RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 1 राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ

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RBSE Class 12 Political Science Chapter 1 Notes राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ

→ हिन्दुस्तान की आजादी

  • 14-15 अगस्त, 1947 की मध्यरात्रि को भारत स्वतंत्र हुआ। भारत की जनता इसी क्षण की प्रतीक्षा कर रही थी।
  • स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने इस रात संविधान सभा के एक विशेष सत्र को संबोधित किया था। उनके द्वारा दिया गया यह प्रसिद्ध भाषण 'भाग्यवधू से चिर-प्रतीक्षित भेंट' या 'ट्रिस्ट विद् डेस्टिनी' के नाम से जाना जाता है। 
  • स्वतंत्र भारत का जन्म अत्यन्त कठिन परिस्थितियों में हुआ तथा स्वतंत्रता-प्राप्ति के साथ ही देश का विभाजन भी दो राष्ट्रों भारत और पाकिस्तान में हुआ।

→ भारत के समक्ष चुनौतियाँ

  • स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ ही भारत को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
  • स्वतंत्र भारत के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ थीं
    • भारत की क्षेत्रीय अखण्डता को कायम रखना।
    • लोकतांत्रिक व्यवस्था को सफलतापूर्वक लागू करना।
    • आर्थिक विकास तथा गरीबी को समाप्त करने हेतु नीति निर्धारित करना। 
  • स्वतंत्रता के तुरन्त पश्चात् राष्ट्र-निर्माण की चुनौती सबसे प्रमुख चुनौती थी। अतः राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा का प्रश्न सबसे प्रमुख चुनौती के रूप में उभरकर सामने आया। 

RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 1 राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ

→ विभाजन : विस्थापन और पुनर्वास

  • भारत और पाकिस्तान का विभाजन दर्दनाक था। विभाजन हेतु धार्मिक बहुसंख्या को आधार बनाया गया अर्थात् जिन क्षेत्रों में मुसलमान बहुसंख्यक थे वे क्षेत्र ‘पाकिस्तान' तथा शेष हिस्से 'भारत' कहलाए।
  • खान अब्दुल गफ्फार खान जिन्हें 'सीमान्त गाँधी' के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त थी, पश्चिमोत्तर सीमा प्रान्त के निर्विवाद नेता थे तथा 'द्वि-राष्ट्र सिद्धान्त' के विरोध में थे। परन्तु फिर भी उनकी बात की अनदेखी कर 'पश्चिमोत्तर सीमा प्रान्त' को पाकिस्तान में शामिल मान लिया गया।
  • 'ब्रिटिश-इण्डिया' के मुस्लिम-बहुल प्रान्त पंजाब और बंगाल में अनेक हिस्से बहुसंख्यक गैर-मुस्लिम आबादी वाले थे। अतः फैसला हुआ कि इन दोनों प्रान्तों में भी विभाजन धार्मिक बहुसंख्यकों के आधार पर होगा। पंजाब और बंगाल का बँटवारा विभाजन की सबसे बड़ी त्रासदी साबित हुआ।
  • पहले जिसे पूर्वी बंगाल कहा जाता था, वही आज का बांग्लादेश है। इसी कारण वर्तमान भारत के बंगाल को 'पश्चिम बंगाल' कहा जाता है।

→ विभाजन का परिणाम

  • विभाजन के परिणामस्वरूप एक जगह की आबादी दूसरी जगह जाने को मजबूर हुई। आबादी का यह स्थानान्तरण आकस्मिक, अनियोजित तथा त्रासदी से पूर्ण था। मानव-इतिहास के अब तक ज्ञात सबसे बड़े स्थानान्तरणों में से यह एक था। धर्म के नाम पर एक समुदाय के लोगों ने दूसरे समुदाय के लोगों को बेरहमी से मारा। 
  • बँटवारे के फलस्वरूप शरणार्थियों की समस्या उत्पन्न हो गयी। लाखों लोग घर से बेघर हो गये एवं लाखों की संख्या में शरणार्थी भारत आये जिनको पुनर्वास की समस्या का सामना करना पड़ा।
  • विभाजन के फलस्वरूप केवल सम्पत्ति, देनदारी तथा परिसम्पत्तियों का ही बँटवारा नहीं हुआ बल्कि इस विभाजन में दो समुदाय हिन्दू और मुस्लिम जो अब तक पड़ोसियों की तरह रहते आ रहे थे, हिंसक अलगाव का शिकार हुए। वित्तीय सम्पत्ति के साथ-साथ टेबिल, कुर्सी, टाइपराइटर तथा पुलिस के वाद्ययंत्रों तक का बँटवारा हुआ था। यहाँ तक कि सरकारी और रेलवे के कर्मचारियों का भी बँटवारा हुआ। 
  • एक अनुमान के अनुसार विभाजन के कारण 80 लाख लोगों को अपना घर छोड़कर सीमा-पार जाना पड़ा तथा हिंसा में लगभग पाँच से दस लाख लोगों ने अपनी जानें गँवाईं।

→ रजवाड़ों का विलय:

  • बँटवारे के परिणामस्वरूप विरासत के रूप में हमें जो दूसरी सबसे बड़ी समस्या मिली थी, वह थी देसी रजवाड़ों (रियासतों) का स्वतंत्र भारत में विलय करना।
  • ब्रिटिश सरकार ने भारत की 565 देशी रिसासतों को यह अधिकार प्रदान कर दिया था कि वे भारत अथवा पाकिस्तान में स्वेच्छा से सम्मिलित हो जाएँ अथवा अपना स्वतंत्र अस्तित्त्व बनाए रखें। यह अपने आपमें एक गम्भीर समस्या थी। इससे अखण्ड भारत के अस्तित्त्व पर ही खतरा मँडराने लगा था।
  • देसी रियासतों की जनता संविधान सभा में प्रतिनिधित्व एवं राजनीतिक अधिकारों की आकांक्षा प्रकट कर रही थी वहीं कुछ देसी रियासतों के शासक महत्त्वाकांक्षी थे, जो अपना स्वतंत्र अस्तित्व बनाये रखना चाहते थे। 
  • छोटे-बड़े विभिन्न आकार के देशों में विभाजित हो जाने की एक संभावना के विरुद्ध अंतरिम सरकार ने कठोर रुख अपनाया। इस कदम का मुस्लिम लीग ने विरोध किया। 
  • ऐसी विषम स्थिति में अन्तरिम सरकार के गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने साहस व धैर्य के साथ भारत के एकीकरण का मार्ग प्रशस्त किया। 
  • उन्होंने देसी रियासतों की भौगोलिक, आर्थिक एवं जनता की इच्छाओं को दृष्टि में रखकर नीतिगत कार्य किया और अपनी कुशल रणनीति के फलस्वरूप 15 अगस्त, 1947 से पूर्व ही कश्मीर, हैदराबाद एवं जूनागढ़ को छोड़कर अन्य सभी देशी रियासतों को भारत में सम्मिलित होने के पक्ष में कर लिया। जूनागढ़ रियासत का शासक पाकिस्तान में सम्मिलित होना चाहता था, परन्तु जूनागढ़ रियासत की जनता भारत में सम्मिलित होने के पक्ष में थी। ऐसी स्थिति में जनता के रोष से भयभीत जूनागढ़ का शासक पाकिस्तान भाग गया तथा जूनागढ़ रियासत का भारत में विलय हो गया।
  • हैदराबाद का शासक (निजाम) अपना स्वतंत्र अस्तित्त्व बनाये रखना चाहता था। भारत सरकार ने हैदराबाद पर बल प्रयोग किया। अन्तत: हैदराबाद के निजाम ने विवश होकर 1948 ई. में भारतीय संघ में अपने को सम्मिलित कर लिया। 
  • मणिपुर के महाराजा बोधचन्द्र सिंह ने भारत सरकार के साथ भारतीय संघ में अपनी रियासत के विलय के एक सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। जून, 1948 में चुनावों के फलस्वरूप मणिपुर की रियासत में संवैधानिक राजतंत्र स्थापित हुआ। 

RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 1 राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ

→ राज्यों का पुनर्गठन

  • भारतीय प्रान्तों की आंतरिक सीमाओं को तय करने की चुनौती भी देश के समक्ष थी। देश की राष्ट्रीय सरकार ने भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन किया। 
  • विशाल आन्ध्र आन्दोलन ने माँग की कि मद्रास प्रान्त के तेलुगु भाषी क्षेत्रों को अलग करके एक नया राज्य आन्ध्र प्रदेश बनाया जाए। तेलुगु भाषी क्षेत्र की सम्पूर्ण राजनीतिक शक्तियाँ मद्रास प्रान्त के भाषाई पुनर्गठन की पक्षधर थीं। 
  • सन् 1953 में केन्द्र सरकार ने राज्य पुनर्गठन आयोग बनाया। इस आयोग की रिपोर्ट के आधार पर सन् 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम पारित हुआ। इस आधार पर 14 राज्य व 6 केन्द्र शासित प्रदेश बनाए गए। इस अधिनियम में राज्यों के पुनर्गठन का आधार भाषा को बनाया गया।
  • आज भी देश के अनेक भागों में छोटे-छोटे अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर आन्दोलन हो रहे हैं। ये आन्दोलन हैं-महाराष्ट्र में विदर्भ, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हरित प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल के उत्तरी भाग को अलग राज्य बनाने के लिए।

→ ट्रिस्ट विद् डेस्टिनी :
स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने 14-15 अगस्त, 1947 की मध्य रात्रि को संविधान सभा के एक विशेष सत्र को सम्बोधित किया था। उनका यह प्रसिद्ध भाषण 'भाग्यवधू से चिर-प्रतीक्षित भेंट' या 'ट्रिस्ट विद् डेस्टिनी' के नाम से जाना जाता है। 

→ लोकतांत्रिक सरकार :
जनता द्वारा चुनी गई सरकार ।

→ प्रतिनिधित्वमूलक लोकतंत्र :
लोकतांत्रिक शासन पद्धति में प्रतिनिधियों के चुनाव के लिए सम्पूर्ण देश को निर्वाचन क्षेत्रों में बाँट दिया जाता है। चुने गए प्रतिनिधि देश का शासन चलाते हैं। 

→ लोकतांत्रिक संविधान :
लोकतांत्रिक संविधान के अन्तर्गत उन नियमों का संग्रह किया जाता है जिनके आधार पर समस्त नागरिकों के साथ समानता का व्यवहार किया जाता है।

→ राज्य के नीति निर्देशक सिद्धान्त :
राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धान्त-संविधान के चौथे भाग में वर्णित हैं। ये सिद्धान्त संघ और राज्यों की सरकार के लिए शासन के सिद्धान्त निश्चित करते हैं। इन सिद्धान्तों का उद्देश्य भारत में आर्थिक व सामाजिक लोकतंत्र की स्थापना करना है।

→ द्वि-राष्ट्र सिद्धान्त :
द्वि-राष्ट्र सिद्धान्त की बात मुस्लिम लीग ने की थी। इस सिद्धान्त के अनुसार भारत किसी एक कौम (जाति) का नहीं बल्कि 'हिन्दू' और 'मुसलमान' नाम की दो कौमों का देश था और इसी कारण मुस्लिम लीग ने मुसलमानों के लिए एक अलग देश अर्थात् पाकिस्तान की माँग की थी।

→ साम्प्रदायिकता :
‘अपने सम्प्रदाय को दूसरे से ऊँचा समझना तथा दूसरे सम्प्रदाय वालों से घृणा करना एवं येन-केन प्रकारेण हानि पहुँचाना साम्प्रदायिकता कहलाता है।' इसके अन्तर्गत वे सभी भावनाएँ तथा कार्य आते हैं जिसमें किसी धर्म या भाषा के आधार पर किसी समूह विशेष के हितों पर बल दिया जाता है और उन हितों को राष्ट्रीय हितों से ऊपर प्राथमिकता दी जाती है। 

→ धर्मनिरपेक्ष राज्य :
धर्मनिरपेक्ष राज्य से आशय एक ऐसे राज्य से है जो धर्म के आधार पर नागरिकों में कोई भेदभाव नहीं करता तथा उसका दृष्टिकोण सर्वधर्म सम्भाव होता है। भारतीय संविधान द्वारा देश में धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना की गयी है अर्थात् राज्य और धर्म का क्षेत्र अलग-अलग है।

→ रजवाड़ा या रियासत :
ब्रिटिश इण्डिया में छोटे-बड़े आकार के कुछ और राज्य थे। इन्हें रजवाड़ा या रियासत कहा जाता था। रजवाड़ों पर राजाओं का शासन था। अंग्रेजी प्रभुत्व के अन्तर्गत आने वाले भारतीय साम्राज्य के एक-तिहाई हिस्से में रजवाड़े स्थापित थे।

→ अलगाववाद :
जब एक समुदाय या सम्प्रदाय संकीर्ण भावना से ग्रस्त होकर अलग एवं स्वतंत्र राज्य बनाने की माँग करे तो उसे अलगाववाद कहा जाता है। अलगाववादी हमेशा हिंसात्मक आन्दोलन का ही सहारा लेते हैं, जैसे-पंजाब में खालिस्तान के लिए आन्दोलन। 

→ सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार :
सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार से तात्पर्य मतदान करने की ऐसी प्रणाली से है जिसमें एक निश्चित अवस्था प्राप्त करने पर बिना किसी भेदभाव के प्रत्येक नागरिक को चुनाव में मत देने का अधिकार दिया जाता है। भारत में वयस्क मताधिकार की आयु 18 वर्ष है। 

RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 1 राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ

→ रज़ाकार :
यह हैदराबाद रियासत का एक अर्द्ध-सैनिक बल था। इसे रजाकार कहा जाता था। रज़ाकार अव्वल दर्जे के साम्प्रदायिक तथा अत्याचारी थे। इन्होंने गैर-मुस्लिमों को मुख्य रूप से अपना निशाना बनाया। रज़ाकारों ने लूटपाट मचाई तथा हत्या और बलात्कार किये। रियासतों के आन्दोलन में हैदराबाद के निजाम ने लोगों के खिलाफ रजाकारों को रवाना किया।

→ महात्मा गाँधी :
सत्य-अहिंसा के पुजारी, भारत को अंग्रेजी दासता से स्वतंत्र कराने में उल्लेखनीय योगदान दिया।

→ पं. जवाहरलाल नेहरू :
स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने।

→ सरदार वल्लभ भाई पटेल :
स्वतंत्र भारत के प्रथम उप-प्रधानमंत्री व प्रथम गृहमंत्री। इनके नेतृत्व में ही देसी रियासतों का भारत में विलय हुआ।

→ मुहम्मद अली जिन्ना :
पाकिस्तान के निर्माता। इन्होंने भारत विभाजन में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया।

→ खान अब्दुल गफ्फार खाँ :
'सीमांत गाँधी' के नाम से प्रसिद्ध। द्वि-राष्ट्र सिद्धान्त के विरोधी थे। ये पश्चिमोत्तर सीमान्त प्रान्त के निर्विवाद नेता थे।

→ फैज अहमद फैज :
प्रसिद्ध कवि विभाजन के पश्चात पाकिस्तान में ही रहे। 'नक्शे फरियादी' 'दस्त-ए-सबा' तथा 'जिंदानामा' इनके प्रमुख कविता संग्रह थे। वामपंथी रुझान के कारण इनका पाकिस्तानी सरकार से अन्तिम समय तक टकराव बना रहा।

→ अमृता प्रीतम :
पंजाबी भाषा की प्रमुख कवयित्री और कथाकार। जीवन के अन्तिम समय तक पंजाबी की साहित्यिक पत्रिका 'नागमणि' का सम्पादन किया।

→ पोट्टी श्रीरामुलु :
गाँधीवादी कार्यकर्ता। आन्ध्र प्रदेश नाम से अलग राज्य बनाने की माँग को लेकर आमरण अनशन किया। 15 दिसम्बर 1952 ई. को अनशन के दौरान ही मृत्यु हो गयी।

RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 1 राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ

→ अध्याय में दी गईं महत्त्वपूर्ण तिथियाँ एवं सम्बन्धित घटनाएँ

  • सन् 1920: कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में स्वतंत्रता प्राप्त होने पर भारतीय राज्यों का पुनर्गठन भाषा के आधार पर करने का वायदा किया गया था।
  • सन् 1947: 14-15 अगस्त की मध्यरात्रि को ब्रिटिश शासन से भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हो गयी तथा भारत से विभाजित होकर पाकिस्तान का भी नये राष्ट्र के रूप में उदय हुआ। 15 अगस्त को स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले की प्राचीर से देश को सम्बोधित किया। नवम्बर माह में हैदराबाद के निजाम ने भारत के साथ यथास्थिति बहाल रखने का एक समझौता किया। 
  • सन् 1948: 30 जनवरी को दिल्ली में एक हिन्दू अतिवादी नाथूराम गोडसे ने महात्मा गाँधी की गोली मारकर हत्या की। जून माह में चुनाव के उपरान्त मणिपुर रियासत में संवैधानिक राजतंत्र स्थापित हुआ।
  • सन् 1952: दिसम्बर माह में प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने आन्ध्र प्रदेश नाम से अलग राज्य बनाने की घोषणा की। 
  • सन् 1953: इस वर्ष केन्द्र सरकार द्वारा राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया गया। 
  • सन् 1956: इस वर्ष राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश के आधार पर राज्य पुनर्गठन अधिनियम पारित हुआ। 
  • सन् 1960: इस वर्ष बम्बई प्रान्त को भाषायी आधार पर दो हिस्सों में बाँटकर महाराष्ट्र व गुजरात राज्य बनाए गए। 
  • सन् 1963: नागालैण्ड राज्य का गठन हुआ।
  • सन् 1966: इस वर्ष पंजाबी भाषायी इलाके को पंजाब राज्य बनाया गया तथा वृहत्तर पंजाब से अलग करके हरियाणा व हिमाचल प्रदेश नाम से अलग राज्य बनाए गए।
  • सन् 1972: इस वर्ष असम से अलग करके मेघालय राज्य बनाया गया और मणिपुर व त्रिपुरा भी अलग राज्य के रूप में सामने आए।
  • सन् 1987: इस वर्ष अरुणाचल प्रदेश व मिजोरम के रूप में नये राज्यों का जन्म हुआ।
  • सन् 2000: इस वर्ष नए भारतीय राज्यों छत्तीसगढ़, उत्तराखण्ड तथा झारखण्ड राज्य का गठन हुआ।
  • सन् 2014: 2 जून को तेलंगाना राज्य का गठन हुआ।
Prasanna
Last Updated on Jan. 19, 2024, 9:18 a.m.
Published Jan. 18, 2024