Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Political Science Chapter 5 समकालीन दक्षिण एशिया Textbook Exercise Questions and Answers.
क्रियाकलाप सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
(पृष्ठ संख्या-65)
प्रश्न 1.
उक्त चित्र एक अनुवाद (रूपान्तरण) है। इसमें अभिव्यक्त विषय को मूल रूप से किस चित्रकार द्वारा, कब चित्रित किया गया था ?
उत्तर:
मूल पेंटिंग बनाने वाले चित्रकार का नाम येगेनी डेलाको था, जिसने सन् 1830 में एक पेंटिंग ('लिबर्टी लीडिंग द पीपल') बनायी थी। यहाँ यह स्मरणीय है कि सन् 1830 में यूरोप के विभिन्न देशों में निरंकुश गणतन्त्र तथा लोकतन्त्र की स्थापना के लिए क्रान्तियों तथा जनप्रयासों के लिए याद किये जाने वाला वर्ष है।
प्रश्न 2.
मूल पेंटिंग का शीर्षक लिखते हुए इस शीर्षक के अर्थ को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
येगेनी डेलाक्रो की मूल पेंटिंग का शीर्षक 'लिबर्टी लीडिंग द पीपल' था। लोकतन्त्र के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण प्रबल स्तम्भ लिबर्टी अर्थात् स्वतन्त्रता जनसाधारण का नेतृत्व कर रही है तथा जनता को प्रेरणा स्वतन्त्रता के विचार से लोकतन्त्र की तरफ ले जा रही है।
प्रश्न 3.
अन्ततः लोकतन्त्र में सत्ता किसके हाथ में होती है ? इस पेंटिंग में किस देवी को जनसाधारण का नेतृत्व करते हुए और उसे ही क्यों दिखाया गया है ?
उत्तर:
अन्तत - लोकतन्त्र में सत्ता जनसाधारण के हाथों में ही होती है। इस पेंटिंग में स्वतन्त्रता की देवी को जनसाधारण का प्रतिनिधित्व करते हुए दिखाया गया है, क्योंकि वह राजतन्त्र तथा तानाशाहों के समर्थकों को यह सन्देश देना चाहती है कि सिंहासन खाली करो, लोक अपनी स्वतन्त्रता के लिए लोकतन्त्र की माँग कर रहे हैं।
प्रश्न 4.
उक्त चित्र के पेंटर अर्थात् रूपान्तर करने वाले चित्रकार का नाम लिखिए।
उत्तर:
येगेनी डेलाक्रो की मूल पेंटिंग का रूपान्तरण सुभाष राय द्वारा किया गया था।
(पृष्ठ संख्या-66)
प्रश्न 5.
दक्षिण एशिया के देशों की कुछ ऐसी विशेषताओं की पहचान करें; जो इस क्षेत्र के देशों में तो समान रूप से लागू होती हैं परन्तु पश्चिम एशिया अथवा दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों पर लागू नहीं होती।
उत्तर:
दक्षिण एशिया का ऐसा क्षेत्र है; जहाँ के सभी देशों में सद्भाव एवं शत्रुता, आशा व निराशा तथा पारस्परिक शंका एवं विश्वास साथ-साथ बसते हैं।
(पृष्ठ संख्या-67)
प्रश्न 6.
भारत तथा श्रीलंका में कितने प्रतिशत लोग लोकतन्त्र को एक श्रेष्ठ प्रणाली मानते हैं ?
उत्तर:
भारत में 70% तथा श्रीलंका में 71% लोग लोकतन्त्र को तानाशाही से श्रेष्ठ प्रणाली मानते हैं।
प्रश्न 7.
उक्त आँकड़ों के अनुसार बांग्लादेश तथा पाकिस्तान में कितने प्रतिशत लोग कभी-कभी तानाशाही को श्रेष्ठ मान रहे हैं ?
उत्तर:
बांग्लादेश में 6% तथा पाकिस्तान में 14% लोग कभी-कभी तानाशाही व्यवस्था होने की स्थिति को श्रेष्ठ मान रहे हैं।
प्रश्न 8.
भारत के पड़ोसी नेपाल तथा श्रीलंका में क्रमशः कितने प्रतिशत लोग कह रहे हैं कि कोई फर्क (असर) नहीं पड़ता है ?
उत्तर:
नेपाल के 28% और श्रीलंका के 18% लोगों का अभिमत है कि कोई फर्क नहीं पड़ता है।
प्रश्न 9.
उक्त आँकड़ों के अध्ययनोपरान्त बताइए कि किन दो देशों में सबसे कम प्रतिशत लोग कभी-कभी तानाशाही को श्रेष्ठ कह रहे हैं ?
उत्तर:
बांग्लादेश (6%) तथा भारत (9%) में सबसे कम लोग कभी-कभी तानाशाही व्यवस्था की स्थिति को श्रेष्ठ मानते हैं।
प्रश्न 10.
दक्षिण एशियाई देशों में जनसंख्या का कितना प्रतिशत (औसतन) लोकतन्त्र को सर्वाधिक उपयुक्त और कितने प्रतिशत उपयुक्त मान रहा है ?
उत्तर:
दक्षिण एशिया में सिर्फ 18% (औसत) लोग ही लोकतन्त्र को सर्वाधिक उपयुक्त जबकि 88% लोग उपयुक्त मान रहे हैं।
प्रश्न 11.
किन दो देशों के लोग समान रूप से लोकतन्त्र को उपयुक्त मान रहे हैं ? प्रतिशत भी लिखिए।
उत्तर:
श्रीलंका तथा भारत के लोग समान रूप से लोकतन्त्र को उपयुक्त मान रहे हैं। इन दोनों देशों में ऐसे लोगों का प्रतिशत 92% है।
प्रश्न 12.
दक्षिण एशिया के पाँच देशों के नाम लिखते हुए बताइए कि विश्व के विकासशील देशों तथा पाँच दक्षिण एशियाई देशों में औसत आयु प्रत्याशा, 2017 में क्या-क्या थी ?
उत्तर:
बांग्लादेश, भारत, नेपाल, पाकिस्तान तथा श्रीलंका दक्षिण एशिया के पाँच देश हैं। दर्शाये गये 2017 के आँकड़ों के अनुसार जहाँ विश्व में आयु प्रत्याशा 72.2 थीं, वहीं विकासशील देशों में 70.7 तथा दक्षिण एशिया में यह 69.3 ही थी।
प्रश्न 13.
दक्षिण एशिया के पाँचों देशों में से सर्वाधिक (सबसे ऊँची) तथा न्यनूतम (सबसे कम) आयु प्रत्याशा 2017 में कितनी थी?
उत्तर:
उक्त आँकड़ों के अनुसार दक्षिण एशियाई देशों में सर्वाधिक आयु प्रत्याशा श्रीलंका 75.5 तथा न्यूनतम पाकिस्तान 66.6 की थी।
प्रश्न 14.
2017 में दक्षिण एशियाई देशों को विश्व में जो स्थान मानव विकास सूची में हासिल (प्राप्त) है, वह श्रीलंका, भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा नेपाल के क्रम में बताइए।
उत्तर:
मानव विकास सूची में श्रीलंका 76वें, भारत 130वें, पाकिस्तान 150वें, बांग्लादेश 136वें तथा नेपाल 149वें स्थान पर है।
(पृष्ठ संख्या-73)
प्रश्न 15.
उक्त कार्टून (पा. पु. पृ.-73) किसने और किसके लिए बनाया ?
उत्तर:
उक्त कार्टून केशव द्वारा 'द हिन्दू' समाचार पत्र के लिए बनाया गया।
प्रश्न 16.
यह कार्टून क्या दर्शाता है ?
उत्तर:
यह कार्टून शान्ति वार्ताओं में श्रीलंकाई नेतृत्व के समक्ष मौजूदा दुविधा को दर्शाता है।
प्रश्न 17.
कार्टून में शेर तथा बाघ को किसका प्रतीक बताया गया है ?
उत्तर:
कार्टून में शेर के रूप में सिंहली कट्टरपंथी तथा बाघ के रूप में तमिल उग्रवादी दर्शाये गये हैं।
(पृष्ठ संख्या-74)
प्रश्न 18.
कश्मीर मसले पर होने वाली बातचीत ऐसी जान पड़ती है मानो भारत और पाकिस्तान के शासक अपनी जायदाद का झगड़ा निपटा रहे हों। कश्मीरियों को इसमें कैसा लगता होगा?
उत्तर:
कश्मीर मसला दोनों ही देशों के राजनयिकों की राजनीतिक उठा-पटक का प्रतिफल है; जिसमें कश्मीरी स्वयं को ठगा हुआ-सा महसूस करते हैं। क्रियाकलाप
(पृष्ठ संख्या-15)
प्रश्न 19.
ऐसा क्यों है कि हर पड़ोसी देश को भारत से कुछ-न-कुछ परेशानी है ? क्या हमारी विदेश नीति में कुछ गड़बड़ी है ? या यह केवल हमारे बड़े होने के कारण है ?
उत्तर:
हमारी विदेश नीति अत्यधिक आदर्शवादी रही है। अनेक बार हमने शान्तिदूत का खिताब हासिल करने के लिए राष्ट्रीय हितों की अनदेखी की है। हमारी विदेश नीति की असफलता का एक श्रेष्ठ उदाहरण हमारी तिब्बत नीति थी। जहाँ हमें अपनी गलत विदेशी नीति की वजह से सच्चे मित्र नहीं मिल सके। वहीं हमने चीन तथा पाक जैसे पड़ोसियों तक को अपना कट्टर शत्रु बना लिया। हमारी गुटनिरपेक्षता को भी सदैव सन्देहास्पद नजरों से देखा गया है। अतः अब वर्तमान परिप्रेक्ष्य में विदेश नीति में परिवर्तन की आवश्यकता है।
प्रश्न 20.
अगर अमेरिका के बारे में लिखे गये अध्याय को अमेरिकी वर्चस्व का शीर्षक दिया गया तो इस अध्याय को भारतीय वर्चस्व क्यों नहीं कहा गया ?
उत्तर:
चूँकि अमेरिका सैन्य प्रभुत्व, आर्थिक शक्ति, राजनीतिक दबदबे तथा सांस्कृतिक बढ़त के मामले में विश्व में चोटी पर है। जब अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था में शक्ति का एक ही केन्द्र हो तो उसे वर्चस्व शब्द के प्रयोग से वर्णित करना उचित होता है। इस . दृष्टिकोण से यह अध्याय भारतीय वर्चस्व के शीर्षक से नहीं लिखा जा सकता है।
प्रश्न 21.
यह कार्टून क्षेत्रीय सहयोग की प्रगति में भारत तथा पाकिस्तान की भूमिका के बारे में क्या बताता है ?
उत्तर-क्षेत्रीय सहयोग की प्रगति में भारत एवं पाकिस्तान की निर्णायक भूमिका है तथा यह किसी भी फैसले को प्रभावित करने की अपार क्षमता रखते हैं। उल्लेखनीय है कि फरवरी 2004 में इस्लामाबाद के 12वें दक्षेस (सार्क) सम्मेलन में ही मुक्त व्यापार, सन्धि (साफ्टा) हस्ताक्षरित हुई थी।
(पष्ठ स -78)
प्रश्न 22.
लगता है हर संगठन व्यापार के लिए ही बनता है ? क्या व्यापार लोगों के आपसी मेलजोल से ज्यादा महत्त्वपूर्ण है ?
उत्तर:
विश्व के अधिकांश संगठन व्यापार के लिए ही बनाये गये हैं। व्यापार लोगों के आपसी मेलजोल से ज्यादा महत्त्वपूर्ण नहीं है, लेकिन व्यापार के माध्यम से लोगों का मेलजोल भी बढ़ता है।
प्रश्न 1.
देशों की पहचान करें
(क) राजतन्त्र, लोकतन्त्र-समर्थक समूहों और अतिवादियों के बीच संघर्ष के कारण राजनीतिक अस्थिरता का वातावरण बना।
(ख) चारों तरफ भूमि से घिरा देश।
(ग) दक्षिण एशिया का वह देश जिसने सबसे पहले अपनी अर्थव्यवस्था का उदारीकरण किया।
(घ) सेना और लोकतन्त्र समर्थक समूहों के बीच संघर्ष में सेना ने लोकतन्त्र के ऊपर बाजी मारी।
(ङ) दक्षिण एशिया के केन्द्र में अवस्थित। इस देश की सीमाएँ दक्षिण एशिया के अधिकांश देशों से मिलती हैं।
(च) पहले इस द्वीप में शासन की बागडोर सुल्तान के हाथ में थी। अब यह एक गणतन्त्र है।
(छ) ग्रामीण क्षेत्र में छोटी बचत और सहकारी ऋण की व्यवस्था के कारण इस देश को गरीबी कम करने में मदद मिली है।
(ज) एक हिमालयी देश जहाँ संवैधानिक राजतन्त्र है। यह देश भी हर तरफ से भूमि से घिरा है।
उत्तर:
(क) नेपाल,
(ख) नेपाल,
(ग) श्रीलंका,
(घ) पाकिस्तान,
(ङ) भारत,
(च) मालदीव,
(छ) बांग्लादेश,
(ज) भूटान।
प्रश्न 2.
दक्षिण एशिया के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन गलत है?
(क) दक्षिण एशिया में सिर्फ एक तरह की राजनीतिक प्रणाली चलती है।
(ख) बांग्लादेश और भारत ने नदी-जल की हिस्सेदारी के बारे में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
(ग) 'साफ्टा' पर हस्ताक्षर इस्लामाबाद के 12वें सार्क सम्मेलन में हुए।
(घ) दक्षिण एशिया की राजनीति में चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
उत्तर:
(क) दक्षिण एशिया में सिर्फ एक तरह की राजनीतिक प्रणाली चलती है।
प्रश्न 3.
पाकिस्तान के लोकतन्त्रीकरण में कौन-कौन सी कठिनाइयाँ हैं ?
अथवा
पाकिस्तान में प्रजातान्त्रिक व्यवस्था लगातार क्यों नहीं स्थापित हो पा रही है ?(उ. मा. उ. मा. परीक्षा, 2017, 2012)
अथवा
पाकिस्तान में लोकतन्त्र के स्थायी न बन पाने के लिए उत्तरदायी किन्हीं दो कारकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पाकिस्तान के लोकतन्त्रीकरण में निम्न कठिनाइयाँ (चुनौतियाँ) विद्यमान हैं
1. सेना का बाहुल्य-पाकिस्तान में सदैव ही सेना का प्रभुत्व रहा। वहाँ जितने भी शासक हुए सभी ने लोकतन्त्र के नाम पर सेना के माध्यम से शासन की बागडोर संभाली। जनता भी सैनिक शासन का इसलिए समर्थन करती है क्योंकि वे सोचते हैं कि इससे देश की सुरक्षा खतरे में नहीं पड़ेगी। पाकिस्तान की भारत के साथ तनातनी रहती है। इस कारण भी सेना समर्थक समूह अघि कि मजबूत हैं।
2. लोकतन्त्र के लिए विशेष अन्तर्राष्ट्रीय समर्थन का अभाव-पाकिस्तान में लोकतन्त्रीय शासन चले इसके लिए कोई विशेष अन्तर्राष्ट्रीय समर्थन नहीं मिलता। संयुक्त राज्य अमेरिका एवं अन्य पश्चिमी देशों ने अपने-अपने स्वार्थों से पिछले वर्षों में सैनिक शासन को बढ़ावा दिया। इस तरह से भी सेना को अपना प्रभुत्व कायम करने के लिए बढ़ावा मिलता है।
3. धर्मगुरुओं एवं अभिजन का प्रभाव-पाकिस्तानी समाज में भू-स्वामी अभिजनों और धर्मगुरुओं का काफी प्रभुत्व रहता है; वे लोग भी सेना के शासन को उचित मानते हैं।
प्रश्न 4.
नेपाल के लोग अपने देश में लोकतन्त्र को बहाल करने में कैसे सफल हुए ?
उत्तर:
अतीत में नेपाल एक हिन्दू राज्य था। आधुनिक काल में यहाँ कई वर्षों तक संवैधानिक राजतन्त्र रहा। इस दौर में नेपाल की राजनीतिक पार्टियाँ और आम जनता खुले और उत्तरदायी शासन की आवाज उठाते रहे। लेकिन राजा ने सेना की सहायता से शासन पर पूरा नियन्त्रण कर लिया और नेपाल में लोकतन्त्र की राह अवरुद्ध हो गयी, लेकिन एक मजबूत लोकतन्त्र समर्थक आन्दोलन से विवश होकर सन् 1990 में राजा ने नये लोकतान्त्रिक संविधान की माँग मान ली, परन्तु नेपाल में लोकतान्त्रिक सरकारों का कार्यकाल बहुत छोटा और समस्याओं से भरा रहा। सन् 1990 के दशक में नेपाल के माओवादी, नेपाल के अनेक हिस्सों में अपना प्रभाव कायम करने. में कामयाब हुए। माओवादी, राजा और सत्ताधारी अभिजन के बीच त्रिकोणीय संघर्ष हुआ। सन् 2002 में राजा ने संसद को भंग कर दिया और सरकार को गिरा दिया। इस प्रकार नेपाल में जो भी थोड़ा-बहुत लोकतन्त्र था, उसे राजा ने खत्म कर दिया।अप्रैल 2006 में यहाँ देशव्यापी लोकतन्त्र समर्थक प्रदर्शन हुआ और राजा ज्ञानेन्द्र ने बाध्य होकर संसद को बहाल किया। इस तरह नेपाल के लोग अपने देश में लोकतन्त्र को बहाल करने में सफल हुए। सन् 2008 में नेपाल राजतन्त्र को खत्म कर लोकतान्त्रिक गणराज्य बना तथा सन् 2015 में उसने नया संविधान अपनाया।
प्रश्न 5.
श्रीलंका के जातीय संघर्ष में किनकी भूमिका प्रमुख है?
उत्तर:
श्रीलंका के जातीय संघर्ष में सिंहलियों के बहुसंख्यकवाद एवं तमिलों के आतंकवाद दोनों की ही मुख्य भूमिका रही है।
श्रीलंका में मुख्य रूप से सिंहली समुदाय की अधिकता है जो भारत छोड़कर श्रीलंका आ बसे तमिलों के खिलाफ हैं। सिंहली राष्ट्रवादियों का मानना है कि श्रीलंका में तमिलों के साथ कोई रियायत नहीं बरती जानी चाहिए क्योंकि श्रीलंका केवल सिंहली समुदाय का है। तमिलों के प्रति उपेक्षा भरे बर्ताव से एक उग्र तमिल राष्ट्रवाद की आवाज़ बुलन्द हुई। सन् 1983 के पश्चात् से उग्र तमिल, संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) श्रीलंका की सेना के साथ सशस्त्र संघर्ष कर रहा है। इसने 'तमिल ईलम' अर्थात् श्रीलंका के तमिलों के लिए एक अलग राष्ट्र की मांग रखी। धीरे-धीरे श्रीलंका में जातीय संघर्ष तेज होने लगा। विस्फोट एवं हत्याएँ होने लगी। सन् 1987 में भारत ने श्रीलंका में शान्ति सेना भेजी; जिसे श्रीलंका की जनता ने पसन्द नहीं किया। फलस्वरूप सन् 1989 में भारत ने अपनी शान्ति सेना बिना लक्ष्य प्राप्त किये वापस बुला ली। भारत व श्रीलंका ने इस जातीय संघर्ष की समाप्ति के लिए भरपूर प्रयास किये, लेकिन सफलता नहीं मिली। सन् 2009 में लिट्टे प्रमुख प्रभाकरन के सैनिक कार्यवाही में मारे जाने के पश्चात् लिट्टे के खात्मे के साथ ही सशस्त्र संघर्ष समाप्त हो गया।
प्रश्न 6.
भारत और पाकिस्तान के बीच हाल में क्या समझौते हुए?
उत्तर:
दोनों ही देश भारत और पाकिस्तान के मध्य स्वतन्त्रता से लेकर अब तक निरन्तर तनाव की स्थिति बनी रही है। सन् 1960 में विश्व बैंक की मदद से भारत और पाकिस्तान ने सिन्धु जल सन्धि' पर हस्ताक्षर किये और यह सन्धि भारत-पाक के बीच कई अन्य संघषों के बावजूद अब भी कायम है। दोनों देशों के नेता एक-दूसरे को भली प्रकार समझने और दोनों के बीच मौजूद बड़ी समस्याओं के समाधान के लिए सम्मेलनों में भेंट करते हैं। विगत वर्षों के दौरान दोनों देशों के पंजाब वाले हिस्से के बीच कई बस मार्ग खुले हैं।
सन 1999 में भारत के तत्कालीन प्रधानमन्त्री अटलबिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान की बस यात्रा की और लाहौर गये तथा शान्ति के एक घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर किये। इसके बावजूद जुलाई 1999 में भारत और पाकिस्तान के मध्य कारगिल युद्ध हुआ।
जुलाई, 2001 को आगरा में हुई शिखर वार्ता में भारत के प्रधानमन्त्री अटलबिहारी वाजपेयी और पाक राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ ने भाग लिया। पर यह शिखर वार्ता भी किसी निष्कर्ष पर न पहुँच सकी। दोनों देशों के मध्य 20 जनवरी, 2006 को तीसरा सड़क मार्ग अमृतसर व लाहौर के बीच बस सेवा शुरू हुई। मार्च 2006 में ननकाना और अमृतसर के बीच बस सेवा शुरू हुई। 2018 में पाकिस्तान सरकार ने 'करतापपुर कॉरिडोर' का शिलान्यास किया जिसका भारत ने भी समर्थन किया। नवम्बर 2019 में इस कॉरिडोर को खोला गया।
प्रश्न 7.
ऐसे दो मसलों के नाम बताएँ; जिन पर भारत-बांग्लादेश के बीच आपसी सहयोग है और इसी तरह दो ऐसे मसलों के नाम बताएँ जिन पर असहमति है।
अथवा
भारत और बांग्लादेश के बीच विवाद के कोई दो मुददे स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत और बांग्लादेश के बीच आपसी सहयोग के निम्न दो मसले हैं:
भारत और बांग्लादेश के बीच असहमति के दो मसले निम्न हैं:
प्रश्न 8.
दक्षिण एशिया में द्विपक्षीय सम्बन्धों को बाहरी शक्तियाँ कैसे प्रभावित करती हैं ?
उत्तर:
कोई भी क्षेत्र अपने को गैर-इलाकाई ताकतों से अलग रखने की कितनी भी कोशिश क्यों न करे उस पर बाहरी ताकतों और घटनाओं का असर पड़ता ही है। चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका दक्षिण एशिया की राजनीति में अहम् भूमिका निभाते हैं।भारत और चीन के सम्बन्धों में पहले से निकटता आई है। परन्तुं चीन के सम्बन्ध पाकिस्तान से भी हैं, इस कारण भारत-चीन सम्बन्धों में इतनी निकटता नहीं आ पायी है। यह एक बड़ी कठिनाई के रूप में है। शीतयुद्ध के बाद दक्षिण एशिया.में अमेरिकी प्रभाव तेजी से बढ़ा है। अमेरिका ने शीतयुद्ध के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों से अपने सम्बन्ध बेहतर किये हैं। दोनों में आर्थिक सुधार हुए हैं और उदार नीतियाँ अपनायी गयी हैं। इससे दक्षिण एशिया में अमेरिकी भागीदारी ज्यादा गहरी हुई है। अमेरिका में दक्षिण एशियाई मूल के लोगों की संख्या अच्छी-खासी है। फिर इस क्षेत्र की सुरक्षा और शान्ति के भविष्य से अमेरिका के हित भी बँधे हुए हैं।
प्रश्न 9.
दक्षिण एशिया के देशों के बीच आर्थिक सहयोग की राह तैयार करने में दक्षेस (सार्क) की भूमिका और सीमाओं का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। दक्षिण एशिया की बेहतरी में दक्षेस (साक) ज्यादा बड़ी भूमिका निभा सके, इसके लिए आप क्या सुझाव देंगे?
उत्तर:
दक्षिण एशिया के देश यदि अपने आर्थिक मसलों में सहायता का रुख अपमाएँ तो सभी देश अपने-अपने देश के संसाधनों का उचित विकास कर सकते हैं। अनेक संघर्षों के बावजूद दक्षिण एशिया (सार्क) के देश परस्पर मित्रवत् सम्बन्ध तथा सहयोग के महत्त्व को पहचानते हैं। दक्षेस दक्षिण एशियाई देशों द्वारा बहुस्तरीय साधनों में सहयोग करने की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम है। 11वें शिखर सम्मेलन में दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र समझौते के लिए प्रारूप तैयार करने का निर्णय लिया गया। अन्ततः सन् 2004 में दक्षेस के देशों ने 'साफ्टा' (साउथ एशियन फ्री ट्रेड एशिया एग्रीमेण्ट) दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र समझौते पर . हस्ताक्षर किए। दक्षेस का उद्देश्य आर्थिक सहयोग उपलब्ध कराना भी है। 1 जनवरी, 2006 से यह समझौता प्रभावी हो गया है। सीमाएँ-दक्षेस की कुछ सीमाएँ भी हैं, जिन्हें निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं:
1. दक्षिण एशिया के देशों के बीच आपसी विवाद तथा समस्याओं ने विशेष स्थान लिया हुआ है। कुछ देशों का मानना है कि 'साफ्टा' का सहारा लेकर भारत उनके बाजार में सेंध मारना चाहता है और उनके समाज और राजनीति को प्रभावित करना चाहता है।
2. दक्षेस में शामिल देशों की समस्याओं के कारण चीन तथा संयुक्त राज्य अमेरिका दक्षिण एशिया की राजनीति में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
दक्षेस की भूमिका के लिए सुझाव:
प्रश्न 10.
दक्षिण एशिया के देश एक-दूसरे पर अविश्वास करते हैं। इससे अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर यह क्षेत्र एकजुट होकर अपना प्रभाव नहीं जमा पाता। इस कथन की पुष्टि में कोई भी दो उदाहरण दें और दक्षिण एशिया को मजबूत बनाने के लिए उपाय सुझाएँ।
उत्तर:
वास्तव में दक्षिण एशिया के देशों को एक-दूसरे पर विश्वास नहीं है, जिसके कारण ये देश अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर एकजुट होकर अपना प्रभाव नहीं जमा पाते हैं। उदाहरण के लिए,
दक्षिण एशिया को मजबूत बनाने के उपाय:
प्रश्न 11.
दक्षिण एशिया के देश भारत को एक बाहुबली समझते हैं; जो इस क्षेत्र के छोटे देशों पर अपना दबदबा जमाना चाहता है और उनके अन्दरूनी मामलों में दखल देता है। इन देशों की ऐसी सोच के लिए कौन-कौन सी बातें जिम्मेदार है ?
उत्तर:
दक्षिण एशिया के देश भारत को एक बाहुबली समझते हैं जो इस क्षेत्र के छोटे देशों पर अपना दबदबा जमाना चाहता है और उनके अन्दरूनी मामलों में दखल देता है। दक्षिण एशिया के छोटे देशों की ऐसी सोच के लिए निम्नलिखित बातें जिम्मेदार हैं:
1. भारत का आकार अन्य दक्षिण एशिया के देशों से अधिक विशाल है।
2. भारत इन छोटे देशों में अत्यधिक शक्तिशाली व प्रभावपूर्ण है।
3. भारत नहीं चाहता कि इन देशों में राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो। उसे भय लगता है कि ऐसी स्थिति में बाहरी ताकतों को इस क्षेत्र में प्रभाव जमाने में मदद मिलेगी, जबकि छोटे देश सोचते हैं कि भारत दक्षिण एशिया में अपना दबदबा स्थापित करना चाहता है।
4. दक्षिण एशिया का भूगोल ही ऐसा है कि भारत इसके मध्य में स्थित है तथा शेष देश भारत की सीमा के आस-पास पड़ते हैं।
5. कुछ छोटे देशों का मत है कि भारत दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार समझौते (साफ्टा) का सहारा लेकर उनके बाजार में सेंध मारना चाहता है तथा व्यावसायिक उद्यम व व्यावसायिक मौजूदगी के माध्यम से उनके समाज व राजनीति पर प्रभाव डालना चाहता है, जबकि भारत का यह मत है कि साफ्टा से इस क्षेत्र के प्रत्येक देश को लाभ होगा और क्षेत्र में मुक्त व्यापार बढ़ने से राजनीतिक मसलों पर सहयोग अधिक अच्छा होगा।