उनका बढ़ता हुआ व्यापार। 
  4. बेहतर आजीविका तथा रोजगार की तलाश में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में व्यक्तियों की आवाजाही का बढ़ना। 

प्रश्न 7. 
वैश्वीकरण में प्रौद्योगिकी का क्या योगदान है?
अथवा 
प्रौद्योगिकी ने किस प्रकार वैश्वीकरण को बढ़ावा देने में योगदान दिया है?
उत्तर:
वैश्वीकरण का एक महत्त्वपूर्ण कारण प्रौद्योगिकी में हुई प्रगति है। इसमें कोई शक नहीं कि टेलीग्राफ, टेलीफोन और माइक्रोचिप तथा कम्प्यूटर व इन्टरनेट के नवीनतम आविष्कारों ने विश्व के विभिन्न भागों के बीच संचार क्रान्ति कर दिखाई है। इस प्रौद्योगिकी का प्रभाव हमारे सोचने के तरीके तथा सामूहिक जीवन की गतिविधियों पर उसी तरह पड़ रहा है, जिस तरह मुद्रण की तकनीकी का प्रभाव राष्ट्रवादी भावनाओं पर पड़ा था।

वैश्वीकरण का मूल तत्व है:  विचारों, वस्तुओं, पूँजी व व्यक्तियों का विश्वव्यापी प्रवाह। प्रौद्योगिकी की तकनीकों ने इन चारों चीजों के प्रवाह की गति व पहुँच को बढ़ाने के साथ - साथ उसे सरल बना दिया है। उदाहरण के लिए, विश्व के विभिन्न भागों के बीच पूँजी व वस्तु की गतिशीलता लोगों की आवाजाही की तुलना में ज्यादा तेज व व्यापक है। आज इन्टरनेट की सुविधा के चलते ई - कॉमर्स, ई - बैंकिंग ई - लर्निग जैसे तकनीकें अस्तित्व में आ गयी हैं जिनके द्वारा विश्व के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में व्यापार किया जा सकता है, बाजार खोजे जा सकते हैं तथा ज्ञान के नए स्रोत खोजे जा सकते हैं। निष्कर्षतः प्रौद्योगिकी, विशेषकर सूचना प्रौद्योगिकी ने वैश्वीकरण की प्रक्रिया को सरल, तेज व व्यापक बना दिया है।

RBSE Solutions for Class 12 Political Science Chapter 9 वैश्वीकरण

प्रश्न 8. 
वैश्वीकरण के सन्दर्भ में विकासशील देशों में राज्य की बदलती भूमिका का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें।
उत्तर:
वैश्वीकरण के आवश्यक सहगामी विचार हैं: निजीकरण तथा उदारीकरण। वैश्वीकरण तथा इन सहगामी प्रक्रियाओं के व्यापक राजनीतिक परिणाम हुए हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि वैश्वीकरण तत्व उदारवादी राजनीतिक विचारधारा द्वारा पोषित है। विकासशील देशों में वैश्वीकरण का सबसे व्यापक प्रभाव राज्य व सरकारों की भूमिका व कार्यों पर पड़ा है। बीसवीं शताब्दी में इन देशों में राज्य अपने आवश्यक कार्यों के अतिरिक्त समाज कल्याण के कार्य भी करता रहा है।

विकासशील देशों में कल्याणकारी राज्य की धारणा के अन्तर्गत राज्य शिक्षा, गरीब, बेरोजगारी, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। वैश्वीकरण के कारण राज्य अब कल्याणकारी कार्यों से बच रहे हैं तथा वे अपने आवश्यक कार्यों जैसे कानून व व्यवस्था तथा बाह्य सुरक्षा जैसे कार्यों तक सीमित रह गए हैं।

दूसरी ओर, उदारीकरण व निजीकरण के चलते राज्य इन देशों में अपने अनेक आर्थिक कार्य निजी हाथों से सौंपते जा रहे हैं। भारत में शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं का निजीकरण इसी का उदाहरण है। अत: अर्थव्यवस्था को प्रभावित व नियन्त्रित करने की राज्य की क्षमता गौण हो गयी है। उसका स्थान बाजार की ताकतों ने ले लिया है। विकासशील देशों में वैश्वीकरण के इस प्रभाव की तीव्र आलोचना हो रही है। विकासशील देशों में आज भी निर्धनता, निम्न जीवन - स्तर, अशिक्षा, बेरोजगारी, कुपोषण जैसी सामाजिक व आर्थिक समस्याएँ विद्यमान हैं।

इन क्षेत्रों में राज्य की निकासी विकासशील देशों में उपयुक्त नहीं है। राज्य को सामाजिक सुरक्षा तथा कल्याणकारी कार्य आज भी इन देशों में करने चाहिए। इसीलिए भारत में किसान मजदूर, वामपंथी कार्यकर्ता तथा इण्डियन सोशल फोरम राज्य की बदलती हुई भूमिका तथा वैश्वीकरण की आलोचना कर रहे हैं।

निष्कर्षतः विकासशील देशों में वैश्वीकरण के बावजूद यह आवश्यक है कि राज्य कमजोर वर्गों के सामाजिक व आर्थिक कल्याण के कार्य करता रहे अन्यथा समाज में सामाजिक विघटन व असमानता की समस्याएँ बढ़ जायेंगी। 

प्रश्न 9. 
वैश्वीकरण की आर्थिक परिणतियाँ क्या हुई हैं ? इस सन्दर्भ में वैश्वीकरण ने भारत पर कैसे प्रभाव डाला है ?
अथवा 
भारत द्वारा वैश्वीकरण की दिशा में उठाये गये कदमों को समझाइए।
उत्तर:
वैश्वीकरण एक बहुआयामी धारणा है, परन्तु इसके आर्थिक परिणाम सर्वाधिक व्यापक हैं, वैश्वीकरण के निम्नलिखित आर्थिक परिणाम (प्रभाव) दृष्टिगोचर होते हैं।

  1. विश्व में आर्थिक नीतियों के निर्धारण में अब अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं; जैसे - विश्व बैंक, अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्व व्यापार संगठन के साथ - साथ अन्य समूह व संस्थाएँ, यथा बहुराष्ट्रीय निगम आदि शामिल होते हैं। पहले यह कार्य मुख्यत: अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा किया जाता था।
  2. वैश्वीकरण के कारण दुनिया के देशों के मध्य आर्थिक प्रवाह तेज हो गए हैं। ये प्रवाह स्वैच्छिक भी हो सकते हैं, अथवा बाध्यकारी भी। इन प्रवाहों में विचार, पूँजी निवेश व व्यापार आदि सम्मिलित हैं।
  3. देशों के मध्य व्यापार व पूँजी के प्रवाह में लगे पूर्व प्रतिबन्ध अब शिथिल हो गए हैं। उदाहरण के लिए; धनी देश अपनी पूँजी उन विकासशील देशों में लगा सकते हैं जहाँ उन्हें अधिक मुनाफा हो रहा है।
  4. व्यापार व पूँजी प्रवाह की तुलना में देशों के मध्य व्यक्तियों का प्रवाह अब भी सीमित है। कई देश वीजा नीति में छूट देने के लिए तैयार नहीं हैं। 
  5. वैश्वीकरण के कारण विभिन्न देशों में लगभग एक समान व्यापारिक व पूँजी निवेश नीतियों को अपनाया गया है। परन्तु विभिन्न देशों में इसका प्रभाव अलग-अलग हुआ है।
  6. वैश्वीकरण के कारण राज्य व सरकारें आर्थिक क्षेत्र से अपनी जिम्मेदारी कम करते जा रहे हैं। इससे निजीकरण व उदारीकरण को बढ़ावा मिला है तथा सामाजिक व आर्थिक न्याय के क्षेत्र में राज्य की भूमिका कम हुई है।
  7. वैश्वीकरण के कारण आर्थिक क्षेत्र में देशों के मध्य पारस्परिक निर्भरता बढ़ रही है।

वैश्वीकरण का भारत पर प्रभाव (भारत द्वारा वैश्वीकरण की दिशा में उठाए गए कदम): आजादी के समय से भारत आधारभूत वस्तुओं तथा कच्चे माल का निर्यातक तथा बने - बनाये सामानों का आयातक देश रहा है। बाद में संरक्षणवादी नीति के अन्तर्गत आर्थिक आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के प्रयास किए गए। सन् 1991 के वित्तीय संकट ने भारत की संरक्षणवादी नीति पर पुनर्विचार करने हेतु बाध्य किया। परिणामतः वैश्वीकरण के अनुरूप व्यापार व विदेशी पूँजी निवेश के क्षेत्र में क्रमश: उदारवादी व निजीकरण की नीतियों को लागू किया गया।

बहुत - सी आर्थिक गतिविधियाँ राज्य द्वारा निजी क्षेत्र को सौंप दी गयीं या उनमें सरकार की भागीदारी कम कर दी गई। आर्थिक गतिविधियों में विदेशी पूँजी निवेश हेतु भी प्रतिबन्धों को उदार बनाया गया। भारत में भी वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभावों के चलते अर्थव्यवस्था के नियमन व नियन्त्रण में सरकार की क्षमता में जो कमी आयी है, वामपंथी उसकी आलोचना कर रहे हैं। अन्य समूह भी राज्य के ऊपर प्रभावी आर्थिक व सामाजिक भूमिका निभाने हेतु दबाव डाल रहे हैं।

RBSE Solutions for Class 12 Political Science Chapter 9 वैश्वीकरण

प्रश्न 10. 
क्या आप इस तर्क से सहमत हैं कि वैश्वीकरण से सांस्कृतिक विभिन्नता बढ़ रही है ?
उत्तर:
वस्तुत: वैश्वीकरण का सांस्कृतिक प्रभाव परम्परागत संस्कृतियों वाले समाजों में अधिक व्यापक है। जब देशों के मध्य विचारों व वस्तुओं तथा व्यक्तियों का प्रवाह बढ़ेगा तो उससे सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी बढ़ेगा। हम जिन बातों को अपनी पसन्द या व्यक्तिगत बातें कहते हैं, वे भी वैश्वीकरण से प्रभावित होती हैं। वास्तव में यदि वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव को देखा जाये तो यह स्पष्ट हो जाता है कि इसमें सांस्कृतिक समरूपता व सांस्कृतिक विभिन्नता दोनों ही प्रवृत्तियाँ देखने को मिलती हैं।

वैश्वीकरण के कारण ताकतवर देशों की पश्चिमी संस्कृति विकासशील देशों में घुसपैठ बना रही है। इससे पश्चिमी संस्कृति के तत्व अब विश्वव्यापी होते जा रहे हैं। तर्क यह है कि बर्गर अथवा नीली जीन्स, कारें तथा अन्य पहनावे आदि का गहरा रिश्ता अमेरिकी जीवन - शैली से है क्योंकि राजनीतिक व आर्थिक रूप से शक्तिशाली संस्कृति कमजोर सम्प्रदायों पर अपना असर छोड़ती है।

आज विश्व के सभी क्षेत्र मैक्डोनाल्डीकरण व पेप्सी - कोला के प्रभाव में हैं। इस वैश्विक सांस्कृतिक समरूपता से कई परम्परागत संस्कृतियों को खतरा उत्पन्न हो गया है। परन्तु इसका तात्पर्य यह नहीं है कि विश्व में किसी नयी विश्व संस्कृति का उदय हो रहा है। सांस्कृतिक समरूपता का मतलब केवल पश्चिमी संस्कृति के बढ़ते प्रभाव से है। निष्कर्षतः वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव के अन्तर्गत न केवल सांस्कृतिक विभिन्नता बढ़ रही है वरन् सांस्कृतिक समरूपता की प्रवृत्ति भी साथ - साथ चल रही है।

प्रश्न 11. 
वैश्वीकरण ने भारत को कैसे प्रभावित किया है और भारत कैसे वैश्वीकरण को प्रभावित कर रहा है ?
उत्तर:
वैश्वीकरण एक विश्वव्यापी प्रवृत्ति है। कोई भी देश इस प्रक्रिया से अछूता नहीं रह सकता। वैश्वीकरण ने राष्ट्रों, निगमों व विभिन्न समूहों के मध्य अधिक आदान-प्रदान व प्रतियोगिता को जन्म दिया है। आज संचार प्रौद्योगिकी के चलते राष्ट्रों की भौतिक सीमाएँ व्यर्थ हो गयी हैं। आज सारा विश्व एक विश्व ग्राम का रूप धारण कर रहा है। ऐसे में भारत भी राजनीतिक, आर्थिक व सांस्कृतिक दृष्टि से वैश्वीकरण से प्रभावित हुआ है।

वैश्वीकरण का भारत पर प्रभाव:
(1) भारत पर वैश्वीकरण का एक प्रमुख प्रभाव आर्थिक है। सन् 1991 में वित्तीय संकट से उबरने के लिए वैश्वीकरण के अन्तर्गत निजीकरण व आर्थिक उदारीकरण की नीतियों को अपनाया गया है। व्यापार व विदेशी पूँजी की सीमा तथा क्षेत्रगत दायरे को बढ़ाया गया, आर्थिक व वित्तीय क्षेत्र में सरकारी नियन्त्रण को शिथिल किया गया। साथ ही सरकार ने निजीकरण के तहत विभिन्न क्षेत्रों से अपनी वापसी की या विभिन्न सरकारी निगमों में सरकार की भागीदारी कम की गई। परिणामतः जहाँ भारत में विदेशी वस्तुओं की उपलब्धता बढ़ी, वहीं भारतीय उत्पादों को नए बाजार उपलब्ध हुए। औद्योगिक प्रतियोगिता के तहत बाजार में उपलब्ध वस्तुओं के विकल्पों व गुणवत्ता में वृद्धि हुई।

(2) भारत में राजनीतिक क्षेत्र में विभिन्न समूहों, किसानों, मजदूरों व वामपंथियों के विरोध के चलते राज्य के कार्यक्षेत्र में व्यापक परिवर्तन नहीं किए गए। यद्यपि आर्थिक क्षेत्र में सरकार की भूमिका सीमित हुई, लेकिन सामाजिक व कल्याणकारी क्षेत्र में सरकार अब भी कार्य कर रही है, लेकिन यह स्थिति पहले जैसी नहीं है। उदाहरण के लिए; सरकारी शिक्षण संस्थाएँ भी चल रही हैं, लेकिन शिक्षा का निजीकरण भी किया जा रहा है। प्रजातान्त्रिक राजनीति के चलते सरकार सामाजिक न्याय के क्षेत्र से अपने को बिल्कुल अलग नहीं कर सकती।

(3) सांस्कृतिक क्षेत्र में अन्य देशों की तरह भारत भी पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव में आया है। मैक्डोनॉल्डीकरण, टी.वी. कार्यक्रम, वैलेन्टाइन डे, पेप्सी कोला, पश्चिमी उपभोग की अन्य वस्तुओं की पहुँच भारतीय समाज में बढ़ी है। परन्तु भारतीय संस्कृति एक प्राचीन संस्कृति है तथा उसकी जड़ें अत्यन्त गहरी हैं। इस कारण अभी वैचारिक स्तर पर पश्चिमी संस्कृति उतनी हावी नहीं है, जितना बाह्य व्यवहार में दिखाई देता है। भारत में भी पश्चिमी संस्कृति परम्परागत संस्कृति के साथ मिलकर मिश्रित रूपों को जन्म दे रही है। हाँ, यह अवश्य है कि वैश्वीकरण का सांस्कृतिक प्रभाव युवा पीढ़ी पर सर्वाधिक है। 

भारत का वैश्वीकरण पर प्रभाव: भारत आर्थिक दृष्टि से एक उभरता हुआ विकासशील देश है। एक बड़े मध्यम वर्ग के कारण भारत के बाजार पश्चिमी देशों को प्रभावित करते रहे हैं।  साथ ही अन्य विकासशील देशों की तुलना में भारत में प्रौद्योगिकी विकास, तकनीक विकास तथा आधारभूत ढाँचे की सुविधाएँ पर्याप्त हैं। वैसे भी वैश्वीकरण में वही देश लाभ की स्थिति प्राप्त कर सकता है, जिसमें प्रतियोगिता व कार्यकुशलता की क्षमता है।

उदाहरण के लिए; भारत के साफ्टवेयर इंजीनियर विश्व विख्यात हैं तथा पश्चिमी देशों में वैश्वीकरण के कारण भारतीय तकनीकी विशेषज्ञों को सेवाओं के अच्छे अवसर उपलब्ध हैं। विश्वस्तरीय उदारीकरण के कारण कई भारतीय कम्पनियाँ विभिन्न देशों में अपने उत्पाद व सेवाएँ दे रही हैं। चूँकि भारतीयों को वैश्वीकरण के अन्तर्गत सेवा के अच्छे अवसर उपलब्ध हैं, अतः भारतीय विचार, खान-पान, पहनावा भी अन्य देशों में पहुंच रहा है तथा अपनी जगह बना रहा है। भारतीय उत्पादों में विशेषकर हैण्डीक्राफ्ट आदि को अच्छे बाजार उपलब्ध हो रहे हैं। अतः हम कह सकते हैं कि सेवाओं, वस्तुओं तथा व्यक्तियों के प्रवाह में भारत का वैश्वीकरण की प्रक्रिया में सकारात्मक प्रभाव रहा है।

Prasanna
Last Updated on Jan. 11, 2024, 9:30 a.m.
Published Jan. 10, 2024